ऑनलाइन फूड डिलीवरी करने वाली कंपनी जोमैटो को भारी भरकम सर्विस टैक्स मांग और जुर्माने को लेकर नोटिस मिला है. कंपनी इस आदेश के खिलाफ उचित प्राधिकरण के समक्ष अपील दायर करेगी.
ऑनलाइन फूड डिलीवरी करने वाली कंपनी जोमैटो (Zomato) को तगड़ा झटका लगा है. कंपनी को भारी भरकम नोटिस मिला है. जोमैटो को 184 करोड़ रुपये से अधिक की सर्विस टैक्स मांग और जुर्माने को लेकर नोटिस मिला है. कंपनी को अपने ग्राहकों को, की गई कुछ बिक्री के आधार पर निर्धारित अक्टूबर 2014 से जून 2017 की अवधि के लिए सर्विस टैक्स का भुगतान न करने के लिए मांग आदेश मिला है. कंपनी इस आदेश के खिलाफ उचित प्राधिकरण के समक्ष अपील दायर करेगी.
कंपनी ने टैक्स नोटिस पर दी जानकारी
जोमैटो ने शेयर बाजार को दी सूचना में कहा कि यह आदेश अक्टूबर, 2014 से जून, 2017 के बीच सेवा कर का भुगतान नहीं करने को लेकर दिया गया है. इसका निर्धारण कंपनी की विदेशी सब्सिडरी यूनिट और ब्रांच की देश के बाहर अपने ग्राहकों को कुछ बिक्री के आधार पर किया गया है. जोमैटो ने यह भी कहा कि कारण बताओ नोटिस के जवाब में उसने जरूरी दस्तावेज और इस संदर्भ में पूर्व में दिये गये अदालती आदेशों के साथ आरोपों पर स्पष्टीकरण दिया था.
पेटीएम ने फिर शुरू की लेंडिंग सेवाएं, इनके साथ मिलकर शुरू किया काम
नोटिस को चुनौती देगा Zomato
कंपनी के अनुसार, ऐसा लगता है कि आदेश पारित करते समय अधिकारियों ने इसपर गौर नहीं किया. जोमैटो ने कहा कि उसे दिल्ली केंद्रीय टैक्स कमिश्नर का एक अप्रैल को पारित आदेश मिला है. जोमैटो ने कहा कंपनी को अक्टूबर, 2014 से जून, 2017 की अवधि के लिए दिल्ली केंद्रीय टैक्स कमिश्नर से आदेश प्राप्त हुआ है. इसमें सर्विस टैक्स के रूप में 92,09,90,306 रुपये की मांग की गई है. साथ ही ब्याज और जुर्माने के रूप में 92,09,90,306 करोड़ रुपये की मांग की गयी है. कंपनी का मानना है कि मेरिट-डिमेरिट के आधार पर मामला नहीं बनता है. इसलिए वह इस संदर्भ में उससे संबंधित प्राधिकरण के समक्ष आदेश के खिलाफ अपील दायर करेंगे.
कंपनी को पहले भी मिले हैं कई नोटिस
अभी पिछले हफ्ते सर्विस टैक्स को लेकर कंपनी को नोटिस मिला था. Zomato ने बताया था कि उसे वित्त वर्ष 2018-19 के लिए असिस्टेंट कमर्शियल टैक्स कमिश्नर (ऑडिट), कर्नाटक से 11,27,23,564 करोड़ रुपये की GST (वस्तु एवं सेवा कर) मांग को लेकर नोटिस मिला है. इस पर ब्याज और जुर्माने के साथ यह 23,26,64,271 रुपये बैठता है. इसके पहले कंपनी को दिसंबर, 2023 में कंपनी को 29 अक्टूबर, 2019 से 31 मार्च, 2022 की अवधि के लिए डिलीवरी फीस कलेक्शन को लेकर 401.7 करोड़ का नोटिस मिला था.
2024 में अब तक लगभग 3.18 करोड़ नए डीमैट अकाउंट्स खोले जा चुके हैं. इसकी 2023 में खोले गए कुल 3.10 करोड़ अकाउंट्स को पार करने की उम्मीद है.
शेयर बाजार की तरफ लोगों का रुझान बढ़ने के कारण देश में डीमैट खातों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है. अगस्त में देश में 40 लाख से ज्यादा नए डीमैट अकाउंट खुले हैं, जिसके कारण कुल डीमैट खातों की संख्या 17 करोड़ के आंकड़े को पार कर गई है. नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (NSDL) और सेंट्रल डिपॉजिटरी सर्विसेज लिमिटेड (CDSL) में 31 अगस्त तक कुल डीमैट खातों की संख्या 17.1 करोड़ थी.
हर महीने 40 लाख नए डीमैट अकाउंट खुल रहे
2024 की शुरुआत से अब तक हर महीने करीब 40 लाख नए डीमैट अकाउंट खुल रहे हैं. चालू वर्ष के शुरुआती आठ महीनों में करीब 3.2 करोड़ डीमैट अकाउंट खुल चुके हैं. बड़ी संख्या में डीमैट अकाउंट खुलने की वजह इस कैलेंडर वर्ष में नए आईपीओ का आना भी है. करीब 50 से अधिक कंपनियां 2024 की शुरुआत से 31 अगस्त तक आईपीओ के जरिए 53,419 करोड़ रुपए जुटा चुकी हैं.
