2000 के नोट स्वीकार कर रहे हैं Jewellers, लेकिन इन शर्तों के साथ

रिजर्व बैंक ने 2000 रुपए के नोट बंद करने की घोषणा की है. 30 सितंबर तक इन नोटों से बैंकों से बदला जा सकेगा.

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Monday, 22 May, 2023
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नोटबंदी 1.0 के दौरान कई तरह की परेशानियों का सामना करने वाले ज्वैलर्स (Jewellers) अब नोटबंदी 2.0 के दौरान काफी फूंक-फूंक कर कदम रख रहे हैं. 2000 रुपए के नोट से पेमेंट करने वाले ग्राहकों के लिए उन्होंने Pan Card या आधार कार्ड की कॉपी सबमिट करना अनिवार्य कर दिया है. ताकि भविष्य में उन्हें किसी तरह की दिक्कत से दो-चार न होने पड़े. 

2016 वाली स्थिति
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने बीते शुक्रवार को 2000 के नोट वापस लेने की घोषणा की. हालांकि, जिन लोगों के पास दो हजार के नोट हैं, वो 30 सितंबर तक उसे बैंक से बदल सकते हैं या डिपॉजिट कर सकते हैं. एक बार में केवल 20,000 यानी दो हजार से 10 नोट ही बदले जा सकते हैं. ये स्थिति बिल्कुल 2016 की नोटबंदी जैसी है, जब ज्वैलर्स को 500 और 1000 के अमान्य करार दिए गए नोटों को स्वीकार करने के लिए टैक्स स्क्रूटनी का सामना करना पड़ा था. इसलिए ज्वैलर्स एहतियात के तौर पर ऐसे खरीदारों से Pan Card या आधार कार्ड की कॉपी भी ले रहे हैं, जो 2000 के नोट में भुगतान कर रहे हैं. 

ग्राहकों की हो रही KYC
अधिकांश ज्वैलर्स का कहना है कि 2000 रुपए के नोट से पेमेंट करने वाले ग्राहकों की KYC की जा रही है, ताकि जब वो बंद हो चुके 2 हजार के नोटों को बैंक में जमा कराएं तो उनके पास भी पूरा रिकॉर्ड हो. उन्होंने इस तरह की खबरों को पूरी तरह गलत बताया कि दो हजार के नोट स्वीकार नहीं किए जा रहे हैं. बता दें कि KYC का मतलब Know Your Customer है और इस प्रक्रिया में सम्बंधित व्यक्ति को Pan और Aadhaar card की कॉपी जमा करनी होती हैं. 

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पहले से बरत रहे सतर्कता 
पुणे स्थित एक फेमस ज्वैलर ने कहा कि उनके सभी स्टोर्स पर 2 हजार के नोट स्वीकार किए जा रहे हैं. हालांकि, इस हाईएस्ट डिनॉमिनेशन करेंसी से पेमेंट करने वालों से एक हस्ताक्षरित घोषणा पत्र, पैन और आधार कार्ड की कॉपी ली जा रही है. वहीं, एक अन्य आभूषण विक्रेता ने कहा कि उनके स्टोर्स पर पहले से ही 50 हजार से ऊपर की खरीदारी पर PAN और Aadhaar card की कॉपी देना अनिवार्य किया गया है. दो हजार के नोट भी उसी सूरत में स्वीकार किए जा रहे हैं, यदि ग्राहक पैन या आधार कार्ड देने के लिए राजी है. 

क्या कहता है कानून?
बता दें कि Prevention of Money Laundering Act या PMLA के तहत प्रति व्यक्ति ₹50,000 तक की बिक्री KYC फ्री है. यानी इसके लिए KYC की जरूरत नहीं है. लेकिन 50 हजार से लेकर 2 लाख तक की बिक्री के लिए आधार कार्ड जैसे व्यक्तिगत पहचान प्रमाण की आवश्यकता होती है, और इस मूल्य से अधिक की खरीद या बिक्री के लिए पैन कार्ड अनिवार्य है. ज्वैलर्स को 2016 की नोटबंदी के बाद टैक्स संबंधी जांच का सामना करना पड़ा था, इसलिए वो अब कोई जोखिम लेने के मूड में नहीं हैं. 

 


इस हफ्ते बाजार में आने जा रहे हैं ये आईपीओ, तैयार है ना पैसा!

बाजार में आने वाले तीनों आईपीओ को लेकर ग्रे मार्केट का प्रीडिक्‍शन बेहतर नजर आ रहा है. तीनों आईपीओ में हेल्‍थकेयर,बैंकिंग और टेक सॉल्‍यूशन प्रोवाइड कराने वाली कंपिनयां शामिल हैं.  

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Saturday, 04 May, 2024
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शेयर बाजार में सिर्फ इक्विटी या म्‍यूचुवल फंड का बाजार ही तेजी से आगे नहीं बढ़ रहा है बल्कि आईपीओ बाजार भी तेजी से आगे बढ़ रहा है. शायद कोई हफ्ता ऐसा बीतता है जिसमें कोई आईपीओ न आता हो. इसी कड़ी में इस हफ्ते बाजार में तीन आईपीओ आने जा रहे हैं. आने वाले हफ्ते में बाजार में 3 आईपीओ आने वाले हैं जिसके जरिए बाजार से 6300 करोड़ रुपये से ज्‍यादा जुटाने की तैयारी हो रही है. जिन कंपनियों के आईपीओ आने जा रहे हैं उनमें आधार हाउसिंग फाइनेंस,फाइनेंस, टीबीओ टेक(TBO Tech) और इंजीडीन का आईपीओ आ रहा है.   

आधार हाउसिंग का इस तारीख को खुलेगा आईपीओ 
एनबीएफसी सेक्‍टर की तीन बड़ी कंपनियों में शामिल आधार हाउसिंग फाइनेंस 3000 करोड़ रुपये जुटाने को लेकर अपना आईपीओ लेकर आ रही है. कंपनी का आईपीओ 8 मई को खुलेगा जबकि 10 मई तक निवेशक इसमें पैसा लगा सकते हैं. अगर आप इस आईपीओ में पैसा लगाना चाहते हैं कि इसका प्राइस बैंड प्रति शेयर 300-315 रुपये तय किया गया है. एक लॉट में 47 शेयरों को शामिल किया गया है. अगर आपको एक लॉट के लिए बोली लगानी है तो उसके लिए आपको 14805 रुपये देने होंगे. ग्रे मार्केट में इसका प्राइस 50 से 65 रुपये का दिखा रहा है जिसे देखकर जानकार मान रहे हैं कि 15 प्रतिशत फायदा हो सकता है. 

