दरअसल आरबीआई के नियमों के अनुसार उससे रजिस्टर्ड होने वाली कंपनी को तीन साल में अपना आईपीओ लाना होता है. टाटा की ये कंपनी हाल ही में रजिस्टर्ड हुई है.
टाटा समूह की कंपनी टाटा कैपिटल दो साल बाद बाजार में अपना आईपीओ लेकर आ सकती है. कंपनी 2025 में अपना आईपीओ लेकर आ सकती है, उससे पहले कंपनी अपने बोर्ड के विस्तार से लेकर कई कंपनियों को इसमें मर्ज करने की तैयारी कर रही है. दरअसल कंपनी की नजर जियो फाइनेंशियल सर्विसेज की तरह अपने आईपीओ को लाने पर लगी हुई है. कंपनी इस पर काम कर रही है और माना जा रहा है वर्ष 2024 में इस पर काम शुरू हो सकता है.
तीन साल में लिस्टिंग जरूरी
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अपर लेयर की एनबीएफसी कंपनियों को आरबीआई से नोटिफाई होने के बाद तीन साल के भीतर लिस्ट होना जरूरी होता है. टाटा कैपिटल और इसकी पेरेंट कंपनी टाटा संस 14 सितंबर 2023 को नोटिफाई हुई थी. ऐसे में 2026 तक कंपनियों को लिस्ट होना होगा. ये नियम ऊपर की 16 एनबीएफसी पर लागू होता है. टाटा ग्रुप की पेरेंट कंपनी टाटा संस भी जल्द ही लिस्ट हो सकती है. पिछले हफ्ते आरबीआई से अपर लेयर में लिस्ट होने के बाद कंपनी को सितंबर 2025 तक लिस्ट होना होगा. 14 सितंबर को आरबीआई की ओर से 15 एनबीएफसी कंपनियों की सूची जारी की गई थी. इस सूची में टाटा संस और टाटा कैपिटल को ऊपरी लेयर में जगह मिली थी. आरबीआई ने इस सूची को चार वर्गों में बांटा था.
क्या बोले टाटा कैपिटल के एमडी?
टाटा कैपिटल के प्रबंध निदेशक राजीव सभरवाल ने कहा कि हम आरबीआई दिशानिर्देशों का पूरी तरह से पालन करेंगे. इससे पहले 8 अगस्त को भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने टाटा कलीनटेक कैपिटल और टाटा कैपिटल फाइनेंशियल सर्विसेज के टाटा कैपिटल लिमिटेड में विलय को मंजूरी दे दी थी. टाटा कैपिटल फाइनेंशियल सर्विसेज और टाटा क्लीनटेक कैपिटल लिमिटेड आरबीआई पंजीकृत और गैर पंजीकृत संस्थाएं हैं. टाटा की ओर से जो प्रपोज्ड विलय होना है उसमें टाटा कैपिटल फाइनेंशियल सर्विसेज और टाटा क्लीनटेक कैपिटल लिमिटेड का टाटा कैपिटल लिमिटेड में विलय होना है.
क्या करती है टाटा कैपिटल लिमिटेड?
टाटा कैपिटल लिमिटेड आरबीआई से रजिस्टर्ड एक नॉन डिपॉजिट लेने वाली निवेश कंपनी है. जो अपनी सब्सिडियरी कंपनियों में होल्डिंग रखती है. ये कंपनी फाइनेंशियल सर्विसेज में कई तरह के प्रोडक्ट और सर्विसेज मुहैया कराती है.इसका बाजार में अच्छा शेयर है.
इस 28% GST को लेकर अब तक गेमिंग इंडस्ट्री की ओर से इसका विरोध होता रहा है लेकिन सरकार इसे लागू करने को लेकर पूरी तरह से तैयार हो चुकी है.
गेमिंग इंडस्ट्री पर 28 प्रतिशत जीएसटी लागू करने के फैसले को सरकार 1 अक्टूबर से लागू करने जा रही है. CBIC के प्रमुख संजय कुमार की ओर से ये जानकारी दी गई है कि 1 अक्टूबर से 28 प्रतिशत जीएसटी लागू हो जाएगा. उन्होंने हाल ही में जीएसटी विभाग की ओर से कई गेमिंग कंपनियों को भेजे गए नोटिस को लेकर भी अपनी बात कही और कहा कि उन्हें नोटिस सोच समझकर भेजा गया था. दिलचस्प बात ये है कि इंडस्ट्री के कुछ लोगों ने इन नोटिस को लेकर अपनी आवाज बुलंद की थी.
क्या बोले सीबीआईसी चीफ?
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सीबीआईसी चीफ संजय कुमार ने कहा है कि सरकार इलेक्ट्रॉनिक गेमिंग, कैसिनो और हॉर्स रेसिंग पर 28 प्रतिशत जीएसटी लागू करने जा रही है. इससे पहले पिछले साल कई राज्यों के विरोध के बाद सरकार ने इसे जीएसटी काउंसिल से पास करा लिया था. 28 प्रतिशत जीएसटी का विरोध करने वालों में दिल्ली, सिक्किम और गोवा जैसे राज्य थे. बावजूद उसके इसे 1 अक्टूबर से लागू करने की तैयारी की जा चुकी है.
