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टल गई RBI की अगस्त में होने वाली MPC की बैठक, इस वजह से लिया गया फैसला
एमपीसी की बैठक इकोनॉमी के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण होती है. इस बैठक में रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट के बारे में फैसला लिया जाता है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
नई दिल्लीः 2 से 4 अगस्त के बीच होने वाली भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मॉनेटरी पॉलिसी की बैठक को टाल दिया गया है. आरबीआई ने कहा है कि इसको टालने का कारण एडमिनिस्ट्रेटिव दिक्कतें हैं, जिसकी वजह से मीटिंग को टाला गया है. अब ये मीटिंग 3 से 5 अगस्त के बीच होगी.
क्यों होती है MPC की मीटिंग महत्वपूर्ण
एमपीसी की बैठक इकोनॉमी के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण होती है. इस बैठक में रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट के बारे में फैसला लिया जाता है. फिलहाल महंगाई को कंट्रोल करने के लिए इसकी अहमियत काफी बढ़ जाती है, क्योंकि अभी भी खुदरा महंगाई दर 7.01 फीसदी है. आरबीआई ने महंगाई दर को 2 से 6 फीसदी पर रखने का लक्ष्य रखा है, लेकिन लगातार तीन महीनों से महंगाई दर सात फीसदी से ऊपर बनी हुई है. लगातार दो तिमाही से महंगाई दर के उच्चतम स्तर पर बने रहने से एमपीसी का उद्देश्य फिलहाल विफल होता हुआ दिख रहा है.
महंगाई बढ़ने से हर कोई परेशान
पैकेज्ड उत्पादों व स्टेशनरी पर 18 जुलाई से जीएसटी लगने, पेट्रोल-डीजल, एलपीजी, सीएनजी-पीएनजी से लेकर बारिश के चलते देश के कई हिस्सों में सब्जियों की कीमतें काफी बढ़ गई हैं. ऐसे में लोगों को इससे निजात मिलने में काफी परेशानी हो रही है. महंगाई के चलते हर व्यक्ति परेशान है. वहीं विपक्षी पार्टियां भी लगातार दो दिन से संसद की कार्यवाही को इसी मुद्दे को लेकर चलने नहीं दे रही हैं. संसद के दोनों सदन लगातार स्थगित हो रहे हैं, जिसके चलते किसी भी तरह की चर्चा नहीं हो पा रही है.
तेल की कीमतों में आई कमी
फिलहाल कच्चे तेल में नरमी देखने को मिल रही है. शुक्रवार को कच्चा तेल WTI Futures 97 डॉलर प्रति बैरल से थोड़ा सा ऊपर कारोबार कर रहा था. इसके पीछे अमेरिका में पेट्रोल की कम होती डिमांड, अरब देशों से ज्यादा तेल की आपूर्ति न होना बड़ा कारण हैं. वहीं दूसरी तरफ अमेरिका रूस से इंपोर्ट होने वाले कच्चे तेल की कीमतों पर एक प्राइस कैप लगाने की सोच रहा है.
अमेरिका में फेड बढ़ा सकता है रेट
अमेरिका में फेडरल रिजर्व की बैठक 26-27 जुलाई को होने वाली है. इसमें मंदी की आशंका के बीच फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में 0.75 फीसदी की बढ़ोतरी कर सकता है. वैसे ही अमेरिका में इस वक्त महंगाई 9 फीसदी से ऊपर है. इस दर में और बढ़ोतरी होने से रोकने के लिए ही ब्याज दरों को बढ़ाने का फैसला लिया जा सकता है. आने वाले दिनों में देखना होगा कि महंगाई क्या इन उपायों से वास्तव में कम होती है या फिर रिजर्व बैंक, सरकार को कुछ और कदम भी उठाने पड़ेंगे.
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