Israel-Hamas War को लेकर मीडिया द्वारा सुनाई गई कहानी को तो लोगों ने मान लिया है पर क्या आपको युद्ध की हकीकत पता है?
Levina Neythiri, रणनीतिक मामलों की एक्सपर्ट एवं रक्षा विशेषज्ञ
हमास के आतंकवादियों ने कैसे इजराइल-गाजा (Israel-Gaza) सीमा पर मौजूद नेगेव रेगिस्तान में एक रेव पार्टी पर हमला किया और सैकड़ों निर्दोष लोगों को मारकर, कई लोगों को बंधक बना लिया, ये कहानी तो सभी लोगों को पता है. लेकिन क्या आप इजराइल-हमास युद्ध (Israel Hamas War) के पीछे मौजूद प्रमुख कारण को जानते हैं? गाजा पट्टी के करीब मौजूद नेगेव रेगिस्तान के विशाल विस्तार से होकर एक गुप्त तेल पाइपलाइन गुजरती है, जो न केवल इजराइल राज्य के लिए एक जीवन रेखा है, बल्कि सुएज नहर (Suez Canal) की संभावित प्रतिद्वंद्वी भी है. सुएज नहर यूरोप और एशिया के बीच मौजूद केवल दो ट्रांजिट पॉइंट्स में से एक है और एशिया से हर दिन अरबों डॉलर मूल्य का कच्चा तेल ले जाने वाली शिपिंग लाइनें भी इसी नहर से होकर जाती हैं. 158 मील लंबी ये पाइपलाइन, लाल सागर पर मौजूद इजरायली तट को देश की तेल रिफाइनरियों से जोड़ती है. आमतौर पर, कुछ ऐसा जो इजरायली अर्थव्यवस्था को मजबूत कर सकता है, वह हमास और हौथिस जैसे आतंकवादी समूहों के लिए एक कैंसरग्रस्त घाव की तरह है, जो अब इजरायल में पाइपलाइन को बंद कर पाने वाले बिंदुओं को अपना लक्ष्य बना रहे हैं.
कौन करता है इस पाइपलाइन की देखरेख?
इस पाइपलाइन को इजराइल की सरकारी कंपनी इलियट एशकेलोन पाइपलाइन कंपनी (EAPC) के द्वारा नियंत्रित किया जाता है. कुछ सालों पहले तक यह इजरायल का सबसे बड़ा राष्ट्रीय रहस्य था लेकिन एक घातक तेल रिसाव की बदौलत इसका खुलासा हो गया. फिर भी पूरी संभावना है कि भविष्य में EAPC दुनिया की अग्रणी तेल परिवहन प्रणाली बन जाएगी. ये इजराइल को सिर्फ तेल की आपूर्ति नहीं करती है, बल्कि मध्य पूर्व से यूरोप और एशिया के अधिकांश हिस्सों में अरबों बैरल तेल को सुरक्षित रूप से ले जाने में भी इसकी भूमिका अत्यंत महत्त्वपूर्ण है. सऊदी के सबसे बड़े अंग्रेजी अखबार, द अरब न्यूज ने जून 2021 की एक समाचार रिपोर्ट ने सुझाव दिया कि UAE (संयुक्त अरब अमीरात) ने अक्टूबर 2020 में इजरायल की सरकारी कंपनी के साथ एक समझौता करने के बाद इजरायली पाइपलाइन के माध्यम से यूरोप में तेल पहुंचाना शुरू कर दिया है. इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया था कि 2021 में अमीराती जहाजों द्वारा देश के दक्षिणी हिस्से में इलियट बंदरगाह (वर्तमान में हमास के भारी हमलों का सामना कर रहे क्षेत्र) पर तेल ले जाना शुरू कर दिया था. इसके बाद इजरायली सार्वजनिक प्रसारक ने इलियट-एशकेलोन पाइपलाइन से जुड़े तेल टैंकरों की तस्वीरें भी दिखाई थीं, जिनमें पाइपलाइन के द्वारा तेल की आपूर्ति हो रही थी. सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने इस महीने इस्लामिक-अरब शिखर सम्मेलन में टेल-अवीव के साथ सभी राजनयिक और आर्थिक संबंधों को खत्म करने और अरब हवाई क्षेत्र में इजराइल के विमानों को प्रवेश देने से इनकार करने के प्रस्ताव को रोक दिया था. इस प्रस्ताव में यह भी कहा गया था कि तेल का उत्पादन करने वाले मध्य पूर्वी देशों को गाजा में युद्धविराम की स्थिति प्राप्त करने के लिए "साधन के रूप में तेल का उपयोग करने की धमकी देनी चाहिए".
हमास का हमला- पागलपन में इस्तेमाल किया गया तरीका
यूरोप जाने वाले ईरानी जहाज, लाल सागर के किनारे इजराइल के सबसे दक्षिणी सिरे पर स्थित इलियट बंदरगाह तक तेल पहुंचाएंगे. वहां से तेल को उत्तरी गाजा के सिरे से लगभग 5 किलोमीटर उत्तर में भूमध्यसागरीय तट पर स्थित एक शहर अश्कलोन तक पहुंचाया जाता था. पाइपलाइन का मार्ग सिनाई द्वीप से होकर गुजरता है, जो 200 किलोमीटर चौड़ा है, जो इसे प्रभावी रूप से मिस्र की सुएज नहर से अलग करता है. हालांकि 1979 में ईरानी क्रांति के साथ यह कोलैबरेशन समाप्त हो गया, जिसने इजराइल और ईरान के बीच गतिशीलता को काफी हद तक बदलकर रख दिया था. क्रांति के बाद, ईरान और इजराइल कट्टर विरोधी बन गए. फिर भी, क्रांति के बाद कुछ समय के लिए, इजराइल ने विवेकपूर्वक ईरानी तेल को पाइपलाइन के माध्यम से प्रवाहित करने की अनुमति दी.
EAPC ने खींचा लोगों का ध्यान
2014 में जब पाइपलाइन के टूटने से इजराइल में सबसे खराब पर्यावरणीय संकट पैदा हुआ तब EAPC कुछ समय के लिए कुछ लोगों का ध्यान खींचने में कामयाब रही थी. संयुक्त अरब अमीरात, इजराइल और बहरीन से जुड़े अब्राहम समझौते पर हस्ताक्षर होने तक EAPC पाइपलाइन फिर से अस्पष्टता में बदल गई थी. इसके बाद, EAPC तेल पाइपलाइन के संबंध में इजराइल और यूएई के बीच चर्चा हुई, जो लाल सागर को भूमध्य सागर से जोड़ती है. इजरायली अधिकारियों ने विशेष रूप से इस पाइपलाइन के संचालन के संबंध में उच्च स्तर की गोपनीयता बनाए रखी. इन ट्रेड कॉरिडोर्स का महत्व आर्थिक जीवन शक्ति से कहीं अधिक है. वे अक्सर भविष्य के संघर्षों और कभी-कभी युद्ध की धुरी के रूप में काम करते हैं. ऐतिहासिक उदाहरण के तौर पर आप ये समझिये कि जैसे सोवियत-अफगान संघर्ष, अजरबैजान और आर्मेनिया के बीच लंबे समय से चली आ रही प्रतिद्वंद्विता और रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे तनाव, और इजराइल-हमास युद्ध (Israel Hamas War), सभी असाधारण महत्व वाले इन ट्रेड कॉरिडोर्स में घटित हुए. इनमें से अधिकांश कॉरिडोर्स, दुनिया भर में मौजूद 7 चोक पॉइंट्स को पार करते हैं. युद्ध और संघर्षों को समझने के लिए केवल मतभेद वाले पक्षों की सतही स्तर की धारणा से परे जाने की आवश्यकता है. सैन्य रणनीतिक बनाने वालों और भू-राजनीतिक विश्लेषकों की नजर में यह भूगोल और उनमें मौजूद व्यापारिक हितों का मिश्रण है जो अक्सर युद्ध को बढ़ावा देता है. अंतर्राष्ट्रीय साजिशों और भू-राजनीति की दुनिया ऐसी कहानियों से भरी पड़ी है जो अक्सर सतह के नीचे छिपी रहती हैं और सामने आने का इंतजार करती हैं. इस हमले के पीछे की रणनीति क्या है और बेखौफ आतंकी किसके हाथ में खेल रहे हैं? ईरान, कतर, रूस और चीन, इजरायल की तेल पाइपलाइन और उसकी इलियट परियोजना को नष्ट होते देख सबसे ज्यादा खुश होंगे, क्योंकि इसके अस्तित्व से ही इन देशों को मुख्य रूप से क्षेत्रीय कॉरिडोर्स पर नियंत्रण स्थापित करने के युद्ध का खतरा है.
