ई-कॉमर्स कारोबार में दमदार उपस्थिति दर्ज कराने के लिए मुकेश अंबानी की रिलायंस ने एक प्लान तैयार किया है.
रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) ई-कॉमर्स कारोबार में एक बड़ा दांव खेलने जा रहे हैं. उनकी योजना देश के सबसे बड़े Reselling App माने जाने वाले Meesho को कड़ी टक्कर देने की है. एक मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि रिलायंस अपने ऑनलाइन फैशन रिटेल प्रोडक्ट प्लेटफॉर्म Ajio के 'लो प्राइज फैशन' आइटम के लिए मीशो जैसा प्लेटफॉर्म तैयार कर रही है, जिसे Ajio Street नाम दिया गया है.
15 दिन में पेमेंट सेटलमेंट
Ajio Street पर जीरो कमीशन देकर लोग अपने प्रोडक्ट बेच सकेंगे. रिपोर्ट के अनुसार, इस प्लेटफॉर्म पर सामान बेचने वालों के पेमेंट का सेटलमेंट 15 दिनों के अंदर किया जाएगा. रिलायंस को उम्मीद है कि 'जीरो कमीशन' के चलते Ajio Street जल्द ही अपनी पहचान बना लेगा. बता दें कि मीशो ने अपने इस मॉडल की वजह से काफी लोकप्रियता हासिल की है और ग्रामीण इलाकों में भी Meesho के ग्राहक लगातार बढ़ रहे हैं.
Meesho में इनका निवेश
फिलहाल, Ajio फ्लिपकार्ट के स्वामित्व वाली मिंत्रा, Amazon Fashion और टाटा क्लिक से मुकाबला कर रहा है. अब मुकेश अंबानी Ajio को पहले से ज्यादा मजबूत और व्यापक ब्रैंड के तौर पर विकसित करना चाहते हैं. इसलिए Meesho जैसा प्लेटफॉर्म Ajio Street तैयार किया जा रहा है. Meesho में सॉफ्टबैंक और फिडेलिटी का निवेश है. इस ऐप पर लो कॉस्ट long-tail फैशन और एक्सेसरीज प्रोडक्ट मिलते हैं. 2015 में Vidit Aatrey और Sanjeev Barnwal ने मीशो की स्थापना की थी. बता दें कि long-tail आइटम बाजार में लंबे समय तक बने रहते हैं और ऑफ-मार्केट चैनलों के माध्यम से बेचे जाते हैं. इन सामानों की वितरण और उत्पादन लागत कम है, फिर भी बिक्री के लिए आसानी से उपलब्ध रहते हैं.
ऐसे मिलेगा रिलायंस को फायदा
रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि रिलायंस Ajio Street को Ajio प्लेटफॉर्म और ऐप से अलग एक स्वतंत्र इकाई बनाने पर काम कर रही है. Ajio Street पर अपेक्षाकृत सस्ते प्रोडक्ट उपलब्ध होंगे जो छोटे शहरों के ग्राहकों को आकर्षित करने का काम करेंगे. कंपनी को उम्मीद है कि जीरो कमीशन मॉडल से इसके यूजर बेस को बढ़ाने में मदद मिलेगी. Meesho जैसे 'जीरो कमीशन' मॉडल वाले प्लेटफॉर्म में विक्रेता को कोई कमीशन नहीं देना होता. आमतौर पर ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म इस तरह के मामलों में Adv या फुलफिलमेंट सर्विस के जरिए कमाई करते हैं. एक्सपर्ट्स मानते हैं कि रिलायंस का यह कदम Branded Fashion Goods Market में उसकी दमदार उपस्थिति दर्ज करा सकता है.
देश में लोकसभा चुनाव चल रहा हैं. इस दौरान कई कंपनियां और चुनावी पार्टियां 1-3 महीने तक की जॉब ऑफर कर रही हैं.
आज पहले चरण वोटिंग है लेकिन 6 चरण की वोटिंग अभी भी बाकी है. आप भी इस लोकतंत्र के महापर्व में पैसा कमा सकते हैं. जी हां, इस चुनावी माहौल में रोजगार के भी कई अवसर पैदा होते हैं और अगर आप इस मौके पर इन अवसर का इस्तेमाल करते हैं तो अपने नॉर्मल काम के साथ एक्सट्रा कमाई भी कर सकते हैं. इसके लिए बस आपको एक्सट्रा मेहनत करनी है और इसके लिए अच्छे पैसे कमा सकते हैं. आप भी सोच रहे होंगे कि आखिर चुनावी टाइम में किस तरह से पैसा कमाए जा सकता है. लेकिन, अगर आप अपने टैलेंट और पढ़ाई के जरिए इस अवसर का फायदा उठा सकते हैं. ऐसे में जानते हैं कि आप किस तरह से कैसे पैसे कमा सकते हैं
फ्रीलांस काम करने का मौका
जब भी चुनाव आते हैं तो आपके लिए फ्रीलांस काम करने के अवसर काफी आते हैं. अगर आप लिखने के शौकीन हैं तो इस वक्त उम्मीदवारों और पार्टियों को स्लोगन, स्पीच आदि लिखने के लिए राइटर्स की आवश्यकता होती है, ऐसे में आप उनके लिए काम कर सकते हैं. इसमें आपको कुछ दिन काम करना होता है और आपको 80 हजार रुपये तक मिल सकते हैं.
सोशल मीडिया मैनेजर
आजकल प्रचार के लिए सोशल मीडिया एक नया जरिया बन गया है. ऐसे में हर कोई उम्मीदवार या पार्टी अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स के जरिए लोगों तक पहुंचने की कोशिश करती है. अगर आपको सोशल मीडिया की बारीकियां पता है तो आप उनसे बात करके कुछ दिन के लिए उनका कैंपेन कर सकते हैं. इस कैपेनिंग के लिए कई सोशल मीडिया एक्सपर्ट्स अच्छा पैसा चार्ज कर रहे हैं, ऐसे में आपको भी ये मौका चूकना नहीं चाहिए. इसके लिए आपको कम से कम 30 हजार से 80 हजार रुपये तक कमा सकते हैं.
