नरेश कुमार ने कहा कि, ये दो कंपनियां बिजली बनाने वाली अन्य कंपनियों को भुगतान कर रही हैं जो दिल्ली सरकार के न्यायक्षेत्र से बाहर हैं.
दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार ने देश की राजधानी की बिजली कंपनियों पर बकाया पड़ी राशि को लेकर गहरी चिंता जताई है. उन्होंने कहा है कि देश की राजधानी में बिजली सप्लाई करने वाली पांच प्रमुख कंपनियों में से सिर्फ तीन कंपनियां ही नियमित तौर पर बकाया राशि का भुगतान कर रही हैं.
ये कंपनियां नहीं दे रहीं बकाया
दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार ने कहा है कि, अनिल अम्बानी के मालिकाना हक वाली दो बिजली कंपनियां, BYPL और (BSES यमुना पावर लिमिटेड) BRPL (BSES राजधानी पावर लिमिटेड) दिल्ली सरकार की कंपनियों IPGCL (इन्द्रप्रस्थ पावर जनरेशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड), PPCL (प्रगति पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड) और GTL को बकाया राशि का भुगतान नहीं कर रही हैं. BYPL और BRPL पर 23,676 करोड़ रुपयों से ज्यादा की कुल राशि बकाया है.
दिल्ली सरकार पर लगा आरोप
इसके साथ ही नरेश कुमार ने दिल्ली सरकार पर इल्जाम लगाते हुए कहा कि, BYPL और BRPL पर मौजूद 23,676 करोड़ रुपयों के बकाये का भुगतान गैर-आधिकारिक तौर पर आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार द्वारा किया जा रहा है. नरेश कुमार ने कहा कि, ये दो कंपनियां बिजली बनाने वाली अन्य कंपनियों को भुगतान कर रही हैं जो दिल्ली सरकार के न्यायक्षेत्र से बाहर हैं और साथ ही NTPC (नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन) से जुडी अन्य कंपनियों को भी भुगतान कर रही हैं.
कंपनियों ने कम की बिजली बनाने की क्षमता
मुख्य सचिव ने दिल्ली सरकार पर इल्जाम लगाते हुए आगे कहा कि, दिल्ली सरकार की कंपनियों द्वारा बिजली बनाने की क्षमता को 102 मेगावाट तक कम कर दिया गया है जबकि इन कंपनियों के पास 1877 मेगावाट की बिजली बनाने की क्षमता है. फिलहाल यह कंपनियां अपनी क्षमता के केवल 5.4% जितनी बिजली ही बना रही हैं. दिल्ली सरकार की ऊर्जा मंत्री अतिशी द्वारा लगाए गए इल्जामों के जवाब में नरेश कुमार ने कहा कि, आम आदमी पार्टी की नेता कहती हैं कि उन्हें बिजली सप्लाई करने वाली कंपनियों की फाइल नहीं दी जाती जबकि यह फाइलें 15 मार्च को ही उनके ऑफिस में भेज दी गयी थीं.
बिजली पर एक साल और मिलेगी सब्सिडी
आम आदमी पार्टी की नेता अतिशी ने हाल ही में कहा था कि, बिजली सब्सिडी की फाइल आधिकारिक तौर पर दिल्ली सरकार के सामने पेश नहीं की गयी है और साथ ही उन्होंने दावा किया था कि बिजली विभाग के अधिकारियों का कहना है कि, उन पर फ्री बिजली की योजना को रोकने का बहुत ज्यादा दबाव है. मुख्य सचिव द्वारा यह दावे तब सामने आये हैं जब दिल्ली कैबिनेट ने अपनी मीटिंग में बिजली सब्सिडी की योजना को एक साल और आगे बढ़ाने का फैसला किया है. इस योजना को बढाए जाने की घोषणा करते हुए आम आदमी पार्टी की नेता अतिशी ने कहा था कि, आने वाले एक और साल तक दिल्ली के लोगों को हर महीने 200 यूनिट की फ्री बिजली और 200-400 यूनिट का इस्तेमाल करने वालों को 50% की सब्सिडी दी जायेगी.
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टेक स्टार्टअप कंपनी जिलिंगो (Zilingo) की पूर्व को -फाउंडर (Co-Founder) व सीईओ (CEO) अंकिती बोस (Ankiti Bose) ने अपने कंपनी के 2 एग्जिक्यूटिव्स के खिलाफ मुंबई में दो एफआईआर दर्ज कराई है.
टेक स्टार्टअप कंपनी जिलिंगो (Zilingo) की एक्स को-फाउंडर (Co-Founder) अंकिती बोस (Ankiti Bose) ने अपने सहकर्मि कंपनी के 2 एग्जिक्यूटिव्स के खिलाफ मुंबई में एफआईआर (FIR) कराई है. बोस ने एफआईआर में कंपनी के को-फाउंडर और पूर्व चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर (COO) ने उनके साथ ठगी, धोखाधड़ी, डराने-धमकाने सहित यौन उत्पीड़न का भी आरोप लगाया है. आपको बता दें, अपने वेतन में 10 गुना की बढ़ाने सहित इस तरह की बड़ी वित्तीय गड़बड़ियों के चलते मई 2022 में जिलिंगो बोर्ड ने अंकिती बोस को निलंबित कर दिया था.
