सेबी ने बॉम्बे डाइंग पर लगाया 2 साल का बैन, पर कंपनी लेने जा रही ये एक्शन

कंपनी के वित्तीय विवरणों को गलत तरीके से प्रस्तुत करने की धोखाधड़ी योजना में शामिल होने पर सेबी ने बैन लगाया है.

Last Modified:
Sunday, 23 October, 2022
sebi

नई दिल्लीः बॉम्बे डाइंग एंड मैन्युफैक्चरिंग कंपनी लिमिटेड ने शनिवार को कहा कि वह सेबी के आदेश के खिलाफ सिक्योरिटीज अपीलेट ट्रिब्यूनल (सैट) में जाएगी जिसने कंपनी और उसके प्रमोटरों को दो साल तक के लिए प्रतिबंधित कर दिया था. सेबी ने अपने आदेश में बॉम्बे डाइंग और उसके प्रमोटरों - नुस्ली एन वाडिया, नेस वाडिया और जहांगीर वाडिया सहित 10 संस्थाओं को दो साल तक के लिए प्रतिभूति बाजारों से प्रतिबंधित कर दिया और इसमें शामिल होने के लिए उन पर कुल ₹ 15.75 करोड़ का जुर्माना लगाया. कंपनी के वित्तीय विवरणों को गलत तरीके से प्रस्तुत करने की धोखाधड़ी योजना में शामिल होने पर सेबी ने बैन लगाया है.

कंपनी ने जारी किया बयान

एक बयान में, बॉम्बे डाइंग के प्रवक्ता ने कहा कि कंपनी इस आदेश को अपील करने के अपने वैधानिक अधिकार का प्रयोग करेगी और विश्वास करती है कि उसे न्याय मिलेगा और वह सही साबित होगा. कंपनी ने कहा कि उसे एक दशक पहले के अंतिम खातों के बारे में सेबी के आदेश की प्राप्ति हुई है. संक्षेप में, नियामक ने वित्त वर्ष 2011-12 और वित्त वर्ष 2018-19 के बीच लेखांकन मानकों और वैध रूप से तैयार, अनुमोदित और उचित रूप से प्रस्तुत अयोग्य खातों के चित्रण की व्याख्या करने की मांग की है.

प्रवक्ता ने कहा, "विचाराधीन खातों को प्रबंधन द्वारा प्रस्तुत किया गया था, लेखा परीक्षा समिति द्वारा समीक्षा की गई और वैधानिक लेखा परीक्षकों द्वारा राय दी गई." प्रवक्ता ने यह भी कहा, कंपनी अपने विचार में काफी दृढ़ है कि सभी लेनदेन पूरी तरह से वैध थे और कानून के अनुपालन में थे. उन्होंने किसी भी उचित व्याख्या या एक्सट्रपलेशन से सेबी के नियमों का उल्लंघन नहीं किया और न ही कर सकते थे.

सेबी ने दिया आदेश

सेबी ने अपने आदेश में बॉम्बे डाइंग और उसके प्रमोटरों - नुस्ली एन वाडिया, नेस वाडिया और जहांगीर वाडिया सहित 10 संस्थाओं को दो साल तक के लिए प्रतिभूति बाजारों से प्रतिबंधित कर दिया और इसमें शामिल होने के लिए उन पर कुल ₹ 15.75 करोड़ का जुर्माना लगाया. कंपनी के वित्तीय विवरणों को गलत तरीके से प्रस्तुत करने की धोखाधड़ी योजना में.

इन कंपनियों पर भी लगाया है जुर्माना

सेबी द्वारा प्रतिबंधित और दंडित किए गए अन्य लोग हैं - वाडिया समूह की कंपनी स्कैल सर्विसेज लिमिटेड, इसके तत्कालीन निदेशक - डीएस गगराट, एनएच दातानवाला शैलेश कार्णिक, आर चंद्रशेखरन  और दुर्गेश मेहता, जो बॉम्बे के संयुक्त प्रबंध निदेशक और मुख्य वित्तीय अधिकारी थे. कंपनी के वित्तीय विवरणों को गलत तरीके से पेश करने की फर्जी योजना में शामिल होने पर उन पर 15.75 करोड़ का जुर्माना भी लगाया गया. कुल मिलाकर नियामक ने बॉम्बे डाइंग पर ₹ 2.25 करोड़, नुस्ली वाडिया पर ₹ 4 करोड़, जहांगीर वाडिया पर ₹ 5 करोड़, नेस वाडिया पर ₹ 2 करोड़, मेहता पर ₹ 50 लाख का जुर्माना लगाया है.

VIDEO: दिल्ली में आखिर अचानक क्यों बड़ा प्रदूषण क्या पराली है इसकी बड़ी वजह या कुछ और

 


Adani की इस कंपनी को किसने किया ब्लैकलिस्ट, क्या निवेशकों के आएंगे 'बुरे दिन'? 

अडानी समूह की लिस्टेड कंपनियों के लिए आज का दिन मिलाजुला रहा. कुछ कंपनियों के शेयर लुढ़के, तो कुछ में मजबूती भी आई.

Last Modified:
Thursday, 16 May, 2024
BWHindia

अडानी समूह (Adani Group) के लिए एक बुरी खबर आई है. समूह की कंपनी अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन (Adani Ports and Special Economic Zone) के खिलाफ बड़ी कार्रवाई हुई है. नॉर्वे के 1.7 ट्रिलियन डॉलर वाले सॉवरेन वेल्थ फंड ने अस्वीकार्य जोखिम का हवाला देते हुए अडानी पोर्ट्स को अपने पोर्टफोलियो से ब्लैकलिस्ट कर दिया है. इस फंड का प्रबंधन करने वाले नोर्गेस बैंक इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट (Norges Bank Investment Management) ने यह जानकारी दी है. 