डाटा एनालिटिक्स और स्ट्रैटजी
अगर आप भी डेटा एनालिटिक्स है तो चुनाव के दौरान आपके पास कमाई का अच्छा मौका है आप फ्रीलांस के जरिए डाटा एनालिटिक्स और स्ट्रैटजी कर 2 लाख रुपये तक की कमाई कर सकते हैं. डेटा एनालिसिस में आप डेटा सेट स्थापित करना, प्रोसेसिंग के लिए डेटा तैयार करना, मॉडलों को लागू करना, प्रमुख निष्कर्षों की पहचान करना और रिपोर्ट बनाना आदि.
कैंडिडेट पीआर
लगभग सभी राजनीतिक पार्टियां चुनाव के लिए मीडिया मैनेजमेंट, रैली मैनेजमेंट, सोशल मीडिया मैनेजमेंट तथा पोस्टर-वार आदि कराने के लिए इन मैनेजमेंट कंपनियों से संपर्क साध रही हैं. अगर आप PR में फ्रीलांस काम करने के इच्छुक है तो आप भी 40 हजार से 1 लाख रुपये तक की कमाई कर सकते हैं
इवेंट मैनेजमेंट
जो लोग इवेंट मैनेजमेंट काम करते हैं, उनके लिए भी ये टाइम काफी अच्छा है. दरअसल, इस वक्त पार्टियों को इन लोगों की तलाश होती है, जो उनके लिए सभा आदि का इंतजाम कर देते हैं. अगर आपको इस काम में अनुभव है तो आप इस वक्त का अच्छे से फायदा उठा सकते हैं और 25 से 70 हजार रुपये कमा सकते हैं.
ग्राफिक डिजाइनर
अगर आप ग्राफिक डिजाइनिंग का काम जानते हैं तो यह आपके लिए सबसे शानदार वक्त है. सभी उम्मीदवारों को अपने पोस्टर्स और सोशल मीडिया पर प्रचार करने के लिए अपने बैनर-ग्राफिक्स की आवश्यकता होती है, जिसके जरिए आपको कई ऑफर मिलते हैं. कई डिजाइनर्स तो कई उम्मीदवारों का काम करते हैं और अच्छा पैसा कमाते हैं. ऐसे में अगर आप ये काम कर पाते हैं तो आप उम्मीदवारों से काम ले सकते हैं. इसके लिए आपको कम से कम 20 से लेकर 80 हजार रुपये तक कमा सकते हैं.
पिछले लंबे समय से सामने आए डीपफेक वीडियो को लेकर सरकार की ओर से भी गाइडलाइन बनाई गई है. लेकिन अब इस नियुक्ति के बाद ज्यादा जवाबदेही की उम्मीद जताई जा रही है.
AI के क्षेत्र में दुनियाभर में भले ही तेजी से काम हो रहा हो लेकिन उससे हो रहे फ्रॉड इस सेक्टर की कंपनियों के लिए भी सिरदर्द बने हुए हैं. भारत में भी पिछले दिनों में डीपफेक वीडियो के कई मामले सामने आए हैं. लेकिन इन समस्याओं के बीच अब ओपन एआई कंपनी ने भारत के लिए अपनी पहली नियुक्ति कर दी है. कंपनी ने पब्लिक पॉलिसी और सरकार से संबंधित मामलों की देखरेख के लिए प्रज्ञा मिश्रा की नियुक्ति की है.
आखिर कौन हैं प्रज्ञा मिश्रा?
प्रज्ञा मिश्रा इससे पहले Truecaller के लिए यही काम कर रही थी. प्रज्ञा मिश्रा वहां भी सरकार से संबंधित मामलों को देख रही थी. हालांकि अभी उनकी नियुक्ति को कंपनी की ओर से सार्वजनिक नहीं किया है. 39 साल की प्रज्ञा मिश्रा ओपन एआई की भारत की पहली नियुक्ति के रूप में जल्द काम करना शुरू कर सकती हैं. Truecaller के लिए काम करने से पहले वो तीन साल तक Meta के लिए काम कर रही थी. वो इससे पहले Ernst & young और रॉयल दानिश अंबेसी के लिए काम कर चुकी हैं. प्रज्ञा मिश्रा ने अपने अपना एमबीए इंटरनेशनल मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट से 2012 में किया है.
क्या अब रूक पाएगा AI से होने वाला फ्राड?
दुनियाभर में तेजी से विकसित हो रहे AI के बीच लगातार फ्राड के मामले में भी सामने आ रहे हैं. सबसे बड़ी समस्या अभी डीपफेक वीडियो को लेकर आ रही है. भारत सहित दुनिया भर की सरकारें इसे लेकर रेग्यूलेशन बनाने को लेकर काम कर रहे हैं. भारत की 1.4 बिलियन की आबादी के बीच ये एक बहुत बड़ी चुनौती है. ओपन एआई को गूगल से बड़ी चुनौती मिल रही है. गूगल इंडिया के लिए एक ऐसे एआई प्लेटफॉर्म पर काम कर रहा है जो उसे भाषाई सहुलियत प्रदान करेगा.
ओपन एआई सीईओ ने कही थी ये बात
Open AI के सीईओ ने पिछले साल भारत के दौरे पर आने के बाद ये कहा था कि वो एआई की हेल्थकेयर में बड़ी भूमिका को देखते हैं. उन्होंने लगातार तेजी से विकसित हो रही एआई की भूमिका को लेकर सरकार को और अधिक सक्रिय होने की बात भी कही थी. उन्होंने भारत में आकर ये भी कहा था कि आखिर दूसरी सेवाओं को कैसे एआई के साथ जोड़ा जा सकता है.
