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महंगाई के मोर्चे पर आई राहत की खबर, इस वजह से हुई कमी
महंगाई दर का सीधा असर जहां आपकी जेब पर पड़ता है वहीं दूसरी ओर आरबीआई की ओर से तय होने वाली रेपो रेट पर भी इसका असर पड़ता है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 2 months ago
महंगाई देश की इकोनॉमी में ऐसा फैक्टर है जिसका असर सभी जगह देखने को मिलता है. इसका असर सिर्फ हमारे देश में ही नहीं बल्कि दुनिया की अर्थव्यवस्थाओं पर देखने को मिल रहा है. लेकिन इस बीच जनवरी महीने की थोक महंगाई दर के आंकड़े निकलकर सामने आए हैं. इस महीने महंगाई के आंकड़ों में कमी देखने को मिली है. जनवरी में थोक महंगाई दर के आंकड़े में कमी आई है और ये 0.27 प्रतिशत पर आ गयी है.
क्या खाने पीने की मुद्रास्फीति में आई कमी?
आंकड़े बता रहे हैं कि इस बार थोक महंगाई दर में कमी की वजह खाने पीने के सामान की बढ़ी महंगाई में कमी के कारण आई है. इस बार थोक महंगाई दर का आंकड़ा 0.27 प्रतिशत रहा है जबकि दिसंबर में यही आंकड़ा 0.73 प्रतिशत था. वहीं अगर थोक महंगाई दर के पिछले साल जनवरी के आंकड़े से तुलना करें तो इस बार ये काफी कम हो गया है.
जनवरी 2024 में इतनी थी खाद्य महंगाई दर
वहीं अगर जनवरी 2024 में खाद्य महंगाई दर पर नजर डालें तो वो इससे भी ज्यादा थी और उसका आंकड़ा 6.85 प्रतिशत रहा. जो दिसंबर 2023 में 9.38 प्रतिशत थी. जनवरी में सब्जियों की महंगाई दर 19.71 प्रतिशत थी, जो कि दिसंबर 2023 में 26.3 प्रतिशत रही थी. वहीं अगर दालों में थोक मुद्रास्फीति पर नजर डालें तो 16.06 प्रतिशत रही थी. जबकि फलों की मुद्रास्फीति 1.01 प्रतिशत रही.
आरबीआई की रेपो रेट का आधार ही है महंगाई दर
कुछ दिन पहले आरबीआई की ओर से रेपो रेट का ऐलान किया गया था. आरबीआई ने आने वाले दो महीने के लिए भी रेपो रेट 6.50 प्रतिशत ही बरकरा रखा है. आरबीआई गवर्नर ने साफ कहा था कि महंगाई पर नियंत्रण को लेकर उठाए गए कदम अभी जारी रहेंगे क्योंकि आने वाला समय कठिन रहने की संभावना है. आरबीआई ने पिछले लंबे समय से इसमें किसी तरह का बदलाव नहीं किया है. हालांकि कई जानकार ये उम्मीद कर रहे थे कि आरबीआई को अब इसमें कमी करनी चाहिए, जिससे आम आदमी को राहत मिल सके.
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