2022 से जारी थी निगरानी
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, अडानी पोर्ट्स के अलावा नार्वे के वेल्थ फंड ने अमेरिका की L3Harris Technolgies और चीन की Weichai पावर को भी अपने पोर्टफोलियो से बाहर कर दिया है. यह फैसला नॉर्वे की काउंसिल ऑन एथिक्स की सिफारिशों के आधार पर लिया गया है. मालूम हो कि नोर्गेस बैंक इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट साल 2022 से अडानी पोर्ट्स की निगरानी कर रहा था और कंपनी को पोर्टफोलियो से बाहर करने के साथ ही निगरानी भी खत्म हो गई है. Norges के इस निर्णय को अडानी पोर्ट्स के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है और इसका असर कंपनी के शेयरों पर भी पड़ सकता है.

ये भी पढ़ें - डेस्कटॉप-लैपटॉप नहीं, अब ट्रेडिंग के लिए मोबाइल है ट्रेंड में; आंकड़े दे रहे गवाही

इस वजह से आई नजर में
अडानी पोर्ट्स पर आरोप है कि वो युद्ध और संघर्ष क्षेत्रों में मानवाधिकारों के उल्लंघन में शामिल रही. इसी के आधार पर नॉर्वे के वेल्थ फंड ने अस्वीकार्य जोखिम का हवाला देते हुए अडानी पोर्ट्स को अपने पोर्टफोलियो से बाहर कर दिया है. दरअसल, म्यांमार में एक पोर्ट टर्मिनल में अडानी पोर्ट्स की भागीदारी के चलते कंपनी नार्वे सरकार की नज़र में आई थी. कंपनी ने पिछले साल ही उस पोर्ट प्रोजेक्ट को बेचने की बात कही थी, लेकिन नॉर्वे की काउंसिल ऑन एथिक्स ने कहा था कि खरीदार के बारे में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है. लिहाजा यह पता लगाना असंभव है कि क्या अडानी पोर्ट्स का अभी भी उससे संबंध है.

ऐसा रहा है स्टॉक का हाल
काउंसिल ऑन एथिक्स के अनुसार, बेहद गंभीर मानदंडों का उल्लंघन हुआ है, जो अस्वीकार्य जोखिम है. गौरतलब है कि अडानी पोर्ट्स भारत की सबसे बड़ी प्राइवेट पोर्ट ऑपरेटर और एंड-टू-एंड लॉजिस्टिक्स प्रोवाइडर कंपनी है. उसके पास 13 बंदरगाह और टर्मिनल हैं, जो देश की कुल पोर्ट कैपिसिटी के 24% के बराबर है. माना जा रहा है कि नॉर्वे से आई इस बुरी खबर का असर कंपनी के शेयरों पर पड़ सकता है. आज यानी गुरुवार को अडानी पोर्ट्स के शेयर मामूली बढ़त के साथ 1,342 रुपए पर बंद हुए. बीते 5 कारोबारी सत्रों में यह शेयर 6.49% और इस साल अब तक 28.07% चढ़ा है. इसका 52 वीक का हाई लेवल 1,424.95 रुपए है. 

TAGS bw-hindi

सरकार हमारी स्‍लीपिंग पार्टनर और हम वर्किंग पार्टनर, ब्रोकर के सवाल पर क्‍या बोलीं FM

आम आदमी पर लगने वाले टैक्‍स को लेकर ब्रोकर ने निवेश से लेकर रियल स्‍टेट बाजार पर लगने वाले टैक्‍स को लेकर अपनी बात कही तो वित्‍त मंत्री ने जवाब ने सभी को खुश कर दिया. 

Last Modified:
Thursday, 16 May, 2024
BWHindia

हर सामान पर लगने वाले टैक्‍स को लेकर वैसे तो अब तक कई लोग आवाज उठा चुके हैं लेकिन गुरुवार को वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण से एक ब्रोकर ने कुछ ऐसा ही सवाल पूछ लिया. ब्रोकर ने पूछा कि सरकार उनके निवेश से लेकर रियल स्‍टेट तक हर जगह ऐसे टैक्‍स लेती है जैसे वो स्‍लीपिंग पार्टनर हो और वो वर्किंग पार्टनर है जिसकी कोई सैलरी नहीं है. इस पर वित्‍त मंत्री ने जो जवाब दिया है वो आप को भी गुदगुदा सकता है. 

ब्रोकर ने आखिर क्‍या सवाल पूछा? 
मुंबई में चल हे इस कार्यक्रम वित्‍त मंत्री से सवाल पूछा कि जब भी कोई रिटेल निवेशक बाजार में पैसा लगाता है तो सरकार उससे कई तरह से पैसा कमाती है. सरकार जीएसटी, एसजीएसटी, सीजीएसटी सहित लॉन्‍ग टर्म कैपिटल गेन टैक्‍स सहित कई और तरह के टैक्‍स लगाती है. उन्‍होंने कहा कि आज सरकार ब्रोकर से ज्‍यादा कमा रही है. उन्‍होंने कहा कि मैं अपनी पूंजी बाजार में लगा रहा हूं, मैं उस निवेश को लेकर सारा जोखिम ले रहा हूं, लेकिन सरकार सारा टैक्‍स ले लेती है. सरकार हमारी स्‍लीपिंग पार्टनर है और मैं अपने फाइनेंसस के साथ वर्किंग पार्टनर हो गया हूं. आप इस पर क्‍या कहना चाहेंगी? 

ये भी पढ़ें: एआई से काम करने लगे है रिकॉर्ड तोड़ लोग.. इन दो कंपनियों के सर्वे में आया सामने

रियल स्‍टेट को लेकर भी सामने आया ऐसा ही दिलचस्‍प सवाल 
इन्‍हीं ब्रोकर ने ऐसे ही रियल स्‍टेट को लेकर भी सवाल पूछते हुए कहा कि अगर हम कोई घर खरीदते हैं तो उसमें से आज कैश का हिस्‍सा बिल्‍कुल खत्‍म हो गया है. अगर मुंबई में कोई आदमी घर खरीदना चाहता है तो ये एक सपने जैसा हो गया है. क्‍योंकि मैं टैक्‍स अदा कर रहा हूं इसलिए मेरे पास सारा व्‍हाइट मनी है. इसलिए हम जो कुछ भी पे करेंगे वो चेक से पेमेंट करेंगे मिस्‍टर लोड़ा कैश नहीं लेते हैं. सारा टैक्‍स जमा करने के बाद जब मैं घर लेने जाता हूं तो मुझे एक बार फिर स्‍टैंप ड्यूटी देनी होगी और जीएसटी देना होगा. ये राशि कोई 11 प्रतिशत तक पहुंच जाती है.उन्‍होंने वित्‍त मंत्री से पूछा कि आखिर आप मुंबई में रहने वालों को घर लेने के लिए क्‍या सुझाव देना चाहेंगी. 