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वोटिंग करने के बाद अंगुली पर लगने वाली स्याही कर्नाटक के एक कारखाने में बनती है. करीब 1962 से इसकी सप्लाई हो रही है.
लोकसभा चुनाव (Loksabha Election) के लिए पहले चरण के मतदान शुक्रवार से शुरू हो गए हैं. देश के किसी भी चुनाव में वोटिंग के बाद अंगुली पर एक स्याही (Ink) लगाई जाती है. ये स्याही इसलिए लगाई जाती है, ताकि एक बार वोट कर चुका व्यक्ति दोबारा वोट न कर पाए. एक पहचान के तौर पर इस अमिट स्याही को लगाया जाता है. क्या आपको पता है ये स्याही आती कहां से है? इस पर कितने करोड़ों का खर्चा होता है? अगर नहीं तो चलिए आपको आज इस स्याही से जुड़ी कई जरूरी जानकारी देते हैं.
यहां से आती है स्याही
देश के किसी भी चुनाव में वोटिंग के बाद अंगुली पर लगने वाली स्याही 1937 में स्थापित मैसूर पेंट्स एंड वार्निश लिमिटेड (Mysore Paints and Varnish) बनाती है, ये कंपनी कर्नाटक सरकार की पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग (PSU) है. कंपनी का कारखाना मैसूर में है. ये देश की एक मात्र ऐसी कंपनी है, जिसके पास इस स्याही को बनाने का अधिकार है. 1962 के बाद से लेकर अब तक हुए देश के सभी चुनावों में इसी कारखाने से तैयार हुई स्याही का इस्तेमाल हुआ है. इसी स्याही का इस्तेमाल गांव के सरपंच से लेकर लोकसभा के चुनाव तक किया जाता है.
इतने करोड़ का है इसका बिजनेस
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पिछले लोकसभा चुनाव में करीब 384 करोड़ लागत की स्याही का उपयोग हुआ था. आगामी लोकसभा चुनाव के लिए कंपनी को चुनाव आयोग से 26.55 लाख शीशियों का अब तक का सबसे बड़ा ऑर्डर मिला है, जिसकी कीमत 55 करोड़ रुपये है. वहीं, वित्तीय वर्ष 2006-2007 में कंपनी ने 18 मिलियन का मुनाफा कमाया. भारत के 2004 के आम चुनाव के लिए कंपनी ने 40 मिलियन के ऑर्डर की आपूर्ति की. 2008 के कम्बोडियन आम चुनाव में स्याही की आपूर्ति करके 12.8 मिलियन कमाए.
एक शीशी की कीमत 174
अमिट स्याही निर्माण में एक प्रमुख घटक सिल्वर नाइट्रेट की कीमत में उतार-चढ़ाव के कारण, प्रत्येक शीशी की कीमत पिछले चुनाव में 160 से बढ़ाकर 174 कर दी गई है. इस अमिट स्याही की प्रत्येक 10 मिलीग्राम शीशी लगभग 700 मतदाताओं को चिह्नित कर सकती है. अमिट स्याही की आपूर्ति 5 मिली, 7.5 मिली, 20 मिली, 50 मिली और 80 मिली की मात्रा वाली शीशियों में की जाती है. करीब 300 मतदाताओं के लिए 5 एमएल की एक शीशी का उपयोग किया जा सकता है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार एमपीवीएल पारंपरिक कांच की शीशियों के विकल्प के रूप में मार्कर पेन विकसित करने की संभावना भी तलाश रहा है, यह उत्पाद अभी विकास चरण में है.
20 दिन तक रहता है स्याही का निशान
वोट देने के बाद मतदाता की अंगुली के नाखून पर मुख्य रूप से सिल्वर नाइट्रेट से बनी स्याही का उपयोग किया जाता है. जिसे मिटाना आसान नहीं होता है. सूरज की रोशनी के संपर्क में आने पर स्याही त्वचा और नाखूनों पर बैंगनी रंग का दाग लगा देती है. यह निशान अंगुली पर करीब 20 दिनों तक रहता है. यह मतदाता को दोबारा मताधिकार का प्रयोग करने से रोकता है और इस प्रकार धोखाधड़ी पर रोक लगाता है.
दुनियाभर के 30 देशों में देते हैं स्याही
एमपीवीएल के एमडी कुमारस्वामी ने बताया कि मलेशिया, कंबोडिया, दक्षिण अफ्रीका, मालदीव, तुर्की, अफगानिस्तान, नाइजीरिया, पापुआ न्यू गिनी, बुर्कीना फासो, बुरुंडी और टोगो समेत एशिया और अफ्रीका के करीब 30 देश हैं, जहां के आम चुनाव में मैसूर की ये स्याही उपलब्ध करवाई जा चुकी है.
डीमैट अकाउंट्स की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है, जो दर्शाता है कि बाजार में निवेश करने वालों की संख्या बढ़ रही है.
शेयर मार्केट में पैसा लगाने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है. तेजी से खुल रहे डीमैट अकाउंट्स इसका प्रमाण हैं कि स्टॉक मार्केट का आकर्षण लोगों को लगातार अपनी तरफ खींच रहा है. पिछले महीने तक देशभर में डीमैट अकाउंट्स की संख्या बढ़कर 15.138 करोड़ हो गई है. सेंट्रल डिपॉजिटरी सर्विसेज (CDSL) और नेशनल सिक्योरिटी डिपॉजिट लिमिटेडज (NSDL) के आंकड़े बताते हैं कि अकेले मार्च 2024 में ही 31.30 लाख नए डीमैट खाते खोले गए हैं. हालांकि, सबसे बड़ा सवाल यह है कि डीमैट अकाउंट्स की संख्या की तरह क्या बाजार से मुनाफा कमाने वालों की संख्या भी बढ़ रही है?
