जबकि 2022 की दूसरी तिमाही में कंपनी के नतीजों को देखें तो उसे 251 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था. दूसरी तिमाही में कंपनी का राजस्व 72 प्रतिशत बढ़कर 2848 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है.
शेयर बाजार में अगर कोई कंपनी किसी दूसरी कंपनी के शेयर खरीद ले तो उसकी चर्चा तो होती ही है लेकिन अगर कोई किसी के शेयर बेच दे तो उसकी ज्यादा चर्चा होती है. ऐसी ही चर्चा मोतीलाल ओसवाल म्यूचुअल फंड की चर्चा हो रही है. क्योंकि कंपनी ने फूड डिलिवरी आउटलेट जोमैटो के 4.5 करोड़ शेयर को बेच दिये हैं. ये सौदा खुले बाजार में लेन देन के माध्यम से किया गया है, इस सौदे में 0.51 प्रतिशत भुगतान इक्विटी शामिल है.
इस रेट पर बेचे गए शेयर
जोमैटो का शेयर 135.15 रुपये पर खुला, जबकि कंपनी का शेयर 134.45 रुपये पर ट्रेड कर रहा था. सबसे दिलचस्प बात ये है मोतीलाल ओसवाल म्यूचुवल फंड की ओर से इस शेयर को 138.15 रुपये पर बेचा गया है. अगर शेयर की पिछले एक साल की परफॉर्मेंस को देखें तो उसमें 154 प्रतिशत का इजाफा हुआ है और 2024 में ये अब तक 7.83 प्रतिशत चढ़ चुका है. मंगलवार को कंपनी का मार्केट कैप बढ़कर 1.17 लाख करोड़ रुपये हो चुका है.
कंपनी का आरएसई है बेहतर
जोमैटो के आरएसई(रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स) पर नजर डालें तो दिखाई देता है कि वो मौजूदा समय में 58.3 बना हुआ है. इसका मतलब ये होता है कि न तो शेयर ज्यादा बिक रहा है और न ही ओवरबॉट एरिया में आता है. जोमैटो के शेयर 20, 50, 100 और 200 दिन के मूविंग एवरेज से ऊपर कारोबार कर रहे हैं. कुछ अंतरराष्ट्रीय कंपनियों ने आने वाले दिनों में इसका टारगेट प्राइस 168 रुपये निर्धारित किया है. इन कपंनियों का मानना है कि कंपनी का मॉडल आने वाले दिनों में देश के टियर वन शहरों में और आगे बढ़ सकता है.
कैसे रहे हैं कंपनी के दूसरी तिमाही के नतीजे?
जोमैटो के दूसरी तिमाही के नतीजे बेहद अच्छे रहे हैं. उन पर नजर डाली जाए तो पता चलता है कि उसने 36 करोड़ रुपये का लाभ दर्ज किया है. जबकि 2022 की दूसरी तिमाही में कंपनी के नतीजों को देखें तो उसे 251 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था. दूसरी तिमाही में कंपनी का राजस्व 72 प्रतिशत बढ़कर 2848 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है. जबकि 2022 में ये 1661 करोड़ रुपये था.
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एलआईसी के हर कैटेगिरी में नंबर ऑफ पॉलिसीज से लेकर रेवेन्यू में बड़ा इजाफा हुआ है. ये इजाफा 2014 के बाद सबसे बड़ा इजाफा है.
देश की सबसे बड़ी इंश्योरेंस कंपनी लाइफ इंश्योरेंस कंपनी (LIC) के अप्रैल महीने के प्रीमियम के आंकड़ों ने पुराने सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. अप्रैल में एलआईसी का प्रीमियम 12383 करोड़ रुपये से ज्यादा जमा हुआ है. अगर पिछले साल के इसी महीने के आंकड़े से इसकी तुलना करें तो ये 61 प्रतिशत ज्यादा है. जबकि 2023 में पिछले साल एलआईसी ने 5810 करोड़ रुपये का प्रीमियम वसूल किया था.
इस उपलब्धि पर कंपनी ने कही ये बात
कंपनी की इस उपलब्धि के लिए नई मार्केटिंग पॉलिसी को श्रेय दिया है जिसमें उसने कई नए इनोवेशन किए हैं. यही नहीं ग्राहक का विश्वास और कंपनी की रेप्यूटेशन(इज्जत) को भी इसका श्रेय दिया गया है. इन सभी वजहों का नतीजा ये हुआ है कि कंपनी के प्रीमियम का आंकड़ा अप्रैल में सभी पिछले रिकॉर्ड को तोड़ते हुए इस नए मुकाम तक पहुंच गया है. इससे पहले 2014 में प्रीमियम का ये आंकड़ा इस स्तर पर तक पहुंचा था.
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किस प्रीमियम में हुआ कितना इजाफा?