अब जानिए आखिर वित्‍त मंत्री ने क्‍या कहा 
इन सभी सवालों का हंसकर जवाब देते हुए वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि  एक स्‍लीपिंग पार्टनर यहां बैठकर कैसे जवाब दे सकता है. वित्‍त मंत्री का ये जवाब सुनकर वहां मौजदू सभी लोग हंसने लगे. 
 


SEBI ने आसान किए KYC से जुड़े नियम, करोड़ों निवेशकों को मिली राहत

सेबी ने केवाईसी के नियमों को कड़ा कर दिया था, जिसके चलते 1 अप्रैल के बाद 1 करोड़ से ज्यादा म्यूचुअल फंड अकाउंट होल्ड कर दिए गए थे.

Last Modified:
Thursday, 16 May, 2024
BWHindia

म्‍यूचुअल फंड में पैसा लगाने वाले निवेशकों के लिए अच्‍छी खबर है. बाजार नियामक SEBI ने KYC के नियमों में हाल ही में लागू किए बदलावों को कुछ आसान कर दिया है. इससे एक करोड़ से ज्यादा ऐसे निवेशकों को फायदा होगा, जिनके म्यूचुअल अकाउंट होल्ड हो गए थे. पहले SEBI ने म्‍यूचुअल फंड में निवेश करने वालों की ‘KYC रजिस्‍टर्ड’ करने के लिए पैन को आधार से लिंक करना अनिवार्य कर दिया था. लेकिन, अब 14 मई को जारी एक नए सर्कुलर में SEBI ने कहा है कि अब पैन-आधार लिंक, KYC रजिस्‍टर्ड करने के लिए अनिवार्य नहीं है.

SEBI ने दी KYC में ये ढील

सेबी के द्वारा दी गई ढील के बाद अब KYC रजिस्ट्रेशन एजेंसियां ऑफिशियल डेटाबेस से पैन, नाम, पता, ईमेल, मोबाइल नंबर जैसी जानकारियों को वेरिफाई कर सकती हैं. SEBI का कहना है कि अगर ये जानकारियां ऑर्डर में पाई जाती हैं तो उन्हें वैलिडेटेड रिकॉर्ड के रूप में कंसीडर किया जाएगा.

ये भी पढ़ें- गर्दिश में चीन के सितारे, अब Microsoft ने बना लिया मुल्क छोड़ने का मन; आखिर क्या रही वजह?

1 अप्रैल से लागू हुए थे बदलाव

इससे पहले सेबी ने म्यूचुअल फंड के निवेशकों के लिए KYC के नियमों को कड़ा कर दिया था. नियामक के द्वारा किए गए बदलाव में बहुत सारे निवेशकों को फिर से KYC कराने की जरूरत पड़ गई थी. ये नियम 1 अप्रैल 2024 से लागू हुए थे और फ्रेश KYC नहीं कराने वाले निवेशकों के म्यूचुअल फंड अकाउंट को होल्ड कर दिया गया था.

इतने अकाउंट हो गए थे होल्ड

बताया जा रहा था कि अधूरी KYC के चलते करीब 1.3 करोड़ म्यूचुअल फंड अकाउंट होल्ड किए गए थे. KYC रजिस्ट्रेशन एजेंसियों ने बताया था कि इन्वेस्टर्स ने KYC की शुरुआती प्रक्रिया में वैसे दस्तावेजों का इस्तेमाल किया, जो अब आधिकारिक रूप से वैलिड नहीं हैं या उन्होंने आधार के जरिए KYC को पूरा नहीं किया, इसी कारण उनके अकाउंट को होल्ड किया गया है. हालांकि सेबी के द्वारा दी गई ताजी छूट से ऐसे निवेशकों को राहत मिलने की उम्मीद है.

ऐसे निवेशकों को मिलेगी राहत

म्यूचुअल फंड अकाउंट को होल्ड करने से उन निवेशकों को ज्यादा परेशानी हो रही थी, जो NRI हैं या भारत से बाहर किसी अन्य देश में रहते हैं. वे अपने म्यूचुअल फंड अकाउंट से निकासी नहीं कर पा रहे थे, क्योंकि उनके अकाउंट को होल्ड कर दिया गया था. अब केआरए से वेरिफिकेशन के बाद उनी KYC को कंप्लीट माना जा सकता है और अकाउंट पर लगे होल्ड को हटाया जा सकता है.
 


एंटीलिया के पड़ोस में है देश का दूसरा सबसे महंगा घर, जानते हैं किस बिजनेसमैन का है ये घर?

देश के दूसरे सबसे महंगे और आलीशान घर जे.के. हाउस की कीमत 6 हजार करोड़ रुपये है. इसकी इमारत देश के सबसे महंगे घर एंटीलिया से भी ऊंची है.

Last Modified:
Thursday, 16 May, 2024
BWHindia

मुंबई स्थित बिजनेसमैन मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया के बारे में तो हर कोई जानता ही होगा. एंटीलिया भारत का सबसे लग्जरी और महंगा घर तो है ही, साथ ही दुनिया के सबसे महंगे घरों में भी शामिल है. वहीं, इसके पड़ोस में ही देश का दूसरा सबसे महंगा घर है. ये घर उस बिजनेसमैन का है जिसने अपने पिता को इसी घर से बाहर निकाल दिया था और अब अपनी पत्नी को भी शादी के 32 साल बाद तलाक देने जा रहे हैं. तो चलिए जानते हैं कौन बिजनेसमैन है इस आलीशान घर का मालिक?  

