अगर ये डील हो जाती है तो दोनों के वेंचर से बनने वाली कंपनी देश की सबसे बड़ी मनोरंजन कंपनी होगी जिसके पास 100 से ज्यादा चैनल और 2 ओटीटी प्लेटफॉर्म होंगे.
मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज ने अपनी कंपनी Viacom 18 और स्टार इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के मर्जर को लेकर सीसीआई(भारत के प्रतिस्पर्धा आयोग) से अप्रूवल मांगा है. इस डील का मकसद मनोरंजन की दुनिया में काम कर रही कई कंपनियों को साथ लाने की है. स्टार इंडिया प्राइवेट लिमिटेड का मालिकाना हक वॉल्ट डिज्नी के पास है. इस डील की कीमत 8.5 बिलियन डॉलर है. इसे भारत की मनोरंजन दुनिया के लिए बेहद अहम माना जा रहा है.
CCI को दिया गया मर्जर का आवेदन
सीसीआई को इस संबंध में दिया गया आवेदन कहता है कि मौजूदा समय में स्टार इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, टीडब्ल्यूडीसी (द वॉल्ट डिज्नी कंपनी) की पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी है वो इस डील के बाद रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड, वॉयाकाम 18 और टीडब्ल्यूडीसी की ज्वॉइंट वेंचर कंपनी बन जाएगी. रिलायंस की ओर से ये भी कहा गया है कि इस डील से देश में किसी भी इंडस्ट्री के लिए प्रतिस्पर्धाओं के अवसर को कोई नुकसान नहीं होगा. हालांकि कंपनी ने सीसीआई के असेसमेंट को सुविधाजनक बनाते हुए कई क्षेत्रों की जानकारी दी है जहां हॉरिजोंटल ओवरलैप मौजूद हैं. इनमें ऑडियो लाइसेंसिंग, विजुअल कंटेट राइट, ब्रॉडकास्ट टीवी चैनल का डिस्ट्रीब्यूसन, ऑडियो विजुअल कंटेट का प्रावधान और एडवरटाइजिंग स्पेस की भारत में सप्लाई जैसे विषय शामिल हैं.
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किन किन क्षेत्रों में काम करती हैं दोनों कंपनियां
रिलायंस इंडस्ट्रीज की वायाकॉम 18 और स्टार इंडिया प्राइवेट लिमिटेड कई क्षेत्रों में काम करते हैं. इनमें वॉयाकाम 18 टेलीविजन ब्रॉडकास्टिंग ऑफ चैनल, ओटीटी प्लेटफॉर्म का ऑपरेशन और प्रोडक्शन ऑफ मोसन पिक्चर में शामिल है. वहीं स्टार इंडिया प्राइवेट लिमिटेड भी कई तरह की मीडिया एक्टिविटी में शामिल है. इसमें टीवी ब्रॉडकास्टिंग, मोसन पिक्चर और ओटीटी प्लेटफॉर्म का ऑपरेशन का संचालन करती है. स्टार इंडिया प्राइवेट लिमिटेड अमेरिका की वॉल्ट डिज्नी कंपनी द्वारा पूर्ण रूप से मालिकाना हक वाली कंपनी है.
इस साल फरवरी में हुई है दोनो कंपनियों की डील
दोनों कंपनियों की डील इस साल फरवरी में हुई है. दोनों कंपनियों ने अपने इंडिया ऑपरेशन को मर्ज करने के लिए डील साइन की है, ये डील 700000 हजार करोड़ रुपये या 8.5 बिलियन डॉलर की है. अगर ये डील पूरी तरह से सफल हो जाती है तो ये पूरे भारत में मनोरंजन की दुनिया में सबसे बड़ी फर्म बन जाएगी जिसके पास कई भाषाओं में 100 चैनल, दो लीडिंग ओटीटी चैनल, होंगे जिसका व्यूवर बेस 750 मिलियन होगा. इस पूरे ज्वॉइंट वेंचर को नीता अंबानी हेड करेंगी. जबकि उदय शंकर इसके वाइस चेयरमैन होंगे. इस डील के बाद रिलायंस के पास 63.16 प्रतिशत हिस्सेदारी होगी जबकि स्टार इंडिया के पास 36.84 प्रतिशत हिस्सेदारी होगी.
राजनाथ सिंह के डिफेंस एक्सपोर्ट बढ़ाने की खबर के साथ ही डिफेंस सेक्टर से जुड़ी कंपनियों के शेयरों में तेजी आई है.
मोदी 3.0 में जिन सेक्टर्स पर सरकार का सबसे ज्यादा जोर रहेगा उनमें डिफेंस भी शामिल है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का कहना है कि सरकार डिफेंस एक्सपोर्ट को लेकर काफी गंभीर है. उन्होंने बताया कि सरकार अगले पांच सालों में डिफेंस एक्सपोर्ट को बढ़ाकर 50000 करोड़ रुपए तक करने का लक्ष्य लेकर चल रही है. सरकार की इस तैयारी से डिफेंस सेक्टर के लगभग सभी शेयरों में उछाल देखने को मिल रहा है.
