फोर्ब्स की ताजा लिस्ट में मुकेश अंबानी की पोजीशन में सुधार हुआ है. अंबानी एक बार फिर से एशिया के सबसे अमीर शख्स बन गए हैं.
रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) के सिर पर एक बार फिर से एशिया के सबसे धनी व्यक्ति का ताज सज गया है. 'फोर्ब्स' की ताजा अरबपतियों की लिस्ट में अंबानी को एशिया का सबसे अमीर कारोबारी बताया गया है. Forbes के अनुसार, अडानी समूह के प्रमुख गौतम अडानी (Gautam Adani) की कुल संपत्ति अब 47.2 अरब डॉलर है और वह अंबानी के बाद दूसरे सबसे धनी भारतीय हैं.
दुनिया में 9वां नंबर
गौतम अडानी 24 जनवरी को दुनिया के तीसरे सबसे धनी व्यक्ति थे. उस समय उनकी नेटवर्थ 126 अरब डॉलर थी, लेकिन अमेरिकी शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च की एक रिपोर्ट ने उन्हें ऐसा झटका दिया कि अरबपतियों की लिस्ट में वह लुढ़कते चले गए. 'फोर्ब्स' के मुताबिक, मुकेश अंबानी 83.4 अरब डॉलर की संपत्ति के साथ एशिया के सबसे अमीर और दुनिया के 9वें सबसे धनी व्यक्ति हैं.
रिलायंस की उपलब्धि
Forbes का कहना है कि पिछले साल अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज (Reliance Industries) 100 अरब डॉलर से अधिक की आय हासिल करने वाली पहली भारतीय कंपनी बन गई थी. रिपोर्ट बताती है कि दुनिया के 25 सबसे धनी लोगों की कुल संपत्ति 2,100 अरब डॉलर है. यह आंकड़ा 2022 में 2,300 अरब डॉलर था. इन टॉप 25 अमीरों में से दो-तिहाई की संपत्ति पिछले साल घटी है. Forbes की लिस्ट के मुताबिक, शिव नाडर (Shiv Nadar) तीसरे सबसे धनी भारतीय हैं. जबकि चौथे नंबर पर साइरस पूनावाला (Cyrus Poonawalla) हैं.
Adani इस नंबर पर पहुंचे
इस्पात कारोबारी लक्ष्मी मित्तल (Lakshmi Mittal) इस लिस्ट में 5वें, ओपी जिंदल समूह की सावित्री जिंदल (Savitri Jindal) छठे, सन फार्मा के दिलीप सांघवी (Dilip Shanghvi) सातवें और डीमार्ट के राधाकृष्ण दमानी (Radhakrishna Damani) 8वें नंबर पर हैं. फोर्ब्स की लिस्ट में पहले नंबर पर फ्रांस के कारोबारी Bernard Arnault हैं. वहीं, गौतम अडानी 27वें नंबर पर आ गए हैं. बता दें कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट ने अडानी को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाया है. अडानी समूह अब भी इससे पूरी तरह बाहर नहीं निकल पाया है.
गूगल ने प्रोजेक्ट निंबस का विरोध करने वाले कम से कम 50 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है.
गूगल के कर्मचारी इजराइल (Israel) को टेक्नोलॉजी देने का विरोध कर रहे हैं. कंपनी के प्रोजेक्ट निंबस (Project Nimbus) को लेकर उनमें आक्रोश व्याप्त है. दरअसल, इजराइली सरकार को क्लाउड कंप्यूटिंग और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस सेवाएं प्रदान करने के मकसद से गूगल और अमेजन ने इस प्रोजेक्ट पर 2021 में हस्ताक्षर किए गए थे. वहीं, गूगल के सुरक्षा प्रमुख क्रिस रैको ने विरोध-प्रदर्शनों की निंदा करते हुए कहा कि इस तरह का व्यवहार अस्वीकार्य है. इससे सहकर्मियों को खतरा महसूस हुआ है.
पिचाई ने किया था स्पष्ट
इजरायल जहां फिलिस्तीन से लड़ रहा है. वहीं, ईरान के साथ भी उसका विवाद चरम पर पहुंच गया है. फिलिस्तीन पर इजरायली हमले की बड़े पैमाने पर निंदा हुई थी. फिलिस्तीनी समर्थक गूगल कर्मचारियों का कहना है कि ऐसे देश के साथ कंपनी को कोई रिश्ता नहीं रखना चाहिए, जो निर्दोषों का खून बहा रहा है. गूगल के न्यूयॉर्क और कैलिफोर्निया में सनीवेल स्थित कार्यालयों पर विरोध-प्रदर्शन का आयोजन करने वाले समूह का कहना है कि कंपनी ने पिछले सप्ताह 30 कर्मचारियों को नौकरी से निकाला दिया था. बता दें कि कुछ वक्त पहले गूगल चीफ सुंदर पिचाई ने स्पष्ट किया था कि ऑफिसों में ऐसे प्रदर्शनों की इजाजत नहीं दी जा सकती.