EAPC कैसे बदल सकती है तेल परिवहन का परिदृश्य?
EAPC की प्रतिदिन क्षमता 600,000 बैरल जितनी प्रभावशाली है और इसके साथ ही एक विशाल भंडारण स्थान भी है जो लगभग 23 मिलियन बैरल को इकट्ठा करने में सक्षम है. अब आप इसकी तुलना इसके पड़ोसी सुएज नहर से करें. खाड़ी से यूरोप तक पहुंचाए जाने वाले तेल का एक महत्वपूर्ण हिस्सा या तो सुएज नहर या मिस्र की सुमेद पाइपलाइन के माध्यम से गुजरता है, जिसकी क्षमता 2.5 मिलियन बैरल प्रतिदिन है. सम्मिलित पाइपलाइन की क्षमता EAPC की व्यापक क्षमताओं का लगभग 1/10वां हिस्सा है. EAPC की बहुत सी असाधारण विशेषताओं में से एक VLCC (Very Large Crude Corridor) नामक विशाल सुपरटैंकरों को संभालने की क्षमता में निहित है, जो 2 मिलियन बैरल तक पेट्रोलियम परिवहन करने में सक्षम हैं. इसके उलट 150 साल पहले बनाई गई सुएज नहर (Suez Canal) अपनी गहराई और चौड़ाई से जुड़ी सीमाओं से जूझ रही है, जो इसे वीएलसीसी की केवल आधी क्षमता के साथ सुएजमैक्स के रूप में पहचाने जाने वाले जहाजों को समायोजित करने तक सीमित है. परिणामस्वरूप सुएज नहर से परंपरागत रूप से दो जहाजों को किराए पर लेने वाले तेल व्यापारियों को इजराइल के माध्यम से भेजे जाने वाले एक वीएलसीसी जहाज के लिए भुगतान करना पड़ता है. सुएज के माध्यम से एकतरफा शुल्क अनुमानित $300,000 से $400,000 तक बढ़ने के साथ-साथ EAPC पाइपलाइन अपने ग्राहकों को लागत पर पर्याप्त लाभ प्रदान कर सकती है. कुछ समय पहले तक उत्तरी इजराइल में मौजूद एशकेलोन में में डॉकिंग करने वाले जहाजों को GCC बंदरगाहों तक पहुंचने से रोक दिया गया था, जिससे EAPC की ग्राहक शिपिंग कंपनियों को अपनी पहचान छिपाने के लिए कई पंजीकरण और अन्य युक्तियों सहित विस्तृत रणनीति अपनाने के लिए प्रेरित किया गया था. यही एक कारण है कि इजराइल ने कभी भी EAPC के बारे में बहुत अधिक जानकारी साझा नहीं की, जिससे उसके ग्राहकों को नुकसान होता.
इजराइल ने मुआवजा देने से किया इनकार
EAPC के आसपास गोपनीयता के इस जटिल जाल को एक और वजह से जिम्मेदार ठहराया जा सकता है. इजराइल अपने मुनाफे को ईरान के साथ साझा करता है. 2015 में, एक स्विस अदालत ने फैसला सुनाया कि इजराइल EAPC पाइपलाइन से होने वाले मुनाफे के हिस्से के रूप में ईरान को लगभग 1.1 बिलियन डॉलर का भुगतान करने के लिए बाध्य था. हालांकि, इजराइल ने इस मुआवजे के फैसले का पालन करने से इनकार कर दिया. इजराइल के प्रतिरोध का कारण समझना मुश्किल नहीं है. मौजूदा ईरानी शासन ने इजराइल के साथ सहयोग करने से इनकार कर दिया है जिससे निकट भविष्य में शांति और लाभ के बंटवारे की उम्मीद नहीं की जा सकती है.
क्षेत्रीय नियंत्रण की लड़ाई
वैश्विक भू-राजनीति के जटिल जाल में सात महत्वपूर्ण समुद्री चोक पॉइंट मौजूद हैं जो दुनिया के रणनीतिक परिदृश्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. ये चोक पॉइंट, अक्सर संकीर्ण मार्ग, बड़े क्षेत्रों के बीच महत्वपूर्ण कनेक्टर के रूप में काम करते हैं और इन्हें आमतौर पर जलडमरूमध्य या नहर के रूप में जाना जाता है, जिसके माध्यम से बड़ी मात्रा में समुद्री यातायात प्रभावित होता है. ध्यान देने योग्य बात ये है कि इनमें से तीन महत्वपूर्ण चोक पॉइंट मध्य पूर्व में स्थित हैं, जो इस क्षेत्र की बारहमासी चुनौतियों में जटिलता की एक अतिरिक्त परत जोड़ते हैं. इससे साफ हो जाता है कि मध्य-पूर्व (Middle East) में लगातार उथल-पुथल क्यों देखी जाती है. मध्य-पूर्व की जटिल भू-राजनीतिक गतिशीलता तब स्पष्ट हो जाती है जब कोई इसके भौगोलिक परिदृश्य पर करीब से नजर डालता है. मध्य पूर्व में चोक पॉइंट की तिकड़ी, अर्थात् सुएज नहर, बाब अल मंडेब और होर्मज संकरी राह मौजूद है. ये सभी चोक पॉइंट अंतर्राष्ट्रीय आपूर्ति श्रृंखला और माल के समुद्री परिवहन में लिंचपिन के रूप में काम करते हैं. इनमें से दो चोक पॉइंट इजराइल के ठीक बगल में हैं और एक थोड़ा दूर UAE के पास मौजूद है. उल्लेखनीय रूप से, तकनीकी प्रगति वाले इस युग में भी लगभग 80% वैश्विक व्यापार समुद्री शिपिंग मार्गों पर ही निर्भर है. यह तथ्य ऊपर सूचीबद्ध चोक बिंदुओं के महत्व को दर्शाता है. 2020 में सुएज नहर में व्यवधान के बावजूद, मिस्र के सुएज नहर आर्थिक क्षेत्र ने अक्टूबर में चाइना एनर्जी के साथ 6.75 बिलियन डॉलर का एक समझौता पूरा किया था. इसके साथ ही कतर ने मिस्र की अर्थव्यवस्था में 5 अरब डॉलर के बड़े निवेश का वादा किया है. यहाँ ध्यान देने वाली बात ये है कि मिस्र ने अपने हालिया इतिहास में शायद ही कभी इतना बड़ा विदेशी निवेश देखा है. सुएज नहर के संचालन में किसी भी प्रकार की अप्रत्याशित जटिलताओं या असफलताओं की स्थिति में चीन और कतर को बिना किसी संदेह के नतीजों का खामियाजा भुगतना पड़ेगा. सुएज नहर में कारोबार का नुकसान इन दोनों देशों को नुकसान पहुंचाएगा. हाल के दशकों में, मिस्र और इजराइल ने उल्लेखनीय स्तर का सहयोग विकसित किया है और इनकी बदौलत क्षेत्र की भू-राजनीति पर महत्वपूर्ण परिणाम हुए हैं. ईस्टर्न मेडिटेरेनियन पाइपलाइन कंपनी (EAPC) की परिचालन क्षमता में सक्रियता इस साझेदारी को खतरे में डाल देगी. यह प्रयास विवाद से रहित नहीं है, क्योंकि यह सुएज नहर के माध्यम से किए जाने वाले मिस्र के आकर्षक व्यापार का लगभग 10-12% हिस्सा छीनने के लिए तैयार है. संभावित प्रभाव मिस्र की सीमाओं से परे तक फैलते हैं, जिससे चीन और कतर सहित तीसरे पक्ष के हितधारकों के लिए चिंताएं बढ़ जाती हैं.
