इस Chromebook का निर्माण चेन्नई की फ्लेक्स फैसिलिटी में किया जा सकता है. इस डिवाइस के भारत में निर्माण से ये यहां के छाात्रों को सस्ते में मिल पाएगा.
पर्सनल पीसी के बाजार में अहम भूमिका निभाने वाला HP और नामी टेक कंपनी गूगल आने वाले समय में क्रोमबुक (Chromebook) का निर्माण करने जा रहे हैं. इसे लेकर दोनों कंपनियों ने हाथ मिलाया है. इन दोनों की साझेदारी से माना जा रहा है कि देश में सस्ते पीसी की जरूरत को पूरा किया जा सकेगा. विशेषतौर पर एजुकेशन सेक्टर में जो कमी है उसे पूरा किया जा सकेगा.
कई स्कूलों में पैदा हो रही है इनकी डिमांड
मौजूदा समय में जब से कंप्यूटर हर क्षेत्र में पहुंच चुका है ऐसे शिक्षा सेक्टर में भी इसकी जबदरस्त मांग देखने को मिल रही है. भारत के स्कूलों में लैपटॉप से लेकर डेस्कटॉप और दूसरे कंप्यूटर उपकरणों की मांग में इजाफा देखा जा रहा है. ऐसे में इस साझेदारी का मकसद यही है कि स्कूलों में पैदा होने वाली उस जरूरत को पूरा किया जा सके और स्टूडेंट को सस्ते और हाई-क्वॉलिटी उपकरण मुहैया कराए जा सकते हैं.
इतनी हो सकती है क्रोमबुक की कीमत
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, एचपी और गूगल की साझेदारी में बनने वाले इस क्रोमबुक की कीमत 20 हजार से 30 हजार रुपये तक हो सकती है. अगर ये बनता है तो इससे एचपी को स्कूलों में जरूरत पूरी करने में बड़ी मदद मिलेगी. साथ ही एचपी अपने 11 इंच के क्रोमबुक के साथ 9 इंच के टैबलेट को भी बाजार में लॉन्च कर सकती है. क्योंकि इसका निर्माण भारत में होने जा रहा है तो ऐसे में कंपनी को ये भी उम्मीद है इसकी कीमत दूसरी कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धी भी बनी रहेगी. इसका निर्माण चेन्नई में फ्लेक्स फैसिलिटी में किया जा सकता है.
क्या कहते हैं कंपनी के सीनियर डॉयरेक्टर?
एचपी कंपनी के सीनियर डॉयरेक्टर पर्सनल विभाग विक्रम बेदी कहते हैं कि एचपी डिजिटल इक्विटी को आगे बढ़ाने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं. उन्होंने कहा कि हम भारत में डिजिटल शिक्षा को पूरा करने के लिए कई तरह के प्रयास कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि भारत में क्रोमबुक निर्माण से भारत में छात्रों को किफायती लैपटॉप प्राप्त हो सकेंगे. उन्होंने ये भी कहा कि हम अपने विनिर्माण इकाईयों का विस्तार करके भारत सरकार के मेक इन इंडिया कार्यक्रम को आगे बढ़ाने में अपनी भूमिका निभाएंगे.
क्या बोले गूगल के साउथ एशिया प्रमुख?
गूगल के साउथ एशिया प्रमुख बानी धवन ने इस मौके पर कहा कि हम स्थानीय शिक्षा में डिजिटल इंडिया अभियान को आगे बढ़ाते हुए सस्ते लैपटॉप मुहैया कराने में अपनी भूमिका निभाना चाहते हैं. हम स्कूलों को किफायती, सुरक्षित और हाई क्वॉलिटी वाले डिवाइस मुहैया कराकर छात्रों को बेहतर उपकरण देना चाहते हैं. Chromebook K-12 शिक्षा में अग्रणी उपकरण है जो दुनियाभर में 50 मिलियन से अधिक छात्रों और शिक्षकों की मदद करता है.
इस ब्लेंडिंग से बनने वाली गैस जहां कार्बन कम पैदा करती है वहीं दूसरी ओर उसकी तापन क्षमता भी उतनी ही होती है जितनी दूसरे ऊर्जा साधनों की होती है.
अडानी टोटल गैस लिमिटेड (ATGL) ने लिक्विड हाइड्रोजन की ब्लेंडिंग का काम शुरू कर दिया है. ATGL ने ये काम अहमदाबाद में शुरू किया है. इस प्रोजेक्ट के तहत ATGL प्राकृतिक गैस और ग्रीन हाइड्रोजन को मिक्स कर रहा है और उसके 4000 से ज्यादा परिवारों को सप्लाई करेगा. समूह इसके लिए अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करेगा.
कैसे होता है Gh2 का उत्पादन?
