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क्या बिना KYC डीएक्टिवेट हुआ है आपका एकाउंट, अब इस तकनीक से भी करा सकेंगे एक्टिव
आरबीआई ने कहा है कि जिन खातों को एक्टिवेट किया जाता है उन पर निगरानी की जाए और उसकी जानकारी कस्टमर और बैंक स्टॉफ को नहीं होनी चाहिए.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 4 months ago
क्या आपका बैंक अकाउंट भी उन खातों में शामिल है जो KYC के अभाव में डीएक्टिवेट हो चुका है, या बीते लंबे समय से किन्हीं और वजहों के कारण आपका अकाउंट डीएक्टिवेट है. तो अब आपको घबराने की जरूरत नहीं है. RBI ने इस मामले में बंद पड़े खाते को एक्टिवेट करने के लिए बनाए गए सख्त नियमों को आसान बना दिया है. अब आप वीडियो कस्टमर आईडेंटीफिकेशन प्रोसेस के जरिए भी अपनी केवाईसी करा पाएंगे. आरबीआई ने साफ कर दिया कि डीएक्टिवेट खातों को खोलने के लिए आपको किसी तरह का शुल्क देने की जरूरत नहीं है.
आखिर क्या कह रहे हैं आरबीआई के नए नियम?
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, RBI के नए नियमों के अनुसार अब आप अपनी नो योर कस्टमर (KYC) की प्रक्रिया को पूरा करके अपने निष्क्रिय पड़े खाते को फिर से चालू करा सकते हैं. यही नहीं अगर कोई खाता निष्क्रिय हो गया है तो बैंक उस पर मिनिमम बैलेंस रखने की पेनल्टी भी नहीं लगा सकते हैं. यही नहीं आरबीआई ने अपनी इस नई गाइडलाइन के अनुसार, बैंकों को खातों का एनुअल रिव्यू करने को भी कहा है जिससे पता लगाया जा सके किन खातों में एक साल से ज्यादा समय से ट्रांजैक्शन नहीं हुआ है.
इस तारीख से लागू होंगे नए नियम
आरबीआई की ओर से संशोधित किए गए इन नए नियमों को 1 अप्रैल से लागू किया जाएगा. आरबीआई ने खाताधारक की सुविधा में इजाफा करने के साथ सुरक्षा को लेकर भी कई तरह के नियम जारी किए हैं. आरबीआई ने कहा कि अगर वित्तीय धोखाधड़ी का पता लगाना है तो उसके लिए जरुरी है कि निष्क्रिय खातों की जानकारी समय से ली जाए. आरबीआई ने ये भी कहा कि जो खाते एक्टिव हो जाएं उन पर अगले 6 महीनों पर निगरानी की जाए. आरबीआई ने ये भी कहा है कि इस निगरानी की जानकारी कस्टमर और बैंक स्टॉफ को नहीं लगनी चाहिए. ये निर्देश सभी बैंकों के लिए लागू होंगे.
Term Deposit को लेकर दिए ये निर्देश
टर्म डिपॉजिट को लेकर भी आरबीआई की ओर से स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं. आरबीआई ने कहा कि अगर किसी कस्टमर का टर्म डिपॉजिट मैच्योर हो गया है और उसने उसे अपने खाते में ट्रांसफर नहीं किया है तो इस बात का भी ख्याल रखा जाना चाहिए. इस तरह के खातों की समीक्षा की जानी चाहिए, ताकि जमा राशि अनक्लेम्ड न रहे. अगर एक साल तक खाते में कोई ट्रांजैक्शन नहीं होता है तो बैंकों को खाताधारक को सूचित करना चाहिए.
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