IPO को लेकर बढ़ रहा है क्रेज
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) की ओर से की गई स्टडी में कहा गया था कि बड़ी संख्या में निवेशक केवल आईपीओ में हिस्सा लेने के लिए डीमैट खाते खोल रहे हैं. स्टडी में बताया गया था कि अप्रैल 2021 से लेकर दिसंबर 2023 तक आईपीओ के आवेदन के लिए उपयोग किए गए डीमैट में से करीब आधे महामारी के बाद खोले गए हैं.
इस साल अब तक 15% उछला बाजार
2024 में शेयर बाजार ने निवेशकों को शानदार रिटर्न दिया है. इस साल की शुरुआत से लेकर अब तक निफ्टी करीब 15 फीसदी और बीते एक साल में 27 फीसदी का रिटर्न दे चुका है. वहीं, सेंसेक्स इस साल की शुरुआत से अब तक 13 फीसदी का रिटर्न दिया है और बीते एक साल में यह 24 फीसदी का रिटर्न निवेशकों को दे चुका है. भारतीय शेयर बाजार में तेजी की वजह अर्थव्यवस्था का मजबूत होना है. वित्त वर्ष 2023-24 में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 8.2 फीसदी थी, जो कि वित्त वर्ष 2024-25 में 7.2 फीसदी रहने का अनुमान है.
कांग्रेस ने सेबी चीफ माधबी पुरी बुच पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं. इन आरोपों की जद में वोकहार्ट की सहयोगी कंपनी कैरोल इंफो सर्विस भी आ गई है.
सेबी चीफ माधबी पुरी बुच (Madhabi Puri Buch) को लेकर खबरों आई कंपनी वोकहार्ट (Wockhardt) ने कांग्रेस के आरोपों का जवाब देने का प्रयास किया है. प्रयास इसलिए कि उसने पूरी बात नहीं बताई है. कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि वोकहार्ट की सहयोगी कंपनी कैरोल इंफो सर्विस ने सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच को किराए के रूप में एक बड़ी रकम चुकाई है.
क्या लगे हैं आरोप?
कांग्रेस के मीडिया एवं पब्लिसिटी डिपार्टमेंट के हेड पवन खेड़ा ने 6 सितंबर को आरोप लगायाकि माधबी पुरी बुच 2018 से 2024 के बीच पहले सेबी की होल-टाइम सदस्य और बाद में चेयरपर्सन रही हैं. इस दौरान उन्हें कैरोल इंफो सर्विसेज से किराए के रूप में 2.16 करोड़ रुपए मिले. बुच 2018 में सेबी का होल-टाइम सदस्य बनी थीं. उसके बाद उन्होंने अपनी एक प्रॉपर्टी किराए पर दी थी. 2018-19 के दौरान उन्हें इससे 7 लाख रुपए किराया मिला.2019-20 में 36 लाख और इस साल किराए की रकम बढ़कर 46 लाख रुपए हो गई.
आरोप बेबुनियाद
इसके जवाब में वोकहार्ट ने कहा कि कांग्रेस के आरोप बेबुनियाद हैं. उसके खिलाफ चल रही सेबी की जांच से इस मामले का कोई संबंध नहीं है. कंपनी ने कहा कि उसने सभी कानूनों का पालन किया है और वो हर कानून का पूरा ध्यान रखती है. हालांकि, वोकहार्ट ने यह स्पष्ट नहीं किया कि क्या सेबी प्रमुख ने उसे कोई प्रॉपर्टी किराए पर दी थी या नहीं. यदि कंपनी सीधे शब्दों में कहती कि उसने बच से कोई प्रॉपर्टी रेंट पर नहीं ली और इस संबंध में सबूत पेश करती तो आरोपों की धार अपने-आप कुंद हो जाती.
कई मामलों में जांच
कांग्रेस लीडर पवन खेड़ा का कहना है कि बुच ने जिस कंपनी को अपनी पॉपर्टी किराए पर दी, उसका नाम कैरोल इंफो सर्विस है, जो वोकहार्ट का हिस्सा है. वोकहार्ट वही कंपनी है, जिसके खिलाफ कई मामलों की जांच बाजार नियामक सेबी कर रहा है. इसमें 2023 के दौरान इनसाइडर ट्रेडिंग का मामला भी शामिल है. गौरतलब है कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद से अब तक सेबी चीफ माधबी पुरी बुच को लेकर कई खुलासे हो चुके हैं. उनके अपने कर्मचारी भी उनकी कार्यशैली से नाखुश हैं.
अगस्त के महीने में इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर कंपनियों की बिक्री में भारी गिरावट दर्ज हुई है. इसमें भी सबसे ज्यादा नुकसान ओला इलेक्ट्रिक (Ola Electric) को हुआ है.
ऑटो कंपनियों (Automobile Companies) ने अगस्त के महीने में सभी डिवीजन के वाहनों की बिक्री में गिरावट दर्ज की है. टू-व्हीलर और कमर्शियल वाहनों की बिक्री में हुई गिरावट से तो ऑटो कंपनियों को जोर का झटका लगा है. ऐसे में इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर कंपनियों को भी बीते महीने काफी नुकसान हुआ है, जिसमें सबसे ज्यादा नुकसान ओला इलेक्ट्रिक को हुआ है. इससे ओला इलेक्ट्रिक को भारी झटका भी लगा है. तो चलिए जानते हैं ईलेक्ट्रिक टू-व्हीलर की बिक्री में आई इस गिरावट से इन कंपनियों को कितना नुकसान हुआ है?