बेवजह ही निकालने का आरोप
प्रदर्शनकारी ग्रुप एक्टिविस्ट ग्रुप 'No Tech for Apartheid' की मांग है कि इजरायल को कोई टेक्नोलॉजी न दी जाए. ग्रुप के सदस्य जेन चुंग ने कहा कि गूगल असहमति को कुचलने और कर्मचारियों को चुप कराने का प्रयास कर रही. उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ ऐसे कर्मचारियों को भी बर्खास्त किया गया है, जो आंदोलन का हिस्सा नहीं थे. वहीं, Google का कहना है कि जिन लोगों को निकाला गया है, उनमें से प्रत्येक व्यक्ति कंपनी की इमारतों के अंदर विघटनकारी गतिविधियों (Disruptive Activities) में शामिल था.
कर्मचारियों को ये है शंका
प्रोजेक्ट निंबस इजरायल की सरकार और उसकी सेना का एक क्लाउड कंप्यूटिंग प्रोजेक्ट है. इजरायल ने इसके लिए Google और Amazon के साथ 1.2 अरब डॉलर का समझौता किया है. इसके तहत गूगल और अमेजन इजरायली सेना को क्लाउड कंप्यूटिंग और AI सेवाएं प्रदान करेंगी. कई रिपोर्ट्स में यह दावा किया गया है कि इजरायल की सेना गाजा पर हमले के लिए AI टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रही है. प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों को डर का है कि इजरायल गूगल की टेक्नोलॉजी की मदद से गाजा में और भी ज्यादा कोहराम मचा सकता है. हालांकि, गूगल का कहना है कि उसकी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल हथियारों में नहीं किया जा रहा है.
बुलेट ट्रेन जल्द ही पटरी पर दौड़ती नजर आएगी. इसकी शुरुआत अहमदाबाद-मुंबई रूट से होगी.
देश बेसब्री से बुलेट ट्रेन (Bullet Train) का इंतजार कर रहा है और उसका ये इंतजार जल्द खत्म होने वाला है. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव (Ashwini Vaishnaw) ने बता दिया है कि पहली बुलेट ट्रेन पटरी पर कब दौड़ेगी. रेल मंत्री के मुताबिक, देश की पहली बुलेट ट्रेन के लिए स्टेशनों के निर्माण में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है. हम 2026 में एक सेक्शन में बुलेट ट्रेन चलाने के लिए पूरी तरह तैयार हैं.
तेजी से चल रहा है काम
रेलवे मिनिस्टर वैष्णव ने कहा कि अहमदाबाद-मुंबई रूट पर बुलेट ट्रेन का काम बुलेट ट्रेन की रफ़्तार से ही चल रहा है. इसका 290 किलोमीटर से अधिक का काम पहले ही किया जा चुका है. इस रूट पर बुलेट ट्रेन दौडाने के लिए 8 नदियों पर पुल बनाए गए हैं. 12 स्टेशनों पर अभी काम चल रहा है और कई स्टेशनों का काम पूरा होने वाला है. इसके साथ ही दो डिपो पर भी काम चल रहा है.
बेहद जटिल परियोजना
वैष्णव ने आगे कहा कि बुलेट ट्रेन शुरू होने के बाद आप चाहें तो सूरत में सुबह का नाश्ता करें और फिर मुंबई जाकर काम करें. इसके बाद रात में फिर आप अपने परिवार के पास वापस सूरत लौट सकते हैं. उन्होंने बताया कि दुनिया में जहां भी बुलेट ट्रेनें चल रही हैं, वहां 90 प्रतिशत लोग दूर की यात्रा के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं. रेल मंत्री ने कहा कि बुलेट ट्रेन एक बेहद जटिल परियोजना है. इस पर काम 2017 में शुरू हुआ था और डिजाइन को पूरा करने में करीब ढाई साल लग गए.
फ्लाइट से सस्ता होगा किराया
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बुलेट ट्रेन कॉरिडोर में 21 किमी लंबी सुरंग है. इस सुरंग का सबसे गहरा टनल 56 मीटर नीचे है, जिसमें बुलेट ट्रेन 300 से 320 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ेगी. बुलेट ट्रेन के किराए के साल पर रेल मंत्री ने कहा कि इसका किराया हवाई किराए से बहुत सस्ता होगा. हालांकि, कुछ वक्त पहले एक रिपोर्ट में बताया गया था कि मु्ंबई से अहमदाबाद तक बुलेट ट्रेन का किराया करीब 3 हजार रुपए होगा. अश्विनी वैष्णव ने कहा कि मुंबई-अहदाबाद कॉरिडोर की लागत 1,08 लाख करोड़ रुपए है. इसमें से 10 हजार करोड़ केंद्र द्वारा खर्च किया जा रहा है. जबकि महाराष्ट्र और गुजरात की सरकार 5 हजार करोड़ का योगदान देगी.
लगातार तीन सत्रों से दौड़ रहे बाजार के कुछ शेयरों में आज मंदी का रुख नजर आ सकता है.
इजरायल-ईरान के बीच लगी आग के ठंडा होने की संभावना से भारतीय शेयर बाजार (Stock Market) के अच्छे दिन लौट आए हैं. मंगलवार को भी बाजार तेजी के साथ बंद हुआ. यह लगातार तीसरा सत्र था, जब मार्केट में रौनक देखने को मिली. वैश्विक बाजारों के मजबूत रुझान और विदेशी निवेशकों की खरीदारी से घरेलू बाजार में मजबूती दर्ज हुई. इस दौरान, बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) का 30 शेयरों पर आधारित सेंसेक्स 89.83 अंक बढ़कर 73,738.45 पर पहुंच गया. इसी तरह, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का निफ्टी भी 31.60 अंकों की उछाल के साथ बंद हुआ.
