अडानी समूह के मुश्किल समय में GQG पार्टनर्स के राजीव जैन ने समूह की कंपनियों में निवेश की हिम्मत दिखाई थी.
राजीव जैन (Rajiv Jain) का नाम तो आपने सुना ही होगा. GQG पार्टनर्स वाले राजीव जैन ही वह शख्स हैं, जिन्होंने मुश्किल समय में अडानी का साथ दिया था. हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद जब अडानी समूह (Adani Group) में निवेशकों का भरोसा कम हो रहा था, तब राजीव जैन की कंपनी ने अडानी समूह में निवेश की हिम्मत दिखाई थी. तब से लेकर अब तक वह अडानी की कई कंपनियों में पैसा लगा चुके हैं. हालांकि, कुछ ऐसा भी है जिसका मलाल उन्हें आज भी है.
LIC को लेकर कही ये बात
राजीव जैन अडानी समूह में किए गए अपने निवेश से खुश हैं, लेकिन उन्हें इस बात का मलाल है कि LIC पर दांव लगाने से वह चूक गए. भारत में 22 अरब डॉलर से ज्यादा का एसेट मैनेज करने वाली अमेरिका कंपनी GQG पार्टनर्स LIC के शेयरों में पिछले साल आई रैली का लाभ उठाने का मौका चूक गई. जैन को इसी बात का मलाल है. बता दें कि देश की सबसे बड़ी सरकारी बीमा कंपनी एलआईसी के शेयरों में पिछले कुछ वक्त में अच्छी तेजी देखने को मिली है. कंपनी का शेयर 9 फरवरी को अपने ऑल-टाइम हाई पर पहुंच गया था.
जैन ने यहां लगाया है पैसा
GQG के मालिक जैन ने एक मीडिया संस्थान से बातचीत में कहा कि वह LIC के शेयर खरीदना जरूर पसंद करते, लेकिन मौका उनके हाथ से निकल गया. जीक्यूजी ने भारत की कई कंपनियों में पैसा लगाया है. पिछले साल GQG ने अडानी समूह की चार कंपनियों में निवेश किया था, जिससे उसे 2.4 अरब डॉलर का फायदा हुआ. एक रिपोर्ट बताती है कि जैन ने अडानी ग्रुप की कंपनियों में कुल 1.9 अरब डॉलर का निवेश किया था और दस महीने में उनका निवेश 130% बढ़कर 4.3 अरब डॉलर पहुंच गया. GQG पार्टनर्स की जीक्यूजी पार्टनर्स इमर्जिंग मार्केट्स इक्विटी फंड ने पिछले साल अप्रैल से सितंबर के बीच पतंजलि फूड्स लिमिटेड, JSW एनर्जी लिमिटेड, मैक्स हेल्थकेयर इंस्टीट्यूट लिमिटेड, मैक्रोटेक डेवलपर्स लिमिटेड और IDFC फर्स्ट बैंक में भी निवेश किया था. इसके अलावा, कंपनी ने ITC लिमिटेड और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) में अपना निवेश बढ़ाया है.
फ्लोरिडा में है मुख्यालय
राजीव जैन ने जून 2016 में GQG Partners की स्थापना की थी. यह दुनिया की प्रमुख ग्लोबल एंड एमर्जिंग मार्केट्स इनवेस्टर्स फर्म है. कंपनी का मुख्यालय अमेरिका के फ्लोरिडा में है. जबकि इसके ऑफिस न्यूयॉर्क, लंदन, सिएटल और सिडनी में भी हैं. GQG ऑस्ट्रेलिया के सिक्योरिटीज एक्सचेंज में लिस्टेड है. 2021 में कंपनी ऑस्ट्रेलिया में सबसे बड़ा आईपीओ लेकर आई थी. GQG ने आईपीओ के जरिए 1.187 अरब डॉलर जुटाए थे. भारत में इस कंपनी को असल पहचान अडानी समूह पर आए संकट के बाद ही मिली.
सेबी ने विनियामक निर्देशों का पालन करने के लिए HDFC बैंक को चेतावनी जारी की है. हालांकि, बैंक का कहना है कि सेबी की इस चेतावनी का उनकी सेवा पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
मार्केट रेगुलेटर सेबी ने एचडीएफसी बैंक (HDFC Bank) को प्रशासनिक चेतावनी जारी की है. यह चेतावनी मर्चेंट बैंकिंग से जुड़े कुछ नियमों का पालन नहीं करने के मामले में जारी की गई है. बैंक ने एक्सचेंज फाइलिंग में बताया कि मार्केट रेगुलेटर ने बैंक की आंतरिक जांच के बाद यह टिप्पणी की है. बैंक को प्रशासनिक चेतावनी संबंधी चिट्ठी बैंक की इनवेस्टमेंट बैंकिंग गतिविधियों की निगरानी के दौरान की गई टिप्पणियों से संबंधित थी.
सेबी से क्यो मिली चेतावनी?
