Phonepe पहले ही 450 मिलियन डॉलर्स की कैपिटल इकट्ठा कर चुका है. Phonepe में सबसे बड़ी हिस्सेदारी के साथ Walmart इस पेमेंट्स ऐप में इन्वेस्ट करने वाला सबसे बड़ा इन्वेस्टर है.
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिप्कार्ट के को-फाउंडर बिन्नी बंसल, मोबाइल पेमेंट्स ऐप Phonepe में 100-150 मिलियन डॉलर्स का इन्वेस्टमेंट करने के बारे में सोच रहे हैं. अगर ऐसा होता है तो नए जमाने की किसी भी कंपनी में एक व्यक्ति द्वारा किया गया यह अब तक का सबसे बड़ा इन्वेस्टमेंट होगा. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस मामले के जानकार एक व्यक्ति का कहना है कि अभी इन्वेस्ट की जाने वाली राशि तय नहीं हुई है लेकिन बातचीत का दौर जारी है और जल्द ही यह डील पूरी हो सकती है.
Phonepe का सबसे बड़ा इन्वेस्टर
Phonepe पहले ही जनरल अटलांटिक, टाइगर ग्लोबल, Ribbit ग्लोबल जैसी प्राइवेट इक्विटी क्षेत्र की मशहूर कंपनियों से 12 बिलियन डॉलर्स की कीमत पर लगभग 450 मिलियन डॉलर्स की प्राइमरी कैपिटल इकट्ठा कर चुका है. Phonepe में 70% हिस्सेदारी के साथ Walmart इस मोबाइल ऐप में इन्वेस्ट करने वाला सबसे बड़ा इन्वेस्टर है. Phonepe द्वारा नए मालिकाना स्ट्रक्चर की प्लानिंग करने के बाद से टाइगर ग्लोबल, Tencent, Qatar Investment Authority और माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियों द्वारा Phonepe में नयी हिस्सेदारी की उम्मीद लगायी जा रही थी.
बिन्नी बंसल और Phonepe का साथ है पुराना
Walmart इंटरनेशनल के CEO Judith McKenna ने पिछले महीने बताया था कि, हर महीने मोबाइल पेमेंट्स ऐप Phonepe के माध्यम से लगभग 4 बिलियन ट्रांजेक्शन की जाती हैं. UPI नेटवर्क के मामले में Phonepe सीधे तौर पर गूगल पे, अमेजन पे, और Whatsapp पे को टक्कर देता है. साल 2016 में फ्लिप्कार्ट ने Phonepe का अधिग्रहण कर लिया था और इस डील में बिन्नी बंसल की भूमिका अत्यंत महत्त्वपूर्ण थी. इतना ही नहीं, मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो बिन्नी बंसल Phonepe के बोर्ड में भी शामिल थे और फाउंडर्स समीर निगम और राहुल चारी के साथ भी करीबी रूप से जुड़े हुए थे.
इन इन्वेस्टमेंट्स के लिए मशहूर हैं बिन्नी बंसल
सचिन बंसल के साथ फ्लिप्कार्ट की स्थापना करने वाले बिन्नी बंसल को नयी कंपनियों में उनके इन्वेस्टमेंट्स के लिए जाना जाता है. बिन्नी बंसल द्वारा किये गए प्रमुख इन्वेस्टमेंट्स में Curefood (क्लाउड किचन प्लेटफॉर्म), इंश्योरेंस कंपनी Acko, इलेक्ट्रिक स्कूटर निर्माता Ather एनर्जी, मोबिलिटी स्टार्टअप Yulu, लोन प्लेटफॉर्म Rupeek के साथ-साथ कुछ अन्य कंपनियां भी शामिल हैं.
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लोकसभा चुनाव 2024 का परिणाम पूरे देश के लिए एक महत्वपूर्ण घटना होगी. वहीं, एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस परिणाम का असर भारतीय शेयर बाजार में भी देखने को मिल सकता है.
लोकसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद नई सरकार के गठन, नई घोषणाओं और पूरे साल की बजट प्रस्तुति के कारण कुछ ऐसे क्षेत्र हैं, जो हमेशा फोकस में रहते हैं. लोकसभा चुनाव 2024 का परिणाम भी पूरे देश के लिए एक महत्वपूर्ण घटना होगी और इसका प्रभाव भारतीय शेयर बाजार पर भी देखने को मिल सकता है. मार्केट के एक्सपर्ट्स ने कुछ ऐसे शेयरों का चयन किया है, जिनमें 2024 के चुनावों के दौरान और उसके बाद तेजी बनी रह सकती है. तो आइए आपको बताते हैं ऐसे कौन से शेयर हैं जो आपको लोकसभा चुनाव का परिणाम आने के बाद मालामाल बना सकते हैं.
किस लोकसभा चुनाव के बाद निफ्टी में आई उछाल?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान निफ्टी इंडेक्स 5 में से 4 बार नीचे आया है. वहीं, 2009 के बाद इसमें सबसे ज्यादा तेजी आई, तब निफ्टी ने 25 प्रतिशत का रिटर्न दिया था. सबसे कम रिटर्न 2019 में था, जब इंडेक्स 8 प्रतिशत ऊपर था. 2004 में चुनाव से पहले पहले तीन महीनों में निफ्टी 10 प्रतिशत गिर गया था.
क्या है भारत इलेक्ट्रॉनिक्स शेयर का टारगेट प्राइस?
एक्सपर्ट्स ने इस स्टॉक का टारगेट प्राइस 250 रुपये रखा है. एक्सपर्ट्स ने कहा है कि भारत इलेक्ट्रॉनिक्स में कई कारणों से वृद्धि होगी, जैसे उसका रक्षा में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ना, मजबूत पाइपलाइन और सरकार द्वारा निर्यात पर ध्यान केंद्रित करना, राजस्व बढ़ाने के लिए मजबूत ऑर्डर प्रवाह वृद्धि, ये सभी कारण इसके शेयर में तेजी लाएंगे. यहां यह भी ध्यान देने योग्य है कि भारत इलेक्ट्रॉनिक्स ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) के निर्माण से भी जुड़ा है.
एल एंड टी के शेयर में क्यों आएगी तेजी?
लारसेन एंड टुर्बो लिमिटिड (Larsen and Toubro Ltd) इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में काम करती है. एक्सपर्ट्स के अनुसार केंद्र सरकार चुनाव के बाद इंफ्रास्ट्रक्चर पर अपना फोकस बढ़ाने जा रही है. बजट में सेक्टर के लिए कुछ नई घोषणाएं भी हो सकती हैं. एल एंड टी कंपनी के पास फिलहाल 4.7 लाख करोड़ रुपये के ऑर्डर हैं. यह वित्त वर्ष 2023 में कंपनी के राजस्व का 3.8 गुना है. एलएंडटी कंस्ट्रक्शन की बिल्डिंग्स और फैक्ट्रीज वर्टिकल ने हाल ही में 2,500 करोड़ रुपये से 5,000 करोड़ रुपये के कई ऑर्डर जीते हैं. मोतीलाल ओसवाल ने एल एंड टी को 4,200 रुपये के लक्ष्य मूल्य के साथ खरीदने की सलाह दी है.
एचएएल को केंद्र सरकार लगातार मिल रहे ऑर्डर
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटिड (Hindustan Aeronautics Ltd) कंपनी को केंद्र सरकार से लगातार ऑर्डर मिल रहे हैं. पिछले हफ्ते इसे रक्षा मंत्रालय से 2,890 करोड़ रुपये के ऑर्डर मिले हैं. एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार एचएएल के शेयरों का लक्ष्य मूल्य 3,129 रुपये है. एक्सपर्ट्स ने कहा है कि भू-राजनीति और एचएएल में पिछले दशक की तुलना में अधिक विमानों के ऑर्डर और विनिर्माण में तेजी को देखते हुए, उम्मीद है कि आने वाले कुछ वर्षों में भारत की सैन्य विमान की स्ट्रेंथ में गिरावट आएगी.