इन कंपनियों के शेयर चढ़े
इस सप्ताह के आखिरी कारोबारी दिन यानी शुक्रवार को डिफेंस सेक्टर्स से कंपनियों के शेयरों में ज़बरदस्त तेजी देखने को मिली. इस दौरान, पारस डिफेंस एंड स्पेस टेक्नोलॉजीज लिमिटेड के शेयर सबसे ज्यादा 20 प्रतिशत तक चढ़ गए. PTC Industries, BEML, Bharat Electronics, MTAR Technologies, Bharat Dynamics, ideaForge Technology, Zen Technologies, Astra Microwave Products और Hindustan Aeronautics में भी तेजी देखने को मिली. पारस डिफेंस के शेयर 1,156.90 रुपए पर बंद हुए, जो इसका 52 हफ्तों का उच्च स्तर भी है.
PTC का रिकॉर्ड शानदार
रिटर्न की बात करें, तो पीटीसी का रिकॉर्ड अब तक शानदार रहा है. बीते एक साल में यह शेयर अपने निवेशकों को 294.65% का रिटर्न दे चुका है. जबकि इस साल अब तक इसमें 123.46% की तेजी आई है. वहीं, पारस ने एक साल में 109.19 फीसदी का रिटर्न दिया है. जबकि पिछले सिर्फ 1 महीने में यह आंकड़ा 60 प्रतिशत से अधिक निकल गया है. इस शेयर में पैसा लगाने वालों का पैसा बीते 5 दिनों में 27% तक बढ़ गया है. बता दें कि भारत 85 देशों को डिफेंस इक्विपमेंट भेजता है. अब मोदी सरकार डिफेंस एक्सपोर्ट को बढ़ाकर 50000 करोड़ करना चाहती है.
पारस डिफेंस की स्थिति मजबूत
पारस डिफेंस मुख्य रूप से डिफेंस और स्पेस इंजीनियरिंग प्रोडक्ट्स और सॉल्यूशंस प्रदान कराती है. डिजाइन, डेवलपमेंट, मैन्युफैक्चरिंग और टेस्टिंग में लगी इस कंपनी के प्रमोटरों के पास मार्च 2024 तक कंपनी में 58.94 प्रतिशत हिस्सेदारी थी. इस कंपनी प्रमुख ग्राहकों में DRDO, ISRO, डिफेंस शिपयार्ड, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स, लार्सन एंड टुब्रो और टाटा ग्रुप शामिल हैं. पारस डिफेंस ने पिछले कुछ सालों में कई नए क्षेत्रों में प्रवेश करके सात नई सहायक कंपनियों की स्थापना की है. कंपनी फिलहाल ड्रोन, मानव रहित हवाई वाहनों (यूएवी) और ड्रोन रोधी प्रणालियों पर फोकस कर रही है.
HAL पर बुलिश ब्रोकरेज
इसी तरह, पब्लिक सेक्टर की डिफेंस कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स (HAL) के शेयरों पर ब्रोकरेज फर्म बुलिश नजर आ रही हैं. डिफेंस और एयरोस्पेस सेक्टर की इस कंपनी के शेयर कल 1.73% की तेजी के साथ 5,188 रुपए पर बंद हुए. इससे कंपनी का मार्केट कैप बढ़कर 3.47 लाख करोड़ रुपए हो गया है. एक रिपोर्ट के अनुसार, ब्रोकरेज फर्म जेफरीज ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स के शेयरों में तेजी की उम्मीद जताते हुए इसे Buy रेटिंग दी है. फर्म ने इसका टार्गेट प्राइज 5725 रुपए रखा है. इस हिसाब से देखें तो HAL के शेयरों में लगभग 10% की रैली आ सकती है. बता दें कि 31 मार्च 2024 को समाप्त तिमाही में HAL का नेट प्रॉफिट 52% बढ़कर 4309 करोड़ रुपए रहा. कंपनी ने तिमाही के दौरान 17600 करोड़ रुपए के ऑर्डर भी प्राप्त किए, जो एक साल पहले की तुलना में 135% अधिक है.
एनपीपीएन ने हाल ही में हुई 124 वीं बैठक में ये फैसला लिया गया था. एनपीपीए आम लोगों के द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं के दामों का निर्धारण करती है.
महंगाई के इस दौर में जहां आरबीआई लगातार उसे कम करने की कोशिश कर रहा है वहीं दूसरी ओर सरकार की ओर दवओं को लेकर अच्छी खबर सामने आई है. आज से 54 दवाओं के दाम कम हो गए हैं. नेशनल फॉर्मास्यूटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी की हालिया बैठक में जिन 54 दवाओं के दामों को कम करने का निर्णय लिया गया था वो आज से लागू हो गया है. इनमें 8 विशेष दवाएं भी शामिल हैं.