मार्केट रेगुलेटर सेबी की एक चेतावनी के बाद बैंक के शेयर में दबाव देखने को मिल रहा है. Bank को यह नोटिस समय-समय पर होने वाले बैंक के इन्वेस्टमेंट बैंकिंग गतिविधियों से की जांच के बाद मिला है. बैंक ने कुछ नियमों का अनुपालन नहीं किया है. बैंक ने एक्सचेंजों को सेबी से मिली इस नोटिस के बारे में जानकारी दे दिया है साथ ही कहा है कि वो इस परेशानी निपटने के लिए जरूरी कदम उठा रहे हैं.
FIIs का बढ़ा रुझान
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार HDFC Bank में लगातार विदेशी संस्थागत निवेशक (FIIs) खरीदारी कर रहे हैं. नवंबर महीने के दूसरे हिस्से के दौरान FIIs की खरीदारी वाले लिस्ट में HDFC Bank टॉप पर रहा है. इसमें उन्होंने 9,597 करोड़ रुपये का निवेश किया है. MSCI के ग्लोबल इंडेक्स में वेटेज बढ़ने की खबरों के बाद ही इस बैंक में निवेशकों का रुझान बढ़ा है.
HDFC Bank का शेयर
बीएसई की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, कंपनी का स्टॉक पिछले 3 महीने में करीब 11.56 फीसदी उछला है. वही, कंपनी का स्टॉक पिछले 6 महीने में 18.09 फीसदी उछला है, कंपनी का मार्केट कैप करीब 14,21,869.54 करोड़ रुपये है. ट्रेंडलाइन के आंकड़ों के मुताबिक, इस शेयर को कवर करने वाले 40 ब्रोकरेज में से किसी ने भी इसे बेचने की रेटिंग नहीं दी है और 28 विश्लेषकों में से अधिकांश ने इसे मजबूत खरीद रेटिंग दी है.
गुजरात के जामनगर में रिलायंस की रिफाइनरी कॉम्प्लेक्स में रूस से कच्चे तेल की सप्लाई की जाएगी जोकि दुनिया की सबसे बड़ी रिफाइनरी है.
देश के सबसे अमीर उद्योगपति मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज (Reliance Industries) और रूस की सरकारी तेल कंपनी रोसनेफ्ट (Rosneft) के बीच क्रूड ऑयल (Crude Oil) की सप्लाई को लेकर बड़ा करार हुआ है. Rosneft देश में निजी क्षेत्र की सबसे बड़ी ऑयल रिफाइनिंग कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज को 500,000 (5 लाख) बैरल क्रूड ऑयल प्रति दिन सप्लाई करेगी. क्रूड ऑयल सप्लाई को लेकर दोनों देशों के बीच हुआ अबतक का सबसे बड़ा डील है.
10 साल के लिए किया करार
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक रूस की Rosneft के साथ रिलायंस इंडस्ट्रीज ने 10 साल के लिए क्रूड ऑयल की सप्लाई के लिए करार किया है जो कि कुल ग्लोबल सप्लाई का 0.5 फीसदी है और क्रूड ऑयल की मौजूदा कीमत के आधार पर ये कुल 13 बिलियन डॉलर की डील है. इस डील के चलते भारत और रूस के बीच एनर्जी सप्लाई को लेकर रिश्तें और मजबूत होंगे साथ ही रूस को इससे भारी फायदा होगा. क्योंकि पश्चिमी देशों ने यूक्रेन पर हमला करने के चलते रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगा रखा है. Rosneft ने इस डील पर कुछ भी कहने से इंकार कर दिया है.
व्लादिमीर पुतिन आने वाले हैं भारत
रिलायंस इंडस्ट्रीज ने कहा, वो बाजार के हालात को देखते हुए रूस समेत सभी इंटरनेशनल सप्लायर्स के साथ काम करती है. हालांकि सप्लाई एग्रीमेंट के गोपनीयता को देखते हुए कंपनी ने कमर्शियल मामलों पर इससे ज्यादा कुछ भी कहने से इंकार कर दिया है. ये डील तब हुआ है जब रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा संभव है. साथ ही रूस के प्रेसीडेंट इलेक्ट डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि वे मास्को (Moscow) और कीव (Kyiv) के बीच युद्ध को खत्म होते हुए देखना चाहते हैं.
रूस ऑयल का सबसे बड़ा आयातक देश है भारत
भारत के कुल क्रूड ऑयल इंपोर्ट का एक तिमाही रूस से आयात किया जा रहा है. 2022 में रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद यूरोपीय यूनियन ने रूस से तेल आयात करने पर प्रतिबंध लगा दिया था. इसके बाद भारत रूस ऑयल का सबसे बड़ा आयातक देश बन गया है. भारत की सरकारी से लेकर निजी तेल कंपनियों ने इंटरनेशनल कीमतों के मुकाबले सस्ते दामों में रूस से क्रूड ऑयल का आयात किया है और उसकी रिफाइनिंग कर पेट्रोल डीजल विदेशों में बेचा है.
ऑब्ज़र्वेबिलिटी सिर्फ एक तकनीकी सुविधा नहीं है, बल्कि यह भारतीय बैंकों के लिए डिजिटल युग में सफल होने की एक रणनीतिक ज़रूरत है.