इसलिए बढ़ रहा आकर्षण
फाइनेंशियल ईयर 2022-23 के मुकाबले 2023-24 में डीमैट अकाउंट्स की संख्या में 32.25% की बढ़ोतरी हुई है. वित्त वर्ष 24 के आखिरी 4 महीने में सबसे ज्यादा तेजी से डीमैट खाते खुले हैं. दिसंबर से मार्च के बीच हर महीने औसतन 40 लाख अकाउंट्स ओपन हुए हैं. अकेले जनवरी में यह आंकड़ा 46 लाख नए अकाउंट का था. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि शेयर बाजार किस तरह लोगों को आकर्षित कर रहा है. दरअसल, हमारा शेयर बाजर दुनिया के तमाम बाजारों की तुलना में मजबूती से आगे बढ़ रहा है. हाल के महीनों में इसने कई बार ऑल टाइम हाई का रिकॉर्ड बनाया है. कई आईपीओ जबरदस्त हिट साबित हुए हैं, इन सबके चलते आम निवेशकों का भरोसा बाजार में बढ़ा है.
गंवाने वालों में Male आगे
अब यह भी जान लेते हैं कि शेयर मार्केट में पैसा लगाने वालों का सक्सेस रेट क्या है. पिछले साल की शुरुआत में बाजार नियामक सेबी (SEBI) की एक स्टडी सामने आई थी. इसमें बताया गया था कि शेयर बाजार के फ्यूचर एंड ऑप्शन (F&O) सेगमेंट यानी वायदा कारोबार में करीब 90% निवेशकों ने पैसा गंवाया है. इस ट्रेडिंग में पैसा तेजी से बनता है, लेकिन उसके डूबने की आशंका भी ज्यादा होती है. स्टडी में बताया गया था कि 10 में से 9 इक्विटी F&O ट्रेडर्स को नुकसान उठाना का पड़ा. घाटा उठाने वाले निवेशकों में से 88% पुरुष थे और 75% की उम्र 40 वर्ष से कम थी. इस आंकड़े देश की 10 टॉप ब्रोकरेज फर्म से डेटा जुटाया गया था.
89% को उठाना पड़ा नुकसान
SEBI के अध्ययन के मुताबिक, वित्त वर्ष 2022 के दौरान सभी इंडिविजुअल ट्रेडर्स में से 89% को घाटा हुआ एयर औसत घाटा 1.1 लाख रुपए था. जबकि एक्टिव ट्रेडर्स में यह आंकड़ा 90% रहा और औसतन घाटा 1.25 लाख रुपए. FY22 के दौरान 11% इंडिविजुअल ट्रेडर्स ने मुनाफा कमाया. उनका औसत लाभ 1.5 लाख रुपए था. वहीं, एक्टिव यूजर्स के मामले में यह आंकड़ा महज 10% रहा. इंडिविजुअल इन्वेस्टर्स में HUFs और NRI शामिल होते हैं और Proprietary Traders, Institutions और Partnerships Firms को इससे बाहर रखा जाता है. वहीं, एक्टिव ट्रेडर्स वो होते हैं, जिन्होंने एक वर्ष में इक्विटी F&O सेगमेंट में 5 बार से अधिक कारोबार किया है.
क्या होता है फ्यूचर्स एंड ऑप्शन?
फ्यूचर्स एंड ऑप्शन (F&O) एक तरह के फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट हैं, जो इन्वेस्टर्स निको स्टॉक, कमोडिटी, करेंसी में कम पैसा लगाकर बड़ी पोजीशन हासिल करने देते हैं. दूसरे शब्दों में कहें तो फ्यूचर्स और ऑप्शन, एक तरह के डेरिवेटिव कॉन्ट्रेक्ट होते हैं, जिनकी एक अवधि होती है. अब उन्हें अलग-अलग करके आसान भाषा में सबझते हैं. फ्यूचर ट्रेडिंग के तहत आप भविष्य की किसी कीमत पर ट्रेडिंग कर सकते हैं. यानी आपके पास आज ही भविष्य की कीमत पर शेयर खरीदने की डील करने का मौका होता है. इसके बाद तय तारीख पर आपको संबंधित शेयर उसी कीमत पर मिलता है, जिस पर आपने उसे खरीदने की डील की होती है. फ्यूचर ट्रेडिंग में निवेशक को पूरा लॉट खरीदना होता है और एक लॉट की कीमत लाखों में हो सकती है. हालांकि, शुरुआत में आपको शेयर के पूरे दाम नहीं देने होते हैं. उदाहरण के तौर पर आप 1 लाख रुपए में 2-3 लाख के शेयर खरीद सकते हैं. वहीं, ऑप्शन ट्रेडिंग को फ्यूचर ट्रेडिंग का बदला स्वरूप कह सकते हैं. जैसा कि नाम से ही स्पष्ट हो रहा है इसमें आपको विकल्प मिलता है. आप डील छोड़ भी सकते हैं. इस ट्रेडिंग में लॉट खरीदने की जरूरत नहीं होती. आप अपनी क्षमता के हिसाब से ऑप्शन खरीद सकते हैं.
ये पूरे आंकड़े बता रहे हैं कि चार दिनों में लोगों ने जो खर्च किया है वो दैनिक खर्च से कई गुना ज्यादा है. यही नहीं निवेश और बचत में भी खर्च का इजाफा बढ़ा है.
भारत की नामी पेमेंट कंपनी रेजरपे की ओर से 1 अप्रैल 2023 से लेकर 31 मार्च 2024 तक भारतीयों की ओर से खर्च किए गए ब्यौरे की जानकारी को साझा किया गया है. आप जानते हैं कि पिछले साल में पांच मौके ऐसे आए हैं जब भारतीयों ने सबसे ज्यादा खर्च किया है. आज हम आपको पिछले साल के उन्हीं पांच मौकों के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं जिनमें भारतीयों ने सबसे ज्यादा खर्च किया है.