किन बीमारियों की दवाएं हुई हैं सस्ती
एनपीपीएन ने हाल ही में हुई 124 वीं बैठक में ये फैसला लिया गया था. एनपीपीए आम लोगों के द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं के दामों का निर्धारण करती है.एनपीपीए की इस बैठक में 54 दवा फॉर्मूलेशन और 8 विशेष दवाओं के दाम को कम करने का फैसला लिया गया था. जिन दवाओं के दामों में कमी हुई है उनमें हार्ट, एंटीबॉयोटिक, मल्टी विटामिन, और डायबिटिज जैसी दवाएं शामिल हैं जिनके दामों में कमी हुई है. इससे पहले हुई बैठक में भी कुछ दवाओं को सस्ती करने का निर्णय किया गया था जिनमें लीवर, गैस, एसिडिटी की दवाएं, पेन किलर और एलर्जी की दवाएं शामिल हैं.
इतने करोड़ लोगों को हुआ इससे फायदा
एनपीपीए की बोर्ड बैठक में लिए गए इस फैसले से करोड़ों लोगों को फायदा होगा. अगर देखा जाए तो अकेले डायबिटिज के ही 10 करोड़ मरीज हैं, इसी तरह से दूसरी बीमारियों के मरीजों की संख्या भी बड़ी है. वहीं अगर दूसरी बीमारी के मरीजों की संख्या पर नजर डालें तो उनकी संख्या भी लाखों करोड़ों में हैं. एनपीपीए के इस फैसले से उन्हें भी फायदा होने की उम्मीद है.
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Tata Power उच्च क्षमता वाले फास्ट चार्जिंग पॉइंट्स के साथ अपने राष्ट्रव्यापी ई-बस चार्जिंग नेटवर्क को मजबूत किया है. साथ ही 30 राज्य सरकारों के परिवहन निगमों को अरपनी सेवाएं प्रदान कर रहा है.
भारत की सबसे बड़ी एकीकृत बिजली कंपनियों में से एक और इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग सेवाओं के प्रदाता टाटा पावर (Tata Power) ने प्रमुख महानगरीय क्षेत्रों में 850 से अधिक चार्जिंग पॉइंट तैनात करके ई-मोबिलिटी की दिशा में देश के परिवर्तन का नेतृत्व करना जारी रखा है. इसके अलावा दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद, बेंगलुरु, जम्मू, श्रीनगर, धारवाड़, लखनऊ और गोवा जैसे बड़े शहरों में 30 से अधिक बस डिपो में चार्जिंग पॉइंट्स स्थापित किए गए हैं.
देशभर में 2300 से अधिक पब्लिक ई बसों का संचालन
टाटा पावर ने देश भर में 2,300 से अधिक पब्लिक ई-बसों का संचालन किया है. यह विशाल चार्जिंग नेटवर्क 1 लाख टन से अधिक टेलपाइप कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) उत्सर्जन को रोक रहा है. टाटा पावर ने देश भर में विभिन्न बस डिपो का डिजाइन और निर्माण किया है. टाटा पावर के चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर में 180 से 240 किलोवाट रेंज में उच्च क्षमता वाले फास्ट चार्जर शामिल हैं, जो औसतन 1 से 1.5 घंटे में चार्ज कर सकते हैं. इनकी फास्ट चार्जिंग क्षमताएं सार्वजनिक परिवहन बसों की परिचालन आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद करती हैं.
दिल्ली में सबसे अधिक चार्जिंग स्टेशन
टाटा पावर के पास दिल्ली में सबसे अधिक ईवी चार्जिंग पॉइंट हैं, इसके बाद मुंबई, बेंगलुरु, अहमदाबाद, जम्मू और श्रीनगर में कंपनी ने ईवी चार्जिंग पॉइंट स्थापित किए हैं. टाटा पावर ई-मोबिलिटी को अपनाने को बढ़ावा देने में सबसे आगे है. टाटा पावर विभिन्न ओईएम (OEM) ऑपरेटरों के साथ गठजोड़ करके DTC, BEST, BMTC, JSCL, SSCL, BRTS-AJL जैसी 30 राज्य सरकारों के परिवहन निगमों को सेवाएं प्रदान करके तेजी से आगे बढ़ रही है. टाटा पावर ने चार्जिंग बुनियादी ढांचे के विकास के लिए एंड-टू-एंड सेवाएं प्रदान की हैं, , जो सर्वोत्तम चार्जिंग अनुभव सुनिश्चित करती है. टाटा पावर सभी व्यवसाय संचालन को सुचारू रूप से चलाने को सुनिश्चित करने के लिए सीवेज उपचार संयंत्र और नियामक एनओसी मंजूरी जैसी सेवाएं भी प्रदान करता है.