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इंडिजीन के आईपीओ की ये है डिटेल 
हेल्‍थ टेक सेक्‍टर की कंपनी इंडिजीन का आईपीओ 6 मई को खुलेगा जबकि निवेशक इसमें 8 मई तक आवेदन कर सकते हैं. कंपनी अपने इस आईपीओ के जरिए 1841.76 रुपये जुटाने की योजना बना रही है. हेल्‍थकेयर सेक्‍टर को डिजिटल सॉल्‍यूशन मुहैया कराने के साथ साथ ये कंपनी और भी कई तरह की असिस्‍टेंस मुहैया कराती है. ये कंपनी पेटेंट से लेकर क्‍लीनिकल ट्रायल में भी सेवाएं देने का काम करती है. कंपनी ने अपने इस आईपीओ में शेयरों का प्राइस बैंड 430-452 रुपये तय किया है. एक लॉट का इश्‍यू साइज 33 शेयर का है. एक लॉट की कीमत 14190 रुपये तय की गई है. कंपनी के आईपीओ को ग्रे मार्केट में भी अच्‍छा रिस्‍पांस मिल रहा है और वो 51 प्रतिशत के अपसाइड के साथ 230 रुपये के प्रीमियम का रेट मिल रहा है. 

जानिए कब आ रहा है TBO Tech का आईपीओ 
ट्रैवल डिस्‍ट्रीब्‍यूशन के क्षेत्र में काम करने वाली TBO Tech कंपनी का आईपीओ 8 मई से लेकर 10 मई के बीच आने जा रहा है. कंपनी अपने इस आईपीओ के जरिए 1550 करोड़ रुपये से ज्‍यादा जुटाने की तैयारी कर रही है. कंपनी ने आईपीओ के लिए प्रति शेयर 875-920 रुपये का रेट तय किया है. कंपनी के इस आईपीओ का अगर एक लॉट आपको खरीदना है तो आपको उसके लिए 16 शेयर खरीदने होंगे जिसके लिए आपको 14000 रुपये चुकाने होंगे. ग्रे मार्केट का प्रीमियम रेट वो रेट जो बाजार के बाहर गैर आधिकारिक तरीके से चल रहा है. ये किसी के द्वारा रेग्‍यूलेट नहीं होता है और ये बताता है कि आईपीओ कितने प्रतिशत ज्‍यादा पर लिस्‍ट हो सकता है. 


सरकार ने दी बड़ी खुशखबरी, चुनाव के बीच देश में नहीं बढ़ेंगे प्याज के दाम

लोकसभा चुनाव 2024 के बीच देश में प्याज की कीमतें ना बढ़ें, इसके लिए सरकार ने एक नया नोटिफिकेशन जारी किया है.

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Saturday, 04 May, 2024
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भारत जैसे देश में प्याज की बढ़ती कीमतें तक सरकार की जीत या हार तय करती हैं. महंगाई से लोग वैसे ही परेशान हैं. वहीं, प्याज की बढ़ती कीमतें भी लोगों को बहुत रुला रही हैं. ऐसे में चुनाव के बीच सरकार ने प्याज के एक्सपोर्ट को लेकर एक बड़ा फैसला लिया है. प्लाज का निर्यात अब 40 प्रतिशत तक महंगा हो गया है. इस फैसले के बाद चुनाव के दौरान प्याज की कीमतों में कोई बढ़ोतरी नहीं होगी और ये आम आदमी के लिए बहुत बड़ी खुशखबरी है. 

नहीं होगी प्याज की कमी
देश में प्याज पर्याप्त मात्रा उपलब्ध रहे. साथ ही गर्मियों में बढ़ती डिमांड के कारण सप्लाई में कमी ना आए और कीमतें भी नियंत्रित रहे. इसके लिए देश से प्याज के एक्सपोर्ट पर बैन लगा हुआ है. सिर्फ संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), बांग्लादेश और श्रीलंका जैसे कुछ मित्र देशों को ही निश्चित मात्रा में प्याज निर्यात करने की छूट है.

4 मई से प्याज के एक्सपोर्ट पर शुल्क
अब वित्त मंत्रालय ने एक नया नोटिफिकेशन जारी किया है, जिसके अनुसार देश से प्याज के एक्सपोर्ट पर 40 प्रतिशत शुल्क देना होगा. ये अधिसूचना 4 मई से लागू हो चुकी है. प्याज के निर्यात पर सरकार ने पिछले साल अगस्त में भी 40 प्रतिशत की एक्सपोर्ट ड्यूटी लगाई थी, जो 31 दिसंबर 2023 तक के लिए मान्य थी. अब इसे बढ़ा दिया गया है. 
 
इन सामानों पर भी राहत
सरकार ने जहां एक तरफ प्याज के निर्यात पर शुल्क लगाया है. वहीं, देश में चना दाल की कमी को पूरा करने के लिए देसी चने के आयात पर शुल्क छूट देने का फैसला किया है. इंपोर्ट ड्यूटी से ये छूट 31 मार्च 2025 तक मिलेगी. वहीं, 31 अक्टूबर 2024 से पहले जारी होने वाले ‘बिल ऑफ एंट्री’ के तहत विदेशों से मंगाई जाने वाली ‘पीली मटर’ पर भी सरकार कोई शुल्क नहीं लेगी. देसी चना और पीली मटर का उपयोग देश में बेसन की आपूर्ति करने के लिए होता है.

