इस बार के बजट में एंजेल टैक्स (Angel Tax) को खत्म कर दिया गया है. इसे देश में साल 2012 में लागू किया गया था.
केंद्र सरकार 3.0 कार्यकाल के पहले बजट सत्र 2024-25 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कई बड़ी घोषणा की हैं. इसी में से एक घोषणा एंजेल टैक्स (Angle Tax) को लेकर हुई है. दरअसल, वित्त मंत्री ने संसद में बजट पेश करने के दौरान एंजेल टैक्स को अब पूरी तरह से खत्म करने की घोषणा की है. तो आइए जानते हैं कि आखिर ये एंजेल टैक्स क्या था और इसके खत्म होने से किसे फायदा होगा?
क्या है एंजेल टैक्स?
एंजेल टैक्स (Angel Tax) को देश में साल 2012 में लागू किया गया था. यह टैक्स उन अनलिस्टेड बिजनेस पर लागू होता था, जो एंजेल निवेशको से फंडिंग हासिल करते थे. इसे ऐसे समझें कि जब कोई स्टार्टअप किसी एंजेल निवेशक से फंड लेता था तो वह इस पर भी टैक्स चुकाता था. यह सारी प्रक्रिया आयकर अधिनियम 1961 की धारा 56 (2) (vii) (b) के तहत होती थी.
इसलिए लागू हुआ था ये टैक्स
सरकार ने मनी लॉन्ड्रिंग पर रोक लगाने के लिए एंजेल टैक्स लागू किया था. इसके अलावा इस टैक्स की मदद से सरकार सभी तरह के बिजनेस को टैक्स के दायरे में लाने की कोशिश कर रही थी. हालांकि, सरकार के इस कदम से देश के तमाम स्टार्टअप्स को नुकसान झेलना पड़ रहा था. यही वजह थी कि इस टैक्स को खत्म करने की मांग उठ रही थी. इस टैक्स को लेकर असली दिक्कत तब होती थी, जब किसी स्टार्टअप को मिलने वाला इन्वेस्टमेंट उसकी फेयर मार्केट वैल्यू (FMV) से भी अधिक हो जाता था. ऐसी हालत में स्टार्टअप को 30.9 प्रतिशत तक टैक्स चुकाना पड़ता था.
टैक्स खत्म होने पर क्या है स्टार्टअप्स की प्रतिक्रिया?
अब सरकार ने इस टैक्स को खत्म कर दिया है, जिससे देश के स्टार्टअप्स को फायदा होगा. आपको बता दें, बीते कुछ वर्षों में देश में स्टार्टअप्स की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई है. इसके साथ ही कई स्टार्टअप्स ऐसे भी हैं जो यूनिकॉर्न बने हैं. सरकार का लक्ष्य भी देश में स्टार्टअप्स को बढ़ावा देना है.
ऐंजल टैक्स से छुटकारा पाना भारत में स्टार्टअप्स के लिए एक बड़ी जीत है. इससे न केवल नए व्यवसायों पर वित्तीय बोझ कम होगा बल्कि एंटरप्रेन्योरियल इकोसिस्टम में इनोवेशन और विकास को भी बढ़ावा मिलेगा. फ्लाईरोब में हम इस बदलाव के सकारात्मक प्रभाव को लेकर उत्साहित हैं. हम अपनी कंपनी के संचालन और एक्सपेंशन प्लान पर काम कर रहे हैं, जिससे हम अधिक ग्राहकों को अपनी सर्विस प्रदान कर सकेंगे और स्थायी फैशन समाधान तैयार कर सकेंगे.
आंचल सैनी, सीईओ, फ्लाइरोब (Flyrobe)
सभी वर्गों के निवेशकों के लिए एंजेल टैक्स खत्म होने स्टार्ट-अप के लिए एक बड़ी राहत है. इससे क्षेत्र में अनिश्चितता दूर होगी और अधिक निवेश भी आएगा जो विस्तार के लिए एक महत्वपूर्ण कारक है.
सौम्यदीप रॉयचौधरी, टैक्स एंड रेगुलेटरी पार्टनर, एमएसकेबी एंड एसोसिएट्स एलएलपी (Tax & Regulatory Partner, MSKB & Associates LLP)
इस साल के बजट ने स्टार्ट-अप इकोसिस्टम को काफी बढ़ावा दिया है. एंजेल टैक्स का खत्म होना स्टार्टअप उद्योग को लाभ पहुंचाने वाली एक बड़ी राहत है. वित्त मंत्री ने यह भी कहा है कि सरकार कृषि-तकनीकी क्षेत्र में विकास को बढ़ावा देने के लिए सब्जी आपूर्ति श्रृंखला में स्टार्ट-अप को बढ़ावा देगी.