इसलिए खास है जे.के. हाउस

बिजनेसमैन मुकेश अंबानी का घर ‘एंटीलिया’ मुंबई की एल्टामाउंट रोड पर बना है. इस रोड को भारत का Billionaire’s Row भी कहा जाता है. इसी रोड पर देश का दूसरा सबसे महंगा आलीशान घर ‘जे.के. हाउस’ बना है और ये बिल्डिंग मुकेश अंबानी के एंटीलिया से भी ऊंची है. मुकेश अंबानी का ‘एंटीलिया’ जहां 27 मंजिला है. वहीं, जे.के. हाउस में 36 फ्लोर हैं. इसका डिजाइन बहुत हद तक एंटीलिया के जैसा ही है. ये प्रॉपर्टी एक बार रिनोवेशन के लिए जा चुकी है,  साल 2016 में ये फिर से तैयार हो गई थी. भारत में ये 140वीं सबसे ऊंची इमारत है, तो दुनिया में इसकी रैंकिंग 7,900 के करीब है.

घर की कीमत 6 हजार करोड़

जे. के. हाउस के अंदर लगभग सभी आधुनिक सुख सुविधाएं मौजूद हैं. इसमें जिम, स्पा, स्विमिंग पूल से लेकर होम थिएटर तक सभी मौजूद है. इस इमारत के 5 फ्लोर सिर्फ पार्किंग के लिए इस्तेमाल होते हैं. वहीं इसमें एक हेलीपैड भी है. इस मकान की अनुमानित कीमत करीब 6,000 करोड़ रुपये है.

इसे भी पढ़ें-Blinkit से बोली एक मां, सब्जी के साथ फ्री मिले धनिया, सीईओ ने पुरी कर दी मुराद

ये हैं इस आलीशान घर के मालिक

जे.के हाउस का मालिकाना हक रेमंड ग्रुप के पास है. ये घर रेमंड ग्रुप के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर गौतम सिंघानिया (Gautam Singhania) हैं. गौतम सिंघानिया कई कारणों से अक्सर चर्चा में रहते हैं. उनके पिता विजयपत सिंघानिया कई मौकों पर मीडिया में बयान दे चुके हैं कि जिस बेटे को उन्होंने अपना पूरा कारोबार सौंप दिया, उसने ही उन्हें अपने खुद के घर (जे.के. हाउस) से बाहर निकाल दिया. वह गौतम सिंघानिया को बिजनेस सौंपना अपनी सबसे बड़ी गलती बता चुके हैं. पिछले वर्ष दिवाली के कुछ दिन बाद गौतम सिंघानिया ने सार्वजनिक तौर पर जानकारी दी थी कि वह अपनी पत्नी नवाज मोदी सिंघानिया से शादी के 32 साल बाद तलाक लेने जा रहे हैं. इस ऐलान के कुछ दिन बाद ही नवाज मोदी के इसी जे.के. हाउस के बाहर धरना देने के वीडियो वायरल हुए थे.

पत्नी के साथ संपत्ति बंटवारे को लेकर विवाद

हाल में उन्हें रेमंड ग्रुप की अलग-अलग कंपनियों के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स से भी बाहर कर दिया गया है. गौतम सिंघानिया का अपनी पत्नी के साथ तलाक में संपत्ति के बंटवारे को लेकर विवाद चल रहा है. नवाज मोदी ने तलाक में गौतम सिंघानिया से करीब 8700 करोड़ रुपये की मांग की है.

 


एआई से काम करने लगे है रिकॉर्ड तोड़ लोग.. इन दो कंपनियों के सर्वे में आया सामने

सर्वे बता रहा है कि अपनी एआई योग्यता बढ़ाने के लिए लिंक्डइन लर्निंग पाठ्यक्रमों का इस्तेमाल करने वाले गैर-तकनीकी प्रोफेशनल्स में 160 फीसदी की ग्रोथ हुई है.

Last Modified:
Thursday, 16 May, 2024
BWHindia

आने वाले दिनों में Artificial Intelligence का इस्‍तेमाल बढ़ेगा इसकी भविष्‍यवाणी तो सभी कर रहे हैं लेकिन दो महत्‍वपूर्ण कंपनियों के एआई को लेकर आए आंकड़े चौंकाने वाले हैं. माइक्रोसॉफ्ट और लिंक्डिन की ओर से जारी की गई इस रिपोर्ट का शीर्षक ‘एआई ऐट वर्क इज हीयर है. ये रिपोर्ट बता रही है कि एआई के लॉन्‍च होने के एक साल के अंदर देश में 92 फीसदी नॉलेज वर्कर्स अपने वर्कप्‍लेस पर एआई का इस्तेमाल करते हैं जबकि भारत में 91 प्रतिशत बिजनेस लीडर्स का भी मानना है कि उनकी कंपनियों को प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए एआई को अपनाने की जरूरत है. 

क्‍या कहते हैं इस रिपोर्ट के आंकड़े? 
 माइक्रोसॉफ्ट और लिंक्डिन की इस रिपोर्ट के लिए आंकड़े 31 देशों में 31,000 लोगों के बीच किए गए सर्वेक्षण, लिंक्डइन पर लेबर और नियुक्ति के रुझान, खरबों माइक्रोसॉफ्ट 365 प्रोडक्टिविटी सिग्‍नल्स और फॉर्च्यून 500 ग्राहकों के बीच किए गए शोध पर आधारित हैं.   भारत में 91 प्रतिशत बिजनेस लीडर्स का भी मानना है कि उनकी कंपनियों को प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए एआई को अपनाने की जरूरत है, लेकिन 54 फीसदी को चिंता है कि उनके संगठन के पास इसके कार्यान्वयन के लिए किसी योजना और नजरिए का अभाव है.

ये भी पढ़़ें: आखिर क्‍यों हो रहा है इतना गोल्‍ड इंपोर्ट, कैसे तीन गुना तक बढ़ गया आंकड़ा?