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क्या होता है बिल ऑफ एंट्री
‘बिल ऑफ एंट्री’ एक कानूनी दस्तावेज होता है, जिसे इंपोर्टर्स या सीमा शुल्क निकासी एजेंट्स के इंपोर्टेड माल के लैंड होने से पहले दाखिल किया जाता है. प्याज पर निर्यात शुल्क बढ़ाए जाने के अलावा किए गए सभी अन्य  बदलाव भी 4 मई से ही लागू माने जाएंगे.

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Infrastructure laon को लेकर RBI सख्त, जल्द बदलेंगे नियम, जानें क्या होता है ये लोन?

पिछले कुछ सालों में कई इंफ्रा प्रोजेक्ट के डूबने से देश के बैंकों को भारी नुकसान हुआ है, इसलिए अब आरबीआई इनकी फाइनेंसिंग के कड़े नियम लाने की तैयारी कर रहा है.

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Saturday, 04 May, 2024
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बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर लोन डूबने के कारण आज कई बैंक मुसीबत में फंसे हुए हैं. इससे देश के बैंकिंग सिस्टम पर बुरा असर पड़ रहा है. ऐसे में अब रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट की फाइनेंसिंग को लेकर सख्त हो गया है. आरबीआई जल्द ही इंफ्रा प्रोजेक्ट को लोन देने के लिए नए नियम लेकर आने वाला है. तो चलिए आपको बताते हैं ये लोन क्या होता है और इसके लिए नए नियम कब लागू होंगे?

प्रोजेक्ट की मॉनिटरिंग करेंगे बैंक 
आरबीआई द्वारा नए नियमों का ढांचा तैयार हो चुका है. इस पर सुझाव देने के लिए आरबीआई ने बैंको को 15 जून तक का समय दिया है. आरबीआई के प्रस्ताव में कहा गया है कि अंडर कंस्ट्रक्शन इंफ्रा प्रोजेक्ट को लोन देने से पहले बैंक सोच समझकर फैसला लें. साथ ही बैंक लगातार प्रोजेक्ट की मॉनिटरिंग करेंगे ताकि कोई छोटी समस्या बड़ी न हो सके. इंफ्रा प्रोजेक्ट में बड़े डिफॉल्ट हुए हैं. इसके चलते बैंकों की स्थिति बिगड़ी है. अब देश में इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट तेजी से आ रहे हैं. सरकार भी इकोनॉमी को मजबूत करने के लिए इन प्रोजेक्ट को बढ़ावा दे रही है. ऐसे में बैंकों को भी सख्त होना पड़ेगा. 

लोन का 5 प्रतिशत हिस्सा रखना होगा रिजर्व 
आरबीआई के ड्राफ्ट के अनुसार बैंकों को प्रोजेक्ट के कंस्ट्रक्शन के दौरान लोन अमाउंट का 5 प्रतिशत हिस्सा अलग से रिजर्व रखना होगा. इसे प्रोजेक्ट के चालू हो जाने पर 2.5 प्रतिशत और रीपेमेंट की स्थिति में आ जाने के बाद 1 प्रतिशत पर भी लाया जा सकेगा. आरबीआई की वेबसाइट के अनुसार, 2021 के सर्कुलर में इस रकम को फिलहाल 0.4 प्रतिशत रखा जाता है. आरबीआई ने कहा अगर कई बैंक मिलकर कंसोर्टियम बनाकर 15 अरब रुपये तक के प्रोजेक्ट की फाइनेंसिंग कर रहे हैं, तो उन्हें 10 प्रतिशत लोन अमाउंट रिजर्व रखना होगा.
 
देरी होने पर बदलनी होगी लोन की कैटेगरी
बैंकों को जानकारी रखनी होगी कि इंफ्रा प्रोजेक्ट कब पूरा हो रहा है. अगर किसी प्रोजेक्ट में 3 साल से भी अधिक देरी की आशंका है तो उसे स्टैंडर्ड लोन से स्ट्रेस लोन की कैटेगरी में डालना पड़ेगा. बैंकों को प्रोजेक्ट में आ रही किसी भी समस्या पर गंभीरता से ध्यान देना होगा. साथ ही समाधान के विकल्प भी तैयार रखने होंगे.
 

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भारत के ये बाजार दुनियाभर में बदनाम, जानते हैं इसका कारण?

अमेरिकी ट्रेड रेप्रेजेंटेटिव्स (USTR) ने बदनाम बाजारों की लिस्ट जारी की है. इनमें भारत के 3 ऑनलाइन मार्केट प्लेस और 3 ऑफलाइन बाजार भी शामिल हैं.

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Saturday, 04 May, 2024
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एक ओर भारत के कुछ बाजार दुनियाभर में मशहूर हैं, जहां देश-विदेश से लोग खरीदारी करने आते हैं. वहीं, यहां कुछ ऐसे बाजार भी हैं, जो दुनियाभर के बदनाम बाजारों की लिस्ट में आते हैं. दरअसल, अमेरिका में हर साल कुछ बदनाम बाजारों की लिस्ट तैयार की जाती है, जिसमें भारत के कुछ ऑनलाइन और कुछ ऑफलाइन बाजार शामिल हैं. वहीं, चीन बदनाम बाजारों की लिस्ट में नबर 1 पर है, तो चलिए जानते हैं भारत के ये कौन से बाजार हैं और इन्हें बदनाम बाजार क्यों कहा जाता है?

क्यों कहते हैं बदनाम बाजार
इन मार्केट्स को बदनाम इसलिए कहा जाता है, क्योंकि यहां पर नकली और कॉपी किए हुए प्रोडक्ट्स की भरमार होती है. इसके साथ ही यहां कॉपीराइट्स कानून का उल्लंघन भी होता है. इन बाजारों में नकली जींस विदेशी ब्रैंड के स्टीकर लगाकर बेची जाती है. 

भारत के कौन से बाजार इसमें शामिल 
अमेरिकी ट्रेड रेप्रेजेंटेटिव्स (USTR) की ओर से जारी बदनाम बाजारों की लिस्ट में  भारत के 3 ऑनलाइन मार्केट प्लेस और 3 ऑफलाइन बाजार भी शामिल हैं, जिसमें मुंबई का हीरा पन्ना बाजार, नई दिल्ली के करोल बाग का टैंक रोड और बेंगलुरू के सदर पटरप्पा रोड मार्केट शामिल है. वहीं, ऑनलाइन मार्केट प्लेस में इंडियामार्ट, वेगामूवीज और डब्ल्यूएचएमसीएस स्मार्ट्स शामिल हैं. 