2040 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध
भारत के शुद्ध शून्य लक्ष्यों के अनुरूप, टाटा पावर 2040 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध है. देश में चल रहे हरित ऊर्जा परिवर्तन में अग्रणी के रूप में टाटा पावर रूफटॉप सोलर, होम ऑटोमेशन, स्मार्ट मीटरिंग और ईवी चार्जिंग सहित हरित ऊर्जा समाधानों की एक व्यापक श्रृंखला पेश करता है. इसी तरह टाटा पावर भी एक स्थायी जीवन शैली अपनाने को बढ़ावा देने का प्रयास करता है. इस प्रतिबद्धता को टाटा पावर के ‘सस्टेनेबल इज अटेनेबल’ अभियान में रेखांकित किया गया है. हरित ऊर्जा समाधानों को अपनाने को बढ़ावा देना और स्थिरता को एक जन आंदोलन में बदलना इस अभियान का लक्ष्य है.
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बंगाल में लोकसभा की 42 सीटें हैं, इनमें से टीएमसी इस बार 29 सीटें जीतने में कामयाब रही जबकि 12 सीटें बीजेपी ने जीती है. जबकि कांग्रेस एक सीट जीतने में कामयाब रही है.
बंगाल कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और 5 बार लोकसभा सांसद सहित कई पदों पर रहने वाले अधीर रंजन चौधरी ने बंगाल कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया है. अधीर रंजन चौधरी भी इस बार टीएससी उम्मीद वार यूसूफ पठान से चुनाव हा गए थे. हालांकि उन्होंने उसी वक्त इस पद से इस्तीफा देने की पेशकश की थी जब कांग्रेस टीएमसी से बंगाल में साथ में चुनाव लड़ने की बात कर रही थी. लेकिन तब पार्टी ने उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया. लेकिन अभी पार्टी ने उन्हें अपने पद पर बने रहने को कहा है.
लगभग 1 लाख वोटों से हार गए थे चुनाव
अधीर रंजन चौधरी 2019 से लेकर 2024 तक लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष रह चुके हैं. लेकिन इस बार उनके लोकसभा क्षेत्र मुर्शिदाबाद से टीएमसी ने पूर्व क्रिकेटर यूसूफ पठान को उनके खिलाफ उतार दिया था. दोनों के बीच हुए इस कड़े मुकाबले में अधीर रंजन चौधरी को हार का सामना करना पड़ा था. यूसूफ पठान को 524516 वोट मिले जबकि अधीर रंजन चौधरी को 439494 वोटों से ही संतोष करना पड़ा.
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हमेशा ही टीएमसी के विरोध में रहे हैं अधीर रंजन
अधीर रंजन चौधरी हमेशा ही टीएमसी से गठबंधन के पक्ष में नहीं थे. अधीर रंजन हमेशा से ही टीएमसी के विरोध में रहे हैं. लेकिन ममता से उनके विरोध के साथ अपनी पार्टी से भी इस बार उनके मतभेद सामने आ गए थे. इस बार जब कांग्रेस पार्टी ममता बेनर्जी से गठबंधन को लेकर बात कर रही थी उस वक्त अधीर रंजन चौधरी इसके पक्ष में नहीं थे. अधीर रंजन उस वक्त नाराज हो गए थे जब ममता बेनर्जी ने ये तक कह दिया था कि सबसे पुरानी पार्टी 40 सीट जीतेगी या नहीं ये कहा नहीं जा सकता है. उन्होंने ये भी कहा था कि ममता बेनर्जी बीजेपी से डर गई हैं इसलिए ऐसा कह रही हैं.
इस साल किसने कितनी सीटें जीतीं?
बंगाल में लोकसभा की 42 सीटें हैं, इनमें से टीएमसी इस बार 29 सीटें जीतने में कामयाब रही जबकि 12 सीटें बीजेपी ने जीती है. जबकि कांग्रेस एक सीट जीतने में कामयाब रही है. बीजेपी को इन चुनावों में 6 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा है. इसी तरह अगर 2019 के नतीजों पर नजर डालें तो टीएमसी ने 22 सीटें जीतने में कामयाब रही थी जबकि 18 सीटें टीएमसी ने जीती थी. जबकि 2 सीटें कांग्रेस ने जीती थी.
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने पब्लिक सेक्टर के सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया पर भारी जुर्माना लगाया है. बैंक द्वारा कुछ नियमों को नजरअंदाज करने के खिलाफ आरबीआई ने ये जुर्माना लगाया है.
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (CBI) पर भारी जुर्माना लगाया है. आरबीआई ने 31 मार्च, 2022 तक वित्तीय मामलों को लेकर सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की जांच की थी. इसके बाद उसे नोटिस भेजकर जवाब भी मांगा था, जवाब से संतुष्ट न होने पर आरबीआई ने बैंक पर जुर्माना ठोक दिया है.
इसलिए लगा जुर्माना
आरबीआई ने 'लोन और एडवांसेज' तथा 'कंज्यूमर प्रोटेक्शन' से जुड़े निर्देशों का पालन न करने पर सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया पर 1.45 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है. आरबीआई ने 31 मार्च, 2022 तक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के पर्यवेक्षी मूल्यांकन (आईएसई 2022) के लिए इसका वैधानिक निरीक्षण भी किया था.