अदानी एंटरप्राइसिस में क्यों आएगी तेजी?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अगले तीन महीनों में अडानी एंटरप्राइसिस के स्टॉक में काफी तेजी आ सकती है. ग्लोबल ब्रोकरेज ने इसका टारगेट प्राइस 4,368 रुपये रखा है. इसमें कहा गया है है कि अडानी ने तरलता जोखिम को कम करने, प्रशासन में सुधार और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए कार्रवाई की है.
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने एक आदेश दिया था जिस पर अमल के चलते किल्लत हो सकती है.
आने वाले दिनों में पेट्रोल-डीजल (Petrol-Diesel) की किल्लत देखने को मिल सकती है. दरअसल, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने 2019 में एक आदेश पारित किया था, जिस पर अमल के चलते पेट्रोल-डीजल की सप्लाई प्रभावित होने की आशंका जताई जा रही है. बता दें कि कुछ समय पहले नए हिट एंड रन कानून के खिलाफ ट्रांसपोर्टर और ट्रक ड्राइवरों ने हड़ताल की थी, जिसकी वजह से भी देश के कई हिस्सों में पेट्रोल-डीजल की सप्लाई पर असर पड़ा था.
बड़े शहरों में हुआ अमल
फिलहाल, मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में एक अप्रैल से पेट्रोल-डीजल की किल्लत हो सकती है. NGT ने अपने 2019 के आदेश में कहा था कि पेट्रोल और डीजल टैंकरों को टॉप लोडिंग के बजाए बॉटम लोडिंग बदला जाना चाहिए. बड़े शहरों में तो यह फैसला लागू हो चुका है, अब भोपाल में इसे लागू किया जा रहा है. भोपाल जिले में कुल 151 पेट्रोल पंप हैं. जिले में 10 लाख लीटर पेट्रोल और 12 लाख लीटर डीजल की प्रतिदिन खपत होती है.
डीलर्स के पास नए टैंकर नहीं
भोपाल में एक रिलायंस डिपो है, जहां से भारत, हिंदुस्तान पेट्रोलियम पेट्रोल-डीजल लेते हैं. इस डिपो ने NGT के आदेश का हवाला देते हुए 1 अप्रैल से मौजूदा टॉप लोडिंग (ऊपर से भरने वाले) टैंकरों के बजाए बॉटम लोडिंग (नीचे से भरने वाले) टैंकर से ही सप्लाई का फैसला लिया है. जबकि पेट्रोल पंप डीलर्स के पास नए टैंकर नहीं हैं और इसके इंतजाम में लंबा समय लगेगा. BW हिंदी से बात करते हुए मध्य प्रदेश पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय सिंह ने स्वीकार किया कि सप्लाई प्रभावित हो सकती है. हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि ज्यादा घबराने वाली बात नहीं है.
देरी से दी गई सूचना
इस सवाल के जवाब में कि क्या एसोसिएशन को NGT के आदेश की जानकारी नहीं थी? अजय सिंह ने कहा कि जानकारी तो थी, लेकिन इस पर अमल की सूचना काफी देरी से मिली. 1 अप्रैल की डेडलाइन से चंद दिन पहले ही हमें इस बारे में बताया गया, ऐसे में डेडलाइन पूरी करना मुश्किल है. नया टैंकर बनवाने में 7 से 8 महीने का समय लगता है. सिंह ने आगे कहा कि आदेश के अमल में आने के बाद पेट्रोल-डीजल बाहर से मंगवाना पड़ेगा और इसमें 48 से 72 घंटों का समय लग सकता है. ऐसे में पंपों पर पेट्रोल-डीजल की सप्लाई देर से होगी.
क्यों दिया था ये आदेश?