अप्रैल 2024 में जमा हुए इस प्रीमियम के ब्रेकअप पर नजर डालें तो व्यक्तिगत प्रीमियम कैटेगिरी में 3175.47 करोड़ रुपये जमा हुए. जबकि 2023 में अगर इस कैटेगिरी में जमा हुए प्रीमियम पर नजर डालें तो 2537.02 करोड़ रुपये रहा. इस कैटेगिरी में 2024 में ये 25.17 प्रतिशत ज्यादा है. इसी तरह से अगर ग्रुप प्रीमियम पर नजर डालें तो 2024 अप्रैल में वो 9141.34 करोड़ रुपये जमा हुआ जबकि 2023 में ये 3239.72 करोड़ रुपये रहा था. इसमें 182.16 प्रतिशत का इजाफा हुआ है. यही नहीं सालाना ग्रुप प्रीमियम में 100.33 प्रतिशत का इजाफा हुआ है. ये 2024 में 66.83 करोड़ रहा जबकि अप्रैल 2023 में ये 33.36 करोड़ रहा था.
एलआईसी की पॉलिसीज में भी हुआ है इजाफा
ऐसा नहीं है कि पुरानी पॉलिसी के नंबर पर ही कंपनी ने ये उपलब्धि पाई है. इस बार हर कैटेगिरी में कंपनी की पॉलिसी में भी इजाफा हुआ है. 2024 में नंबर ऑफ पॉलिसी में 9.12 प्रतिशत का इजाफा हुआ है और ये 8.56 लाख तक जा पहुंचा है. वहीं इंडीविजुवल कैटेगिरी में स्कीम और पॉलिसी में 9.11 प्रतिशत का इजाफा हुआ है और ये 8.55 लाख तक पहुंच गया है. ये अप्रैल 2023 में 7.84 लाख था. जबकि रिन्यूएबल पॉलिसीज और स्कीम में भी इजाफा हुआ है और ये 21.34 प्रतिशत बढ़ते हुए 2024 में 1120 तक जा पहुंचा है जो कि 2023 में 923 था. जबकि ग्रुप नंबर ऑफ पॉलिसीज और पॉलिसीज में हुए इजाफे में 15.53 प्रतिशत का इजाफा हुआ और ये अप्रैल में 305 तक पहुंच गया है. जबकि अप्रैल 2023 में 264 तक था.
ऑटो कंपनी टाटा मोटर्स ने नतीजों के साथ डिविडेंड का एलान किया. कंपनी ने शेयर होल्डर्स के लिए फाइनल डिविडेंड का एलान किया है. यही नहीं निवेशकों को स्पेशल डिविडेंड का तोहफा भी दिया है.
टाटा ग्रुप की ऑटो कंपनी टाटा मोटर्स (Tata Motors) ने आज वित्त वर्ष 2024 की जनवरी-मार्च तिमाही (Q4) के लिए रिजल्ट्स जारी कर दिए हैं. एक्सचेंजों को दी गई जानकारी में कंपनी ने बताया कि FY2024 की चौथी तिमाही में उसका समेकित नेट मुनाफा (consolidated net profit) 222 फीसदी बढ़कर 17,407.18 करोड़ रुपये हो गया. पिछले साल की समान अवधि (Q4FY23) में यह 5,407.79 करोड़ रुपये रहा था. कंपनी की टैक्स क्रेडिट और लग्जरी कार Jaguar Land Rover की दमदार बिक्री से मुनाफा कमाने में मदद मिली. कंपनी ने अपनी परफॉर्मेंस के साथ निवेशकों के लिए फाइनल डिविडेंड की भी घोषणा की.
कंपनी का बढ़ा रेवेन्यू
टाटा मोटर्स का Q4FY24 में रेवेन्यू 13.3 फीसदी बढ़कर 119,986.31 करोड़ रुपये हो गया। पिछले साल की समान अवधि (Q4FY23) में यह 105,932.35 करोड़ रुपये रहा था. यह अब तक का किसी तिमाही का सबसे ज्यादा रेवेन्यू है. कंपनी का एबिटा (EBITDA) पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 26.6 फीसदी बढ़कर 17.9 हजार करोड़ रुपये हो गया.
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निवेशकों को मिलेगा फाइनल डिविडेंड
एक्सचेंज फाइलिंग में टाटा मोटर्स ने कहा है कि उसने शेयर होल्डर्स के लिए फाइनल डिविडेंड का एलान किया है. यही नहीं कंपनी ने निवेशकों को स्पेशल डिविडेंड का भी तोहफा दिया है. टाटा मोटर्स ने 6 रुपये प्रति शेयर के अंतिम डिविडेंड का एलान किया है. साथ ही कंपनी ने 3 रुपये का स्पेशल डिविडेंड देने की भी घोषणा की है. टाटा मोटर्स की डिविडेंड ट्रैक रिपोर्ट अच्छी है. इससे पहले मई 2023 में कंपनी ने 2 प्रति शेयर का फाइनल डिविडेंड दिया था. फाइलिंग के अनुसार एलिजिबल शेयरधारकों को 28 जून, 2024 को या उससे पहले डिविडेंड का भुगतान किया जाएगा.
पैसेंजर और कमर्शियल गाड़ियों की बढ़ी बिक्री
टाटा मोटर्स के मुनाफे को लग्जरी कार जगुआर और लैंड रोवर से काफी दम मिला है. चौथी तिमाही में JLR का रेवेन्यू 10.7 फीसदी बढ़कर 9.7 बिलियन यूरो हो गया. इसी तरह कमर्शियल वाहनों की बिक्री से कंपनी का रेवेन्यू 1.6 फीसदी बढ़कर 21.6 हजार करोड़ रुपये हो गया, जबकि पैसेंजर वाहनों की बिक्री से रेवेन्यू में 19.3 फीसदी का शानदार इजाफा देखने को मिला और कंपनी ने 14.4 हजार करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त किया.