1 साल बाद फिर सुर्खियों में आई अंकिती बोस
वेंचर कैपिटल इन्वेस्टर महेश मूर्ति के खिलाफ 820 करोड़ रुपये का मानहानि का दावा ठोकने वाली अंकिती बोस एक बार फिर सुर्खियों में आ गई हैं. यह केस 20 अप्रैल 2023 को फाइल किया गया था और अब फिर से टेक्नोलॉजी स्टार्टअप जिलिंगो (Zilingo) की पूर्व को फाउंडर (Co-Founder) व सीईओ (CEO) अंकिती बोस (Ankiti Bose) सोशल मीडिया पर छाई हुई हैं. इसका कारण अंकिती द्वारा जिलिंगो (Zilingo) के को-फाउंडर ध्रुव कपूर और पूर्व चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर (COO) आदि वैद्य के खिलाफ मुंबई में दर्ज कराई एफआईआर का मामला है.
छह पन्नों की शिकायत में लगे ये आरोप
अंकिति बोस ने अपने छह पन्नों की शिकायत में ठगी, धोखाधड़ी, डराने-धमकाने के साथ-साथ यौन उत्पीड़न का भी आरोप लगाया है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अंकिती ने आरोप लगाया है कि कपूर और वैद्य ने वित्तीय लाभ के लिए उन्हें और कंपनी के निवेशकों को गुमराह किया और झूठे आरोपों के तहत उन्हें अपने शेयर और व्यवसाय छोड़ने के लिए मजबूर किया. अंकिती बोस ने शिकायत में कहा कि वैद्य ने उन्हें गलत तरीके से फसाया है और कई पार्टी को उनके नाम पर उधारी दी है. कपूर और वैद्य इन दोनों ने उन्हें किसी दूसरे नंबर से अश्लील और गंदे मैसेज भी भेजे.
2015 में स्थापित हुआ था स्टार्टअप
आपको बता दें, साल 2015 में ध्रुव कपूर के साथ मिलकर अंकिती बोस ने स्टार्ट-अप जिलिंगो (Zilingo) की स्थापना की थी, जो कि फैशन रिटेल सेलर्स का काम करती है, इसने यूनिकॉर्न क्लब में भी जगह बनाई थी. जिलिंगो के फाउंडर्स के बीच हुए विवाद के कारण ही अंकिती बोस को कंपनी के सीईओ पद से हटना पड़ा था. वहीं, साल 2022 में अकाउंट्स में हेरफेर के मामले में दोषी करार देते हुए अंकिती को कंपनी ने बाहर का रास्ता दिखाया था. कंपनी की ओर से कहा गया था कि उन्होंने बिना किसी अप्रूवल और मैनेजमेंट के परमिशन के अपनी सैलरी में 10 गुना इजाफा किया था.
RBI ने प्राइवेट सेक्टर के बड़े बैंक पर कार्रवाई की है. आरबीआई ने बैंक पर एक्शन लेते हुए उसे नए ग्राहक जोड़ने और नए क्रेडिट कार्ड जारी करने से रोक दिया है.
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने कोटक महिंद्रा बैंक के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है. प्राइवेट बैंक पर ऑनलाइन और मोबाइल बैंकिंग के जरिये नए क्रेडिट कार्ड जारी करने पर पाबंदी लगाई गई है. इसके अलावा नए ग्राहकों को जोड़ने पर भी रोक लगा दी गई है. हालांकि, RBI ने यह भी निर्देश दिए हैं कि कोटक महिंद्रा बैंक अपने क्रेडिट कार्ड ग्राहकों सहित अपने मौजूदा ग्राहकों को सेवाएं प्रदान करना जारी रखे.
बैंक पर क्यों लिया एक्शन?
RBI ने आईटी रिस्क मैनेजमेंट, इनफार्मेशन सिक्योरिटी ऑपरेशन में कमी को लेकर यह कार्रवाई की है. RBI के मुताबिक, कोटक बैंक अपने ग्रोथ के साथ आईटी सिस्टम्स को बेहतर करने में विफल रहा है. आरबीआई ने कहा कि ये कार्रवाई साल 2022 और 2023 के लिए रिजर्व बैंक की बैंक की आईटी जांच से उपजी चिंताओं के बाद की है. इनपर समय रहते काम नहीं किया गया. ऐसे में बैंक पर यह एक्शन लिया गया है.
कार्रवाई के बाद RBI ने क्या कहा?
आरबीआई ने कहा कि आईटी इन्वेंट्री मैनेजमेंइ, यूजर्स पहुंच मैनेजमेंट, विक्रेता जोखिम प्रबंधन, आंकड़ों की सुरक्षा और आंकड़ा लीक रोकथाम रणनीति, व्यापार निरंतरता तथा संकट के बाद पटरी पर लौटने की कवायद आदि क्षेत्रों में गंभीर कमियां और गैर-अनुपालन देखे गए. RBI ने कहा कि लगातार दो सालों तक, रेगुलेटरी दिशानिर्देशों के तहत आवश्यकताओं के विपरीत बैंक में आईटी जोखिम और सूचना सुरक्षा संचालन में कमी पाई गई.
अब नहीं निकाल पाएंगे इस बैंक से पैसा, RBI ने लगाए कई प्रतिबंध, आपका तो नहीं है अकाउंट?
अब तक 49 लाख क्रेडिट कार्ड जारी कर चुका है बैंक
1. कोटक महिंद्रा बैंक की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक, देशभर में 49 लाख से ज्यादा क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल किए जा रहे हैं.
2. बैंक के 28 लाख से ज्यादा डेबिट कार्ड एक्टिव हैं.