समीर शेठ, पार्टनर एंडहेड प्रमुख, डील एडवाइजरी सर्विसेज, बीडीओ इंडिया (Partner & Head, Deal Advisory Services, BDO India)
पहले स्टार्ट-अप को कुछ शर्तों के अधीन एंजेल टैक्स से टैक्स छूट की अनुमति दी गई थी. जैसे शेयर कैपिटल और सिक्योरिटीज प्रीमियम की राशि, फंड जुटाने के बाद 25 करोड़ रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए. इसके अलावा स्टार्ट-अप द्वारा उठाए गए फंड पर अंतिम उपयोग प्रतिबंध जैसे वित्तीय परिसंपत्तियों आदि में कोई निवेश नहीं. वहीं, अब एंजेल टैक्स खत्म होने से स्टार्ट-अप्स बिना किसी शर्त के फंड जुटाने में सक्षम होंगे.
अनीश शाह, पार्टनर, एमएंडए टैक्स एंड रेग्यूलेटरी सर्विसेज, बीडीओ इंडिया (Partner, M&A Tax and Regulatory Services, BDO India)
रेलवे के शेयर्स पर भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) ने जमकर निवेश किया है. एलआईसी ने रेलवे के डिजिटल टिकटिंग प्लेटफॉर्म IRCTC में हिस्सेदारी बढ़ा दी है.
क्या आपके पास रेलवे के शेयर हैं? अगर हां, तो ये खबर आपके काम की हो सकती है. दरअसल, रेलवे के शेयरों बीते कुछ सालों से शेयर मार्केट में अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं. इसके शेयर ने निवेशकों को अच्छा रिटर्न दिया है. इसे देखते हुए अब भारतीय जीवन बीमा (LIC) जैसे बड़े इंवेस्टर्स ने भी रेलवे के ऑनलाइन टिकटिंग और कैटरिंग प्लेटफॉर्म आईआरसीटीसी (IRCTC) के शेयरों पर भरोसा दिखाते हुए इसमें अपनी हिस्सेदारी बढ़ाई है. इस खबर के बाद अब रेलवे के शेयर में और अधिक तेजी देखने को मिल सकती है, जिसका सीधा फायदा निवेशकों को होगा. तो चलिए जानते हैं आईआरसीटीसी में एलआईसी की हिस्सेदारी अब कितनी हो गई है?
एलआईसी की आईआरसीटीसी में अब इतनी हो गई हिस्सेदारी
भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) ने आईआरसीटीसी में अपनी हिस्सेदारी को बढ़ाकर करीब 9.3 प्रतिशत कर दिया है. एलआईसी ने शेयर बाजार को इसकी सूचना देते हुए कहा है कि उसने बीते 2 साल के अंदर खुले बाजार में आईआरसीटीसी के शेयरों की जमकर खरीद-फरोख्त की है. इससे उसकी हिस्सेदारी 16 दिसंबर 2022 से लेकर 11 सितंबर 2024 के बीच 2.02 प्रतिशत बढ़ी है. एलआई ने बताया है कि उसने आईआरसीटीसी के इक्विटी शेयरों में अपनी हिस्सेदारी को 5,82,22,948 शेयर यानी 7.28 प्रतिशत से बढ़ाकर 7,43,79,924 शेयर यानी 9.29 प्रतिशत कर दिया है.
आईआरसीटीसी ने दिया जबरदस्त रिटर्न
बीएसई पर एलआईसी का शेयर पिछले बंद भाव के मुकाबले गुरुवार को 1.81 प्रतिशत बढ़कर 1031.45 रुपये पर बंद हुए. वहीं आईआरसीटीसी का शेयर 929.30 रुपए पर बंद हुआ. अगर आईआरसीटीसी के शेयर में रिटर्न को देखें तो बीते एक साल में इसके शेयर प्राइस 35 प्रतिशत का रिटर्न दिया है. जबकि बीते 5 साल में इसका शेयर करीब 500 प्रतिशत बढ़ा है. साल 2019 में इसके शेयर का भाव महज 155 रुपए था. वहीं, शुक्रवार को खबर लिखने तक आईआरसीटीसी के शेयर एनएसई पर 0.85 प्रतिशत की तेजी के साथ 939.25 रुपये और बीएसई 0.87 प्रतिशत की तेजी के साथ 939.50 रुपये पर कारोबार करता दिखा. एक्सपर्ट्स का कहना है कि आईआरसीटीसी में एलआईसी की हिस्सेदारी बढ़ने के बाद सोमवार को इसके शेयरों में और अधिक तेजी देखने को मिल सकती है.
रेलवे में आईआरसीटीसी की भूमिका
बता दें, आईआरसीटीसी रेलवे की टिकटिंग में मोनोपॉली रखने के साथ कैटिरंग सर्विस को संभालने का काम भी करती है. इतना ही नहीं ट्रेनों में खान-पान की व्यवस्था देखने से लेकर टूर पैकेजेस बनाने तक का काम रेलवे की यही कंपनी करती है. देश की पहली प्राइवेट ट्रेन तेजस एक्सप्रेस भी आईआसीटीसी ने ही शुरू की थी.
मार्केट रेगुलेटर का कहना था कि कार्वी स्टॉक ब्रोकर की अपनी भूमिका में पूरी तरह से नाकाम रही है.
कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग और उसके सीएमडी सी पार्थसारथी पर बाजार नियामक सेबी (SEBI) सख्त हो गया है. सेबी ने करीब 25 करोड़ रुपये का बकाया वसूलने के लिए गुरुवार को कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग और उसके सीएमडी सी पार्थसारथी के बैंक खातों के साथ-साथ शेयरों और म्यूचुअल फंड होल्डिंग्स को कुर्क करने का आदेश दिया. सेबी ने 7 अगस्त को कार्वी और पार्थसारथी को नोटिस भेजकर उन्हें पावर ऑफ अटॉर्नी (POA) का दुरुपयोग करके ग्राहकों के धन की हेराफेरी से संबंधित एक मामले में 15 दिनों के भीतर बकाया राशि का भुगतान करने को कहा.
7 साल के लिए प्रतिबंधित हैं KSBL और पार्थसारथी
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जब सस्थाओं ने सेबी द्वारा उन पर लगाए गए जुर्माने का भुगतान नहीं किया तो सेबी ने यह नोटिस जारी कर दिया. सेबी ने अप्रैल 2023 में केएसबीएल और पार्थसारथी को प्रतिभूति बाजार से सात साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया और ब्रोकिंग फर्म को दिए गए पीओए का दुरुपयोग करके ग्राहकों के धन की हेराफेरी करने के लिए उन पर 21 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया.
चार अलग-अलग कुर्की नोटिस
चार अलग-अलग कुर्की नोटिसों में बाजार नियामक ने लंबित बकाया राशि वसूलने के लिए दोनों संस्थाओं के बैंक, डीमैट खातों और म्यूचुअल फंड फोलियो को कुर्क करने का आदेश दिया है. सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच ने इस ब्रोकरेज हाउस द्वारा किए गए फ्रॉड का हवाला देते हुए कहा था कि मार्केट रेगुलेटर शेयर बाजार में कार्वी ब्रोकिंग जैसी कोई अन्य घटना नहीं होने देगा. बुच ने मार्च 2023 में सेबी बोर्ड की बैठक के बाद कहा था, 'अब कार्वी जैसी कोई अन्य घटना हमारी लाशों पर होगी. सेबी के हालिया आदेशों के मुताबिक, ब्रोकरेज फर्म और उसके पूर्व चीफ को 7 अगस्त 2024 को डिमांड नोटिस भेजा गया था.
मार्केट रेगुलेटर का कहना है कि चूंकि ब्रोकरेज फर्म और उसके पूर्व चीफ की तरफ से जुर्माने का भुगतान नहीं किया गया, लिहाजा यह माना जा सकता है कि वे बैंक खातों, डीमैट खातों या म्यूचुअल फंड फोलियो से अपनी सिक्योरिटीज इंस्ट्रुमेंट्स को हटा सकते हैं. अगर ऐसा होता है, तो रिकवरी की राशि में बाधा या देरी हो सकती है. लिहाजा, रेगुलेटर ने उनके खातों को जब्त करने का फैसला किया है.
जल्दी पैसा कमाने के चक्कर में बहुत सारे लोग शेयर बाजार का रुख करते हैं और फ्रॉड करने वालों के हाथों शिकार बन जाते हैं.
क्या आप शेयर बाजार में निवेश कर रहे हैं? तो ये खबर आपके लिए है. शेयर बाजार की रिकॉर्ड रैली में निवेशक बड़ी संख्या में बाजार का रुख कर रहे हैं. उसके साथ ही शेयर बाजार से जुड़े फ्रॉड के मामले भी बढ़ रहे हैं. शेयर बाजार से जुड़े कई तरह के फ्रॉड के मामले लगातार सामने आ रहे हैं. एनएसई इंडिया ने एक ऐसे ही फ्रॉड के बारे मं निवेशकों को अलर्ट किया है. तो ऐसे जालसाजों को कैसे पहचानें? इनसे बचने के लिए क्या सावधानियां बरतनी चाहिए? आइए अब जानते हैं वो बातें...
एनएसई ने बताया- ऐसे की जा रही ठगी
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज समय-समय पर कैपिटल मार्केट ट्रेडर्स को ऐसे ठगों के बारे में सचेत करते रहता है. देश के प्रमुख शेयर बाजार एनएसई (NSE) ने फ्रॉड के मामलों को लेकर इन्वेस्टर्स को फिर से आगाह किया है. एनएसई ने इससे पहले भी कई बार ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स से कहा है कि वे किसी अंजान व्यक्ति या निकाय के द्वारा दिए जाने वाले झांसों में न पड़ें. ऐसे निकाय कई बार गारंटीड रिटर्न के नाम पर लोगों को ठगते हैं, तो कई बार अन्य झांसा देते हैं. ताजे मामले में निवेशकों को बाजार बंद होने के बाद डिस्काउंट पर शेयर देने का झांसा दिया जा रहा है.
इन लोगों से सावधान रहें निवेशक
एनएसई ने बताया कि उसे JO HAMBRO नामक व्हाट्सएप ग्रुप के खिलाफ शिकायतें मिली हैं. ग्रुप में लोगों को झांसा दिया जा रहा है कि उन्हें बाजार बंद होने के बाद कम भाव पर शेयर दिलाया जाएगा. इसे सीट ट्रेडिंग अकाउंट के नाम से अंजाम दिया जा रहा है. शिकायत मिलने के बाद एनएसई ने सावधान करले वाला बयान जारी किया है. बताया जा रहा है कि इस व्हाट्सएप ग्रुप के जरिए कई रिटेल निवेशकों से पैसे कलेक्ट किए गए हैं.
