Stocks In News: खबरों वाले शेयर मचाएंगे धमाल, दांव लगाकर कमा सकते हैं मुनाफा

तिमाही नतीजों का दौर खत्म हो चुका है, आज आपको किन खबरों वाले शेयरों पर नजर रखनी चाहिए, कौन से ऐसे शेयर हैं जहां पर दांव लगाकर आप मुनाफा कमा सकते हैं, चलिए देखते हैं

Last Modified:
Wednesday, 17 August, 2022
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मुंबई: मंगलवार की मजबूत तेजी के बाद आज भी भारतीय बाजारों के लिए ग्लोबल संकेत पॉजिटिव हैं. अमेरिकी बाजारों में डाओ जोंस में लगातार 5वें दिन तेजी रही, डाओ 240 अंक मजबूत होकर बंद हुआ है. डाओ 34,000 के ऊपर 4 महीने की ऊंचाई पर बंद हुआ है. S&P500 और नैस्डेक हालांकि फ्लैट बंद हुए हैं. आज अमेरिका के जुलाई की रिटेल बिक्री के आंकड़े भी जारी होंगे. इस पर नजर रहेगी. SGX Nifty की शुरुआत भी अच्छे मूड में हुई है. 

तिमाही नतीजों का दौर खत्म हो चुका है, आज आपको किन खबरों वाले शेयरों पर नजर रखनी चाहिए, कौन से ऐसे शेयर हैं जहां पर दांव लगाकर आप मुनाफा कमा सकते हैं, चलिए देखते हैं

खबरों वाले शेयर

1. Mahanagar Gas Limited आज फोकस में रहेगा, क्योंकि कंपनी ने मुंबई में CNG, PNG के दामों में कटौती की है, MGL के शेयरों में आज इस खबर का असर दिख सकता है

2. Techno Electric में भी आज हलचल दिख सकती है, क्योंकि कंपनी को राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम से FGD के लिए 1455 करोड़ रुपये का ऑर्डर मिला है 

3. HDFC AMC में Aberdeen Investment ने 1953.63  रुपये प्रति शेयर के भाव पर 5.6 परसेंट हिस्सेदारी बेची है, जो 1.2 करोड़ शेयर होते हैं. कुल सौदा 2300 करोड़ रुपये में हुआ.  

4. Kirloskar Oil में SBI MF ने 9.46 लाख शेयर बेचे हैं. इस बल्क डील के बाद हिस्सा 7.37 परसेंट से घटकर 6.7 परसेंट हो गया है

5. Cipla में बड़ा मैनेजमेंट बदलाव हुआ है, आशीष आदुकिया को ग्लोबल CFO नियुक्त किया गया है. आशीष आदुकिया Grasim Ind में भी CFO रह चुके हैं. ये शेयर आज फोकस में रहेगा

6. Max Healthcare में कल एक बल्क डील हुई थी, KKR ने अपने 27 परसेंट शेयर बेचे थे, इसके खरीदार थे GIC, Capital Group और BNP Paribas 

7. NXTDIGITAL आज फोकस में रहेगा क्योंकि बोर्ड ने Hinduja Leyland Finance के विलय को मंजूरी दे दी है. NDL का डिजिटल, मीडिया कारोबार ट्रांसफर होगा 

8. Bharti Airtel शॉर्ट टर्म डेट के जरिए 3000 करोड़ रुपये जुटाने की तैयारी कर रही है. कंपनी 5G स्पेक्ट्रम की शुरुआती पेमेंट के लिए ये फंड जुटा रही है. 

9. Sanghi Industires के प्रमोटर्स Flarezeal Solutions ने 40 लाख शेयर खरीदे हैं  

10. GAIL की बोर्ड बैठक में फंड जुटाने पर विचार किया जाएगा, ये शेयर आज फोकस में रखिएगा 

11. Venus Pipes भी आज फोकस में रहेगा क्योंकि एंकर निवेशकों का लॉक इन पीरियड आज खत्म होगा

12. Delhivery Ltd के  एंकर निवेशकों का लॉक इन पीरियड भी आज खत्म होगा, इस शेयर में भी आज हलचल दिख सकती है 

13. Bharat Gears की बोर्ड बैठक 19 अगस्त होगी, इसमें बोनस शेयर जारी करने पर विचार होगा, शेयर फोकस में रहेगा 

14. Syrma SGS के IPO को अभी तक अच्छा रिस्पॉन्स मिला है, दो दिन में इश्यू 92% भर चुका है, इसमें रिटेल हिस्सा 1.56 गुना भरा है 


 


मसालों के बाद अब भारतीय दवाओं पर सवाल, आखिर ये हो क्या रहा है?

भारत की कुछ दिग्गज कंपनियां अमेरिका से अपनी दवाएं रिकॉल कर रही हैं, क्योंकि उनमें गड़बड़ी की बात कही गई है.

Last Modified:
Monday, 20 May, 2024
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दुनिया के कई देशों ने भारतीय मसालों की गुणवत्ता पर सवाल उठाते हुए उससे जुड़ी कुछ कंपनियों पर बैन लगा दिया है. अब मसालों वाली परेशानी का शिकार भारतीय दवाएं भी हो गई हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, डॉक्टर रेड्डीज लैबोट्रीज, सन फार्मा और अरबिंदो फार्मा जैसी दिग्गज फार्मास्युटिकल्स कंपनियां अपनी अलग-अलग दवाओं को अमेरिकी बाजार से वापस मंगा (Recalls) रही हैं. इनकी दवाओं में मैन्युफैक्चरिंग में खामियों की बात सामने आई है.

सुरक्षा पर जताई चिंता
रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) ने इन रिकॉल्स को क्लास I और Class II के रूप में वर्गीकृत किया है. यूएस FDA ने भारत से आयात होने वाली जेनेरिक दवाओं की क्वालिटी और सेफ्टी पर चिंता जताई है. बता दें कि जेनेरिक दवाओं का मतलब है किसी ब्रैंडेड मेडिसिन के फॉर्मूले के आधार पर दूसरी दवा बनाना, जो अपेक्षाकृत काफी सस्ती होती है. भारत जेनेरिक दवाओं का सबसे निर्माता और निर्यातक भी है. इन दिग्गज कंपनियों की दवाओं पर सवाल उठाना देश के फार्मा सेक्टर के लिए भी चिंता का विषय है. 