3. बैंक की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, देशभर में 1780 से ज्यादा ब्रांच हैं और 2023 तक कुल 4.12 करोड़ ग्राहक हैं.
4. कोटक महिंद्रा बैंक में कुल 1 लाख से ज्यादा कर्मचारी काम कर रहे हैं.
5. बात करें रकम की तो बैंक में कुल 3.61 लाख करोड़ रुपये फिलहाल जमा हैं.
क्या ग्राहकों पर पड़ेगा असर?
कोटक महिंद्रा बैंक को तत्काल प्रभाव से अपने ऑनलाइन तथा मोबाइल बैंकिंग के जरिए नए ग्राहकों को जोड़ने और नए क्रेडिट कार्ड जारी करने से रोकने का निर्देश दिया गया है. हालांकि, बैंक अपने मौजूदा क्रेडिट कार्ड धारकों सहित अपने ग्राहकों को सेवाएं प्रदान करना जारी रखेगा.
सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री में फिलहाल ताइवान का दबदबा है. TSMC दुनिया की सबसे बड़ी चिपमेकर कंपनी है.
कोरोना महामारी के दौरान जब पूरी दुनिया ने सेमीकंडक्टर चिप (Semiconductor Chips) की कमी महसूस की, तब कहीं जाकर इसकी अहमियत समझ गई. साथ ही यह भी समझ आया कि इसके लिए किसी एक पर निर्भरता ठीक नहीं है. इसी को ध्यान में रखते हुए भारत सेमीकंडक्टर चिप के मामले में भी आत्मनिर्भर बनने की दिशा में कदम आगे बढ़ा चुका है. पिछले महीने ही सरकार ने 1.26 लाख करोड़ रुपए की अनुमानित लागत वाले सेमीकंडक्टर प्लांट्स (Semiconductor Plants) के तीन प्रस्तावों को मंजूरी दे दी थी. इनमें से 2 गुजरात और एक असम में लगना है.
भारत बनेगा सेमीकंडक्टर हब
टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स और ताइवान की PSMC द्वारा गुजरात के धोलेरा में 91,000 करोड़ रुपए के निवेश से भारत का पहला सेमीकंडक्टर फैब (Semiconductor Fab) शुरू किया जाएगा. तीनों प्लांट के अस्तित्व में आने और उत्पादन शुरू होने से भारत को सेमीकंडक्टर हब बनने में मदद मिलेगी. जाहिर है, जब घर में ही बड़े पैमाने पर चिप बनेंगी, तो उनके लिए इंजीनियरों की भी जरूरत होगी. ऐसे में सरकार को उम्मीद है कि विदेशों में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रहे भारतीय इंजीनियर्स जल्द देश वापस लौटेंगे.
इस आधार पर लगाया अनुमान
एक रिपोर्ट के अनुसार, सरकार को उम्मीद है कि दक्षिण पूर्व एशिया और अमेरिका में काम कर रहे भारतीय सेमीकंडक्टर इंजीनियर बड़ी तादाद में भारत लौट आएंगे. सरकार ने यह अनुमान सेमीकंडक्टर कंपनियों से मिली जानकारी के आधार पर लगाया है. ये इंजीनियर स्वदेश लौटकर नई हाईटेक मैन्युफैक्चरिंग क्रांति का हिस्सा बनेंगे. IT मिनिस्टर अश्विनी वैष्णव का कहना है कि दुनिया भर में सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री उद्योग में कार्यरत वरिष्ठ प्रतिभाओं में करीब 20-25 प्रतिशत भारतीय ही हैं और हमें उम्मीद है कि उनमें से कई देश वापस आएंगे.
यहां से घर लौटेंगे भारतीय
अमेरिका में काम कर रहे ऐसे भारतीय इंजीनियर देश लौटना चाहते हैं, उनमें से अधिकांश युवा हैं. वहीं, ताइवान, सिंगापुर और मलेशिया से वापसी करने के इच्छुक इंजीनियरों की उम्र 45 साल से अधिक है. सेमीकंडक्टर चिप के बढ़ते बाजार में नौकरियों की भरमार है. इस सेक्टर से जुड़ीं कंपनियों को हजारों इंजीनियरों और टेक्नीशियनों की जरूरत है. वैसे, दुनिया में सबसे ज्यादा इंजीनियर भारत से ही निकलते हैं, लेकिन उनके पास सेमीकंडक्टर बनाने का खास अनुभव नहीं है. यही कारण है कि कंपनियां इन प्रतिभाओं को प्रशिक्षित करने के लिए बहुआयामी रणनीति पर काम कर रही हैं. अमेरिकी कंपनी माइक्रॉन गुजरात के साणंद में प्लांट लगा रही है और इस साल दिसंबर तक वहां चिप उत्पादन शुरू हो जाएगा. कंपनी भारत में भर्ती की गई प्रतिभाओं को शुरुआत में मलेशिया, जापान और दक्षिण कोरिया के अपने कारखानों में ट्रेनिंग देगी. इसके बाद उन्हें वापस भारत लाया जाएगा.