इजराइल के लिए नाजुक है स्थिति
अपने पड़ोसी देश इजिप्ट के साथ नाजुक राजनयिक संबंध का त्याग किए बिना इजराइल को इस चुनौती से निपटने की जरूरत है जिसकी वजह से यह स्थिति और ज्यादा जटिल हो गई है. यह इजराइल की ओर से एक संतुलन अधिनियम की मांग करता है, क्योंकि इजराइल क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने के साथ-साथ अपनी ऊर्जा को भी सुरक्षित करना चाहता है. EAPC के पास अजरबैजान और कजाकिस्तान जैसे उत्पादकों द्वारा भेजे गए जहाजों से अश्कलोन में उतारे गए तेल को अकाबा की खाड़ी में तैनात टैंकरों तक पहुंचाने की जबरदस्त क्षमता मौजूद है. ये टैंकर चीन, दक्षिण कोरिया और एशिया के विभिन्न अन्य क्षेत्रों सहित दूरगामी गंतव्यों के लिए नियत हैं. इस गतिशीलता का महत्व न केवल ऊर्जा व्यापार में बल्कि इसके भू-राजनीतिक निहितार्थों में भी निहित है. अजरबैजान, इजराइल के साथ अपने बहुमुखी संबंधों के कारण खड़ा है, जिसमें व्यापार और सैन्य सहयोग दोनों ही शामिल हैं. यह बंधन रणनीतिक रूप से लाभकारी होते हुए भी, क्षेत्र में भू-राजनीतिक परिदृश्य को जटिल बनाता है. इसके विपरीत, अजरबैजान के ऐतिहासिक प्रतिद्वंद्वी, आर्मेनिया को ईरान का समर्थन प्राप्त है, जो मुख्य रूप से उनके लंबे समय से चले आ रहे संबंधों और व्यापार संबंधों की वजह से उपजा है. आर्मेनिया और अजरबैजान दोनों अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन कॉरिडोर (INSTC) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जो रूस को अजरबैजान के माध्यम से ईरान से जोड़ता है और यह भारत तक फैला हुआ है, जिससे एशिया के अन्य हिस्सों में माल के परिवहन की सुविधा मिलती है. यहां इस बात को ध्यान में रखना जरूरी है कि रूस दुनिया में सबसे अधिक स्वीकृत देश है और ईरान, प्रतिबंधों के मुकाबले थोड़ा बेहतर प्रदर्शन करता है, जिससे INSTC का संरक्षण उनके लिए सर्वोपरि हो जाता है. इन जटिल भू-राजनीतिक हालातों की पृष्ठभूमि में हम भारत-मध्य पूर्व-यूरोप कॉरिडोर (IMEU) के उद्भव को देखते हैं. यह गलियारा भारत, मध्य पूर्व और यूरोप के बीच व्यापार और कनेक्टिविटी को बढ़ावा देता है. इस समीकरण में मध्य पूर्व खंड काफी हद तक इजराइल, संयुक्त अरब अमीरात (UAE) और सऊदी अरब जैसे प्रमुख खिलाड़ियों तक ही सीमित है. IMEC, INSTC का रणनीतिक प्रतिद्वंद्वी बनने की ओर आगे बढ़ रहा है, जिससे क्षेत्रीय तनाव और ज्यादा बढ़ जाएगा. यह भू-राजनीतिक शतरंज की बिसात हमें ध्यान दिलाती है कि कैसे अजरबैजान और आर्मेनिया जैसे संघर्ष पूरे महाद्वीपों में गूंजते हैं, और इजराइल-हमास युद्ध से जुड़े हुए हैं. मध्य पूर्व में चल रहा इजराइल-हमास संघर्ष, क्षेत्रीय तनाव और वैश्विक भू-राजनीति के बीच जटिल अंतर्संबंध का प्रतीक है जहां हर कदम के परिणाम अंतरराष्ट्रीय संबंधों के जटिल ताने-बाने में फैल जाते हैं.
निष्कर्ष में क्या कहा जा सकता है?
वर्तमान परिदृश्य में, इलियट और एशकेलॉन पाइपलाइन को बाधित करने की ईरान की क्षमता पर खतरा मंडरा रहा है. यदि ईरान इलियट और एशकेलॉन पाइपलाइन को नुकसान पहुंचाने में कामयाब हो जाता है, तो वह EAPC के माध्यम से अपने व्यापार के नुकसान का बदला ले पायेगा जिससे इजराइल, संयुक्त अरब अमीरात (UAE) और सऊदी अरब सहित प्रमुख खिलाड़ियों के सामने चुनौतियां बढ़ जाएंगी. इसके साथ ही, इजराइल-हमास संघर्ष संयुक्त राज्य अमेरिका को कमजोर करने में कामयाब रहा है. अमेरिका की नौसैनिक संपत्ति, सेंटकॉम (सेंट्रल कमांड) क्षेत्र में महत्वपूर्ण एकाग्रता के साथ मध्य पूर्व को कवर करती है. यह रणनीतिक पुनर्गठन, संयुक्त राज्य अमेरिका को अन्य वैश्विक चिंताओं, विशेष रूप से यूक्रेन, पर इजराइल के लिए अपने समर्थन को प्राथमिकता देने के लिए मजबूर करता है. फोकस में यह बदलाव रूस के हितों के अनुरूप है, जिससे उसे स्थिति का लाभ उठाने की अनुमति मिलती है. अराजकता की इस स्थिति में कतर और चीन नामक दो अपेक्षाकृत शांत लेकिन प्रभावशाली देश भी हैं, जो महत्वपूर्ण नतीजों के लिए तैयार हैं. यदि EAPC अपनी अधिकतम परिचालन क्षमता प्राप्त कर लेता है तो सुएज नहर में उनके पर्याप्त निवेश पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. इस व्यवधान के आर्थिक प्रभाव कई उद्योगों पर पड़ सकते हैं और मौजूदा भू-राजनीतिक गतिशीलता को और तेज कर सकते हैं. मीडिया के आख्यानों द्वारा इजराइल-हमास युद्ध को एक सभ्यतागत संघर्ष में बदल दिया गया है, लेकिन क्या ऐसा है? यह व्यावसायिक हित हैं जिन्हें प्रत्येक खिलाड़ी सुरक्षित रखने का प्रयास कर रहा है. यह युद्ध कॉरिडोर्स का युद्ध है.
