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EX-RBI गवर्नर ने लगाया कांग्रेस सरकार के इन नेताओं पर आरोप, बनाते थे दबाव
सबसे दिलचस्प बात ये है कि वो अपनी किताब में ये तक कहते है कि उन पर ब्याज दरों को कम करने से लेकर महंगाई को लेकर कम अनुमान लगाने का दबाव बनाया गया.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 month ago
लोकसभा चुनावों में पहले चरण के मतदान से पहले पूर्व गवर्नर डी सुब्बाराव की किताब में कांग्रेस के दो बड़े नेताओं पी चिदंबरम और प्रणव मुखर्जी को लेकर कई खुलासे किए गए हैं.उन्होंने अपनी किताब में कहा है कि दोनों बड़े नेता आरबीआई के कामकाज ब्याज दरों को कम करने के लिए उन पर दबाव बनाते थे. उनके इस आरोप ने लोकसभा चुनावों के बीच सनसनी मचा दी है.
आखिर किस किताब में हुआ खुलासा?
RBI के पूर्व गवर्नर डी सुब्बाराव कांग्रेस की सरकार के दौरान 5 सितंबर 2008 से 4 सितंबर 2013 तक रिजर्व बैंक के गवर्नर रहे थे. उन्होंने अपनी किताब ‘who Moved My Intrest Rate’ में कई गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने अपनी किताब में कहा है कि पी चिंदबरम और प्रणव मुखर्जी दोनों नेता ब्याज दरों को लेकर आरबीआई के कड़े रूख से बेहद नाराज थे. उन्होने अपनी किताब में लिखा है कि दोनों नेताओं का मानना था कि रिजर्व बैंक की उंची ब्याज दरें निवेश और विकास को बढ़ाने की दिशा में बड़ा रोड़ा हैं. उन्होंने ये भी कहा है कि ब्याज दरों को कम करने को लेकर उन पर दबाव बनाया जाता था.
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हमारे अनुमानों को दी गई चुनौती
उन्होंने अपनी किताब ‘who Moved My Intrest Rate’ में कहा है कि आरबीआई पर सरकार की ओर से कई बार उसके आंकलन से परे विकास और मुद्रास्फीति के बेहतर अनुमान पेश करने के लिए दबाव डाला. वो अपनी किताब में लिखते हैं कि ‘मुझे एक ऐसा मौका याद है जब प्रणब मुखर्जी वित्त मंत्री थे, मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु और वित्त सचिव अरविंद मायाराम ने हमारे अनुमानों को अपनी धारणाओं और अनुमानों से चुनौती दी थी, जो मुझे लगा कि बिल्कुल आउट ऑफ सलेबस है.
इस स्तर तक हो जाती थी चर्चा
पूर्व आरबीआई गवर्नर डी सुब्बाराव अपनी किताब में कहते हैं कि सबसे ज्यादा उन्हें जिस बात ने परेशान किया वो ये थी कि चर्चा तथ्यात्मक न होकर व्यक्ति विशेष विचारों की ओर बढ़ गई थी, जिसमें सुझाव दिया गया कि रिजर्व बैंक को सरकार के साथ जिम्मेदारी निभाते हुए उच्च ग्रोथ रेट और कम महंगाई दर का अनुमान लगाना चाहिए. उन्होंने ये तक कहा कि ये तक कह दिया गया कि दुनिया भर के केन्द्रीय बैंक सरकार के साथ सहयोग कर रहे हैं लेकिन भारत का आरबीआई कड़ा रूख अपनाए हुए है.
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