ओला EV की बिक्री सबसे धीमी
अगस्त में इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर की बिक्री में 17 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई. फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स के आंकड़ों के अनुसार अगस्त में ईलेक्ट्रिक टू-व्हीलप की बिक्री 88,472 दर्ज की गई जबकि जुलाई में यह आंकड़ा 1 लाख 7,000 हजार था. वहीं, सबसे ज्यादा गिरावट ओला इलेक्ट्रिक (Ola Electrics) की बिक्री में देखने को मिली. ओला इलेक्ट्रिक के सेल्स आंकड़े में 35 प्रतिशत की गिरावट आई. ओला इलेक्ट्रिक ने अगस्त में 41,624 स्कूटर की बिक्री की, जबकि जुलाई में कंपनी ने 27,517 यूनिट्स की बिक्री दर्ज की थी.
TVS Motors की बिक्री में इतनी गिरावट
टीवीएस मोटर (TVS Motors) की बिक्री में भी गिरावट अगस्त महिने में 10 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिली है. कंपनी ने जुलाई में 19,486 स्कूटर बेचे लेकिन अगस्त में यह बिक्री गिर कर 17,543 पर आकर रुक गई. वहीं, बजाज ऑटो की बिक्री में महीने-दर-महीने 5 प्रतिशत की मामूली गिरावट देखी गई. कंपनी ने कुल 16,706 यूनिट की बिक्री की.
एथर एनर्जी की बिक्री में तेजी
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार एक ओर सभी प्रमुख ऑटो कंपनियों के बिक्री में गिरावट देखी गई. वहीं, एकमात्र ऑटो कंपनी एथर एनर्जी (Ather Energy) ने अगस्त महीने में 10,830 यूनिट बेच कर अपनी बिक्री में 7 प्रतिशत की वृद्धि की. एक्सपर्ट्स का कहना है कि अब फेस्टिव सीजन शुरू हो चुका है, ऐसे में अब ये बिक्री बढ़ने की उम्मीद है. फेस्टिव सीजन में ये कंपनियां अपने इस घाटे की भरपाई कर लेंगी.
इसे भी पढ़ें-क्या है डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन? इस योजना के तहत 2,817 करोड़ के बजट को मिली मंजूरी
इसी अवधि के दौरान टाटा सन्स के कर्मचारियों के वेतन और पारिश्रमिक में 2.5% की बढ़ोतरी हुई और यह 441 करोड़ रुपए हो गया.
टाटा समूह (Tata Sons) की होल्डिंग कंपनी टाटा संस का वित्त वर्ष 2023-24 में कंसोलिडटेड शुद्ध मुनाफा 74 प्रतिशत बढ़कर 49,000 करोड़ रुपये रहा. यह जानकारी कंपनी की 106वीं वार्षिक रिपोर्ट से सामने आई है. कुल मुनाफे में से शेयरधारकों को दिया जाने वाला हिस्सा 34,625 करोड़ रुपये रहा, जो वित्त वर्ष 2023 में दर्ज 16,847.79 करोड़ रुपये के दोगुने से भी अधिक है. वित्त वर्ष 2024 में कंपनी का कंसोलिडेटेड रेवेन्यू 14.64 प्रतिशत बढ़कर 4.76 लाख करोड़ रुपये हो गया. वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, टाटा ग्रुप ने कंपनी के प्रदर्शन के आधार पर अब तक का सबसे अधिक 35,000 रुपये का डिविडेंड दिया. वित्त वर्ष 2023 के लिए डिविडेंड के तौर पर 17,500 रुपये का भुगतान किया गया था.
टाटा संस का रेवेन्यू 25% बढ़ा
वित्त वर्ष 2023-24 में, टाटा सन्स के रेवेन्यू में 25% की बढ़ोतरी हुई और यह 43,893 करोड़ रुपए हो गया. टाटा संस की इनकम में TCS का सबसे बड़ा योगदान है. टाटा ट्रस्ट्स की टाटा संस में 66% हिस्सेदारी है, जबकि मिस्त्री परिवार की हिस्सेदारी 18.4% है, बाकी हिस्सेदारी टाटा ग्रुप की कंपनियों के पास है. IT कंपनी विप्रो के पूर्व CEO थिएरी डेलापोर्ट को वित्त वर्ष 2023-24 में 167 करोड़ रुपए मिले. फ्रांस के डेलापोर्ट ने कंपनी में अपना 5 साल का कार्यकाल पूरा किए बिना ही इस्तीफा दे दिया. वित्त वर्ष 2023 में उन्हें 83 करोड़ रुपए मिले थे जबकि चंद्रशेखरन का कंपनसेशन 113 करोड़ रुपए था.