इनमें आ सकती है तेजी
चलिए अब जानते हैं कि आज कौनसे शेयर ट्रेंड में रह सकते हैं. मोमेंटम इंडिकेटर मूविंग एवरेज कन्वर्जेंस डिवर्जेंस (MACD) ने आज के लिए Nazara Technologies, Tata Teleservices, Aptus Value Housing Finance, ITI, Kaynes Technology India और Biocon में तेजी के संकेत दिए हैं. इसका मतलब है कि आपके पास इन शेयरों में मुनाफा कमाने का मौका है. हालांकि, BW हिंदी आपको सलाह देता है कि स्टॉक मार्केट में निवेश से पहले किसी सर्टिफाइड एक्सपर्ट से परामर्श जरूर कर लें, अन्यथा आपको आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ सकता है.
इनमें आज मंदी की आशंका
MACD ने तेजी के साथ ही कुछ शेयरों में मंदी का रुख भी दर्शाया है. MTAR Technologies, Asahi India Glass, Finolex Cables, NLC India, Mahanagar Gas और CCL Products में आज गिरावट देखने देखने को मिल सकती है. लिहाजा इनमें निवेश को लेकर सावधानी बरतें. MTR के शेयर कल 3 प्रतिशत से अधिक की उछाल के साथ 1,860.50 रुपए पर बंद हुए थे. हालांकि, इस साल अब तक इसमें 15.52% की गिरावट भी आई है. NCL इंडिया के लिए भी मंगलवार शुभ रहा. कंपनी का शेयर दो प्रतिशत से अधिक की मजबूती के साथ 230.50 रुपए पर पहुंच गया. इस शेयर में भी इस साल अब तक 7.87% की गिरावट आ चुकी है. इसी तरह, महानगर गैस, CCL Products, Asahi India Glass और Finolex Cables में भी कल तेजी दर्ज हुई.
इन शेयरों में मजबूत खरीदारी
वहीं, कुछ शेयर ऐसे भी हैं, जिनमें मजबूत खरीदारी देखने को मिल रही है. इस लिस्ट में Bharti Airtel, Maruti Suzuki, Eicher Motors और Grasim Industries का नाम शामिल है. चलिए इन शेयरों के पिछले रिकॉर्ड पर एक नजर डाल लेते हैं, इससे आपको मुनाफे वाला सौदा पकड़ने में आसानी होगी. एयरटेल के शेयर मंगलवार को करीब 4% की बढ़त हासिल करने में कामयाब रहे. 1,347.30 रुपए के भाव पर मिल रहे इस शेयर का पिछले 5 दिन और इस साल अब तक का रिकॉर्ड भी अच्छा रहा है. मारुति की बात करें, तो यह शेयर 13 हजार रुपए के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुका है और इस साल अब तक इसने 26% से ज्यादा का रिटर्न दिया है. 4,531 रुपए की कीमत वाला Eicher Motors का शेयर भी अपने निवेशकों को खुश किए हुए है. 2024 में अब तक यह 12% से अधिक चढ़ चुका है. ग्रासिम के शेयर भी कल करीब 4 प्रतिशत की उछाल के साथ 2,369.55 रुपए पर बंद हुए.
सरकार ने पिछली बार गेमिंग पर 28 प्रतिशत का जीएसटी लगा दिया था, जिसका इस इंडस्ट्री के लोगों ने खासा विरोध किया था लेकिन सरकार पीछे नहीं हटी.
ऑनलाइन गेमिंग एक ऐसा सेक्टर है जिससे होने वाले जीएसटी कलेक्शन में बड़ा इजाफा हुआ है. अक्टूबर से दिसंबर तक की तिमाही के जो आंकड़े निकलकर सामने आए हैं उसके अनुसार सरकार को इस क्षेत्र से 3470 करोड़ रुपये का जीएसटी मिला है. अगर पिछली तिमाही से इन आंकड़ों की तुलना करें तो ये पांच गुना से ज्यादा है. सरकार को पिछले साल के मुकाबले इससे 6 गुना ज्यादा जीएसटी मिला है.
सर्वे रिपोर्ट में हुआ था दिलचस्प खुलासा
गेमिंग इंडस्ट्री को लेकर हाल ही में सामने आई HP की गेमिंग लैंडस्केप इंडस्ट्री की रिपोर्ट में कई अहम बातें निकलकर सामने आई थी. इस स्टडी में ये पता चला था कि 58 प्रतिशत महिलाएं हर हफ्ते 12 घंटे गेमिंग पर गुजार रही हैं जबकि 74 प्रतिशत पुरुष गेमिंग कर रहे हैं. सर्वे में सीरियस गेमिंग को लेकर भी आंकड़ा जुटाया गया था जिसमें निकलकर सामने आया था कि पश्चिम में 74 प्रतिशत है जबकि उत्तर में ये 54 प्रतिशत है. क्रेज बढ़ने के बावजूद अभी भी कई माता-पिता इसे आज भी सीरियस करियर मानने को लेकर दुविधा में हैं. दूसरी ओर कई अभिभावकों का मानना है कि गेमिंग कमाई का अच्छा जरिया हो सकता है.