जीएसटी विभाग ने कई कंपनियों को भेजा था नोटिस
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सीबीआईसी प्रमुख ने कई कंपनियों को भेजे गए लीगल नोटिस को लेकर भी अपनी बात कही है. उन्होंने कहा कि जिन कंपनियों को भी नोटिस भेजा गया है उन्हें प्रोसेस के अनुरूप ये दिया गया है. सीबीआईसी की ओर से अब तक जिन कंपनियों को नोटिस भेजा गया है उनमें गेमिंग कंपनी ड्रीम 11 की मूल कंपनी ड्रीम स्पोर्टस शामिल है. इसमें लगाए गए दांव के अंकित मूल्य पर 28 प्रतिशत जीएसटी का भुगतान को लेकर 40 हजार करोड़ रुपये से अधिक की कर चोरी का हवाला दिया गया है. इससे पहले इसी तरह का नोटिस गेम्सक्राफ्ट को भी मिल चुका है. गेम्स क्राफ्ट को कर चोरी के लिए कथित तौर पर 21600 करोड़ रुपये का जीएसटी टैक्स डिमांड नोटिस मिल चुका है.
अश्नीर ग्रोवर भी उठा चुके हैं इस मामले को
कल ही अश्नीर ग्रोवर ने भी इस मामले को लेकर सरकार पर निशाना साधा था. अश्नीर ग्रोवर ने कर जारी करने वाले अधिकारियों की सोच बारे में बताते हुए कहा कि मुझे इस बात की दिलचस्पी है कि आखिर ऐसे नोटिस भेजते वक्त टैक्स वालों के दिमाग में क्या चलता होगा. उन्होंने कहा कि ये सरासर मोनोपॉली है. इसका एकमात्र जवाब है ‘कुछ नहीं’. उन्होंने आगे कहा कि ना तो इस तरह के करों का भुगतान करने के लिए कोई तैयार होगा और ना ही सरकार उन्हें वसूल करने में सक्षम होगी. उन्होंने ये भी कहा कि इससे कानूनी प्रक्रियाओं के कारण वकीलों को फायदा होगा. ये बिजनेसमैन द्वारा सहन किए जाने वाला उत्पीड़न है.
ग्रोवर ने सोशल नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म पर कहा कि, ना तो कोई इतना टैक्स देगा और ना ही सरकार को ये टैक्स मिलेगा. मिलेगी सिर्फ वकीलों को फीस जो एसी में इसे लड़ेंगे. उन्होंने मजाकिया अंदाज में अपनी बात कहते हुए कहा था कि इससे फाइव ट्रिलियन इकोनॉमी तक पहुंचने में मदद नहीं मिलेगी. इसके बाद उन्होंने वित्त मंत्री और प्रधानमंत्री से अनुरोध करते हुए कहा कि ये हमारे 5 ट्रिलियन तक पहुंचने के लक्ष्य में मदद नहीं कर रहा है.
DGGI ने ICICI लोम्बार्ड (ICICI Lombard) को 1728 करोड़ से ज्यादा के GST न भरे जाने के संबंध में यह नोटिस जारी किया है.
ICICI लोम्बार्ड (ICICI Lombard) भारत की अग्रणी इंश्योरेंस कंपनियों में से एक है और इस वक्त भारत की इस अग्रणी कंपनी को लेकर एक काफी बड़ी खबर सामने आ रही है. DGGI (डायरेक्टर जनरल ऑफ GST इंटेलिजेंस) द्वारा ICICI लोम्बार्ड को एक नोटिस जारी किया गया है.
क्या है पूरा मामला?
कंपनी को यह नोटिस कल यानी 27 सितंबर को प्राप्त हुआ है और यह एक कारण बताओ नोटिस (Show Cause Notice) है. DGGI ने ICICI लोम्बार्ड (ICICI Lombard) को 1728 करोड़ से ज्यादा के GST (गुड्स एवं सर्विसेज टैक्स) न भरे जाने के संबंध में यह नोटिस जारी किया है. इस नोटिस के माध्यम से DGGI ने कंपनी से कारण पूछा है कि आखिर क्यों 1728 करोड़ रुपयों के GST की मांग कंपनी से नहीं की जानी चाहिए और CGST 2017 (केंद्रीय गुड्स एवं सर्विसेज टैक्स एक्ट 2017) के सेक्शन 73(1) के तहत इस रकम को रिकवर क्यों न किया जाए. इसके साथ ही कंपनी पर एक्ट के सेक्शन 50 के तहत ब्याज भी लगाया गया है और एक्ट के सेक्शन 73(1) के तहत ही कंपनी पर पेनल्टी भी लगाई गई है.
पहले भी मिल चुके हैं नोटिस
ICICI लोम्बार्ड (ICICI Lombard) ने जानकारी देते हुए कहा है कि अपने सलाहकारों से सलाह लेने के बाद प्रदान की गई समय सीमा के अंतर्गत कंपनी द्वारा इस नोटिस का जवाब दे दिया जाएगा. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इससे पहले अगस्त में भी ICICI लोम्बार्ड को 273.22 करोड़ रुपयों के टैक्स का भुगतान नहीं करने की वजह से DGGI द्वारा एक नोटिस जारी किया जा चुका है. इससे पहले जुलाई के महीने में भी कंपनी को लगातार 5 सालों तक टैक्स न भरे जाने को लेकर नोटिस जारी किया जा चुका है. इस साल जुलाई में ICICI प्रुडेंशियल (ICICI Prudential) को एक नोटिस जारी किया गया था जिसमें जुलाई 2017 से लेकर जुलाई 2022 तक टैक्स का भुगतान न करने की वजह से कंपनी को DGGI द्वारा यह नोटिस जारी किया गया था.
