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Future Retail को खरीदने की दौड़ में कई बड़े नाम, कैसे बर्बाद हो गई Big Bazaar वाली ये कंपनी? 

'बिग बाजार' चेन की पैरेंट कंपनी फ्यूचर रिटेल बिकने जा रही है. किशोर बियानी ने बड़ी मेहनत से इस कंपनी को खड़ा किया था.

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago

'रिटेल किंग' कहे जाने वाले किशोर बियानी (Kishore Biyani) का साम्राज्य बिखर गया है. उनकी कंपनी फ्यूचर रिटेल लिमिटेड (Future Retail Ltd) दिवालिया घोषित हो चुकी है और अब किसी और की होने जा रही है. इस ग्रुप को खरीदने के लिए 49 कंपनियों ने दिलचस्पी दिखाई है. इन कंपनियों में रिलायंस और अडानी समूह भी शामिल है. बियानी ने ऐसे समय में रिटेल सेक्टर में कदम रखा था, जब इसके भविष्य को लेकर कोई भी बड़ा दावा मुश्किल था. फ्यूचर रिटेल 'बिग बाजार' चेन की पैरंट कंपनी है. वही बिग बाजार जिसने थोड़े ही समय में पूरे देश का दिल जीत लिया था. जिससे सामान खरीदने के लिए हर रोज सैकड़ों लोगों की लाइन लगती थी, लेकिन अब सबकुछ बदल चुका है. 

ये कंपनियां हैं दौड़ में 
भारी कर्ज में डूबे किशोर बियानी की फ्यूचर रिटेल को खरीदने में मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) की रिलायंस रिटेल, अडानी समूह (Adani Group), डब्ल्यूएचस्मिथ ट्रैवल लिमिटेड, जिंदल पावर लिमिटेड, JC Flowers Asset Reconstruction Limited सहित कुल 49 कंपनियों ने दिलचस्पी दिखाई है.  फ्यूचर रिटेल ने उन कंपनियों की लिस्ट जारी की है, जिन्होंने रिजॉल्यूशन प्लान पेश करने में रुचि दिखाई है. कंपनी ने एक फाइलिंग में यह जानकारी दी है. फ्यूचर रिटेल इस समय दिवाला प्रक्रिया से गुजर रही है और जल्द ही उसे नया मालिक मिलने की उम्मीद है.

कर्ज में डूबी है कंपनी
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, फ्यूचर ग्रुप (Future Group) पर करीब 29000 करोड़ रुपए का कर्ज है, जिसमें फ्यूचर रिटेल की हिस्सेदारी 21000 करोड़ है. समूह की कंपनी फ्यूचर एंटरप्राइजेज भी कर्ज के बोझ में दबी है. किशोर बियानी, जिन्होंने अपने दम पर इतना बड़ा साम्राज्य स्थापित किया, कैसे अपनी कंपनियों को कर्ज में ले आए, यह सबसे बड़ा सवाल है. बियानी ने 1980 के दशक में मुंबई में स्टोन वॉश डेनिम फैब्रिक बेचने से अपना कारोबारी सफर शुरू किया था. उसके बाद उन्होंने Erstwhile Manz Wear नाम से रिटेल कारोबार में कदम रखा. बाद में इसका नाम बदलकर पैंटालून्स किया गया.  

2001 में खुला था पहला स्टोर  
1987 में फ्यूचर ग्रुप अस्तित्व में आया. 2001 में समूह ने भारत में पहला 'बिग बाजार स्टोर' खोला. बियानी का यह कांसेप्ट लोगों को इतना पसंद आया कि 6 साल के अंदर देश में इसके लगभग 100 स्टोर हो गए. इस सफलता के बाद बियानी के 'फ्यूचर ग्रुप' ने दूसरे सेक्टर्स में पैर फैलाना शुरू किया और 2007 में फ्यूचर जनरल इंश्योरेंस को लॉन्च किया गया. उसी साल फ्यूचर कैपिटल भी अस्तित्व में आई. बियानी के लिए यहां तक सबकुछ ठीक चल रहा था, फिर आने वाले सालों में उनका मुश्किल दौर शुरू हो गया.