फिलहाल ताइवान का दबदबा
गुजरात में बनने वाली सेमीकंडक्टर चिप का इस्तेमाल इलेक्ट्रिक व्हिकल इंडस्ट्रीज, टेलीकॉम, पावर इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे सेक्टर में होगा. इसके साथ ही भारत ग्लोबल चेन का भी हिस्सा बनेगा. यानी एक तरह से भारत दुनिया की चिप संबंधी जरूरतों को भी पूरा करने की स्थिति में आ जाएगा. सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री में फिलहाल ताइवान का दबदबा है. 2020 में इस इंडस्ट्री के वैश्विक रिवेन्यु में ताइवान की कंपनियों की हिस्सेदारी 60% से अधिक थी. Taiwan Semiconductor Manufacturing Co. (TSMC) दुनिया की सबसे बड़ी चिपमेकर कंपनी है. कोरोना महामारी से पहले तक TSMC ग्लोबल मार्केट की 92 फीसदी डिमांड को पूरा कर रही थी. TSMC के क्लाइंट में Apple, Qualcomm, Nvidia, Microsoft, Sony, Asus, Yamaha, Panasonic जैसी दिग्गज कंपनियां शामिल हैं. ताइवान की UMC भी इस सेक्टर की लीडर है.
Bharat को मिलेंगे कई लाभ
एक्सपर्ट्स मानते हैं कि भारत में सेमीकंडक्टर प्लांट शुरू होने से कई लाभ होंगे. पहला, हमारी प्रतिभाओं में इस इंडस्ट्री की अच्छी समझ विकसित होगी. उन्हें अवसरों की तलाश में बाहर नहीं जाना होगा. इसके साथ ही विदेशों में से भारतीय इंजीनियर घर वापसी का मौका तलाश रहे हैं, उनकी तलाश भी पूरी होगी. इसके अलावा, भारत दूसरे देशों की चिप जरूरतों को पूरा करने की स्थिति में भी आ जाएगी. सरल शब्दों में कहें तो भारत अपनों के हाथ मजबूत करने के साथ ही दूसरों की जरूरतों को भी पूरा कर पाएगा. बता दें कि यह बाजार लगातार बड़ा होता जा रहा है. 2027 तक सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री के 726.73 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है.
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने महाराष्ट्र के उल्हासनगर स्थित द कोणार्क अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक (Konark Urban Co operative Bank) की खराब वित्तीय स्थितियों को देखते हुए कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए हैं.
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने एक और को-ऑपरेटिव बैंक पर शिकंजा कसा है. यह महाराष्ट्र के उल्हासनगर स्थित द कोणार्क अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक (Konark Urban Co operative Bank) है। इस बैंक पर पैसा निकालने सहित कई प्रतिबंध लगाए. बैंक पर ये प्रतिबंध उसकी खराब वित्तीय स्थिति को देखते हुए लगाए गए हैं. ऐसे में अब ग्राहक अपने खाते से पैसे नहीं निकाल पाएंगे. तो चलिए जानते हैं कि अब ग्राहक द्वारा जमा राशि का क्या होगा?
इन सब पर रहेगा प्रतिबंध
कोणार्क अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक पर बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 35ए के तहत प्रतिबंध लागू हो गया है. इन प्रतिबंधों के साथ बैंक आरबीआई की अनुमति के बिना किसी भी लोन और एडवांस को मंजूरी नहीं देगा. इसके साथ ही बैंक में अब किसी भी प्रकार का निवेश नहीं होगा. कोई देनदारी हस्तांतरण नहीं कर सकता है या अपनी किसी भी संपत्ति का निपटान नहीं कर सकता है. आरबीआई ने सभी सेविंग अकाउंट और करंट अकाउंट में जमा राशि की निकासी और दूसरे अकाउंट में अमाउंट को ट्रांसफर करने पर रोक लगा दी है. हालांकि, बैंक अभी भी लोन को समायोजित कर सकता है.
ग्राहकों के पैसे का क्या होगा?
आरबीआई ने बताया कि ग्राहक पात्र जमाकर्ता जमा बीमा और क्रेडिट गारंटी निगम (DICGC) से अपनी डिपॉजिट अमाउंट में से 5 लाख रुपये तक के लिए बीमा क्लेम कर सकते हैं. ग्राहक जमा राशि पर बीमा क्लेम करने का हकदार है.
आरबीआई ने क्या कहा?
आरबीआई ने कहा है कि बैंक की वर्तमान नकदी स्थिति को ध्यान में रखते हुए सभी बचत खातों या चालू खातों या जमाकर्ता के किसी अन्य खाते में कुल शेष राशि से कोई भी राशि निकालने की अनुमति नहीं दी जा सकती है. लेकिन लोन को समायोजित करने की अनुमति है. ऋणदाता पर प्रतिबंध को बैंकिंग लाइसेंस रद्द करने के रूप में नहीं समझा जाना चाहिए. इसमें कहा गया है कि बैंक अपनी वित्तीय स्थिति में सुधार होने तक प्रतिबंधों के साथ बैंकिंग कामकाज करना जारी रखेगा.
बैंकों पर लगातार रहती है आरबीआई की नजर
बता दें, आरबीआई समय-समय पर बैंकों की वित्तीय स्थिति की समीक्षा करता रहता है और इसी आधार पर कार्रवाई करता है. कई बार बैंकों पर सख्त प्रतिबंध लगाए जाते हैं तो कई बार लाइसेंस भी रद्द कर दिया गया है.
जेमी डिमन ने कहा कि PM मोदी ने ब्यूरोक्रेटिक सिस्टम को बेहतर किया है. अमेरिका में भी भारत की तरह रिफॉर्म की सख्त जरूरत है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) के कामकाज की तारीफ देश ही नहीं, बल्कि दुनियाभर में होती है. दुनिया के तमाम लीडर्स के साथ-साथ बिजनेसमैन भी PM मोदी की तारीफ कर चुके हैं. इस फेहरिस्त में अब दिग्गज फाइनेंशियल कंपनी JP Morgan के सीईओ जेमी डिमन (Jamie Dimon) का नाम भी जुड़ गया है. जेमी का कहना है कि नरेंद्र मोदी ने भारत में शानदार काम किया है. वह चुनौतियों का डटकर सामना कर रहे हैं.