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जवान की जबरदस्त हिट के बाद पहली बार ऐसा हो रहा है जब किसी फिल्म की एक टिकट खरीदने पर एक टिकट फ्री मिल रही है.
अब तक हमने ये तो सुना था कि फिल्म पर मनोरंजन टैक्स खत्म कर दिया गया है लेकिन शायद बॉलीवुड में ऐसा पहली बार हो रहा है जब कभी एक फिल्म की एक टिकट पर एक फ्री मिल रही है. शाहरुख खान की फिल्म जवान की जबरदस्त सफलता के बाद उन्होंने अपने फैन्स को सौगात दी है. लगातार सफलता के नए मुकाम हासिल कर रही जवान अभी तक भारत के बॉक्स ऑफिस से 600 करोड़ रुपये कमा चुकी है. जबकि विदेशों में फिल्म 1000 करोड़ रुपये के क्लब में शामिल हो चुकी है. इसी कामयाबी के बाद शाहरुख खान ने एक ट्वीट के जरिए कहा है कि घर में सबको फिल्म दिखाओ. उन्होंने एक टिकट खरीदने पर एक फ्री का ऑफर भी दिया है. फिल्म 7 सितंबर को हिंदी, तमिल और तेलगु में रिलीज हुई थी.अब तक जबरदस्त कारोबार कर चुकी है.
शाहरुख ने दिया लोगों को ये गिफ्ट
शाहरुख खान ने X पर लिखा है कि ‘ भाई को बहन को, दुश्मन को यारों को और स्वाभाविक तौर पर अपने प्यार को, कल जवान दिखाइएगा.
चाचा-चाची, फूफा-फूफी, मामा-मामी, यानी पूरे परिवार को, सबके लिए एक साथ एक फ्री टिकट. उन्होंने इस ट्वीट के साथ एक पोस्टर भी रिलीज किया है जिसमें लिखा है कि सुपरहिट फिल्म का सुपरहिट ऑफर. ये ऑफर गुरुवार, शुक्रवार और शनिवार के लिए है. इस ऑफर को तभी अवेल किया जा सकता है जब आप टिकट को इंटरनेट के जरिए बुक करेंगे.
Bhai ko, behen ko…
— Shah Rukh Khan (@iamsrk) September 27, 2023
Dushman ko, Yaar ko…
And of course, apne Pyaar ko…
Kal Jawan dikhaaiyega!
Chacha-Chachi, Phoopha-Phoophi, Maama-Maami…
Yaani Poore Parivaar ko.
Sab ke liye ek ke saath ek free ticket!!!
Toh kal se… Parivaar, yaar aur pyaar… Just Buy 1 ticket and get the… pic.twitter.com/Qr9gI4ihcO
क्या कहते हैं फिल्म को लेकर आंकड़े
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, ट्रेड पोर्टल Sacnilk के फिगर कहते हैं कि 27 सितंबर को महीने का तीसरा बुधवार होने के बावजूद फिल्म 5.15 करोड़ रुपये की कमाई करने में कामयाब रही. फिल्म भारत में अब तक 576 करोड़ रुपये की कमाई करने में कामयाब हो चुकी है. इस फिल्म में शाहरुख दोहरी भूमिका में हैं जो समाज सुधार के काम करना चाहते हैं. फिल्म में नयनतारा, दीपिका पादुकोण, संजय दत्त के साथ विजय सेतुपति मुख्य भूमिकाओं में हैं.
फिल्म ने खत्म किया है बॉलीवुड का सूखा
शाहरुख खान की पहली फिल्म पठान, उसके बाद आई सनी देओल की गदर 2 और फिर शाहरुख की जवान ने बॉलीवुड का सूखा खत्म कर दिया है. इन तीनों फिल्मों ने जबरदस्त कमाई की है. जवान अब तक 600 करोड़ रुपये कमा चुकी है जबकि पठान ने भी 500 करोड़ रुपये से ज्यादा की कमाई की थी. इसी तरह गदर टू ने 600 करोड़ रुपये से ज्यादा की कमाई की है.
फेस्टिवल सीजन में डेयरी प्रोडक्ट्स की मांग काफी बढ़ जाती है. इसके अलावा, मानसून ने भी इस बार मनमानी दिखाई है.
मानसून की मनमानी के चलते खाद्य पदार्थों और सब्जियों के दामों में तेजी देखने को मिली है. कुछ वक्त पहले टमाटर इतना 'लाल' हो गया था कि आम आदमी को उसे खरीदने से पहले सौ-बार सोचना पड़ रहा था. गेहूं, चावल, चीनी के उत्पादन और आयात प्रभावित होने से कीमतों में उछाल की आशंका बनी हुई है और अब दूध की कीमतों को लेकर भी खबरें सामने आ रही हैं. कहा जा रहा है कि आने वाले दिनों में दूध महंगा हो सकता है. बता दें कि फेस्टिवल सीजन में दूध और डेयरी प्रोडक्ट की मांग काफी बढ़ जाती है, इसलिए आशंका व्यक्त की जा रही है कि अमूल (Amul) जैसी कंपनियां कीमतों में इजाफा कर सकती हैं.