Gh2 के उत्पादन के लिए नवीन ऊर्जा का इस्तेमाल किया जाता है. उसे बिजली के साथ पानी के इलेक्ट्रोलिसिस का इस्तेमाल करके बनाया जाता है. बाकी गैस के मुकाबले हाइड्रोजन में कार्बन की मात्रा काफी कम होती है. लेकिन इसकी तापन क्षमता एकसमान ही होती है. अभी शुरू हुए पायलट प्रोजेक्ट के बाद इसके पूर्ण रूप से 2024-25 में शुरू होने की उम्मीद है. इस पूरी परियोजना का लक्ष्य Gh2 के प्रतिशत को 8 प्रतिशत या उससे अधिक बढ़ाना है.
ये है ATGL की योजना
ATGL की योजना है कि वो धीरे-धीरे इसका उत्पादन बढ़ाने के साथ अपने लाइसेंस के साथ इसकी आपूर्ति में भी बढ़ोतरी करेगी. इस ब्लेडिंग को लेकर जो लक्ष्य रखा गया है वो नियंत्रित और अच्छी तरह से निगरानी वाले रोलआउट की अनुमति देगा, जिससे बेहतर प्रदर्शन और सुरक्षा सुनिश्चित हो पाएगी. GH2 को लेकर किए गए अध्ययन बता रहे हैं कि इसके मिश्रण से उत्सर्जन में 4 प्रतिशत तक की कमी आएगी.
क्या बोली ATGL ?
इस बारे में जानकारी देते हुए ATGL ने कहा कि इस पायलट प्रोजेक्ट के साथ उसे इसके परिचालन और मौजूदा बुनियादी ढ़ाचे को लेकर अनुभव मिलेगा. ATGL के परियोजना निदेशक सुरेश पी मंगलानी ने इस मौके पर कहा कि हम पर्यावरण के अनुकूल निर्माण के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं. उन्होंने ये भी कहा कि ये परियोजना 2047 तक भारत को ऊर्जा में आत्मनिर्भर बनाने के लिए राष्ट्रीय बुनियादी ढ़ाचे के निर्माण के प्रति हमारे संकल्प को दर्शाती है. उन्होंने कहा कि इससे जहां कार्बन उत्सर्जन कम होगा वहीं ऐसी नवीन परियोजनाओं में निवेश करके हम उद्योग के विकास में सक्रिय भूमिका अदा कर रहे हैं.
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केन्द्र सरकार ने अगस्त में एक बदलाव किया था जिसमें जहां राजस्व राज्य सरकार को दिए जाने की बात कही गई थी वहीं नीलामी को देशहित में प्राथमिकता पर किए जाने की बात कही गई थी.
केन्द्र सरकार महत्वपूर्ण खनिजों की बिक्री बुधवार से शुरू करने जा रही है. पहले चरण में सरकार 20 खनिज ब्लॉक के लिए नीलामी प्रक्रिया को शुरू करेगी, ये सभी ब्लॉक देशभर में फैले हुए हैं. इस प्रक्रिया की शुरुआत केन्द्रीय खान मंत्री प्रहलाद जोशी करने जा रहे हैं. मंत्रालय का मानना है कि ये नीलामी देश की अर्थव्यवस्था में इजाफा करने के साथ-साथ अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगी, राष्ट्रीय सुरक्षा को बढ़ाएगी और स्वच्छ ऊर्जा भविष्य में हमारे परिवर्तन को गति देने का काम करेगी.
किन किन खनिजों की होगी नीलामी
सरकार कल पहले चरण में जिन खनिजों की नीलामी करने जा रही है उनमें लीथियम, ग्रेफाइट, कोबाल्ट, टाइटेनियम, आरईई जैसे खनिज शामिल हैं. ये ऐसे खनिज हैं जिनकी भविष्य में बड़ी जरूरत तकनीक के विकास में पैदा होने वाली हैं. इनके अभी कुछ सीमित देशों में होने के कारण भारत को उनकी खरीद में बड़ा निवेश करना पड़ता है. कई बार इनकी कमी से देश में उस सेक्टर की सप्लाई चेन में भी परेशानी आ जाती है. भारत का लक्ष्य है कि वो 2030 तक 50 प्रतिशत ऊर्जा गैर जीवाश्म स्त्रोंतों से हासिल करेगा. ऐसे में इन खनिजों की भूमिका अहम होने वाली है.
EV उत्पादन में होने वाली इनकी अहम भूमिका
देश को अगर 2030 तक उस लक्ष्य पर पहुंचाना है तो ऐसे में इलेक्ट्रॉनिक कारों से लेकर पवन और सौर ऊर्जा जैसे क्षेत्र में उत्पादन को बढ़ाना होगा. इस तरह के खनिजों की पूरी दुनिया में बड़ी मांग है. विशेषतौर पर नवीन ऊर्जा, डिफेंस, एग्रीकल्चर, फॉर्मा, हाईटेक इलेक्ट्रॉनिक, टेलीकम्यूनिकेशन, ट्रांसपोर्ट और गीगाफैक्ट्रीज शामिल हैं. इस ऑक्शन की ज्यादा जानकारी को एमएसटीएस ऑक्शन प्लेटफॉर्म WWW.mstcecommerce.com/auctionhome/mlcl/index.jsp पर जाकर 29 नवंबर को शाम को 6 बजे देखा जा सकता है. इस ऑक्शन को ट्रांसपेरेंट तरीके से किया जाएगा. इसे दो तरह से एसेडिंग फॉरवर्ड ऑक्शन के जरिए किया जाएगा. इस ट्रांसपेरेंट तरीके से उचित बोली लगाने वाले योग्य खरीदार को इन्हें आवंटित कर दिया जाएगा.