1 अप्रैल को जमकर हुई खरीददारी
रोजरपे के करोड़ों यूजर हैं जो उसकी पेमेंट सेवाओं का इस्तेमाल करते हैं. कंपनी ने उसी डेटा का एनालिसिस करके ये जानकारी साझा की है, जिसमें बताया गया है कि उन पांच मौकों में एक मौका एक अप्रैल का है जब सबसे ज्यादा लोगों ने अपने बच्चों की किताबों की शॉपिंग की है. कंपनी के पेमेंट सिस्टम पर एक साल में 1 अरब से ज्यादा पेमेंट का लेन देन हुआ है. कंपनी ने ये भी बताया है कि इसमें 3 प्रतिशत का इजाफा देखने को मिला है.
धनतेरस और न्यू ईयर पर हुई जबरदस्त खरीददारी
रेजरपे की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, 2023 में धनतेरस 10 नवंबर को था. क्योंकि इस दिन हिंदुओं में कुछ खरीदना शुभ माना जाता है जिसमें लोग अक्सर सोना या ज्वैलरी से लेकर कई अन्य तरह के सामान खरीदते हैं. इसलिए उस दिन जबरदस्त खरीददारी देखने को मिली है. रेजरपे के आंकड़े बता रहे हैं कि उस दिन दैनिक औसत से इसमें 9 गुना ज्यादा का इजाफा देखने को मिला है. इसी तरह से 31 दिसंबर 2023 को जब देश दुनिया में न्यू ईयर ईव मनायी जाती है उस दिन दोगुने ऑनलाइन फूड ऑर्डर किए गए थे. रेजरपे के आंकड़े ये भी बता रहे हैं कि 31 दिसंबर को ऑनलाइन फूड डिलीवरी में सामान्य दिनों से 60 प्रतिशत ज्यादा का इजाफा देखने को मिला है.
भारत आस्ट्रेलिया का मैच भी रहा सुपरहिट
पिछले साल भारत में वर्ल्ड कप के मुकाबले खेले गए थे. ऐसे में भारत आस्ट्रेलिया का मैच 19 नवंबर को खेला गया. 19 नवंबर को लाखों लोगों ने घर पर मैच देखा. लोगों के घर पर रहने के कारण कैब भुगतान दोपहर 2 बजे से लेकर 10 बजे के बीच 28 प्रतिशत तक कम हो गया. आंकड़े कुछ और भी जानकारी दे रहे हैं जिसमें म्यूचुअल फंड निवेश में 86 फीसदी को इजाफा देखने को मिला है. यही नहीं पिछले साल ट्रेडिंग में भी 62 प्रतिशत का इजाफा देखने को मिला है. यही नहीं इंश्योरेंस प्रीमियम का भुगतान 56 प्रतिशत तक बढ़ा है.
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एशिया के सबसे अमीर कारोबारी मुकेश अंबानी आज अपना जन्मदिन सेलिब्रेट कर रहे हैं.
रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी आज यानी 19 अप्रैल को अपना जन्मदिन सेलिब्रेट कर रहे हैं. 67 साल के अंबानी एशिया के सबसे अमीर कारोबारी हैं और दुनिया के दौलतमंदों की लिस्ट में उनका नंबर 11वां है. अंबानी की सफलता सभी को प्रभावित करती है. पिता धीरूभाई अंबानी के जुलाई 2002 में निधन के बाद रिलायंस के साम्राज्य को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी मुकेश अंबानी के कंधों पर आ गई थी, जिसे उन्होंने बखूबी संभाला. छोटे भाई अनिल अंबानी से प्रॉपर्टी विवाद सुलझने के बाद उन्होंने न केवल रिलायंस इंडस्ट्रीज को एक अलग पहचान दिखाई बल्कि नए-नए सेक्टर्स में भी कदम रखा.
जिम्मेदारी की समझ और सम्मान
मुकेश अंबानी के अब तक के सफ़र से हम बहुत कुछ सीख सकते हैं. इसमें सबसे पहले है जिम्मेदारी को समझना और सम्मान. बताया जाता है कि अंबानी स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कर रहे थे, लेकिन पिता के कहने पर वह पढ़ाई बीच में छोड़कर कारोबार संभालने के लिए वापस लौट आए. मुकेश 1981 में रिलायंस से जुड़े थे. धीरूभाई अंबानी ने बड़े बेटे मुकेश को उनकी जिम्मेदारियों का अहसास दिलाया और वह पूरे मन से पिता की बातों का सम्मान करते हुए उन्हें पूरा करने में जुट गए.
अनुशासन और काम के प्रति जुनून
जीवन में अनुशासन बेहद जरूरी है और मुकेश अंबानी की सफलता में इसका बड़ा योगदान रहा है. अंबानी एक बेहद अनुशासित लाइफ जीते हैं. उनके ऑफिस जाना, परिवार के साथ समय बिताना, सबका टाइम निर्धारित है. इस उम्र में भी वह अपने काम के प्रति जुनूनी हैं. अंबानी आज इस पोजीशन पर हैं कि उन्हें कोई भी काम खुद करने की जरूरत नहीं है. वह घर बैठे-बैठे फोन पर भी सबकुछ मैनेज कर सकते हैं, लेकिन इसके बावजूद वह अपना काम खुद करते हैं.
लक्ष्य का ज्ञान और लगातार प्रयास
कामयाबी के लिए लक्ष्य का पता होना बेहद ज़रूरी होता है. मुकेश अंबानी को शुरू से ही पता था कि उन्हें क्या करना है. संपत्ति के बंटवारे के बाद उन्होंने एक लक्ष्य निर्धारित किया और उसकी प्राप्ति के लिए जी-जान से जुट गए. अंबानी ने कभी शॉर्टकट में विश्वास नहीं रखा, वह चुटकियों में कामयाबी की तलाश में नहीं रहे. वह अपने लक्ष्य पर केन्द्रित रहे और धीरे-धीरे उसकी तरफ आगे बढ़ते गए. आज उनके पास अरबों का साम्राज्य है.
