देश के कई शहरों में पेट्रोल की कीमतें 100 रुपए के पार पहुंच चुकी हैं. डीजल के भाव भी लगातार महंगा होने के चलते आसमान पर हैं.
पिछले एक साल से जनता एक अदद राहत के लिए तरस रही है, लेकिन उसकी तकलीफों को समझने वाला कोई नहीं है. न मोदी सरकार कुछ कर रही है और न कंपनियां. पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बदलाव को एक साल बीत चुका है. इस एक साल में कई मौकों पर कच्चे तेल की कीमतों में कमी देखी गई, लेकिन इसके बावजूद तेल कंपनियों ने जनता को कोई राहत नहीं दी और न ही सरकार ने उन्हें ऐसा करने के लिए कहा. ऐसे मौकों पर सरकार यह कहकर अपना पल्ला झाड़ लेती है कि कीमतों का नियंत्रण कंपनियों के हाथ है और कंपनियां घाटे की दुहाई देती नहीं थकतीं.
यहां पेट्रोल लगा चुका शतक
देश के कई राज्यों में पेट्रोल की कीमतों ने शतक लगा दिया है. दिल्ली में जरूर पेट्रोल 96.72 रुपए लीटर और डीजल 89.62 रुपए लीटर बिल रहा है. लेकिन देश के 16 राज्यों में पेट्रोल का भाव 100 रुपए प्रति लीटर के ऊपर है. मध्य प्रदेश के साथ-साथ महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, बिहार, कर्नाटक, मणिपुर, तेलंगाना, पंजाब, झारखंड, सिक्किम, ओडिशा, केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में पेट्रोल 100 रुपए पहुंच चुका है. वहीं, कुछ राज्यों में तो डीजल भी 100 के पार है.
जनता को नहीं मिला फायदा
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में पेट्रोल 108.65 और डीजल 95.44 रुपए प्रति लीटर मिल रहा है. राजस्थान के श्रीगंगानगर में एक लीटर पेट्रोल की कीमत 113.30 रुपए प्रति लीटर और डीजल की कीमत 98.07 रुपए प्रति लीटर है. जबकि पोर्ट ब्लेयर में पेट्रोल की कीमत 84.10 रुपए प्रति लीटर और डीजल का भाव 79.74 रुपए प्रति लीटर है. जब भी तेल की कीमतों में इजाफा किया जाता है, ऑयल कंपनियां अंतर्राष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल की बढ़ती कीमतों का हवाला दे देती हैं. लेकिन पिछले एक साल में जब कई मौकों पर कच्चे तेल में नरमी आई, कंपनियों ने दाम कम नहीं किए. बता दें कि आखिरी बार 21 मई 2022 में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बदलाव हुआ था.
गैस के दाम भी आसमान पर
पेट्रोल-डीजल के साथ-साथ रसोई गैस के दाम भी आसमान पर जा पहुंचे हैं. कई शहरों में घरेलू गैस सिलेंडर 1100 रुपए के पार निकल गया है. कमर्शियल सिलेंडर की कीमतों में उतार-चढ़ाव देखने को मिला है लेकिन घरेलू सिलेंडर के दामों में कोई कमी नहीं की गई है. मोदी सरकार गैस सिलेंडर पर मिलने वाली सब्सिडी पहले ही बंद कर चुकी है, ऐसे में लगातार बढ़ती गैस की कीमतों ने आम आदमी का दम निकाल रखा है.
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि आज अरविंद केजरीवाल को जेल में समाप्त करने की बड़ी साजिश हो रही है. उन्होंने कहा कि साजिश ये रही है कि वो गंभीर बीमार हों जाए और आने के बाद इलाज कराते रहें.
अरविंद केजरीवाल को जेल में इंसूलिन दिए जाने को लेकर आरोप प्रत्यारोपों का दौर तेजी से आगे बढ़ रहा है. इस कड़ी में अब आम आदमी पार्टी नेता और दिल्ली सरकार में मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा है कि जेल में अरविंद केजरीवाल को स्लो पॉयजन दिया जा रहा है. उन्होंने आरोप लगाया है कि केजरीवाल को जब इंसूलिन की सबसे ज्यादा जरूरत है उस वक्त में उन्हें इंसूलिन नहीं दिया जा रहा है, जिससे जब वो जेल से बाहर आएं तो इलाज कराते रहें और हमेशा बीमार रहें.
सौरभ भारद्वाज ने क्या लगाया आरोप
दिल्ली सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि षडयंत्र किया जा रहा है कि एक तरह से अरविंद केजरीवाल की हत्या की जाए. अरविंद केजरीवाल को सबके सामने स्लो डेथ दी जा रही है. उन्होने जेल की रीडिंग के बारे में बताते हुए कहा कि 12 अप्रैल को सुबह उनकी रीडिंग 320 थी, जो रीडिंग 100 या 120 होनी चाहिए. रात के नौ बजे उनकी रीडिंग थी 260. उन्होंने दिल्ली के एलजी को संबोधित करते हुए कहा कि ‘सुन ले एलजी उन्होंने 6 अप्रैल को आम खाया था, उन्होंने कहा हमारे आपके सभी के घरों में हम कहते हैं एक आम खा लो पापा क्या हो जाएगा. इंसूलिन ले लेना. उन्होंने सवाल पूछते हुए कहा अरविंद ने 6 तारीख को आम खाया था तो क्या 12 तारीख को उनकी शुगर 320 हो जाएगी. उन्होंने कहा कि एक आदमी को इंसूलिन की जरूरत है लेकिन ये लोग नहीं दे रहे हैं.