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पीएम मोदी ने गेमिंग इंफ्लूएंसरों से की थी मुलाकात
तेजी से बढ़ते गेमिंग सेक्टर को लेकर हाल ही में पीएम मोदी ने कई युवा गेमरों से अपने आवास पर मुलाकात की थी. पीएम मोदी ने उनसे इस विषय को लेकर गंभीर बातचीत की थी. गेमिंग इंडस्ट्री का प्रभाव तेजी से ऐसा बढ़ रहा है कि 47 प्रतिशत माता-पिता ये मानते हैं कि ये एक अच्छा करियर हो सकता है. पीएम ने उन सभी युवा गेमरों से उनकी चुनौतियों से लेकर दूसरे कई अहम क्षेत्रों को लेकर बातचीत की थी. पीएम मोदी की इन युवाओं के साथ मुलाकात के बाद इस इंडस्ट्री में भविष्य बनाने वालों को सकारात्मक संदेश मिला है.
गेमिंग से सरकार ऐसे कमाती है पैसा
सरकार ऑनलाइन गेमिंग पर 28 प्रतिशत का जीएसटी लेती है. अगर आप 100 रुपये का निवेश करते हैं और 500 कमाते हैं तो ऐसे में आपको सरकार को 28 रुपये देने होंगे. इसी तरह अगर आप कमाए हुए पैसे को निकालते नहीं है तो दूसरी बार में आपको फीस नहीं देनी होगी. लेकिन अगर निकालकर आप दोबारा लगाते हैं तो फिर आपको फीस देनी होगी.
इंडियन इकोनॉमी ने नए वित्तीय वर्ष की मजबूत शुरुआत की है, बिक्री वृद्धि में तेजी के बीच निजी क्षेत्र की व्यावसायिक गतिविधि मार्च की तुलना में अप्रैल के दौरान तेजी से बढ़ी है.
मजबूत मांग के कारण इस महीने भारत की व्यावसायिक गतिविधि लगभग 14 वर्षों में सबसे तेज गति से बढ़ी है. इसमें इनपुट इन्फ्लेशन में कमी और सकारात्मक नौकरियों में बढ़ोतरी भी देखी गई है. मंगलवार को जारी एक सर्वेक्षण से पता चलता है कि पिछली कुछ तिमाहियों में मजबूत विस्तार के बाद इस साल भारत सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बने रहने के लिए अच्छी स्थिति में है.
14 साल के हाई पर बिजनेस एक्टिविटी
सर्विस पर्चेसिंग मैनेजर्स इंडेक्स मार्च के 61.2 से बढ़कर अप्रैल में 61.7 हो गया, जबकि मैन्युफैक्चरिंग पर्चेसिंग मैनेजर्स इंडेक्स 59.1 पर अपरिवर्तित रहा. इससे ओवरऑल इंडेक्स 62.2 पर पहुंच गया, जो जून 2010 के बाद सबसे ज्यादा है. इंडेक्स प्रारंभिक सर्वेक्षण परिणामों (Preliminary Survey Results) पर आधारित हैं और फाइनल PMI डेटा अगले सप्ताह प्रकाशित किया जाएगा. 50 से ऊपर की रीडिंग पिछले महीने की तुलना में विस्तार का संकेत देती है, जबकि इससे नीचे की रीडिंग गतिविधि में संकुचन का संकेत देती है.
कारोबारी आउटलुर में हुआ सुधार
HSBC की भारत की मुख्य अर्थशास्त्री प्रांजुल भंडारी ने एक बयान में कहा, घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में नए ऑर्डर बढ़ने से अप्रैल में सेवाओं की वृद्धि में तेजी आई. उन्होंने कहा कि मैन्युफैक्चरिंग मार्जिन में भी सुधार देखा गया क्योंकि कंपनियां मजबूत मांग की स्थिति के कारण ग्राहकों पर ऊंची कीमतों का भार शिफ्ट करने में सक्षम थीं. इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि मजबूत मांग के कारण अप्रैल में कुल मिलाकर भविष्य के कारोबारी आउटलुर में और सुधार हुआ.
7 फीसदी से बढ़ेगी भारत की अर्थव्यवस्था
भारत की अर्थव्यवस्था चालू वित्त वर्ष में 7 फीसदी से ज्यादा बढ़ने के लिए तैयार है, जिससे यह दुनिया में सबसे तेजी से विस्तार करने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बन जाएगी. मजबूत वृद्धि ने केंद्रीय बैंक (RBI) को मूल्य स्थिरता पर ध्यान केंद्रित करने का मौका भी दिया है. RBI इस महीने की शुरुआत में अपने सख्त नीतिगत रुख पर कायम रहा और लगातार सातवीं बैठक में बेंचमार्क दर (Repo Rate) को अपरिवर्तित रखा. HSBC ने कहा कि बढ़ती मांग ने वित्तीय वर्ष की शुरुआत में और ज्यादा रोजगार सृजन का समर्थन किया. जहां सेवा प्रदाताओं ने मार्च की तुलना में मामूली गति से अतिरिक्त कर्मचारियों को काम पर रखा है, वहीं माल उत्पादकों ने लगभग डेढ़ साल में वर्कफोर्स को सबसे बड़ी सीमा तक बढ़ाया है.
मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) ने टीबीओ टेक लिमिटेड (TBO Tek Ltd) और ऑफिस स्पेस सॉल्यूशंस लिमिटेड (Awfis Space Solutions Ltd) को अपना इनीशियल पब्लिक ऑफर यानी (IPO) लाने की मंजूरी दे दी है
मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) ने टीबीओ टेक लिमिटेड (TBO Tek Ltd) और ऑफिस स्पेस सॉल्यूशंस लिमिटेड (Awfis Space Solutions Ltd) को अपनी इनीशियर पब्लिक ऑफर यानी आईपीओ लाने की मंजूरी दे दी है. जल्द ही ये दोनों कंपनियां शेयर मार्केट में अपना आईपीओ लाएंगी, जिससे निवेशकों को तगड़ा प्रॉफिट मिलने की उम्मीद है. तो चलिए जानते हैं ये कंपनियां आईपीओ में कितना निवेश करने वाली हैं?
टीबीओ 400 करोड़ करेगी निवेश
टीबीओ टेक एक ऑनलाइन ट्रैवल डिस्ट्रिब्यूशन कंपनी है. कंपनी ने नवंबर 2023 में सेबी के पास अपने आईपीओ के लिए आवेदन जमा कराया था. टीबीओ टेक के आईपीओ में 400 करोड़ के नए शेयर जारी किए जाएंगे. वहीं कंपनी के प्रमोटर और निवेशकों की ओर से 1.56 करोड़ का शेयरों का ऑफर फॉर सेल (OFS) के तहत बिक्री के लिए रखा जाएगा. टीबीओ 100 से अधिक देशों में 147,000 से अधिक बॉयर्स (ट्रैवल एजेंसियां) और सप्लायर्स (होटल, एयरलाइंस और कार किराए पर लेने वाले) को जोड़ती है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार आईपीओ से मिली राशि का इस्तेमाल कंपनी यूरोप और नॉर्थ अमेरिका जैसे मैच्योर मार्केट्स में नए ग्राहक हासिल करने और प्लेटफॉर्म को विकसित करने में करेगी. इस आईपीओ की बुक रनिंग लीड मैनेजर एक्सिस कैपिटल (Axis Capital) , गोल्डमैन सैक्स इंडिया (Goldman Sachs India), जेएम फाइनेंशियल (JM Financial) और जेफरीज इंडिया (Jefferies) शामिल हैं. वहीं, कैफिन टेक्नोलॉजी (Caffeine Technology) इस इश्यू की रजिस्ट्रार है.
ऑफिस स्पेस सॉल्यूशंस करेगी इतने करोड़ का निवेश
वहीं, ऑफिस शेयररिंग स्टार्टअप, ऑफिस स्पेस सॉल्यूशंस लिमिटेड ने दिसंबर 2023 में आईपीओ के लिए आवेदन किया था. दूसरी ओर ऑफिस स्पेस सोल्यूशंस के आईपीओ में 160 करोड़ रुपये के नए शेयर जारी होंगे. वहीं, करीब 1 करोड़ के शेयर को कंपनी के प्रमोटरों और मौजूदा शेयरधारकों की ओर से बिक्री के लिए रखा जाएगा. इन शेयर धारकों में पीक XV पार्टनर इनवेस्टमेंट्स V करीब 50.1 लाख शेयर बेचेगी. वहीं, बिस्के लिमिटेड 49.4 लाख शेयर लिंक इनवेस्टमेंट ट्रस्ट 75,174 शेयर बेचेगी. पीक XV के पास कंपनी में 22.9 प्रतिशत की हिस्सदारी है. बिस्के लिमिटेड के पास 23.5 प्रतिशत हिस्सेदारी है. जबकि कंपनी के फाउंडर और सीईओ अमित रमानी के पास 18.2 प्रतिशत हिस्सदारी है. ICICI सिक्योरिटीज, एक्सिस कैपिटल, आईआईएफएल सिक्योरिटीज और इमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज इस आईपीओ की बुक रनिंग लीड मैनेजर हैं.
एक लाख से ज्यादा भारतीय उपयोगकर्ताओं के पैर के आकर के लिए 3-D फुट स्कैनर का उपयोग किया गया था. कुल मिलाकर, भारतीयों के पैर यूरोपीय या अमेरिकियों की तुलना में अधिक चौड़े पाए गए.
जब भी हम कोई जूता लेते हैं तो उसके लिए हमे हमारे पैर का साइज बताना पड़ता है. ये यूके और यूएस साइज होता है. हालांकि, जूते के लिए भारतीय साइज सिस्टम भी आ गया है. हाल ही में भारतीयों के पैरों के आकार पर सर्वे हुआ है. भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए इसे ‘भा’ (Bha) नाम देने का प्रस्ताव है. यह भारत में जूते बनाने का एक बेस बन सकता है. अगर ये आ जाता है, तो मौजूदा यूके-यूरोपीय और यूएस साइज सिस्टम का स्थान ले लेगा.
सर्वे में क्या पाया गया?