Tata Motors के शेयर उछले
अपने नतीजों के पहले टाटा मोटर्स के शेयरों में भी तेजी दर्ज हो रही थी. शुक्रवार के कारोबार में शेयर 1.62% तक उछला. स्टॉक 1,036 रुपये पर खुला था, और ये 1,047 पर बंद हुआ. टाटा ग्रुप की इस दिग्गज कंपनी का स्टॉक 6 महीनों में अपने निवेशकों को 60.28% का रिटर्न दे चुका है. 13 नवंबर, 2023 को इसकी कीमत 653 रुपये थी. अगर 1 साल का रिटर्न देखें तो शेयर 104.65% चढ़ा है.
दरअसल जेंडर आईडेंडिटी से जुड़े इस मामले को लेकर भाविश अग्रवाल ने कहा कि हमारी संस्कृति में सभी को सम्मान देने की परंपरा है इसलिए ये जहां से आई है वहीं वापस भेज दी जाए.
ओला सीईओ के लिंक्डिन पर उनके एक पोस्ट को हटाए जाने को लेकर बुरी तरह से भड़क गए. दरअसल ये पूरा मामला क्या है ये तो हम आपको आगे बताएंगे लेकिन उनके एक पोस्ट ने जेंडर इलनेस और जेंडर फ्लूडिटी पर लोगों की दिलचस्पी बढ़ा दी है. आज अपनी इस स्टोरी में हम आपको यही बताने जा रहे हैं कि आखिर ये किस चिडि़या का नाम है.
सबसे पहले समझिए आखिर क्या है ये पूरा मामला
दरअसल एआई पर जब भाविश अग्रवाल ने ये पूछा कि आखिर वो कौन हैं. इस पर एआई की ओर से जो जवाब दिया गया उसमें उनके लिए He, She का इस्तेमाल करने की बजाए They, Their और Them का इस्तेमाल किया गया था. इसी पर भाविश अग्रवाल बिगड़ गए और उन्होंने लिंक्डिन पर एक पोस्ट लिखा. भाविश अग्रवाल लिखते हैं कि ‘डियर लिंक्डइन मेरी यह पोस्ट आपके एआई द्वारा भारतीय उपयोगकर्ताओं पर एक राजनीतिक विचारधारा थोपने के बारे में थी जो असुरक्षित, भयावह है.’ आपमें से अमीर लोग मेरी पोस्ट को असुरक्षित कहते हैं! यही कारण है कि हमें भारत में अपनी तकनीक और एआई बनाने की जरूरत है. अन्यथा हम दूसरों के राजनीतिक उद्देश्यों के मोहरे मात्र बनकर रह जायेंगे.
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लिंक्डिन ने इस पोस्ट को हटा दिया
ओला सीईओ के इस पोस्ट को करने के बाद लिंक्डिन ने इसे अपने नियमों के विपरीत बताकर हटा दिया, जिसके भाविश भड़क गए. आगे भाविश कहते हैं कि भारत में अभी ज्यादातर लोगों को प्रोनाउस इलनेस की पॉलिटिक्स के बारे में जानकारी नहीं है. लोग ऐसा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि मल्टीनेशनल कंपनियों में उनसे ऐसी उम्मीद की जा रही है. बेहतर है कि इस बीमारी को वहीं वापस भेज दिया जाए जहां से ये आई है. हमारी संस्कृति में हमेशा सभी के लिए सम्मान रहा है. हमें किसी नए प्रोनाउन की जरूरत नहीं है.
अब जानिए क्या होता है जेंडर इलनेस और जेंडर फ्लूडिटी?
जेंडर इलनेस एक शब्द है जो मनुष्य के लिंग (जेंडर) और उनकी सामाजिक और मानसिक भावनाओं (इलनेस) को दर्शाता है. यह एक प्रकार की सामाजिक और प्राथमिकताओं की रूपरेखा हो सकती है जो व्यक्ति की व्यक्तित्व, विशेषताएँ और उनके अनुभवों को दिखाती है. यह शब्द अक्सर लिंग, जैसे कि पुरुष, महिला, और तृतीय लिंग के बाहर उनकी लिंगीय भावनाओं, भौगोलिक और सामाजिक भूमिकाओं के लिए इस्तेमाल किया जाता है.
जेंडर फ्लूडिटी क्या होती है
‘जेंडर फ्लूडिटी’ एक समाजशास्त्रिक और मनोविज्ञानिक शब्द है जो व्यक्ति की जेंडर भूमिकाओं और भावनाओं के बारे में बताता है. यह शब्द विभिन्न संदर्भों में प्रयोग किया जाता है, जैसे समाज में किसी की लिंग पहचान, व्यक्तित्व, और व्यवहार में विविधता और परिवर्तन को समझने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है. जेंडर फ्लूडिटी का अर्थ होता है कि व्यक्ति की जेंडर भूमिका या भावनाएँ न केवल एक ही स्थिति में स्थिर रहती हैं, बल्कि उनमें स्थिरता की बजाय परिवर्तन होता रहता है। यह व्यक्ति के अनुभवों, भावनाओं, और पहचान की विविधता को समझने का एक मानक हो सकता है.