पहले भेजा था नोटिस
आरबीआई द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक सेंट्रल बैंक को नोटिस जारी कर यह बताने को कहा गया था कि अगर बैंक निर्देशों का पालन करने में विफल रहने पर उस पर जुर्माना क्यों न लगाया जाए. बैंक के जवाब पर गौर करने के बाद आरबीआई ने पाया कि बैंक के विरुद्ध लगाए गए आरोप सही हैं. बैंक ने सब्सिडी के रूप में सरकार से प्राप्त होने वाली राशि के एवज में एक कंपनी को कार्यशील पूंजी मांग ऋण स्वीकृत किया था. इसके साथ ही बैंक कुछ अनधिकृत इलेक्ट्रॉनिक लेनदेन के मामलों में शामिल राशि को भी निर्धारित समय के भीतर ग्राहकों के खाते में जमा नहीं कर पाया.
इस बैंक पर भी लगाया जुर्माना
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार आरबीआई ने केवाईसी निर्देश, 2016 सहित कुछ मानदंडों का पालन न करने के लिए सोनाली बैंक पीएलसी पर 96.4 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है. आरबीआई के अनुसार दोनों मामलों में लगाए दंड नियामकीय अनुपालन में खामियों पर आधारित हैं और इसका उद्देश्य संस्थाओं द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या समझौते की वैधता पर निर्णय लेना नहीं है.
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असंगठित क्षेत्र को जहां पहले नोटबंदी, जीएसटी और दूसरे कारणों की वजह से नुकसान हुआ तो वहीं कोरोना काल के चलते इसमें से 10 मिलियन रोजगार बंद हो गए.
देश का असंगठित क्षेत्र हमेशा ही देश के छोटे तबके के लोगों बड़े पैमाने पर रोजगार देने का बड़ा साधन रहा है. लेकिन कोरोना काल ने इस सेक्टर को ऐसी चोट दी कि ये अभी तक उस कोरोना काल से पहले के स्तर पर नहीं पहुंच पाया है. सांख्यिकी विभाग की ओर से जारी किए गए आंकड़े बता रहे हैं कि 2021-22 के निम्नतम स्तर के बावजूद 2022-23 की अवधि में 11.7 मिलियन श्रमिकों को जोड़ने के बावजूद भारत में अनौपचारिक सेक्टर में काम करने वाले रोजगार लोगों की संख्या प्री कोविड लेवल से कम है.
क्या थी प्री कोविड लेवल में रोजगार की स्थिति
सांख्यिकी विभाग के आंकड़ों के अनुसार, जुलाई 2015 से लेकर जून 2016 के बीच कराए गए सर्वे के अनुसार, लगभग 111.3 मिलियन श्रमिक असंगठित उद्योग में काम कर रहे थे. वहीं अगर 2015-16 के मुकाबले 2022-23 में असंगठित उद्योगों की संख्या में 2 मिलियन का इजाफा देखने को मिला और ये 65.04 मिलियन तक जा पहुंची. असंगठित क्षेत्र का मतलब ये होता है जो कानूनी रूप से एक इकाई के रूप में रजिस्टर्ड नहीं हैं. इस तरह के उद्योगों में खास तौर पर छोटे व्यवसाय, ऐसे व्यवसाय जिनका मालिक एक आदमी होता है, पार्टनरशिप में काम करने वाले कारोबार शामिल हैं.
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जानिए क्या है इसकी वजह?
जानकारों का मानना है कि इस क्षेत्र में रोजगार के न उबर पाने की वजह में कई कारण शामिल हैं. पिछले कुछ सालों में जो कारण प्रमुख तौर पर सामने आए हैं उनमें नोटबंदी, जीएसटी, और कोविड जैसी समस्याएं शामिल हैं. इन प्रमुख कारणों के चलते इस सेक्टर में रोजगार अभी तक संभल नहीं पाया है. जानकार मानते हैं कि सामान्य तौर पर हर साल में 2 मिलियन कारोबार का इजाफा हो जाता है. ऐसे में उद्यमों की संख्या 75 मिलियन होती है. लेकिन कोरोना महामारी के दौरान 10 मिलियन तक कंपनियां बंद हो गई तो ऐसे में इनकी संख्या में बड़ी कमी आ गई. लेकिन वहीं अगर कंपनियों के उत्पादन योगदान पर नजर डालें तो 2021-22 में जहां ये 13.4 ट्रिलियन था वहीं 2022-23 ये बढ़कर 15.42 ट्रिलियन तक हो गया. जबकि 2015-16 में इनका जीवीए 11.52 ट्रिलियन था.
इन क्षेत्रों का रहा इतना योगदान
वहीं अगर रोजगार में वार्षिक बढ़ोतरी पर नजर डालें तो अन्य सेवा क्षेत्र का इसमें प्रतिशत 13.42 प्रतिशत रहा, जबकि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर 6.34 प्रतिशत रहा है. अनौपचारिक श्रमिकों की औसत आय 2021-22 में 1.06 लाख से बढ़कर 2022-23 में 1.11 लाख रुपये हो गई. देश के असंगठित क्षेत्र के योगदान को देखते हुए कुछ वर्ष पूर्व एनएसओ ने एएसयूएसई का विचार विकसित किया था. अब तक ये सर्वे दो बार किया जा चुका है. इनमें 2019-20 की अवधि के लिए पहला और अप्रैल 20 से मार्च 21 के लिए दूसरा सर्वे किया गया है.