एसोसिएशन ने तेल कंपनियों से कुछ और समय की मांग की है. NGT ने टॉप लोडिंग के बजाए बॉटम लोडिंग टैंकरों से सप्लाई का आदेश पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए दिया था. दरअसल, पेट्रोल-डीजल की फिलिंग के दौरान खतरनाक गैसें निकलती हैं, जो टॉप फिलिंग होने पर सीधे वातावरण फैल जाती हैं. जबकि बॉटम फिलिंग से इस पर काफी हद तक रोक लगाई जा सकती है.
कुछ निवेशकों ने बायजूज के फाउंडर बायजू रवींद्रन को कंपनी से बाहर निकालने की कोशिश की थी. अब रवींद्रन बायजू ने इन निवेशकों को साथ आने का न्यौता भेजा है.
वित्तीय संकट समेत अन्य दिक्कतों से जूझ रही एडुटेक फर्म बायजू (Byju's) ने निवेशकों को 72 घंटे के भीतर फंडिंग राउंड में शामिल होने का न्यौता भेजा है. बायजू ने Peak XV Partners, जनरल अटलांटिक (General Atlantic), चान-जुकरबर्ग इनिशिएटिव (Chan-Zuckerberg Initiative) और प्रोसुस (Prosus) जैसे निवेशकों के साथ असहमति दूर करने की एक और कोशिश है. इन निवेशकों ने राइट्स इश्यू का रास्ता बंद करने और बायजू के फाउंडर बायजू रवींद्रन को कंपनी से बाहर निकालने की कोशिश की थी. इस मामले में बायजू रवींद्रन ने निवेशकों को जो लेटर भेजा है.
निवेशकों को मनाने की कोशिश
बायजू रवींद्रन ने लेटर में लिखा है कि पिछले महीने राइट्स इश्यू बंद हो गया. यह मौजूदा चुनौतीपूर्ण आर्थिक परिस्थितियों में कंपनी की स्थिरता और विकास सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था. उन्होंने इस बात पर खुशी जताई कि ऑथराइज्ड शेयर कैपिटल (Authorised Share Capital) बढ़ाने के लिए पहले ही 50% से अधिक वोट मिल चुके हैं. बायजू ने कहा कि इस कंपनी की शुरुआत से ही उनका दृष्टिकोण सभी को एक साथ लेकर चलने और हमेशा चुनौतियों का सामना एक साथ करने का रहा है. चूंकि कुछ निवेशकों ने राइट्स इश्यू में हिस्सा नहीं लिया था तो इसे ध्यान में रखते हुए ही उन्होंने कहा कि वह सभी निवेशकों को इस बदलाव की कहानी का हिस्सा बनाना चाहते हैं.
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जनवरी में आया था Rights Issue
बायजू कंपनी जनवरी महीने में 20 करोड़ डॉलर जुटाने के लिए राइट्स इश्यू (Rights Issue) को लाई थी. हालांकि यह इश्यू 22-25 करोड़ डॉलर के वैल्यूएशन पर लाया गया था जो इसके 2200 करोड़ डॉलर के रिकॉर्ड वैल्यूएशन से करीब 99 फीसदी डिस्काउंट पर है. यह इश्यू पूरा भर चुका है और मीडिया रिपोर्ट के अनुसार कंपनी के फाउंडर बायजू रवींद्रन कंपनी में अपनी हिस्सेदारी बनाए रखने के लिए राइट्स इश्यू में 4.5-4.6 करोड़ डॉलर लगाने की तैयारी में हैं.
निवेशकों ने राइट्स इश्यू को बताया था गैरकानूनी
इससे पहले एनसीएलटी (NCLT) में सुनवाई के दौरान निवेशकों ने कहा था कि राइट्स इश्यू के लिए कंपनी का कदम अवैध और गैरकानूनी है और इस पर रोक लगाई जानी चाहिए. वहीं बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स का कहना है कि निवेशक कंपनी के लिए दिक्कतें पैदा कर रहे हैं. बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में बायजूज के फाउंडर बायजू रवींद्रन, उनकी पत्नी और को-फाउंडर दिव्या गोकुलनाथ और उनके भाई रिजू रवींद्रन शामिल हैं.