पेप्सिको अमेरिका में हार्ट हेल्दी ऑयल का इस्तेमाल स्नैक्स बनाने में काम करती है, लेकिन भारत में सस्ते पॉम ऑयल से प्रोडक्ट्स बनाती है.
लेज चिप्स (Lay's Chips) बनाने वाली कंपनी पेप्सिको ने अपने चिप्स में पाम ऑयल का इस्तेमाल नहीं करने का फैसला किया है. पेप्सिको ने भारत में बिकने वाले लेज चिप्स में पाम तेल एवं पामोलीन की जगह सूरजमुखी और पामोलीन के मिक्सचर का ट्रायल शुरू कर दिया है. कंपनी ने यह फैसला भारत में पैकेज्ड फूड में अनहेल्दी मानी जानी वाले सस्ती सामग्री के इस्तेमाल पर आलोचना के बाद लिया है. पेप्सिको फिलहाल भारत में लेज ब्रांड नाम से बिकने वाली चिप्स में पाम तेल और पामोलीन के मिक्सचर का इस्तेमाल करती है.
सूरजमुखी तेल का होगा इस्तेमाल
आलोचना के बाद पेप्सिको इंडिया के प्रवक्ता ने कहा, हमने लेज चिप्स में पाम तेल और पामोलीन की जगह सूरजमुखी एवं पामोलीन के मिक्सचर के इस्तेमाल का ट्रायल एक साल पहले शुरू कर दिया है. आने वाले समय में भारत में भी सूरजमुखी एवं पामोलीन के मिक्सचर में पकाए चिप्स का ही इस्तेमाल होगा. साथ ही कहा, हम भारत में अपने स्नैक्स में नमक की मात्रा को 1.3 मिलीग्राम सोडियम प्रति कैलोरी से भी कम करने पर काम कर रहे हैं.
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अमेरिका में हार्ट हेल्दी ऑयल का इस्तेमाल
एक रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका में प्रमुख स्नैक्स और पेय पदार्थ निर्माता पेप्सिको अपने लेज चिप्स के लिए सूरजमुखी, मक्का और कैनोला तेल जैसे तेलों का उपयोग करती है जो हार्ट के लिए नुकसानदेह नहीं होते. अपनी अमेरिकी वेबसाइट पर कंपनी कहती है कि हमारे चिप्स ऐसे तेलों में पकाए जाते हैं जिन्हें दिल के लिए स्वस्थ माना जा सकता है.
भारत में धड़ल्ले से हो रहा है पॉम ऑयल का इस्तेमाल
भारत में तमाम फूड ब्रैंड्स, चाहे वे साल्टी स्नैक्स, बिस्किट, चॉकलेट, नूडल्स, ब्रेड्स या आइसक्रीम समेत अन्य खाद्य पदार्थों के हों, इनमें पॉम ऑयल का जबरदस्त इस्तेमाल होता है. भारत दुनिया का सबसे बड़ा पाम आयातक देश है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2022 में दुनिया का 23% पॉम ऑयल भारत ने आयात किया, जबकि दूसरे नंबर पर चीन (11.4%), तीसरे पर पाकिस्तान (7.47%) और चौथे पर अमेरिका (4.75%) है. भारत पाम ऑयल इंडोनेशिया, मलेशिया और थाईलैंड से आयात करता है.
वॉलिटिलिटी इंडेक्स (India VIX) के लगातार बढ़ने से निवेशकों में डर बैठ रहा है, क्योंकि छोटे निवेशक मार्केट का उतार चढ़ाव नहीं देखना चाहते.
शेयर मार्केट में लगातार आ रही गिरावट से निवेशक कुछ परेशान हो गए हैं. हालांकि यह गिरावट हाई लेवल से प्रॉफिट बुकिंग और फ्रेश बिक्री दोनों को मिलाकर हुई है और डाउन सपोर्ट लेवल पर बाजार में खरीदारी नहीं आई, इसीलिए निफ्टी ने गुरुवार को 22000 के लेवल से नीचे जाकर क्लोज़ किया. वहीं, शुक्रवार को निफ्टी 22,055.20 पर क्लोज हुआ.
क्या है वॉलिटिलिटी इंडेक्स?
इंडिया VIX के लगातार बढ़ने से निवेशकों में डर बैठ रहा है, क्योंकि छोटे निवेशक मार्केट का उतार चढ़ाव नहीं देखना चाहते. हालांकि बढ़ी हुई वॉलिटिलिटी में कुछ स्टॉक अच्छे भाव पर कैच करने वाले निवेशक भी बाजार में हैं. आपको बता दें, एनएसई (NSE) ने शॉर्ट-टर्म मार्केट अस्थिरता और स्विंग के बारे में इंवेस्टर की अपेक्षाओं को ट्रैक करने के लिए 2003 में इंडिया वोलेटिलिटी इंडिकेटर (VIX) डेवलप किया. अस्थिरता इंडेक्स का इस्तेमाल मार्केट की अस्थिरता की अपेक्षाओं को निर्धारित करने के लिए किया जाता है. अस्थिरता "कीमतों में उतार-चढ़ाव की दर और परिवर्तन" को मापती है, जिसे वित्तीय बाजारों में "जोखिम" भी कहा जाता है. एक बढ़ता अस्थिरता इंडेक्स दर्शाता है कि बाजार कितना अस्थिर है और यह कितनी बार ऊपर और नीचे चलता है. इसके अतिरिक्त जैसा कि बाजार की स्थिति स्थिर और कम अस्थिर हो जाती है, अस्थिरता सूचकांक कम हो जाता है. इस इंडेक्स के अनुसार इन्वेस्टर अगले 30 दिनों में मार्केट परफॉर्म करने की अपेक्षा करते हैं.