रिपोर्ट बता रही है तीन अहम बातें
यह रिपोर्ट आने वाले वर्षों में वर्क, टैलेंट और नियुक्तियों पर एआई के प्रभाव के बारे में प्रत्येक बिजनेस लीडर और प्रोफेशनल को जानने के लिए जरूरी तीन बातों पर प्रकाश डालती है. कर्मचारी वर्कप्‍लेस पर एआई चाहते हैं - और वे इस पर कंपनियों के आगे बढ़ने का इंतजार नहीं करेंगे. भारत का वर्कफोर्स एआई को लेकर बहुत आशावादी है। भारत में 92 फीसदी नॉलेज वर्कर्स अपने वर्कप्‍लेस पर एआई का इस्तेमाल करते हैं, जबकि दुनिया भर में इसका औसत 75% है। भारत में 91 प्रतिशत बिजनेस लीडर्स का भी मानना है कि उनकी कंपनियों को प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए एआई को अपनाने की जरूरत है, लेकिन 54 फीसदी को चिंता है कि उनके संगठन के पास इसके कार्यान्वयन के लिए किसी योजना और नजरिए का अभाव है.

क्‍या कह रहे हैं लिंक्डिन के आंकड़े? 
लिंक्डइन के आंकड़ों से पता चलता है कि लिंक्डइन पर की जाने वाली जॉब पोस्ट में एआई के बारे में लिखने वालों की संख्‍या में 17 फीसदी का इजाफा हुआ है. जहां तक नियुक्तियों की बात है तो भारत के बिजनेस लीडर्स के लिए एआई स्किल अब सबसे महत्‍वपूर्ण बन गया है. 75 फीसदी बिजनेस लीडर्स का कहना है कि वे एआई कौशल की कमी वाले किसी व्यक्ति को नौकरी पर नहीं रखेंगे। ये आंकड़ा ग्लोबल एवरेज से 66 फीसदी से ज्यादा है. दिलचस्प बात यह है कि एआई स्किल अब अनुभव से ज्यादा महत्वपूर्ण बन गया है। भारत में 80 फीसदी बिजनेस लीडर्स एआई स्किल के बिना ज्यादा अनुभवी उम्मीदवार की तुलना में एआई स्किल वाले कम अनुभवी उम्मीदवार को नौकरी देना पसंद करते हैं.  

 


 


गर्दिश में चीन के सितारे, अब Microsoft ने बना लिया मुल्क छोड़ने का मन; आखिर क्या रही वजह?

अमेरिका और चीन के बीच तनाव बढ़ गया है. इस बीच, माइक्रोसॉफ्ट ने अपने चीनी कर्मचारियों से दूसरे देशों में शिफ्ट होने को कहा है.

Last Modified:
Thursday, 16 May, 2024
BWHindia

चीन के तारे इन दिनों गर्दिश में चल रहे हैं. चीन के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वालीं ग्लोबल कंपनियां अब उससे किनारा करने लगी हैं. iPhone बनाने वाली Apple चीन से ज्यादा प्यार भारत पर लुटा रही है. ताइवान की कंपनी फॉक्सकॉन भी चीन में खुद को सीमित करते हुए भारत में विस्तार कर रही है. अब खबर है कि दुनिया की सबसे वैल्यूएबल कंपनी माइक्रोसॉफ्ट (Microsoft) चीन को अलविदा कहने वाली है. कंपनी ने चीन में मौजूद अपने कर्मचारियों को दूसरे देशों में शिफ्ट होने को कहा है.

स्टाफ को इन देशों का मिला विकल्प
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें, तो माइक्रोसॉफ्ट ने चीन छोड़ने की पूरी तैयारी कर ली है. कंपनी ने चीन में क्लाउड-कंप्यूटिंग और आर्टिफिशियल-इंटेलिजेंस ऑपरेशन में लगे करीब 700 से 800 कर्मचारियों से कहा है कि वे विदेशों में रिलोकेट होने पर विचार करें. अमेरिका की इस दिग्गज कंपनी ने चाइना के अपने कर्मचारियों के सामने अमेरिका, आयरलैंड, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसे देशों में ट्रांसफर का विकल्प रखा है. चीन में कंपनी का ज्यादातर स्टाफ स्थानीय है. ऐसे में यदि कर्मचारी चीन छोड़ने को तैयार नहीं होते, तो फिर उन्हें नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है.

इस वजह से लिया ये फैसला 
अमेरिका और चीन के संबंधों में तनाव लगातार बढ़ रहा है. जो बाइडेन की अमेरिकी सरकार ने चीन से इंपोर्टेड सामानों पर भारी टैक्‍स लगाने का फैसला लिया है. सरकार ने चीनी सामानों पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाकर 100% तक कर दी है. अमेरिका चीन से इलेक्ट्रिक व्‍हीकल्‍स, बैटरी, सोलर सेल, स्टील-एल्यूमीनियम, मिनरल्‍स आदि इम्पोर्ट करता है. सबसे ज्‍यादा टैक्‍स इलेक्ट्रिक व्‍हीकल्‍स पर बढ़ाया गया है. बाइडेन के इस फैसले से 18 बिलियन डॉलर के सालाना कारोबार पर असर पड़ सकता है. साथ ही इससे दोनों देशों के बीच जारी ट्रेड वॉर बढ़ने की आशंका भी बढ़ गई है. इसी के मद्देनजर माइक्रोसॉफ्ट ने यह कदम उठाया है. 

1992 में हुई थी चीन में एंट्री
वहीं, माइक्रोसॉफ्ट के प्रवक्ता का कहना है कि चीन के अपने कर्मचारियों को इस तरह का ऑफर देना कंपनी के ग्लोबल बिजनेस का हिस्सा है. आज के समय में माइक्रोसॉफ्ट मार्केट कैप के हिसाब से दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी है. इसका मार्केट कैप 3.144 ट्रिलियन डॉलर है. माइक्रोसॉफ्ट की चीन में एंट्री 1992 में हुई थी. अमेरिका के बाहर कंपनी का सबसे बड़ा R&D सेंटर चीन में ही है. कंपनी को 2015 में The World’s Top 10 Most Innovative of 2015 Companies in China" का खिताब भी मिला था. हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं है कि माइक्रोसॉफ्ट पूरी तरह से चीन छोड़ रही है या नहीं.