एन चंद्रशेखरन की सैलरी में भी हुई बढ़ोतरी
टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन को वित्त वर्ष 2024 में 135 करोड़ रुपए की सैलरी मिली, जो पिछले वित्त वर्ष के वेतन से 20% ज्यादा है. एन चंद्रशेखरन किसी भारतीय कंपनी के सबसे अधिक वेतन पाने वाले प्रोफेशनल चीफ हैं. वहीं टाटा सन्स के सभी डायरेक्टर्स की कुल सैलरी में 16% की बढ़ोतरी हुई. कंपनी ने अपने टॉप डायरेक्टर्स को 200 करोड़ रुपए का पेमेंट किया, जो वित्त वर्ष 2022-23 (FY23) में 172.5 करोड़ रुपए था. इसी अवधि के दौरान टाटा सन्स के कर्मचारियों के वेतन और पारिश्रमिक में 2.5% की बढ़ोतरी हुई और यह 441 करोड़ रुपए हो गया.
टाटा संस के CFO को 30 करोड़ रुपए मिले
टाटा संस के CFO सौरभ अग्रवाल को वित्त वर्ष 2024 में 30 करोड़ रुपए मिले. वह टाटा ग्रुप में सबसे ज्यादा सैलरी पाने वाले दूसरे एग्जीक्यूटिव रहे. उनकी कमाई टीसीएस, टाटा स्टील और आईएचसीएल के प्रमुखों से ज्यादा रही. अग्रवाल की कमाई वित्त वर्ष 2022-23 के वेतन से लगभग 9% अधिक रही. टीसीएस के CEO के कृतिवासन, IHCL के प्रमुख पुनीत छतवाल और टाटा स्टील के प्रमुख टीवी नरेंद्रन को वित्त वर्ष 2024 में क्रमशः 25 करोड़ रुपए, 19 करोड़ रुपए और 17 करोड़ रुपए सैलरी मिली. कृतिवासन की कुल सैलरी में 1 अप्रैल, 2023 से 31 मई, 2023 तक TCS के BFSI के ग्लोबल हेड और 1 जून, 2023 से 31 मार्च, 2024 तक कंपनी के CEO के रूप में वेतन शामिल है. राजेश गोपीनाथन के अचानक कंपनी छोड़ने के बाद कृतिवासन को TCS का CEO बनाया गया था.
RIL के सभी पक्षों में मूल्य निर्माण की परंपरा के तहत शेयरधारकों के लिए एक जल्दी दिवाली का उपहार.
Reliance Industries Limited (RIL) के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने आज 1:1 के अनुपात में बोनस शेयर जारी करने की मंजूरी दी है. इसका मतलब है कि जो भी शेयरधारक एक पूरी तरह से भुगतान की गई इक्विटी शेयर (Rs. 10/- प्रत्येक) रिकॉर्ड तिथि पर रखता है, उसे एक पूरी तरह से भुगतान की गई इक्विटी शेयर (Rs. 10/- प्रत्येक) और मिलेगा. रिकॉर्ड तिथि बाद में बताई जाएगी.
यह भारतीय शेयर बाजार में अब तक का सबसे बड़ा बोनस शेयर जारी करने का मामला होगा. बोनस शेयर जारी होने और सूचीबद्ध होने का समय भारत के आगामी त्योहारों के मौसम से मेल खाएगा और यह हमारे सम्मानित शेयरधारकों के लिए एक जल्दी दिवाली का उपहार होगा.
यह RIL की आईपीओ के बाद छठी बोनस इश्यू है और इस गोल्डन दशक में दूसरी बार है. यह बोनस इश्यू Reliance के 2017 से 2027 तक के गोल्डन दशक के दौरान शेयरधारकों को पुरस्कृत करने की निरंतर प्रतिबद्धता का प्रमाण है.
• 2017 में, Reliance ने 1:1 के अनुपात में बोनस शेयर जारी किए थे.
• इसके बाद 2020 में एक राइट्स इश्यू हुआ, जिसमें शेयरधारकों का निवेश अब 2.5 गुना बढ़ चुका है.
• जुलाई 2023 में, Jio Financial Services Limited का विभाजन हुआ, जो आज अपनी सूचीकरण के समय से 35% अधिक मूल्यवान है.
Reliance अपने ‘We Care’ दर्शन की सच्ची भावना में आने वाले वर्षों में सभी स्टेकहोल्डर्स के लिए व्यापक मूल्य बनाने के अपने मिशन के प्रति प्रतिबद्ध है.
Reliance Industries Limited भारत की सबसे बड़ी निजी क्षेत्र की कंपनी है. इसके पास 10,00,122 करोड़ रुपये (119.9 बिलियन डॉलर) की कुल आय, 1,41,969 करोड़ रुपये (17.0 बिलियन डॉलर) का नकद लाभ और 79,020 करोड़ रुपये (9.5 बिलियन डॉलर) का शुद्ध लाभ है, जो 31 मार्च 2024 को समाप्त वर्ष के लिए है. Reliance के कामों में हाइड्रोकार्बन खोज और उत्पादन, पेट्रोलियम रिफाइनिंग और मार्केटिंग, पेट्रोकेमिकल्स, उन्नत सामग्री और कंपोजिट्स, रिन्यूएबल एनर्जी (सौर और हाइड्रोजन), रिटेल और डिजिटल सेवाएं शामिल हैं.