ये भी पढ़ें: इस मेड इन इंडिया ऐप ने पार किया 1 मिलियन का मार्क, अब कंपनी की ये है तैयारी
प्रशासन कह रहा है इंसूलिन नहीं देंगे
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली जो बड़े आईएएस अधिकारी आज पानी, बिजली, सीवर की व्यवस्थाओं को ठप करने में लगे हुए हैं. उन्होंने कहा कि आज ईडी और सीबीआई के अधिकारी एक एक विपक्षी नेता को पकड़कर जेल में डालने में लगे हैं. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि आप उन पर विश्वास कर लीजिए कि अरविंद केजरीवाल उनके पास सुरक्षित और ठीक रहेंगे. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि दिल्ली के सीएम को जेल में खत्म करने की एक साजिश है. उन्होंने कहा कि उनका मल्टी ऑर्गन डैमेज हो जाए, अलग अलग पार्ट में परेशानियां हो, कभी लीवर और हार्ट का इलाज करा रहे हों, किसी भी शुगर के पेसेंट से पूछ लीजिए अगर ये स्थिति हो और इंसुलिन न दी जाए तो क्या होगा.
शराब घोटाले में जेल में हैं अरविंद केजरीवाल
अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी के मनीष सिसोदिया मौजूदा समय में शराब घोटाले को लेकर जेल में हैं. उन पर इस शराब घोटाले में दिल्ली सरकार के रेवेन्यू को नुकसान पहुंचाने से लेकर 100 करोड़ रुपये का घोटाला करने का आरोप लगा है. इस मामले में मनीष सिसोदिया जहां डेढ साल से जेल में बंद हैं वहीं दूसरी ओर अरविंद केजरीवाल को ईडी ने 21 मार्च को गिरफ्तार हुए थे. जबकि उनसे पहले गिरफ्तार हुए संजय सिंह को कोर्ट ने जमानत दे दी है.
कंपनी की ओर से इस साल फरवरी में प्राइज इंजन को लॉन्च किया था. जिस वक्त कंपनी ने अपने इस नए फीचर को लॉन्च किया था उस समय उसके पास केवल 100000 यूजर थे.
भारत के मेड इन इंडिया मोबाइल ब्राउजर वीरा(Veera) ने एक बड़ी कामयाबी हासिल की है. वीरा को इस्तेमाल करने वालों की संख्या 1 मिलियन को पार कर गई है. वीरा ने पिछले साल से ही अपनी बीटा टेस्टिंग शुरू की है. इसके बाद कंपनी ने क्रिकेट को लेकर अपने कई तरह के गेम और ऐप भी जारी किए जिन्हें लोगों ने पसंद किया. उसके बाद अब कंपनी ने 1 मिलियन का मार्क पार कर लिया है.
इस साल फरवरी में ये सर्विस की थी लॉन्च
कंपनी की ओर से इस साल फरवरी में प्राइज इंजन को लॉन्च किया था. जिस वक्त कंपनी ने अपने इस नए फीचर को लॉन्च किया था उस समय उसके पास केवल 100000 यूजर थे. लेकिन कंपनी का ये नया फीचर प्राइस इंजन इतना सफल हुआ कि यूजरों की संख्या 10 लाख को पार कर गई है. वीरा को मोबाइल यूजरो के लिए प्रमुख तौर पर डिजाइन किया गया है और इसका मकसद अपने यूजरों को सुरक्षित, फास्ट और बेहतरीन इंटरनेट अनुभव देना है.
ये भी पढ़ें: ईरान इजराइल की लड़ाई में सस्ता हुआ चावल, यहां पहुंच गई कीमतें...
कंपनी के सीईओ ने कही ये बात
इस मौके पर कंपनी के सीईओ और संस्थापक अर्जुन घोष ने बताया कि ये हमारे लिए निश्चित तौर पर एक बड़ा कदम है. लेकिन उन्होंने ये भी कहा कि हम इंटरनेट में जो तेजी लाना चाहते हैं उसका ये पहला चरण है. उन्होंने ये भी कहा कि इतनी जल्दी 1 मिलियन लोगों तक पहुंचना हमारे लिए हमारे उपयोगकर्ताओं के विश्वास और समर्थन का प्रमाण है. लेकिन उन्होंने ये भी कहा कि 1 मिलियन हमारा पहला कदम है, अभी आगे हमें 1 बिलियन तक पहुंचना है. उन्होंने कहा कि हम लगातार अपने प्रोडक्ट को और बेहतर बनाते रहेंगे. हम आगे भी नए फीचर लॉन्च करते रहेंगे जो हमारे यूजर को बेहतर अनुभव देने का काम करेंगे.
सितंबर में लॉन्च हुआ ये मेड इन इंडिया प्रोडक्ट
पिछले साल सितंबर में इस प्रोडक्ट को लॉन्च किया गया था. उस वक्त कंपनी के सभी प्रमुख लोगों ने कहा था कि वो देश में इंटरनेट की स्पीड में इजाफा करने के मकसद और ग्राहकों को एक बेहतर और सुरक्षित ब्राउजर देने के मकसद से वीरा को लेकर आ रहे हैं. डेटा सिक्योरिटी को लेकर उसका कहना था कि वो किसी भी थर्ड पार्टी के साथ जानकारियों को साझा नहीं करता है.