SEBI के पास रजिस्टर्ड नहीं है एंटिटी
एनएसई ने लोगों को सावधान करते हुए कहा है कि ग्रुप में Lazzard Asset Management India नामक निकाय खुद को सेबी के पास रजिस्टर्ड स्टॉक ब्रोकर के रूप में दिखा रहा है. वह फॉर्ज्ड रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट का इस्तेमाल कर रहा है. एनएसई ने कहा कि लजार्ड एसेट मैनेजमेंट इंडिया नाम से सेबी के पास कोई ब्रोकर रजिस्टर्ड नहीं है. लोगों को उससे सावधान रहने की जरूरत है.
पैसे देने से पहले जरूर करें ये काम
एनएसई ने बयान में कहा है कि निवेशकों को किसी भी ऐसे एंटिटी के ऊपर भरोसा नहीं करना चाहिए. शेयर बाजार ने उन्हें सलाह दी है कि वे ऐसे किसी भी निकाय या व्यक्ति के साथ किसी तरह की कोई डील न करें. किसी भी एंटिटी के साथ लेन-देन करने और उसे पैसे ट्रांसफर करने से पहले उसकी वैधता की जांच जरूर करें.
• अगर आप किसी कंपनी का कस्टमर केयर या हेल्पलाइन नंबर ढूंढ रहे हैं तो उसे गूगल पर ना खोजें, बल्कि उस संस्थान के वेबसाइट पर जाएं और फिर कस्टमर केयर का नंबर सर्च करें.
• कभी भी सर्विस प्रोवाइडर, बैंक और यूपीआई किसी कस्टमर को कॉल नहीं करते. इनके नाम से आने वाले कॉल पर विश्वास नहीं करें.
• अगर आपको शंका हो तो बैंक जाकर बात करें.
• क्यूआर कोड पेमेंट देने के लिए होता है, रिसीव करने के लिए नहीं होता.
• साइबर ठग आपको क्यूआर कोड भेज कर ठगी का शिकार बनाते हैं.
• अनजान व्यक्ति के द्वारा भेजे गये क्यूआर कोड को स्कैन ना करें.
• किसी के कहने पर ओटीपी ना बताएं.
• यदि आपके पास बैंकिंग या फाइनेंस से जुड़ा कोई मैसेज आए तो उसे बहुत ध्यान से पढ़े.
हिंडनबर्ग रिसर्च अडानी समूह का पीछे छोड़ने को तैयार नहीं है. इस अमेरिकी फर्म ने एक बार फिर से अडानी को निशाना बनाया है.
कांग्रेस द्वारा सेबी चीफ माधबी पुरी बुच पर हो रहे हमलों के बीच हिंडनबर्ग ने आरोपों की बंदूक फिर अडानी समूह (Adani Group) की तरफ मोड़ दी है. अमेरिकी शॉर्ट सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च का दावा है कि स्विस अधिकारियों ने अडानी की मनी लॉन्ड्रिंग और जालसाजी जांच के तहत कई बैंक खातों में जमा राशि फ्रीज कर दी है. इन खातों में अडानी की 31 करोड़ डॉलर से ज्यादा (करीब 2600 करोड़ रुपए) की रकम है.
आरोपों का आधार
हिंडनबर्ग ग्रुप ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा है कि स्विस अधिकारियों ने अडानी ग्रुप से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग और प्रतिभूतियों की जालसाजी के मामले की जांच के तहत छह स्विस बैंक खातों में जमा 31 करोड़ डॉलर से अधिक की रकम फ्रीज कर दी है. हिंडनबर्ग ग्रुप ने यह दावा स्विस क्रिमिनल कोर्ट के रिकॉर्ड के आधार पर किया है. अमेरिकी फर्म का कहना है कि 2021 से चल रही इस जांच ने अडानी समूह से जुड़ी संदिग्ध ऑफशोर संस्थाओं से संबंधित वित्तीय लेनदेन पर प्रकाश डाला है.
समूह की आई सफाई
हिंडनबर्ग ने स्विस मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से कहा है कि अडानी का प्रतिनिधित्व करने वाले एक फ्रंटमैन यानी सहयोगी ने ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स/मॉरीशस और बरमूडा के संदिग्ध फंडों में निवेश किया. इन फंड्स का अधिकांश पैसा अडानी के शेयरों में लगा हुआ था. वहीं, अडानी समूह ने हिंडनबर्ग के आरोपों पर सफाई पेश की है. समूह का कहना है कि आरोप पूरी तरह से बेबुनियाद हैं और समूह की छवि प्रभावित करने की साजिश का हिस्सा हैं.
अडानी पर तीसरा हमला
बता दें कि हिंडनबर्ग ने सबसे पहले पिछले साल अडानी समूह को लेकर रिपोर्ट जारी की थी. इस रिपोर्ट में समूह पर कई गंभीर आरोप लगाए गए थे. अडानी की कंपनियों के शेयर आसमान से सीधे जमीं पर आ गए थे. इसके बाद इसी साल अगस्त में हिंडनबर्ग ने फिर अडानी समूह पर आरोपों का बम फोड़ा. हालांकि, इसका प्रभाव पहले जैसा नहीं रहा. अब यह तीसरा मौका है जब इस अमेरिकी फर्म ने अडानी समूह को निशाना बनाया है. अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या इससे अडानी समूह की आर्थिक सेहत पर कुछ असर पड़ता है?