प्रभावी इलाज न करने का दावा
डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज Javygtor (सैप्रोप्टेरिन डाइहाइड्रोक्लोराइड) के करीब 20,000 डिब्बे वापस मंगा रही है. यह मेडिसिन फेनिलकेटोनुरिया वाले मरीजों में हाइपरफेनिलएलनिनमिया (HPA) के इलाज के लिए इस्तेमाल होती है. फेनिलकेटोनुरिया एक तरह का आनुवंशिक विकार (Genetic Disorder) होता है, जिससे बौद्धिक विकास पर बुरा असर पड़ता है. साथ ही मरीज का व्यवहार भी काफी असामान्य हो जाता है, उसे दौरे भी पड़ते हैं. अमेरिकी रेगुलेटर ने पाया है कि डॉ. रेड्डीज की दवा काफी कम असरदार है. दूसरे शब्दों में कहें तो यह प्रभावी तरीके से बीमारी का इलाज नहीं कर पाती.

क्वालिटी सही नहीं होने का हवाला 
वहीं, जेनेरिक दवा निर्माता सन फार्मा Amphotericin B Liposome की 11,000 से अधिक शीशियों को वापस मना रही है. यह इंजेक्शन एंटीफंगल के इलाज के लिए है. अमेरिकी ड्रग रेगुलेटर ने अपनी जांच में पाया कि सन फार्मा के इस इंजेक्शन की क्वालिटी सही नहीं है. इसी तरह, अरबिंदो फार्मा Clorazepate Dipotassium Tablets की 13,000 से अधिक बॉटल वापस ले रही है. यह एंटी-एंग्जायटी मेडिसिन है, यानी इसे तनाव कम करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. अरबिंदो फार्मा की इन गोलियों पर बिंदीदार पीले धब्बे थे, जिसके चलते इसे वापस मंगाया जा रहा है. महाराष्ट्र की दवा कंपनी FDC लिमिटेड भी ग्लूकोमा के इलाज में इस्तेमाल होने वाले आई-ड्रॉप टिमोलोल मैलेट ऑप्थेलमिक सॉल्यूशन की 3,80,000 से अधिक यूनिट को वापस ले रही है. 

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क्‍या NHAI के इस नए कदम से कम हो पाएगी हादसों की संख्‍या, जानते हैं क्‍या है ये कदम? 

देश में सड़क हादसों में मरने वाले लोगों की संख्‍या का एक बड़ा हिस्‍सा नेशनल हाइवे पर होने वाली सड़क दुर्घटनाओं के कारण हुआ है. एनएचएआई उसी को कम करने का प्रयास कर रहा है. 

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Monday, 20 May, 2024
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नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) की सड़कों का विकास उसके लिए उतना चुनौतीपूर्ण नहीं है जितना उन पर हादसों की संख्‍या को कम करने की चुनौती है. क्‍योंकि बढ़ती हादसों की संख्‍या नेशनल हाईवे की सुरक्षा पर सवालिया निशान लगाती है. हालांकि एनएचएआई इस दिशा में कई कदम उठाता रहा है लेकिन अब इस रोड बनाने वाली इस संस्‍था की ओर से एक बड़ा कदम उठाया गया है. एनएचएआई ने इसके लिए एक डेडीकेटेड टीम बनाकर इस समस्‍या से लड़ने का फैसला किया है जो सिर्फ और सिर्फ इन सड़कों पर होने वाले हादसों को कम करने के लिए काम करेगी. 

आखिर क्‍या है NHAI के द्वारा उठाया गया कदम? 
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, एनएचएआई की नई योजना में हर प्रोजेक्‍ट पर एक डेडीकेटेड मैनेजमेंट टीम बनाई जाएगी. एनएचएआई की ओर से इस बारे में 17 मई को एक नोटिफिकेशन भी जारी किया गया है. इस टीम का सबसे प्रमुख काम किसी भी परिस्थिति में हाईवे का ऑपरेशन, मेंटीनेंस और सुरक्षा को लेकर काम करना है. एनएचएआई की ओर से इस मामले में विस्‍तार से सभी चीजों को समझाया गया है जिसमें मेंटीनेंस (रिपेयर, साइनेज और मार्किंग ) मैनेजमेंट ( ट्रैफिक और टोलिंग) और मॉनिटरिंग (एक्‍सीडेंट और ब्‍लैक स्‍पॉट) इन सभी कामों को एक एनएचएआई की ओर से बनाई गई एक डेडीकेटेड टीम करेगी. 

ये भी पढ़ें: आखिर कौन बनेगा देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक का चेयरमैन, इन नामों की हो रही है चर्चा

अभी क्‍या है एनएचएआई का सिस्टम? 
मौजूदा समय में कुल एनएचएआई का एक बड़ा हि‍स्‍सा अंडर मेंटीनेंस में है. अभी इस काम की जिम्‍मेदारी प्रोजेक्‍ट इंप्‍लीमेंटेशन यूनिट के पास होती है. वो ही इस काम को अवॉर्ड करती है और वो ही इस काम को करवाती है. लेकिन अब इस काम को एनएचएआई ने प्रोजेक्‍ट इंप्‍लीमेंटेशन यूनिट में ही एक डेडीकेटेड टीम बनाकर देने का निर्णय लिया है. अगर इससे जुड़ी कोई भी समस्‍या होती है तो उसी टीम की जिम्‍मेदारी होगी. इस टीम का प्रमुख काम हाईवे की सुरक्षा, उसका मेंटीनेंस, अलॉट किए जाने वाले काम को एग्‍जीक्‍यूट करने से लेकर सभी प्रकार के इससे जुड़े कामों को देखने का होगा. 

क्‍या कहते हैं हमारे देश में हाईवे पर होने वाले हादसों के आंकड़े? 
हमारे देश में हाईवे पर होने वाले हादसों के आंकड़े बहुत कुछ कहते हैं. अकेले 2022 में देश में पर होने वाले हादसों की संख्‍या 461312 तक पहुंच गई है, इनमें से 32.9 प्रतिशत यानी 151997 हादसे नेशनल हाईवे और एक्‍सप्रेस वे पर हुए हैं. इसी तरह 23.1 प्रतिशत यानी 106,682 हादसे स्‍टेट हाईवे पर हुए हैं और बाकी बचे 43.9 प्रतिशत हादसे यानी 202633 एक्‍सीडेंट देश की बाकी सड़कों पर हुए हैं. 