जोमैटो के शेयर शुक्रवार को करीब दो प्रतिशत की बढ़त के साथ 188.50 रुपए पर बंद हुए थे
फूड डिलीवरी कंपनी जोमैटो (Zomato) एक बार फिर बड़ा झटका लगा है. कंपनी को ब्याज और जुर्माने सहित 11.8 करोड़ रुपए GST डिमांड नोटिस मिला है. जोमैटो ने एक्सचेंज फाइलिंग में बताया है कि उसे जुलाई 2017 से लेकर मार्च 2021 तक के लिए एडिशनल कमिश्नर, सेंट्रल गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स, गुरुग्राम ने 5,90,94,889 रुपए का GST की डिमांड नोटिस भेजा है. नोटिस में ब्याज और जुर्माने के 5,90,94,889 रुपए का भुगतान करने को भी कहा गया है. इस तरह यह रकम 11.8 करोड़ रुपए हो जाती है.
ऑर्डर के खिलाफ होगी अपील
Zomato से भारत के बाहर स्थित उसकी सब्सिडियरीज को जुलाई 2017 से मार्च 2021 के बीच दी गईं आयात सेवाओं पर GST की मांग की गई है. वहीं, कंपनी का कहना है कि उसने कारण बताओ नोटिस के जवाब में सहायक दस्तावेजों और न्यायिक उदाहरणों के साथ आरोपों पर स्पष्टीकरण दिया था. लेकिन शायद आदेश पारित करने वाले अधिकारियों ने उस पर कोई ध्यान नहीं दिया. Zomato का यह भी कहना है कि उसका मामला मजबूत है और कंपनी GST डिमांड नोटिस के खिलाफ अपील दायर करेगी.
हाल ही में मिले थे ये नोटिस
पिछले महीने यानी मार्च में Zomato को गुजरात GST डिपार्टमेंट से टैक्स डिमांड का नोटिस मिला था. इसके बाद अप्रैल की शुरुआत में कंपनी को दिल्ली में करीब 184 करोड़ रुपए का नोटिस मिला. कंपनी ने तब बताया था कि से सेंट्रल टैक्स दिल्ली से डिमांड ऑर्डर मिला है. इस ऑर्डर में 92 करोड़ 9 लाख 90 हजार 306 रुपए के सर्विस टैक्स की डिमांड की गई है. साथ ही 92 करोड़ 9 लाख 90 हजार 306 रुपए बतौर ब्याज एवं पेनल्टी मांगे गए हैं. इस तरह उससे कुल 184 करोड़ रुपए का भुगतान करने को कहा गया है. वहीं, गुजरात स्टेट टैक्स के डिप्टी कमिश्नर ने वित्त वर्ष 2018-19 के संबंध में कंपनी को 8.57 करोड़ रुपए से अधिक का GST ऑर्डर थमाया था.
बढ़त के साथ बंद हुए थे शेयर
कंपनी को मिले इस नए GST डिमांड ऑर्डर का उसके शेयरों की चाल पर असर देखने को मिल सकता है. 5 कारोबारी सत्रों की गिरावट के बाद Zomato के शेयर कल यानी शुक्रवार को बढ़त हासिल करने में कामयाब रहे थे. कंपनी के शेयर करीब 2 प्रतिशत की उछाल के साथ 188.50 रुपए पर बंद हुए. जबकि इससे पहले के पांच कारोबारी सत्रों में यह स्टॉक 4.99% नीचे आया था. आशंका जताई जा रही है कि नए डिमांड नोटिस से इस फूड डिलीवरी कंपनी के शेयरों में फिर से कमजोरी आ सकती है. Zomato के शेयर ने पिछले एक साल में 247.79% और इस साल अब तक 51.41% का रिटर्न दिया है. बता दें कि जोमैटो की प्रतिद्वंदी कंपनी स्विगी का भी आईपीओ आने वाला है.
भारत और ईरान के बीच पुराने व्यापारिक संबंध हैं. अगर 2023 में दोनों के बीच हुए कारोबार के आंकड़ों पर नजर डालें तो वो कोई 89 हजार करोड़ रुपये हुआ है.
भारत सरकार चावल की महंगाई को कम करने के लिए लंबे समय से कोशिश कर रही है. इस कोशिश के तहत सरकार अब तक बाजार में कई सौ क्विंटल चावल को खुले बाजार में सेल भी कर चुकी है. सरकार की इन्हीं कोशिशों के बीच अब ईरान इजराइल की लड़ाई के कारण चावल सस्ता होता दिखाई दे रहा है. दरअसल इन क्षेत्रों में चावल की डिमांड कम होने के कारण स्थिति ये है कि एक्सपोर्ट कम हो गया है.
कीमतों में इतनी आ गई है कमी
दरअसल भारत ईरान को बड़ी मात्रा में चावल की सप्लाई करता है. ईरान भारत से सेला 1121 चावल बड़ी मात्रा में मंगाता है. लेकिन युद्ध के शुरू होने के कारण चावल का एक्सपोर्ट बंद हो गया है और भारत में चावल की उपलब्धता बढ़ गई है. कुछ दिन पहले तक भारत में ये वाला सेला चावल 85 रुपये किलो बिक रहा था. लेकिन वहां सप्लाई बंद होने के कारण अब ये देश में 80 रुपये किलो तक बिक रहा है.
कारोबारियों को हो रही है कई तरह की परेशानी
ईरान इजराइल युद्ध के एकाएक शुरू होने के कारण चावल की सप्लाई तो बंद हो ही गई है वहीं कारोबारियों की पेमेंट भी अटक गई है. इसे लेकर कारोबारी परेशान हैं कि आखिर दोनों देशों के बीच तनाव कब खत्म होगा और उन्हें कहां से पैसा मिलेगा. एक कारोबारी कहते हैं कि वो अपनी पेमेंट के लिए कोशिश कर रहे हैं लेकिन फिलहाल कब तक होगी ये कहा नहीं जा सकता है.