शेयर बाजार में सुजलॉन एनर्जी लिमिटेड ने अब तक काफी अच्छा प्रदर्शन किया है. उसने निवेशकों को बंपर रिटर्न दिया है.
शेयर बाजार (Stock Market) में धूम मचाने वाली रिन्यूएबल एनर्जी से जुड़ी कंपनी सुजलॉन एनर्जी लिमिटेड (Suzlon Energy) को बड़ा झटका लगा है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने कंपनी पर 260.35 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है. डिपार्टमेंट के नेशनल फेसलेस एसेसमेंट सेंटर ने एसेसमेंट ईयर 2016-17 और 2017-18 के मामले में यह कार्रवाई की है. यह जुर्माना गुडविल पर आधारित डेप्रिसिएशन के क्लेम को अस्वीकार करने से जुड़ा है.
ट्रिब्यूनल के पास लंबित है मामला
वहीं, सुजलॉन एनर्जी आयकर विभाग द्वारा लगाए गए जुर्माने पर आपत्ति जताई है. कंपनी ने कहा है कि पहले के न्यायिक आदेशों को ध्यान में रखते हुए उसका मानना है कि जब तक इस सिलसिले में अपील पर सुनवाई पूरी नहीं की जाती, तब तक जुर्माने की कार्यवाही को रोका जाना चाहिए. सुजलॉन एनर्जी के मुताबिक, इस मामले में अपील फिलहाल ट्रिब्यूनल के पास लंबित है, लिहाजा पेनल्टी ऑर्डर को उचित नहीं माना जा सकता.
जुर्माने को चुनौती देने की तैयारी
सुजलॉन एनर्जी ने आगे कहा कि कंपनी अपीलेट/न्यायिक फोरम के सामने जुर्माने को चुनौती देने की प्रक्रिया में है और उसके द्वारा उठाए गए सवाल जायज हैं. जुर्माने के बारे में कंपनी ने बताया कि क्लेम अस्वीकार करने से संबंधित सेक्शन 14A के तहत 35.11 करोड़ रुपए का जुर्माना और सेक्शन 32 (1) के तहत गुडविल से जुड़े डेप्रिसिएशन को अस्वीकार करने के लिए 132.48 करोड़ का जुर्माना लगाया गया है. इसके साथ ही देरी से भुगतान के लिए भी पेनल्टी लगाई गई है.
स्टॉक मार्केट में शानदार प्रदर्शन
वहीं, शेयर बाजार में कंपनी के प्रदर्शन की बात करें, तो Suzlon Energy के शेयर धूम मचा रहे हैं. कल यह 4.94% की उछाल के साथ 40.40 रुपए पर बंद हुए. बीते 5 कारोबारी सत्रों में इस शेयर ने शानदार 10.38 प्रतिशत का रिटर्न दिया है. जबकि इस साल अब तक ये 4.94% ऊपर चढ़ चुका है. पिछले एक साल में Suzlon के शेयर अपने निवेशकों को 408.18% का रिटर्न देकर मालामाल कर चुके हैं. इस रिन्यूएबल एनर्जी कंपनी का पोर्टफोलियो मजबूत है. उसे लगातार नए ऑर्डर मिल रहे हैं, इस वजह से उसके शेयरों की चाल भी तेज हो रही है.
फाइनेंशियल ईयर 2024 के आखिरी कारोबारी दिन भारतीय शेयर बाजार में तूफानी तेजी देखने को मिली. आज के बाद अब स्टॉक मार्केट सोमवार को खुलेगा.
फाइनेंशियल ईयर 2024 के आखिरी कारोबारी दिन गुरुवार को शेयर बाजार में तूफानी तेजी रही. ट्रेडिंग के दौरान सेंसेक्स और निफ्टी ने अपने पिछले कई रिकॉर्ड तोड़ दिए. कारोबार के अंत में, बीएसई सेंसेक्स (BSE Sensex) 655.04 अंक की तेजी के साथ 73,651.35 अंक पर बंद हुआ. वहीं एनएसई (NSE) का 50 शेयरों वाला इंडेक्स निफ्टी 203.25 अंक की बढ़त के साथ 22,326.90 के स्तर पर बंद हुआ. बीएसई के मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स भी 0.62% और 0.33% की बढ़त के साथ बंद हुए. बीएसई के सभी सेक्टरोल इंडेक्स भी हरे निशान में रहे.
