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अमेरिका की राह पर यूरोप, बेकाबू महंगाई को रोकने के लिये ECB ने 0.75% बढ़ाई ब्याज दरें
यूरोजोन में भी महंगाई अभी तक के अपने सबसे ऊंचे स्तर पर है. यूरो जोन में सितंबर में महंगाई 9.9% दर्ज की गई थी, जो कि अब तक के इतिहास में सबसे ज्यादा है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
नई दिल्ली: महंगाई को काबू करने की कोशिश में यूरोपियन सेंट्रल बैंक (ECB) ने एक बार फिर ब्याज दरों में भारी भरकम इजाफा कर दिया है. ECB की ब्याज दरों का पूरे यूरोज़ोन में व्यापक असर पड़ता है और यह सीधे उन दरों को प्रभावित करती है जो कमर्शियल बैंक, घरों और कारोबारों को दिये जाते हैं.
We raised interest rates by 0.75 percentage points.
— European Central Bank (@ecb) October 27, 2022
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ECB ने 0.75% बढ़ाईं ब्याज दरें
25-सदस्यीय गवर्निंग काउंसिल ने फ्रैंकफर्ट में एक बैठक में अपने ब्याज दर बेंचमार्क को तीन-चौथाई परसेंट बढ़ा दिया, जो पिछले महीने से रिकॉर्ड इजाफे से मेल खाता है और बढ़ती कंज्यूमर कीमतों को काबू करने के लिए अब ECB भी अमेरिकी फेडरल रिजर्व की तरह ब्याज दरों को लगातार बढ़ाने की प्रक्रिया में शामिल हो गया है. फेडरल रिजर्व ने लगातार तीन बार ब्याज दरों में इजाफा किया है. बीते कई दिनों से इसकी संभावना तो थी कि ECB ब्याज दरों में बढ़ोतरी करेगा लेकिन ये बढ़ोतरी कितनी बड़ी होगी, इसे लेकर कयास चल रहे थे. 0.75% की बढ़ोतरी 2 नवंबर से लागू हो जाएगी. इस बढ़ोतरी के बाद डिपॉजिट फैसिलिटी की दर 0.75% से बढ़कर 1.50% हो जाएगी और मुख्य री-फाइनेंसिंग ऑपरेशंस के लिए दरें या शॉर टर्म लेंडिंग रेट 1.25% से बढ़कर 2% हो जाएंगी. यानी यूरोप में होम लोन, कार लोन, क्रेडिट कार्ड ज्यादा महंगे हो जाएंगे. सरकारों को अपने राष्ट्रीय कर्जों के लिए ज्यादा भुगतान करना होगा, जिससे उनका पब्लिक घाटा और बढ़ जाएगा.
तीन महीने में 2% बढ़ी ब्याज दर
ECB ने केवल तीन महीनों में 19-देशों वाले यूरो क्षेत्र के लिए ब्याज दरों में पूरे 2 परसेंट का इजाफा किया है. ये वह दूरी है जिसको तय करने में साल 2005-07 के दौरान 18 महीने का वक्त लगा था, और 1999-2000 के दौरान 17 महीने लगे थे.ब्याज दरों में बढ़ोतरी के बाद ECB ने की ओर से एक बयान जारी किया गया, जिसमें कहा गया कि महंगाई बहुत अधिक बनी हुई है और लंबे समय तक हमारे लक्ष्य से ऊपर रहेगी. मतलब ये हुआ कि यूरोपीय देशों को ऊंची ब्याज दरों से अगले कई महीनों तक राहत नहीं मिलने वाली है. दुनिया भर के केंद्रीय बैंक ब्याज दरों में लगातार इजाफा कर रहे हैं, जिसकी वजह से कंज्यूमर और बिजनेस के लिये कर्ज महंगा होता जा रहा है. इन केंद्रीय बैंकों का उद्देश्य है ईंधन कीमतों से बढ़ी महंगाई को काबू करना, जो यूक्रेन और रूस की जंग, महामारी के बाद सप्लाई चेन के संकट और कोविड प्रतिबंधों के खत्म होने के बाद डिमांड में सुधार की वजह से आई है.
महंगाई से पूरा यूरो जोन परेशान
दुनिया के दूसरे देशों की तरह ही यूरोजोन में भी महंगाई अभी तक के अपने सबसे ऊंचे स्तर पर है. यूरो जोन में सितंबर में महंगाई 9.9% दर्ज की गई थी, जो कि अब तक के इतिहास में सबसे ज्यादा है. ये मंहगाई ECB के लक्ष्य 2% से करीब पांच गुना ज्यादा है. जबकि महंगाई की दर तीन बाल्टिक देशों (Estonia, Latvia, and Lithuania) में 20% से भी ज्यादा है. बढ़ती कीमतों का असर अब खाने पीने की चीजों, अल्कोहल और इंडस्ट्रियल गुड्स-सर्विसेज पर भी पड़ रहा है. ECB की प्रेसिडेंट क्रिस्टीन लेगार्ड का कहना है कि यूरो ज़ोन में आर्थिक गतिविधि "वर्ष की तीसरी तिमाही में काफी धीमी हो सकती है और संभव है कि इस वर्ष के बाकी और अगले वर्ष की शुरुआत में ये और कमजोर हो सकता है. इतना ही नहीं, पिछली तिमाहियों में मजबूत प्रदर्शन के बाद सेवाओं की मांग धीमी हो रही है, और सर्वे बताते हैं कि मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र में नए ऑर्डर कम हो रहे हैं. लेबर मार्केट जो अबतक लचीला था अब 6.6% के निचले स्तर पर है, जो कि ऐतिहासिक गिरावट है. लेगार्ड ने भविष्य में बेरोजगारी दर में भी बढ़ोतरी की ओर इशारा किया है.
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