भारत और ईरान के बीच होता है इन वस्तुओं का कारोबार
अगर आप ये समझते हैं कि भारत केवल ईरान से तेल खरीदता है और दोनों देशों के बीच कोई बड़ा कारोबार नहीं होता है तो हम आपको इसे लेकर जानकारी देना चाहते हैं. भारत और ईरान के बीच बड़ी संख्या में वस्तुओं का आदान प्रदान होता है. भारत ईरान को जिन वस्तुओं का निर्यात करता है उसमें चाय, कॉफी, बासमती चावल, और चीनी का निर्यात करता है वहीं भारत ईरान से कच्चे तेल का एक बड़ा खरीददार है. यही नहीं भारत ने ईरान को पिछले साल 15 हजार करोड़ रुपये का निर्यात किया गया है. वहीं ईरान ने भारत को मेवे, पेट्रोलियम कोक और कुछ अन्य चीजें आयात की थी. इसकी कीमत 5500 करोड़ रुपये था. यही नहीं भारत चाबहरा पोर्ट और इससे लगे चाबहार स्पेशल इंडस्ट्रीयल जोन में भी साझेदार है. वहीं अगर वर्ष 2023 में भारत का ईरान के साथ 89 हजार करोड़ रुपये का कारोबार रहा है. जबकि भारत ने ईरान को 70 हजार करोड़ रुपये का माल और सेवाओं का निर्यात किया है.
ये भी पढ़ें; पाक को बेची बैलिस्टिक मिसाइल तो अमेरिका ने चीन की 3 कंपनियों पर लगाया बैन
पूरी दुनिया में आईटी इंडस्ट्री में कर्मचारियों की छंटनी का दौर चल रहा है. भारत में भी कर्मचारियों की स्थिति कुछ खास अच्छी नहीं है.
साल 2023 में कई टेक और IT कंपनियों में कर्मचारियों को छंटनी का सामना करना पड़ा था. ये सिलसिला साल 2024 में भी जारी है. गूगल जैसी कंपनी ने भी हाल में अपने कर्मचारियों की संख्या में बड़ी कटौती करने की घोषणा की थी. पूरी दुनिया में आईटी इंडस्ट्री में ऐसी ही स्थिति बरकरार है. इस बीच भारतीय कंपनियों की स्थिति भी कुछ खास ठीक नहीं है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबित देश की तीन सबसे बड़ी सूचना प्रौद्योगिकी (IT) कंपनियों टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS), इन्फोसिस (Infosys) और विप्रो (Wipro) में वित्त वर्ष 2023-24 में करीब 64,000 कर्मचारी कम हुए हैं.
64 हजार कर्मचारी हुए कम
Wipro ने शुक्रवार को अपनी चौथी तिमाही के परिणाम घोषित किए. मार्च 2024 तक उसके कर्मचारियों की संख्या घटकर 2,34,054 रह गई, जो इससे एक साल पहले इसी महीने के अंत में 2,58,570 थी. इस तरह मार्च 2024 को खत्म हुए फाइनेंशियल ईयर में कंपनी के कर्मचारियों की संख्या में 24,516 की कमी आई है. Infosys ने कहा कि मार्च 2024 के अंत में उसके कुल कर्मचारियों की संख्या 317,240 थी, जो पिछले साल की समान अवधि में 343,234 थी. इस तरह कंपनी के कर्मचारियों की संख्या में 25,994 की कमी हुई. वहीं देश की सबसे बड़ी आईटी कंपनी TCS में भी कर्मचारियों की संख्या में 13,249 की गिरावट हुई. बीते वित्त वर्ष के अंत में इसके कुल 601,546 कर्मचारी थे. टीसीएस टाटा ग्रुप की कंपनी है. आइए जानते हैं आईटी और टेक सेक्टर में घटते कर्मचारियों की संख्या की क्या वजह हैं?
1. AI बना छंटनी की वजह: कर्मचारियों के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) टेक्नोलॉजी का का तेजी से बढ़ना भी चिंता की मुख्य वजह है. अगर आने वाले समय की बात करें तो हमें एआई स्किल से लैश होना जरूरी है. कर्मचारियों को एआई का ज्ञान होना जरूरी है.
2. कोरोना काल में 'ओवर हायरिंग': लॉकडाउन के समय लोगों का स्क्रीन टाइम बढ़ने की वजह से प्रोडक्ट्स पर निर्भरता बढ़ गई थी. ऐसे में गूगल, मेटा और वाट्सअप ने जनता के लिए वीडियो कॉनफ्रेंसिंग की सुविधा को और बेहतर एवं यूजर फ्रेंडली बनाने के लिए लगातार बदलाव किए. बड़ी संख्या में प्रोडक्ट मैनेजर्स, डेवलपर्स, यूआई/यूएक्स डिजाइनर्स आदि को हायर किया गया था. मौजूदा समय में इनमें अब बदलाव लाने की जरूरत नहीं है. इसलिए कंपनियां वर्तमान समय में तालमेल बैठाने के लिए अपने कर्मचारियों की संख्या को कम करने की कोशिश कर रही हैं.
3. आर्थिक मंदी की संभावना: मल्टी-नेशनल कम्पनियां आर्थिक मंदी के डर से सावधानी बरत रही हैं. वर्ल्ड बैंक और इंटरनेशनल मोनिटरी फंड ने पहले ही इकोनॉमिक स्लोडाउन की चेतावनी दे दी है. जियो पॉलिटिकल टेंशन भी आज के दौर की कमजोर होती अर्थव्यवस्था को बढ़ा रहा है.