Amul ने कही ये बात
वहीं, अमूल ने कीमतों में वृद्धि की खबरों पर अपनी स्थिति स्पष्ट की है. मीडिया रिपोर्ट्स में गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन महासंघ (GCMMF) के प्रबंध निदेशक जयेन एस मेहता के हवाले से बताया गया है कि अमूल दूध की कीमतों में बढ़ोत्तरी का कंपनी का कोई इरादा नहीं है. उनका कहना है कि अमूल किसी भी उत्पाद की कीमत में बढ़ोत्तरी नहीं करने जा रही. गौरतलब है कि गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन महासंघ अपने डेयरी प्रोडक्ट्स को अमूल ब्रैंड के तहत बेचता है.
लागत का दबाव नहीं
जयेन एस मेहता का कहना है कि गुजरात में समय पर मानसून के कारण इस साल स्थिति बेहतर है, जिससे चारे की लागत को लेकर अधिक दबाव नहीं है. आमतौर पर सामान्य से कम बारिश की स्थिति में चारे की समस्या उत्पन्न हो जाती है. डिमांड और आपूर्ति के बीच की खाई चौड़ी हो जाती है और नतीजतन दूध की कीमतों में इजाफा हो जाता है. चूंकि इस बार स्थिति ऐसे नहीं है, इसलिए GCMMF मैनेजिंग डायरेक्टर का कहना है कि डेयरी प्रोडक्ट के दाम में इजाफे की फिलहाल कोई योजना नहीं है. मेहता ने निवेश योजनाओं पर कहा कि कंपनी हर साल करीब 3000 करोड़ रुपए का निवेश कर रही है और यह अगले कई वर्षों तक जारी रहेगा. कंपनी राजकोट में एक नया डेयरी प्लांट लगाएगी, जिसकी क्षमता प्रति दिन 20 लाख लीटर से अधिक होगी. इसके अलावा, एक नई पैकेजिंग और प्रॉसेसिंग यूनिट भी लगाई जाएगी.
इस साल कुछ राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं और अगले साल लोकसभा चुनाव, ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि जनता को महंगाई के मोर्चे पर कुछ और राहत मिल सकती है.
चुनावी मौसम में मोदी सरकार (Modi Government) घरेलू गैस सिलेंडर (LPG Cylinder) की कीमतों में 200 रुपए कटौती का तोहफा दे चुकी है. इस राहत के बाद दिल्ली में घरेलू सिलेंडर की कीमत घटकर 903 रुपए रह गई है. माना जा रहा है कि क्रूड ऑयल की कीमतों में इजाफे के बावजूद सरकार पेट्रोल-डीजल के दामों में भी कमी कर सकती है. हालांकि, इस राहत की मियाद ज्यादा नहीं होगी. चुनावी मौसम बीतने के बाद दाम फिर से बढ़ना शुरू हो सकते हैं. इस बीच, एक सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या गैस सिलेंडर के दाम फिर से कम होंगे? दरअसल, एक अक्टूबर को गैस कंपनियां कीमतों को अपडेट करेंगी, इसलिए उम्मीद की जा रही है कि चुनावी मौसम में राहत की एक और डोज मिल सकती है.
2015 के बाद टूटी परंपरा
एक मीडिया रिपोर्ट में इंडियन ऑयल कारपोरेशन (IOC) के आंकड़ों के हवाले से बताया गया है कि 1 सितंबर 2014 को दिल्ली में बिना सब्सिडी वाले घरेलू LPG सिलेंडर का दाम 901 रुपए था. अगले महीने यानी 1 अक्टूबर को जब रेट अपडेट हुए थे, सिलेंडर की कीमतों में 21 रुपए की कटौती कर दी गई. इसके बाद अक्टूबर 2015 में भी गैस उपभोक्ताओं को राहत दी गई और सिलेंडर 42 रुपए सस्ता हो गया. हालांकि, इसके बाद से अक्टूबर में कीमतों में कमी की परंपरा टूट गई और सिलेंडर के दाम घोड़े की तरह दौड़ने लगे.
ऐसे बढ़ते सिलेंडर के गए दाम
अक्टूबर 2016 में LPG सिलेंडर के दामों में दो बार बदलाव हुआ. सितंबर 2016 में जहां राजधानी दिल्ली में घरेलू सिलेंडर 466.50 रुपए का था. एक अक्टूबर को 490 रुपए का हो गया और 28 अक्टूबर को 2 रुपए बढ़ोत्तरी के साथ 492 रुपए का हो गया. इसी तरह, अक्टूबर 2017, अक्टूबर 2018, अक्टूबर 2019, अक्टूबर 2021 में भी दाम बढ़ते गए. इस साल मार्च में 14.2 किलो वाला LPG सिलेंडर दिल्ली में 1103 रुपए के भाव पर मिल रहा था. अगस्त में सरकार ने सिलेंडर के दामों में 200 रुपए की कटौती की, सितंबर में कीमतों में कोई बदलाव नहीं हुआ. अब अक्टूबर को फिर दाम अपडेट होने वाले हैं, लिहाजा उम्मीद की जा रही है कि चुनावी मौसम में सिलेंडर के दामों में फिर कुछ राहत मिल सकती है.