कोरोना काल में लोगों की मदद करने के लिए सरकार की ओर से इस सुविधा को शुरू किया गया था. इस सुविधा ने उस समय में कई लोगों की मदद की भी थी. ये सुविधा पूरी तरह से ऑनलाइन थी.
कोरोना काल में पैदा हुए संकट से निपटने के लिए शुरू की गई एडवांस सुविधा को ईपीएफओ (इंप्लाई प्रोविडेंट फंड ऑर्गनाइजेशन) ने बंद कर दिया है. EPFO की ओर से घोषणा की गई है कि इसे तत्काल प्रभाव से बंद किया जा रहा है. इस सेवा को पैसे की कमी के बीच कोरोना काल में शुरू किया गया था. इसमें ईपीएफओ धारक एडवांस ले सकता था.
नोटिफिकेशन के जरिए दी गई सूचना
ईपीएफओ ने इस बारे में नोटिफिकेशन के जरिए सूचना दी है. EPFO की ओर से 12 जून को जारी किए गए इस आंकड़े में कहा गया है क्योंकि अब किसी भी तरह का कोरोना काल नहीं है तो ऐसे में इस सुविधा को त्त्काल प्रभाव से बंद किया जा रहा है. इसलिए अब ईपीएफओ के सब्सक्राइबर इस सुविधा का लाभ नहीं ले पाएंगे.
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2021 में शुरू की थी एडवांस की सुविधा
इस सुविधा को कोरोना काल में लोगों को मदद देने के लिए शुरू किया गया था. जिसे अब बंद करने का फैसला किया गया है. इस सुविधा की शुरुआत मार्च 2020 में शुरू की गई थी. वहीं जून 2021 में ईपीएफओ ने नॉन रिफंडेबल एडवांस की सुविधा शुरू कर दी थी.
किन कारणों से लिया जा सकता है ये रिफंड?
कोरोना काल जैसी परिस्थितियां इससे पहले कभी पैदा नहीं हुई थी तो ऐसे में सरकार की ओर से कई तरह के कदम उठाए गए थे. इसी कड़ी में सरकार ने एडवांस लेने की सुविधा की शुरूआत के लिए जिन कारणों को शामिल किया था उनमें घर का निर्माण करना, बीमार की स्थिति, कंपनी का बंद हो जाना, घर में शादी और बच्चों की पढ़ाई जैसे कारणों को शामिल किया गया था. लेकिन अब कोरोना जैसा संकट पूरी तरह से खत्म हो गया है तो ऐसे में सरकार की ओर से एडवांस की सुविधा को भी बंद कर दिया गया है.
टीसीएस पर लगे आफिसियल सीक्रेट के इन आरोपों को अब कंपनी आने वाले दिनों में उपयुक्त अदालत में चुनौती देने की योजना बना रही है
देश की बड़ी आईटी कंपनियों में एक टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) पर अमेरिका की एक अदालत ने 1600 करोड़ रुपये से ज्यादा का जुर्माना लगाया है. टीसीएस पर कंप्यूटर साइंस कार्पोरेशन की ओर से ये जुर्माना लगाया गया है. इस मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने इसे सही पाया और टीसीएस पर एक बड़ा जुर्माना लगाया है. ये सारी जानकारी टीसीएस की ओर से एक्सचेंज को दी गई है.
टीसीएस पर क्या लगा है आरोप?
टीसीएस ने शुक्रवार को जानकारी दी है कि डलास डिविजन के नॉर्दन डिस्ट्रिक ऑफ टेक्सास की यूएस डिस्ट्रिक कोर्ट ने उस पर 194 मिलियन डॉलर (1622 करोड़) का जुर्माना लगाया है. टीसीएस को एक मामले में आफिशियल सीक्रेट एक्ट का दोषी पाया है. आरोप लगाने वाली कंपनी की नाम सीएससी है जिसे अब डीएक्ससी टेक्नोलॉजी के नाम से जाना जाता है. टीसीएस पर जो जुर्माना लगा है उसमें 194.2 मिलियन डॉलर का जुर्माना, 56.15 करोड़ रुपये के कंपनसेट्री डैमेज, 11.23 करोड़ रुपये के एक्सेमपलरी डैमेज सहित 2.58 करोड़ डॉलर के प्रीजजमेंट इंट्रेस्ट शामिल हैं.