भारतीय बैंकिंग क्षेत्र इस समय एक बदलाव के दौर से गुजर रहा है, जिसमें तेज़ी से डिजिटलाइजेशन, बदलती ग्राहक उम्मीदें और सख्त नियम शामिल हैं. जैसे-जैसे बैंक क्लाउड कंप्यूटिंग, माइक्रोसर्विसेज और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी आधुनिक तकनीकों को अपना रहे हैं, "ऑब्ज़र्वेबिलिटी" एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है.
क्या है ऑब्ज़र्वेबिलिटी?
ऑब्ज़र्वेबिलिटी का मतलब सिर्फ सिस्टम को मॉनिटर करना नहीं है, बल्कि उनकी आंतरिक स्थिति को बारीकी और रियल-टाइम में समझना है. यह मुख्य रूप से तीन चीजों पर आधारित है- मेट्रिक्स, लॉग्स और ट्रेस (MLT). बैंकिंग में, ऑब्ज़र्वेबिलिटी की मदद से समस्याओं को पहले से पहचानकर ठीक किया जा सकता है, प्रक्रिया को बेहतर बनाया जा सकता है और डिजिटल सेवाओं को सुचारु रखा जा सकता है.
बैंकिंग में ऑब्ज़र्वेबिलिटी क्यों ज़रूरी है?
1. ग्राहक-केंद्रित सेवाएं- आज के ग्राहक तेज़ और बिना रुकावट वाली सेवाएं चाहते हैं. ऑब्ज़र्वेबिलिटी से सिस्टम की समस्याओं को समय पर हल करके सेवाओं को बाधित होने से बचाया जा सकता है. उदाहरण के लिए अगर किसी डिजिटल पेमेंट प्लेटफ़ॉर्म पर पिक समय में देरी होती है, तो ऑब्ज़र्वेबिलिटी की मदद से तुरंत कारण पता लगाया जा सकता है.
2. नियमों का पालन- बैंकिंग में नियमों का पालन बेहद ज़रूरी है. ऑब्ज़र्वेबिलिटी टूल्स डेटा गोपनीयता कानूनों और ट्रांजैक्शन की निगरानी में मदद करते हैं.
3. जटिल IT संरचना- जैसे-जैसे बैंक क्लाउड और माइक्रोसर्विसेज को अपना रहे हैं, सभी सिस्टम्स को सही ढंग से चलाना चुनौतीपूर्ण है. ऑब्ज़र्वेबिलिटी इन सिस्टम्स में पारदर्शिता लाती है और संसाधनों का बेहतर उपयोग संभव बनाती है.
4. सुरक्षा में सुधार- साइबर सुरक्षा बैंकिंग के लिए एक बड़ी चिंता है. ऑब्ज़र्वेबिलिटी टूल्स असामान्य गतिविधियों जैसे अनधिकृत एक्सेस या डेटा उपयोग में बढ़ोतरी को तुरंत पकड़ सकते हैं.
भारतीय बैंकिंग में ऑब्ज़र्वेबिलिटी के नए रुझान:
1. पूर्वानुमान आधारित समाधान- बैंक अब रिएक्टिव रणनीतियों से आगे बढ़कर भविष्यवाणी करने वाले समाधानों की ओर बढ़ रहे हैं.
2. AI और ML का उपयोग- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से संचालित ऑब्ज़र्वेबिलिटी समाधान रियल-टाइम में समस्याएं ढूंढने और हल करने में मदद करते हैं.
3. खर्च में बचत- ऑब्ज़र्वेबिलिटी टूल्स आईटी संसाधनों को सही ढंग से प्रबंधित करके अनावश्यक खर्च कम कर रहे हैं.
4. सभी स्तरों पर अपनाना- बड़े बैंक अग्रणी हैं, लेकिन मध्यम और क्षेत्रीय बैंक भी इसे समझने लगे हैं.
भविष्य की संभावनाएं
जैसे-जैसे वित्तीय संस्थान AI-आधारित बैंकिंग और ओपन बैंकिंग फ्रेमवर्क की ओर बढ़ रहे हैं, ऑब्ज़र्वेबिलिटी का महत्वपूर्ण भूमिका निभाना जारी रहेगा. पूर्वानुमान विश्लेषण, स्वचालन और मशीन लर्निंग में प्रगति के साथ ऑब्ज़र्वेबिलिटी का दायरा बढ़ने की संभावना है.
चुनौतियां और आगे का रास्ता
ऑब्ज़र्वेबिलिटी को लागू करना आसान नहीं है. लागत, प्रशिक्षित कर्मचारियों की कमी, और पुराने सिस्टम के साथ तालमेल बड़ी बाधाएं हैं. लेकिन, जैसे-जैसे डिजिटल परिवर्तन में निवेश बढ़ रहा है, भारतीय बैंक इन चुनौतियों को पार कर सकते हैं. ऑब्ज़र्वेबिलिटी सिर्फ एक तकनीकी सुविधा नहीं है, बल्कि यह भारतीय बैंकों के लिए डिजिटल युग में सफल होने की एक रणनीतिक ज़रूरत है. इससे बैंक अपने संचालन को मजबूत, ग्राहकों के लिए बेहतर और नियमों के अनुकूल बना सकते हैं.