एशिया का सबसे बड़ा जींस का बाजार, फिर भी बदनाम
आपको बता दें, करोल बाग स्थित टैंक रोड बाजार 35 साल पुराना बाजार है. दिल्ली के इस बाजार को एशिया का सबसे बड़ा जींस का बाजार कहा जाता है. यहां पर आपको छोटे से लेकर बड़े तक हर ब्रांड की जींस सस्ते में मिल जाएगी. हालांकि, अमेरिका के अनुसार उनमें में कई जींस नकली होती हैं यानी कि उन जींस को बनाया तो यहां जाता है, लेकिन उनपर विदेशी कंपनी के स्टीकर लगे होते हैं. यहां 450 से लेकर 1200 रुपये कर की जींस मिलती है. हालांकि आपको यहां पर कम से कम 5 जींस खरीदनी पड़ेगी. यहां पर दिल्ली ही नहीं जम्मू से लेकर कन्याकुमारी तक से व्यापारी खरीदारी करने के लिए आते हैं. इसके साथ ही ये एक टूरिस्ट बाजार भी बन गया है. 

चीन से निकलता है सबसे ज्यादा नकली सामान
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अमेरिका के ट्रेड डेलीगेट्स की बदनाम बजारों (Notorious Markets) की लिस्ट में चीन अब भी नंबर 1 की पॉजीशन पर है. अमेरिका द्वारा तैयार सूची में दुनियाभर के 33 फीजिकल ऑफलाइन और 39 ऑनलाइन मार्केट प्लेस हैं. इसमें चीन सबसे आगे है, जिसमें चीन के ई-कॉमर्स एवं सोशल कॉमर्स मार्केट ताओबाओ (Taobao), वीचैट (WeChat), डीएच गेट (DHGate) और पिनडुओडुओ (Pinduoduo) के अलावा क्लाउड स्टोरेज सर्विस बाइडू वांगपान (Baidu Wangpan) शामिल हैं. इसके साथ ही चीन के 7 ऑफलाइन बाजारों को भी इस लिस्ट में शामिल किया गया है. ये सभी चाइनीज बाजार नकली सामानों की मैन्युफैक्चरिंग, डिस्ट्रीब्यूशन एवं सेल्स करते हैं.


क्यों जरूरी है बदनाम बाजारों की लिस्ट?
यूएसटीआर ने बताया कि चीन कई सालों से लगातार इस लिस्ट में पहले स्थान पर बना हुआ है. अमेरिकी कस्टम्स और बॉर्डर प्रोटेक्शन ने 2022 में जितना सामान जब्त किया उसमें चीन और हांगकांग से निकले नकली सामानों का हिस्सा लगभग 60 प्रतिशत है. ये सभी बाजार ट्रेडमार्क काउंटरफिटिंग और कॉपीराइट पायरेसी के लिए जाने जाते हैं और इससे कर्मचारियों, उपभोक्ताओं, छोटे बिजनेस और इकोनॉमी को भारी नुकसान होता है, इसलिए बदनाम बाजारों की यह लिस्ट बेहद जरूरी हो जाती है. इससे हमें नकली सामानों से लड़ने में मदद मिलती है. इकोनॉमी को बचाने के लिए इन सभी बाजारों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है.
 


सॉवरेन बॉन्‍ड को लेकर RBI ने उठाया बड़ा कदम, जानिए क्‍या है ये पूरा मामला

कंपनी जब अपने ही शेयर निवेशकों से खरीदती है तो इसे बायबैक कहते हैं. बायबैक की प्रक्रिया पूरी होने के बाद इन शेयरों का वजूद खत्म हो जाता है.

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Saturday, 04 May, 2024
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रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) कैश की कमी को पूरा करने के लिए एक बड़ा कदम उठाने जा रही है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया 40 हजार करोड़ रुपये की प्रतिभूतियों की फिर से खरीद करने जा रही है. आरबीआई इनकी खरीद के लिए नीलामी का रास्‍ता अपनाने जा रही है. ये खरीद नई तरह की नीलामी व्‍यवस्‍था के जरिए होगी. 

आखिर कौन से हैं ये सॉवरेन गोल्‍ड बॉन्‍ड 

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, आरबीआई जिन बॉन्‍ड को बॉयबैक करने जा रहा है उनमें जिन प्रतिभूतियों का प्रस्‍ताव तैयार किया गया है उनमें 6.18 प्रतिशत जीएस 2024, 9.15 प्रतिशत जीएस 2024, 9.15 प्रतिशत जीएस 2024, 6.89 प्रतिशत जीएस 2025 शामिल है. ये प्रतिभूतियां 4 नवंबर, 14 नवंबर और 16 नवंबर को परिपक्‍व होने वाली हैं. 

कब होगी ये नीलामी 

आरबीआई की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, ये नीलामी भारतीय रिजर्व बैंक के ई-कुबेर प्रणाली पर इलेक्‍ट्रॉनिक तरीके से 9 मई को आयोजित की जाएगी. ये नीलामी सुबह 10.30 बजे से  11.30 बजे के बीच आयोजित होगी. नीलामी का परिणाम तो उसी दिन आ जाएगा लेकिन उसका निपटान 11 मई को किया जाएगा. दरअसल जानकारों का मानना है कि इस कदम का इस्‍तेमाल कर्ज चुकाने के लिए किया जा रहा है. जिस तरह से इसके लिए सॉवरेन बॉन्‍ड का चयन किया गया है वो बताता है कि ये लिक्विडिटी रिडिस्‍ट्रीब्‍यूसन का मामला है और आने वाले अल्‍पकालिक फंड को लेकर स्थिति साफ है.

क्या है बायबैक ?

कंपनी जब अपने ही शेयर निवेशकों से खरीदती है तो इसे बायबैक कहते हैं. आप इसे आईपीओ का उलट भी मान सकते हैं. बायबैक की प्रक्रिया पूरी होने के बाद इन शेयरों का वजूद खत्म हो जाता है. बायबैक के लिए मुख्यत: दो तरीकों-टेंडर ऑफर या ओपन मार्केट का इस्तेमाल किया जाता है.
 