थॉमस कुक इंडिया ने हासिल किया रिकॉर्ड मुनाफा, स्पेशल डिविडेंड का भी किया ऐलान

1881 में स्थापित, थॉमस कुक (इंडिया) लिमिटेड देश की अग्रणी ओमनीचैनल ट्रैवल कंपनी है, जो विभिन्न क्षेत्रों में सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदान करती है.

Last Modified:
Thursday, 16 May, 2024
BWHindia

ट्रेवल सर्विस प्रोवाइडर थॉमस कुक इंडिया लिमिटेड ने बुधवार को मार्च 2024 को समाप्त चौथी तिमाही के नतीजे जारी कर दिए है. कंपनी को चौथी तिमाही में 58.17 करोड़ रुपये का प्रॉफिट हुआ है. थॉमस कुक इंडिया ने एक नियामक फाइलिंग में कहा कि कंपनी ने एक साल पहले इसी तिमाही में 10.22 करोड़ रुपये का कंसोलिडेटेड नेट लॉस दर्ज किया था. तिमाही के दौरान इसकी कंसोलिडेटेड टोटल इनकम 1,692.61 करोड़ रुपये रही, जबकि पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में यह 1,323.94 करोड़ रुपए थी.

FY24 तिमाही में किया शानदार प्रदर्शन

चौथी तिमाही में टोटल एक्सपेंडिचर पिछले वर्ष की समान तिमाही के 1,330.1 करोड़ रुपये की तुलना में बढ़कर 1,631.92 करोड़ रुपये हो गया. 31 मार्च 2024 को समाप्त वित्त वर्ष के लिए इसका कंसोलिडेटेड नेट प्रॉफिट पिछले वर्ष के 10.37 करोड़ रुपये के मुकाबले 271.11 करोड़ रुपये था. कंपनी ने कहा कि वित्त वर्ष 2024 में कंसोलिडेटेड टोटल इनकम 7,435.65 करोड़ रुपये रही, जबकि वित्त वर्ष 2023 में यह 5,111.2 करोड़ रुपये थी.

Blinkit से बोली एक मां, सब्जी के साथ फ्री मिले धनिया, सीईओ ने पुरी कर दी मुराद

डिविडेंड का भी किया एलान

कंपनी ने कहा कि उसके बोर्ड ऑफ डायरेक्टर ने बेहतर वित्तीय प्रदर्शन के कारण 20 पैसे प्रति शेयर के स्पेशल डिविडेंड सहित 1 रुपये फेस वैल्यू के प्रति इक्विटी शेयर पर 60 पैसे का डिविडेंड देने की सिफारिश की है.

कार्यकारी अध्यक्ष ने सभी आभार जताया

थॉमस कुक इंडिया लिमिटेड के कार्यकारी अध्यक्ष माधवन मेनन ने कंपनी की सफलता में योगदान के लिए सभी टीमों, ग्राहकों, भागीदारों और शेयरधारकों के प्रति आभार व्यक्त किया. इसके साथ ही मुझे प्रति 1 शेयर पर 0.60 रुपये के लाभांश की घोषणा करते हुए भी खुशी हो रही है, जिसमें एक रुपये का विशेष लाभांश 0.20 प्रति शेयर भी शामिल है. हमारे मूल्यवान शेयरधारकों को 0.20 प्रति शेयर. उन्होंने भारतीय और ग्लोबल ट्रेवल सर्विस सेक्टर में उछाल पर जोर दिया और पिछले वर्ष की तुलना में 18 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाते हुए मजबूत अग्रिम बुकिंग पर प्रकाश डाला.
 


Blinkit से बोली एक मां, सब्जी के साथ फ्री मिले धनिया, सीईओ ने पुरी कर दी मुराद

ब्लिंकिट (Blinkit)  ने एक यूजर द्वारा एक्स पर सब्जी के साथ धनिया फ्री मिलने के सुझाव को स्वीकार लिया है. 

Last Modified:
Thursday, 16 May, 2024
BWHindia

किराने के सामान, सब्जियां, फल आदि ऑन लाइन बेचने वाली कंपनी ब्लिंकिट (Blinkit) को मुंबई के एक व्यक्ति ने एक्स पर पोस्ट शेयर करके कहा कि उनकी मां का ने सुझाव दिया कि सब्जियों के साथ धनिया फ्री मिलना चाहिए. इसके बाद ब्लिंकिट के सीईओ अलबिंदर ढींडसा (Albinder Dhindsa) ने ऐसा जवाब दिया कि यूजर्स भी खुश हो गए. तो चलिए जानते हैं, क्या है ये पूरा मामला और यूजर ने क्यों ब्लिंकिट को ऐसा सुझाव दिया?

एक्स पर दिया ये सुझाव
मुंबई में रहने वाले अंकित सावंत नाम के एक व्यक्ति ने अपने एक्स अकाउंट पर ब्लिंकिट के फाउंडर अलबिंदर ढिंडसा को टैग करते हुए एक पोस्ट लिखा कि जब ब्लिंकिट से ऑर्डर करते समय उनकी मां को धनिया पत्ती के लिए भी पेमेंट करना पड़ा, तो वह हैरान रह गईं और मां को मिनी हार्ट अटैक आया. ऐसे में उनकी मां ने सुझाव दिया है कि ब्लिंकिट को एक निश्चित मात्रा में सब्जियों के साथ मुफ्त में देना चाहिए.
 

सीईओ का जवाब सुन खुश हो गए यूजर्स
इस पोस्ट ने कई लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा, जिनमें सीईओ अलबिंदर ढींढसा भी शामिल थे. उन्होंने भी अंकित सावंत की एक्स पोस्ट पर कमेंट किया और लिखा, ‘Will Do it’. उनकी इस पोस्ट ने लोगों को खुश कर दिया. लोगों ने खूब मजेदार कमेंट किए.

