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Reliance Capitals को खरीदने के लिए इस समूह ने लगाई बोली, Torrent Group को किया पीछे
Reliance Capital को खरीदने के लिए हिंदुजा समूह ने बोली लगाई है. हिंदुजा समूह का ऑफर 200 फीसदी ज्यादा का है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
नई दिल्लीः Reliance Capital को खरीदने के लिए हिंदुजा समूह ने बोली लगाई है. यह बोली 9000 करोड़ रुपये की है, जो Torrent Group से ज्यादा की है. टोरेंट समूह ने कंपनी को खरीदने के लिए 4,000 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी. हिंदुजा समूह का ऑफर 200 फीसदी ज्यादा का है.
भारी कर्ज में डूबे अनिल अंबानी (Annil Ambani) की कंपनी रिलायंस कैपिटल (Reliance Capital) एक बार फिर मुश्किल में फंस सकती है. यह कंपनी बैंकरप्सी प्रॉसीडिंग से गुजर रही है. इसके लिए टोरेंट ग्रुप (Torrent Group) ने 8640 करोड़ रुपये की सबसे बड़ी बोली लगाई थी. लेकिन अब हिंदुजा ग्रुप (Hinduja Group) ने अपने ऑफर को बढ़ाने की अनुमति मांगी है.
क्यों अच्छा है हिंदूजा ग्रुप का ऑफर
टोरेंट की तुलना में हिंदुजा का ऑफर सबसे अच्छा है क्योंकि इसमें सुरक्षा शेयर करने की कोई आवश्यकता नहीं है. एलआईसी (LIC) और ईपीएफओ (EPFO) की अगुवाई वाली कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स ज्यादा कीमत पाने के लिए बेताब होगी ताकि उसका घाटा कम से कम हो. इस बीच टोरेंट ग्रुप ने चेतावनी दी है कि अगर क्रेडिटर्स ने उसका ऑफर नहीं माना तो वह अदालत का रुख कर सकता है. कमिटी ऑफ क्रेडिटर्स (सीओसी) वर्तमान सुरक्षा के किसी भी कमजोर पड़ने से संबंधित होगी. लेनदारों के लिए मूल्य को अधिकतम करने के लिए दिवाला और दिवालियापन (IBC) कोड का उद्देश्य इसके CoC के साथ है. यह सुप्रीम कोर्ट के कई निर्णयों द्वारा भी कहा गया है, कि सीओसी द्वारा किसी भी योजना के अनुमोदन में मूल्य का अधिकतमकरण एक महत्वपूर्ण शर्त है.
इससे पहले DHFL का किया था ऐसे अधिग्रहण
आरबीआई की धारा 227 की विशेष शक्तियों के तहत एक वित्तीय सेवा कंपनी के लिए किया गया एकमात्र संकल्प डीएचएफएल था जिसे पीरामल समूह ने जीता था. उस मामले में अडानी समूह, जो एक समाधान आवेदक भी नहीं था को सीओसी द्वारा स्वीकार किया गया क्योंकि उसने पीरामल की बोली के लिए उच्चतम मूल्य की पेशकश की थी.
रिलायंस कैपिटल में करीब 20 फाइनेंशियल सर्विसेज कंपनियां हैं. इनमें सिक्योरिटीज ब्रोकिंग, इंश्योरेंस और एक एआरसी शामिल है. आरबीआई ने भारी कर्ज में डूबी रिलायंस कैपिटल के बोर्ड को 30 नवंबर 2021 को भंग कर दिया था और इसके खिलाफ इनसॉल्वेंसी प्रॉसीडिंग (insolvancy proceeding) शुरू की थी.
अनिल अंबानी की कई दूसरी कंपनियों पर भी भारी कर्ज है और वे इनसॉल्वेंसी प्रॉसीडिंग के दौर से गुजर रही हैं. फोर्ब्स इडिया की 2007 में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार अनिल अंबानी नेटवर्थ 45 बिलियन अरब डॉलर थी और उस समय वह देश के तीसरे सबसे बड़े रईस थे, लेकिन आज उनकी नेटवर्थ जीरो है.
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