लंबे समय बाद BYJU'S के कर्मचारियों को मिली खुशखबरी, देर से ही सही जेब में आया पैसा 

BYJU'S ने NCLT से राईट्स इश्‍यू के जरिए जुटाए गए 200 मिलियन डॉलर के इस्‍तेमाल करने को लेकर अनुमति मांगी है. लेकिन इस पर अभी निर्णय नहीं हुआ है. 

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Friday, 03 May, 2024
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सैलरी के लिए लंबे समय से इंतजार कर रहे BYJU'S के कर्मचारियों को आखिरकार अप्रैल महीने का वेतन मिल गया है. BYJU'S मौजूदा समय में लिक्विडिटी की समस्‍या से जूझ रही है. इससे पहले फरवरी और मार्च में कंपनी ने अपने केवल टीचिंग स्‍टॉफ से लेकर कम सैलरी वाले कर्मचारियों को ही पूरी सैलेरी दी थी. जबकि बाकी कर्मचारियों को आंशिक सैलेरी ही दी गई थी. 

कंपनी ने NCLT से भी ली थी अनुमति 
मीडिया‍ रिपोर्ट के अनुसार, BYJU'S की ओर से इस भुगतान को करने से पहले NCLT से भी अनुमति ली गई थी. NCLT से अपने कर्मचरियों को सैलरी और वेंडरों का बकाया चुकाने के लिए अनुमति ली थी. कंपनी ने राईट्स इश्‍यू के जरिए जुटाए गए 200 मिलियन डॉलर के इस्‍तेमाल की भी अनुमति मांगी है. हालांकि अभी तक इस पर कोई सुनवाई नहीं हुई है और अगली सुनवाई 6 जून को होने की संभावना है. यही नहीं BYJU'S के चार निवेशकों पीक XV पार्टनर्स, जनरल अटलांटिक, चैन-जुकरबर्ग इनिशिएटिव और प्रोसस ने उस पर एनसीएलटी के आदेशों का उल्‍लंघन करते हुए अपने हालिया राईट्स इश्‍यू के तहत पूंजी बढ़ाने से पहले संस्‍थापकों को शेयर जारी करने का आरोप लगाया है. 

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आखिर कैसे चुकायी जाएगी अगले महीने की सैलरी 
BYJU'S के मामले में कोर्ट की कोई स्‍पष्‍ट गाइडलाइन न आने के कारण अब सबसे बड़ा सवाल ये पैदा हो रहा है कि आखिर कंपनी कैसे सैलरी चुकाएगी. यही नहीं कंपनी पिछले कुछ सालों में 10 हजार से ज्‍यादा कर्मचारियों को निकाल चुकी है. कंपनी के फाइनेंशियल चैलेंज के कारण, बायजू ने दो टीमों में अपने सेल्‍स कर्मचारियों के वेतन को उनके द्वारा लगभग एक महीने के साप्ताहिक राजस्व से जोड़ दिया है.

OPPO ने भी NCLT में BYJU’s को लेकर दी याचिका 
 BYJU'S की परेशानियां खत्‍म होने का नाम नहीं ले रही हैं. कंपनी की स्थिति ये है कि एक के बाद एक नई कंपनी उसके खिलाफ दिवालिया मुकदमा दायर कर रही है. इस कड़ी में ओप्‍पो ने भी कंपनी के खिलाफ NCLT में दिवालिया याचिका दायर कर उसका बकाया चुकाने की अपील की है. इससे पहले बीसीसीआई से लेकर कई और कंपनियां BYJU'S के खिलाफ दिवालिया याचिका दायर कर अपने कर्ज की मांग कर चुके हैं. 
 


Raymond ने जारी किए वित्त वर्ष 2024 तिमाही के नजीते, इतना दर्ज हुआ रेवेन्यू

रेमंड (Raymond) ने शुक्रवार 3 मई को वित्त वर्ष 2024 के मार्च तिमाही के नतीजे जारी किए.

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Friday, 03 May, 2024
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रेमंड (Raymond) ने शुक्रवार 3 मई को वित्त वर्ष 2024 के मार्च तिमाही के नतीजे जारी किए. साथ ही कंपनी ने बताया कि उसके बोर्ड ने गौतम सिंघानिया को अगले 5 साल के लिए दोबारा मैनेजिंग डायरेक्टर नियुक्त करने की मंजूरी दी है. सिंघानिया का नया कार्यकाल 1 जुलाई 2024 से शुरू होगा. 

सालान राजस्व 9,286 करोड़ रुपये 
वित्त वर्ष 2024 में रेमंड ने 17 प्रतिशत के EBITDA (Net Income, Interest, Taxes, Depreciation, Amortisation) मार्जिन के साथ अपना अब तक का सबसे अधिक सालान राजस्व 9,286 करोड़ रुपये और EBITDA 1,575 करोड़ दिया. लाइफस्टाइल बिजनेस में उपभोक्ता मांग में कमी और चुनौतीपूर्ण बाजार स्थितियों के बावजूद रेमंड के ब्रैंडेड कपड़े, गारमेंटिंग और रियल एस्टेट क्षेत्रों में मजबूत वृद्धि हुई. रियल एस्टेट व्यवसाय ने 134 प्रतिशत की वृद्धि के साथ मजबूत बिक्री प्रदर्शन किया, जो पिछले वर्ष की समान तिमाही में ₹289 करोड़ से बढ़कर  677 करोड़ हो गया. इसके अलावा ब्रैंडेड कपड़ों के व्यवसाय में 23 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 409 करोड, ब्रैंडेड टेक्सटाइल सेगमेंट में 920 करोड़, गार्मेंटिंग सेगमेंट में 280 करोड़ और हाई वैल्यू कॉटन शर्टिंग की बिक्री में 213 करोड़, इंजीनियरिंग व्यवसाय ने 234 करोड़ रुपये रेवेन्यू दर्ज हुआ. 