गांव या शहर कहां ज्‍यादा हुए हैं हादसे 
भारतीय राष्‍ट्रीय राजमार्ग मंत्रालय के द्वारा जारी किए आंकड़ों के मुताबिक 68 प्रतिशत मौतें ग्रामीण इलाकों में हुई हैं जबकि 32 प्रतिशत मौतें शहरी इलाकों में हुई हैं. आंकड़े बता रहे हैं सबसे ज्‍यादा हादसे और उनमें मरने वाले टू पहिया वाहन चालक रहे हैं. इनकी संख्‍या 44.5 प्रतिशत रही है. यही नहीं 19.5 प्रतिशत मरने वाले वो लोग रहे हैं जो सड़क पर पैदल चलते हैं. आंकड़े ये भी बताते हैं कि 83.4 फीसदी हिस्‍सा 18 से 60 वर्ष के कामकाजी आयु वर्ग के व्‍यक्तियों का रहा है.   
 


शेयर बाजार पर कुछ ऐसा बोल गए Modi, खिल जाएगा निवेशकों का चेहरा

अमित शाह के बाद अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शेयर बाजार पर खुलकर बात की है.

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Monday, 20 May, 2024
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लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2024) के बाद शेयर बाजार में तेजी की संभावनाओं पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) भी मुहर लगा दी है. PM मोदी ने कहा है कि 4 जून 2024 को जब लोकसभा चुनाव के परिणाम आएंगे, तो भारतीय शेयर बाजार अपने पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ देगा. उन्होंने यहां तक कहा कि चुनाव के नतीजे आने के बाद पूरे हफ्ते इस कदर ट्रेडिंग होगी कि उसे ऑपरेट करने वाले थक जाएंगे. बता दें कि इससे पहले गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने भी कहा था कि 4 जून के बाद बाजार में तेजी देखने को मिलेगी.

10 सालों का दिया हवाला
प्रधानमंत्री मोदी ने एक मीडिया हाउस को दिए इंटरव्यू में आगे कहा कि जिस सप्ताह लोकसभा चुनाव के परिणाम घोषित होंगे, बाजार का प्रदर्शन दिखाएगा कि कौन सत्ता में वापस आ रहा है. उन्होंने कहा कि 10 साल पहले जब हमारी सरकार आई, तो सेंसेक्स 25,000 पर था और अब यह 75,000 पर है. प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार ने अर्थव्यवस्था (Indian Economy) को मजबूत करने के लिए सबसे ज्यादा आर्थिक सुधार किए हैं और इसका असर दिखाई दे रहा है. मोदी ने इस दौरान, PSUs बैंकों के प्रदर्शन का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि सरकारी बैंक पहले से बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं.

PSU बैंकों का दिया उदाहरण
PM मोदी ने कहा कि आप PSU बैंकों को देखें, उनके शेयरों की वैल्यू बढ़ रही है. कई सरकारी कंपनियों के शेयर पिछले दो साल में 10 गुना से ज्यादा बढ़ गए हैं. हमारी सरकार ने PSUs को रिफॉर्म किया है. पहले PSUs का मतलब ही होता था गिरना, अब स्टॉक मार्केट में इनकी वैल्यू कई गुना बढ़ रही है. हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को ही उदाहरण लें, जिसे लेकर इन लोगों ने जुलूस निकाला, मजदूरों को भड़काने की कोशिश की गई. आज उसी HAL ने चौथी तिमाही में रिकॉर्ड 4000 करोड़ रुपए प्रॉफिट दर्ज किया है. मेरा मानना है कि ये एक बहुत बड़ी प्रगति है.

क्या कहा था Amit Shah ने?
इससे पहले, अमित शाह ने भी कहा था कि शेयर बाजार 4 जून के बाद तेजी से भागेगा. दरअसल, बाजार में आ रही गिरावट को लोकसभा चुनाव से जोड़कर देखे जा रहा है. इस अमित शाह ने कहा था कि बाजार में गिरावट को चुनाव से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए, 4 जून, 2024 को जब लोकसभा चुनाव के नतीजों की घोषणा होगी, तो बाजार चढ़ेगा. उन्होंने यह भी कहा था कि स्टॉक मार्केट की गिरावट से चिंतित होने की जरूरत नहीं है. बाजार ने इससे पहले भी कई बार गोते लगाए हैं, इसे चुनाव से नहीं जोड़ना चाहिए. यदि ऐसा अफवाहों के कारण हुआ भी होगा, तो 4 जून के पहले आप खरीदारी कर लेना, बाजार में तेजी आने वाली है.
 

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आसमान से बरसती आग से क्या झुलसेगी भारत की अर्थव्यवस्था, रफ्तार में लग सकता है ब्रेक?

भारत में भीषण गर्मी पड़ रही है. इस झुलसा देने वाली गर्मी का असर अब भारत की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ सकता है. ये गर्मी भारत की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने में बाधा बन सकती है.

Last Modified:
Monday, 20 May, 2024
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उत्तर भारत में आसमान से 'आग' बरस रही है. चिलचिलाती धूप में घर से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है. दिल्ली में शुक्रवार को गर्मी ने 80 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया. मौसम विभाग के अनुसार, शुक्रवार को दिल्ली के नजफगढ़ में तापमान 47.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया जिससे यह देश का सबसे गर्म स्थान बन गया. हीटवेव बढ़ने के साथ ही भारत में अर्थव्यवस्था, स्वास्थ्य और पावर ग्रिड को काफी चुनौती मिल रही है. इससे देश की अर्थव्यवस्था और लोगों की सेहत पर बुरा असर पड़ने की आशंका ज्यादा है. आइए जानते हैं कैसे झुलसाती गर्मी आर्थिक रफ्तार में बाधा बन रही है.