शेयर बाजार के अच्छे दिन कल लौट आए. एक ही झटके में बाजार ने लंबी छलांग लगाते हुए बीते दिनों की गिरावट की भरपाई कर ली.
तीन दिन की कमजोरी के बाद गुरुवार को बाजार बड़ी छलांग लगाने में सफल रहा. दरअसल, अंतर्राष्ट्रीय मार्केट से मिले मजबूत संकेत, चुनिंदा शेयरों में लिवाली और विदेशी पूंजी के प्रवाह में तेजी से स्थानीय मार्केट में मजबूती देखने को मिली. इस दौरान, बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 1,439.55 अंक चढ़कर 82,962.71 पर बंद हुआ. इसी तरह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का निफ्टी भी 470.45 अंकों की उछाल के साथ 25,388.90 के लेवल पर पहुंच गया. सेंसेक्स की 30 कंपनियों में से अधिकांश कल मुनाफे में रहीं. चलिए जानते हैं कि सप्ताह के आखिरी कारोबारी दिन यानी आज कौनसे शेयर ट्रेंड में रह सकते हैं.
इनमें तेजी संभव
मोमेंटम इंडिकेटर, मूविंग एवरेज कन्वर्जेंस डिवर्जेंस (MACD) ने आज 7 शेयरों में तेजी के संकेत दिए हैं. Apollo Hospitals Enterprise, Shriram Finance, Page Industries, Blue Dart Express, Ipca Laboratories, Polycab और Hitachi Energy India में आज उछाल आ सकता है. दूसरे शब्दों में कहें तो इन स्टॉक्स में भाव चढ़ सकते हैं. ऐसे में इन पर दांव लगाने वालों के लिए मुनाफा कमाने की गुंजाइश भी बन सकती है. हालांकि, BW हिंदी आपको सलाह देता है कि शेयर बाज़ार में निवेश से पहले किसी सर्टिफाइड एक्सपर्ट से परामर्श करना न भूलें अन्यथा आपको आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ सकता है.
इनमें गिरावट संभव
MACD ने तेजी के साथ ही मंदी के भी संकेत दिए हैं. Bombay Burmah Trading Corporation, Caplin Point Laboratories, Tata Investment Corporation, Sundaram Finance, Gujarat State Petronet और Vedant Fashions में गिरावट देखने को मिल सकती है. लिहाजा, इनमें निवेश को लेकर को लेकर सावधान रहें. Tata Investment Corporation के शेयर कल के तेजी वाले बाजार में भी गिरावट के साथ 6,954.80 रुपए पर बंद हुए थे.
इन पर रखें नज़र
चलिए उन शेयरों के बारे में भी जान लेते हैं जिनमें मजबूत खरीदारी देखने को मिल रही है. आज इस लिस्ट में फूड डिलीवरी कंपनी Zomato के साथ-साथ Bharti Airtel, Gujarat Fluorochemicals, Century Textiles, FDC, BLS International Services और Kalyan Jewellers का नाम शामिल है. दरअसल, इन शेयरों ने अपना 52 वीक का हाई लेवल पार कर लिया है, जो इनमें तेजी अंक संकेत देता है.
(डिस्क्लेमर: शेयर बाजार में निवेश जोखिम के अधीन है. 'BW हिंदी' इसकी कोई जिम्मेदारी नहीं लेता. सोच-समझकर, अपने विवेक के आधार पर और किसी सर्टिफाइड एक्सपर्ट से सलाह के बाद ही निवेश करें, अन्यथा आपको नुकसान उठाना पड़ सकता है).
इलेक्ट्रिक वाहनों की डिमांड तेजी से बढ़ रही है. भारत के साथ-साथ दुनिया के कई देशों में EV अपनाने वालों की संख्या में इजाफा हुआ है.
अरबपति कारोबारी अनिल अग्रवाल की कंपनी वेदांता (Vedanta) बढ़ते EV बाजार से खुश है. कंपनी इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) की डिमांड में आ रही तेजी का लाभ उठाने की योजना पर काम कर रही है. भले ही वेदांता सीधे तौर पर EV मार्केट से जुड़ाव नहीं रखती, लेकिन अप्रत्यक्ष तौर पर वह इससे जुड़ी हुई है. इसलिए इसमें तेजी का मतलब है उसकी आर्थिक सेहत में सुधार.