डिस्क्लेमर: इस लेख में व्यक्त की गई राय लेखक की हैं और यह जरूरी नहीं कि प्रकाशन की राय को दर्शाती हों.
(लेखक- निलेश कृपलानी, चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर, क्लोवर इन्फोटेक)
बेंगलुरु में नया ऑफिस भारत की कंपनियों को क्लाउड खर्च कम करने, एप्लिकेशन की परफॉर्मेंस सुधारने और DevOps की उत्पादकता बढ़ाने में मदद करेगा.
Kubernetes ऑटोमेशन में लीडिंग प्लेटफॉर्म CAST AI ने भारत में अपना विस्तार करने की घोषणा की है. कंपनी ने बेंगलुरु में अपना नया ऑफिस खोला है. यह कदम भारतीय बाजार में CAST AI की गहरी प्रतिबद्धता को दर्शाता है और एशिया-पैसिफिक क्षेत्र में अपने विस्तार की महत्वाकांक्षा को जाहिर करता है.
भारत में Kubernetes का तेजी से बढ़ता उपयोग और यहां के डेवलपर्स और DevOps समुदायों की उन्नति ने भारत को CAST AI की वैश्विक वृद्धि के लिए एक महत्वपूर्ण बाजार बना दिया है. भारत में 6Sense, ShareChat और Yubi जैसी कंपनियों की मांग बढ़ने से कंपनी को क्लाउड लागत कम करने और संचालन कुशलता में सुधार के लिए अपने समाधान उपलब्ध कराने का प्रोत्साहन मिला है.
बेंगलुरु में स्थानीय ऑफिस स्थापित कर, CAST AI का लक्ष्य है:
1. Kubernetes समुदाय के साथ गहरा जुड़ाव.
2. क्षेत्रीय साझेदारों के साथ सहयोग बढ़ाकर समाधान अपनाने में तेजी.
3. ग्राहकों को बेहतर और स्थानीय समर्थन.
4. वैश्विक कार्यबल का निर्माण और भारत के टॉप टैलेंट का लाभ उठाना.
CAST AI के सह-संस्थापक और CPO लॉरेंट गिल ने कहा कि हम बेंगलुरु में ऑफिस खोलकर क्षेत्र में अपनी प्रतिबद्धता को मजबूत करने को लेकर उत्साहित हैं. भारत में क्लाउड-नेटिव और AI में बहुत इनोवेशन हो रहा है, और हम इस तेज़ी से बढ़ते टेक कम्युनिटी का हिस्सा बनकर गर्व महसूस कर रहे हैं. यह विस्तार हमें भारतीय उद्यमों को क्लाउड-नेटिव युग में सफल होने के लिए आवश्यक उपकरण प्रदान करने में मदद करेगा.
CAST AI के भारतीय ग्राहकों में Fintech, Financial Services, Retail, Ecommerce और EduTech क्षेत्रों में अग्रणी कंपनियां शामिल हैं, ये कंपनियां अपने क्लाउड खर्चों को कम करने, एप्लिकेशन प्रदर्शन में सुधार करने और DevOps टीम की उत्पादकता बढ़ाने के लिए CAST AI का उपयोग करती हैं.
6Sense के VP प्लेटफॉर्म इंजीनियरिंग आदित्य चंद्रा ने कहा कि CAST AI हर उस कंपनी के लिए बेहतरीन समाधान है, जो Kubernetes का उपयोग करती है. यह प्लेटफॉर्म न केवल लागत का गहराई से विश्लेषण करता है, बल्कि ऑटोमेशन फीचर्स का एक शानदार सेट प्रदान करता है जिससे हमने प्रभावशाली बचत की.
ShareChat के सीनियर इंजीनियरिंग मैनेजर जेनसन सी.एस. ने कहा कि CAST AI की सबसे बड़ी खासियत इसकी आसान इम्प्लीमेंटेशन है, जिससे तुरंत फायदा मिलता है. इसके ऑटोमेशन फीचर्स ने हमारे संचालन को सरल बनाया और हमारी टीम को तेजी से काम करने में मदद की. ग्राहक समर्थन अद्भुत है, जैसे हमारी अपनी SRE टीम हो.
Yubi के VP इंजीनियरिंग विवेक श्रीकांतन ने कहा कि CAST AI ने हमें डेवलपर अनुभव को बेहतर बनाने, इन्फ्रास्ट्रक्चर ऑप्टिमाइज़ करने और हमारे उपयोगकर्ताओं के लिए एक बेहतर उत्पाद देने पर ध्यान केंद्रित करने का मौका दिया. उनका ग्राहक समर्थन बहुत ही उत्कृष्ट है, जो किसी भी समस्या को जल्दी सुलझा देता है.