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टीसीएस ने आरोपों पर कही ये बात
टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज की ओर से आरोपों पर कहा गया है कि भारी भरकम रकम के जुर्माने का कंपनी की फाइनेंशियल सर्विसेज पर कोई असर नहीं होने वाला है. कंपनी का कहना है कि उसके पास इन आरोपों को चुनौती देने का मजबूत आधार है. टीसीएस का कहना है कि आने वाले दिनों में वो डिस्ट्रिक कोर्ट के आदेश को अच्छी अदालत में चुनौती देने की तैयारी कर रही है. टीसीएस इस मामले में रिव्यू पीटिशन दायर करने जा रही है. कंपनी को कोर्ट का ये आदेश 14 जून को प्राप्त हुआ है.
कंपनी के शेयर की है क्या स्थिति?
कंपनी के शेयर की स्थिति पर नजर डालें तो शुक्रवार को टीसीएस का शेयर 3889 रुपये पर खुला था. जबकि शाम को बाजार बंद होने के बाद शेयर में 1.16 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिली. कंपनी का शेयर 3833 रुपये पर बंद हुआ. वहीं कंपनी के मार्केट कैप पर नजर डालें तो ये 13.87 लाख करोड़ रहा है. कंपनी के शेयर के 52 हफ्तों के हाई लेवल पर नजर डालें तो वो 4254.75 रुपये रहा है जबकि 52 हफ्तों का सबसे लो लेवल 3156 रुपये रहा है.
पिछले कुछ समय में सोना जिस रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचा है, उसमें हमारे पड़ोसी चीन का भी अहम योगदान है.
सोने (Gold) की कीमतों में उतार-चढ़ाव का दौर जारी है. कल यानी 14 जून को सोना 70 रुपए गिरकर 72,080 रुपए प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया. इस दौरान, चांदी के भाव भी 250 रुपए कम होकर 90,700 रुपए प्रति किलोग्राम पर आ गए. बीते कुछ समय में सोने और चांदी रिकॉर्ड तेजी से भागे हैं. लेकिन आने वाले समय में सोना वैश्विक स्तर पर सस्ता होने की उम्मीद बनती दिखाई दे रही है और इसकी प्रमुख वजह है हमारा पड़ोसी चीन.
केंद्रीय बैंक ने लगाई रोक
चीन की सरकार से लेकर आम जनता तक कुछ वक्त पहले तक ऐसे सोना खरीद रहे थे, जैसे ये पीली धातु धरती से खत्म होने वाली है. चीन में लगातार बढ़ रही डिमांड के चलते सोने की कीमतों में आग लगी थी. हालांकि, अब सोने को लेकर चीन में बेताबी थोड़ी कम हुई है. चीन के केंद्रीय बैंक ने भी अपने गोल्ड रिजर्व के लिए सोने की खरीद पर रोक लगा दी है. चीन बीते 18 महीने से लगातार सोना खरीद रहा था. नतीजतन गोल्ड के स्पॉट रेट रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गए थे. पिछले महीने यानी मई में चीन के सेंट्रल बैंक पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना ने सोने की खरीद पर रोक लगा दी.
जमकर खरीदा था Gold
अप्रैल 2024 के दौरान चीन का गोल्ड रिजर्व 2 टन बढ़कर 2,264 टन पर पहुंच गया था. जबकि अक्टूबर 2022 के अंत में चीन का कुल गोल्ड रिजर्व 1,948.32 टन था. पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना ने 2023 के दौरान अपने गोल्ड रिजर्व में कुल 225 टन की बढ़ोतरी की थी. दरअसल, बीता कुछ समय चीन के लिए अच्छा नहीं रहा है. रियल एस्टेट से लेकर शेयर मार्केट तक में उसकी स्थिति खराब है. इसलिए चीन ने पूरा फोकस सोना खरीदने पर लगा दिया था. न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट में सोने की कीमत 2400 डॉलर प्रति औंस के हाई पर पहुंचने के पीछे चाइना कनेक्शन की बात कही गई थी. इसमें कहा गया है कि सोने की वैश्विक कीमत अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है, क्योंकि चीनी निवेशक और उपभोक्ता रिकॉर्ड तेजी के साथ सोने में निवेश कर रहे हैं.
दाम में नरमी की उम्मीद
चीन में लगातार बढ़ रही सोने की डिमांड से उसकी कीमतों में तूफानी तेजी आ गई. अब जब वहां डिमांड में कमी आ रही है, तो उम्मीद है कि सोने के दामों में भी नरमी आएगी. गोल्ड को निवेश के बेहतरीन ऑप्शन के तौर पर देखा जाता है, इसलिए जब भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कोई उथल-पुथल होती है सोना महंगा हो जाता है. जैसा कि इजरायल-ईरान संघर्ष के दौरान देखने को मिला था. यदि ईरान और इजरायल के बीच युद्ध शुरू हो जाता, तो सोने की कीमतों में आग लग सकती थी. सोने की बात निकली है तो चलिए यह भी जान लेते हैं कि इसके दाम कैसे तय होते हैं.
कौन तय करता है Gold Price?