4. निवेशकों की ओर से दबाव: निवेशक आर्थिक मंदी को लेकर चिंतित हैं. वे कम्पनियों पर खर्च को लेकर आक्रामक रणनीति अपनाने पर दबाव बना रहे हैं. कम्पनियों के पास अधिक संख्या में कर्मचारी हैं और प्रति कर्मचारी लागत बहुत ज्यादा है. वैश्विक आर्थिक मंदी की संभावना के चलते कंपनियां छंटनी कर अपना 'मार्जिन' सुधारने की कोशिश में लगी है.
5. हाईपर ग्रोथ: टेक कम्पनियों ने पिछले तीन दशकों में काफी तरक्की की है पर कोरोना काल के बाद से हाई इंफ्लेशन रेट्स और घटती डिमांड को लेकर आईटी सेक्टर महत्वपूर्ण बदलावों से गुजर रहा है. टेक सेक्टर ने उच्च स्तर की ग्रोथ हासिल की है. ऐसे में माना जाता है कि इसके बाद 'डिक्लाइन स्टेज' आती ही है.
ऐसे में ये देखना दिलचस्प है कि जहां कुछ उद्योगों में नौकरियां जा रही हैं वहीं कुछ कंपनियों में AI की वजह से हायिरंग हो भी रही है. हालांकि अब उम्मीद जताई जा रही है कि छंटनी की ये लहर जल्द ही थम सकती है.
Mutual Funds ने इन शेयरों में बढ़ाई हिस्सेदारी, क्या पोर्टफोलियो में है कोई?
फंड मैनेजर्स ने शेयर बाजार में लिस्टेड कुछ कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी में इजाफा किया है.
म्यूचुअल फंड्स (Mutual Funds) ने मार्च तिमाही में चुनिंदा मिड और स्मॉल-कैप शेयरों में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाई है. इसका मतलब है कि आने वाले दिनों में इन स्टॉक्स में तेजी देखने को मिल सकती है. एक रिपोर्ट में शेयरहोल्डिंग डेटा के हवाले से बताया गया है कि फंड मैनेजर्स ने वित्त वर्ष-24 की मार्च तिमाही (Q4FY24) में व्हर्लपूल इंडिया (Whirlpool Of India) में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाकर 31.14% कर दी. 31 दिसंबर को समाप्त पिछली तिमाही में यह 11.12% थी. इसी तरह, फंड्स ने आवास फाइनेंसर्स (Aavas Financiers) में अपनी हिस्सेदारी को 12.05% से बढ़ाकर 21.13% कर दिया है. जबकि इनोवा कैपटैब (Innova Captab) में उनकी हिस्सेदारी 3.40% से बढ़कर 12.38% तक हो गई है.
इनमें भी बढ़ाया स्टेक
म्यूचुअल फंड्स ने जनवरी-मार्च 2024 के दौरान घरेलू इक्विटी मार्केट में करीब 1.07 लाख करोड़ रुपए लगाए हैं. डेटा से पता चलता है कि म्यूचुअल फंड्स ने शक्ति पंप्स (इंडिया), टिप्स इंडस्ट्रीज, आदित्य बिड़ला सन लाइफ AMC, हाई-टेक पाइप्स, एवलॉन टेक्नोलॉजीज, Voltas, कल्याण ज्वैलर्स इंडिया, स्पाइसजेट और जीआर इन्फ्राप्रोजेक्ट्स में भी अपनी हिस्सेदारी बढ़ाई है. इसके अलावा, उन्होंने 31 मार्च 2024 तक जुबिलेंट फूडवर्क्स में अपनी हिस्सेदारी को 15.41% से बढ़ाकर 19.98% कर लिया है. आमतौर पर जब किसी कंपनी की आर्थिक गतिविधि से जुड़ी खबर सामने आती है, तो उसके शेयर पर भी असर देखने को मिलता है. ऐसे में जिन कंपनियों में फंड मैनेजर्स ने अपना स्टेक बढ़ाया है, उनमें तेजी देखने को मिल सकती है.
ऐसा है मार्केट में हाल
ब्रोकरेज फर्म एक्सिस कैपिटल ने Voltas के लिए 1,360 रुपए का Target Price सेट किया है. फिलहाल कंपनी का शेयर 1,305 रुपए पर चल रहा है. शुक्रवार को इसमें एक प्रतिशत से ज्यादा की बढ़त देखने को मिली थी. इस साल अब तक ये शेयर 33.44% का रिटर्न दे चुका है. जबकि पिछले एक साल में यह आंकड़ा 50.44% है. Whirlpool की बात करें, तो इसके लिए भी शुक्रवार शानदार गया. इस दौरान कंपनी का शेयर 3 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़त के साथ 1,460 रुपए पर पहुंच गया. Aavas Financiers में भी पिछले सत्र में उछाल आया. हालांकि, 1,545.80 रुपए के भाव पर मिल रहे इस शेयर का इस साल अब तक का रिकॉर्ड खास अच्छा नहीं है. इसी तरह, Innova Captab भी नुकसान में चल रहा है.
म्यूचुअल फंड के प्रकार
म्यूचुअल फंड अलग-अलग प्रकार के होते हैं. इक्विटी म्यूचुअल फंड: निवेशकों की रकम को सीधे शेयर बाजार लगाते हैं. लंबी अवधि में ये आपको अच्छा रिटर्न दे सकते हैं. डेट म्यूचुअल फंड: डेट सिक्योरिटीज में निवेश करते हैं. ये स्कीम शेयरों की तुलना में कम जोखिम वाली होती हैं. साथ ही बैंकों की FD की तुलना में बेहतर रिटर्न देती हैं. हाइब्रिड म्यूचुअल फंड: इसके तहत इक्विटी और डेट दोनों में निवेश किया जाता है. सॉल्यूशन ओरिएंटेड म्यूचुअल फंड: ये स्कीम किसी खास लक्ष्य या समाधान के हिसाब से बनी होती है. उदाहरण के लिए इनमें रिटायरमेंट स्कीम या बच्चों की शिक्षा जैसे लक्ष्य हो सकते हैं. इसमें आपको कम से कम 5 साल के लिए निवेश करना जरूरी होता है.