पॉजिटिविटी और खुद पर फोकस
अंबानी की सक्सेस की एक बड़ी वजह है पॉजिटिविटी. वह हमेशा पॉजिटिव सोच के साथ आगे बढ़ते हैं. भाई से प्रॉपर्टी विवाद के समय भी उन्होंने पॉजिटिविटी का दामन नहीं छोड़ा था. मुकेश अंबानी की सक्सेस हमें यह भी सिखाती है कि दूसरों को कॉपी करने की गलती न करें. रिलायंस के बंटवारे के समय दोनों भाई लगभग एक जैसी ही स्थिति में थे, लेकिन अनिल अंबानी दूसरों की देखादेखी बिना कुछ सोचे-विचारे ऐसे सेक्टर्स में भी उतर गए जहां उन्हें तगड़ा नुकसान उठाना पड़ा. इसके उलट मुकेश अंबानी अपनी सोच और रणनीति के तहत आगे बढ़े.
दौलत का पहाड़ फिर भी साथ है सादगी
मुकेश अंबानी के पास दौलत का पहाड़ है, लेकिन वह सादगी पसंद इंसान हैं. अपने बेटे अनंत अंबानी के प्री-वेडिंग फंक्शन में जिस तरह उन्होंने लोगों को खाना परोसा, वह दर्शाता है कि कामयाबी के शिखर पर पहुंचने के बाद भी उनमें घमंड नहीं है. अपने अच्छे दिनों में अनिल अंबानी मीडिया में छाए रहते थे, जबकि मुकेश अंबानी तब भी लाइमलाइट से दूर रहते थे और अब भी उन्हें ऐसा कोई शौक नहीं है.
बंटवारे में मिली थीं ये कंपनियां
मुकेश और अनिल अंबानी का झगड़ा नवंबर 2004 में पहली बार सामने आया था. भाइयों के इस विवाद से उनकी मां कोकिलाबेन इतनी परेशान हो गई थीं कि उन्होंने बिजनेस का बंटवारा कर दिया. मुकेश अंबानी के हिस्से में रिलायंस इंडस्ट्रीज, इंडियन पेट्रोल कैमिकल्स कॉर्प लिमिटेड, रिलायंस पेट्रोलियम, रिलायंस इंडस्ट्रियल इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड जैसी कंपनियां आईं. जबकि छोटे भाई अनिल को आरकॉम, रिलायंस कैपिटल, रिलायंस एनर्जी, रिलायंस नेचुरल रिसोर्सेज जैसी कंपनियां मिलीं. मुकेश अंबानी लगातार अपना कारोबार बढ़ा रहे हैं, लेकिन अनिल का कारोबार डूब गया है.
इसलिए सबसे खास है रिलायंस
रिलायंस इंडस्ट्रीज का मार्केट कैप आज 19.62 लाख करोड़ रुपए का है. कंपनी के पास जामनगर में एशिया का सबसे बड़ा मैंगो प्लांटेशन है. रिलायंस स्पोर्ट्स से भी जुड़ी हुई है. 2008 में रिलायंस ने आईपीएल की टीम मुंबई इंडियंस को खरीदा था. साथ ही कंपनी ने फुटबॉल की इंडियन सुपर लीग शुरू की थी और वो एक टेनिस इवेंट भी ऑर्गेनाइज करती है. रिलायंस मीडिया सेक्टर में भी मौजूदगी रहती है. इसके अलावा, रिलायंस के पास गुजरात के जामनगर में दुनिया की सबसे बड़ी पेट्रोलियम रिफाइनरी है. पिछले कुछ वक्त में रिलायंस ने कई विदेशी कंपनियों से हाथ मिलाया है. अंबानी का पूरा फोकस इस समय अपने कारोबार का विस्तार करना और बच्चों को विरासत सौंपने पर है.
कंपनी के प्रोडक्ट को लेकर गंभीर आरोप ये लगा है कि वो विकसित देशों में बिना शुगर का प्रोडक्ट बेच रही है जबकि भारत सहित कई देशों में चीनी मिला हुआ प्रोडक्ट बेच रही है.
भारत में बीते कई दशकों से अपने प्रोडक्ट बेचने वाली नेस्ले(Nestle) इंडिया ने बेबी फूड में शुगर के आरोपों को लेकर सफाई दी है. कंपनी ने अपनी सफाई में कहा है कि वो मौजूदा समय में सभी नियमों का पालन कर रही है और उसने पिछले पांच सालों में शुगर की मात्रा में 30 प्रतिशत तक कमी है. कंपनी पर आरोप है कि वो भारत जैसे देशों में चीनी वाले बेबी फूड और दूध बेच रही है जबकि विकसित देशों अमेरिका और जर्मनी में वही प्रोडक्ट बिना चीनी वाले बेच रही है.
क्या कहा है Nestle India ने?
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी की ओर से इस मामले में जारी किए गए बयान में कहा गया है कि अतिरिक्त शुगर को कम करना कंपनी के लिए एक बड़ी प्राथमिकता है. कंपनी ने पिछले पांच सालों में अपने प्रोडक्ट में अतिरिक्त शुगर में 30 प्रतिशत तक की कमी कर दी है. कंपनी की ओर से ये भी कहा गया है कि वो अपने पोर्टफोलिया को उत्पादों को बेहतर बनाने के लिए काम करते रहते हैं. कंपनी ने कहा है कि वो पोषण, गुणवत्ता, सुरक्षा और स्वाद से समझौता किए बिना अतिरिक्त शर्करा के स्तर को कम करती रहती है. कंपनी की ओर से ये भी कहा गया है कि वो Codex के नियमों का पालन कर रही है. कंपनी की ओर से ये भी कहा गया है कि वो हमेशा से नियमों का पालन करती रही है और पूरी जवाबदेही के साथ काम करती है. कंपनी WHO और FAO के द्वारा बनाए गए नियमों का सख्ती से पालन करती है.