इनका बढ़ेगा उत्पादन
एक रिपोर्ट के अनुसार, माइनिंग और मेटल्स सेक्टर की दिग्गज कंपनी वेदांता दुनियाभर में इलेक्ट्रिक व्हीकल की बढ़ती मांग का लाभ उठाने की दिशा में काम कर रही है. कंपनी ने निकेल और निकेल सल्फेट का उत्पादन बढ़ाने की योजना बनाई है. दरअसल, निकेल और निकेल सल्फेट इलेक्ट्रिक वाहनों में इस्तेमाल होने वाली लीथियम आयन बैटरी का अहम हिस्सा हैं. ऐसे में EV की मांग बढ़ने से इन दोनों की मांग में भी तेजी आएगी. निकेल की एनर्जी डेंसिटी को बनाए रखने की क्षमता बेहतर होती है. इससे बैटरी के साइज़ को छोटा रखने में मदद मिलती है.
फिलहाल यहां फोकस
वेदांता की यूनिट Vedanta Nico निकेल और निकेल सल्फेट का उत्पादन बढ़ाने की योजना बना रही है. हालांकि, कंपनी ने यह साफ नहीं किया है कि उत्पादन कितना बढ़ाया जाएगा. वेदांता का फोकस फिलहाल उत्तर पूर्व एशिया में इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ती मांग को पूरा करने पर है. गौरतलब है कि भारत भी इलेक्ट्रिक व्हीकल को अपनाने की दिशा में बड़े कदम उठा रहा है, लेकिन इसकी रफ्तार दूसरे देशों के मुकाबले कुछ धीमी है.
शेयरों में आज आई तेजी
वहीं, वेदांता के शेयर मार्केट में प्रदर्शन की बात करें, तो आज कंपनी के शेयर करीब 4 प्रतिशत की तेजी के साथ 441.40 रुपए पर बंद हुए. जबकि बीते 5 कारोबारी सत्रों में इसमें 5.63% की नरमी देखने को मिली थी. इस शेयर का 52 वीक का हाई लेवल 506.75 रुपए है. इस लिहाज से देखें तो अभी इसमें काफी गुंजाइश मौजूद है.
कुछ राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं. चुनावी माहौल के बीच एक बार फिर से पेट्रोल-डीजल के सस्ता होने की बातें होने लगी हैं.
पेट्रोल-डीजल की कीमतों (Petrol-Diesel Price) में कमी की उम्मीद दिखाई दे रही है. माना जा रहा है कि कुछ राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले पेट्रोल-डीजल के दम घट सकते हैं. बता दें कि तेल के दाम पहले से ही आसमान पर पहुंच चुके हैं. क्रूड ऑयल की कीमत का हवाला देकर कंपनियों ने दिल खोलकर दाम बढ़ाए, लेकिन उसमें नरमी का फायदा आम जनता को नहीं दिया. मोदी सरकार भी इस मुद्दे पर ज्यादा कुछ कहने और करने से बचती रही है.
..तभी होगा संभव
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय में सचिव पंकज जैन का कहना है कि यदि कच्चे तेल की कीमत लंबे समय तक कम रहती है, तो ऑयल मार्केटिंग कंपनियां पेट्रोल-डीजल की कीमत में कमी पर विचार कर सकती हैं. मालूम हो कि कच्चे तेल यानी क्रूड ऑयल की कीमत तीन साल के निचले स्तर पर आ गई है. ऐसे में उम्मीद है कि महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनावों से पहले तेल के दामों में कटौती हो सकती है.
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इसलिए आई नरमी
ब्रेंट क्रूड की कीमत मंगलवार को 70 डॉलर प्रति बैरल से नीचे आ गई थी, दिसंबर 2021 के बाद पहली बार कच्चा तेल इस स्तर पर आया है. दरअसल, वैश्विक अर्थव्यवस्था की ग्रोथ धीमी पड़ने से तेल की मांग में कमी आने की आशंका है. इस वजह से कच्चे तेल की कीमत में गिरावट आई है. क्रूड ऑयल सस्ता होने से ऑयल मार्केटिंग कंपनियों के मार्जिन में सुधार हुआ है. इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन, भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड का देश के 90% ऑयल मार्केट पर कब्जा है.
बिगड़ गया गणित
कई राज्यों में पेट्रोल की कीमत 100 रुपए प्रति लीटर से अधिक हो गई है और डीजल का दाम भी 90 रुपए प्रति लीटर के पार है. डीजल का सीधा संबंध महंगाई से है. ऐसे में महंगे पेट्रोल-डीजल ने लोगों का पूरा गणित बिगाड़ दिया है. पेट्रोल-डीजल की कीमतों में लंबे अर्से के बाद बदलाव लोकसभा चुनाव से पहले हुआ था, जब सरकार ने इनकी कीमतों में 2 रुपए की कटौती की थी.
बजाज हाउसिंग फाइनेंस का आईपीओ इसी सप्ताह खुला और कल बुधवार को उसे सब्सक्राइब करने की आखिरी तारीख थी. इस आईपीओ का निवेशक पहले से इंतजार कर रहे थे.
बजाज समूह (Bajaj Group) के नए IPO को लेकर बाजार में जिस तरह का माहौल बना हुआ था, इश्यू ने उसे सही साबित कर दिया है. तीन दिनों में इस IPO को निवेशकों से इस तरह बोलियां मिली हैं कि उसने IPO के बाजार के सभी पुराने कीर्तिमानों को ध्वस्त कर दिया है. बजाज हाउसिंग फाइनेंस के IPO को तीन दिनों में करीब साढ़े चार लाख करोड़ रुपये की बोलियां प्राप्त हुईं. इस तरह हाल ही में टाटा समूह की टाटा टेक्नोलॉजीज के द्वारा बनाया गया IPO सब्सक्रिप्शन का महारिकॉर्ड टूट गया. टाटा टेक्नोलॉजीज के 3 हजार करोड़ रुपये के IPO को 1.5 लाख करोड़ रुपये से ऊपर की बोलियां मिली थीं.