टेस्ला के सीईओ एलन मस्क भारत नहीं आ रहे हैं. इससे पहले खबर थी की एलन मस्क 21 और 22 अप्रैल को भारत में रहेंगे. इस दौरान एलन मस्क प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात करेंगे.
टेस्ला के सीईओ एलन मस्क (Elon Musk) भारत नहीं आ रहे हैं एलन मस्क ने अपना भारत दौरा स्थगित कर दिया है. हालांकि अभी दौरा टालने के कारण का पता नहीं चल पाया है, लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि मस्क की यात्रा टेस्ला की पहली तिमाही के नतीजे के बारे में सवालों का जवाब देने के लिए 23 अप्रैल को अमेरिका में एक कॉन्फ्रेंस कॉल के कारण टाली गई है. एलन मस्क ने एक्स प्लेटफॉर्म पर खुद इसकी जानकारी दी है. उन्होंने कहा कि दुर्भाग्यपूर्ण है कि मुझे टेस्ला के प्रति जिम्मेदारी के चलते भारत दौरा टालना पड़ रहा है. लेकिन मैं इस साल ही भारत आने का मौका देख रहा हूं.
Unfortunately, very heavy Tesla obligations require that the visit to India be delayed, but I do very much look forward to visiting later this year.
— Elon Musk (@elonmusk) April 20, 2024
इस वजह से टाला भारत का दौरा
दरअसल एलन मस्क को 23 अप्रैल को टेस्ला के निवेशकों के सवालों का जवाब देने के लिए अमेरिका में उपस्थित रहना जरूरी है. टेस्ला ने हाल ही में तिमाही परिणाम जारी किया है. कंपनी को हालिया महीनों में बिक्री में गिरावट का सामना करना पड़ा है. ऐसे में कंपनी के निवेशक व शेयरधारक परेशान हो रहे हैं. अगर मस्क 21-22 अप्रैल को भारत में रहते तो 23 अप्रैल के इन्वेस्टर्स कॉल में उनके लिए मौजूद रहना मुश्किल हो जाता.
Health Insurance की राह में अब उम्र नहीं बनेगी रोड़ा, IRDAI ने उठाया बड़ा कदम
पीएम मोदी से करने वाले थे मुलाकात
इससे पहले एलन मस्क ने 10 अप्रैल को अपने ट्वीट में जानकारी दी थी कि वह प्रधानमंत्री मोदी से मिलने के लिए बेहद उत्साहित हैं. मस्क की भारत यात्रा के ऐलान से कुछ दिन पहले ही भारत सरकार एक नई ईवी पॉलिसी लेकर आई थी. इस पॉलिसी से देश में विदेशी कंपनियों के लिए ईवी प्लांट लगाना आसान हो गया है. सरकार ने अपनी नई ईवी पॉलिसी में उन विदेशी कंपनियों को इंपोर्ट ड्यूटी में छूट देने की बात कही है, जो देश में 500 मिलियन डॉलर से अधिक का निवेश करेंगी.
भारत में Starlink को लेकर होनी थी बातचीत
टेस्ला के अलावा एलन मस्क भारत में Starlink के प्रवेश के लिए भी लंबे वक्त से कोशिश कर रहे हैं. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार केंद्र सरकार ने Starlink को यह आश्वासन दिया है कि वह देश में तीसरी तिमाही तक अपना ऑपरेशन शुरू कर पाएगी. इसके अलावा फरवरी में सरकार ने स्पेस सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए FDI को मंजूरी दी थी. उसके बाद से ही भारत में स्पेस एक्स की एंट्री को लेकर कयास तेज हो गए थे.
अमेरिका एक ओर जहां चाइना के खिलाफ कार्रवाई कर रहा है वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान उसके लिए एक अहम राष्ट्र है.अमेरिका ने हाल ही में उसे IMF से बड़ा बेलआउट दिलाया है.
भारत और अमेरिका के संबंधों की गहराई को बढ़ाने को लेकर दोनों देश पिछले लंबे समय से काम कर रहे हैं. लेकिन इस बीच अमेरिका ने चाइना की 3 कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिया है. इन कंपनियों पर आरोप है उन्होंने पाकिस्तान को बैलिस्टिक मिसाइल सप्लाई की है. ये तीनों कंपनियों पर अमेरिका ने प्रतिबंध लगा दिया है.
आखिर अमेरिका ने इस पर क्या कहा?
अमेरिका के विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा है कि ये कंपनियां उन सामूहिक विनाश हथियारों के वितरण में लगी हुई हैं. ये कंपनियां जहां उन हथियारों का निर्माण कर रही हैं वहीं अधिग्रहण, मालिकाना हक, उनके टांसपोर्टेशन, जैसे कामों को कर रही हैं. उन्होंने कहा कि इसके द्वारा पाकिस्तान उनका इस्तेमाल करेगा. अमेरिका की ओर से जिन कंपनियों पर रोक लगाई गई है उनमें शीआन लॉन्गडे टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट, चीन की तियानजिन क्रिएटिव सोर्स इंटरनेशनल ट्रेड और ग्रैनपेक्ट कंपनी लिमिटेड और बेलारूस की मिन्स्क व्हील ट्रैक्टर प्लांट शामिल है. मिलर ने ये भी कहा कि अमेरिका इन पर प्रतिबंध लगाकर इस खरीद चेन को बंद करना चाहता है.