तीसरी बार जीत संभव
इकोनॉमिक क्लब ऑफ न्यूयॉर्क द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए जेपी मॉर्गन सीईओ ने कहा कि अमेरिका को भी ऐसे ही लीडर की जरूरत है. डिमन ने आगे कहा कि पीएम मोदी ने अपने प्रयासों से 40 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला है. उन्होंने मोदी सरकार के हालिया सुधारों की जमकर प्रशंसा करते हुए कहा कि भारत में 700 मिलियन लोगों के पास बैंक अकाउंट है और पेमेंट सीधे उनके खाते में ट्रांसफर हो रहा है. साथ ही उन्होंने यह उम्मीद भी जता दी कि पीएम मोदी तीसरी बार सत्ता में लौटने वाले हैं.
भारत की जमकर प्रशंसा
डिमन ने कहा ने भारत की तारीफ करते हुए कहा कि वहां अविश्वनीय शिक्षा पद्धति और इंस्फ्रास्ट्रक्टर है. इसके अलावा, उन्होंने भारत के टैक्स सिस्टम की भी प्रशंसा की और कहा कि राज्यों द्वारा अपनाए गए टैक्स सिस्टम में असामनता को खत्म करके मोदी सरकार ने इससे भ्रष्टाचार को समाप्त कर दिया है. JP Morgan के सीईओ ने यह भी कहा कि PM मोदी ने ब्यूरोक्रेटिक सिस्टम को बेहतर किया है. अमेरिका में भी भारत की तरह रिफॉर्म की सख्त जरूरत है.
2006 से से JP के साथ
Jamie Dimon एक अमेरिकी बैंकर और बिजनेसमैन हैं. वह साल 2006 से जेपी मॉर्गन चेज के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं. डिमन ने अपना करियर बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप में मैनेजमेंट कंसल्टेंट के रूप में शुरू किया था. बता दें कि डिमन ने PM मोदी की तारीफ ऐसे समय में की है, जब भारत में लोकसभा चुनाव चल रहे हैं. पहले चरण की वोटिंग हो चुकी है और दूसरे चरण के लिए 26 अप्रैल को मतदान होगा. आखिरी चरण के लिए 1 जून को वोट डाला जाएगा और वोटों की गिनती 4 जून को होगी.
भारत आने की खबरों की बीच एलन मस्क की कंपनी टेस्ला ने ऐलान किया है कि वो कर्मचारियों की छंटनी करने जा रहे हैं.
अरबपति एलन मस्क (Elon Musk) की इलेक्ट्रिक कार कंपनी टेस्ला ने वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही के नतीजों (Tesla Q1 Results) का ऐलान कर दिया है और जनवरी मार्च तिमाही में कंपनी का नेट प्रॉफिट 55 फीसदी तक घटा है. इधर तिमाही नतीजे घोषित किए जा रहे थे, तो दूसरे ओर उससे ठीक पहले कंपनी ने बड़ी छंटनी का ऐलान कर दिया. रिपोर्ट के मुताबिक, कॉस्ट कटिंग का हवाला देते हुए टेस्ला ने 6,000 लोगों को निकालने की तैयारी कर ली है.
2020 के बाद पहली बार घटा रेवेन्यू
सबसे पहले बात कर लेते हैं Tesla के तिमाही नतीजों के बारे में, तो बता दें कि कंपनी का 31 मार्च 2024 को समाप्त पहली तिमाही में नेट प्रॉफिट 1.13 अरब डॉलर रहा, जो एक साल पहले की समान तिमाही में 2.51 अरब डॉलर रहा था. मतलब कंपनी के प्रॉफिट में 55 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है. मुनाफा घटने के साथ टेस्ला के रेवेन्यू (Tesla Revenue Fall) में भी साल 2020 के बाद पहली बार गिरावट दर्ज की गई है.
4 महीने में मस्क को 62 अरब डॉलर का घाटा
टेस्ला के शेयरों में बीते कुछ समय में तेज गिरावट देखने को मिली है और इसका असर कंपनी के मालिक एलन मस्क (Tesla CEO Elon Musk) की नेटवर्थ पर भी देखने को मिला. संपत्ति घटने के चलते पहले उनसे दुनिया के नंबर एक अमीर का ताज छिन गया और फिर मस्क अमीरों की लिस्ट में खिसकते हुए चौथे पायदान पर आ गए. ब्लूमबर्ग बिलेनियर्स इंडेक्स (Bloomberg Billionaires Index) के मुताबिक, उनकी नेटवर्थ घटकर 166 अरब डॉलर रह गई है. इस साल 2024 में एलन मस्क को 62 अरब डॉलर से ज्यादा का नुकसान हो चुका है.
छंटनी पर एलन मस्क ने क्या कहा?
एलन मस्क (Elon Musk) ने ये कहा है कि नई टेस्ला गाड़ियों को बनाने का काम 2024 के अंत या 2025 की शुरुआत में शुरू हो जाएगा. उन्होंने ये भी कहा कि इन गाड़ियों के बनने के लिए किसी नए कारखाने या बड़ी प्रोडक्शन लाइन की जरूरत नहीं है. उन्होंने निवेशकों को ये भी सन्देश दिया कि जो लोग नहीं मानते कि टेस्ला खुद चलने वाली गाड़ियों की टेक्नॉलजी को ठीक कर लेगी, तो उन्हें टेस्ला में पैसा नहीं लगाना चाहिए.