इसकी गणना कैसे होती है?
अस्थिरता सूचकांक के रूप में भी जाना जाने वाला इंडिया VIX की गणना इंडेक्स विकल्पों की ऑर्डर बुक्स को देखकर और इसे प्रतिशत के रूप में व्यक्त करके की जाती है. दूसरी ओर, मूल्य सूचकांक, स्टॉक की कीमत के मूवमेंट पर विचार करता है. इंडिया VIX की गणना ब्लैक और स्कोल मॉडल का उपयोग करके की जाती है, जिसे ब्लैक और स्कोल मॉडल भी कहा जाता है. भारत VIX की गणना करने के लिए, एनएसई के भविष्य और विकल्पों (F&O) के बाजार से कोटेशन का उपयोग किया जाता है.
लॉन्ग टर्म इंवेस्टर के लिए खरीदी का मौका
मार्केट के बारे में कहा जाता है कि जब बाजार में दूसरे लोग डरने लगें तो आप खरीदिये और जब दूसरे मार्केट में लालच करने लगें तो आपको बेचना चाहिए. बाजार के एक्सपर्ट्स ने कहा कि बढ़ी हुई वॉलिटिलिटी की यह अवधि शेयर की कीमतों में उतार-चढ़ाव वाली है, जो लॉन्ग टर्म इंवेस्टर को खरीदारी के मौके देती है.
बाजार पर चुनाव का दबाव
एक्सपर्ट्स के अनुसार लोकसभा चुनाव नतीजों पर अनिश्चितता और विदेशी निवेशकों की बिकवाली के कारण बाजार दबाव में है. इंडिया VIX (वॉलिटिलिटी इंडेक्स) अप्रैल के न्यूनतम स्तर से लगभग 80 प्रतिशत उछल गया है.
9 महीने के निचले स्तर के बाद मारी उछाल
एक्सपर्ट्स का कहना है कि इंडिया VIX स्पाइक बताता है कि हाई वॉलिटिलिटी कुछ समय तक बनी रहेगी. स्पाइक ऑप्शन ट्रेड की बढ़ती मात्रा के कारण है. कई निवेशक चुनाव परिणाम को लेकर अप्रत्याशित स्थिति में अपने पोर्टफोलियो की सुरक्षा के लिए पुट ऑप्शन खरीद रहे हैं. इंडिया VIX 23 अप्रैल को नौ महीने के निचले स्तर 10.2 से शुक्रवार 10 मई को 18.47 पर पहुंच गया. अक्टूबर 2022 के बाद इंडिया VIX का यह हाईएस्ट नंबर है
एपल आज सफलता की जिस ऊंचाई पर खड़ी है, उसमें कंपनी के सीईओ टिम कुक का अहम योगदान है.
आईफोन (iPhone) बनाने वाली कंपनी एपल (Apple) की लीडरशिप में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है. दरअसल, कंपनी के सीईओ टिम कुक (Tim Cook) इस साल 64 साल के हो जाएंगे. ऐसे में माना जा रहा है कि वह जल्द ही रिटायरमेंट ले सकते हैं. यदि ऐसा होता है, तो टिम कुक की जगह कंपनी की कमान कौन संभालेगा, यह फिलहाल स्पष्ट नहीं है. लेकिन मीडिया में नए एपल सीईओ के तौर पर जॉन टर्नस (John Ternus) की चर्चा जरूर शुरू हो गई है.
सीधे कुक को रिपोर्ट करते हैं टर्नस
वैसे, एपल के मौजूदा चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर जेफ विलियम्स का नाम भी अगले सीईओ की दौड़ में शामिल बताया जा रहा है, लेकिन चर्चा सबसे ज्यादा जॉन टर्नस की है. टर्नस एपल के हार्डवेयर इंजीनियरिंग के वरिष्ठ उपाध्यक्ष हैं. उन्होंने आईफोन, आईपैड, एयरपॉड जैसे कंपनी के कई उत्पादों बनाने में अहम योगदान दिया है. टर्नस सीधे टिम कुक को रिपोर्ट करते हैं. वह साल 2001 में एपल का हिस्सा बने थे.
अभी निभा रहे हैं ये जिम्मेदारी
जॉन टर्नस ने प्रोडक्ट डिजाइन टीम के सदस्य के रूप पर Apple में अपने करियर की शुरुआत की थी और 2013 से वह कंपनी की हार्डवेयर इंजीनियरिंग के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट पद पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं. उनके नेतृत्व में ही आईपैड के विभिन्न मॉडल्स, मौजूदा आईफोन सीरीज और एयरपॉड का उत्पादन हुआ है. टर्नस एपल से जुड़ने से पहले वर्चुअल रिसर्च सिस्टम नामक कंपनी में मैकेनिकल इंजीनियर के तौर पर काम कर चुके हैं. उनकी शिक्षा की बात करें तो उन्होंने पेंसिल्वेनिया यूनिवर्सिटी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक किया है.