सरकार ने हाल ही में किया है एक बडा बदलाव
केन्द्र सरकार ने 17 अगस्त को 2023 को एक बड़ा बदलाव करते हुए 24 खनिजों को क्रिटिकल और स्टेटजिक मिनरल की श्रेणी में रख दिया था. सरकार के ये बदलाव उसे देश हित में खनिज रियायत देने के अधिकार देता है, ताकि सरकार देश की आवश्यकताओं को देखते हुए प्राथमिकता से इनकी नीलामी कर सके. इन नीलामियों से जो भी राजस्व पैदा होगा उसे राज्य सरकारों को दिया जाएगा. सरकार की ओर से इनके दामों को भी व्यवहारिक बनाया गया है जिससे ज्यादा भागीदार इसमें भाग ले सकें.
BharatPe के CFO और अंतरिम CEO नलिन नेगी ने आज कंपनी के प्रॉफिटेबल होने की जानकारी मीडिया के साथ साझा की है.
फिनटेक (Fintech) क्षेत्र की स्वदेशी कंपनी भारत पे (BharatPe) को लेकर इस वक्त एक काफी बड़ी खबर सामने आ रही है. खबर आ रही है कि अपने लॉन्च के 5 सालों के बाद भारत पे आखिरकार प्रॉफिटेबल हो गयी है. आपको बता दें कि भारत पे को 2018 में लॉन्च किया गया था और अब 2023 में कंपनी ने प्रॉफिटेबल होने की जानकारी दी है.
BharatPe हुआ प्रॉफिटेबल
भारत पे (BharatPe) के CFO (चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर) और अंतरिम CEO नलिन नेगी ने आज कंपनी के प्रॉफिटेबल होने की जानकारी मीडिया के साथ साझा की है. आधिकारिक बयान देते हुए कंपनी ने कहा है कि भारत पे का EBITDA सकारात्मक स्तर पर पहुंच गया है और कंपनी की कमाई भी 1500 करोड़ रुपए हो गई है. सालाना आधार पर कंपनी के ARR में 31% की वृद्धि देखने को मिली है. कंपनी की कमाई में हुई इस वृद्धि के पीछे कंपनी के पेमेंट और लोन देने के बिजनेस में हुई बढ़त को प्रमुख कारण माना जा रहा है. भारत पे ने अक्टूबर में अपने प्लेटफॉर्म पर मौजूद मर्चेंट्स को 640 करोड़ रुपए का लोन दिया था. आपको बता दें कि सालाना आधार पर ये 36% ज्यादा है.
BharatPe ने इकट्ठा किये 583 मिलियन डॉलर्स
अक्टूबर में ही भारत पे (BharatPe) को अपने विविध पेमेंट उत्पादों के बीच 14,000 करोड़ रुपयों के TPV (थर्ड पार्टी वेरिफिकेशन) प्राप्त हुए थे. आपको बता दें कि जब भी किसी कंपनी द्वारा किसी कस्टमर की जानकारी और उसके उद्देश्य को जानने के लिए एक बाहरी संस्था का प्रयोग किया जाता है तो उसे TPV कहा जाता है. इसके साथ ही कंपनी के अंतरिम CEO नलिन नेगी ने यह भी कहा है कि आने वाले समय में कंपनी अपने लोन बिजनेस और POS (पॉइंट ऑफ सेल) के साथ-साथ साउंडबॉक्स के अपने कारोबार पर भी प्रमुख रूप से ध्यान देगी. आपको बता दें कि भारत पे ने अभी तक इकिविती के रूप में 583 मिलियन डॉलर्स जितनी राशि इकट्ठी की है.
BharatPe के इन्वेस्टर्स
कंपनी में इन्वेस्ट करने वाले प्रमुख इन्वेस्टर्स में पीक XV पार्टनर (पूर्व में Sequoia Capital India), Ribbit कैपिटल, इनसाइट पार्टनर, Amplo, Beenext, Coatue मैनेजमेंट, Dragoneer investment Group, Steadfast Capital, Steadview Capital और टाइगर ग्लोबल (Tiger Global) जैसी कंपनियों के नाम शामिल हैं. जून 2021 में कंपनी ने Payback India (Zillion) का अधिग्रहण किये जाने की बात कही थी. आपको बता दें कि Payback India देश की सबसे बड़ी मल्टी-ब्रैंड लॉयल्टी प्रोग्राम कंपनी थी और इसके सदस्यों की संख्या 100 मिलियन से ज्यादा थी.
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Spicejet के प्रमोटर अजय सिंह 100 मिलियन डॉलर की फंडिंग तलाश रहे हैं, आइये जानते हैं उन्हें इतनी बड़ी रकम की जरूरत क्यों है?
