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ED की चार्जशीट में आया इस स्मार्टफोन कंपनी का नाम, जानिये क्या है पूरा मामला?
Vivo ने साल 2014 से लेकर 2021 के बीच भारत से बाहर लगभग 1 लाख करोड़ रुपए का काला धन ट्रांसफर किया है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 5 months ago
चीनी स्मार्टफोन निर्माता कंपनी वीवो (Vivo) को लेकर इस वक्त एक काफी बड़ी खबर सामने आ रही है. प्रवर्तन निदेशालय यानी ED ने जानकारी दी है कि वीवो को लेकर संस्था द्वारा काले धन के संबंध में एक जांच की जा रही थी और अब ED ने इस मामले में एक चार्जशीट भी दर्ज कर ली है. इतना ही नहीं, ED ने कंपनी पर PMLA (Prevention Of Money Laundering Act) की विभिन्न धाराओं के तहत चार्ज भी लगा दिए हैं.
क्या है पूरा मामला?
प्रवर्तन निदेशालय (ED) का कहना है कि फर्जी कंपनियों का इस्तेमाल करके वीवो (Vivo) ने साल 2014 से लेकर 2021 के बीच भारत से बाहर लगभग 1 लाख करोड़ रुपए का काला धन ट्रांसफर किया है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अक्टूबर में इसी मामले के संबंध में ED ने लावा इंटरनेशनल कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर (MD) हरी ओम राय को गिरफ्तार कर लिया था. हरी ओम राय के साथ-साथ प्रवर्तन निदेशालय ने चीनी नागरिक गांगवेन उर्फ एंड्रू कुआंग और चार्टर्ड अकाउंटेंट नितिन गर्ग और राजन मलिक को भी गिरफ्तार किया था. इस मामले की जांच की शुरुआत ED द्वारा 2022 में हुई थी और ED ने वीवो इंडिया (Vivo India) और उससे संबंधित लोगों पर पिछले साल जुलाई में छापेमारी भी की थी.
कौन-कौन है जिम्मेदार
इस छापेमारी के बाद प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने दावा किया था कि इस छापेमारी के बाद काले धन के एक प्रमुख रैकेट से पर्दा उठा है और साथ ही यह भी कहा था कि बहुत से चीनी नागरिक और भारतीय कंपनियां इस रैकेट का हिस्सा हैं. बुधवार को दिल्ली में एक विशेष अदालत के सामने दर्ज करवाई गई चार्जशीट में प्रवर्तन निदेशालय ने हरी ओम राय, गांगवेन क्यांग उर्फ एंड्रू कुआंग, नितिन गर्ग और राजन मलिक का नाम दर्ज करवाया है. ED का कहना है कि ये सभी लोग भारत से बड़ी मात्रा में काला धन बाहर ट्रान्सफर करने के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं.
Vivo ने दिया सरकार को धोखा?
इसके साथ ही ED ने यह भी कहा है कि 2014 में वीवो (Vivo) की एंट्री के साथ ही चीनी फोन निर्माता कंपनी ने विविध भारतीय शहरों में 19 अतिरिक्त कंपनियों की शुरुआत की थी और इन सभी कंपनियों के डायरेक्टर चीनी नागरिक थे और भारत में वीवो स्मार्टफोन की पूरी सप्लाई चेन का नियंत्रण भी इन्हीं चीनी नागरिकों की हाथ में था जो कंपनियों के शेयरहोल्डर्स भी थे. अक्टूबर में दर्ज करवाई गई अपनी रिमांड एप्लीकेशन में ED ने आरोप लगाया था कि आरोपी कंपनी वीवो ने भारतीय सरकार को धोखा दिया है और भारत में चीन द्वारा नियिंत्रित किये जाने वाले विभिन्न नेटवर्कों का जाल बिछाया है.
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