अर्थव्यवस्था में बाधा बन सकती है गर्मी

भीषण गर्मी भारत की अर्थव्यवस्था में बड़ी बाधा बन सकती है. इसका असर भारत की तेजी से बढ़ती जीडीपी पर देखने को मिल सकता है. आर्थिक मोर्चे पर भारत के लिए ये अच्छी खबर नहीं है. जानकारों के मुताबिक, भीषण गर्मी में सबसे बड़ी समस्या काम करने में आएगी. रिपोर्ट्स बताती हैं कि अभी 10 फीसदी से भी कम भारतीय घरों में एसी हैं. जलवायु परिवर्तन ने दक्षिण एशिया में 30 दिनों की गर्मी की लहर को 45 गुना ज्यादा गर्म बना दिया है. इसका असर फसलों पर भी देखने को मिलेगा. ये तेजी से बढ़ता तापमान दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाओं के लिए खतरा है, लेकिन भारत में कुछ कारण इस खतरे को और बढ़ा रहे हैं. इसमें कृषि, खनन, निर्माण और परिवहन आदि शामिल हैं, और यह जीडीपी के 150-250 बिलियन डॉलर को प्रभावित कर सकता है.

हीटवेव बढ़ने से पड़ेगा असर

भारत भीषण गर्मी के प्रति जितना संवेदनशील है उससे देश की अर्थव्यवस्था और लोगों की सेहत पर बुरा असर पड़ने की आशंका ज्यादा है. इसका असर गरीबों पर ज्यादा पड़ेगा और वही इसका अधिकतम नुकसान भी झेलेंगे. एक रिसर्च बताती है कि गर्मी और उमस की परिस्थितियों की वजह से दुनियाभर में मजदूरों की कमी होगी और भारत इस मामले में शीर्ष 10 देशों में शामिल होगा जिसके चलते उत्पादकता पर असर भी पड़ेगा. भारत में काम करने वाले कामगारों का तीन चौथाई हिस्सा भीषण गर्मी वाले सेक्टर में काम करते हैं जिनका कि देश की कुल जीडीपी में आधे का योगदान होता है. 

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गर्मी से बढ़ेंगी चुनौतियां

गर्मी बढ़ने पर भारत के लिए चुनौतियां और बढ़ जाएंगी. मौजूदा समय में करीब 10% भारतीय घरों में एयर कंडीशनर हैं, जो 2037 तक केवल 40% तक बढ़ने का अनुमान है. ऐसी स्थिति में, भारत को गर्मी की लहर के दौरान जनता के लिए कोल्ड शेल्टर तैयार करने पड़ सकते हैं. वहीं भीषण गर्मी की वजह से निर्माण कार्य शाम को करने पड़ सकते हैं. ऐसे में गर्मी के असर को कम करने के लिए भारत को कुछ कदम उठाने होंगे. इसमें सबसे आसान उपाय पेड़ों की संख्या बढ़ाना है. हालांकि एक अच्छी बात यह है कि चूंकि भारत में अभी भी बहुत ज़्यादा निर्माण कार्य चल रहा है, इसलिए नियोजन और डिजाइन में जलवायु जोखिम को कम करने का अवसर है.

फसलों का होता है नुकसान

भीषण गर्मी की वजह से खेती से होने वाली आमदनी में कमी आती है. ऐसा गरीब किसान के साथ ज्यादा होता है. संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) की एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि भीषण गर्मी के दिनों में गैर गरीब किसान के मुकाबले गरीब किसान परिवारों की आमदनी में 2.4 प्रतिशत का नुकसान होता है, जो उनकी फसलों से होने वाली आय का 1.1 प्रतिशत और गैर कृषि आय का 1.5 प्रतिशत होता है. FAO की यह रिपोर्ट भारत सहित दुनिया के 23 निम्न एवं मध्यम आय वाले देशों (LMIC) में एक लाख से अधिक परिवारों के सामाजिक-आर्थिक आंकड़ों के विश्लेषण पर आधारित है.

क्या प्रभावी हो सकता है HAP?

भारत की केंद्र सरकार हीटवेव से प्रभावित 23 राज्यों के और 130 शहरों और जिलों के साथ मिलकर देशभर में हीट एक्शन प्लान HAP लागू करने का काम कर रही है. पहला हीट एक्शन प्लान साल 2013 में अहमदाबाद म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन ने लॉन्च किया था और आगे चलकर इस क्षेत्र में यही टेम्पलेट बन गया. HAP अहम भूमिका निभाते हैं ताकि व्यक्तिगत और समुदाय के स्तर पर जागरूकता फैलाई जा सके और हीटवेव की स्थिति में लोगों को सुरक्षित रखने के लिए सही सलाह दी सके. इसमें, कम समय और ज्यादा समय के एक्शन का संतुलन रखा जाता है. कम समय वाले HAP प्राथमिक तौर पर हीटवेव के प्रति तात्कालिक उपाय देते हैं और भीषण गर्मी की स्थिति में त्वरित राहत दिलाते हैं.

तीसरी अर्थव्यवस्था बनने की ओर भारत

भारत दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की लिस्ट में अभी 5वें नंबर पर है. आईएमएफ के अनुमान के मुताबिक 2027 तक भारत टॉप तीन में पहुंच सकता है. जापान और जर्मनी आर्थिक मोर्चे पर संघर्ष कर रहे हैं जबकि भारत की इकॉनमी रॉकेट की रफ्तार से बढ़ रही है. पिछले साल भारत की इकॉनमी सबसे तेजी से बढ़ी थी और आईएमएफ के मुताबिक अगले दो साल भी ऐसा ही अनुमान है.
 


आखिर कौन बनेगा देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक का चेयरमैन, इन नामों की हो रही है चर्चा

SBI के मौजूदा चेयरमैन अगस्‍त में रिटायर हो रहे हैं. मंगलवार को इस पद के लिए होने वाले साक्षात्‍कार में माना जा रहा है कि इसका नतीजा भी उसी दिन आ जाएगा. 

Last Modified:
Monday, 20 May, 2024
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देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक के मौजूदा चेयरमैन दिनेश खारा 21 अगस्‍त को रिटायर्ड हो रहे हैं. लेकिन उससे पहले देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक के नए चेयरमैन की तलाश को लेकर अभियान शुरू हो चुका है. 21 मई यानी मंगलवार को फाइनेंशियल सर्विसेज इंस्‍टीट्यूशन ब्‍यूरो (FSIB) इस पद के लिए इंटरव्‍यू करने जा रहा है. माना जा रहा है मंगलवार को एसबीआई को नया चेयरमैन मिल जाएगा. 