इसलिए टर्नस की दावेदारी है मजबूत
जॉन टर्नस के अलावा, जेफ विलियम्स, एपल के सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग के उपाध्यक्ष क्रेग फेडरीगी, रिटेल उपाध्यक्ष डेरड्रे ओ ब्रायन, डैन रिकियो और फिल शीलर भी टिम कुक की कुर्सी पर बैठने की दौड़ में शामिल हैं. हालांकि, टर्नस का दावा इसलिए मजबूत माना जा रहा है, क्योंकि वह लंबे समय से एपल के साथ जुड़े हैं और उन्हें मौजूदा सीईओ टिम कुक का करीबी माना जाता है. बता दें कि टिम कुक Apple के लिए लकी रही हैं, उनकी लीडरशिप में कंपनी का मार्केट कैप 2.83 ट्रिलियन डॉलर पहुंच गया है.
ऐसे सीईओ की कुर्सी तक पहुंचे थे कुक
टिम कुक ने 1998 में Apple ज्वाइन की थी. ये वो दौर था जब कंपनी मुश्किल आर्थिक हालातों का सामना कर रही थी. 2000 में कुक को Apple के सेल्स और मैनेजमेंट विभाग का वाइस प्रसिडेंट बनाया गया. 2004 में उन्होंने मैकिन्टोश डिवीजन के अंतरिम सीईओ की जिम्मेदारी संभाली और 2009 में जब स्टीव जॉब्स खराब सेहत के चलते छुट्टी पर गए, तो कुक को अंतरिम सीईओ बनाने की घोषणा की गई. अगस्त 2011 में स्टीव जॉब्स के निधन के बाद टिम को Apple का सीईओ बनाया गया और इस दौरान उन्होंने कंपनियों को सफलता के नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया.
भारत में दुनिया की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन (Amazon) दिव्यांग लोगों को ट्रेनिंग देकर, उन्हें रोजगार दिलाने की दिशा में काम कर रही है.
अब बड़ी बड़ी कंपनियां दिव्यांग (People With Disabilies) उम्मीदवारों की डिमांड कर रही हैं. वहीं, कंपनियां जितनी डिमांड कर रही हैं, उसकी तुलना में कैंडिडेट्स नहीं मिल रहे हैं. ऐसे में दुनिया की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन भारत में दिव्यांग लोगों को ट्रेनिंग देकर, उन्हें नौकरी दिलाने के लिए तेजी से काम कर रहा है.
700 लोकेशन पर चल रहा प्रोग्राम
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अमेजन देशभर में 700 से अधिक लोकेशन पर ये ग्लोबल रिसोर्स सेंटर (GRC) के तहत ट्रेनिंग प्रोग्राम चला रहा है, जिनमें से 500 लोकेशन गांव में है. गुरुग्राम स्थित ग्लोबल रिसोर्स सेंटर (GRC) में देश के 20 अलग-अलग राज्यों के बच्चों को ट्रेंड किया जा रहा है.
रोजगारार्थी ऐप के जरिए रोजगार का मौका
जीआरसी मूक-बधिर, नेत्रहीन और लोकोमोटर विकलांगता वाले छात्रों की सेवा करता है. वहां अमेजन की टेक टीम छात्रों को इस तरीके से ट्रेंड करती है, जिससे उन्हें नौकरी करने का अवसर मिल सके. प्रतिभागियों को अंग्रेजी भाषा से लैस करती है, मोबाइल डिवाइस प्रदान करती है और 20,000 रुपये तक का मासिक वेतन भी प्रदान करती है और साथ में यात्रा और आवास में मदद करती है. रोजगारार्थी ऐप इस कार्यक्रम का एक प्रमुख हिस्सा है और पीडब्ल्यूडी उम्मीदवारों को अमेजन और अन्य संगठनों में रोजगार के अवसरों से जोड़ता है.
एक बच्चे को तैयार करने में कितना आता है खर्च?
एक बच्चे की ट्रेंनिंग में करीब 16,500 रुपये का खर्च आता है. अभी तक 70 हजार से अधिक बच्चों को ट्रेनिंग दी जा चुकी है. अमेजन का लक्ष्य हर साल 7 हजार नए बच्चों को ट्रेंड करना है.
सरकार भी कर रही मदद
अमेजन ने कहा है कि अब कंपनियां पीडब्ल्यूडी उम्मीदवारों की डिमांड कर रही हैं, लेकिन उस संख्या में ट्रेंड बच्चे अभी नहीं हैं. यानी अगर बच्चे ट्रेंड हो जाते हैं, तो उन्हें रोजगार से जुड़े मौकों की कमी नहीं होती है. इसमें सरकार योजनाओं से भी आर्थिक मदद मिलती है, जिससे बच्चों को अलग-अलग डिवाइस खरीद कर दिया जाता है.
एशियन पेंट्स के शेयर आज उछाल के साथ कारोबार कर रहे है. इस साल अब तक स्टॉक 18% से ज्यादा लुढ़क चुका है.