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शेयर बाजार से आज मिलीजुली प्रतिक्रिया मिलने की उम्मीद है. साथ ही कुछ शेयरों में तेजी के संकेत भी मिल रहे हैं.
शेयर बाजार (Stock Market) के लिए मंगलवार शुभ रहा. इस दौरान, बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) का 30 शेयरों पर आधारित सेंसेक्स 204.16 अंक की बढ़त के साथ 66,174.20 के लेवल पर बंद हुआ. इसी तरह, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का निफ्टी 95 अंक उछलकर 19,889.70 पर पहुंच गया. बाजार की इस तेजी में बजाज फिनसर्व, बजाज फाइनेंस, टाटा मोटर्स, भारती एयरटेल, अल्ट्राटेक सीमेंट, और एक्सिस बैंक जैसे दिग्गज शेयर भी ग्रीन लाइन पकड़कर कारोबार करते नजर आए. आज मार्केट से मिलीजुली प्रतिक्रिया मिलने की उम्मीद है.
MACD ने दिए ये संकेत
चलिए जानते हैं कि आज कौनसे शेयर ट्रेंड में रह सकते हैं. सबसे पहले बात MACD के संकेतों की. मोमेंटम इंडिकेटर मूविंग एवरेज कन्वर्जेंस डिवर्जेंस (MACD) ने Restaurant Brands, KRBL, Grindwell Norton, SBI Card और Glenmark Life पर तेजी का रुख दर्शाया है. जिसका मतलब है कि इन शेयरों में उछाल देखने को मिल सकता है और इन पर दांव लगाकर आप मुनाफा भी कमा सकते हैं. हालांकि, BW हिंदी आपको सलाह देता है कि शेयर बाजार में निवेश से पहले किसी सर्टिफाइड एक्सपर्ट से परामर्श जरूर लें, अन्यथा आपको आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ सकता है. इसी तरह, MACD ने कुछ शेयरों में मंदी के संकेत भी दिए हैं. इस लिस्ट में Bank of Maharashtra, NMDC, Apollo Tyres, Prince Pipes, Britannia और Motilal Oswal का नाम शामिल है.
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आज इन पर भी रखें नजर
अब बात करते हैं उन शेयरों की जिनमें मजबूत खरीदारी नजर आ रही है. मजबूत खरीदारी का मतलब है कि निवेशक इन शेयरों को लेकर लिवाल बने हुए हैं. इस लिस्ट में Hero MotoCorp, Tata Motors, Hindalco, NTPC, BPCL, Bharti Airtel और Titan का नाम शामिल है. इनमें से कुछ शेयरों ने अपना 52 वीक का हाई लेवल पार कर लिया है. Hero MotoCorp का शेयर कल बढ़त के साथ 3,625 रुपए पर बंद हुआ था. पिछले 5 कारोबारी दिनों में इसमें 7.87% की तेजी आई है. वहीं, NTPC की बात करें, तो कल यह करीब 2 प्रतिशत की उछाल के साथ 257.50 रुपए पर बंद हुआ था. इसी तरह, BPCL में भी मंगलवार को तेजी देखने को मिली. 422.80 रुपए के भाव पर मिल रहा ये शेयर एक महीने में अपने निवेशकों को 21.88% का रिटर्न दे चुका है.
(डिस्क्लेमर: शेयर बाजार में निवेश जोखिम के अधीन है. 'BW हिंदी' इसकी कोई जिम्मेदारी नहीं लेता. सोच-समझकर, अपने विवेक के आधार पर और किसी सर्टिफाइड एक्सपर्ट से सलाह के बाद ही निवेश करें, अन्यथा आपको नुकसान उठाना पड़ सकता है).
इस ब्लेंडिंग से बनने वाली गैस जहां कार्बन कम पैदा करती है वहीं दूसरी ओर उसकी तापन क्षमता भी उतनी ही होती है जितनी दूसरे ऊर्जा साधनों की होती है.
अडानी टोटल गैस लिमिटेड (ATGL) ने लिक्विड हाइड्रोजन की ब्लेंडिंग का काम शुरू कर दिया है. ATGL ने ये काम अहमदाबाद में शुरू किया है. इस प्रोजेक्ट के तहत ATGL प्राकृतिक गैस और ग्रीन हाइड्रोजन को मिक्स कर रहा है और उसके 4000 से ज्यादा परिवारों को सप्लाई करेगा. समूह इसके लिए अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करेगा.
कैसे होता है Gh2 का उत्पादन?
Gh2 के उत्पादन के लिए नवीन ऊर्जा का इस्तेमाल किया जाता है. उसे बिजली के साथ पानी के इलेक्ट्रोलिसिस का इस्तेमाल करके बनाया जाता है. बाकी गैस के मुकाबले हाइड्रोजन में कार्बन की मात्रा काफी कम होती है. लेकिन इसकी तापन क्षमता एकसमान ही होती है. अभी शुरू हुए पायलट प्रोजेक्ट के बाद इसके पूर्ण रूप से 2024-25 में शुरू होने की उम्मीद है. इस पूरी परियोजना का लक्ष्य Gh2 के प्रतिशत को 8 प्रतिशत या उससे अधिक बढ़ाना है.
ये है ATGL की योजना
ATGL की योजना है कि वो धीरे-धीरे इसका उत्पादन बढ़ाने के साथ अपने लाइसेंस के साथ इसकी आपूर्ति में भी बढ़ोतरी करेगी. इस ब्लेडिंग को लेकर जो लक्ष्य रखा गया है वो नियंत्रित और अच्छी तरह से निगरानी वाले रोलआउट की अनुमति देगा, जिससे बेहतर प्रदर्शन और सुरक्षा सुनिश्चित हो पाएगी. GH2 को लेकर किए गए अध्ययन बता रहे हैं कि इसके मिश्रण से उत्सर्जन में 4 प्रतिशत तक की कमी आएगी.
क्या बोली ATGL ?
इस बारे में जानकारी देते हुए ATGL ने कहा कि इस पायलट प्रोजेक्ट के साथ उसे इसके परिचालन और मौजूदा बुनियादी ढ़ाचे को लेकर अनुभव मिलेगा. ATGL के परियोजना निदेशक सुरेश पी मंगलानी ने इस मौके पर कहा कि हम पर्यावरण के अनुकूल निर्माण के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं. उन्होंने ये भी कहा कि ये परियोजना 2047 तक भारत को ऊर्जा में आत्मनिर्भर बनाने के लिए राष्ट्रीय बुनियादी ढ़ाचे के निर्माण के प्रति हमारे संकल्प को दर्शाती है. उन्होंने कहा कि इससे जहां कार्बन उत्सर्जन कम होगा वहीं ऐसी नवीन परियोजनाओं में निवेश करके हम उद्योग के विकास में सक्रिय भूमिका अदा कर रहे हैं.