स्पाइसजेट (Spicejet) को लेकर इस वक्त एक काफी बड़ी खबर सामने आ रही है. माना जा रहा है कि स्पाइसजेट के प्रमोटर अजय सिंह (Ajay Singh) 100 मिलियन डॉलर्स इकट्ठा करने के लिए ग्लोबल प्राइवेट क्रेडिट फंड्स के साथ लगातार बातचीत कर रहे हैं.
Spicejet के पास बेहतर मौके
मामले से जुड़े कुछ लोगों ने मीडिया से बातचीत के दौरान बताया है कि स्पाइसजेट (Spicejet) के अजय सिंह (Ajay Singh) द्वारा यह राशि प्रमोटर का कर्ज चुकाने और कैश के संकट से जूझ रही एयरलाइन को नई इक्विटी प्रदान करने के लिए इकट्ठा की जा रही है. मामले से जुड़े एक व्यक्ति ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि बहुत से ग्लोबल फंड्स अभी अजय सिंह के साथ बातचीत कर रहे हैं और फिलहाल इस कर्ज की प्राइसिंग को लेकर भी प्रमुख रूप से बातचीत की जा रही है. यह एक व्यवस्थित क्रेडिट ट्रांजेक्शन होगा. वैसे तो बातचीत अभी अपने बहुत ही शुरुआती स्तर पर है लेकिन भारत के एविएशन सेक्टर की प्रॉफिटेबलिटी में होते सुधार और दिवालिया हो चुके वाडिया ग्रुप (Wadia Group) की बजट एयरलाइन, गो-फर्स्ट (GoFirst) के बाहर हो जाने की वजह से स्पाइसजेट के पास कर्ज चुकाने और फाइनेंस मैनेज करने के ज्यादा और बेहतर मौके उपलब्ध हैं.
Spicejet का क्या है कहना?
स्पाइसजेट के एक प्रवक्ता ने कहा कि यह सिर्फ मार्केट द्वारा लगाये जा रहे अनुमान भर हैं और कंपनी इन पर किसी प्रकार का बयान नहीं देना चाहती है. आपको बता दें कि अगस्त में स्पाइसजेट (Spicejet) ने मार्केट में अपनी हिस्सेदारी को बड़ा कर लिया था और फिलहाल यह अकासा एयर (Akasa Air) से भी आगे है. इसके साथ ही आपको यह भी बता दें कि पिछले साल के मुकाबले इस साल अकासा एयर के पैसेंजर ट्रैफिक में 30% की बढ़ोत्तरी देखने को मिली थी. फिलहाल स्पाइसजेट में 56.5% की हिस्सेदारी कंपनी के प्रमोटर्स की है और कंपनी के प्रमोटर्स में अजय सिंह (Ajay Singh) का नाम भी शामिल है जो प्रमोटर होने के साथ-साथ कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर भी हैं. इसके अलावा एयरलाइन का 37.9% हिस्सा विभिन्न लेनदारों के पास गिरवी रखा गया है.
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मौजूदा समय में भारत में हर पांच पुरुषों पर सिर्फ एक महिला वैज्ञानिक ही काम कर रही है. महिलाओं की भागीदारी सिर्फ 16 प्रतिशत है.
STEM क्षेत्र से जुड़े रिसर्च कार्यक्रमों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए दुनिया की नामी कंपनी HUL ने एक फेलोशिप की शुरूआत की है. HUL ने इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ साइंट की पांच महिलाओं को इस बार इस इस क्षेत्र में रिसर्च के लिए फेलोशिप देने का फैसला किया है. STEM को साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मैथ्स कहा जाता है. अभी इस क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी काफी कम है.
हर पांच में सिर्फ 1 महिला कर रही है रिसर्स
मौजूदा समय में आंकड़ों पर नजर डालें तो हर पांच पुरुषों में एक महिला ही है जो इस क्षेत्र में रिसर्च कर रही है. इस क्षेत्र में रिसर्च से जुड़ी नौकरियो में महिलाओं को महज 16 प्रतिशत का प्रतिनिधित्व मिल पाता है. कंपनी का मकसद इस क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी को और बढ़ाने का है. इस फेलोशिप के तहत जो महिलाएं STEM के क्षेत्र में पीएचडी कर रही हैं,उन्हें मदद मुहैया कराकर इस क्षेत्र में आगे लाने को लेकर काम कर रही है.
क्या बोले कंपनी के सीईओ?
इस घोषणा के बाद कंपनी के सीईओ रोहित जावा ने कहा कि इस क्षेत्र में महिलाओं के लिए अपने करियर को बनाना एक बड़ी चुनौती होती है. उन्होंने ये भी कहा कि इसका डटकर मुकाबला किया जाना चाहिए.उन्होंने कहा कि आज दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु जैसे शहरों में चल रही हमारी आर एंड टी जैसी टीमों में 50 प्रतिशत महिलाएं काम कर रही हैं. उन्होंने कहा कि ये फेलोशिप महिलाओं को आगे बढ़ने में बड़ी मददगार साबित होगी.