शेयर बाजार बुधवार को बढ़त के साथ बंद हुआ था. आज भी बाजार में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है.
शेयर बाजार (Share Market) में निवेश करने वालों के लिए बुधवार खुशी लेकर आया. लगातार गिरावट के साथ कारोबार कर रहा बाजार बुधवार को तेजी के साथ बंद हुआ. इस दौरान, बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) का 30 शेयरों पर आधारित सूचकांक सेंसेक्स 173 अंक की बढ़त के साथ 66,118 और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का निफ्टी 51 अंकों के उछाल के साथ 19,716 पर बंद हुआ. आज बाजार की चाल कैसी रहेगी, सटीक तौर पर कुछ भी कहना मुश्किल है, लेकिन कुछ शेयरों में तेजी के संकेत जरूर मिले हैं.
MACD का ये है रुझान
मोमेंटम इंडिकेटर मूविंग एवरेज कन्वर्जेंस डिवर्जेंस (MACD) ने आज के लिए कुछ शेयरों में तेजी और कुछ में मंदी के संकेत दिए हैं. सबसे पहले, तेजी के संकेत वाले शेयरों की बात करते हैं. MACD की मानें तो विंडमैन के नाम से मशहूर दिवंगत कारोबारी तुलसी तांती की कंपनी Suzlon Energy के शेयर आज उछाल मार सकते हैं. इसके साथ ही Colgate-Palmolive, Kennametal India, Ramco Cements, Varun Beverages और Aavas Financiers के शेयरों में भी तेजी देखने को मिल सकती है. यदि आप मुनाफे की आस में स्टॉक मार्केट में निवेश करने का सोच रहे हैं, तो ये शेयर अच्छे विकल्प हो सकते हैं. हालांकि, BW हिंदी आपको सलाह देता है कि स्टॉक मार्केट में निवेश से पहले किसी सर्टिफाइड एक्सपर्ट से परामर्श जरूर कर लें, अन्यथा आपको नुकसान उठाना पड़ सकता है. अब जानते हैं कि MACD ने किन शेयरों में मंदी का रुख दर्शाया है. इस लिस्ट में IDBI Bank, Torrent Pharma, UTI AMC, HLE Glasscoat, ITC और Suven Pharma शामिल हैं.
इनमें मजबूत खरीदारी
अब यह भी जान लेते हैं कौनसे शेयरों में मजबूत खरीदारी देखने को मिल रही है. CE Info Systems, REC, Gujarat Ambuja Exports, Angel One, Power Finance Corporation, Polycab Indiay और Tata Investment में निवेशकों की दिलचस्पी बनी हुई है. CE इंफो सिस्टम के शेयरों में कल करीब 7% की जबरदस्त तेजी देखने को मिली. 1,895.70 रुपए के भाव पर मिल रहे इस शेयर का पिछले 5 कारोबारी सत्रों का प्रदर्शन भी अच्छा रहा है. इसी तरह, टाटा इन्वेस्टमेंट के लिए भी बुधवार शानदार रहा. इस दौरान, कंपनी का शेयर 9.24% उछाल के साथ 3,284.85 रुपए पर बंद हुआ. इसी तरह, कुछ शेयरों में बिकवाली का दबाव भी नजर आ रहा है. यानी इन शेयरों में निवेशकों की खास दिलचस्पी नहीं है. इस लिस्ट में अनिल अग्रवाल की कंपनी Vedanta और Gujarat Gas का नाम शामिल हैं.
(डिस्क्लेमर: शेयर बाजार में निवेश जोखिम के अधीन है. 'BW हिंदी' इसकी कोई जिम्मेदारी नहीं लेता. सोच-समझकर, अपने विवेक के आधार पर और किसी सर्टिफाइड एक्सपर्ट से सलाह के बाद ही निवेश करें, अन्यथा आपको नुकसान उठाना पड़ सकता है).
कर्नाटक सरकार जिस कंपनी के साथ भारत में काम करना चाहती है वो पिछले 25 सालों से यहां काम कर रही है. बोइंग और एयरबस जैसी कंपनियां इसकी ग्राहक हैं.
कर्नाटक सरकार ने यूएस की एयरोस्पेस कंपनी आरटीएक्स कॉर्पोरेशन और इंटीग्रेटेड सैटेलाइट और अर्थ नेटवर्क इंटेलसैट को निवेश के लिए आमंत्रित किया है. कर्नाटक के उद्योग मंत्री एम. बी. पाटिल, जो उद्योग विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ अमेरिका के दौरे पर हैं, उन्होंने कंपनी के अधिकारियों से निवेश को लेकर मुलाकात की है. उन्होंने सेमीकंडक्टर, एयरोस्पेस और रक्षा ऑटो/इलेक्ट्रिक वाहन, अंतरिक्ष, और मेडिकल-टेक्नोलॉजी आदि से जुड़ी कई कंपनियों से मुलाकात की है. कर्नाटक सरकार के वाणिज्य और उद्योग विकास विभाग के मुख्य सचिव डॉ. एस. सेल्वाकुमार और उद्योग और वाणिज्य निदेशक, उद्योग और वाणिज्य, और अन्य अधिकारी भी मंत्री के साथ हैं.