बिजली कंपनी टॉरेंट पावर ने पात्र संस्थागत आवंटन (QIP) के जरिये 1,503 रुपये प्रति शेयर के भाव पर 2.32 करोड़ शेयर जारी कर 3,500 करोड़ रुपये जुटाए हैं.
भारत की प्रमुख निजी पावर कंपनियों में से एक Torrent Power Limited ("कंपनी") ने अपने ₹3,500 करोड़ (लगभग 413.20 मिलियन अमेरिकी डॉलर) के क्यूआईपी (Qualified Institutions Placement) को सफलतापूर्वक पूरा किया. यह इश्यू निवेशकों से बहुत अच्छा रिस्पॉन्स मिला, जिसमें घरेलू म्यूचुअल फंड्स, वैश्विक निवेशक और बीमा कंपनियां शामिल थीं. इससे कंपनी की मजबूती और भारत के पावर सेक्टर में निवेशकों का भरोसा दिखता है.
4 गुना अधिक मिली बोलियां
क्यूआईपी (QIP) को लगभग 4 गुना अधिक बोली मिली, जिसमें ₹3,500 करोड़ के इश्यू के मुकाबले करीब ₹14,000 करोड़ की बोलियां आईं. यह निवेश अंतरराष्ट्रीय और घरेलू दोनों निवेशकों से आया. पूरा इश्यू जाने-माने दीर्घकालिक निवेशकों जैसे SBI MF, Capital Group, SBI Pension, Kotak MF, Nippon MF, Norges Bank और Amundi को आवंटित किया गया.
कंपनी था यह पहला फंड रेज
यह कंपनी का पहला इक्विटी फंड रेज है और पिछले 30 वर्षों में Torrent Group द्वारा पहला इक्विटी फंड रेज है. यह क्यूआईपी मौजूदा वित्तीय वर्ष में भारत के निजी यूटिलिटी सेक्टर में सबसे बड़े फंड रेज में से एक है. इस फंड रेज के सफल समापन से कंपनी की ताकत और भारत के पावर सेक्टर में उसकी तेज़ी से बढ़ने की संभावनाएं उजागर होती हैं. क्यूआईपी इश्यू 2 दिसंबर 2024 को शुरू हुआ और 5 दिसंबर 2024 को पूरा हुआ.
QIP को मिले रिस्पॉन्स से चेयरमैन खुश
Torrent Group के चेयरमैन समीर मेहता ने कहा कि हम क्यूआईपी को मिले जबरदस्त रिस्पॉन्स से बेहद खुश हैं. यह हमारे विकास की रणनीति, उत्कृष्टता और बेहतरीन पूंजी प्रबंधन में बाजार के विश्वास को दर्शाता है. यह पूंजी रेज हमारी बैलेंस शीट को मजबूत करेगा और हमारी ग्रोथ योजनाओं को तेज़ी देगा. हम अपने निवेशकों के प्रति आभार व्यक्त करते हैं जिन्होंने हम पर भरोसा जताया.
ये थे QIP के लीड मैनेजर
कोटक महिंद्रा कैपिटल कंपनी लिमिटेड (Kotak Mahindra Capital Company Limited), जेफरीज़ इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (Jefferies India Private Limited) और JM फाइनेंशियल लिमिटेड QIP के प्रमुख प्रबंधक थे. खैतान एंड कंपनी (Khaitan & Co.) ने भारतीय कानून के अनुसार कंपनी के कानूनी सलाहकार के रूप में कार्य किया, शार्दुल अमरचंद मंगलदास एंड कंपनी (Shardul Amarchand Mangaldas & Co.) और सिडली ऑस्टिन LLP (Sidley Austin LLP) ने भारतीय और अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत BRLMs के कानूनी सलाहकार के रूप में कार्य किया.
सेबी ने 2016 में जारी किए गए बयान में भी उन प्लेटफॉर्म से जुड़ने को लेकर भी आगाह किया था, जो प्राइवेट प्लेसमेंट के नाम पर फंड जुटाते हैं.
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने उन प्लेटफॉर्म्स के खिलाफ कड़ी चेतावनी जारी की है, जो पब्लिक लिमिटेड कंपनियों की अनलिस्टेड सिक्योरिटीज के व्यापार को बढ़ावा देते हैं. एक प्रेस बयान जारी करते हुए SEBI ने बताया कि इस तरह की गतिविधियां Securities Contract (Regulation) Act, 1956 और SEBI Act, 1992 का उल्लंघन करती हैं. ये कानून निवेशकों के हितों की सुरक्षा के लिए बनाए गए हैं.
ऐसे प्लेटफॉर्म्स से बचने की सलाह
SEBI ने इस संदर्भ में 2016 में जारी अपनी चेतावनी का जिक्र करते हुए कहा कि उस समय भी निवेशकों को ऐसे प्लेटफॉर्म्स और स्कीम्स से बचने की सलाह दी गई थी, जो अनधिकृत थीं. 2016 के बयान में बताया गया था कि कई संस्थाएं निवेशकों को लीग, प्रतियोगिताओं, और योजनाओं के जरिए लुभा रही थीं, जो प्रतिभूति बाजार से संबंधित थीं. इनमें कुछ योजनाएं पुरस्कार राशि वितरण तक सीमित थीं, लेकिन ये SEBI या SEBI द्वारा मान्यता प्राप्त एक्सचेंजों से अनुमोदित नहीं थीं.