ये व्यवसाय भविष्य के विकास के इंजन
कंपनी के अनुसार गौतम हरि सिंघानिया के नेतृत्व में कंपनी ने अच्छी प्रगति की है. उनका लक्ष्य रेमंड ब्रैंड को दुनिया के सबसे बेहतर भारतीय ब्रैंड्स में से एक बनाना है और इसे ग्लोबल स्तर पर पहचान दिलाना है. वहीं, रेमंड लिमिटेड के चेयपमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर गौतम हरि सिंघानिया ने कहा है कि वह सभी व्यवसायों के प्रदर्शन से संतुष्ट हैं और उन्होंने पूरे वर्ष लगातार वृद्धि का प्रदर्शन किया है. उनके लाइफस्टाइल व्यवसाय ने प्रतिकूल परिस्थितियों और उपभोक्ता मांग में कमी के बावजूद मजबूत वृद्धि दर्ज की. रियल एस्टेट व्यवसाय में विशेष रुप से मुंबई के बांद्रा में अपनी पहली जेडीए परियोजना के लॉन्च के साथ मजबूत बुकिंग फ्लो बनाए रखा है. उनके पास लाइफस्टाइल, रियल एस्टेट और इंजीनियरिंग व्यवसाय जैसे तीन कार्यक्षेत्र हैं जो भविष्य के विकास के इंजन हैं जो भारत के विकसित भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप हैं.

एयरोस्पेस, रक्षा और ईवी के कारोबार में प्रवेश
कंपनी ने बताया कि तिमाही के दौरान रेमंड ने मैनी प्रिसिजन प्रोडक्ट लिमिटेड का व्यवसाय अधिग्रहण पूरा किया. इसके साथ ही रेमंड समूह ने एयरोस्पेस, रक्षा और ईवी घटकों के कारोबार के उभरते क्षेत्रों में प्रवेश किया. अब आगे बढ़ते हुए व्यवस्थाओं की एक समग्र योजना के माध्यम से दो सहायक कंपनियां बनाई जाएंगी. एक एयरोस्पेस और रक्षा पर ध्यान केंद्रित करेगा, जबकि दूसरा ईवी और इंजीनियरिंग उपभोग्य सामग्रियों के क्षेत्र के साथ ऑटो घटकों को पूरा करेगा.  

इस साल 200 से अधिक स्टोर खुले
इस वर्ष रेमंड ने 200 से अधिक स्टोर खोले हैं जिनमें 56 'एथनिक्स बाय रेमंड' स्टोर शामिल हैं. 31 मार्च 2024 तक कुल रीटेल स्टोर नेटवर्क अब 1,518 स्टोर है. 2024 में कंपनी ने 840 करोड़ रुपये का कुल बुकिंग मूल्य दर्ज किया, जो मुख्य रूप से 'द एड्रेस बाय जीएस, बांद्रा' के सफल लॉन्च से प्रेरित था, जिसे 40 दिनों के भीतर बेची गई लॉन्च की गई इन्वेंट्री का लगभग 62 प्रतिशत के साथ जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली.

9 मई को डिमर्जर की सुनवाई
रेमंड के अनुसार रणनीतिक पहलों के अनुरूप, लाइफस्टाइल बिजनेस का प्रस्तावित पृथक्करण योजना के अनुसार आगे बढ़ रहा है, जिसे सेबी, शेयरधारक और लेनदार की मंजूरी पहले ही मिल चुकी है. इसके अलावा डिमर्जर की मंजूरी के लिए एनसीएलटी की सुनवाई 9 मई 24 को होनी है.


MRF ने इस बार नहीं किया 'मजाक', देश के सबसे महंगे शेयर पर मिलेगा इतना Dividend 

देश के सबसे महंगे शेयर वाली कंपनी MRF ने फाइनल डिविडेंड का ऐलान कर दिया है.

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Friday, 03 May, 2024
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शेयर बाजार (Stock Market) में कई महंगे शेयर हैं, लेकिन सबसे महंगे शेयर का रिकॉर्ड MRF के नाम है. टायर बनाने वाली इस कंपनी का एक शेयर 1,28,400 रुपए में मिल रहा है. हालांकि, इस साल जनवरी में यह डेढ़ लाख रुपए तक पहुंच गया था. पिछले कुछ समय से शेयर में गिरावट का रुख है. इसके बावजूद कंपनी ने अपने निवेशकों को डिविडेंड देने का ऐलान किया है. 

सोशल मीडिया पर खूब बने थे मीम्स 
MRF के डिविडेंड देने के फैसले से इन्वेस्टर्स में खुशी का माहौल है. हालांकि, पिछली बार जब कंपनी ने डिविडेंड देने की घोषणा की थी, तो उसे लोगों के तंज और आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था. दरअसल, इतने महंगे शेयर वाली कंपनी से निवेशकों को उम्मीद थी कि वो डिविडेंड भी कुछ भारी-भरकम देगी, लेकिन हुआ उसके एकदम उलट. MRF ने लगातार 2 बार प्रति शेयर तीन-तीन रुपए डिविडेंड की घोषणा कर डाली. इसके बाद सोशल मीडिया पर कंपनी के खिलाफ मीम्स की बाढ़ आ गई थी. लोगों ने इसे मजाक करार दिया था. शायद यही वजह है कि अब कंपनी ने अपनी गलती सुधारने की कोशिश की है. 

अब इतना मिलेगा डिविडेंड
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, MRF ने फाइनेंशियल ईयर 2024 के लिए प्रति शेयर 194 रुपए का फाइनल डिविडेंड देने का ऐलान किया है. इस तरह कंपनी इस वित्तीय वर्ष में प्रति शेयर कुल 200 रुपए का डिविडेंड देगी. क्योंकि उसने दो बार तीन-तीन रुपए का अंतरिम डिविडेंड दिया था. बता दें कि मार्च तिमाही में कंपनी का कंसोलिडेटेड नेट प्रॉफिट 16% की तेजी के साथ 396 करोड़ रुपए रहा. जबकि पिछले साल की समान तिमाही में यह 341 करोड़ था. हालांकि तिमाही आधार पर इसमें 22 प्रतिशत की गिरावट आई है.