वर्तमान में 86वीं रैंक पर, Reliance 2024 के लिए Fortune की 'विश्व की सबसे बड़ी कंपनियों' की ग्लोबल 500 सूची में शामिल होने वाली भारत की सबसे बड़ी निजी क्षेत्र की कंपनी है. कंपनी Forbes की 'विश्व की सबसे बड़ी सार्वजनिक कंपनियां' की ग्लोबल 2000 रैंकिंग में 45वीं रैंक पर है, जो भारतीय कंपनियों में सबसे उच्च स्थान है. Reliance को Time की 100 सबसे प्रभावशाली कंपनियों की 2024 की सूची में शामिल किया गया है, और यह एकमात्र भारतीय कंपनी है जिसे यह सम्मान दो बार मिला है. Reliance Forbes की 'विश्व के सर्वश्रेष्ठ नियोक्ता' 2023 की सूची में शीर्ष भारतीय कंपनी है और शीर्ष 100 में एकमात्र है. इसके अलावा, इसे LinkedIn की 'Top Companies 2023: The 25 Best Workplaces To Grow Your Career In India' सूची में भी शामिल किया गया है.
केंद्र सरकार ने किसानों के लिए डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन की घोषणा की है. इस योजना का उद्देश्य किसानों की आय बढ़ाना और कृषि उत्पादकता में सुधार करना है.
किसानों को डिजिटल सेवाओं से जोड़ने और उनकी इनकम में इजाफा करने के लिए सरकार डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन (Digital Agriculture Mission) लेकर आई है. इस योजना का उद्देश्य किसानों को कृषि संबंधी जानकारियां और तरह-तरह की सेवाएं प्रदान करना है. इसके लिए सरकार ने 2,817 करोड़ रुपये के बजट को मंजूरी भी दे दी है. तो आइए जानते हैं क्या है डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन और इससे किसानों को कैसे फायदा होगा?
क्या है डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन?
केंद्र सरकार ने किसानों की इनकम को बढ़ाने के उद्देश्य से डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन की घोषणा की है. डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन भारत सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है, जिसका उद्देश्य कृषि क्षेत्र में डिजिटल तकनीकों का इस्तेमाल करके किसानों की आय बढ़ाना और कृषि उत्पादकता में सुधार करना है. इस मिशन के तहत सरकार ने कृषि क्षेत्र में डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण के लिए 2,817 करोड़ रुपये के बजट को भी मंजूरी दे दी है.
किसानों को मिलेगी ये सुविधा
इस मिशन के माध्यम से भारत के किसानों को कृषि से संबंधित अलग अलग जानकारियां जैसे मौसम की भविष्यवाणी, बीज की गुणवत्ता, कीटनाशकों का उपयोग और बाजार की जानकारी ऑनलाइन प्राप्त कराई जाएगी. वहीं, किसान ID के माध्यम से किसानों का एक केंद्रीकृत डेटाबेस तैयार किया जाएगा, जिसमें उनकी जमीन, फसल और लाभार्थी योजनाओं की जानकारी शामिल होगी. इससे किसानों को सरकारी योजनाओं का लाभ आसानी से मिल सकेगा और उन्हें किसी प्रकार की कागजी कार्रवाई की जरूरत नहीं होगी.
किसानों को ऐसे होगा फायदा
1. डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के जरिये किसानों को उनकी फसलों, मिट्टी की गुणवत्ता, और मौसम की जानकारी वास्तविक समय में मिलेगी.
2. बेहतर डेटा और डिजिटल साधनों के माध्यम से फसल बीमा दावों का निपटान अधिक सटीक और तेजी से हो सकेगा.
3. इसके अलावा, किसान आसानी से क्रेडिट कार्ड-लिंक्ड फसल ऋण प्राप्त कर सकेंगे.
4. इस योजना के माध्यम से किसानों का पूंजी निवेश बढ़ेगा, रोजगार पैदा होगा, आयात पर निर्भरता कम होगी और किसानों की आय में वृद्धि होगी.
इसे भी पढ़ें-RBI ने मल्टीबैगर हाउसिंग कंपनी पर लगाया बड़ा जुर्माना, 3 प्रतिशत लुढ़क गया शेयर
यहां से होगी किसान आईडी बनाने की शुरुआत
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार किसान ID के निर्माण के लिए पायलट परियोजनाएं छह जिलों, फर्रुखाबाद (उत्तर प्रदेश), गांधीनगर (गुजरात), बीड (महाराष्ट्र), यमुनानगर (हरियाणा), फतेहगढ़ साहिब (पंजाब), और वीरुधुनगर (तमिलनाडु) में की गई हैं. सरकार का लक्ष्य 11 करोड़ किसानों के लिए डिजिटल पहचान बनाने का है, जिनमें से 6 करोड़ किसान वर्तमान (2024-25) वित्तीय वर्ष में शामिल किए जाएंगे, अगले 3 करोड़ किसान 2025-26 में, और शेष 2 करोड़ किसान 2026-27 में शामिल किए जाएंगे.
ग्लोबल ऑडिट फर्म BDO ने पारदर्शिता में कमी का आरोप लगाते हुए बायजू के ऑडिटर पद से इस्तीफा दे दिया है.