करीब साढ़े चार लाख करोड़ की आईं बोलियां
बजाज हाउसिंग फाइनेंस आईपीओ को देखें तो कंपनी ने इसके जरिए बाजार से 6,560 करोड़ रुपये जुटाने का प्रयास किया है. आईपीओ में 3,560 करोड़ रुपये के शेयरों का फ्रेश इश्यू और 3 हजार करोड़ रुपये का ऑफर फोर सेल शामिल था. चित्तौड़गढ़ डॉट कॉम के आंकड़ों के अनुसार, बुधवार को क्लोज होने तक आईपीओ को 67.43 गुना सब्सक्राइब किया गया. यानी 6,560 करोड़ रुपये के इश्यू के बदले कंपनी को निवेशकों से 4.42 लाख करोड़ रुपये की बोलियां मिलीं.
QIB निवेशकों ने भी बनाया रिकॉर्ड
बजाज का यह आईपीओ सब्सक्रिप्शन के लिए 9 सितंबर को खुला और उसमें 11 सितंबर तक बोली लगाई गई. बाजार पर कंपनी के शेयरों की लिस्टिंग 16 सितंबर को होगी. आईपीओ में कंपनी के शेयरों का प्राइस बैंड 66-70 रुपये का रहा, जबकि एक लॉट में 214 शेयर शामिल थे. आईपीओ को सबसे ज्यादा क्यूआईबी कैटेगरी में रिकॉर्ड 222.05 गुना सब्सक्रिप्शन मिला. इसी तरह एनआईआई ने 43.98 गुना, रिटेलर्स ने 7.41 गुना, कर्मचारियों ने 2.13 गुना और अन्य श्रेणियों के निवेशकों ने 18.54 गुना सब्सक्राइब किया.
ग्रे मार्केट में डबल भाव पर कर रहा ट्रेड
बजाज हाउसिंग फाइनेंस एक एचएफसी यानी हाउसिंग फाइनेंस कंपनी है. वह एक एचएफसी के रूप में 2015 से ही नेशनल हाउसिंग बैंक के पास रजिस्टर्ड है. इस आईपीओ में कोटक महिंद्रा कैपिटल, बोफा सिक्योरिटीज, एक्सिस कैपिटल, गोल्डमैन सैश (इंडिया) सिक्योरिटीज, एसबीआई कैपिटल मार्केट्स, जेएम फाइनेंशियल और आईआईएफएल सिक्योरिटीज को आईपीओ का बुक-रनिंग लीड मैनेजर बनाया गया था. यह आईपीओ ग्रे मार्केट में 96 फीसदी प्रीमियम (जीएमपी) पर ट्रेड कर रहा है. लिस्टिंग से पहले बजाज आईपीओ एक्स पर भी ट्रेंड कर रहा है.
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया यानी SBI ने 2020 में यस बैंक को वित्तीय संकट से बचाने के लिए इसमें 49% हिस्सेदारी खरीदी थी.
प्राइवेट सेक्टर के Yes Bank को लेकर बड़ी खबर सामने आई है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने एसबीआई के इस बैंक में हिस्सेदारी बेचने पर रोक लगा दी है. बताया जा रहा है कि RBI फिलहाल यस बैंक में बहुमत हिस्सेदारी बेचे जाने के पक्ष में नहीं है. इसका मतलब है कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) को Yes Bank की हिस्सेदारी बेचने के लिए इंतजार करना होगा.
इतनी है हिस्सेदारी
यस बैंक में SBI की भी हिस्सेदारी है, जिसका 3 साल का लॉक-इन पीरियड खत्म हो गया है. ऐसे में SBI अपनी हिस्सेदारी बेचना चाहता है. SBI ने 2020 में यस बैंक को वित्तीय संकट से बचाने के लिए इसमें 49% हिस्सेदारी खरीदी थी. बीच में ऐसी खबर आई थी कि जापान के सुमितोमो मित्सुई बैंकिंग कॉरपोरेशन (SMBC) ने यस बैंक में बहुमत हिस्सेदारी खरीदने की इच्छा जताई है और डील लगभग फाइनल हो चुकी है.
नहीं मिली मंजूरी
अब सामने आ रहीं खबरों के मुताबिक, RBI ने अभी तक Yes Bank के संभावित नए निवेशक के फिट एंड प्रॉपर वैल्यूएशन को मंजूरी नहीं दी है. बता दें कि Yes Bank को दूसरे हाथों में सौंपने की तैयारी पिछले काफी समय से चल रही है. इस दौड़ में कई कंपनियां शामिल बताई गई थीं, लेकिन सुमितोमो मित्सुई बैंकिंग कॉरपोरेशन (SMBC) को सबसे आगे माना जा रहा है. वहीं, बैंक के शेयर आज एक प्रतिशत से अधिक की गिरावट के साथ कारोबार कर रहे हैं.
