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SEBI ने शेयर बाजार संचालकों पर की कार्रवाई, इतने ठिकानों पर हुई छापेमारी
सेबी की ओर से इससे पहले 15 जून और 18 जून को भी छापेमारी की जा चुकी है लेकिन उसके बाद आगे की जांच को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 5 months ago
सेबी की ओर से कई शेयर बाजार संचालकों के ठिकानों पर छापेमारी की कार्रवाई की गई. ये कार्रवाई उन लोगों के खिलाफ की गई जो शेयरों की कीमत में हेराफरी करने के साथ गैरकानूनी तरीके से छोटी कंपनियों के शेयरों को बेचने की कोशिश कर रहे थे. सेबी ने ऐसे 100 संचालकों के खिलाफ कार्रवाई की है. छापेमारी की इस प्रक्रिया में निगरानी विभाग के अधिकारी भी मौजूद रहे.
क्यों हुई ये छापेमारी?
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, दरअसल पिछले कुछ समय से कई छोटी कंपनियों के शेयरों की कीमत अपर सर्किट के दायरे में आ रही थी. इस बात को नोटिस करते हुए सेबी ने पाया कि हो ये रहा है कि कई ऑपरेटर निवेशकों को लुभाने के लिए अपने व्हाटस एप और टेलीग्राम जैसे चैनलों से जोड़ रहे और उन्हें वहां छोटी कंपनियों में निवेश करने की सलाह दे रहे हैं. ये आपरेटर खुदरा निवेशकों को इस तरह की सलाह दे रहे हैं. सेबी की जांच में ये भी पता चला था कि ये लोग उन कंपनियों के स्टॉक्स जमा करते हैं जिन कंपनियों के बारे में कम जानकारी उनलब्ध होती है, उन्हें खुदरा निवेशकों को बेच देते हैं.
6 महीने में सेबी की ये दूसरी रेड
6 महीने में सेबी की ये इस तरह के ऑपरेटरों के खिलाफ की गई दूसरी कार्रवाई है. इससे पहले जून में जो कार्रवाई की गई थी वो उन ऑपरेटरों के खिलाफ की गई थी जो विदेशी पोर्टफोलियो वाले निवेशकों के साथ धोखाधड़ी कर रहे थे. सेबी ने इस संबंध में एक बड़े बाजार ऑपरेटर से जुड़े 6 ठिकानों पर छापेमारी की थी. हालांकि आदेश जारी करने के मामले में सेबी के द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई और इसका कोई कारण भी नहीं बताया गया. जून में जिन 6 लोगों के खिलाफ कार्रवाई हुई थी उनमें पांच कोलकाता के थे और एक मुंबई का था.
पिछले छापों के बाद सेबी की खामोशी
सेबी की ओर से इससे पहले 15 जून और 18 जून को छापेमारी की गई थी. लेकिन उसके बाद इस मामले में आगे की जाने वाली कार्रवाई को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया. सामान्य तौर पर सेबी रेड के बाद और पहले एक एक्स पार्टी ऑर्डर जारी करती है. यदि एकत्र की गई जानकारी रैकेट में शामिल संस्थाओं के खिलाफ गंभीर प्रकृति की है तो पक्षों के लिए अदालत जैसी सुनवाई बाद की तारीख में आयोजित की जाती है. लेकिन जून में छापेमारी के बाद सेबी की ओर से कोई अनुवर्ती कार्रवाई नहीं देखी गई, जो कई विशेषज्ञों के लिए भ्रमित करने वाली थी.
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