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स्विस एनजीओ की ओर से लगाए गए थे आरोप
Nestle India(नेस्ले इंडिया) के बेबी फूड और दूध को लेकर स्विस एनजीओ पब्लिक आई इंटरनेशनल बेबी फूड एक्शन नेटवर्क (IBFAN) ने कहा था कि कई देशों में बेचे जा रहे उसके बेबी फूड में अंतराष्ट्रीय नियमों के विपरीत ज्यादा शुगर का इस्तेमाल किया जा रहा है. एनजीओ की ओर से जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार, 150 से ज्यादा बेबी फूड को लेकर जांच की गई है.
पोषण से भरपूर हैं हमारे प्रोडक्ट
कंपनी की ओर से कहा गया है कि हमारे बेबी फूड उत्पाद, बच्चों के बचपन के लिए कई तरह के विटामिन देने का काम करते हैं. इनमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन, खनिज, और आयरन जैसे पोषण मौजूद होते हैं. कंपनी की ओर से ये भी कहा गया है कि हम अपने उत्पादों की पोषण गुणवत्ता से कभी समझौता नहीं करते हैं और न ही करेंगे. कंपनी ने रिपोर्ट प्रकाशित होने के बाद अपनी पहली प्रतिक्रिया में कहा, ‘हम अपने उत्पादों की पोषण संबंधी प्रोफाइल को बढ़ाने के लिए अपने व्यापक वैश्विक अनुसंधान और विकास नेटवर्क का लगातार लाभ उठाते हैं.
RBI ने 5 सहकारी बैंकों के खिलाफ एक्शन लिया है. नियमों का पालन नहीं करने के लिए इनके खिलाफ कार्रवाई हुई है. एक्शन के तहत केंद्रीय बैंक ने इन बैंकों पर जुर्माना लगाया है.
RBI ने हाल ही में कुछ बैंकों पर जुर्माना लगाया है. अगर आपका खाता किसी बैंक में चल रहा है, और आपकी मेहनत की कमाई उस अकाउंट में पड़ी है, तो ये खबर काम की है. भारतीय रिजर्व बैंक ने देश के कुछ सहकारी बैंकों पर एक्शन लिया है. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अलग-अलग रेगुलेटरी नॉर्म के उल्लंघन के लिए पांच सहकारी बैंकों पर कुल 60.3 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है.
इन 5 बैंके पर लगा जुर्माना
• सबसे ज्यादा जुर्माना राजकोट नागरिक सहकारी बैंक लिमिटेड पर लगाया गया है. पेनल्टी की राशि है 43.30 लाख रुपए है.
• द कांगड़ा को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड नई दिल्ली पर 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है
• नियमों का उल्लंघन करने पर राजधानी नगर सहकारी बैंक लिमिटेड लखनऊ पर भी 5 लाख की पेनल्टी लगाई गई है.
• जिला सहकारी बैंक लिमिटेड देहरादून उत्तराखंड पर केंद्रीय बैंक ने 2 लाख रुपये का मौद्रिक जुर्माना लगाया गया है.
• जिला सहकारी बैंक लिमिटेड गढ़वाल कोटद्वार उत्तराखंड पर 5 लाख रुपये की पेनल्टी ठोकी गई है.
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RBI ने क्यों लगाया जुर्माना?
भारतीय रिजर्व बैंक ने सहकारी बैंक पर जुर्माना लगाने की जानकारी देते हुए बताया कि इन बैंक पर पेनल्टी अलग-अलग रेगुलेटरी नियमों का पालन न करने के लिए लगाई गई है. इसके साथ ही इन पेनल्टी का उद्देश्य बैंकों द्वारा अपने संबंधित ग्राहकों के साथ किए गए एग्रीमेंट या किसी भी लेनदेन की वैधता को प्रभावित करना नहीं है.
पहले भी कई बैंकों पर लग चुका है जुर्माना
इससे पहले रिजर्व बैंक ने इसी महीने नियमों के उल्लंघन के लिए IDFC फर्स्ट बैंक पर 1 करोड़ रुपये और LIC हाउसिंग फाइनेंस पर 49.70 लाख रुपये का जुर्माना लगा चुका है. LIC हाउसिंग फाइनेंस पर जुर्माना गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी हाउसिंग फाइनेंस कंपनी (भारतीय रिजर्व बैंक) दिशानिर्देश, 2021 के कुछ प्रावधानों का अनुपालन नहीं करने के लिए लगाया गया था. इसके अलावा आरबीआई ने चार NBFC कुंडल्स मोटर फाइनेंस, नित्या फाइनेंस, भाटिया हायर परचेज और जीवनज्योति डिपॉजिट्स एंड एडवांसेज के पंजीकरण प्रमाणपत्र (सीओआर) को रद्द कर कर चुका है. ये कंपनियां अब एनबीएफसी का कारोबार नहीं कर सकती हैं.
कुल सात चरणों में होने वाले लोकसभा चुनाव के पहले चरण में आज 21 राज्यों की 102 लोकसभा सीटों पर वोटिंग होगी.
देश के पर्व यानी लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) के लिए पहले चरण की वोटिंग आज हो रही है. इससे ठीक पहले सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने उस मुद्दे पर सुनवाई की, जो लगभग हर चुनाव में गर्माया रहता है. कोर्ट ने करीब 5 घंटे तक सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. दरअसल, इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) के वोटों और वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) पर्चियों की 100 प्रतिशत क्रॉस-चेकिंग की मांग को लेकर अदालत में याचिका दायर की गईं हैं. इसी पर जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने कल करीब 5 घंटे तक सुनवाई की.