ये भी पढ़ें: Health Insurance की राह में अब उम्र नहीं बनेगी रोड़ा, IRDAI ने उठाया बड़ा कदम
कौन सी कंपनी क्या कर रही थी सप्लाई
जिन तीनों कंपनियों पर प्रतिबंध लगाया गया है उनमें मिंस व्हील ट्रैक्टर प्लांट पाकिस्तान की लंबी दूसरी के बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम के लिए स्पेशल व्हीकल की सप्लाई कर रही थी. इसी तरह शीऑन लॉन्गडे टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट कंपनी लिमिटेड बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम के लिए फिलामेंट वाइंडिंग मशीन और उपकरण की आपूर्ति से जुड़ी हुई थी जो एनडीसी से जुड़ा हुआ था.
क्या कह रहे हैं एक्सपर्ट
विदेश मामलों के जानकार कमर आगा का कहना है कि अमेरिका की ये कार्रवाई पाकिस्तान से ज्यादा चीन के खिलाफ है. अमेरिका अब तक चाइना की कई कंपनियों के खिलाफ प्रतिबंध लगा चुका है. ये वो कंपनियां हैं जो उनको भी आईटम सप्लाई करती हैं और दूसरे देशों को भी आईटम सप्लाई करती हैं. सबसे अहम बात ये है कि पाकिस्तान उनके लिए रणनीति के तौर पर बेहद अहम है. वो उसको समय समय पर मदद भी करते रहते हैं. उन्होंने पाकिस्तान को आईएमएफ से लोन दिलवाकर बेलआउट करने में मदद भी की. पिछले दिनों अमेरिका के कई स्टेटमेंट ऐसे भी आए जो पाकिस्तान के फेवर में थे.
उसकी ये पुरानी रणनीति रही है कि पाकिस्तान के साथ भी संबंध बनाकर रखो और भारत के साथ भी संबंध बनाकर रखो. एक तरफ तो वो ये भी नहीं चाहते कि उनका बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम चले और दूसरी ओर उन्होंने पाकिस्तान के न्यूक्लियर मिसाइल प्रोग्राम को आगे बढ़ने में भी काफी मदद की. अब सवाल ये है कि क्या इससे चाइना को कोई असर पड़ेगा. इस पर कमर आगा कहते हैं कि इससे चाइना को कोई बड़ा असर नहीं पड़ता है. वो नई कंपनियां बनाकर इस काम को आगे बढ़ाने लगता है. उनके देश में कोई प्रिंसिपल नहीं है. उनका बॉर्डर भी मिलता है. कोई नियम चाइना नहीं मानता है.
आज भारत अमेरिका के बीच होता है इतने अरब का कारोबार
भारत और अमेरिका के बीच हर बीतते दिन के साथ कारोबार में इजाफा हो रहा है. पिछले 10 सालों में अब तक पीएम मोदी अमेरिका की कई यात्राएं कर चुके हैं. अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी के अनुसार, पिछले साल दोनों देशों के बीच लगभग 200 अरब डॉलर का कारोबार हुआ है. उन्होंने ये भी कहा कि आने वाले दिनों में ये इससे भी ज्यादा होगा और नए आंकड़े स्थापित करेगा. मौजूदा समय में भारत और अमेरिका के बीच सैन्य कारोबार से लेकर दूसरे तरह का कारोबार बड़े पैमाने पर होता है.
आने वाले समय में भारत अमेरिका के बीच कारोबार एआई से लेकर इलेक्ट्रिक कार, और सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में कारोबार होने की उम्मीद है. यही नहीं अमेरिका भारत के साथ मिलकर जेट इंजन वाले एफ 414 विमानों के उत्पादन को लेकर समझौता कर चुका है. इसी तरह जल्द टेस्ला भी भारत आ सकती है. दोनों देशों के बीच बीतते हर साल के साथ कारोबार में इजाफा हो रहा है. यही वजह है कि अमेरिका चीन के खिलाफ ज्यादा सख्ती से कार्रवाई कर रहा है.
इससे पहले कि व्यवस्था के तहत लोगों को केवल 65 वर्ष की आयु तक नई हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदने की अनुमति थी.
हेल्थ इंश्योरेंस लेने वालों के लिए के बड़ी खबर सामने आई है. भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) ने स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी (Health Insurance Policy) से जुड़ी आयु सीमा (Age Limit) को हटा दिया है. इसका मतलब है कि अब 65 साल से अधिक उम्र के लोग भी स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी ले सकेंगे. पहले, लोगों को केवल 65 वर्ष की आयु तक नई हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदने की अनुमति थी. यह बदलाव एक अप्रैल 2024 से प्रभावी हो गया है.
IRDAI के इस कदम का ये है उद्देश्य
IRDAI की तरफ से बताया गया है कि बीमा कंपनियां यह सुनिश्चित करेंगी कि वे सभी आयु समूहों को स्वास्थ्य बीमा उत्पाद पेश करें. बीमाकर्ता विशेष रूप से वरिष्ठ नागरिकों, छात्रों, बच्चों, मैटरनिटी और 'सक्षम प्राधिकारी' द्वारा निर्दिष्ट किसी अन्य समूह के लिए प्रोडक्ट डिजाइन कर सकते हैं. बीमा नियामक निकाय के इस कदम का उद्देश्य भारत में एक अधिक समावेशी स्वास्थ्य देखभाल पारिस्थितिकी तंत्र निर्मित करना और साथ ही बीमा कंपनियों को अपने उत्पाद की पेशकश में विविधता लाने के लिए प्रोत्साहित करना है.