केवल रजिस्टर्ड प्लेटफॉर्म से करें लेनदेन
अपने बयान में सेबी ने आगे कहा है कि कुछ इलेक्ट्रॉनिक मंच बिना उचित मंजूरी के गैर-सूचीबद्ध प्रतिभूतियों के व्यापार की सुविधा दे रहे हैं. ऐसे में निवेशकों को आगाह किया जाता है कि ऐसे इलेक्ट्रॉनिक मंच पर कोई भी लेनदेन न करें या उसपर कोई भी संवेदनशील व्यक्तिगत विवरण साझा न करें क्योंकि ये न तो अधिकृत हैं और न ही सेबी द्वारा मान्यता प्राप्त हैं. SEBI ने स्पष्ट किया है कि केवल मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज ही "लिस्टेड" और "लिस्ट होने वाली" कंपनियों की सिक्योरिटीज के लिए ट्रेडिंग और फंडरेजिंग प्लेटफॉर्म प्रदान करने के लिए अधिकृत हैं.
जुबिलेंट भरतिया ग्रुप ने कोका-कोला की बॉटलिंग कंपनी HCCB में 40 फीसदी हिस्सेदारी खरीद ली है. बताया जा रहा है कि यह सौदा 12,500 करोड़ रुपये में हुआ है.
जुबिलेंट भरतिया ग्रुप के भरतिया परिवार ने हिंदुस्तान कोका-कोला बेवरेजेज (HCCB) में 40% हिस्सेदारी खरीदी है. एचसीसीबी कोका-कोला इंडिया की पूरी तरह से स्वामित्व वाली बॉटलिंग कंपनी है. इस सौदे की कीमत 12,500 करोड़ रुपये बताई जा रही है. हालांकि, इस रकम के बारे में कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है. यह भरतिया परिवार का अब तक का सबसे बड़ा अधिग्रहण है. भरतिया परिवार भारत में डोमिनोज पिज्जा का मालिक है, यह देश का सबसे बड़ा फूड सर्विस ब्रांड है.
इतने करोड़ का है डील
इस डील को 12,500 करोड़ रुपये में पूरा किया जा सकता है. आसान भाषा में समझे तो HCCB में 40% हिस्सेदारी के लिए भर्तिया ग्रुप 12,500 करोड़ रुपये लगाने जा रहा है. ग्रुप खुद को अधिक कर्ज में डालना नहीं चाहता. इसलिए वे इस डील में करीब 5,000 करोड़ रुपये खुद से निवेश करेंगे. बाकी की रकम गोल्डमैन सैक्स से फाइनेंसिंग जुटाना का इरादा है. सूचना के मुताबिक ग्रुप Bain Credit, Apollo Global Management, Ares Management, TPG, और GIC जैसी फाइनेंसर कंपनियों से भी बातचीत कर रहे थे.
कोका-कोला ने क्या कहा?
कोका-कोला इंडिया के प्रेसिडेंट संकेत रे ने कहा कि हम जुबिलेंट भरतिया ग्रुप का भारत में कोका-कोला सिस्टम में स्वागत करते हैं. विभिन्न क्षेत्रों में अपने विविध अनुभव के साथ जुबिलेंट दशकों का समृद्ध अनुभव लाता है जो कोका-कोला सिस्टम को रफ्तार देने में मदद करेगा. उन्होंने आगे बताया कि जुबिलेंट का अनुभव कोका-कोला के लिए बहुत फायदेमंद साबित होगा. हिंदुस्तान कोका-कोला बेवरेजेज (एचसीसीबी) के सीईओ जुआन पाब्लो रोड्रिग्ज ने कहा कि यह रणनीतिक निवेश हमारी यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है. जुबिलेंट भरतिया ग्रुप की विशेषज्ञता हमारी ताकत को पूरा करती है.
जुबिलेंट भरतिया ग्रुप ने जाहिर की खुशी
जुबिलेंट भरतिया ग्रुप के संस्थापक और अध्यक्ष श्याम एस. भरतिया और संस्थापक और सह-अध्यक्ष हरि एस. भरतिया ने कहा कि यह निवेश उनके व्यवसाय के लिए आदर्श है. भरतिया ने कहा, 'कोका-कोला कंपनी दुनिया के कुछ सबसे सम्मानित ग्लोबल ब्रांडों का घर है, हम उनके साथ जुड़कर खुश हैं. साथ मिलकर, हम व्यवसाय को और ऊंचाइयों तक ले जाने के अवसरों का लाभ उठाएंगे. यह सुनिश्चित करेंगे कि अधिक भारतीय उपभोक्ता कोका-कोला कंपनी के प्रतिष्ठित स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय ब्रांडों के ताजा पोर्टफोलियो का आनंद ले सकें.'