ज्यादा वोट का आरोप
क्रॉस-चेकिंग की मांग करने वाले याचिकाकर्ताओं की तरफ से सीनियर एडवोकेट प्रशांत भूषण, गोपाल शंकरनारायण और संजय हेगड़े ने पैरवी की. प्रशांत भूषण एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की तरफ से पेश हुए. जबकि, चुनाव आयोग की ओर से एडवोकेट मनिंदर सिंह और केंद्र सरकार की की तरफ सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता कोर्ट में मौजूद रहे. एडवोकेट भूषण ने एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि केरल में मॉक पोलिंग के दौरान भाजपा को ज्यादा वोट का हवाला दिया. चुनाव आयोग के वकील मनिंदर सिंह से इसे झूठी और बेबुनियाद खबर बताया.
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आयोग ने दिया ये हवाला
अदालत ने चुनाव आयोग से पूछा कि क्या वोटिंग के बाद मतदाताओं को VVPAT से निकली पर्ची नहीं दी जा सकती? इस पर आयोग ने कहा कि ऐसे करने में बहुत बड़ा जोखिम है. इससे मतदान की गोपनीयता से समझौता होगा और बूथ के बाहर इसका दुरुपयोग भी किया जा सकता है. इस दौरान, सुप्रीम कोर्ट ने स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए आयोग द्वारा अपनाए गए कदमों के बारे में भी जानकारी हासिल की. इसके बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया.
लगातार उठती रही है मांग
बता दें कि EVM पर विपक्षी दल लगातार सवाल उठाते रहे हैं. 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले करीब 21 विपक्षी दलों के नेताओं ने भी सभी EVM में से कम से कम 50 प्रतिशत VVPAT मशीनों की पर्चियों से वोटों के मिलान की मांग की थी. मई 2019 में भी सभी EVM और VVPAT पर्चियों के मिलान की मांग वाली याचिका लगाई थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था. इसके अलावा एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने भी जुलाई 2023 में वोटों के मिलान की याचिका लगाई थी, जिसे भी कोर्ट ने खारिज कर दिया था. अब ऐसी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई हुई है.
शेयर बाजार पिछले 4 सत्रों से लगातार गिरावट के साथ बंद हो रहा है. कल भी इसमें अच्छी-खासी गिरावट देखने को मिली.
लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) के लिए आज यानी 19 अप्रैल को पहले चरण के लिए वोट डाले जाएंगे. कुल सात चरणों में होने वाले इस चुनाव के पहले चरण में 21 राज्यों की 102 लोकसभा सीटों के लिए 16 करोड़ 63 लाख वोटर अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे. चुनाव और शेयर बाजार (Stock Market) का एक अपरिभाषित रिश्ता रहा है. लिहाजा, आज होने वाली वोटिंग का कुछ न कुछ असर बाजार पर जरूर पड़ेगा. वैसे, कल मार्केट में उतार-चढ़ाव देखने को मिला और अंत में बाजार लाल निशान पर बंद हुआ. कमजोर वैश्विक संकेतों और विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) के लगातार बिकवाल बनने से बाजार बढ़त गंवा बैठा. इस तरह लगातार चौथे कारोबारी सत्र में मार्केट में गिरावट देखी गई. इस दौरान, बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) सेंसेक्स 454.69 अंक फिसलकर 72488.99 और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का निफ्टी भी 152.05 अंक टूटकर 21995.85 पर पहुंच गया. एक्सपर्ट्स का मानना है कि आज भी बाजार में उतार-चढ़ाव बना रहेगा.
MACD ने दिए ये संकेत
मोमेंटम इंडिकेटर मूविंग एवरेज कन्वर्जेंस डिवर्जेंस (MACD) के संकेतों की बात करें, तो आज Ingersoll-Rand, Poly Medicure और Sterling Wilson Solar में तेजी देखने को मिल सकती है. MACD के इस संकेत का मतलब है कि इन शेयरों में आज मुनाफा कमाने की गुंजाइश बनी रहेगी. हालांकि, BW हिंदी आपको सलाह देता है कि शेयर बाजार में निवेश से पहले किसी सर्टिफाइड एक्सपर्ट से परामर्श जरूर कर लें, अन्यथा आपको नुकसान भी उठाना पड़ सकता है. इसी तरह, MACD ने Prestige Estate, Graphite India, Mphasis, Gland Pharma, LTIMondtree और Jupiter Wagons के शेयरों में मंदी का रुख दर्शाया है.
इन पर भी बनाए रखें नजर
अब जानते हैं कि वो कौनसे शेयर हैं जिनमें मजबूत खरीदारी देखने को मिल रही है. इस लिस्ट में Jio Financial Services के साथ-साथ Mankind Pharma, Just Dial, 360 One Wam, ABB Power, KSB और Quess Corp शामिल हैं. इसके अलावा, बजाज ऑटो, Infosys के शेयर भी आज ट्रेंड में रह सकते हैं. दोनों कंपनियों ने कल यानी गुरुवार को चौथी तिमाही के नतीजे जारी किए हैं. आईटी कंपनी Infosys ने तिमाही नतीजों का ऐलान कर दिया है. देश की बड़ी ऑटो कंपनी बजाज ऑटो का वित्त वर्ष 2024 की चौथी तिमाही में प्रॉफिट साल-दर-साल बढ़कर 1,936 करोड़ रुपए पहुंच गया है, जो एक साल पहले की इसी तिमाही में 1,433 करोड़ था. उधर, इंफोसिस ने 20 रुपए प्रति शेयर के फाइनल डिविडेंड और 8 रुपए प्रति शेयर के स्पेशल डिविडेंड का ऐलान भी किया है.
(डिस्क्लेमर: शेयर बाजार में निवेश जोखिम के अधीन है. 'BW हिंदी' इसकी कोई जिम्मेदारी नहीं लेता. सोच-समझकर, अपने विवेक के आधार पर और किसी सर्टिफाइड एक्सपर्ट से सलाह के बाद ही निवेश करें, अन्यथा आपको नुकसान उठाना पड़ सकता है).