कैसे हुआ है इसके लिए महिलाओं का चयन
कंपनी की ओर से जानकारी दी गई है कि आईआईएससी के प्रमुख शिक्षाविदों के एक पैनल ने इन प्रमुख प्रतिभागियों का सलेक्शन किया है. इस फेलोशिप के लिए चयन होने के लिए उनकी अध्ययन क्षमता, उनके रिसर्च कार्यक्रम, रिसर्च एचीवमेंट, और रिसर्च के बाद होने वाले प्रभाव के बारे में विस्तार से जानकारी ली गई है. कंपनी ने कहा कि ये पीएम रिसर्च फेलोशिप के बराबर पूरे पांच साल के लि बच्चों को मदद देने का काम करती है. HUL की इस फेलोशिप की दूसरी सबसे खास बात ये भी है कि इसमें वित्तीय सहायता के साथ उस क्षेत्र के प्रमुख सलाहकारों तक भी एक्सेस मिलता है.
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Kronox Lab का संबंध गुजरात के वड़ोदरा से है और यह कंपनी उच्च-स्तरीय फाइन केमिकल्स का निर्माण करती है.
पिछले कुछ समय के दौरान भारतीय शेयर मार्केट (Share Market) में कई कंपनियां अपने IPO (इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग) लेकर आई हैं और IPO को लेकर अब लोग काफी उत्सुक भी नजर आते हैं. हाल ही में टाटा टेक्नोलॉजीज (Tata Technologies) का IPO था, जिसे सिर्फ 60 मिनट के अंदर ही पूरी तरह सबस्क्राइब कर दिया गया था. अब एक अन्य कंपनी Kronox Lab अपना IPO लेकर आने के बारे में विचार कर रही है और कंपनी के SEBI के समक्ष DRHP भी जमा कर दिया है.
Kronox Lab इकट्ठा करेगी 150-180 करोड़
DRHP (ड्राफ्ट-रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस) जमा करने वाली Kronox Lab का संबंध गुजरात के वड़ोदरा से है और यह कंपनी उच्च-स्तरीय फाइन केमिकल्स का निर्माण करती है. इस IPO के माध्यम से कंपनी 150-180 करोड़ रुपये इकठ्ठा करना चाहती है. SEBI के समक्ष जमा किये गए DRHP के अनुसार Kronox के IPO में 45 करोड़ रुपयों की कीमत वाले नए शेयर जारी किये जायेंगे और OFS यानी ऑफर फॉर सेल के माध्यम से 78 लाख इक्विटी शेयरों को जारी किया जाएगा. ये शेयर कंपनी के प्रमोटर्स जोगिंदरसिंह जसवाल, केतन रमानी और प्रीतेश रमानी के द्वारा जारी किये जायेंगे. इनमें से प्रत्येक व्यक्ति के हिस्से से 26 लाख इक्विटी शेयर OFS के लिए प्रदान किये जायेंगे.
पैसों का इस्तेमाल कहां करेगी कंपनी?
कंपनी द्वारा जमा किये DRHP दस्तावेज की मानें तो अपने IPO के माध्यम से इकट्ठा होने वाले पैसों का इस्तेमाल कंपनी द्वारा कैपिटल से संबंधित जरूरतों को पूरा करने के लिए किया जाएगा. इतना ही नहीं, आम कॉर्पोरेट उद्देश्यों की पूर्ती के लिए भी इन पैसों का इस्तेमाल किया जाएगा. दूसरी तरफ OFS से प्राप्त होने वाली राशि का भुगतान सीधे तौर पर शेयरहोल्डर्स के साथ किया जाएगा. Kronox के उत्पादों की बात करें तो इनका इस्तेमाल विभिन्न इंडस्ट्रीज में मौजूद भिन्न-भिन्न यूजर्स के लिए किया जाता है, जिनमें फार्मास्यूटिकल फार्मूलेशन, API (एक्टिव फार्मास्यूटिकल इंग्रेडियंट), बायोटेक, वैज्ञानिक रिसर्च और टेस्टिंग के लिए भी किया जाता है.
Kronox Lab का प्रदर्शन
वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान Kronox को ऑपरेशन्स की बदौलत कुल 95.6 करोड़ रुपयों की कमाई हुई थी. हालांकि इस दौरान कंपनी का EBITDA 22 करोड़ दर्ज किया गया था. इस समयावधि के दौरान कंपनी को टैक्स की कटौती के बाद 16.6 करोड़ रुपयों का प्रॉफिट हुआ था. कंपनी के IPO ऑफर का जिम्मा पैंटोमैथ कैपिटल एडवाइजर्स (Pantomath Capital Advisors) के जिम्मे है. आपको बता दें कि कंपनी के शेयरों को NSE (राष्ट्रीय स्टॉक एक्सचेंज) के साथ-साथ BSE (बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज) पर भी लिस्ट किया जाएगा.
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शुक्रवार को BSE लगभग 0.7% की गिरावट और NSE का निफ्टी 0.04% की गिरावट के साथ बंद हुआ था.