पिछले साल 1 लाख हुई थी कीमत
पिछले साल जून में MRF के Stock की कीमत एक लाख रुपए पहुंची थी और यह मुकाम हासिल करने वाला यह देश का पहला शेयर था. MRF दुनिया की टॉप-20 टायर कंपनियों में शामिल है. यह दोपहिया वाहनों से लेकर फाइटर विमानों के लिए भी टायर बनाती है. MRF का पूरा नाम मद्रास रबर फैक्ट्री है. अब जब MRF की बात निकली है, तो इसकी सक्सेस स्टोरी के बारे में जान लेते हैं. लेकिन पहले ये समझते हैं कि कंपनी का शेयर देश का सबसे महंगा शेयर कैसे बन गया.

शेयर इसलिए है इतना महंगा
कंपनी के शेयर के इतना महंगा होने की प्रमुख वजह ये है कि उसने कभी भी शेयर्स को स्प्लिट नहीं किया. रिपोर्ट्स की मानें, तो 1975 के बाद से MRF ने अभी तक अपने शेयरों को कभी स्प्लिट नहीं किया. स्टॉक स्प्लिट का फैसला कंपनी तब लेती हैं, जब शेयर की कीमत काफी ज्यादा हो जाती है. ऐसा करके वह छोटे खरीदारों की पहुंच में अपने शेयर ले आती हैं, लेकिन MRF ने ऐसा नहीं किया. कंपनी की मजबूत वित्तीय स्थिति के चलते उसके शेयर भी मजबूत होते गए और आज एक शेयर की कीमत एक लाख से भी ज्यादा है. साल 2000 में इस शेयर की कीमत महज 1000 रुपए थी.  

इस तरह अस्तित्व में आई MRF
MRF के फाउंडर केरल के एक ईसाई परिवार में जन्मे केएम मैमन मापिल्लई (K. M. Mammen Mappillai) हैं. उन्होंने 1946 में चेन्नई में गुब्बारे बनाने की एक छोटी यूनिट लगाई थी. सबकुछ बढ़िया चल रहा था, फिर मापिल्लई ने देखा कि एक विदेशी कंपनी टायर रीट्रेडिंग प्लांट को ट्रेड रबर की सप्लाई कर रही है. तब उनके दिमाग में भी ऐसा कुछ करने का आइडिया आया. बता दें कि रीट्रेडिंग पुराने टायरों को दोबारा इस्तेमाल करने लायक बनाने को कहा जाता है. जबकि ट्रेड रबर टायर का ऊपरी हिस्सा होती है. इसके बाद मापिल्लई ने अपनी सारी पूंजी ट्रेड रबर बनाने के बिजनेस में लगा दी और इस तरह मद्रास रबर फैक्ट्री (MRF) का जन्म हुआ.

इनसे है MRF का मुकाबला
MRF ट्रेड रबर बनाने वाली भारत की पहली कंपनी थी. केएम मैमन मापिल्लई ने हाई क्वालिटी टायर बनाये और विदेशी कंपनियों की बादशाहत खत्म कर दी. 1960 के बाद से कंपनी ने टायर बनाना शुरू कर किया और आज भारत में टायर की सबसे बड़ी टायर मैन्युफैक्चरर है. एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में टायर इंडस्ट्री का मार्केट करीब 60,000 करोड़ रुपए का है. MRF का असली मुकाबला जेके टायर एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड और सिएट टायर्स से है. कंपनी के देश में 2500 से ज्यादा डिस्ट्रीब्यूटर्स हैं. कंपनी दुनिया के 75 से ज्यादा देशों में एक्सपोर्ट भी करती है.

मापिल्लई ने सड़क पर बेचे थे गुब्बारे
केएम मैमन मापिल्लई का बचपन अभावों में गुजरा था. मापिल्लई के पिता स्वतंत्रता सेनानी थे और आजादी की लड़ाई के दौरान उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था. इसके बाद परिवार की पूरी जिम्मेदारी मापिल्लई के कन्धों पर आ गई. परिवार का पेट भरने के लिए उन्होंने सड़कों पर गुब्बारे बेचने का काम शुरू किया. 6 साल तक यह करने के बाद 1946 में उन्होंने बच्चों के लिए खिलौने और गुब्बारे बनाने की एक छोटी यूनिट लगाई, जो आगे चलकर MRF बन गई. उन्होंने कंपनी को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया. साल 2003 में 80 साल की उम्र में मापिल्लई का निधन हो गया. मापिल्लई के दुनिया से जाने के बाद उनके बेटों ने बिजनेस संभाला और जल्द ही उनकी कंपनी नंबर-1 की पोजीशन पर आ गई.  


शेयर बाजार से भी खूब पैसा बना रहे हैं Rahul Gandhi, कुछ ऐसा है उनका पोर्टफोलियो

राहुल गांधी ने कई कंपनियों के शेयरों में पैसा लगाया हुआ है. इसमें पिडलाइट इंडस्ट्रीज, बजाज फाइनेंस और नेस्ले इंडिया भी शामिल हैं.

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Friday, 03 May, 2024
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शेयर बाजार (Stock Market) में निवेश करने वालों में केवल आप और हम जैसे सामान्य निवेशक ही शामिल नहीं हैं. पॉलिटिकल लीडर्स ने भी उसमें जमकर इन्वेस्टमेंट किया हुआ है. देश के गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) के स्टॉक मार्केट पोर्टफोलियो से हमने आपको कुछ दिन पहले परिचित कराया था. अब हम आपको बताने जा रहे हैं कि कांग्रेस लीडर राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने शेयर बाजार में कितना पैसा लगाया है. 

2 सीटों से लड़ रहे चुनाव 
राहुल गांधी केरल की वायनाड सीट के साथ ही उत्तर प्रदेश की रायबरेली लोकसभा सीट से भी चुनावी मैदान में उतर रहे हैं. यह सीट अब तक कांग्रेस के लिए लकी साबित होती आई है. पिछले लोकसभा चुनाव में यहां से सोनिया गांधी ने जीत हासिल की थी. राहुल गांधी ने वायनाड से नामांकन दाखिल करते हुए अपनी संपत्ति का ब्यौरा भी चुनाव आयोग को दिया था. इसके आधार पर यह बात सामने आई है कि कांग्रेस लीडर ने शेयर बाजार में कितना पैसा लगाया है.