एडटेक स्टार्टअप बायजू (Byju's) की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. कंपनी के एक और ऑडिटर ने उसका साथ छोड़ दिया है. ऑडिट फर्म BDO ने कंपनी के ऑडिटर पद से इस्तीफा दे दिया है. BDO को जून 2023 में 5 साल की अवधि के लिए Byju’s और आकाश एजुकेशनल सर्विसेज का ऑडिटर नियुक्त किया गया था. बता दें कि इससे पहले डेलॉयट ने अनियमितताओं का हवाला देते हुए Byju’s के ऑडिटर के तौर पर इस्तीफा दे दिया था.
लगाया ये आरोप
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, BDO (Binder Dijker Otte) ने Byju’s के दिवालिया घोषित होने के एक दिन बाद 17 जुलाई को फोरेंसिक ऑडिट के लिए अनुरोध किया था. BDO का कहना है कि उसने पारदर्शिता पर चिंता और धोखाधड़ी के जोखिम को ध्यान में रखते हुए इस्तीफा दिया है. जबकि Byju’s के फाउंडर और सीईओ बायजू रवींद्रन ने इसे ब्लैकमेल करने की रणनीति करार दिया है.
ईमेल से दिया जवाब
रवींद्रन ने 6 सितंबर की देर रात BDO के एक शीर्ष अधिकारी को भेजे अपने ईमेल में कहा कि जैसा कि आप अच्छी तरह से जानते हैं, Byju’s ने BDO द्वारा किए गए हर अनुरोध को माना है. हमने केवल उन अनुरोधों को स्वीकार नहीं किया है, जिनके लिए हमें नैतिकता और वैधता की सीमाओं को पार करना होगा. बायजू रवींद्रन ने BDO पर अनुचित दबाव डालने का आरोप लगाते हुए कहा कि कंपनी को कारोबारी रिपोर्ट को पिछली तारीख में बदलने के लिए मजबूर करने का प्रयास किया गया.
आंशिक भुगतान किया
Byju’s सीईओ ने यह भी कहा है कि आर्थिक कठनाइयों के बावजूद कंपनी BDO को आंशिक भुगतान करने में कामयाब रही है, जो मुश्किल समय में साथ मिलकर काम करने की हमारी इच्छा को दर्शाता है. उन्होंने अपने ईमेल में आगे लिखा है कि ऐसा लगता है कि BDO के इस्तीफे का असली कारण मैनेजमेंट द्वारा बैक-डेट डॉक्युमेंट्स और फाइलिंग्स के अनुरोध को स्वीकारने से इनकार करना है.
सबूतों का दिया हवाला
बायजू रवींद्रन ने यह भी कहा है कि हमारे पास सबूत के रूप में इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्डिंग मौजूद हैं, जहां BDO के वरिष्ठ पार्टनर्स स्पष्ट रूप से हमारी टीम से कई बैकडेटेड रिपोर्ट सबमिट करने के लिए कह रहे हैं. मुझे तो यहां तक पता चला है कि BDO के सीनियर पार्टनर ने इस अवैध गतिविधि के लिए खुद ही वैल्यूएशन फर्म की सिफारिश भी की थी.
इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर मेकर एथर एनर्जी अपने आईपीओ के जरिए 4,500 करोड़ रुपये जुटाने की तैयारी कर रही है. हीरो मोटोकॉर्प इस कंपनी के निवेशकों में से एक है.
अगर आप इनीशियल पब्लिक ऑफरिंग यानी आईपीओ (IPO) के जरिए निवेश करके पैसा कमाने चाहते हैं तो आपके लिए मौका हो सकता है. दरअसल, इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर मेकर एथर एनर्जी अपने आईपीओ (Ather Energy) से 4,500 करोड़ रुपये जुटाने की तैयारी में है. कंपनी के पब्लिक इश्यू में नए शेयरों को जारी करने के साथ-साथ ऑफर फॉर सेल (OFS) भी रहेगा. सोर्सेज का कहना है कि कंपनी अगले सप्ताह मार्केट रेगुलेटर सेबी के पास अपने IPO के डॉक्युमेंट्स जमा कर सकती है. यह भी पता चला है कि एथर एनर्जी लगभग 2.5 अरब डॉलर की वैल्यूएशन को टारगेट कर रही है.
हीरो मोटोकॉर्प भी है शेयरहोल्डर
एथर एनर्जी 2023 के अंत से कई राउंड की फंडिंग जुटा चुकी है. इस साल मई में इसने डेट और इक्विटी के कॉम्बिनेशन से 286 करोड़ रुपये जुटाए थे. यह फंडिंग मुख्य रूप से वेंचर डेट और को-फाउंडर्स के माध्यम हासिल की गई. वेंचर डेट फर्म स्ट्राइड वेंचर्स ने डिबेंचर के जरिए एथर एनर्जी में करीब 200 करोड़ रुपये का निवेश किया है. वहीं स्टार्टअप के को-फाउंडर तरुण संजय मेहता और स्वप्निल जैन ने सीरीज एफ प्रेफरेंस शेयरों के जरिए 43.28 करोड़ रुपये का निवेश किया है. पिछले साल सितंबर में हीरो मोटोकॉर्प ने एथर एनर्जी में 550 करोड़ रुपये के निवेश के लिए अपने बोर्ड की मंजूरी की घोषणा की थी.