इतना बड़ा है मार्केट
हाल ही में HCCB ने 5 सालों में करीब 12,000 करोड़ रुपये का निवेश करने की घोषणा की है. इसमें गुजरात में जूस और एयरेटेड ड्रिंक्स बनाने के लिए 3,000 करोड़ रुपये और मध्य प्रदेश में स्पार्कलिंग ड्रिंक्स और जूस बनाने के लिए 350 करोड़ रुपये का निवेश शामिल है. भर्तिया ग्रुप का यह डील अबतक का सबसे बड़ा डील है. इस ग्रुप के पास डोमिनोज पिज्जा का भारत में विशेष फ्रेंचाइजी राइट है.
SpaceX में हुए शेयर सौदे के बाद अचानक एलन मस्क की संपत्ति में 50 बिलियन डॉलर का इजाफा हुआ है जिसके चलते उनका नेटवर्थ 450 बिलियन डॉलर के करीब जा पहुंचा है.
अमेरिका (America) में राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) को जीत क्या मिली, एलन मस्क (Elon Musk) पर पैसों की बरसात शुरू हो गई और ये रुकने का नाम ही नहीं ले रही है. उनकी इलेक्ट्रिक कार कंपनी टेस्ला का शेयर (Tesla Share) धमाल मचा रहा है और दुनिया के सबसे अमीर इंसान मस्क हर बीतते दिन के साथ संपत्ति के मामले में इतिहास रचते जा रहे हैं और अब तो उनकी संपत्ति 400 अरब डॉलर के भी पार निकल गई है. बीते 24 घंटों की ही बात करें, तो Elon Musk Net Worth 62 अरब डॉलर से ज्यादा बढ़ी है.
यहां पहुंचा एलन मस्क की दौलत का आंकड़ा
टेस्ला और स्पेसएक्स जैसी कंपनियों के मालिक एलन मस्क ने संपत्ति के मामले में सभी दिग्गजों को इतना पीछे छोड़ दिया है कि उनके बीच दौलत का फासला हाल-फिलहाल भरना मुमकिन नहीं है. नेटवर्थ की बात करें, तो ब्लूमबर्ग बिलेनियर्स इंडेक्स (Bloomberg Billionaires Index) के मुताबिक, एलन मस्क की कुल संपत्ति अब 447 अरब डॉलर हो गई है. बीते 24 घंटे में ही इसमें 62.8 अरब डॉलर (5.32 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा) बढ़ी है.
इस साल संपत्ति में रिकॉर्ड उछाल
साल 2024 में दुनिया के दिग्गज अरबपतियों की संपत्ति में आए उछाल पर गौर करें, तो एलन मस्क के आगे-पीछे दूर-दूर तक कोई नजर नहीं आता है. Top-10 Billionaires List में दूसरे और तीसरे अमीरों की कुल दौलत के आस-पास को मस्क ने महज इस साल ही कमा डाले हैं. जी हां आंकड़ों पर नजर डालें, तो साल 2024 में अब तक Elon Musk Networth में 218 अरब डॉलर का बंपर इजाफा हुआ है और अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की जीत के बाद तो ये तूफानी तेजी से बढ़ी है.
मस्क की कंपनी का शेयर मचा रहा धमाल
एलन मस्क की इलेक्ट्रिक कार कंपनी का टेस्ला का शेयर (Tesla Share) धमाल मचा रहा है और इसमें ट्रंप की जीत के बाद से तेजी का जो सिलसिला शुरू हुआ, वो अभी भी लगातार जारी है. टेस्ला स्टॉक बीते कारोबारी दिन 5.93 फीसदी की जोरदार उछाल के साथ 424.77 डॉलर पर क्लोज हुआ. Donald Trump की जीत के बाद से इस शेयर की कीमत में 47 फीसदी से ज्यादा का उछाल दर्ज किया गया है. इसका सीधा असर एलन मस्क की दौलत पर देखने को मिला है.
बुधवार को BSE और NSE दोनों प्रमुख सूचकांक बढ़त के साथ बंद हुए थे. BSE का सेंसेक्स 81,526.14 अंक और NSE का निफ्टी 24,641.80 के स्तर पर बंद हुआ था.
शेयर बाजार बुधवार को उतार-चढ़ाव भरे कारोबार में हल्की बढ़त के साथ बंद हुए थे. सेंसेक्स 16 अंक, तो वहीं, निफ्टी करीब 32 अंक चढ़ा था. बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 16.09 अंक यानी 0.02 प्रतिशत बढ़कर 81,526.14 अंक पर बंद हुआ था. इसी तरह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का निफ्टी तीन दिन की गिरावट से उबरते हुए 31.75 अंक यानी 0.13 प्रतिशत बढ़कर 24,641.80 अंक पर बंद हुआ था. तो आइए जानते हैं आज यानी गुरुवार को किन इन शेयरों में आप दांव लगा सकते हैं, कहां आपको फायदा होगा और कहां नुकसान हो सकता है?