भारत को अभी करना होगा इंतजार
सरकार की नई ईवी पॉलिसी के बाद टेस्ला के लिए भारतीय बाजार की राह आसान हो गई है. माना जा रहा है कि कंपनी इस साल के आखिर तक कुछ सस्ती इलेक्ट्रिक कारों के साथ भारतीय बाजार में दस्तक देगी. इस बीच, कंपनी भारत में अपना प्लांट लगाने पर भी काम कर रही है. अब टेस्ला ने कहा है कि वो इस साल के आखिर में नए और अफॉर्डेबल ई-व्हीकल बनाने के लिए अपने मौजूदा प्लांट का इस्तेमाल करेगी. ऐसे में कंपनी फ्यूचर में मैक्सिको और भारत में नए प्लाटं पर जो निवेश करने वाली है उसकी संभावना कम हो गई है.
कांग्रेस और भाजपा विरासत टैक्स को लेकर आमने-सामने हैं. दोनों तरफ से बयानबाजी हो रही है.
लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) में भाजपा और कांग्रेस तमाम मुद्दों को लेकर एक-दूसरे पर निशाना साध रहे हैं. अब इस जुबानी जंग में 'संपत्ति का बंटवारा' भी शामिल हो गया है. इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा (Sam Pitroda) के विरासत टैक्स (Inheritance Tax) को लेकर दिए गए बयान के बाद BJP यह साबित करने में जुट गई है कि कांग्रेस सत्ता में आने के बाद लोगों की गाढ़ी कमाई का 50% छीन लेगी. चलिए जानते हैं कि आखिर इस पूरे मामले की शुरुआत कैसे हुई और विरासत टैक्स है क्या.
ऐसे हुई मामले की शुरुआत
दरअसल, कांग्रेस ने हाल ही में वेल्थ सर्वे की बात कही थी. पार्टी लीडर राहुल गांधी ने कहा था कि यदि उनकी सरकार बनती है, तो एक सर्वे कराया जाएगा और पता लगाया जाएगा कि किसके पास कितनी संपत्ति है. जब सैम पित्रोदा से राहुल के इस बयान के बारे में पूछा गया तो उन्होंने इसे सही ठहराते हुए अमेरिका में लगने वाले विरासत टैक्स का जिक्र किया. बस इसी बात को लेकर सियासी द्वन्द मचा हुआ है. BJP पित्रोदा के बयान को लेकर हमलावर हो गई है.
कैसे वसूला जाता है ये टैक्स?
सैम पित्रोदा ने संपत्ति के फिर से बंटवारे पर कांग्रेस के रुख का समर्थन करते हुए एक तरह से भारत में भी विरासत टैक्स कानून की वकालत की है. उन्होंने कहा कि यूएस में विरासत टैक्स का प्रावधान है. यदि किसी व्यक्ति के पास 10 करोड़ डॉलर की दौलत है, तो उसके मरने के बाद 45% संपत्ति उसके बच्चों को ट्रांसफर हो जाती है जबकि 55% संपत्ति पर सरकार का अधिकार हो जाता है. उन्होंने आगे कहा कि यह बेहद रोचक कानून है और इसके तहत यह सुनिश्चित किया जाता है कि अमीर जनता के लिए भी कुछ छोड़कर जाएं. मुझे लगता है कि भारत में भी इस तरह के मुद्दों पर चर्चा होनी चाहिए.
कांग्रेस ने झाड़ा बयान से पल्ला
सैम पित्रोदा ने यह भी कहा कि कांग्रेस के घोषणापत्र में अमीरों की संपत्ति बांटने का कहीं कोई जिक्र नहीं है. बल्कि उसमें ये कहा गया है कि कांग्रेस ऐसी नीति बनाएगी, जिससे संपत्ति का समान वितरण होगा. उदाहरण के तौर पर भारत में मिनिमम वेज नहीं है. यदि हम कहते हैं कि आपको गरीबों को इतना पैसा देना होगा, तो यह धन का वितरण है. आजकल हो ये रहा है कि अमीर अपने चपरासियों, नौकरों आदि को पर्याप्त वेतन नहीं देते, लेकिन वे उस पैसे को दुबई और लंदन में छुट्टियों पर खर्च करते हैं. वहीं, कांग्रेस पित्रोदा के बयान से पूरी तरह से पल्ला झाड़ लिया गया है. पार्टी लीडर जयराम रमेश ने कहा कि यह उनकी व्यक्तिगत राय है और इसका कांग्रेस से कोई लेनादेना नहीं है.
BJP ने बोला कांग्रेस पर हमला
उधर, भाजपा ने इसे एक मुद्दा बना दिया है. पार्टी प्रवक्ता अमित मालवीय ने कहा कि कांग्रेस ने देश को बर्बाद करने का फैसला कर लिया है. सैम पित्रोदा 50% विरासत टैक्स की वकालत कर रहे हैं. इसका अर्थ है कि यदि कांग्रेस सत्ता में आती है, तो लोगों ने कड़ी मेहनत से जितनी भी संपत्ति बनाई है, उसका पचास प्रतिशत छीन लिया जाएगा. इसी तरह, असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि कांग्रेस परिवार के सलाहकार सच बोल रहे हैं. उनकी मंशा कड़ी मेहनत से कमाए आपके पैसे को संगठित तौर पर लूटने की है.