तरुण मेहता और स्वप्निल जैन हैं एथर एनर्जी के प्रमोटर
एथर एनर्जी (Ather Energy) के प्रमोटर-फाउंडर IIT मद्रास के ग्रेजुएट तरुण मेहता और स्वप्निल जैन ने साल 2013 में कंपनी को लॉन्च किया था. तरुण मेहता और स्वप्निल जैन ने सीरीज एफ प्रेफरेंस शेयरों के जरिए 43.28 करोड़ रुपये का निवेश किया है. पिछले महीने एथर एनर्जी ने अपने मौजूदा निवेशक, नेशनल इनवेस्टमेंट एंड इंफ्रास्ट्रक्चर फंड (NIIF) की अगुवाई में एक नए फंडिंग राउंड में 7.1 करोड़ डॉलर जुटाए थे. इस फंडिंग राउंड के बाद इसकी वैल्यूएशन 1.3 अरब डॉलर हो गई और यह यूनिकॉर्न स्टार्टअप की कैटेगरी में पहुंच गई.
कॉम्पिटीटर ओला इलेक्ट्रिक हो चुकी है लिस्ट
एथर एनर्जी (Ather Energy) की करीबी प्रतिद्वंद्वी ओला इलेक्ट्रिक (Ola Electric) ने इस साल अगस्त में IPO के जरिए 6,146 करोड़ रुपये जुटाए थे. यह अगस्त में ही शेयर बाजार में लिस्ट हो गई. ओला इलेक्ट्रिक (Ola Electric) शेयर 9 अगस्त को लिस्टिंग डे पर बीएसई पर 91.18 रुपये पर क्लोज हुआ था. तब से लेकर अब तक इसकी कीमत 20 प्रतिशत चढ़ चुकी है. कंपनी का मार्केट कैप 48,300 करोड़ रुपये से ज्यादा है.
RBI ने हाउसिंग एंड अर्बन डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (HUDCO) सहित तीन हाउसिंग कंपनियों पर जुर्माना लगाया है. इस कार्रवाई के बाद मल्टीबैगर HUDCO के शेयर में 3 प्रतिशत की गिरावट आई.
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने हाउसिंग एंड अर्बन डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (HUDCO) सहित तीन हाइसिंग कंपनियों पर भारी जुर्माना लगाया है. इन कंपनियों के खिलाफ ये कार्रवाई आरबीआई की गाइडलाइन का पालन नहीं करने को लेकर की गई है. इस कार्रवाई का असर हुडको के शेयर पर भी देखने को मिला और यह शेयर 3 प्रतिशत तक टूट गया. बता दें इस शेयर ने निवेशकों को मल्टीबैगर रिटर्न दिया है. तो चलिए जानते हैं मल्टीबैगर रिटर्न देने वाली इस कंपनी पर आरबीआई ने क्यों और कितना जुर्माना लगाया है ?
इसलिए हुई कार्रवाई
आरबीआई द्वारा हुडको पर ये कार्रवाई गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी-आवास वित्त कंपनी निर्देशों के कुछ प्रावधानों के उल्लंघन को लेकर की गई है. बता दें, कंपनी को इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनी (एनबीएफसी) के रूप में रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट के लिए आरबीआई की मंजूरी भी मिल गई है. यह दर्जा कंपनी को हाउसिंग के अलावा अलग-अलग इंफ्रा सेक्टर के फंडिंग को हाई रिस्क लिमिट की अनुमति देता है.
हाल में कंपनी ने 20 करोड़ अमेरिकी डॉलर जुटाए
हाल ही में हुडको ने लोन मार्केट में कदम रखते हुए 20 करोड़ अमेरिकी डॉलर (30 अरब जापानी येन) जुटाए हैं. इसकी व्यवस्था करने वाली जापान की सुमितोमो मित्सुई बैंकिंग कॉरपोरेशन (एसएमबीसी) ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की संस्था ने अपने पहले सामाजिक ऋण के हिस्से के रूप में पांच साल के लिए यह धनराशि जुटाई है. एसएमबीसी की सिंगापुर शाखा के नेतृत्व में हुए इस सौदे को कुल नौ ऋणदाताओं से अधिक सब्सक्रिप्शन मिला और ग्रीनशू विकल्प का इस्तेमाल करने के बाद इसकी मूल आरंभिक राशि 15 अरब येन से बढ़ाकर 30 अरब येन कर दी गई.
शेयर में आई गिरावट
आरबीआई की इस कार्रवाई का असर कंपनी के शेयर पर भी देखने को मिला है. शुक्रवार को बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) में यह 3 प्रतिशत टूट गया और सप्ताह के आखिरी कारोबारी दिन शेयर 254.15 रुपये पर बंद हुआ. वहीं, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) पर 2.52 प्रतिशत की गिरावट के साथ 255.40 रुपये पर बंद हुआ. बता दें कि इस शेयर ने निवेशकों को मल्टीबैगर रिटर्न दिया है. सितंबर 2023 में 67.70 रुपये का यह शेयर जुलाई 2024 में 353.95 रुपये के स्तर तक पहुंच गया था.
इसे भी पढ़ें-Airtel ने लॉन्च किए स्पेशल फेस्टिव प्लान, OTT सहित मिलेंगे ये बेनिफिट!