शुरुआत में, यह सोचा गया था कि भारतीयों के लिए अलग-अलग पैर के साइज को शामिल करने के लिए कम से कम पांच फुटवियर साइज की जरूरत होगी. सर्वेक्षण से पहले, यह माना जाता था कि पूर्वोत्तर भारत के लोगों के पैरों का आकार बाकि के क्षेत्रों में रह रहे लोगों की तुलना में औसतन छोटा होता है. इसे लेकर दिसंबर 2021 और मार्च 2022 के बीच एक सर्वेक्षण किया गया था. इसमें 5 भौगोलिक क्षेत्रों में 79 स्थानों पर रहने वाले करीब 1,01,880 लोगों को शामिल किया गया. इतना ही नहीं बल्कि भारतीय पैर के आकार, आयाम और संरचना को समझाने के लिए 3D फुट स्कैनिंग मशीनें तैनात की गईं. इसमें पाया गया कि एक औसत भारतीय महिला के पैर के आकार में बदलाव 11 साल की उम्र पर होता है जबकि पुरुष के पैर के आकार मे लगभग 15 या 16 साल में होता है.
क्यों हुई ‘भा’ (Bha) की जरूरत
भारतीय स्वतंत्रता से पहले अंग्रेजों ने भारत में यूके आकार की शुरुआत की. इसके मुताबिक, एक औसत भारतीय महिला 4 से 6 साइज के जूते पहनती है और एक औसत पुरुष 5 से 11 साइज के जूते पहनता है. चूंकि भारतीयों के पैरों की संरचना, आकार, आयाम पर कोई डेटा मौजूद नहीं था, इसलिए भारतीय प्रणाली विकसित करना मुश्किल था और इसे कभी शुरू नहीं किया गया था. एक भारतीय उपयोगकर्ता के पास अब औसतन 1.5 फुटवियर हैं और भारत दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश है, यह दुनिया के सबसे बड़े बाजारों और जूतों के निर्माताओं में से एक है. उद्योग हितधारकों ने यह भी कहा कि ऑनलाइन ऑर्डर किए गए अनुमानित 50 प्रतिशत जूते ग्राहकों द्वारा अस्वीकार कर दिए गए थे. भा के साथ, उपयोगकर्ताओं और फुटवियर निर्माताओं दोनों को लाभ हो सकता है.
सर्वेक्षण की सिफ़ारिशें
भा (Bha) आठ फुटवियर आकार प्रस्तावित करता है:
I – शिशु (0 से 1 वर्ष)
II – शिशु (1 से 3 वर्ष)
III – छोटे बच्चे (4 से 6 वर्ष)
IV – बच्चे (7 से 11 वर्ष)
V – लड़कियाँ (12 से 13 वर्ष)
VI – लड़के (12 से 14 वर्ष)
VII – महिलाएं (14 वर्ष और अधिक) और
VIII – पुरुष (15 वर्ष और अधिक).
व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए, शुरुआत में III-VIII आकार के फुटवियर का निर्माण पर्याप्त होगा. भा (Bha) के अनुसार निर्मित जूते देश की लगभग 85 प्रतिशत आबादी को सही फिटिंग और बेहतर आराम दे सकते हैं. भा को अपनाने का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि फुटवियर निर्माताओं को वर्तमान 10 आकार (अंग्रेजी प्रणाली) और सात आकार (यूरोपीय प्रणाली) के मुकाबले केवल आठ आकार विकसित करने की आवश्यकता होगी. इसके अलावा, आधे आकार की आवश्यकता नहीं होगी. जूते के अंतिम आकार की अतिरिक्त लंबाई 5 मिमी फुट होगी. वर्तमान में व्यावसायिक रूप से उपलब्ध फुटवियर की तुलना में भा प्रणाली का दायरा भी व्यापक होगा.
भा (Bha) की वर्तमान स्थिति
चेन्नई स्थित वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद-केंद्रीय चमड़ा अनुसंधान संस्थान (CSIR-CLRI) ने सर्वेक्षण किया. इसने अपनी सिफारिशें उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) को सौंपी, जो केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय के अंतर्गत आता है. डीपीआईआईटी ने उन्हें अनुमोदन के लिए भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) के पास भेज दिया है, जो इस आकार प्रणाली को लागू करने के लिए भारतीय प्राधिकरण है. चूंकि भा मौजूदा आकार प्रणालियों को पूरी तरह से बदल देगा, इसलिए विभागों ने सुझाव दिया है कि भा (Bha) आकार मानकों के अनुसार निर्मित जूते उपयोगकर्ताओं को परीक्षण, परीक्षण और प्रतिक्रिया के लिए दिए जाने चाहिए. भा के 2025 में किसी समय लागू होने की उम्मीद है.
NBFC ने बताया है कि आज जो होने वाली बैठक है, उसमें अब केवल बॉरोइंग लिमिट को बढ़ाने और NCD के जरिये फंड जुटाने पर विचार करेंगे.
महिंद्रा एंड महिंद्रा फाइनेंशियल सर्विसेज (M&M Finance) ने FY24 के अपने चौथी तिमाही के नतीजों (Q4 Results) को रोक दिया है. ऐसा कंपनी में 150 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का मामला सामने आने के बाद किया गया है. कंपनी ने शेयर मार्केट की फाइलिंग में इस बात की जानकारी दी. बीएसई फाइलिंग में महिंद्रा एंड महिंद्रा फाइनेंशियल सर्विसेज की तरफ से जानकारी दी गई है. कंपनी के अनुसार 23 अप्रैल यानी आज बोर्ड बैठक होने वाली थी. जिसमें मार्च 2024 को समाप्त तिमाही के वित्तीय परिणामों पर चर्चा की जाती.