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केन्द्र सरकार ने अगस्त में एक बदलाव किया था जिसमें जहां राजस्व राज्य सरकार को दिए जाने की बात कही गई थी वहीं नीलामी को देशहित में प्राथमिकता पर किए जाने की बात कही गई थी.
केन्द्र सरकार महत्वपूर्ण खनिजों की बिक्री बुधवार से शुरू करने जा रही है. पहले चरण में सरकार 20 खनिज ब्लॉक के लिए नीलामी प्रक्रिया को शुरू करेगी, ये सभी ब्लॉक देशभर में फैले हुए हैं. इस प्रक्रिया की शुरुआत केन्द्रीय खान मंत्री प्रहलाद जोशी करने जा रहे हैं. मंत्रालय का मानना है कि ये नीलामी देश की अर्थव्यवस्था में इजाफा करने के साथ-साथ अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगी, राष्ट्रीय सुरक्षा को बढ़ाएगी और स्वच्छ ऊर्जा भविष्य में हमारे परिवर्तन को गति देने का काम करेगी.
किन किन खनिजों की होगी नीलामी
सरकार कल पहले चरण में जिन खनिजों की नीलामी करने जा रही है उनमें लीथियम, ग्रेफाइट, कोबाल्ट, टाइटेनियम, आरईई जैसे खनिज शामिल हैं. ये ऐसे खनिज हैं जिनकी भविष्य में बड़ी जरूरत तकनीक के विकास में पैदा होने वाली हैं. इनके अभी कुछ सीमित देशों में होने के कारण भारत को उनकी खरीद में बड़ा निवेश करना पड़ता है. कई बार इनकी कमी से देश में उस सेक्टर की सप्लाई चेन में भी परेशानी आ जाती है. भारत का लक्ष्य है कि वो 2030 तक 50 प्रतिशत ऊर्जा गैर जीवाश्म स्त्रोंतों से हासिल करेगा. ऐसे में इन खनिजों की भूमिका अहम होने वाली है.
EV उत्पादन में होने वाली इनकी अहम भूमिका
देश को अगर 2030 तक उस लक्ष्य पर पहुंचाना है तो ऐसे में इलेक्ट्रॉनिक कारों से लेकर पवन और सौर ऊर्जा जैसे क्षेत्र में उत्पादन को बढ़ाना होगा. इस तरह के खनिजों की पूरी दुनिया में बड़ी मांग है. विशेषतौर पर नवीन ऊर्जा, डिफेंस, एग्रीकल्चर, फॉर्मा, हाईटेक इलेक्ट्रॉनिक, टेलीकम्यूनिकेशन, ट्रांसपोर्ट और गीगाफैक्ट्रीज शामिल हैं. इस ऑक्शन की ज्यादा जानकारी को एमएसटीएस ऑक्शन प्लेटफॉर्म WWW.mstcecommerce.com/auctionhome/mlcl/index.jsp पर जाकर 29 नवंबर को शाम को 6 बजे देखा जा सकता है. इस ऑक्शन को ट्रांसपेरेंट तरीके से किया जाएगा. इसे दो तरह से एसेडिंग फॉरवर्ड ऑक्शन के जरिए किया जाएगा. इस ट्रांसपेरेंट तरीके से उचित बोली लगाने वाले योग्य खरीदार को इन्हें आवंटित कर दिया जाएगा.
सरकार ने हाल ही में किया है एक बडा बदलाव
केन्द्र सरकार ने 17 अगस्त को 2023 को एक बड़ा बदलाव करते हुए 24 खनिजों को क्रिटिकल और स्टेटजिक मिनरल की श्रेणी में रख दिया था. सरकार के ये बदलाव उसे देश हित में खनिज रियायत देने के अधिकार देता है, ताकि सरकार देश की आवश्यकताओं को देखते हुए प्राथमिकता से इनकी नीलामी कर सके. इन नीलामियों से जो भी राजस्व पैदा होगा उसे राज्य सरकारों को दिया जाएगा. सरकार की ओर से इनके दामों को भी व्यवहारिक बनाया गया है जिससे ज्यादा भागीदार इसमें भाग ले सकें.
BharatPe के CFO और अंतरिम CEO नलिन नेगी ने आज कंपनी के प्रॉफिटेबल होने की जानकारी मीडिया के साथ साझा की है.
फिनटेक (Fintech) क्षेत्र की स्वदेशी कंपनी भारत पे (BharatPe) को लेकर इस वक्त एक काफी बड़ी खबर सामने आ रही है. खबर आ रही है कि अपने लॉन्च के 5 सालों के बाद भारत पे आखिरकार प्रॉफिटेबल हो गयी है. आपको बता दें कि भारत पे को 2018 में लॉन्च किया गया था और अब 2023 में कंपनी ने प्रॉफिटेबल होने की जानकारी दी है.
BharatPe हुआ प्रॉफिटेबल
भारत पे (BharatPe) के CFO (चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर) और अंतरिम CEO नलिन नेगी ने आज कंपनी के प्रॉफिटेबल होने की जानकारी मीडिया के साथ साझा की है. आधिकारिक बयान देते हुए कंपनी ने कहा है कि भारत पे का EBITDA सकारात्मक स्तर पर पहुंच गया है और कंपनी की कमाई भी 1500 करोड़ रुपए हो गई है. सालाना आधार पर कंपनी के ARR में 31% की वृद्धि देखने को मिली है. कंपनी की कमाई में हुई इस वृद्धि के पीछे कंपनी के पेमेंट और लोन देने के बिजनेस में हुई बढ़त को प्रमुख कारण माना जा रहा है. भारत पे ने अक्टूबर में अपने प्लेटफॉर्म पर मौजूद मर्चेंट्स को 640 करोड़ रुपए का लोन दिया था. आपको बता दें कि सालाना आधार पर ये 36% ज्यादा है.
BharatPe ने इकट्ठा किये 583 मिलियन डॉलर्स
अक्टूबर में ही भारत पे (BharatPe) को अपने विविध पेमेंट उत्पादों के बीच 14,000 करोड़ रुपयों के TPV (थर्ड पार्टी वेरिफिकेशन) प्राप्त हुए थे. आपको बता दें कि जब भी किसी कंपनी द्वारा किसी कस्टमर की जानकारी और उसके उद्देश्य को जानने के लिए एक बाहरी संस्था का प्रयोग किया जाता है तो उसे TPV कहा जाता है. इसके साथ ही कंपनी के अंतरिम CEO नलिन नेगी ने यह भी कहा है कि आने वाले समय में कंपनी अपने लोन बिजनेस और POS (पॉइंट ऑफ सेल) के साथ-साथ साउंडबॉक्स के अपने कारोबार पर भी प्रमुख रूप से ध्यान देगी. आपको बता दें कि भारत पे ने अभी तक इकिविती के रूप में 583 मिलियन डॉलर्स जितनी राशि इकट्ठी की है.
BharatPe के इन्वेस्टर्स
कंपनी में इन्वेस्ट करने वाले प्रमुख इन्वेस्टर्स में पीक XV पार्टनर (पूर्व में Sequoia Capital India), Ribbit कैपिटल, इनसाइट पार्टनर, Amplo, Beenext, Coatue मैनेजमेंट, Dragoneer investment Group, Steadfast Capital, Steadview Capital और टाइगर ग्लोबल (Tiger Global) जैसी कंपनियों के नाम शामिल हैं. जून 2021 में कंपनी ने Payback India (Zillion) का अधिग्रहण किये जाने की बात कही थी. आपको बता दें कि Payback India देश की सबसे बड़ी मल्टी-ब्रैंड लॉयल्टी प्रोग्राम कंपनी थी और इसके सदस्यों की संख्या 100 मिलियन से ज्यादा थी.