कई बार बेचनी पड़ी थी संपत्ति 
2008 की आर्थिक मंदी और कुछ गलत फैसलों ने फ्यूचर समूह को प्रभावित किया, लेकिन इससे भी बुरा समय आगे आने वाला था. फ्यूचर रिटेल के साथ फ्यूचर समूह पर कर्ज का बोझ बढ़ने लगा, जिसकी वजह से किशोर बियानी को कई बार एसेट्स को डाइवेस्ट करना पड़ा. उन्होंने 2012 में 'पैंटालून्स' में अपनी अधिकांश हिस्सेदारी आदित्य बिड़ला ग्रुप को बेच दी. इसके साथ ही उन्हें फ्यूचर कैपिटल होल्डिंग्स में भी अपनी ज्यादातर हिस्सेदारी अमेरिका की प्राइवेट इक्विटी Warburg Pincus को बेचनी पड़ी. यह सिलसिला यहीं नहीं रुका, 2019 में किशोर बियानी ने फ्यूचर कूपन्स में 49 फीसदी हिस्सेदारी Amazon को बेची. इससे बियानी को कर्ज के बोझ को कुछ कम करने में मदद जरूर मिली, लेकिन यही फैसला उनके लिए मुश्किलों का पहाड़ बनकर सामने आया.

खटाई में पड़ गई थी डील
'फ्यूचर ग्रुप' पर वित्तीय संकट 2020 की शुरुआत में तब बढ़ा, जब फ्यूचर रिटेल डेट रीपेमेंट यानी कर्ज चुकाने में असफल रही और कर्जदाताओं ने शेयरों को गिरवी रखने की बात कही. कोरोना महामारी ने बियानी की रही-सही उम्मीद को भी खत्म कर दिया. मार्च 2020 के आखिरी हफ्ते में देशभर में लगे लॉकडाउन ने 'बिग बाजार' की कमर तोड़ दी. इसके बाद स्थिति बयानी के हाथों से निकलती चली गई. तभी, रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड की तरफ से फ्यूचर रिटेल को मिला ऑफर उसके लिए एक बेहतरीन समाधान की तरह नजर आया, मगर भविष्य को कुछ और ही मंजूर था. कई महीनों के मोलभाव के बाद रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने फ्यूचर ग्रुप की संपत्ति 24,713 करोड़ में खरीदने का फैसला किया. फ्यूचर रिटेल लिमिटेड पहले अपने 19 कारोबार को रिलायंस रिटेल के साथ मर्ज करने को तैयार हो गया. हालांकि, फ्यूचर ग्रुप की संपत्ति रिलायंस के पास आने के बाद भी इसे किशोर बियानी ही चलाते. उसी वक्त Amazon और किशोर बियानी के बीच हुई एक डील सामने आ गई और रिलायंस से उनकी डील खटाई में पड़ गई.

किराया भरने के भी नहीं थे पैसे
इसके बाद कई फ्यूचर स्टोर शटरडॉउन होते चले गए. स्थिति ये पहुंच गई कि किशोर बयानी के पास स्टोर्स का किराया देने के भी पैसे नहीं थे. नतीजतन उनके कई स्टोर्स रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के हाथों में चले गए. इस बीच, बैंक ऑफ इंडिया ने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) में याचिका दायर करते हुए फ्यूचर रिटेल के खिलाफ दिवालिया कार्यवाही शुरू करने की अपील की, जिसे NCLT ने स्वीकार कर लिया. हालांकि, अमेरिकी ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन नहीं चाहती थी कि फ्यूचर रिटेल को दिवालिया घोषित किया जाए. उसने इसे बैंक और कंपनी की मिलीभगत करार दिया था. अमेजन ने दिवालिया प्रक्रिया रोकने के लिए NCLT में अपील की, उसने कहा कि अभी इस मामले में फ्यूचर रिटेल को दिवालिया घोषित करने की कार्रवाई शुरू करने से उसके अधिकारों के साथ ‘समझौता’ होगा, लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ.

Amazon ने उलझाया था पेंच 
किशोर बियानी चाहते थे कि रिलायंस को कुछ हिस्सेदारी बेचकर जो पैसा आएगा, उससे वह कर्ज का बोझ कम करके फिर से खुद को खड़ा करने की कोशिश कर पाएंगे. लेकिन अमेजन से की गई डील ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया. 2019 में अमेजन ने फ्यूचर समूह की कंपनी फ्यूचर कूपंस की 49 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी थी. यह डील 1431 करोड़ रुपए में फाइनल हुई थी और फ्यूचर कूपंस की फ्यूचर रिटेल में 9.8 फीसदी हिस्सेदारी है. इसके अलावा 2019 की डील में इस बात पर सहमति बनी थी कि अगले 3-10 साल के भीतर अमेजन, फ्यूचर रिटेल की हिस्सेदारी खरीदने की हकदार होगी. ऐसे में जब बयानी ने रिलायंस ने समझौता किया, तो अमेजन ने उसे कानूनी लड़ाई में उलझा दिया. इसे देखते हुए रिलायंस भी उसका साथ छोड़ गई, उल्टा कंपनी ने किराया नहीं मिलने पर फ्यूचर ग्रुप के कई स्टोर्स बंद करवा दिए. अब किशोर बियानी की फ्यूचर रिटेल बिकने जा रही है. 
 


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