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Vedanta वाले अनिल अग्रवाल का पीछा नहीं छोड़ रहीं मुश्किलें, अब सामने आई ये खबर
अनिल अग्रवाल पिछले कुछ समय से परेशानियों का सामना कर रहे हैं. अब सेबी ने उन्हें बड़ा झटका दिया है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 month ago
अनिल अग्रवाल (Anil Agarwal) की कंपनी वेदांता लिमिटेड (Vedanta Limited) की मुश्किलें खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बाजार नियामक सेबी (SEBI) ने वेदांता लिमिटेड को लाभांश भुगतान में देरी पर ब्याज के साथ 77.62 करोड़ रुपए केयर्न यूके होल्डिंग्स लिमिटेड को 45 दिन के भीतर देने का निर्देश दिया है. इसके साथ ही सेबी ने वेदांता लिमिटेड के पूरे बोर्ड को पूंजी बाजार से कुछ समय के लिए प्रतिबंधित कर दिया है.
इन पर लगाया प्रतिबंध
SEBI ने नवीन अग्रवाल, तरुण जैन, थॉमस अल्बनीस और जीआर अरुण कुमार को दो महीने के लिए प्रतिभूति बाजार से प्रतिबंधित कर दिया है. जबकि प्रिया अग्रवाल, के वेंकटरमणन, ललिता डी गुप्ते, अमन मेहता, रवि कांत और एडवर्ड को एक महीने के लिए बाजार से प्रतिबंधित किया है. बाजार नियामक सेबी ने 76 पन्ने के अपने आदेश में कहा है कि नोटिस प्राप्तकर्ता नंबर 1 (वेदांत लिमिटेड) लाभांश के विलंबित भुगतान पर केयर्न यूके होल्डिंग्स लिमिटेड (सीयूएचएल) को 45 दिन के भीतर 77,62,55,052 रुपए का भुगतान करेगा.
2017 में हुई थी शिकायत
यह आदेश सेबी को 13 अप्रैल, 2017 को केयर्न एनर्जी से मिली शिकायत पर आया है, जिसमें वेदांता पर 340.65 करोड़ रुपए के लाभांश का भुगतान न करने का आरोप लगाया गया था. वेदांता ने शेयर बाजार को भेजी सूचना में कहा कि उसे यह आदेश मंगलवार को मिला है. कंपनी इस बारे में उचित कानूनी कदम उठाने की योजना बना रही है. SEBI ने इस आदेश में वेदांता प्रमुख अनिल अग्रवाल के भाई नवीन अग्रवाल सहित तीन शीर्ष अधिकारियों को दो महीनों के लिए बाजार से प्रतिबंधित किया है. इसके अलावा सेबी ने अनिल अग्रवाल की बेटी प्रिया अग्रवाल सहित छह अन्य को भी एक महीने के लिए पूंजी बाजार से प्रतिबंधित किया है.
बेच रहे हैं स्टील कारोबार
माइनिंग और मेटल सेक्टर की दिग्गज कंपनी वेदांता के मालिक अनिल अग्रवाल पिछले कुछ समय से लगातार परेशानियों का सामना कर रहे हैं. वह वेदांता पर कर्ज का बोझ कम करना चाहते हैं. इसी क्रम में उनके अपना स्टील कारोबार बेचने की खबर भी पिछले महीने सामने आई थी. रिपोर्ट्स में कहा गया था कि वेदांता लिमिटेड के स्वामित्व वाली ESL स्टील बिकने जा रही है. ESL की वर्तमान क्षमता 1.5 मिलियन टन है. अग्रवाल के स्टील कारोबार को खरीदने वालों की दौड़ में आर्सेलर मित्तल के लक्ष्मी मित्तल (Lakshmi Mittal) और जय सराफ की कंपनी निथिया कैपिटल शामिल हैं. जय सराफ आर्सेलर मित्तल के पूर्व एग्जीक्यूटिव हैं और वह ESL स्टील पर बोली लगाने के लिए एक कंसोर्टियम बना रहे हैं, जिसमें निथिया कैपिटल सहित कुछ अन्य इन्वेस्टर्स शामिल हो सकते हैं.
इतना है कंपनी कर कर्ज
वेदांता लिमिटेड के मालिकाना हक वाली ईएसएल स्टील की वर्तमान क्षमता 1.5 मिलियन टन है, जिसे कंपनी ने दोगुना करने का लक्ष्य रखा है. हालांकि, अब कंपनी अपनी इस यूनिट को बेच रही है. दरअसल, अनिल अग्रवाल वेदांता के कर्ज को जल्द से जल्द कम करना चाहते हैं. इसी क्रम में वह अपने नॉन-कोर एसेट्स को बेच रहे हैं. ईएसएल स्टील की बिक्री अग्रवाल की इसी योजना का हिस्सा है. बता दें कि वेदांता लिमिटेड ने कुछ वक्त पहले विभिन्न व्यवसायों को अलग करने के लिए छह लिस्टेड यूनिट्स बनाने की घोषणा की थी. कंपनी पर करीब 20,000 करोड़ रुपए का कर्ज है.
पहले भी बनाई थी योजना
वेदांता ने 2022 के आखिरी में भी ईएसएल स्टील को बेचने की बात कही थी, मगर बाद में इस योजना को रोक दिया गया. अब कंपनी फिर से स्टील कारोबार को बेचने की दिशा में आगे बढ़ रही है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, स्टील कारोबार को कुछ खरीदने में घरेलू और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों ने दिलचस्पी दिखाई है. अगले कुछ महीनों में डील पूरी हो सकती है. वेदांता ने 2018 में 5,320 करोड़ में ईएसएल स्टील का अधिग्रहण किया था. गौरतलब है कि अडानी समूह को लेकर पिछले साल आई हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद से वेदांता जैसी कंपनियां अपना कर्ज कम करने पर ज्यादा फोकस कर रही हैं.
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