कौन हैं इस पद के सबसे प्रबल दावेदार? 
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, 21 मई को होने वाले इस साक्षात्‍कार का का नतीजा उसी दिन घोषित कर दिया जाएगा. जिन लोगों का इस पद के लिए इंटरव्‍यू होने जा रहा है उनमें एसबीआई के तीन मौजूदा डायरेक्‍टर शामिल हैं. उनमें सीएस शेट्टी, अश्विनी कुमार तिवारी और विनय एम टोंसे जैसे नाम शामिल हैं. कंपनी के चौथे निदेशक आलोक कुमार तिवारी जून में रिटायर हो रहे हैं. FSIB ही वो संस्‍था है जो देश में पब्लिक सेक्‍टर की फाइनेंशियल इंस्‍टीटयूशन के लिए सीनियर एक्‍जीक्‍यूटिव की नियुक्ति करती है. 

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जानिए किस निदेशक को है कितना अनुभव? 
एसबीआई के चेयरमैन के लिए जिन तीन लोगों का इंटरव्‍यू होने जा रहा है उनमें सीएस शेट्टी सबसे अनुभवी निदेशक हैं. उन्‍हें इस बैंक में 36 सालों का अनुभव है. अश्विनी कुमार तिवारी वो निदेशक हैं जो 57 साल के हैं और वो इस पैनल के सबसे युवा निदेशक हैं. इसी तरह से विनय एम टोंसे वो शख्‍स हैं जो एसबीआई के साथ 2023 में ही जुड़े हैं. उन्‍होंने नवंबर में ही बतौर पर मैनेजिंग डायरेक्‍टर ज्‍वॉइन किया है. उन्‍होंने भी बैकिंग सेक्‍टर को 1988 में बतौर बैंक पीओ ज्‍वॉइन किया था.

नए चेयरमैन के सामने आखिर क्‍या होगी चुनौती? 
तीन उम्‍मीदवारों में से जिसे भी चेयरमैन की जिम्‍मेदारी मिलेगी उसके सामने एसबीआई की मौजूदा ग्रोथ को बनाए रखने के साथ उसे और आगे ले जाने की चुनौती भी होगी. दिनेश खारा की प्रमुख उपलब्धियों में एसबीआई के शेयर की स्थिति पहले के मुकाबले कई गुना बढ़ी है. एसबीआई का शेयर 250 रुपये से आज 820 रुपये के स्‍तर पर आ चुका है. वहीं बैंक की चौथी तिमाही के नतीजों पर नजर डालें तो 23.98 प्रतिशत का मुनाफा कमाया है. पहले जहां ये 16695 रुपये हुआ करता था वहीं अब ये 20698 करोड़ रुपये हो चुका है. कंपनी ने ब्‍याज से जो आय कमाई है उसमें 19.46 प्रतिशत का इजाफा हुआ है. पूरे क्‍वॉर्टर में ये आय 1.11 लाख करोड़ रुपये रही है. 
 


ब्रिटेन के सबसे अमीर शख्स Gopichand Hinduja के बारे में कितना जानते हैं आप?

हिंदुजा समूह के चेयरमैन गोपीचंद हिंदुजा लगातार छठवीं बार ब्रिटेन के सबसे अमीर व्यक्ति बने हैं.

Last Modified:
Monday, 20 May, 2024
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भारतीय मूल के ब्रिटिश बिजनेसमैन गोपीचंद हिंदुजा (Gopichand Hinduja) ब्रिटेन के सबसे अमीर शख्स बन गए हैं. हालांकि, उनके लिए यह कोई नई बात नहीं है. यह लगातार छठा मौका है जब उन्हें खिताब दिया गया है. 'संडे टाइम्स रिच लिस्ट' के मुताबिक, हिंदुजा परिवार की नेटवर्थ 37.196 अरब पाउंड है. पिछले एक साल के दौरान में इसमें 2.196 अरब पाउंड का इजाफा हुआ है. गोपीचंद हिंदुजा 'हिंदुजा ग्रुप' (Hinduja Group) के चेयरमैन हैं. 

भारत में छह कंपनियां हैं लिस्टेड
गोपीचंद हिंदुजा को जीपी के नाम से भी जाना जाता है. 1940 में भारत में जन्मे GP पिछले साल बड़े भाई श्रीचंद हिंदुजा की मौत के बाद से हिंदुजा ग्रुप के चेयरमैन की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. गोपीचंद ने मुंबई के जैन हिंद कॉलेज से 1959 में ग्रेजुएशन किया और फिर फैमिली बिजनेस का हिस्सा बन गए. आज हिंदुजा ग्रुप का कारोबार 48 देशों में फैला है. 150,000 से अधिक कर्मचारियों वाले इस समूह की भारत में छह लिस्टेड कंपनियां हैं. दिग्गज ऑटो कंपनी अशोक लीलैंड्स (Ashok Leyland) और प्राइवेट सेक्टर का इंडसइंड बैंक (IndusInd Bank) इसी समूह का हिस्सा हैं. समूह की बाकी लिस्टेड कंपनियों में GOCL Corporation, Gulf Oil Lubricants India, Hinduja Global Solutions और NDL Ventures शामिल हैं.

कई सेक्टर्स में फैला है कारोबार 
हिंदुजा समूह की नींव वैसे तो परमानंद हिंदुजा ने 1914 में रखी, लेकिन गोपीचंद ने अपने भाइयों के साथ मिलकर इसे बुलंदियों पर पहुंचाया. आज समूह का कारोबार कई अलग-अलग सेक्टर्स में फैला हुआ है. इसमें IT, ऑटो, मीडिया, ऑयल एंड स्पेशिएल्टी केमिकल्स, बैंकिंग एंड फाइनेंस, पावर जनरेशन, रियल एस्टेट और हेल्थकेयर प्रमुख हैं. हिंदुआ समूह ने ही अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस कैपिटल को खरीदा है. जूनियर अंबानी की इस कर्ज में डूबी कंपनी को खरीदने की दौड़ में कई दिग्गज शामिल थे, लेकिन बाजी हिंदुजा समूह के हाथ लगी. 

