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भारत-मॉरीशस के बीच हुई Tax Treaty पर आया आयकर विभाग का बयान, कही ये बात
Income Tax Department ने अपने एक्स (X) हैंडल पर एक पोस्ट शेयर करके भारत और मॉरीशस के बीच संशोधित दोहरा कराधान बचाव संधि (India-Mauritius tax treaty) की जानकारी दी है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 month ago
हाल ही में भारत-मॉरीशस के बीच एक Tax Treaty पर समझौता हुआ है. आयकर विभाग (Income Tax Department) ने एक्स (x) पर एक पोस्ट के माध्यम से जानकारी देते हुए कहा कि भारत और मॉरीशस के बीच संशोधित दोहरा कराधान बचाव संधि (India-Mauritius tax treaty) में नियमों और दिशानिर्देशों को मंजूरी देना और अधिसूचित किया जाना बाकी है. आपको बता दें, दोनों देशों ने 7 मार्च को दोहरा कराधान बचाव संधि (डीटीएए) में संशोधन के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं.
क्या बोला इनकम टैक्स विभाग?
आयकर विभाग ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में लिखा कि हाल ही में संशोधित भारत मॉरीशस डीटीएए पर कुछ चिंताएं उठाई गई हैं. विभाग ने कहा है कि इस संबंध में यह साफ किया जाता है कि ये चिंताएं फिलहाल समय से पहले उठाई जा रही हैं, क्योंकि दिशानिर्देशों को अभी तक अनुमोदित और आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 90 के तहत अधिसूचित नहीं किया गया है. आयकर विभाग ने कहा कि जब दिशानिर्देश लागू होंगे, तो जरूरी होने पर आशंकाओं का समाधान किया जाएगा.
Some concerns have been raised on the India Mauritius DTAA amended recently.
— Income Tax India (@IncomeTaxIndia) April 12, 2024
In this context, it is clarified that the concerns /queries are premature at the moment since the Protocol is yet to be ratified and notified u/s 90 of the Income-tax Act, 1961.
As and when the…
सामने आ रही ये चिंता
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस समझौते में एक ‘प्रिंसिपल पर्पज टेस्ट’ (पीपीटी) की व्यवस्था की गई है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि कोई विदेशी निवेशक संधि लाभों का दावा करने के लिए पात्र हैं या नहीं. इसके साथ ही चिंता जताई जा रही थी कि मॉरीशस के रास्ते आने वाले विदेशी पोर्टफोलियो निवेशों को Tax अधिकारियों की अधिक जांच का सामना करना पड़ेगा. ऐसी आशंकाएं भी जताई गई हैं कि पिछले निवेशों को संशोधित प्रोटोकॉल के दायरे में लाया जा सकता है.
क्या हुआ है समझौता?
भारत और मॉरीशस ने दोहरा कराधान बचाव संधि (डीटीएए) में संशोधन के लिए नियमों और दिशानिर्देश से जुड़े एक समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं. इसमें यह तय करने के लिए एक व्यवस्था की गयी है कि कोई विदेशी निवेशक संधि लाभों का दावा करने के लिए पात्र है या नहीं. कर विशेषज्ञों ने कहा कि नियमों में एक नया अनुच्छेद ‘27बी लाभ का अधिकार’ जोड़ा गया है. इसमें ‘प्रिंसिपल पर्पज टेस्ट’ (पीपीटी) की व्यवस्था की गई है, जिसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि संधि का लाभ केवल वास्तविक उद्देश्य वाले लेन-देन को मिले और कराधान बचाव को कम किया जा सके.
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एक्सपर्ट्स ने क्या कहा?
एक्सपर्ट्स के अनुसार संशोधन, संधि के दुरुपयोग के खिलाफ भारत का कदम है. यह वैश्विक प्रयासों के अनुरूप है. हालांकि पुराने निवेशों के लिए पीपीटी के उपयोग को लेकर चीजें अस्पष्ट बनी हुई हैं. इस मामले में सीबीडीटी (केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड) से स्पष्ट मार्गदर्शन की जरूरत है. इसके अलावा संधि की प्रस्तावना में ‘द्विपक्षीय व्यापार और निवेश को प्रोत्साहित करने के वाक्यांश का छूटना द्विपक्षीय निवेश को बढ़ावा देने के बजाय टैक्स चोरी को रोकने की दिशा में ध्यान केंद्रित करने का सुझाव देता है. यह अंतरराष्ट्रीय कर सहयोग मानकों के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को बताता है. साथ ही यह भारत-मॉरीशस गलियारे का लाभ उठाने वाले निवेशकों के लिए स्थिति पर गौर करने का भी मामला है.
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