दुनियाभर में लंदन बुलियन मार्केट एसोसिएशन (LBMA) द्वारा सोने की कीमत तय की जाती है. वह यूएस डॉलर में सोने की कीमत प्रकाशित करता है। यह कीमत बैंकरों और बुलियन व्यापारियों के लिए एक वैश्विक बेंचमार्क के रूप में कार्य करती है. भारत में, इंडियन बुलियन ज्वैलर्स एसोसिएशन (IBJA) सोने की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में आयात शुल्क और अन्य लागू टैक्स को जोड़कर यह तय करता है कि रिटेल विक्रेताओं को सोना किस दर पर दिया जाएगा.
Bharat यहां से करता है इम्पोर्ट
भारत के लिए स्विट्जरलैंड सोने के आयात का सबसे बड़ा स्रोत है. यहां से हमारे कुल गोल्ड आयात की हिस्सेदारी करीब 41 प्रतिशत है. इसके बाद संयुक्त अरब अमीरात से भारत लगभग 13 फीसदी और दक्षिण अफ्रीका से करीब 10 प्रतिशत सोना आयात करता है. भारत, चीन के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा Gold कंज्यूमर है. देश में सोने का आयात मुख्य रूप से ज्वैलरी इंडस्ट्री की मांग पूरी करने के लिए किया जाता है. देश के कुल आयात में सोने की हिस्सेदारी पांच प्रतिशत से ज्यादा की है.
हुंडई मोटर्स (Hyundai Motors) अगले 10 साल में भारत में 32 हजार करोड़ रुपये खर्च करने का ऐलान कर चुकी है. ये पैसे जनरल मोटर्स प्लांट को अधिग्रहित करने से लेकर ईवी मैन्युफैक्चरिंग, चार्जिंग इंफ्रा तक में खर्च होंगे.
साउथ कोरियाई कंपनी हुंडई मोटर (Hyundai Motors) अपनी इंडियन यूनिट आईपीओ (IPO) के तहत 17.5 प्रतिशत तक की हिस्सेदारी बेचने पर विचार कर रही है. देश के बाजार नियामक के पास शनिवार को दाखिल किए गए ड्राफ्ट पेपर से पता चला है कि यह भारत का अब तक का सबसे बड़ा आईपीओ हो सकता है. भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) को दी गई फाइलिंग के अनुसार, हुंडई मोटर आईपीओ में बिक्री के लिए कुल 812 मिलियन शेयरों में से 142 मिलियन शेयरों लेकर आएगी. आइये जानते हैं कंपनी इन रुपयों को कहां निवेश करेगी?
देश का सबसे बड़ा IPO
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार हुंडई मोटर के आईपीओ का साइज 25 हजार करोड़ रुपये हो सकता है. इसका मतलब है कि ये आईपीओ देश का सबसे बड़ा आईओ होगा. इससे पहले एलआईसी देश का सबसे बड़ा आईपीओ लेकर आई थी, जिसका साइज 21 हजार करोड़ रुपये था. खास बात तो ये है कि हुंडई आईपीओ के तहत फ्रेश शेयर लेकर नहीं आ रही है. ये आईपीओ पूरी तरह से ओएफएस बेस्ड होगा. कंपनी अपनी हिस्सेदारी का एक हिस्सा रीटेल इन्वेस्टर्स के लिए रखेगी और बाकी का हिस्सा दूसरे इन्वेस्टर्स के लिए होगा.
तीन दशक से भारतीय बाजार में मौजूदगी
खास बात तो ये है कि देश में करीब 20 साल के बाद किसी ऑटो कंपनी का आईपीओ शेयर बाजार में आ रहा है. इससे पहले मारुति सुजुकी का आईपीओ शेयर बाजार में आया था.
भारतीय ऑटोमोबाइल मार्केट में हुंडई को करीब तीन दशक से ज्यादा का समय बीत चुका है और अब साउथ कोरियन ऑटो कंपनी कथित तौर पर भारतीय शेयर बाजार (Share Market) में लिस्ट होने का मन बना रही है. वहीं, दूसरी ओर इस सप्ताह की शुरुआत में इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन कंपनी ओला इलेक्ट्रिक को आईपीओ लाने के लिए पूंजी बाजार नियामक सेबी की मंजूरी मिली है.
यहां खर्च होगा पैसा
जानकारी के अनुसार इस फंड का इस्तेमाल भारत में कैपेक्स प्लान को पूरा करने के लिए, जो अगले 10 सालों में लगभग 32,000 करोड़ रुपये होने का अनुमान है. हुंडई की निवेश योजनाओं में तालेगांव में जनरल मोटर्स से नए अधिग्रहीत प्लांट के लिए 6,000 करोड़ रुपये और तमिलनाडु में अगले 10 सालों में प्रोडक्शन का विस्तार करने, एक कंपोनेंट इकोसिस्टम विकसित करने, ईवी मैन्युफैक्चरिंग, चार्जिंग इंफ्रा और स्क्ल्डि डेवलपमेंट के डेवलपमेंट के लिए 26,000 करोड़ रुपये का खर्च शामिल है.
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