ईरान से भी रहा है गहरा संबंध
जिस ईरान को लेकर इस समय पूरी दुनिया में चर्चा है, वहां 1919 में हिंदुजा समूह की मौजूदगी थी. करीब 60 सालों तक ईरान ही इस समूह का हेडक्वार्टर रहा, लेकिन 1979 में इस्लामिक क्रांति के चलते हिंदुजा ग्रुप ने ब्रिटेन को अपना ठिकाना बनाया. ब्रिटेन की राजधानी लंदन को समूह ने अपने मुख्यालय बनाया. इस ग्रुप की शुरुआत भले ही मर्चेंट बैंकिंग और ट्रेड से हुई थी, मगर आज कई सेक्टर्स में मौजूद है. 1971 में परमानंद दीपचंद के निधन के बाद गोपीचंद हिंदुजा ने भाइयों के साथ मिलकर कारोबार को आगे बढ़ाया. 

छोटे भाई भारत में हैं चेयरमैन 
भारत के ऑटो सेक्टर में समूह की कंपनी अशोक लीलैंड का अपना एक अलग स्थान है. इस कंपनी ने 1997 में देश की पहली CNG बस उतारी थी. 1994 में हिंदुजा ग्रुप की भारत के बैंकिंग सेक्टर में IndusInd Bank के रूप में एंट्री हुई. हिंदुजा ग्लोबल सॉल्यूशंस और गल्फ ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड समूह की दो प्रमुख कंपनियां हैं. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कारोबार का मालिकाना हक सामूहिक रूप से सभी चार भाइयों - श्रीचंद, गोपीचंद, प्रकाश और अशोक के पास रहा है. भाइयों में श्रीचंद पी हिंदुजा सबसे बड़े थे, जिनका पिछले साल निधन हो गया. सबसे छोटे भाई अशोक भारत में हिंदुजा ग्रुप के चेयरमैन हैं.
 


विमान बनाने वाली इस कंपनी पर आखिर चीन ने क्यों लगाए प्रतिबंध? क्या और बढ़ने वाला है तनाव?

ताइवान को लेकर अमेरिका और चीन के बीच तनाव की स्थिति पहले से ही खराब थी लेकिन इस पूरे मामले ने दोनों देशों के बीच इस तनाव को एक शिखर पर पहुंचा दिया है. 

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Monday, 20 May, 2024
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अमेरिका और चीन के बीच चला आ रहा तनाव कम होने का नाम नहीं ले रहा है. अब इस मामले में ताजा तनाव तब देखने को मिला है जब चीन ने अमेरिका की तीन कंपनियों पर बैन लगा दिया है. चीन के द्वारा लगाए गए इस बैन का असर ये होगा कि आने वाले दिनों में अब ये तीनों अमेरिकी कंपनियां चीन में नया निवेश नहीं कर पाएंगी. चीन ने इन कंपनियों के सीनियर अधिकारियों के वर्क परमिट को भी रद्द कर दिया है. 

आखिर क्‍या है ये पूरा मामला 
अमेरिका की ओर से जिन तीन कंपनियों पर बैन लगाया गया है उनमें 
जनरल एटोमिक एयरोनॉटिकल सिस्‍टम शामिल है जिसे अविश्‍वनीय कंपनियों की सूची में डाल दिया है. बाकी दो कंपनियों में जनरल डॉयनैमिक लैंड सिस्‍टम और बोइंग डिफेंस शामिल है. दरअसल इस तनाव की शुरुआत अमेरिका के द्वारा चीन के सामान पर 25 प्रतिशत इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाने के बाद हुई है. अमेरिका के द्वारा लगाई गई 25 प्रतिशत इस ड्यूटी के कारण अब चीन से अमेरिका आने वाले स्‍टील और एल्‍यूमिनियम  पर 25 प्रतिशत, सेमीकंडक्‍टर पर 50 प्रतिशत, इलेक्‍ट्रॉनिक व्हिकिल पर 100 प्रतिशत और सोलर पैनल पर 50 प्रतिशत का चार्ज लगाया गया है. माना जा रहा है कि अमेरिका ने ये कदम इसलिए उठाया है क्‍योंकि चीन इन सामानों के उद्योगों को लेकर अपना वर्चस्‍व कायम करना चाहता है. 

बाइडन ने इस मामले को लेकर किया ट्वीट 
इस बैन की जानकारी खुद अमेरिका के राष्‍ट्रपति जो बाइडेन ने X पर पोस्‍ट करके दी है. उन्‍होंने ट्वीट करते हुए कहा कि 
मैंने अभी-अभी चीन में बनी वस्तुओं पर कई प्रकार के टैरिफ लगाए हैं: 
स्टील और एल्यूमीनियम पर 25%,
सेमीकंडक्‍टर(अर्धचालकों) पर 50%,
ईवी पर 100%,और सौर पैनलों पर 50%. 
चीन इन उद्योगों पर अपना दबदबा बनाने पर आमादा है.
मैं यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हूं कि अमेरिका उनमें विश्व का नेतृत्व करे.  

अपनी स्‍पीच में बाइडेन ने कही ये अहम बात 
जो बाइडेन ने इस मामले में व्‍हाइट हाउस में दी गई एक स्‍पीच में जो बातें कहीं वो बता रही हैं कि बाइडेन चुनाव से पहले अमेरिका के हितों को लेकर माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं. उन्‍होंने कहा कि कुछ समय के लिए ये प्रतिस्‍पर्धा सही है लेकिन लंबे समय के लिए इसे बिल्‍कुल सही नहीं कहा जा सकता है. उन्‍होंने कहा कि अमेरिकी कर्मचारी किसी से भी आगे निकल सकते हैं. ये टैरिफ पिछले राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप के द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के टॉप पर आते हैं. वहीं अमेरिका के इन टैरिफ के बाद चीन ने कहा कि वो अपने हितों को लेकर काम करेगा. 


सरकारी खजाने में आएंगे करोड़ों रुपये, RBI जल्द कर सकता है डिविडेंड का ऐलान

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) सरकार को एक बड़ा डिविडेंड ट्रांसफर करने की योजना बना रहा है. इससे केंद्र के खजाने में काफी बढ़ोतरी होगी.