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Spicejet के प्रमोटर अजय सिंह 100 मिलियन डॉलर की फंडिंग तलाश रहे हैं, आइये जानते हैं उन्हें इतनी बड़ी रकम की जरूरत क्यों है?
स्पाइसजेट (Spicejet) को लेकर इस वक्त एक काफी बड़ी खबर सामने आ रही है. माना जा रहा है कि स्पाइसजेट के प्रमोटर अजय सिंह (Ajay Singh) 100 मिलियन डॉलर्स इकट्ठा करने के लिए ग्लोबल प्राइवेट क्रेडिट फंड्स के साथ लगातार बातचीत कर रहे हैं.
Spicejet के पास बेहतर मौके
मामले से जुड़े कुछ लोगों ने मीडिया से बातचीत के दौरान बताया है कि स्पाइसजेट (Spicejet) के अजय सिंह (Ajay Singh) द्वारा यह राशि प्रमोटर का कर्ज चुकाने और कैश के संकट से जूझ रही एयरलाइन को नई इक्विटी प्रदान करने के लिए इकट्ठा की जा रही है. मामले से जुड़े एक व्यक्ति ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि बहुत से ग्लोबल फंड्स अभी अजय सिंह के साथ बातचीत कर रहे हैं और फिलहाल इस कर्ज की प्राइसिंग को लेकर भी प्रमुख रूप से बातचीत की जा रही है. यह एक व्यवस्थित क्रेडिट ट्रांजेक्शन होगा. वैसे तो बातचीत अभी अपने बहुत ही शुरुआती स्तर पर है लेकिन भारत के एविएशन सेक्टर की प्रॉफिटेबलिटी में होते सुधार और दिवालिया हो चुके वाडिया ग्रुप (Wadia Group) की बजट एयरलाइन, गो-फर्स्ट (GoFirst) के बाहर हो जाने की वजह से स्पाइसजेट के पास कर्ज चुकाने और फाइनेंस मैनेज करने के ज्यादा और बेहतर मौके उपलब्ध हैं.
Spicejet का क्या है कहना?
स्पाइसजेट के एक प्रवक्ता ने कहा कि यह सिर्फ मार्केट द्वारा लगाये जा रहे अनुमान भर हैं और कंपनी इन पर किसी प्रकार का बयान नहीं देना चाहती है. आपको बता दें कि अगस्त में स्पाइसजेट (Spicejet) ने मार्केट में अपनी हिस्सेदारी को बड़ा कर लिया था और फिलहाल यह अकासा एयर (Akasa Air) से भी आगे है. इसके साथ ही आपको यह भी बता दें कि पिछले साल के मुकाबले इस साल अकासा एयर के पैसेंजर ट्रैफिक में 30% की बढ़ोत्तरी देखने को मिली थी. फिलहाल स्पाइसजेट में 56.5% की हिस्सेदारी कंपनी के प्रमोटर्स की है और कंपनी के प्रमोटर्स में अजय सिंह (Ajay Singh) का नाम भी शामिल है जो प्रमोटर होने के साथ-साथ कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर भी हैं. इसके अलावा एयरलाइन का 37.9% हिस्सा विभिन्न लेनदारों के पास गिरवी रखा गया है.
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मौजूदा समय में भारत में हर पांच पुरुषों पर सिर्फ एक महिला वैज्ञानिक ही काम कर रही है. महिलाओं की भागीदारी सिर्फ 16 प्रतिशत है.
STEM क्षेत्र से जुड़े रिसर्च कार्यक्रमों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए दुनिया की नामी कंपनी HUL ने एक फेलोशिप की शुरूआत की है. HUL ने इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ साइंट की पांच महिलाओं को इस बार इस इस क्षेत्र में रिसर्च के लिए फेलोशिप देने का फैसला किया है. STEM को साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मैथ्स कहा जाता है. अभी इस क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी काफी कम है.
हर पांच में सिर्फ 1 महिला कर रही है रिसर्स
मौजूदा समय में आंकड़ों पर नजर डालें तो हर पांच पुरुषों में एक महिला ही है जो इस क्षेत्र में रिसर्च कर रही है. इस क्षेत्र में रिसर्च से जुड़ी नौकरियो में महिलाओं को महज 16 प्रतिशत का प्रतिनिधित्व मिल पाता है. कंपनी का मकसद इस क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी को और बढ़ाने का है. इस फेलोशिप के तहत जो महिलाएं STEM के क्षेत्र में पीएचडी कर रही हैं,उन्हें मदद मुहैया कराकर इस क्षेत्र में आगे लाने को लेकर काम कर रही है.
क्या बोले कंपनी के सीईओ?
इस घोषणा के बाद कंपनी के सीईओ रोहित जावा ने कहा कि इस क्षेत्र में महिलाओं के लिए अपने करियर को बनाना एक बड़ी चुनौती होती है. उन्होंने ये भी कहा कि इसका डटकर मुकाबला किया जाना चाहिए.उन्होंने कहा कि आज दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु जैसे शहरों में चल रही हमारी आर एंड टी जैसी टीमों में 50 प्रतिशत महिलाएं काम कर रही हैं. उन्होंने कहा कि ये फेलोशिप महिलाओं को आगे बढ़ने में बड़ी मददगार साबित होगी.
कैसे हुआ है इसके लिए महिलाओं का चयन
कंपनी की ओर से जानकारी दी गई है कि आईआईएससी के प्रमुख शिक्षाविदों के एक पैनल ने इन प्रमुख प्रतिभागियों का सलेक्शन किया है. इस फेलोशिप के लिए चयन होने के लिए उनकी अध्ययन क्षमता, उनके रिसर्च कार्यक्रम, रिसर्च एचीवमेंट, और रिसर्च के बाद होने वाले प्रभाव के बारे में विस्तार से जानकारी ली गई है. कंपनी ने कहा कि ये पीएम रिसर्च फेलोशिप के बराबर पूरे पांच साल के लि बच्चों को मदद देने का काम करती है. HUL की इस फेलोशिप की दूसरी सबसे खास बात ये भी है कि इसमें वित्तीय सहायता के साथ उस क्षेत्र के प्रमुख सलाहकारों तक भी एक्सेस मिलता है.
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Kronox Lab का संबंध गुजरात के वड़ोदरा से है और यह कंपनी उच्च-स्तरीय फाइन केमिकल्स का निर्माण करती है.
पिछले कुछ समय के दौरान भारतीय शेयर मार्केट (Share Market) में कई कंपनियां अपने IPO (इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग) लेकर आई हैं और IPO को लेकर अब लोग काफी उत्सुक भी नजर आते हैं. हाल ही में टाटा टेक्नोलॉजीज (Tata Technologies) का IPO था, जिसे सिर्फ 60 मिनट के अंदर ही पूरी तरह सबस्क्राइब कर दिया गया था. अब एक अन्य कंपनी Kronox Lab अपना IPO लेकर आने के बारे में विचार कर रही है और कंपनी के SEBI के समक्ष DRHP भी जमा कर दिया है.