कंपनी ने वित्त वर्ष 2022-23 में 2,135 फ्रेशर्स को अपने साथ जोड़ा था. कंपनी नए लोगों को काम पर रखने के मामले में थोड़ी सावधानी बरतेगी.
टाटा ग्रुप (Tata Group) देश का सबसे बड़ा इंप्लॉयर है. ये बात किसी से छिपी नहीं है. एक मिलियन से ज्यादा लोग टाटा ग्रुप में काम करते हैं. जिसमें नमक से हवाई जहाज तक तमाम कंपनियां शामिल हैं. डिजाइन और टेक्नोलॉजी सर्विसेज देने वाली टाटा एलेक्सी (Tata Elxsi) वित्त वर्ष 2024-25 में 1,500- 2,000 इंजीनियरिंग फ्रेशर्स को अपने साथ जोड़ना चाहती है. कंपनी ने मार्च 2024 तिमाही के वित्तीय नतीजे जारी करने के लिए आयोजित की गई कॉन्फ्रेंस कॉल में यह बात कही.
FY25 में करेगी फ्रेशर्स की भर्ती
टाटा एलेक्सी (Tata Elxsi) ने कहा कि वह नए लोगों को काम पर रखने के मामले में थोड़ी सावधानी बरतेगी. मैनेजमेंट का कहना है कि सौदे कैसे आकार लेते हैं और वर्ष में रेवेन्यू कैसा रहता है, इसके आधार पर हम नियुक्तियों का आकलन करेंगे. कंपनी ने वित्त वर्ष 2022-23 में 2,135 फ्रेशर्स को अपने साथ जोड़ा था. Tata Elxsi ने मौजूदा वित्त वर्ष 2025 के लिए कोई गाइडेंस नहीं दिया, लेकिन कहा है कि वह FY24 के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन करने की कोशिश करेगी और वह मार्जिन कम किए बिना एक्सीलरेटेड ग्रोथ पर ध्यान केंद्रित करेगी.
टाटा एलेक्सी के लिए Q4 कैसा रहा?
टाटा एलेक्सी का मार्च 2024 तिमाही में शुद्ध लाभ 2.2 प्रतिशत घटकर 196.93 करोड़ रुपये रहा. कंपनी ने पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 201.51 करोड़ रुपये का शुद्ध मुनाफा कमाया था. तिमाही के दौरान ऑपरेशंस से रेवेन्यू सालाना आधार पर 8.1 प्रतिशत बढ़कर 905.94 करोड़ रुपये रहा. एक साल पहले इसी अवधि में यह 837.91 करोड़ रुपये था. कुल खर्च बढ़कर 677.21 करोड़ रुपये रहा, जो एक साल पहले इसी तिमाही में 613.39 करोड़ रुपये था.
वित्त वर्ष 2024 में Tata Elxsi को कितना हुआ मुनाफा
पूरे वित्त वर्ष 2023-24 में Tata Elxsi का शुद्ध मुनाफा 792.23 करोड़ रुपये रहा. इससे पहले के वित्त वर्ष 2022-23 में यह 755.19 करोड़ रुपये था. कंपनी ने कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 में ऑपरेशंस से रेवेन्यू सालाना आधार पर 13 प्रतिशत बढ़कर 3,552.14 करोड़ रुपये रहा. एक साल पहले यह 3,144.72 करोड़ रुपये था. इस दौरान EBITDA (Earnings Before Interest, Taxes, Depreciation, and Amortization) मार्जिन 29.5% रहा.
70 रुपये प्रति शेयर का डिविडेंड
Tata Elxsi के निदेशक मंडल ने 31 मार्च, 2024 को समाप्त वित्त वर्ष के लिए 700 प्रतिशत के फाइनल डिविडेंड की सिफारिश की है. इसका मतलब है कि कंपनी 10 रुपये फेस वैल्यू वाले हर एक इक्विटी शेयर पर 70 रुपये का डिविडेंड देगी. कंपनी की सालाना आम बैठक में इस पर शेयरधारकों की मंजूरी ली जाएगी.
गूगल ने प्रोजेक्ट निंबस का विरोध करने वाले कम से कम 50 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है.
गूगल के कर्मचारी इजराइल (Israel) को टेक्नोलॉजी देने का विरोध कर रहे हैं. कंपनी के प्रोजेक्ट निंबस (Project Nimbus) को लेकर उनमें आक्रोश व्याप्त है. दरअसल, इजराइली सरकार को क्लाउड कंप्यूटिंग और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस सेवाएं प्रदान करने के मकसद से गूगल और अमेजन ने इस प्रोजेक्ट पर 2021 में हस्ताक्षर किए गए थे. वहीं, गूगल के सुरक्षा प्रमुख क्रिस रैको ने विरोध-प्रदर्शनों की निंदा करते हुए कहा कि इस तरह का व्यवहार अस्वीकार्य है. इससे सहकर्मियों को खतरा महसूस हुआ है.