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Monday, 20 May, 2024
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भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) सरकार को एक बड़े डिविडेंड (लाभांश) देने की योजना बना रहा है. ये राशि इतनी अधिक होगी कि इससे केंद्र सरकार के खजाने में काफी बढ़ोतरी होने की संभावना है. ऐसे में वित्त वर्ष 2024-25 सरकारी खजाने के लिए शानदार साबित हो सकता है. वहीं, पिछले हफ्ते ही आरबीआई ने ट्रेजरी बिल के माध्यम से सरकार की उधारी में 60,000 करोड़ रुपये की भारी कटौती की घोषणा भी की है. तो चलिए अब जानते हैं आरबीआई सरकार को कब और कितना डिविडेंड देने जा रहा है? 

कब मिलेगा डिविडेंड?
जानकारी के अनुसार आरबीआई मई के अंत तक डिविडेंड की घोषणा कर सकती है. इससे पहले RBI ने पिछले हफ्ते सरकारी ट्रेजरी बिल की नीलामी की समयसीमा में बदलाव का ऐलान किया था. साथ ही ट्रेजरी बिल के लिए ली जाने वाली उधारी की राशि में भी करीब 60 हजार रुपये की अहम कटौती का ऐलान किया है. बता दें, ट्रेजरी बिल एक तरह से शॉर्ट टर्म अवधि बॉन्ड होते हैं.सरकार इन ट्रेजरी बिल को जारीकर बाजार से पैसे उधार लोती है. इनकी ट्रेजडी बिल की मैच्योरिटी अवधि आमतौर पर 90 दिन, 182 दिन और 364 दिन की होती है.

कितना मिलेगा डिविडेंड?
जानकारी के अनुसार सरकार के लोन मैनेजर के रूप में आरबीआई सरकारी खजाने में करीब 1 लाख करोड़ रुपये ट्रांसफर करने की योजना बना रहा है. इसके अतिरिक्त आरबीआई ने आगामी ऑपरेशन की सफलता सुनिश्चित करने के लिए सरकार की पिछली उधारी के 60,000 करोड़ रुपये समय से पहले चुकाने की योजना बना रही है.

केंद्र वित्तीय स्थिति होगी मजबूत
एक्सपर्ट्स के अनुसार इन घटनाक्रमों से यह भी पता चलता है कि केंद्र की वित्तीय स्थिति में जल्द ही काफी सुधार देखने को मिल सकता है. यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की मुख्य आर्थिक सलाहकार कनिका पसरीचा ने हाल ही में एक रिसर्च नोट में कहा है कि हम उम्मीद करते हैं कि आरबीआई वित्त वर्ष 2025 में सरकार को 1,000 अरब रुपये (1 लाख करोड़ रुपये) का सरप्लस अमाउंट ट्रांसफर करेगा.
 

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पिछले वर्ष सरकारी खजाने में आए थे 87 हजार 400 करोड़
इससे पहले रिजर्व बैंक ने पिछले वित्त वर्ष में सरकारी खजाने को 87 हजार 400 करोड़ रुपये ट्रांसफर किया था. यूनियन बैंक की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इस वित्त वर्ष में भी डिविडेंड से मिलने वाली रकम उसी तरह बजट अनुमान से ज्यादा रह सकती है, जैसे पिछले वित्त वर्ष में निकली थी.
 


40 साल बाद फिर अंतरिक्ष पहुंचा भारतीय, जानिए कौन हैं वो शख्स और क्या है मिशन?

जेफ बेजॉस ने अपने स्पेस टूरिज्म बिजनेस को एक बार फिर शुरू किया है. 6 लोगों को न्यू शेपर्ड रॉकेट से स्पेस भेजा है. इन 6 लोगों में से एक आंध्र प्रदेश के गोपी थोटाकुरा भी हैं.

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Monday, 20 May, 2024
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बिजनेसमैन और पायलट गोपी थोटाकुरा, अमेजन के संस्थापक जेफ बेजोस के ब्लू ओरिजिन के एनएस -25 मिशन पर एक पर्यटक के रूप में अंतरिक्ष में जाने वाले पहले भारतीय बन गए. थोटाकुरा को एनएस-25 मिशन के लिए चालक दल के छह सदस्यों में से एक के रूप में चुना गया था, जिससे वह 1984 में भारतीय सेना के विंग कमांडर राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष में जाने वाले पहले भारतीय अंतरिक्ष पर्यटक और दूसरे भारतीय बन गए.

गोपी थोटाकुरा के साथ 5 और लोग गए

गोपी थोटाकुरा के अलावा ब्लू ओरिजिन ने 5 और लोगों को स्पेस में घूमने के लिए भेजा है. इनमें मेसन एंजेल, सिल्वेन चिरोन, केनेथ एल. हेस, कैरोल स्कॉलर, गोपी थोटाकुरा और अमेरिका में पूर्व एयरफोर्स कैप्टन एड ड्वाइट शामिल हैं. कंपनी ने सोशल मीडिया पर बताया कि ब्लू ओरिजिन की सातवीं ह्यूमन स्पेसफ्लाइट NS-25 रविवार सुबह पश्चिम टेक्सास में लॉन्च साइट वन से रवाना हुई. इसके पहले भी ब्लू ऑरिजिन ने न्यू शेपर्ड रॉकेट पर 31 लोगों को स्पेस की सैर कराई है. इस रॉकेट का नाम पहले अंतरिक्ष में जाने वाले अमेरिकी यात्री एलन शेपर्ड के नाम पर रखा गया था.   

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कौन हैं गोपी थोटाकुरा?

गोपी स्पेस में बतौर टूरिस्ट बनकर जाने वाले पहले भारतीय बन गए हैं. वह 1984 में भारतीय सेना के विंग कमांडर राकेश शर्मा के बाद स्पेस में जाने वाले दूसरे भारतीय भी बन चुके हैं. थोटाकुरा पेशे से एक बिजनेसमैन हैं और एक पायलट हैं. वह प्रिजर्व लाइफ कॉर्प नाम की कंपनी के को-फाउंडर हैं. अमेरिका के जॉर्जिया की यह कंपनी वेलनेस और हेल्थ के क्षेत्र में काम करती है. गोपी अंतरराष्ट्रीय मेडिकल जेट पायलट के रूप में काम कर चुके हैं.