Kronox Lab इकट्ठा करेगी 150-180 करोड़
DRHP (ड्राफ्ट-रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस) जमा करने वाली Kronox Lab का संबंध गुजरात के वड़ोदरा से है और यह कंपनी उच्च-स्तरीय फाइन केमिकल्स का निर्माण करती है. इस IPO के माध्यम से कंपनी 150-180 करोड़ रुपये इकठ्ठा करना चाहती है. SEBI के समक्ष जमा किये गए DRHP के अनुसार Kronox के IPO में 45 करोड़ रुपयों की कीमत वाले नए शेयर जारी किये जायेंगे और OFS यानी ऑफर फॉर सेल के माध्यम से 78 लाख इक्विटी शेयरों को जारी किया जाएगा. ये शेयर कंपनी के प्रमोटर्स जोगिंदरसिंह जसवाल, केतन रमानी और प्रीतेश रमानी के द्वारा जारी किये जायेंगे. इनमें से प्रत्येक व्यक्ति के हिस्से से 26 लाख इक्विटी शेयर OFS के लिए प्रदान किये जायेंगे.
पैसों का इस्तेमाल कहां करेगी कंपनी?
कंपनी द्वारा जमा किये DRHP दस्तावेज की मानें तो अपने IPO के माध्यम से इकट्ठा होने वाले पैसों का इस्तेमाल कंपनी द्वारा कैपिटल से संबंधित जरूरतों को पूरा करने के लिए किया जाएगा. इतना ही नहीं, आम कॉर्पोरेट उद्देश्यों की पूर्ती के लिए भी इन पैसों का इस्तेमाल किया जाएगा. दूसरी तरफ OFS से प्राप्त होने वाली राशि का भुगतान सीधे तौर पर शेयरहोल्डर्स के साथ किया जाएगा. Kronox के उत्पादों की बात करें तो इनका इस्तेमाल विभिन्न इंडस्ट्रीज में मौजूद भिन्न-भिन्न यूजर्स के लिए किया जाता है, जिनमें फार्मास्यूटिकल फार्मूलेशन, API (एक्टिव फार्मास्यूटिकल इंग्रेडियंट), बायोटेक, वैज्ञानिक रिसर्च और टेस्टिंग के लिए भी किया जाता है.
Kronox Lab का प्रदर्शन
वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान Kronox को ऑपरेशन्स की बदौलत कुल 95.6 करोड़ रुपयों की कमाई हुई थी. हालांकि इस दौरान कंपनी का EBITDA 22 करोड़ दर्ज किया गया था. इस समयावधि के दौरान कंपनी को टैक्स की कटौती के बाद 16.6 करोड़ रुपयों का प्रॉफिट हुआ था. कंपनी के IPO ऑफर का जिम्मा पैंटोमैथ कैपिटल एडवाइजर्स (Pantomath Capital Advisors) के जिम्मे है. आपको बता दें कि कंपनी के शेयरों को NSE (राष्ट्रीय स्टॉक एक्सचेंज) के साथ-साथ BSE (बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज) पर भी लिस्ट किया जाएगा.
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शुक्रवार को BSE लगभग 0.7% की गिरावट और NSE का निफ्टी 0.04% की गिरावट के साथ बंद हुआ था.
पिछले हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन भारतीय शेयर बाजार (Share Market) में गिरावट देखने को मिली थी और पिछले कुछ समय से शेयर बाजार में अनिश्चितता का दौर बना हुआ है. IT से संबंधित कंपनियों के शेयरों की बिकवाली के चलते शेयर बाजार में गिरावट देखने को मिली थी. शुक्रवार के बाद घरेलु बाजार आज खुलने जा रहे हैं और ऐसे में अगर आज आप अपनी जेब भरना चाहते हैं तो हम कुछ ऐसे शेयरों की जानकारी लेकर आये हैं, जिनमें तेजी के संकेत दिख रहे हैं.
किन शेयरों में रहेगी तेजी?
शुक्रवार को जहां BSE (बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज) 47.77 अंकों यानी लगभग 0.7% की गिरावट के साथ बंद हुआ था वहीं NSE (राष्ट्रीय स्टॉक एक्सचेंज) के निफ्टी सूचकांक की बात करें तो यह 7.30 अंकों, यानी 0.04% की गिरावट के साथ बंद हुआ था. वहीं अगर पिछले पूरे हफ्ते के बाजारों के प्रदर्शन पर नजर डालें तो सेंसेक्स में 175.31 अंकों और निफ्टी में 62.9 अंकों जितनी बढ़त देखने को मिली थी. मोमेंटम इंडिकेटर MACD की मानें तो आज के दिन ग्लेनमार्क लाइफ, ग्राइंडवेल नॉर्टन, KRBL और SBI कार्ड जैसे शेयरों के मंगल प्रदर्शन की संभावना दिख रही है और इन शेयरों में आज तेजी देखने को मिल सकती है. जिस तरह MACD द्वारा किसी शेयर में तेजी के संकेत दिए जाते हैं उसी तरह किसी शेयर में मंदी के संकेतों को भी यह पहले दिखा देता है. आइये जानते हैं आज किन शेयरों में मंदी देखने को मिल सकती है.
इन शेयरों से जरा बचके
मूवमेंट इंडिकेटर MACD सिर्फ किसी शेयर में तेजी का दौर ही नहीं,, बल्कि कुछ शेयरों में मंदी के दौर के बारे में बताता है. MACD इंडिकेटर की मानें तो BEL, NMDC, कोटक बैंक (Kotak Bank), मोतीलाल ओसवाल (Motilal Oswal), परसिस्टेंट सिस्टम (Persistent System) और P&G जैसे शेयरों में मंदी देखने को मिल सकती है. NTPC, भारती एयरटेल (Bharti Airtel), हीरो मोटोकॉर्प (Hero Motocorp), टाइटन (Titan), बजाज ऑटो (Bajaj Auto), BPCL और सन फार्मा (Sun Pharma) जैसी कंपनियों के शेयरों में जबरदस्त खरीदारी देखने को मिल सकती है.
इनमें होगी बिकवाली
दूसरी तरफ ऐसे शेयर भी हैं जिनमें आज जबरदस्त बिकवाली देखने को मिल सकती है. आपको बता दें कि पिछले हफ्ते उतर चढ़ाव के दौर के बीच HCL टेक (HCL Tech), टेक महिंद्रा (Tech Mahindra), विप्रो (Wipro), टाटा मोटर्स (Tata Motors) और इन्फोसिस (Infosys) जैसे शेयरों में गिरावट देखने को मिली थी. वहीँ HDFC बैंक (HDFC Bank), Axis बैंक (Axis Bank), JSW स्टील (JSW Steel) और M&M जैसे शेयरों में बढ़त देखने को मिली थी. MACD के अनुसार Polyplex Corp और Rajesh Exports जैसी कंपनियों के शेयरों में आज बिकावली देखने को मिल सकती है.
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ज्यादातर लोग अडानी (Adani) का नाम उत्तराखंड के उत्तरकाशी में हुई दुर्घटना से जोड़कर देख रहे हैं.
वैसे तो गौतम अडानी (Gautam Adani) की अध्यक्षता वाला अडानी ग्रुप (Adani Group) आए दिन खबरों और सुर्खियों का हिस्सा बना ही रहता है, लेकिन आज का मुद्दा काफी अलग है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर इस वक्त #Adani ट्रेंड कर रहा है. अगर आप भी जानना चाहते हैं कि ऐसा क्यों है, तो आप एकदम सही जगह हैं.