मार्च तिमाही का नतीजा टला
M&M फाइनेंस ने कहा कि इस अप्रत्याशित मामले को देखते हुए कंपनी के मार्च तिमाही के नतीजों और डिविडेंड की सिफारिश को आगे की तारीख के लिए टाला जा रहा है. साथ ही सालाना अर्निंग कॉन्फ्रेंस को भी टाल दिया गया है. बता दें कि M&M फाइनेंस ने अपने मार्च तिमाही के नतीजों को मंजूरी देने और अन्य विषयों पर फैसले के लिए 23 अप्रैल को बोर्ड की बैठक बुलाई थी. कंपनी ने कहा कि आज की बोर्ड बैठक में ऑडिट समिति अब नतीजों के अलावा दूसरे विषयों पर चर्चा करेगी. इसमें बॉरोइंग लिमिट को बढ़ाना और नॉन-कनवर्टिबल डेबेंचर (NCD) जारी करके फंड जुटाना आदि शामिल है.
क्या है मामला?
कंपनी ने शेयर बाजार को दी जानकारी में बताया कि बताया कि ये धोखाधड़ी कंपनी द्वारा दिए जाने वाले रिटेल व्हीकल लोन से जुड़ी है. जिसमें KYC के लिए दस्तावेजों जमा करने में जालसाजी की गई. जिसके कारण कंपनी के करोड़ों रुपये का गबन हुआ. महिंद्रा एंड महिंद्रा फाइनेंशियल सर्विसेज की नॉर्थ ईस्ट की ब्रांच से यह फ्रॉड का मामला सामने आया है. धोखाधड़ी करीब 150 करोड़ रुपये की है. जिसके बारे में जांच जारी है. इस मामले में कुछ लोगों को गिरफ्तार भी किया गया. इसी कारण कंपनी ने अपने तिमाही के नतीजे को अभी टाल दिया है.
शेयर में भारी गिरावट
शेयर बाजार को मिली इस जानकारी के बाद कंपनी के शेयर में गिरावट दर्ज हो रही है. मंगलवार को शुरुआती कारोबार में ही शेयर 7 प्रतिशत से अधिक गिर गए. बीएसई पर महिंद्रा फाइनेंस के शेयर में 7.88 प्रतिशत की गिरावट दर्ज हुई. जिसके बाद ये 256.85 रुपये पर पहुंच गए. सोमवार को ये स्टॉक 1.55 प्रतिशत यानी 4.40 रुपये की गिरावट के बाद 278.85 रुपये पर बंद हुआ था.
,शेयर बाजार में जहां लगातार तेजी आ रही है, वहीं, सोने-चांदी के बाजार में फिलहाल नरमी का रुख है.
यदि आप सोने यानी Gold में निवेश करना चाहते हैं, अच्छा समय आ गया है. सोने की कीमतों में नरमी का माहौल है. सोने के साथ-साथ चांदी की कीमतों में भी गिरावट आई है. MCX एक्सचेंज पर आज यानी मंगलवार को सोना 732 रुपए की गिरावट के साथ 70,465 रुपए प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया है. आज बाजार खुलने के साथ ही सोने के भाव में नरमी दिखाई दे रही है. इसी तरह, चांदी 748 रुपए की गिरावट के साथ 79,831 रुपए प्रति किलोग्राम के भाव पर मिल रही है.
वैश्विक कीमतों में भी गिरावट
घरेलू के साथ-साथ सोने की वैश्विक कीमतों में भी गिरावट आई है. कॉमेक्स पर सोने का वैश्विक वायदा भाव 1.31% या 30.80 डॉलर की गिरावट के साथ 2,315.60 डॉलर प्रति औंस पहुंच गया है. इसी तरह, चांदी वायदा भाव 0.29 डॉलर लुढ़ककर 27.24 डॉलर प्रति औंस पर ट्रेड कर रहा है. सोने और चांदी की कीमतों में पिछले दो दिनों से गिरावट आ रही है. कुछ वक्त पहले अनुमान लगाया जा रहा था कि सोने-चांदी में और निखार आ सकता है. वैसे, ग्लोबल फर्म गोल्डमैन सैक्स को लगता है कि इस साल के अंत तक सोना 2,700 डॉलर प्रति औंस के पार जा सकता है. पहले यह अनुमान 2,300 डॉलर का था. जबकि कुछ विशेषज्ञ इसके 3000 डॉलर तक पहुंचने का अनुमान लगा रहे थे.
फायदे का सौदा हो सकता है निवेश
सोने-चांदी की कीमतों में आज भले ही गिरावट का माहौल है, लेकिन जिस तरह का इनका रिकॉर्ड उसके मद्देनजर यह कहना गलत नहीं होगा कि इनकी कीमतें फिर से रफ़्तार पकड़ सकती हैं. ऐसे में यदि आप Gold खरीदने की योजना बना रहे हैं, तो मौजूदा समय सबसे सही रहेगा. इससे एक तो आपको सस्ते में सोना मिल जाएगा और जब दाम फिर से बढ़ने लगेंगे तो आप उसे बेचकर मुनाफा भी कमा सकते हैं. सोना और चांदी ने अब तक अपने निवेशकों को अच्छा-खासा रिटर्न दिया है.