कहां से पढ़ें हैं गोपी थोटाकुरा

गोपी थोटाकुरा ने बेंगलुरु स्थित प्राइवेट स्कूल सरला बिड़ला अकादमी में पढ़ाई की. स्कूली पढ़ाई पूरी होने के बाद उन्होंने फ्लोरिडा के डेटोना बीच में एम्ब्री-रिडल एरोनॉटिकल यूनिवर्सिटी से एयरोनॉटिकल साइंस में ग्रेजुएट की डिग्री हासिल की. इसके साथ उन्होंने दुबई में एमिरेट्स एविएशन यूनिवर्सिटी में एविएशन मैनेजमेंट की पढ़ाई की है. ब्लू ओरिजिन के अनुसार, कॉमर्शियल जेट के अलावा गोपी बुश, एरोबेटिक और सीप्लेन, ग्लाइडर और हॉट एयर बैलून भी उड़ाते हैं.

पहले भी बिजनेस मैन कर चुके है अंतरिक्ष यात्रा 

ब्लू ऑरिजिन से लोगों को स्पेस का टूर कराने वाले अरबपति और अमेजन के मालिक जेफ बेजोस 20 जुलाई 2021 में खुद स्पेस ट्रैवल करके आए थे. बेजोस के साथ उनके भाई मार्क, 18 साल के डच टीनेजर ओलिवर डेमेन और 82 साल की वैली फैंक शामिल थीं. ये लोग 10 से 12 मिनट तक स्पेस में रहे थे. इस उड़ान के बाद उन्होंने स्पेस टूरिज्म की शुरूआत की थी. इसके अलावा ब्रिटिश अरबपति रिचर्ड ब्रैन्सन के वर्जिन स्पेस शिप (VSS) यूनिटी स्पेसप्लेन की फ्लाइट सफल रही थी, वे 85 किमी तक गए थे.
 


‘आइसक्रीम मैन’ ने दुनिया को कहा अलविदा, पीछे छोड़ गए हैं करोड़ों की दौलत

कर्नाटक के छोटे से शहर मुल्की में फल बेचने वाले रघुनंदन कामत ने मुंबई आकर रेस्टोरेंट में काम किया. फिर पाव भाजी और आइसक्रीम बेचकर आज 400 करोड़ रुपये की कंपनी खड़ी कर दी है.

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Monday, 20 May, 2024
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देश के आइसक्रीम मैन नाम से मशहूर रघुनंदन कामथ का निधन हो गया. वह देश की बड़ी आइसक्रीम चेन Naturals Ice Cream के मालिक और फाउंडर थे. उनकी उम्र 75 साल थी. बीते कुछ दिनों से वह बीमार चल रहे थे. शुक्रवार को उन्होंने मुंबई के एचएन रिलायंस फाउंडेशन अस्पताल में अंतिम सांस ली. रघुनंदन कामथ के निधन की जानकारी कंपनी के सोशल मीडिया हैंडल से शनिवार रात को दी गई. कंपनी की ओर से किए गए पोस्ट में कहा गया है कि नेचुरल्स आइसक्रीम के फाउंडर, रघुनंदन कामथ का निधन हो गया है. वास्तव में यह हमारे लिए बहुत दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण दिन है.

कहां हुआ था जन्म

रघुनंदन कामथ का जन्म कर्नाटक के मंगलुरु के एक गांव में हुआ था. वह 6 भाई बहनों में एक थे. उनके पिता एक फल विक्रेता थे.छोटी ही उम्र में उन्होंने अपने पिता का साथ देना शुरू कर दिया था. जहां उन्होंने फलों को लेकर कई बारीकियां अपने पिता से सीखी, जो उनके लिए आने वाले समय में काफी काम आईं. 14 साल की उम्र में, उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी. मुंबई आकर अपने भाई के रेस्तरां में काम करना शुरू कर दिया. उसके कुछ दिनों के बाद उन्होंने अपनी राह को अलग कर लिया.

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ऐसे बनें देश के आइसक्रीम मैन

14 फरवरी 1984 को उन्होंने कुछ लोगों के साथ मिलकर आइसक्रीम का बिजनेस शुरू किया. उन्होंने जुहू में एक आइसक्रीम पार्लर की शुरूआत की. सबसे पहले उन्होंने 12 फ्लेवर्स की आइसक्रीम रखी. जल्द ही आइसक्रीम की डिमांड में बढ़ती गई. करीब 10 साल के बाद उन्होंने 1994 में 5 और आउटलेट ओपन किए. मौजूदा समय में नेचुरल आइसक्रीम के 15 शहरों में 165 से अधिक आउटलेट हैं. खास बात तो ये है कि उन्होंने आइसक्रीम बनाने की तकनीक अपनी मां से सीखी थी. कामथ ने प्रोडक्शन को बेहतर करने के लिए नई मशीनें भी तैयार कराई थी. जिसका उन्हें काफी फायदा हुआ.

नेचुरल स्वाद बना ग्राहकों की पहली पसंद

अपने फ्लवेर की सफलता और जनता की सकारात्मक प्रतिक्रिया से उत्साहित होकर, रघुनंदन श्रीनिवास ने खुद को पूरी तरह से आइसक्रीम इंडस्ट्री के लिए समर्पित करने का फैसला किया. इस दौरान उन्होंने अपने प्रोडक्ट की गुणवत्ता में काफी सुधार किया. समय के साथ, नेचुरल्स एक सिंगल स्टोर से पूरे देश में फैल गया. 2020 तक भारत भर में 135 स्थानों पर नेचुरल्स आइसक्रीम पहुंच गई थी. नेचुरल्स आइसक्रीम की सफलता का एक प्रमुख कारण आर्टिफिशियल टेस्ट की जगह नेचुरल स्वाद है. इसी वजह से ये आइसक्रीम पसंद करने वालों की पहली चॉइस हो गई.

400 करोड़ रुपये की हो गई कंपनी

कंपनी का रेवेन्यू लगभग 400 करोड़ रुपये से ज्यादा हो गया था. अपने प्रोडक्ट्स में आर्टिफिशियल टेस्ट की जगह नेचुरल स्वाद पेश करने वाले रघुनंदन श्रीनिवास कामथ के आइसक्रीम ब्रांड की सफलता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि फल विक्रेता के बेटे को देश में 'आइसक्रीम मैन ऑफ इंडिया' के नाम से पहचाना जाने लगा. बहरहाल अब, रघुनंदन दुनिया को अलविदा कह चुके हैं, लेकिन उन्होंने नेचुरल्स आइसक्रीम के जरिए जो स्वाद लोगों को दिया, वो हमेशा उनकी याद दिलाता रहेगा.