कांग्रेस सेबी की अध्यक्ष माधबी पुरी बुच पर कई गंभीर आरोप लगा चुकी है, लेकिन बुच ने एक भी आरोप पर सफाई नहीं दी है. उनकी खामोशी कई सवाल खड़े कर रही है.
सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच (Madhabi Puri Buch) कांग्रेस के निशाने पर हैं. पार्टी ने बीते कुछ दिनों में बुच पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं. लेकिन हिंडनबर्ग के आरोपों पर तुरंत सफाई देने वालीं सेबी चीफ कांग्रेस के आरोपों पर पूरी तरह खामोश हैं. माधबी पुरी बुच की यह खामोशी कई सवाल खड़े कर रही है. कांग्रेस ने बुच पर कई कंपनियों से आर्थिक रिश्ते के आरोप लगाए हैं. जिन कंपनियों का नाम कांग्रेस ने लिया है, उनका स्पष्टीकरण भी आ गया है, मगर सेबी प्रमुख ने अपने होंठ पूरी तरह सिल रखे हैं.
हिंडनबर्ग ने पूछा सवाल
अमेरिकी शॉर्ट सेलर 'हिंडनबर्ग रिसर्च' ने भी सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच की खामोशी पर सवालों के तीर दागे हैं. उसने एक सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा है कि माधबी पर हाल ही में कई आरोप लगे हैं, लेकिन इन आरोपों पर वह चुप्पी साधे हुए हैं और कोई सफाई नहीं दी है. ऐसा क्यों है? हिंडनबर्ग रिसर्च ने आगे लिखा ही - नए आरोपों के मुताबिक निजी परामर्श इकाई, जिसका 99% स्वामित्व सेबी अध्यक्ष माधबी बुच के पास है, ने सेबी द्वारा विनियमित कई सूचीबद्ध कंपनियों से भुगतान स्वीकार किया. ऐसा बुच के सेबी की पूर्णकालिक सदस्य रहते हुए किया गया. लेकिन बुच ने अपने ऊपर लगे इन आरोपों पर चुप्पी साधी हुई है और हफ्तों बाद भी सफाई नहीं दी है.
भारी पड़ेगी खामोशी?
जानकारों का मानना है कि माधबी पुरी बुच की खामोशी उन पर भारी पड़ सकती है. आरोपों पर सफाई न देकर कहीं न कहीं वह खुद आरोपों को बल दे रही हैं. हिंडनबर्ग के आरोपों पर उन्होंने तुरंत बयान जारी किया था. उनके पति धवल बुच की तरफ से भी आरोपों को बेबुनियाद करार दिया गया था, लेकिन कांग्रेस के आरोपों पर दोनों खामोश हैं. जबकि जिन कंपनियों से बुच के रिश्ते की बात कांग्रेस ने कही है, वो सफाई पेश कर चुकी हैं.
यहां अटकी है बात
कुछ वक्त पहले खबर आई थी कि संसदीय लोक लेखा समिति (PAC) सेबी प्रमुख के खिलाफ आरोपों की जांच करने वाली है और इस महीने के अंत में उन्हें तलब किया जा सकता है. PAC की अध्यक्षता कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल कर रहे हैं और इसमें सत्तारूढ़ दल और कांग्रेस दोनों के सदस्य हैं. हालांकि, इस मामले में बात कितनी आगे बढ़ी इसे लेकर कोई जानकारी नहीं है. बताया जा रहा है कि सेबी चीफ को तलब करने को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के सांसदों में मतभेद है. विपक्ष जहां चाहता है कि बुच को तलब किया जाए, वहीं भाजपा सांसद नियमों का हवाला देकर इसका विरोध कर रहे हैं. इस वजह से मामला अभी तक अटका हुआ है.
ऐसे हुई शुरुआत
माधबी पुरी बुच पर आरोपों की शुरुआत सबसे पहले हिंडनबर्ग ने की थी. उसने आरोप लगाया था कि अडानी ग्रुप के विदेशी फंड में सेबी चीफ माधबी पुरी बुच और उनके पति की हिस्सेदारी है. रिपोर्ट में अडानी ग्रुप और सेबी के बीच मिलीभगत का भी आरोप था. हालांकि, सेबी चीफ और उनके पति धवल बुच ने आरोपों को खारिज किया था. इसके बाद कांग्रेस ने मामले को आगे बढ़ाया. पार्टी ने एक के बाद एक कई आरोप लगाए. कांग्रेस का यह भी कहना है कि सेबी चीफ के द्वारा प्रमोटेड कंसल्टेंसी कंपनी को करीब 3 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया. जिस समय बुच सेबी की पूर्णकालिक सदस्य थीं और सेबी महिंद्रा समूह के खिलाफ मामलों की जांच कर रहा था, उस समय अगोरा एडवाइजरी प्राइवेट लिमिटेड को भुगतान किया गया. बुच के पास अगोरा के 99 फीसदी शेयर है. इस तरह यह सेबी कोड के सेक्शन 5 के तहत हितों के टकराव का मामला है.