गुफा ढहने का क्या था कारण?
दरअसल ज्यादातर लोग अडानी (Adani) का नाम उत्तराखंड के उत्तरकाशी में हुई दुर्घटना से जोड़कर देख रहे हैं और इसीलिए फिलहाल ट्विटर पर #Adani ट्रेंड कर रहा है. आपको बता दें कि 12 नवंबर 2023 को सिल्क्यारा से बारकोट के बीच बनाई जा रही गुफा ढह गई थी जिसके बाद से 40 मजदूर इस गुफा के अन्दर फंसे हुए हैं और बचाव एवं राहत कार्य अभी भी जारी है. माना जा रहा है कि इस गुफा का निर्माण करते हुए भौगोलिक अध्ययन सही तरीके से पूरा नहीं किया गया था और न ही गुफा का डिजाईन सही था जिसकी वजह से यह दुर्घटना हुई है. इसके साथ ही सुरक्षा मानकों पर सही से ध्यान न दिया जाना और निर्माण प्रक्रिया से संबंधित कारकों पर भी सवाल उठाये जा रहे हैं.
Adani Group और Navayuga Engineering के बीच संबंध
बहुत से लोग इस दुर्घटना की आलोचना कर रहे हैं और निष्पक्ष कार्यवाही की मांग करके संबंधित लोगों पर कानूनी कार्यवाही की मांग भी कर रहे हैं. इसी बीच अडानी ग्रुप (Adani Group) का नाम भी सामने आ रहा है. दरअसल हाल ही में मीडिया के साथ बातचीत के दौरान अंतर्राष्ट्रीय खनन एक्सपर्ट अर्नाल्ड डिक्स ने कहा था कि अभी उन्हें मजदूरों तक पहुंचने में एक अतिरिक्त माह का समय भी लग सकता है. इसके बाद ऐसी कई मीडिया रिपोर्ट्स आईं थीं जिनमें दावा किया गया था कि 2020 में CCI यानी कम्पटीशन कमीशन ऑफ इंडिया ने अडानी पोर्ट्स एवं विशेष इकॉनोमिक जोन (Adani Ports and SEZ) को नवयुग इंजीनियरिंग (Navayuga Engineering) में हिस्सेदारी खरीदने के लिए मंजूरी दे दी थी.
Adani Group पर हो रही कार्यवाही की मांग
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि नवयुग इंजीनियरिंग (Navayuga Engineering) वही कंपनी है जिसे उत्तरकाशी में बनाई जा रही इस गुफा के निर्माण का जिम्मा सौंपा गया था और यह कंपनी हैदराबाद में आधारित है. अब नवयुग इंजीनियरिंग और अडानी के बीच संबंधों को जोड़कर देखा जा रहा है और मांग की जा रही है कि इस दुर्घटना की जांच के बाद अडानी ग्रुप (Adani Group) पर भी कार्यवाही की जाए. इसी कार्यवाही की मांग करते हुए सोशल मीडिया प्लेटफार्म X पर लगातार अडानी ग्रुप के खिलाफ ट्वीट साझा किये जा रहे हैं.
Adani Group की सफाई
अब हाल ही में अडानी ग्रुप (Adani Group) ने इस पूरे मुद्दे पर अपनी सफाई दी है और नवयुग इंजीनियरिंग के साथ किसी भी तरह के संबध की बात को झूठलाया है. कंपनी ने अपने बयान में कहा है कि कुछ लोग झूठे दावे कर रहे हैं कि उत्तराखंड में दुर्घटनाग्रस्त हुई उत्तरकाशी गुफा से हमारा संबंध है. हम इन दावों और इन दावों के पीछे मौजूद लोगों की आलोचना करते हैं. हम साफ कर देना चाहते हैं कि गुफा के निर्माण में अडानी ग्रुप या फिर इसकी किसी भी शाखा का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कोई भी संबंध नहीं है और न ही निर्माण करने वाली कंपनी में हमारी किसी प्रकार की साझेदारी है.
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हम इस मामले के साथ अदालत जाना चाहते हैं और हम हमारे पास मौजूद सभी कानूनी विकल्पों को तलाश रहे हैं
परेशानियों से घिरे अभ्युदय को-ऑपरेटिव बैंक (Abhyudaya Cooperative Bank) को लेकर इस वक्त एक काफी बड़ी खबर सामने आ रही है. माना जा रहा है कि अभ्युदय कोऑपरेटिव बैंक भारत के केंद्रीय बैंक, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के आदेश के खिलाफ अपील कर सकता है. बैंक द्वारा कानूनी कार्यवाही के विकल्प भी तलाशे जा रहे हैं.
क्या है पूरा मामला?
हाल ही में बैंक के चेयरमैन संदीप घंदत (Sandeep Ghandat) ने यह जानकारी भारत की शीर्ष मीडिया वेबसाइट से बातचीत के दौरान साझा की है. मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि हम इस मामले के साथ अदालत जाना चाहते हैं और हम हमारे पास मौजूद सभी कानूनी विकल्पों को तलाश रहे हैं. इस एक विकल्प के अलावा हमारे पास कोई अन्य विकल्प नहीं है क्योंकि RBI अपने आदेश को वापस लेता हुआ नजर नहीं आ रहा है. 24 नवंबर को RBI ने मुंबई स्थित अभ्युदय को-ऑपरेटिव बैंक (Abhyudaya Cooperative Bank) के बोर्ड की जगह ले ली थी. एक बयान में RBI ने इस फैसले के लिए खराब कॉर्पोरेट गवर्नेंस मापदंडों को कारण बताया था.
कितना बड़ा है Abhyudaya Cooperative Bank?
अभ्युदय को-ऑपरेटिव बैंक (Abhyudaya Cooperative Bank) के चेयरमैन संदीप घंदत ने मीडिया से बातचीत के दौरान आगे यह भी कहा है कि बैंक भारत सरकार का रुख भी कर सकता है और सरकार से इस मामले में हस्तक्षेप करने की गुजारिश भी की जा सकती है. अभ्युदय को-ऑपरेटिव बैंक की आधिकारिक वेबसाइट की मानें तो 31 मार्च 2020 तक बैंक के पास 17.30 लाख से ज्यादा जमाकर्ता और 10,838 करोड़ रुपयों से ज्यादा की जमा राशि मौजूद थी. इसके साथ ही बैंक की वेबसाइट पर यह भी कहा गया है कि बैंक के पास 6,654 करोड़ रुपयों के एडवांस भी मौजूद थे और बैंक का CAR (Capital Adequacy Ratio) 12.60% था.
RBI मांग रहा है डेटा
आपको यह भी बता दें कि 2020 के बाद से बैंक का प्रदर्शन पब्लिक डोमेन में मौजूद नहीं है. इंटरव्यू के दौरान संदीप ने यह भी कहा कि हो सकता है कि RBI अभ्युदय को-ऑपरेटिव बैंक (Abhyudaya Cooperative Bank) को बड़े बैंकों के साथ या फिर किसी छोटे वित्तीय बैंक (SFB) के साथ जोड़ने के बारे में विचार कर रहा हो. इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि पिछले लगातार 2 महीनों से RBI बैंक की हर शाखा के काम करने के तरीके के बारे में डेटा मांग रहा है.
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