मुलाकात में क्या हुई बात?
कनार्टक के उद्योग मंत्री और कंपनी के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच हुई इस बातचीत में पाटिल ने कंपनी के साथ साझेदारी की संभावनाओं की चर्चा की. आरटीएक्स कॉर्पोरेशन (पूर्व में रेथियन टेक्नोलॉजीज) के वरिष्ठ नेतृत्व ने सप्लाई चेन को मजबूत करने और कर्नाटक में इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण को लेकर दिलचस्पी दिखाई है. आरटीएक्स कॉर्पोरेशन की सहायक कंपनी, ब्लू कैन्यन, टेक्नोलॉजी सहयोग के लिए अंतरिक्ष उद्योग स्टार्टअप्स के साथ साझेदारी को लेकर अपनी दिलचस्पी जताते हुए कहा कि शैक्षिक संस्थानों के साथ मिलकर एक टैलेंट प्रोजेक्ट पर काम करेगी.
25 साल से भारत में काम कर रही है ये कंपनी
आरटीएक्स कॉर्पोरेशन (पूर्व में रेथियन टेक्नोलॉजीज) जिसका सालाना रेवेन्यू 67.1 अरब डॉलर है वो भारत में 25 साल से काम कर रही है, जिसमें बेंगलुरु में एक आर एंड डी फैसिलिटी, ग्राहक प्रशिक्षण केंद्र और ऑपरेशन और इंजीनियरिंग इकाई शामिल है. अमेरिका में उद्योग के नेतृत्व को संबोधित करते हुए, कर्नाटक सरकार के बड़े और मध्यम उद्योग और इंफ्रास्ट्रक्चर विकास मंत्री एम. बी. पाटिल ने कहा, ‘हम यहां संयुक्त राज्य अमेरिका में कुछ प्रतिष्ठित कंपनियों से मिलने जा रहे हैं, उनकी आवश्यकताओं को समझने और उन्हें कर्नाटक में विस्तार या सहयोग के लिए आमंत्रित करने के लिए उनसे मुलाकात कर रहे हैं.
बोइंग और एयरबस जैसी कंपनियां है इसकी ग्राहक
भारत में, आरटीएक्स कॉर्पोरेशन अपने चार विभागों के माध्यम से कार्य करती है. इसमें कॉलिंस एरोस्पेस, प्रैट एंड विट्नी, रेथियन इंटेलिजेंस और स्पेस, और रेथियन मिसाइल्स और डिफेंस सिस्टम शामिल है. इस कंपनी के साथ मौजूदा समय में 5,000 से अधिक पेशेवर काम कर रहे हैं जो डिज़ाइन, क्षमता, और इंजीनियरिंग केंद्रों में सक्रिय रूप से शामिल है. ये कंपनी भारतीय एयरलाइंस, हवाई अड्डे, बोइंग और एयरबस जैसी कंपनियों के लिए काम करती है. प्रैट एंड विट्नी ने जनवरी 2023 में बेंगलुरु में एक नया इंडिया इंजीनियरिंग सेंटर का उद्घाटन किया, जो उसके इंडिया कैपेबिलिटीज सेंटर के साथ समस्त वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला समर्थन प्रदान करने के लिए 2022 में स्थापित किया गया था. रेथियन के पास बेंगलुरु में एक विनिर्माण और दो आर और डी केंद्र हैं.
पर्यटन सेक्टर की इस ग्रोथ में भारत के हेल्थ सेक्टर ने अहम भूमिका निभाई है. इसने मेडिकल टूरिज्म को बढ़ावा देने का काम किया है.
भारत में साल की शुरुआत में भले ही अच्छी खबरें न आई हों और महंगाई छाई रही हो लेकिन पर्यटन को लेकर जो आंकड़े अब आए हैं वो बताते हैं कि देश में इस साल पर्यटन में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है. एक आंकड़े के अनुसार देश में इस साल में पर्यटन में 44 प्रतिशत का सालाना उछाल देखने को मिला है. इसके पीछे बढ़ी हुई आय खर्च करने पर अधिक वक्त देने को इसकी प्रमुख वजह बताया जा रहा है.
क्या बताता है फाउंडिड का सर्वे?
इससे पहले मॉन्स्टर एपैक और मी के नाम से जानी जाने वाली सर्वे कंपनी को फाउंडिट का सर्वे कई नई जानकारियों को सामने रखता है. इसी संस्था ने देश के पर्यटन सेक्टर को लेकर ये सर्वे किया है. ये सर्वे बताता है कि 2019 में पर्यटन क्षेत्र में 16 प्रतिशत की ग्रोथ देखने को मिली थी. लेकिन उसके बाद पैदा हुए हालातों में इसमें 2020 में 47 प्रतिशत की नौकरी में गिरावट देखने को मिली, इसी तरह से 2021 में 27 प्रतिशत तक नौकरी में कमी देखने को मिली, इसके बाद पैदा हुए देश-विदेश की यात्रा पर प्रतिबंधों और लॉकडाउन के कारण ये सेक्टर बुरी तरह प्रभावित हुआ. लेकिन कोविड की समाप्ति पर उद्योग ने 2022 में 3% की नौकरी में बढ़ोतरी देखने को मिली.