सब्जियों के ऑर्डर पर 100 ग्राम धनिया मुफ्त
इस पोस्ट के कुछ घंटों बाद ढींडसा ने अपने ऑफिशियल एक्स पर लिखा, "यह लाइव है! कृपया सभी लोग अंकित की मां को धन्यवाद दें. हम अगले कुछ हफ्तों में इस सुविधा को बेहतर बना देंगे।” उन्होंने एक स्क्रीनशॉट भी साझा किया जिसमें ब्लिंकिट कुछ सब्जियों के ऑर्डर पर 100 ग्राम मुफ्त धनिया ऐड करने का विकल्प दे रहा है.

इसे भी पढ़ें-फिल्म की रिलीज से पहले जूनियर NTR ने इस मंदिर में दान किए लाखों रुपये, जानते हैं कितनी दौलत है इनके पास?

5.88 लाख से अधिक बार देखा गया पोस्ट
इस पोस्ट कुछ ही घंटों में 5.88 लाख से अधिक बार देखा जा चुका है और संख्या तेजी से बढ़ रही है. वायरल शेयर पर अब तक लगभग 8000 लाइक्स आ चुके हैं. लोगों ने शेयर पर प्रतिक्रिया देते हुए तरह-तरह के कमेंट पोस्ट किए. यूजर्स ने ब्लिंकिट की इस पहल की खूब प्रशंसा की. लोग काफी मजेदार कमेंट कर रहे हैं. 

ब्लिंकिट का रेवेन्यू
अलबिंदर ढींडसा, ऋषि अरोड़ा और सौरभ कुमार ब्लिंकिट के संस्थापक हैं. आपको बता दें, वित्त वर्ष 2024 में ब्लिंकइट का रेवेन्यू करीब 3 गुना हो गया है. रेगुलेटरी फाइलिंग के अनुसार ब्लिंकइट का रेवेन्यू 2301 करोड़ रुपये रहा है, जो पिछली तिमाही में 806 करोड़ रुपये था.
 


आखिर क्‍यों हो रहा है इतना गोल्‍ड इंपोर्ट, कैसे तीन गुना तक बढ़ गया आंकड़ा?

दुनिया में कई जगह इस वक्‍त ऐसी परिस्थितियां चल रही हैं जिसने देशों को अलर्ट मोड पर डाला हुआ है. गोल्‍ड को हमेशा ही करेंसी के विकल्‍प के तौर पर देखा जाता है.  

Last Modified:
Thursday, 16 May, 2024
BWHindia

हाल ही में खबर आई थी कि चीन बड़े पैमाने पर गोल्‍ड की खरीद कर रहा है. चीन गोल्‍ड की इस स्‍तर पर खरीद कर रहा है कि उसके दामों में ही इजाफ हो गया. लेकिन अब भारत की गोल्‍ड खरीद के आंकड़ों के सामने आने के बाद ये साफ हो गया है कि अकेला चीन ही नहीं बल्कि भारत भी गोल्‍ड की बड़ी खरीद कर रहा है. कॉमर्स मंत्रालय के आंकड़े बता रहे हैं कि पिछले साल अप्रैल से इस अप्रैल के आंकड़ों की तुलना करें तो दिखाई देता है कि कैसे गोल्‍ड खरीद के आंकड़ों में इजाफा हुआ है और आंकड़े कहां पहुंच गए हैं. 

चीन ने खरीदा इतना कि बढ़ गई सोने की कीमत 
जानकारों का मानना है कि गोल्‍ड की ज्‍यादा खरीद किसी भी देश के लिए अच्‍छा है. दरअसल पिछले कुछ समय में जिस तरह से जियो पॉलिटिकल परिस्थितियां बदली हैं उसके बाद हर देश करेंसी के विकल्‍प के तौर अपने पास सोने के भंडार को रखना चाहता है. कुछ ऐसा ही कदम चीन ने उठाया है. चीन ने गोल्‍ड खरीदन की अपनी इस पॉलिसी को ऐसे समय में भी बनाए रखा जब सोना महंगा बिक रहा था. इजराइल फिलिस्‍तीन युद्ध के समय हमने देखा कि गोल्‍ड के दाम किस तरह से बढ़े थे. उस समय इंटरनेशनल बाजार में सोने की कीमत 2300 डॉलर प्रति औंस थी लेकिन चीन ने इतना खरीदा कि उसकी कीमत बढ़ गई और वो 2400 डॉलर जा पहुंची थी. 

भारत के गोल्‍ड इंपोर्ट में हुआ है लगभग तीन गुना इजाफा 
भारत के गोल्‍ड इंपोर्ट के आंकड़ों पर नजर डालें तो 2022-23 में अप्रैल महीने में ये 1.01 बिलियन डॉलर रहा था, जब उसके मई में 3.69 बिलियन डॉलर, जून में 5.00 बिलियन डॉलर, जुलाई में 3.50 बिलियन डॉलर,  अगस्‍त में 4.94 बिलियन डॉलर, सितंबर में 4.11 बिलियन डॉलर, अक्‍टूबर में 7.23 बिलियन डॉलर, नवंबर में 3.45 बिलियन डॉलर, दिसंबर में 3.03 बिलियन डॉलर, जनवरी में 1.91 बिलियन डॉलर, फरवरी में 6.15 बिलियन डॉलर, मार्च में 1.53 बिलियन डॉलर, और अप्रैल में 3.11 बिलियन डॉलर रहा है. यानी पिछले मार्च और इस मार्च के आंकड़ों पर नजर डालें तो वो लगभग तीन गुना है. 

ये भी पढ़ें: Jet Airways के चेयरमैन की पत्‍नी का निधन, मनीलॉन्ड्रिंग मामले में हो चुकी थी गिरफ्तार

आखिर क्‍या है इसकी वजह? 
इसकी वजह के बारे में पूछे जाने पर कॉमर्स सेक्रेट्री संजय बर्थवाल ने कहा कि गोल्‍ड की खरीद को तीन लोग करते हैं. उसकी खरीद सेंट्रल बैंक से लेकर कारोबारी और आम आदमी करता है. ऐसे में उनका कहना है कि ये आंकड़े कोई चौंकाने वाले इसलिए नहीं है क्‍योंकि गोल्‍ड पिछले साल के मुकाबले उतना ही इंपोर्ट हुआ है लेकिन दाम बढ़ने के कारण इंपोर्ट का दाम बढ़ गया है. 