ये हैं टॉप 5 स्टॉक
कांग्रेस लीडर के स्टॉक पोर्टफोलियो के टॉप 5 शेयर हैं - पिडलाइट इंडस्ट्रीज, बजाज फाइनेंस, नेस्ले इंडिया, एशियन पेंट्स और टाइटन. राहुल के पिडलाइट इंडस्ट्रीज के शेयरों की वैल्यू 42.27 लाख रुपए है. पिछले 1 साल में इस स्टॉक ने उन्हें 29.30% रिटर्न दिया है. उनके पास एशियन पेंट्स लिमिटेड, बजाज फाइनेंस लिमिटेड और नेस्ले इंडिया लिमिटेड के 35-36 लाख रुपए के शेयर हैं. मिड और स्मॉलकैप शेयरों में उनके पास 14 लाख रुपए की वैल्यू वाले GMM Pfaudler, 11.92 लाख रुपए के दीपक नाइट्राइट, ट्यूब इन्वेस्टमेंट्स के 12.10 लाख, फाइन ऑर्गेनिक्स के 8.56 लाख और Info Edge के 4.45 लाख रुपए के शेयर हैं.  

ये है पूरा पोर्टफोलियो
उनके पास एल्काइल अमाइंस केमिकल्स के 373, एशियन पेंट्स के 1231, बजाज फाइनेंस के 551, Deepak Nitrite के 568, डिविस लैब के 567, डॉ लाल पैथलैब्स के 516, फाइन आर्गेनिक इंडस्ट्रीज के 211, गरवारे टेक्निकल फाइबर्स के 508, GMM Pfaudler के 1121, हिंदुस्तान यूनिलीवर के 1161, ICICI बैंक के 2299, इन्फो ऐज इंडिया के 85, इंफोसिस के 870, ITC के 3093, LTI माइंडट्री के 407, मोल्ड टेक पैकेजिंग के 1953, नेस्ले इंडिया के 1370, पिडलाइट इंडस्ट्रीज के 1474, सुपराजित इंडस्ट्रीज के 4068, TCS के 234, टाइटन के 897, ट्यूब इन्वेस्टमेंट के 340, वेटरीज एडवरटाइजिंग के 260, विनाइल केमिकल्स के 960 और ब्रिटानिया के 52 शेयर हैं. इस तरह उनके पोर्टफोलियो में कुल 25169 शेयर हैं, जिनकी वैल्यू 4,33,60, 519 रुपए है.   


भारत की Tesla के खिलाफ कोर्ट पहुंची मस्‍क की Tesla, ये लगाए आरोप 

टेस्‍ला की ओर से दायर की गई इस याचिका की अगली सुनवाई अब 22 मई को होगी. उस सुनवाई तक हाईकोर्ट ने भारत की टेस्‍ला पर विज्ञापन देने पर रोक लगा दी है. 

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Friday, 03 May, 2024
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एलन मस्‍क की पीएम मोदी से होने वाली मुलाकात के फिलहाल स्‍थगित होने के बाद उनकी कंपनी ने टेस्‍ला ने भारत की एक कंपनी के खिलाफ ट्रेडमार्क एक्‍ट के तहत दिल्‍ली हाईकोर्ट में मुकदमा दाखिला कर दिया है. कंपनी ने हाईकोर्ट में लगाई अपनी याचिका में कहा है कि गुरुग्राम स्थित बैटरी कंपनी उसके नाम और लोगो का इस्‍तेमाल कर रही है, जिससे उसकी छवि प्रभावित हो रही है. 

दिल्‍ली हाईकोर्ट में टेस्‍ला ने कही क्‍या बात? 
दिल्‍ली हाईकोर्ट ने गुरुग्राम स्थित जिस कंपनी के खिलाफ याचिका दायर की है उसका नाम टेस्‍ला पावर इंडिया है. मस्‍क की कंपनी की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि उस कंपनी को टेस्‍ला का नाम इसतेमाल करने से रोका जाए क्‍योंकि इससे ग्राहकों के बीच में भ्रम पैदा हो रहा है. टेस्‍ला की ओर से पेश हुए वकील चंदर कुमार ने कोर्ट को बताया कि टेस्‍ला पॉवर के द्वारा नाम इस्‍तेमाल किए जाने के कारण ग्राहकों में भ्रम पैदा हो रहा. 

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खुद को बता रही है इलेक्ट्रिक व्‍हीकल कंपनी 
मस्‍क की कंपनी टेस्‍ला की ओर से ये भी कहा गया है कि टेस्‍ला पावर इंडिया अखबारों में विज्ञापन देकर खुद को इलेक्ट्रिक व्‍हीकल कंपनी बता रही है. कंपनी टेस्‍ला के लोगो का भी इस्‍तेमाल कर रही है जिससे कंपनी की प्रतिष्‍ठा को छवि पहुंच रही है. याचिका में ये भी कहा गया है कि टेस्‍ला पावर की बैटरी में आने वाली समस्‍याओं के लिए अमेरिकी कंपनी ईवी मेकर टेस्‍ला इंक को रिडायरेक्‍ट कर दी जा रही हैं. क्‍योंकि ग्राहक समझ रहे हैं कि वो एलन मस्‍क की कंपनी का प्रोडक्‍ट है. 

22 मई को होगी अगली सुनवाई
अमेरिकी कंपनी की याचिका के बाद इस मामले पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने गुरुग्राम स्थित कंपनी को नोटिस जारी कर दिया है. कंपनी को अगली सुनवाई तक ट्रेडमार्क इस्‍तेमाल करने और ईवी प्रोडक्‍ट के साथ विज्ञापन देने पर रोक लगा दी है. अब कोर्ट इस मामले की सुनवाई 22 मई को करेगी जब देखना होगा कि आखिर गुरुग्राम स्थि‍त कंपनी मस्‍क की कंपनी की इस याचिका पर क्‍या जवाब देती है.