इसलिए आ रही है गिरावट
अब यह भी जान लेते हैं कि जिस सोने के भाव बढ़ने की संभावना व्यक्त की जा रही थी, वो अचानक सस्ता कैसे हो गया? ईरान और इजरायल के बीच संघर्ष बढ़ने की आशंका के चलते सोने-चांदी के दाम बढ़ रहे थे. दरअसल, सोने को निवेश का बेहतरीन विकल्प माना जाता है, इसलिए जब भी युद्ध या किसी अन्य संकट की स्थिति उत्पन्न होती है, तो लोग बड़े पैमाने पर सोने में निवेश करने लगते हैं. वह जानते हैं कि स्टॉक मार्केट भले ही क्रैश हो जाए, लेकिन गोल्ड में किया हुआ निवेश कुछ न कुछ देकर ही जाएगा. इसलिए दोनों देशों के बीच संघर्ष बढ़ने से दाम चढ़ रहे थे. अब स्थिति काफी हद तक सामान्य हो गई है. ईरान के मिसाइल हमले का इजरायल ने कोई जवाब नहीं दिया है और उसके रुख से लगता है कि वो किसी जवाबी कार्रवाई के मूड में नहीं है. इससे युद्ध की चिंता कम हो गई है. लिहाजा, निवेशक दूसरे बाजारों से पैसा निकालकर सोने में निवेश करने की जल्दबाजी में नहीं हैं. सोने की डिमांड में खास उछाल नहीं आया है, इसलिए दाम भी नहीं बढ़ रहे हैं.
भारत की मसाला कंपनियों के प्रोडक्ट को लेकर सिंगापुर और हांगकांग जैसे देशों ने सवाल उठाया है. उनकी समस्याओं को देखते हुए इनकी जांच का निर्णय लिया है.
Nestle विवाद के सामने आने के बाद अब FSSAI ने देशभर भर में अलग-अलग कंपनियों के बेबी फूड से लेकर मसालों की सैंपलिंग करने का निर्णय लिया है. इस सैंपलिंग का मकसद दूसरी कंपनियों के द्वारा बनाए जा रहे प्रोडक्ट की जांच करना है, जिससे इस बात को लेकर आश्वस्त हुआ जा सके कि जो प्रोडक्ट बिक रहा है वो सही बिक रहा है.मसालों को लेकर कई दूसरे देशों ने चिंता जताई है.
आखिर क्या है ये पूरा मामला?
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार,FSSAI (Food Safety and Standard Authority Of india) ने अपनी जांच के दायरे को Nestle से बढ़ाते हुए कई और ब्रैंड तक उसका विस्तार कर दिया है. एफएसएसआई बेबी प्रोडक्ट बनाने वाली सभी कंपनियों के बेबी प्रोडक्ट की जांच कर रहा है. यही नहीं जांच एजेंसी ने देशभर में मसाले से लेकर दूसरे कई प्रोडक्ट की जांच को लेकर अपना अभियान तेज कर दिया है. एफएसएसएआई ने जिन मसाला कंपनियों की जांच करने का निर्णय लिया है उनमें प्रमुख रूप से कई नामी कंपनियां शामिल हैं. मसाला कंपनियों के खिलाफ जांच का कार्यक्रम सिंगापुर और हांगकांग जैसे देशों के इन्हें लेकर चिंता जताए जाने के बाद हुआ है.
Nestle के मामले की तेजी से हो रही है जांच
वहीं Nestle के बेबी फूड में शुगर मिलाए जाने के आरोपों के बाद एफएसएसएआई की टीम इस पूरे मामले की जांच कर रही है. माना जा रहा है कि एक महीने में इस पूरे मामले की रिपोर्ट आ सकती है. ये पूरी जांच स्विटजरलैंड की दूसरी कंपनी पब्लिक आई के द्वारा की गई थी. स्विस कंपनी की रिपोर्ट आने के बाद कंज्यूमर अफेयर मिनिस्ट्री के इस मामले के संज्ञान लेने के बाद शुरू हुई है. इसमें नेस्ले के बेबी प्रोडक्ट की हर लेवल पर जांच हो रही है.
नेस्ले पर लगा है भारत में ज्यादा चीनी मिलाने का आरोप
स्विटजरलैंड की दूसरी कंपनी पब्लिक आई ने इस मामले में आरोप लगाया है कि नेस्ले बेबी प्रोडक्ट बनाने को लेकर अंतरराष्ट्रीय नियमों का पालन नहीं कर रही है. कंपनी के भारत में बेचे जाने वाले प्रोडक्ट में चीनी मिली है. जबकि कंपनी दुनिया के विकसित देशों अमेरिका और जर्मनी जैसे देशों में इस प्रोडक्ट को बिना चीनी के बेच रही है. लेकिन भारत में हर सर्विंग में कंपनी 3 ग्राम तक चीनी मिला रही है. वहीं कंपनी ने इस मामले में कहा है कि वो सभी नियमों का पालन कर रही है.
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