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G-20 समिट के लिए भारत पहुंचे कई राष्ट्राध्यक्ष, मोदी-बाइडेन के बीच होगी बातचीत
9 और 10 सितंबर को होने वाले जी-20 समिट के लिए भारत की ओर से तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. इस बीच अमेरिका के एनएसए ने मोदी-बाइडेन की बातचीत को लेकर अहम जानकारी दी है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 8 months ago
पिछले साल दिसंबर में भारत को जी-20 की अध्यक्षता मिलने के बाद अब तक इसके तहत होने वाली कई मीटिंग सफलतापूर्वक आयोजित हो चुकी हैं. अब जी-20 इवेंट की सबसे बड़ी बैठक शनिवार और रविवार को आयोजित होने जा रही है. इस बैठक में दुनिया के शीर्ष देशों के सभी नेताओं के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो चुका है. अब तक जहां अर्जेंटीना के राष्ट्रपति अल्बर्टो फर्नाडीस पहुंच चुके हैं. वहीं दूसरी ओर बाइडेन आज शाम को पहुंच रहे हैं.
जी-20 समिट के लिए पहुंच रहे हैं ये नेता
जी-20 समिट के लिए 20 से ज्यादा देशों के राष्ट्राध्यक्ष भारत आ रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अब तक अर्जेंटीना के राष्ट्रपति अल्बर्ट फर्नाडीस भारत पहुंच चुके हैं. जबकि बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना भी भारत पहुंच चुकी हैं वहीं जापान के पीएम फुमियो किशिदा सीधे आशियान की बैठक से भारत पहुंच रहे हैं. उनके अलावा ब्रिटेन के पीएम ऋषि सुनक भी आज भारत आ रहे हैं. यही नहीं फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों भी आज भारत पहुंच रहे हैं. लगभग सभी देशों के राष्ट्राध्यक्ष आज शाम तक भारत पहुंच जाएंगे.
कब पहुंच रहे हैं अमेरिकी राष्ट्रपति?
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन आज शाम को 6.55 पर भारत आ रहे हैं. बाइडेन के आज भारत आने के बाद उनकी मोदी के साथ बाइलेट्रल बातचीत भी हो सकती है. अमेरिकी राष्ट्रपति की पीएम मोदी के साथ जेट इंजन की तकनीक से लेकर उससे जुड़े दूसरे मामलों को लेकर चर्चा हो सकती है. बाइडन के साथ उनके इस दौरे में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन, डिप्टी चीफ ऑफ स्टॉफ जेन ओमैली डिलन और ओवल ऑफिस संचालन के निदेशक एनी टोमासिनी होंगे.
किन मामलों पर हो सकती है बातचीत
दोनों नेताओं के बीच किन मामलों पर बात हो सकती है इसे लेकर पूर्व विदेश सचिव, राजदूत शशांक कहते हैं कि वैसे तो बाइडेन जी-20 के लिए आ रहे हैं, भारत के लिए उन्होंने स्टेट विजिट आर्गनाइज किया था. ये दौरा सबसे पहले दोनोंइ देशों के बीच के संबंध को एक नई ऊंचाई पर लेकर जाएगा. इसमें नई तकनीक में बातचीत हो सकती है, स्पेस के मामले को लेकर बातचीत हो सकती है, डिफेंस के क्षेत्र में भी बातचीत हो सकती है. बाइडेन मोदी को सपोर्ट करते हैं. दोनों के बीच भले ही लोकतांत्रिक देश होने के नाते आलोचना होती हो लेकिन फिर भी दोनों देश एक दूसरे साथ लगातार आगे बढ़ रहे हैं.
एशिया में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को चाइना से कम करना और दूसरे देशों में ले जाना, वियतनाम, भारत और मलेशिया में होना चाहिए. अगर ये भारत में आते हैं तो ज्यादा असर पड़ेगा. क्वांटम कंप्यूटिंग भी ऐसा क्षेत्र है जिस पर अमेरिका भारत को सपोर्ट करना चाहता है, उस पर भी बात हो सकती है. पूर्व विदेश सचिव हाल ही में भारत के द्वारा लगाए गए बैन को लेकर कहते हैं कि इसे लेकर अमेरिका पर दबाव हो सकता है लेकिन हमने ये बैन इसलिए लगाया है क्यों कि आत्मनिर्भरता की ओर आगे बढ़ना चाहते हैं.
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