2 और कंपनियों पर हुआ एक्शन
हुडको के अलावा आरबीआई ने गोदरेज हाउसिंग पर 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. वहीं, आधार हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड पर भी 5 लाख रुपये का मौद्रिक जुर्माना लगा है. इन तीनों ही मामले में आरबीआई ने कहा कि यह दंड, नियामकीय अनुपालन में कमियों के कारण लगाया गया हैं और इसका उद्देश्य कंपनियों के किसी भी लेन-देन या समझौते की वैधता को प्रभावित करने का नहीं है.
अनिल अंबानी की रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर अब इलेक्ट्रिक कार मैन्युफैक्चरिंग में उतरने की तैयारी कर रही है. कंपनी इसके लिए जरूरी तैयारी भी कर रही है.
अनिल अंबानी बड़े भाई मुकेश अंबानी समेत टाटा और महिंद्रा को टक्कर देने जा रहे हैं. दरअसल, अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर इलेक्ट्रिक कार और बैटरी बनाने की योजना पर विचार कर रही है. मीडिया रिपोर्ट्स मुताबिक कंपनी ने अपनी योजनाओं पर सलाह देने के लिए चीन की BYD कंपनी में भारत के पूर्व हेड संजय गोपालकृष्णन को नियुक्त किया है. अनिल अंबानी की इस कंपनी ने प्रति वर्ष लगभग 2.50 लाख वाहन की क्षमता वाले ईवी प्लांट की स्थापना के लिए बाहरी सलाहकारों को नियुक्त किया है. कंपनी का प्लान आने वाले कुछ वर्षों में इस प्लांट की क्षमता बढ़ाकर 7.50 लाख वाहन प्रति वर्ष करना है.
क्या है अनिल अंबानी की प्लानिंग?
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने प्रति वर्ष लगभग 250,000 वाहनों की प्रारंभिक क्षमता वाले ईवी प्लांट की स्थापना करनी है, जिसकी “कॉस्ट फिलिबिलिटी” स्टडी करने के लिए बाहर के सलाहकारों को नियुक्त किया है. बाद में इस कैपेसिटी को 750,000 तक बढ़ाया जाएगा. वहीं रिपोर्ट में कहा गया है कि कंपनी 10 गीगावाट घंटे के बैटरी प्लांट की फिजिबिलिटी पर भी विचार किया जाएगा, जिसकी कैपेसिटी को आने सालों में बढ़ाया जा सकता है. रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर और पूर्व बीवाईडी एग्जीक्यूटिव संजय गोपालकृष्णन का कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है.
मुकेश अंबानी भी कर रहे हैं बैटरी सेल पर काम
अनिल अंबानी एशिया के सबसे अमीर आदमी और रिलायंस इंडस्ट्रीज के प्रमुख मुकेश अंबानी के छोटे भाई हैं, जिनकी तेल और गैस से लेकर टेलीकॉम और रिटेल सेक्टर में रुचि है. दोनों भाइयों के बीच साल 2005 में फैमिली बिजनेस का बंटवारा हो गया था. मुकेश की कंपनी पहले से ही लोकल लेवल पर बैटरी बनाने के लिए काम कर रही है और इस सप्ताह 10 गीगावॉट बैटरी सेल प्रोडक्शन के लिए सरकारी इंसेंटिव के लिए बिड हासिल की है. यदि अनिल अंबानी का ग्रुप अपनी योजनाओं को आगे बढ़ाने का फैसला करता है, तो भाई एक ऐसे बाजार में आगे बढ़ेंगे जहां ईवी की काफी कम उपस्थिति है लेकिन वे तेजी से बढ़ रहे हैं.
सरकार की 5 बिलियन डॉलर की पीएलआई स्कीम
पिछले साल भारत में बेची गई 4.2 मिलियन कारों में इलेक्ट्रिक मॉडल की हिस्सेदारी 2 फीसदी से भी कम थी, लेकिन सरकार 2030 तक इसे 30 फीसदी तक बढ़ाना चाहती है. इसने स्थानीय स्तर पर ईवी और उनके कंपोनेंट और बैटरीज का निर्माण करने वाली कंपनियों के इंसेंटिव के लिए 5 बिलियन डॉलर से अधिक का बजट रखा है. भारत में बैटरी निर्माण अभी शुरू नहीं हुआ है, लेकिन एक्साइड और अमारा राजा जैसे कुछ लोक मेकर्स ने देश में लिथियम-आयन बैटरी सेल बनाने की तकनीक के लिए चीन कगी कंपनियों के साथ डील की है.
रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने बनाई दो कंपनियां
गोपालकृष्णन दो साल से ज्यादा समय बीवाईडी बिताने, कंपनी का लोकल बिजनेस स्थापित करने, तीन ईवी लॉन्च करने और डीलरशिप नेटवर्क स्थापित करने के बाद इस साल बीवाईडी से रिटायर हो गए. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार जून में रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने ऑटो से जुड़ी दो नई पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनियों का गठन किया. एक का नाम रिलायंस ईवी प्राइवेट लिमिटेड है, जिसका “मुख्य उद्देश्य” किसी भी प्रकार के फ्यूल का उपयोग करके ट्रांसपोर्ट और कंवेंस के लिए हर तरह के व्हीकल और कंपोनेंट का निर्माण, डील करना है.