क्लेम और शिकायतों के निपटारे पर जोर
आईआरडीएआई ने स्वास्थ्य बीमा कंपनियों से यह भी कहा है कि वे वरिष्ठ नागरिकों को भी ध्यान में रखते हुए नीतियां बनाएं और उनके क्लेम एवं शिकायतों से निपटने के लिए समर्पित चैनल स्थापित करें. एक इंडस्ट्री एक्सपर्ट ने इस संबंध में कहा कि यह एक स्वागत योग्य बदलाव है, क्योंकि यह लोगों को उम्र की परवाह किए बिना हेल्थ इंश्योरेंस लेने की आजादी देता है. अब बीमाकर्ता अपने बोर्ड द्वारा अनुमोदित दिशानिर्देशों के आधार पर 65 वर्ष से अधिक उम्र वालों को कवर कर सकते हैं.
इन्हें भी मना नहीं कर सकेंगी कंपनियां
इसके साथ ही IRDAI ने यह भी स्पष्ट किया है कि बीमाकर्ताओं कैंसर, दिल या गुर्दे की विफलता और एड्स जैसी गंभीर मेडिकल कंडीशन वाले व्यक्तियों को पॉलिसी जारी करने से इनकार नहीं कर सकते. अधिसूचना के अनुसार, IRDAI ने हेल्थ इंश्योरेंस वेटिंग पीरियड को 48 महीने से घटाकर 36 महीने कर दिया है. बीमा नियामक का कहना है कि सभी पूर्व-मौजूदा स्थितियों (Pre Existing Conditions) को 36 महीने के बाद कवर किया जाना चाहिए, भले ही पॉलिसीधारक ने शुरुआत में उनका खुलासा किया हो या नहीं. वहीं, बीमा कंपनियों को ऐसी क्षतिपूर्ति-आधारित स्वास्थ्य पॉलिसियां शुरू करने से रोक दिया गया है, जो अस्पताल के खर्चों की भरपाई करती हैं. इसके बजाय, उन्हें केवल लाभ-आधारित नीतियां प्रदान करने की अनुमति है, जो बीमा में कवर की गई बीमारी के होने पर निश्चित लागत की पेशकश करती हैं.
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मार्च 2020 में मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया था. अब सभी मामलों में जमानत मिल गई है,
यस बैंक ( Yes Bank) के को-फाउंडर राणा कपूर को मुंबई की एक अदालत से बड़ी राहत मिली है. पिछले चार साल से जेल में बंद राणा कपूर ने जमानत मिल गई है. मुंबई की एक स्पेशल कोर्ट ने शुक्रवार को 466.51 करोड़ रुपये के बैंक धोखाधड़ी मामले में येस बैंक के को-फाउंडर राणा कपूर को जमानत दे दी है.
इस मामले में हुई थी गिरफ्तारी
राणा कपूर को ईडी ने लोन संबंधी गड़बडी को लेकर 4 साल पहले गिरफ्तार किया था. ईडी ने मार्च 2020 में जिस मामले में कपूर की गिरफ्तारी की थी, वह दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉरपोरेशन लिमिटेड (DHFL) को यस बैंक के द्वारा दिए गए लोन से जुड़ा हुआ है. ऐसा आरोप है कि DHFL को लेान देने में कपूर के द्वारा गड़बड़ियां की गई थीं. DHFL से जुड़े लोन का यह मामला उस समय का है, जब राणा कपूर यस बैंक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हुआ करते थे.
LIC और GIC को लेकर है Modi सरकार की बड़ी तैयारी, ऐसे भरेगी झोली!
सीबीआई के मामले में मिली बेल
DHFL से जुड़े लोन फ्रॉड के मामले में ईडी के अलावा सीबीआई भी जांच कर रही है. उस संबंध में मनी लॉन्ड्रिंग समेत विभिन्न आरोपों में अलग-अलग कुल 7 प्राथमिकियां दर्ज की गई हैं. अभी राणा कपूर को जिस मामले में जमानत मिली है, वह लोन फ्रॉड के बदले घूस में सस्ते भाव पर बंगला लेने से जुड़ा है. ऐसा आरोप है कि उक्त मामले में उन्होंने गलत तरीके से लोन देकर फायदा पहुंचाया और उसके बदले में उन्हें घूस के तौर पर राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली के वीआईपी इलाके में आलीशान बंगला मिला. संबंधित बंगला नई दिल्ली में अमृता शेरगिल मार्ग पर स्थित है. एक स्पेशल कोर्ट ने मामले में राणा कपूर को जमानत दी है, जिसके बाद शुक्रवार को उन्हें तलोजा जेल से छोड़ा गया.
इतने कम भाव में हुई बंगले की डील
सीबीआई ने राणा कपूर, उनकी पत्नी बिंदु कपूर, अवंता ग्रुप के प्रमोटर गौतम थापर, ब्लिस एडोब प्राइवेट लिमिटेड समेत अन्य एंटिटीज के खिलाफ मार्च 2020 में मामला दर्ज किया था. सीबीआई का आरोप है कि कपूर ने यस बैंक के सीईओ के पद का दुरुपयोग करते हुए अमृता शेरगिल मार्ग पर स्थित बंगले को मार्केट प्राइस से सस्ते में खरीदा. संबंधित प्रॉपर्टी पहले अवंता रियल्टी के गौतम थापर के पास थी और उसकी वैल्यू सीबीआई के द्वारा 550 करोड़ रुपये बताई गई है. बंगले को गिरवी रखकर यस बैंक से 400 करोड़ रुपये का लोन लिया गया था. बाद में उस बंगले को ब्लिस एडोब कंपनी ने 378 करोड़ रुपये में खरीद लिया, जिसमें राणा कपूर की पत्नी बिंदु डाइरेक्टर हैं.