पिचाई ने किया था स्पष्ट
इजरायल जहां फिलिस्तीन से लड़ रहा है. वहीं, ईरान के साथ भी उसका विवाद चरम पर पहुंच गया है. फिलिस्तीन पर इजरायली हमले की बड़े पैमाने पर निंदा हुई थी. फिलिस्तीनी समर्थक गूगल कर्मचारियों का कहना है कि ऐसे देश के साथ कंपनी को कोई रिश्ता नहीं रखना चाहिए, जो निर्दोषों का खून बहा रहा है. गूगल के न्यूयॉर्क और कैलिफोर्निया में सनीवेल स्थित कार्यालयों पर विरोध-प्रदर्शन का आयोजन करने वाले समूह का कहना है कि कंपनी ने पिछले सप्ताह 30 कर्मचारियों को नौकरी से निकाला दिया था. बता दें कि कुछ वक्त पहले गूगल चीफ सुंदर पिचाई ने स्पष्ट किया था कि ऑफिसों में ऐसे प्रदर्शनों की इजाजत नहीं दी जा सकती.
बेवजह ही निकालने का आरोप
प्रदर्शनकारी ग्रुप एक्टिविस्ट ग्रुप 'No Tech for Apartheid' की मांग है कि इजरायल को कोई टेक्नोलॉजी न दी जाए. ग्रुप के सदस्य जेन चुंग ने कहा कि गूगल असहमति को कुचलने और कर्मचारियों को चुप कराने का प्रयास कर रही. उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ ऐसे कर्मचारियों को भी बर्खास्त किया गया है, जो आंदोलन का हिस्सा नहीं थे. वहीं, Google का कहना है कि जिन लोगों को निकाला गया है, उनमें से प्रत्येक व्यक्ति कंपनी की इमारतों के अंदर विघटनकारी गतिविधियों (Disruptive Activities) में शामिल था.
कर्मचारियों को ये है शंका
प्रोजेक्ट निंबस इजरायल की सरकार और उसकी सेना का एक क्लाउड कंप्यूटिंग प्रोजेक्ट है. इजरायल ने इसके लिए Google और Amazon के साथ 1.2 अरब डॉलर का समझौता किया है. इसके तहत गूगल और अमेजन इजरायली सेना को क्लाउड कंप्यूटिंग और AI सेवाएं प्रदान करेंगी. कई रिपोर्ट्स में यह दावा किया गया है कि इजरायल की सेना गाजा पर हमले के लिए AI टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रही है. प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों को डर का है कि इजरायल गूगल की टेक्नोलॉजी की मदद से गाजा में और भी ज्यादा कोहराम मचा सकता है. हालांकि, गूगल का कहना है कि उसकी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल हथियारों में नहीं किया जा रहा है.
बुलेट ट्रेन जल्द ही पटरी पर दौड़ती नजर आएगी. इसकी शुरुआत अहमदाबाद-मुंबई रूट से होगी.
देश बेसब्री से बुलेट ट्रेन (Bullet Train) का इंतजार कर रहा है और उसका ये इंतजार जल्द खत्म होने वाला है. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव (Ashwini Vaishnaw) ने बता दिया है कि पहली बुलेट ट्रेन पटरी पर कब दौड़ेगी. रेल मंत्री के मुताबिक, देश की पहली बुलेट ट्रेन के लिए स्टेशनों के निर्माण में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है. हम 2026 में एक सेक्शन में बुलेट ट्रेन चलाने के लिए पूरी तरह तैयार हैं.
तेजी से चल रहा है काम
रेलवे मिनिस्टर वैष्णव ने कहा कि अहमदाबाद-मुंबई रूट पर बुलेट ट्रेन का काम बुलेट ट्रेन की रफ़्तार से ही चल रहा है. इसका 290 किलोमीटर से अधिक का काम पहले ही किया जा चुका है. इस रूट पर बुलेट ट्रेन दौडाने के लिए 8 नदियों पर पुल बनाए गए हैं. 12 स्टेशनों पर अभी काम चल रहा है और कई स्टेशनों का काम पूरा होने वाला है. इसके साथ ही दो डिपो पर भी काम चल रहा है.
बेहद जटिल परियोजना
वैष्णव ने आगे कहा कि बुलेट ट्रेन शुरू होने के बाद आप चाहें तो सूरत में सुबह का नाश्ता करें और फिर मुंबई जाकर काम करें. इसके बाद रात में फिर आप अपने परिवार के पास वापस सूरत लौट सकते हैं. उन्होंने बताया कि दुनिया में जहां भी बुलेट ट्रेनें चल रही हैं, वहां 90 प्रतिशत लोग दूर की यात्रा के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं. रेल मंत्री ने कहा कि बुलेट ट्रेन एक बेहद जटिल परियोजना है. इस पर काम 2017 में शुरू हुआ था और डिजाइन को पूरा करने में करीब ढाई साल लग गए.
फ्लाइट से सस्ता होगा किराया
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बुलेट ट्रेन कॉरिडोर में 21 किमी लंबी सुरंग है. इस सुरंग का सबसे गहरा टनल 56 मीटर नीचे है, जिसमें बुलेट ट्रेन 300 से 320 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ेगी. बुलेट ट्रेन के किराए के साल पर रेल मंत्री ने कहा कि इसका किराया हवाई किराए से बहुत सस्ता होगा. हालांकि, कुछ वक्त पहले एक रिपोर्ट में बताया गया था कि मु्ंबई से अहमदाबाद तक बुलेट ट्रेन का किराया करीब 3 हजार रुपए होगा. अश्विनी वैष्णव ने कहा कि मुंबई-अहदाबाद कॉरिडोर की लागत 1,08 लाख करोड़ रुपए है. इसमें से 10 हजार करोड़ केंद्र द्वारा खर्च किया जा रहा है. जबकि महाराष्ट्र और गुजरात की सरकार 5 हजार करोड़ का योगदान देगी.