पिछले हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन भारतीय शेयर बाजार (Share Market) में गिरावट देखने को मिली थी और पिछले कुछ समय से शेयर बाजार में अनिश्चितता का दौर बना हुआ है. IT से संबंधित कंपनियों के शेयरों की बिकवाली के चलते शेयर बाजार में गिरावट देखने को मिली थी. शुक्रवार के बाद घरेलु बाजार आज खुलने जा रहे हैं और ऐसे में अगर आज आप अपनी जेब भरना चाहते हैं तो हम कुछ ऐसे शेयरों की जानकारी लेकर आये हैं, जिनमें तेजी के संकेत दिख रहे हैं.
किन शेयरों में रहेगी तेजी?
शुक्रवार को जहां BSE (बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज) 47.77 अंकों यानी लगभग 0.7% की गिरावट के साथ बंद हुआ था वहीं NSE (राष्ट्रीय स्टॉक एक्सचेंज) के निफ्टी सूचकांक की बात करें तो यह 7.30 अंकों, यानी 0.04% की गिरावट के साथ बंद हुआ था. वहीं अगर पिछले पूरे हफ्ते के बाजारों के प्रदर्शन पर नजर डालें तो सेंसेक्स में 175.31 अंकों और निफ्टी में 62.9 अंकों जितनी बढ़त देखने को मिली थी. मोमेंटम इंडिकेटर MACD की मानें तो आज के दिन ग्लेनमार्क लाइफ, ग्राइंडवेल नॉर्टन, KRBL और SBI कार्ड जैसे शेयरों के मंगल प्रदर्शन की संभावना दिख रही है और इन शेयरों में आज तेजी देखने को मिल सकती है. जिस तरह MACD द्वारा किसी शेयर में तेजी के संकेत दिए जाते हैं उसी तरह किसी शेयर में मंदी के संकेतों को भी यह पहले दिखा देता है. आइये जानते हैं आज किन शेयरों में मंदी देखने को मिल सकती है.
इन शेयरों से जरा बचके
मूवमेंट इंडिकेटर MACD सिर्फ किसी शेयर में तेजी का दौर ही नहीं,, बल्कि कुछ शेयरों में मंदी के दौर के बारे में बताता है. MACD इंडिकेटर की मानें तो BEL, NMDC, कोटक बैंक (Kotak Bank), मोतीलाल ओसवाल (Motilal Oswal), परसिस्टेंट सिस्टम (Persistent System) और P&G जैसे शेयरों में मंदी देखने को मिल सकती है. NTPC, भारती एयरटेल (Bharti Airtel), हीरो मोटोकॉर्प (Hero Motocorp), टाइटन (Titan), बजाज ऑटो (Bajaj Auto), BPCL और सन फार्मा (Sun Pharma) जैसी कंपनियों के शेयरों में जबरदस्त खरीदारी देखने को मिल सकती है.
इनमें होगी बिकवाली
दूसरी तरफ ऐसे शेयर भी हैं जिनमें आज जबरदस्त बिकवाली देखने को मिल सकती है. आपको बता दें कि पिछले हफ्ते उतर चढ़ाव के दौर के बीच HCL टेक (HCL Tech), टेक महिंद्रा (Tech Mahindra), विप्रो (Wipro), टाटा मोटर्स (Tata Motors) और इन्फोसिस (Infosys) जैसे शेयरों में गिरावट देखने को मिली थी. वहीँ HDFC बैंक (HDFC Bank), Axis बैंक (Axis Bank), JSW स्टील (JSW Steel) और M&M जैसे शेयरों में बढ़त देखने को मिली थी. MACD के अनुसार Polyplex Corp और Rajesh Exports जैसी कंपनियों के शेयरों में आज बिकावली देखने को मिल सकती है.
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ज्यादातर लोग अडानी (Adani) का नाम उत्तराखंड के उत्तरकाशी में हुई दुर्घटना से जोड़कर देख रहे हैं.
वैसे तो गौतम अडानी (Gautam Adani) की अध्यक्षता वाला अडानी ग्रुप (Adani Group) आए दिन खबरों और सुर्खियों का हिस्सा बना ही रहता है, लेकिन आज का मुद्दा काफी अलग है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर इस वक्त #Adani ट्रेंड कर रहा है. अगर आप भी जानना चाहते हैं कि ऐसा क्यों है, तो आप एकदम सही जगह हैं.
गुफा ढहने का क्या था कारण?
दरअसल ज्यादातर लोग अडानी (Adani) का नाम उत्तराखंड के उत्तरकाशी में हुई दुर्घटना से जोड़कर देख रहे हैं और इसीलिए फिलहाल ट्विटर पर #Adani ट्रेंड कर रहा है. आपको बता दें कि 12 नवंबर 2023 को सिल्क्यारा से बारकोट के बीच बनाई जा रही गुफा ढह गई थी जिसके बाद से 40 मजदूर इस गुफा के अन्दर फंसे हुए हैं और बचाव एवं राहत कार्य अभी भी जारी है. माना जा रहा है कि इस गुफा का निर्माण करते हुए भौगोलिक अध्ययन सही तरीके से पूरा नहीं किया गया था और न ही गुफा का डिजाईन सही था जिसकी वजह से यह दुर्घटना हुई है. इसके साथ ही सुरक्षा मानकों पर सही से ध्यान न दिया जाना और निर्माण प्रक्रिया से संबंधित कारकों पर भी सवाल उठाये जा रहे हैं.