एशियन पेंट्स (Asian Paints) ने हाल ही में अपने मार्च 2024 तिमाही के वित्तीय परिणाम घोषित किए हैं. ये परिणाम वैसे नहीं रहे, जैसी उम्मीद की जा रही थी. लिहाजा, ब्रोकरेज फर्म्स में एशियन पेंट्स के शेयरों को लेकर कोई खास दिलचस्पी नहीं है. उन्होंने इस शेयर के लिए 'सेल' और 'न्यूट्रल' रेटिंग को बरकरार रखा है. हालांकि, यह बात अलग है कि एशियन पेंट्स का मुनाफा बढ़ा है. मार्च 2024 तिमाही में कंपनी का कंसोलिडेटेड नेट प्रॉफिट 1,275.3 करोड़ रुपए रहा, जो एक साल पहले की समान तिमाही में 1258.41 करोड़ था. जबकि तिमाही के दौरान ऑपरेशंस से कंसोलिडेटेड रिवेन्यु सालाना आधार पर 0.64 प्रतिशत की मामूली गिरावट के साथ 8,730.76 करोड़ रुपये रहा है.
इस वजह से बिगड़ेगा खेल
इसी तरह, कंपनी का EBITDA मार्जिन सालाना आधार पर 170BPS 21.1% रह गया है. हालांकि, कंपनी को ग्रामीण बाजारों में तेजी दिखाई दे रही है और उसे उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही (Q1FY25) उसके लिए अच्छी जाएगी. एक रिपोर्ट में ब्रोकरेज फर्म प्रभुदास लीलाधर के हवाले से बताया गया है कि पेंट्स कारोबार में ग्रासिम इंडस्ट्रीज की एंट्री से एशियन पेंट्स के लिए निकट अवधि में संभावनाएं कमजोर बनी हुई हैं. वहीं, मोतीलाल ओसवाल का मानना है पेंट्स कैटेगरी में ग्राहकों की वफादारी बड़ी भूमिका निभाती है. एशियन पेंट्स के पास चैनल और उपभोक्ता दोनों स्तरों पर एक मजबूत ब्रैंड रिकॉल है.
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इतना है Target Price
अंतरराष्ट्रीय ब्रोकरेज कंपनी Citi ने एशियन पेंट्स के शेयर के लिए 2600 रुपए के Target Price के साथ 'सेल' कॉल बरकरार रखी है. इसी तरह, CLSA ने भी 'सेल' कॉल बरकरार रखते हुए इसके Target Price को 2,410 रुपए से घटाकर 2,337 रुपए प्रति शेयर कर दिया है. वहीं, मोतीलाल ओसवाल का कहना है कि वह वित्तवर्ष 25/26 में मूल्य वृद्धि और मार्जिन दोनों को लेकर सतर्क है. प्रतिस्पर्धी दबाव का जोखिम अभी भी कंपनी की कमाई पर मंडरा रहा है. लिहाजा, ब्रोकरेज फर्म ने 3000 रुपए के टार्गेट प्राइज के साथ 'न्यूट्रल' रेटिंग बरकरार रखी है. आज कंपनी के शेयर के प्रदर्शन की बात करें, तो खबर लिखे जाने तक यह करीब 3 प्रतिशत के उछाल के साथ 2,781 रुपए पर कारोबार कर रहा था. हालांकि, इस साल ये अब तक 18.11% लुढ़क चुका है.
दरअसल एआई को लेकर पिछले कुछ समय में माइक्रोसॉफ्ट और गूगल में एक तरह से कोल्ड वॉर और कड़ी प्रतिस्पर्धा चल रही है. दोनों कंपनियां एक दूसरे से मुकाबला कर रही हैं.
एआई को लेकर एक ओर जहां पूरी दुनिया में इनोवेशन पर जोर दिया जा रहा है वहीं दूसरी ओर सरकारें भविष्य में इसकी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं. लेकिन इसी इनोवेशन को लेकर दुनिया की दो नामी कंपनियों गूगल(Google) और माइक्रोसॉफ्ट(Microsoft) के सीईओ के बीच जुबानी जंग छिड़ गई है. माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ के बयान पर अब गूगल के सीईओ ने अपना जवाब देते हुए कहा है कि वो किसी और की धुन पर नहीं नाचते हैं.
आखिर गूगल के सीईओ ने क्या जवाब दिया
दरअसल माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ की प्रतिक्रिया पर पूछे गए सवाल के जवाब में गूगल के सीईओ सुंदर पिचई ने कहा कि वो अपने काम पर फोकस कर रहे हैं, हम किसी और की धुन पर नहीं नाचते हैं. उन्होंने एक मीडिया हाउस को दिए अपने इंटरव्यू में आगे कहा कि मुझे लगता है कि जिन तरीकों से आप गलत काम कर सकते हैं उनमें सबसे अहम है बाहर के शोर को सुनना और किसी और इशारों पर नाचना. उन्होंने कहा कि मैं हमेशा ही इस बात को लेकर स्पष्ट हूं कि हमें क्या करने की जरूरत है. इसके आगे जब उनसे पूछा गया तो क्या आप अपनी धुन पर चल रहे हैं? इसके जवाब में पिचई ने कहा कि जी आप बिल्कुल सही कह रहे हैं.