क्या बोले सर्वे कंपनी के सीईओ?
फाउंडिट के CEO शेखर गरिसा ने कहा, ‘यात्रा और पर्यटन उद्योग ने पैंडेमिक के बाद एक बड़े उत्तराधिकारी की तरह वापसी की है, इसमें सरकार की ओर से किए गए प्रयासों की अहम भूमिका रही है. यही नहीं भारत ने पर्यटन निर्माण परियोजनाओं के लिए 100% FDI की अनुमति देकर भी अपने दरवाजे खोल दिए हैं और G20 समिट में भाग लेने से देश सस्टेनेबल पर्यटन को और भी बढ़ावा दिया है. खासकर, AI और AR/VR जैसी नई तकनीकों ने इसे बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाई है. इस पूरे क्षेत्र के विकास की कुंजी ये है कि ऐसे उच्च वृद्धि संभावित क्षेत्रों पर ध्यान केन्द्रित किया जाए जो आगे चलकर इसे आगे बढ़ाने में मदद करें इनमें स्वास्थ्य, साहस, प्रतिस्थायीता, और सांस्कृतिक पर्यटन जैसे क्षेत्र शामिल हैं.
इन शहरों में ज्यादा देखने को मिली मांग
फाउंडिट के डेटा के अनुसार, यात्रा और पर्यटन उद्योग में जिन क्षेत्रों की मांग सबसे ज्यादा रहती है उनमें कुछ प्रमुख क्षेत्र हैं. इनमें सेल्स और व्यापार विकास (कुल मांग का 23% हिस्सा), इंजीनियर्स - सॉफ़्टवेयर, इलेक्ट्रिकल (कुल मांग का 12% हिस्सा) और मार्केटिंग और संचालन (कुल मांग का 8% हिस्सा), शेफ (कुल मांग का 5% हिस्सा) और मेडिकल प्रतिनिधिता (कुल मांग का 5% हिस्सा) भी कुल मांग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा थे. यात्रा और पर्यटन के लिए ऑनलाइन हायरिंग मांग में टियर 2 सेक्टरों ने अगस्त में बड़ी बढ़ोतरी दर्ज की है.
जिन टॉयर 2 शहरों में यात्रा और पर्यटन उद्योग में ज्यादा नौकरी के अवसर देखने को मिले उनमें जयपुर (34%), अहमदाबाद (33%), और चंडीगढ़ (33%) ने अगस्त 2023 में अगस्त 2022 के मुकाबले ज्यादा ग्रोथ देखने को मिली. इसके बाद बड़ौदा (25%) और कोयंबटूर (25%) इस सूची में शामिल हैं. इसके पीछे की वजह इन शहरों में बेहतरीन प्रतिभाओं के साथ उन्हें प्रशिक्षित करने वाले संस्थानों की भूमिका शामिल हैं. इसके अलावा दिल्ली (34%) ने नौकरी की पोस्टिंग के संदर्भ में मेक्सिमम वृद्धि का प्रदर्शन किया, जिसके बाद कोलकाता (21%), चेन्नई (19%), हैदराबाद (8%) और मुंबई (5%) बढ़ोतरी देखने को मिली.
फार्मा सेक्टर की दो दिग्गज कंपनियों ने एक डील साइन की है. इस डील के तहत Lupin के खाते में 5 ड्रग ब्रैंड आ जाएंगे.
फार्मा सेक्टर की दिग्गज कंपनी ल्यूपिन (Lupin) ने इटली की फार्मास्युटिकल कंपनी मेनारिनी (Menarini) के 5 ड्रग ब्रैंड खरीदने के लिए एग्रीमेंट किया है. 101 करोड़ रुपए में होने वाली इस डील के बाद ल्यूपिन के खाते में गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, यूरोलॉजी और एंटी-इन्फेक्टिव सेगमेंट पर केंद्रित 5 ब्रैंड आ जाएंगे. बता दें कि ल्यूपिन 2021 से मेनारिनी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के साथ डिस्ट्रीब्यूशन एडं प्रमोशन एग्रीमेंट के तहत भारतीय बाजार में इन पांचों ब्रैंड्स की मार्केटिंग करती आई है.
इन पर लगाया है दांव
ल्यूपिन की तरफ से बताया गया है कि जिन 5 Drug Brands को खरीदने के लिए उसने मेनारिनी के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, उसमें पिक्लिन (पिकोसल्फेट सोडियम), मेनोक्टिल (ओटिलोनियम ब्रोमाइड), सुक्रामल ओ (सुक्रालफेट + ऑक्सेटाकाइन), पाइरिडियम (फेनाजोपाइरीडीन), और डिस्टाक्लोर (सीफैक्लोर) शामिल हैं. ल्यूपिन के प्रबंध निदेशक नीलेश गुप्ता ने डील के बारे में बताते हुए कहा कि यह अधिग्रहण भारतीय बाजार में हमारी उपस्थिति को व्यापक बनाने के हमारे रणनीतिक लक्ष्य के साथ अच्छी तरह से मेल खाता है. उत्पादों की एक व्यापक श्रृंखला की पेशकश करके, हमारा उद्देश्य है अपने हितधारकों और जिन समुदायों की हम सेवा करते हैं, उन्हें और भी अधिक मूल्य प्रदान करना.