कल इन शेयरों में रही गिरावट
सेंसेक्स के 30 में से 17 कंपनियों के शेयर गिरावट में रहे थे. सेंसेक्स की कंपनियों में बजाज फाइनेंस, नेस्ले इंडिया, बजाज फिनसर्व, एशियन पेंट्स, अल्ट्राटेक सीमेंट, इन्फोसिस, मारुति सुजुकी, भारती एयरटेल और हिंदुस्तान यूनिलीवर में बढ़त दर्ज की गई थी. दूसरी तरफ जेएसडब्ल्यू स्टील, अडानी पोर्ट्स, एनटीपीसी, भारतीय स्टेट बैंक, रिलायंस इंडस्ट्रीज, टेक महिंद्रा, एक्सिस बैंक, टाइटन और एचडीएफसी बैंक के शेयरों में गिरावट रही थी.
आज इन शेयर में तेजी के संकेत
जिन शेयरों में मजबूत खरीदारी देखने को मिल रही है, उनमें PNC Infratech, Jupiter Wagons, Swan Energy, Jubilant Ingrevia, Titagarh Wagons, Ircon International और EIH शामिल हैं. इन शेयर ने अपना 52 हफ्ते का उच्च स्तर पार कर लिया है. यह इन शेयर में तेजी का संकेत देता है.
इन शेयर में दिख रही गिरावट
एमएसीडी (MACD) ने ITI Ltd, Mahindra Lifespace, CCL Products, Brigade Enterprises, PNB Housing, Emami और Trident Ltd के शेयर में मंदी का संकेत दिया है. इसका मतलब है कि अब इन शेयरों में गिरावट शुरू हो गई है.
(डिस्क्लेमर: शेयर बाजार में निवेश जोखिम के अधीन है. 'BW हिंदी' इसकी कोई जिम्मेदारी नहीं लेता. सोच-समझकर, अपने विवेक के आधार पर और किसी सर्टिफाइड एक्सपर्ट से सलाह के बाद ही निवेश करें, अन्यथा आपको नुकसान उठाना पड़ सकता है).
राजीव गुप्ता के पास 30 से ज्यादा सालों का अनुभव है और उन्होंने कई उद्योगों में अपनी नेतृत्व क्षमता से बड़ा बदलाव लाया है.
LNJ Bhilwara Group की प्रमुख कंपनी और भारत की सबसे बड़ी टेक्सटाइल मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों में से एक RSWM Limited ने राजीव गुप्ता को अपना मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) नियुक्त किया है. राजीव गुप्ता के पास 30 से ज्यादा सालों का अनुभव है और उन्होंने कई उद्योगों में अपनी नेतृत्व क्षमता से बड़ा बदलाव लाया है.
राजीव गुप्ता के पास है लंबा अनुभव
राजीव गुप्ता को Lean, Six Sigma, TPM और TQM जैसी विधियों का उपयोग करके ऑपरेशनल सुधार और प्रोडक्टिविटी बढ़ाने में महारत हासिल है. उनका अनुभव टेक्सटाइल, होम टेक्सटाइल, और पल्प एंड पेपर उद्योगों तक फैला हुआ है. उन्होंने रिलायंस, ट्राइडेंट और वर्धमान जैसी प्रमुख कंपनियों में नेतृत्व भूमिकाएं निभाई हैं, जहां उनके प्रयासों से EBITDA और रेवेन्यू में उल्लेखनीय वृद्धि हुई. अब RSWM Limited में, राजीव गुप्ता के नेतृत्व में कंपनी अपनी तकनीकी सुधार और संचालन को और बेहतर बनाने के लिए नई गति से काम करेगी. उनकी रणनीतिक सोच कंपनी को तेजी से बदलते बाजार और उपभोक्ता मांगों के साथ तालमेल बनाने में मदद करेगी.
राजीव गुप्ता ने क्या कहा?
अपनी नियुक्ति पर बोलते हुए, राजीव गुप्ता ने कहा कि RSWM ने हमेशा टेक्सटाइल में नवाचार और उत्कृष्टता का नेतृत्व किया है. कंपनी ने संचालन में उत्कृष्टता और स्थिरता की मजबूत विरासत बनाई है. मैं इस आधार को आधुनिक तकनीकों और प्रक्रियाओं के साथ आगे बढ़ाने, दक्षता बढ़ाने और उद्योग की बदलती जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध हूं.
कंपनी के चैयरमैन ने क्या कहा?
RSWM Limited के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर रिजु झुनझुनवाला ने कहा कि राजीव का उद्योग ज्ञान और उनकी असाधारण नेतृत्व क्षमता हमारी व्यावसायिक योजनाओं को पूरा करने में बड़ी भूमिका निभाएंगे. उनकी रणनीतिक सोच और संचालन में कुशलता हमारे ऑपरेशंस को मजबूत बनाने और नए बाजारों में विस्तार करने में मदद करेंगी. 6 दशकों से ज्यादा के इतिहास के साथ, RSWM Limited ने बाजार विस्तार, उत्पाद विविधता और स्थिरता पर ध्यान केंद्रित किया है. राजीव गुप्ता की नियुक्ति कंपनी की प्रतिस्पर्धात्मक ताकत को और बढ़ाएगी और इसे उद्योग में अग्रणी बनाए रखेगी.