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क्या भारत में आने वाली है मंदी? जानिये क्या सोचते हैं देश के CEOs
KPMG 2022 CEO Outlook ने दुनिया और भारत के CEOs के साथ ग्लोबल स्तर पर तीन साल के व्यापार और आर्थिक हालातों को लेकर सर्वे किया.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
नई दिल्ली: दुनिया भर की जितनी अर्थव्यवस्थाएं हैं, या तो वो मंदी के मुहाने पर खड़ी हैं, या फिर मंदी की चपेट में आ चुकी हैं. लेकिन भारत इसके ठीक उलट बेहतर स्थिति में है. IMF की चीफ इकोनॉमिस्ट पियरे ओलिवियर का भी बयान है कि जब दुनिया मंदी की आशंकाओं का सामना कर रही है भारत एक चमकती हुई रौशन के रूप में उभर रहा है.
12 महीने में भारत में मंदी आएगी!
लेकिन इस बीच एक ऐसी रिपोर्ट आती है, जो IMF के बयान के ठीक उलट ये दावा करती है कि भारत में मंदी दस्तक देने वाली है. KPMG 2022 India CEO Outlook में ये रिपोर्ट छपी है. जिसमें ये कहा गया है कि भारत में 66% CEO का अनुमान है कि भारत अगले 12 महीने में मंदी की चपेट में आ सकता है. जबकि वैश्विक स्तर पर 86 परसेंट CEO मानते हैं कि मंदी आने वाली है. KPMG 2022 India CEO Outlook के मुताबिक भारत और विश्व स्तर पर लगभग 58% मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (CEO) को लगता है कि अगले 12 महीनों में वैश्विक अर्थव्यवस्था में जो मंदी दिखाई देगी, वह भारत में 55% CEO के साथ इससे निपटने की योजना के साथ हल्की और छोटी होगी.
CEOs पर KPMG का सर्वे
KPMG 2022 CEO Outlook ने दुनिया और भारत के CEOs के साथ ग्लोबल स्तर पर तीन साल के व्यापार और आर्थिक हालातों को लेकर सर्वे किया. जियो पॉलिटकल संकट और आर्थिक चुनौतियों के बावजूद भारत और ग्लोबल इकोनॉमी पर CEOs का भरोसा फरवरी 2022 में 52% से बढ़कर अगस्त में 57% हो गया है. सर्वे में कहा गया है कि भारत में 82% CEOs छोटी अवधि में ग्लोबल इकोनॉमी में लचीलेपन का भरोसा रखते है. जबकि लंबी अवधि में उन्हें लगता है लंबी अवधि में अब भी ग्रोथ आउटलुक में उछाल आना बाकी है. सर्वे से पता चलता है कि भले ही भारत में CEO कंपनी और देश में विकास की संभावनाओं में गिरावट देखते हैं, लेकिन वे छोटी अवधि में वापस उछाल के लिए पर्याप्त लचीलापन देखते हैं
सर्वे से ये पता चलता है कि जब मंदी और इसके दूसरे पहलुओं की बात आती है जो उनके कारोबार को प्रभावित कर सकते हैं, तो भारत के CEOs तुलनात्मक रूप से कम चिंतित हैं. हालांकि भारत के CEOs को लगता है कि कोविड -19 महामारी से थकान, आर्थिक कारक, जिसमें बढ़ती ब्याज दरों का खतरा, महंगाई और प्रत्याशित मंदी और प्रतिष्ठा जोखिम शामिल हैं, सबसे ज्यादा दबाव वाली चिंताओं में से हैं. भारत में CEOs इस बात की ओर इशारा करते हैं कि जियो पॉलिटिकल संकट अगले तीन सालों में रणनीतियों और सप्लाई चेन को प्रभावित करती रहेंगी. वैश्विक स्तर पर 81% CEOs की तुलना में भारत में 75% CEO ने जियो पॉलिटिकल जोखिम को देखते हुए अपने रिस्क मैनेजमेंट प्रक्रियाओं को एडजस्ट करने की योजना बनाई है.
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