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आखिर विवाद की शुरुआत कहां से हुई?
दरअसल सुंदर पिचई ने जो आज माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ की ओर से की गई एक टिप्पड़ी के बाद ये जवाब दिया है. सत्य नडेला ने एआई सर्च के मामले में खुद की कंपनी के गुगल से आगे होने की बात कही थी. उनकी इसी बात को लेकर जब पिचई से सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वो खुद की धुन पर नाचना पसंद करते हैं. सत्य नडेला ने ये भी कहा था कि एआई सभी टेक कंपनियों के लिए नया युद्धक्षेत्र बन चुका है. सत्य नडेला ने कहा कि हमने आज प्रतिस्पर्धा की है, उन्होंने गूगल को लेकर कहा था जहां तक सर्च बिजनेस की बात आती है तो गूगल अभी भी 800 पाऊंड गोरिल्ला है. उन्होंने गूगल को चुनौती देते हुए ये भी कहा था कि हमारे इनोवेशन के बाद वो निश्चित तौर से आगे आना चाहेंगे और दिखाना चाहेंगे कि वो भी कुछ कर सकते हैं. साथ ही लोगों को ये पता चले कि हमने उन्हें नचाया है. वो एक बड़ा दिन होगा.
AI पर माइक्रोसॉफ्ट ने किया है निवेश
हाल ही में आई एक रिपोर्ट में बताया गया था कि एआई में गूगल से पिछड़ने के डर से कंपनी ने बड़ा निवेश किया है. इसे लेकर जब पिचई से सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में हमेशा ही बहुत मुकाबला रहा है. उन्होंने कहा कि इनोवेशन आगे रहने का सबसे बेहतर तरीका है. आज ये हर समय जरूरी हो गया है और आज रफ्तार भी बहुत तेज हो गई है. उन्होंने कहा कि आज तकनीक पहले से कई तेजी से बदल रही है. उन्होंने कहा कि ये मेरे लिए कोई आश्चर्य की बात नहीं है.
Businessworld समूह के चेयरमैन व एडिटर इन चीफ और Exchange4Media समूह के चेयरमैन डॉ. अनुराग बत्रा ने BW CFO उद्घाटन सत्र को संबोधित किया.
BW Business World के वेंचर BW CFO के द्वारा BEST CFO & Finance strategy अवॉर्ड का आयोजन नई दिल्ली में किया गया. इस मौके पर Businessworld समूह के चेयरमैन व एडिटर इन चीफ और Exchange4Media समूह के चेयरमैन डॉ. अनुराग बत्रा ने उद्घाटन सत्र को संबोधित किया. डॉ बत्रा ने कहा कि कि CFO किसी संस्थान का भविष्य तय करते हैं.
डॉ अनुराग बत्रा ने आगे कहा कि CFO किसी भी संस्थान के लिए चीफ फ्यूचर ऑफिसर होते हैं. CFO की भूमिका किसी भी संस्थान के लिए सबसे महत्वपूर्ण भूमिका होती है कि क्योंकि वो संस्थान का भविष्य तय करते हैं और किसी संस्थान के सिर्फ आर्थिक पहलू ही नहीं बल्कि संस्थान को हर क्षेत्र में आगे बढ़ाने के लिए जिम्मेदारी CFO की ही होती है. उन्होंने कहा कि कोई भी बिजनेस घराना सफलतापूर्वक तभी चल सकता है जब वो फायदे में हो और इस स्थिति को मजबूत बनाने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी CFO की ही है.
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डॉ अनुराग बत्रा ने CFO की भूमिका को औऱ स्पष्ट करते हुए कहा कि CFO वो है जो काम तो आज के लिए करता है, लेकिन सोचता भविष्य के बारे में हैं. यानी कोई भी कंपनी आज जिस स्थिति में है आगे चलकर उसका बड़ा और आर्थिक तौर पर मजूबत आकार कैसा होगा ये सीएफओ ही तय करता है. उन्होंने कहा कि आज ये मंच एक प्लेटफॉर्म है जिस पर एक साथ कई कंपनियों के CFO इकट्ठा है और चर्चा कर रहे हैं कि किन आधार औऱ आइडिया से किसी भी बिजनेस घराने को आर्थिक तौर पर मजबूत किया जा सकता है.
Businessworld समूह के चेयरमैन व एडिटर इन चीफ ने कहा कि BW CFO अवार्ड के जरिए उन सभी अवार्ड के काम को पहचान देने की कोशिश है जिन्होंने अपने क्षेत्र में सबसे बेहतर काम किया है. उन्होंने कहा कि इस अवॉर्ड के लिए विजेताओं का चयन एक प्रतिष्ठित ज्यूरी ने किया है. BW CFO अवॉर्ड मैं सभी विजेताओ को मैं अपनी शुभकामनाएं देता हूं.
BF BEST CFO & Finance strategy अवॉर्ड से पहले पैनल डिस्कशन में कई प्रतिष्ठित बिजनेस घरानों ने हिस्सा लिया, जिसमें इस बात पर चर्चा हुई कि किसी संस्थान की आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाने के लिए संसाधनों और टेक्नॉलिजी का इस्तेमाल कैसे किया जाए