क्‍या कह रहे हैं IBJA के सेक्रेट्री? 
देश में सभी ज्‍वैलरों की एसोसिएशन IBJA(indian Bullion Jwellery Association) के सेक्रेट्री सुरेन्‍द्र मेहता कहते हैं कि हम जो मंथली आंकड़ों की तुलना कर रहे हैं उसमें ऐसी कोई चौंकाने वाली बात नहीं है. पिछले साल अप्रैल  2023 में जब दाम बढ़ रहे थे उस वक्‍त लोग इंपोर्ट नहीं कर रहे थे. लेकिन अब सभी को पता चल गया है कि इसके प्राइसेस बढ़ने वाले हैं. सबसे खास बात ये है कि उस वक्‍त की स्थिति पर नजर डालें तो उतनी जियोपॉलिटिकल टेंशन कम नहीं हो रहा है. ब्रिक्‍स नेशन भी अपनी करेंसी लाने की तैयारी कर रहे हैं. अगर ट्रंप जीत जाएंगे तो और सख्‍ती हो सकती है. अभी हम देख रहे हैं कि एक ओर इजराइल फिलिस्‍तीन का युद्ध चल रहा है वहीं रूस रूक्रेन के बीच भी तनाव बना हुआ है. ये उस अप्रैल में नहीं थी जो इस अप्रैल में आ गई हैं. लेकिन हो सकता है उसके आगे पीछे के महीनों में ज्‍यादा इंपोर्ट हुआ हो. 


Jet Airways के चेयरमैन की पत्‍नी का निधन, मनीलॉन्ड्रिंग मामले में हो चुकी थी गिरफ्तार

उनकी पत्‍नी कंपनी के कामकाज में सक्रिय रूप से शामिल थी. वो कंपनी में अहम जिम्‍मेदारी पर थी. उनके पास ऑपरेशंस की जिम्‍मेदारी थी. 

Last Modified:
Thursday, 16 May, 2024
BWHindia

जेट एयरवेज के चेयरमैन नरेश गोयल के लिए गुरुवार को दुख भरी खबर निकलकर सामने आई. नरेश गोयल की पत्‍नी अनीता गोयल का निधन हो गया है. अनीता गोयल कैंसर की बीमारी से जूझ रही थी. जेट एयरवेज को लेकर चल रहे मनीलॉन्ड्रिंग  के मामले में पति पत्‍नी दोनों को ही पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. लेकिन स्‍वास्‍थ्‍य के आधार पर पहले पत्‍नी को और उसके बाद पति को जमानत मिली थी. नरेश गोयल का स्‍वास्‍थ्‍य भी ठीक नहीं है. 

अनीता गोयल ने कहां ली अंतिम सांस 
जेट एयरवेज के चेयरमैन अनीता गोयल लंबे समय से मुंबई के एक अस्‍तपाल में अपना इलाज करा रही थी. लेकिन आज सुबह 3.30 बजे उन्‍होंने आखिरी सांस ली. अनीता गोयल भी जेट एयरवेज में सक्रिय भूमिका निभा रही थी. वो बाकायदा लंबे समय से कंपनी से जुड़ी हुई थी और मौजूदा समय में वाइस प्रेसीडेंट के पद पर थीं. वो कंपनी के ऑपरेशंस से जुड़े हुए थे. नरेश गोयल ने फरवरी में जमानत के लिए आवेदन किया था लेकिन अदालत ने उनकी याचिका को ठुकरा दिया था. लेकिन इलाज के लिए प्राइवेट अस्‍पताल में इलाज कराने की अनुमति दे दी थी. 

ये भी पढ़ें: डेस्कटॉप-लैपटॉप नहीं, अब ट्रेडिंग के लिए मोबाइल है ट्रेंड में; आंकड़े दे रहे गवाही

नरेश गोयल को 6 मई को मिली थी जमानत 
फरवरी में जमानत याचिका को ठुकराने के बाद 6 मई को अदालत ने उन्‍हें 2 महीने की अंतरिम जमानत दे दी थी. उनके वकील ने अदालत में कहा था कि उन्‍होंने अब जीने की उम्‍मीद खो दी है. इस पूरे मामले को सुनने के बाद अदालत ने जमानत पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था और उन्‍हें 6 मई तक अस्‍तपाल से डिस्‍चार्ज न करने का आदेश दिया था. इसके बाद 6 मई को अदालत ने उन्‍हें दो महीने की अंतरिम जमानत दे दी थी. 

1991 में शुरु हुई थी जेट एयरवेज 
नरेश गोयल ने जेट एयरवेज की शुरूआत 1991 में एयरटैक्‍सी से की थी. नरेश गोयल को केनरा बैंक ने कंपनी के लिए 568.62 करोड़ रुपये का कर्ज दिया था. इस कर्ज की हेराफेरी और मनीलॉन्ड्रिंग के मामले को देखते हुए उन्‍हें ईडी ने गिरफ्तार किया था. ईडी ने इस मामले में उनकी पत्‍नी अनीता गोयल को भी गिरफ्तार किया था. लेकिन स्‍वास्‍थ्‍य कारणों के चलते उन्‍हें बाद में अदालत ने जमानत दे दी थी. लेकिन एक साल में ही उन्‍होंने चार विमानों का बेड़ा तैयार कर लिया और जेट एयरक्राफ्ट की पहली उड़ान शुरू हो गई. 2007 में एयर सहारा को टेकओवर करने के बाद जेट एयरवेज सबसे बड़ी एयरलाइन बन गई थी. लेकिन बाद कंपनी की मुसीबतें बढी और 2019 में कंपनी का संचालन बंद हो गया.