Adani Group और Navayuga Engineering के बीच संबंध
बहुत से लोग इस दुर्घटना की आलोचना कर रहे हैं और निष्पक्ष कार्यवाही की मांग करके संबंधित लोगों पर कानूनी कार्यवाही की मांग भी कर रहे हैं. इसी बीच अडानी ग्रुप (Adani Group) का नाम भी सामने आ रहा है. दरअसल हाल ही में मीडिया के साथ बातचीत के दौरान अंतर्राष्ट्रीय खनन एक्सपर्ट अर्नाल्ड डिक्स ने कहा था कि अभी उन्हें मजदूरों तक पहुंचने में एक अतिरिक्त माह का समय भी लग सकता है. इसके बाद ऐसी कई मीडिया रिपोर्ट्स आईं थीं जिनमें दावा किया गया था कि 2020 में CCI यानी कम्पटीशन कमीशन ऑफ इंडिया ने अडानी पोर्ट्स एवं विशेष इकॉनोमिक जोन (Adani Ports and SEZ) को नवयुग इंजीनियरिंग (Navayuga Engineering) में हिस्सेदारी खरीदने के लिए मंजूरी दे दी थी.
Adani Group पर हो रही कार्यवाही की मांग
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि नवयुग इंजीनियरिंग (Navayuga Engineering) वही कंपनी है जिसे उत्तरकाशी में बनाई जा रही इस गुफा के निर्माण का जिम्मा सौंपा गया था और यह कंपनी हैदराबाद में आधारित है. अब नवयुग इंजीनियरिंग और अडानी के बीच संबंधों को जोड़कर देखा जा रहा है और मांग की जा रही है कि इस दुर्घटना की जांच के बाद अडानी ग्रुप (Adani Group) पर भी कार्यवाही की जाए. इसी कार्यवाही की मांग करते हुए सोशल मीडिया प्लेटफार्म X पर लगातार अडानी ग्रुप के खिलाफ ट्वीट साझा किये जा रहे हैं.
Adani Group की सफाई
अब हाल ही में अडानी ग्रुप (Adani Group) ने इस पूरे मुद्दे पर अपनी सफाई दी है और नवयुग इंजीनियरिंग के साथ किसी भी तरह के संबध की बात को झूठलाया है. कंपनी ने अपने बयान में कहा है कि कुछ लोग झूठे दावे कर रहे हैं कि उत्तराखंड में दुर्घटनाग्रस्त हुई उत्तरकाशी गुफा से हमारा संबंध है. हम इन दावों और इन दावों के पीछे मौजूद लोगों की आलोचना करते हैं. हम साफ कर देना चाहते हैं कि गुफा के निर्माण में अडानी ग्रुप या फिर इसकी किसी भी शाखा का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कोई भी संबंध नहीं है और न ही निर्माण करने वाली कंपनी में हमारी किसी प्रकार की साझेदारी है.
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हम इस मामले के साथ अदालत जाना चाहते हैं और हम हमारे पास मौजूद सभी कानूनी विकल्पों को तलाश रहे हैं
परेशानियों से घिरे अभ्युदय को-ऑपरेटिव बैंक (Abhyudaya Cooperative Bank) को लेकर इस वक्त एक काफी बड़ी खबर सामने आ रही है. माना जा रहा है कि अभ्युदय कोऑपरेटिव बैंक भारत के केंद्रीय बैंक, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के आदेश के खिलाफ अपील कर सकता है. बैंक द्वारा कानूनी कार्यवाही के विकल्प भी तलाशे जा रहे हैं.
क्या है पूरा मामला?
हाल ही में बैंक के चेयरमैन संदीप घंदत (Sandeep Ghandat) ने यह जानकारी भारत की शीर्ष मीडिया वेबसाइट से बातचीत के दौरान साझा की है. मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि हम इस मामले के साथ अदालत जाना चाहते हैं और हम हमारे पास मौजूद सभी कानूनी विकल्पों को तलाश रहे हैं. इस एक विकल्प के अलावा हमारे पास कोई अन्य विकल्प नहीं है क्योंकि RBI अपने आदेश को वापस लेता हुआ नजर नहीं आ रहा है. 24 नवंबर को RBI ने मुंबई स्थित अभ्युदय को-ऑपरेटिव बैंक (Abhyudaya Cooperative Bank) के बोर्ड की जगह ले ली थी. एक बयान में RBI ने इस फैसले के लिए खराब कॉर्पोरेट गवर्नेंस मापदंडों को कारण बताया था.
कितना बड़ा है Abhyudaya Cooperative Bank?