इतना है मेनारिनी का टर्नओवर
वहीं, मेनारिनी इंडिया के प्रबंध निदेशक गिरीसन करियांगल ने कहा कि ल्यूपिन 2021 से मेनारिनी के लिए स्कोप ब्रैंड्स की सफलतापूर्वक मार्केटिंग करती आ रही है, जो हमारे विकसित सहयोग का प्रमाण है. मुझे खुशी है कि ल्यूपिन अब पूर्ण ट्रेडमार्क स्वामित्व के साथ अपनी विरासत को आगे बढ़ाएगी. बता दें कि मेनारिनी ग्रुप एक लीडिंग इंटरनेशनल फार्मास्युटिकल और डायग्नोस्टिक्स कंपनी है, जिसका टर्नओवर 4.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक है और इसके 17000 से ज्यादा कर्मचारी हैं. मेनारिनी इंडिया, मेनारिनी ग्रुप की 100 प्रतिशत सहायक कंपनी है.
बीते कई सालों में जिस तरह से जेम के साथ समाज के हर तबके के कारोबारी जुड़े हैं उसने महिला एंटरप्रिन्योर से लेकर ग्रामीण कारोबारियों को कई तरह के अवसर पैदा कराए हैं.
साल 2023 भले ही कई मामलों में बहुत अच्छा न रहा हो लेकिन इस साल में कारोबार करने वाले अलग-अलग सेक्टर के लोगों की ग्रोथ में बड़ा इजाफा देखने को मिला है. जेम (गवर्मेंट ई-मार्केट प्लेस ) की ओर से जारी किए गए आंकड़ों पर नजर डालें तो समझ में आता है कि अलग-अलग कैटेगिरी के एंटरप्रिन्योर की संख्या में जबरदस्त इजाफा हुआ है. आंकड़े बताते हैं कि महिला एंटरप्रिन्योर की ऑर्डर वैल्यू में जहां 31 प्रतिशत का इजाफा हुआ है वहीं दूसरी ओर स्टार्टअप की ऑर्डर वैल्यू में 61 प्रतिशत इजाफा हुआ है. जो भारत के बढ़ते बाजार की स्थिति को दिखाता है.
कहां से कहां पहुंच गई है ऑर्डर वैल्यू
जेम के सीईओ पी के सिंह ने इसे लेकर बताया कि MSE ऑर्डर वैल्यू 1 जनवरी 2023 को इसकी ऑर्डर वैल्यू 170,457 करोड़ रुपये थो जबकि 20 सितंबर को इसकी वैल्यू 57 प्रतिशत बढ़कर 267607 करोड़ रुपये तक जा पहुंची है. इसी तरह महिला एंटरप्रिन्योर की ऑर्डर वैल्यू पर नजर डालें तो पता चलता है कि जनवरी 2023 में 14819 करोड़ से सितंबर 2023 में 19396 करोड़ रुपये तक जा पहुंचा है. इसी तरह स्टार्टअप ऑर्डर वैल्यू पर नजर डालें तो पता चलता है कि जनवरी 2023 में 11178 करोड़ से सितंबर 2023 में 18087 करोड़ रुपये तक जा पहुंचा हैं. एससी एसटी एंट्रप्रिन्योर की ऑर्डर वैल्यू में 35 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखने को मिली है. इसकी संख्या 2431करोड़ से 3290 करोड़ रुपये तक जा पहुंची है.
ग्रामीण व्यापारियों ने सेल किया 800 करोड़ से ज्यादा का सामान
जेम के आंकड़े बताते हैं कि 8 आउटलेट के जरिए ग्रामीण कारोबारियों ने अब तक 822 प्रोडक्ट के जरिए 878 करोड़ रुपये का सामान सेल किया है. इनमें सबसे ज्यादा इंडिया हैंडलूम है जिसने 30 प्रोडक्ट के जरिए 15808 सेलरों ने 14377 ऑर्डर के जरिए सामान की डिलीवरी की. इसकी मार्केट वैल्यू 557.90 करोड़ रुपये थी. इसके बाद दूसरे नंबर पर आता है खादी इंडिया इसमें 20 प्रोडक्ट के जरिए 2062 सेलरों ने 7950 ऑर्डर के जरिए सामान की डिलीवरी की. इसकी मार्केट वैल्यू 194.60 करोड़ रुपये थी.
जेम ने मुहैया कराया है लोन
जेम की ओर से जरूरतमंद उम्मीदवारों को सस्ती दरों पर लोन भी मुहैया कराया जाता है. इनमें 10 लाख तक का लोन 10 मिनट में अप्रूव किया जाता है. इसी तरह इस पर रेट ऑफ इंट्रेस्ट 10 प्रतिशत का दिया जा रहा है. ये लोन सभी तरह के सेक्टर के लोगों को दिया जाता है. इनमें एमएसई सेलर ज्यादा है. सरकार के पोर्टल पर ज्यादा से ज्यादा बैंक जुड़े हुए हैं. जेम के साथ सीएससी विलेज लेवल प्रोग्राम के जरिए 1.4 लाख लोग जुड़े हुए हैं. जो कि 2.7 लाख लाभार्थियों को लाभ पहुंचा रहे हैं. इसकी मदद से 500 से ज्यादा जिलों में इसे स्थापित किया जा चुका है.