अभ्युदय को-ऑपरेटिव बैंक (Abhyudaya Cooperative Bank) के चेयरमैन संदीप घंदत ने मीडिया से बातचीत के दौरान आगे यह भी कहा है कि बैंक भारत सरकार का रुख भी कर सकता है और सरकार से इस मामले में हस्तक्षेप करने की गुजारिश भी की जा सकती है. अभ्युदय को-ऑपरेटिव बैंक की आधिकारिक वेबसाइट की मानें तो 31 मार्च 2020 तक बैंक के पास 17.30 लाख से ज्यादा जमाकर्ता और 10,838 करोड़ रुपयों से ज्यादा की जमा राशि मौजूद थी. इसके साथ ही बैंक की वेबसाइट पर यह भी कहा गया है कि बैंक के पास 6,654 करोड़ रुपयों के एडवांस भी मौजूद थे और बैंक का CAR (Capital Adequacy Ratio) 12.60% था.
RBI मांग रहा है डेटा
आपको यह भी बता दें कि 2020 के बाद से बैंक का प्रदर्शन पब्लिक डोमेन में मौजूद नहीं है. इंटरव्यू के दौरान संदीप ने यह भी कहा कि हो सकता है कि RBI अभ्युदय को-ऑपरेटिव बैंक (Abhyudaya Cooperative Bank) को बड़े बैंकों के साथ या फिर किसी छोटे वित्तीय बैंक (SFB) के साथ जोड़ने के बारे में विचार कर रहा हो. इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि पिछले लगातार 2 महीनों से RBI बैंक की हर शाखा के काम करने के तरीके के बारे में डेटा मांग रहा है.
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होसूर में मौजूद टाटा ग्रुप की यह फैक्टरी 500 एकड़ में फैली हुई है और इस फैक्ट्री में 15000 से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं.
टाटा ग्रुप को लेकर इस वक्त एक काफी बड़ी खबर सामने आ रही है. तमिलनाडु के होसूर (Hosur) में टाटा की एक फैक्टरी है, जिसमें iPhone के केस बनाए जाते हैं. खबर है कि टाटा ग्रुप कथित तौर पर इस फैक्टरी का दोगुना विस्तार करने के बारे में विचार कर रहा है. इस फैक्टरी को बनाने के लिए 5000 करोड़ रुपयों का निवेश किया गया था.
25000 से 28000 पहुंच जायेगी कर्मचारियों की संख्या
तमिलनाडु के होसूर में मौजूद टाटा ग्रुप की यह फैक्टरी 500 एकड़ में फैली हुई है और इस फैक्ट्री में 15000 से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं. माना जा रहा है कि अगर Apple iPhone की केसिंग बनाने वाली इस फैक्ट्री के विस्तार का टाटा ग्रुप (Tata Group) का प्लान सफलतापूर्वक पूरा हो जाता है तो इस फैक्ट्री में काम करने वाली कर्मचारियों की संख्या 25000 से 28000 तक पहुंच सकती है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स (Tata Electronics) कॉन्ट्रैक्ट पर उच्च-क्वालिटी वाले इलेक्ट्रॉनिक आइटम और एक्सेसरी के निर्माण की अपनी क्षमता में वृद्धि करना चाहती है. आपको बता दें कि हाल ही में कंपनी ने विस्ट्रोन के iPhone बनाने वाले प्लांट का अधिग्रहण किया था.
Tata Electronics ने दी थी जानकारी
एक सरकारी अधिकारी ने मीडिया से बातचीत के दौरान बताया कि पहले से मौजूद प्लांट के अलावा जो नई फैक्ट्री बनाई जायेगी वह पूरी तरह से Apple के iPhone पुर्जों को ध्यान में रखकर बनाई जायेगी. लेकिन साथ ही मामले से जुड़े अधिकारी ने यह भी बताया है कि इस प्लांट का इस्तेमाल अन्य कंपनियों के उच्च स्तरीय स्मार्टफोन बनाने के लिए भी किया जा सकता है. टाटा इलेक्ट्रॉनिक (Tata Electronics) ने इस साल मई में होसूर में मौजूद अपनी फैक्ट्री के आस-पास जमीन का अधिग्रहण भी किया था. तब इंडस्ट्री से जुड़े कुछ सूत्रों ने यह जानकारी भी दी थी कि होसूर में स्मार्टफोन बनाने वाले प्रमुख प्लांट की शुरुआत की जा सकती है.
iPhone की बिक्री में हुई वृद्धि
जानी मानी स्मार्टफोन कंपनी Apple ने चीन के अलावा दुनिया के अन्य देशों में अपनी फैक्ट्री स्थापित करने के लिए जगह तलाशने की शुरुआत की थी और तब कंपनी द्वारा वेंडर के रूप में टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स (Tata Electronics) का चयन किया था. इसके बाद कंपनी ने iPhone के निर्माण के लिए टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स को कॉन्ट्रैक्ट देना भी शुरू कर दिया था. आपको बता दें कि पिछले क्वार्टर के दौरान भारत में Apple की बिक्री में बढ़ोत्तरी देखने को मिली थी.
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