27 शेयर तेजी के साथ बंद
बीएसई सेंसेक्स (BSE Sensex) के 30 में से 27 शेयर आज तेजी के साथ बंद हुए. इसमें भी बजाज फिनसर्व (Bajaj Fiserv) के शेयरों में सबसे अधिक 3.91% की तेजी रही. इसके बाद बजाज फाइनेंस (Bajaj Finance), नेस्ले इंडिया (Nestle India), स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) और पावर ग्रिड (Power Grid) के शेयरों में सबसे अधिक तेजी रही और ये 2.20% से लेकर 2.98 फीसदी तक की तेजी के साथ बंद हुए. वहीं सेंसेक्स के सिर्फ 3 शेयर आज गिरावट के साथ बंद हुए. इसमें भी टेक महिंद्रा (Tech Mahindra) का शेयर 0.69 फीसदी की गिरावट के साथ टॉप लूजर्स रहा. वहीं एक्सिस बैंक (Axis Bank) और रिलायंस इंडस्ट्रीज (RIL) के शेयर 0.67% और 0.55% की गिरावट के साथ लाल निशान में बंद हुए.
Byju's ने ली राहत की सांस, NCTL ने EGM पर नहीं लगाई रोक, जानें क्या पूरा मामला?
निवेशकों ने कमाए ₹3.27 लाख करोड़
बीएसई (BSE) में लिस्टेड कंपनियों का कुल मार्केट कैपिटलाइजेशन आज बढ़कर 386.91 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया, जो इसके पिछले कारोबारी दिन यानी बुधवार 27 मार्च को 383.64 लाख करोड़ रुपये था. इस तरह BSE में लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप आज करीब 3.27 लाख करोड़ रुपये बढ़ा है यानि निवेशकों की वेल्थ में करीब 3.27 लाख करोड़ रुपये का इजाफा हुआ है.
नए फाइनेंशियल ईयर का इंतजार
सप्ताह के आखिरी कारोबारी दिन भारतीय शेयर बाजार में तूफानी तेजी देखने को मिली. आज के बाद अब स्टॉक मार्केट सोमवार को खुलेगा. इस बीच में, शुक्रवार को गुड फ्राइडे की छुट्टी है. निवेशकों को अब नए फाइनेंशियल ईयर का इंतजार है. दरअसल, अप्रैल महीने में कई बड़ी कंपनियों के तिमाही नतीजे जारी होने वाले हैं. निवेशक अलग-अलग सेक्टर की कंपनियों के तिमाही नतीजे की उम्मीद लगाए बैठे हैं.
निवेशकों के मुताबिक NCLT ने 27 फरवरी को जो आदेश दिया था, उसके उद्देश्य को फेल करने के लिए ही यह EGM बुलाई गई है.
लिक्विडिटी की दिक्कतों से जूझ रही एडुटेक कंपनी बायजू (Byju's) को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) ने बड़ी राहत दी है. NCLT ने बोर्ड डायरेक्टर्स की तरफ से बुलाई गई एक्स्ट्राऑर्डिनरी जनरल मीटिंग (EGM) पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. इस बैठक को राइट्स इश्यू (Right Issue) को लेकर ऑथराइज्ड कैपिटल जुटाने के उद्देश्य से बुलाया गया है. अब इस मामले में NCLT अगले महीने 4 अप्रैल को सुनवाई करेगी. इसमें बाकी मुद्दों पर भी विचार किया जाएगा, ईजीएम 29 मार्च को होनी है.
निवेशकों और Byju's के बीच तकरार
निवेशकों के मुताबिक NCLT ने 27 फरवरी को जो आदेश दिया था, उसके उद्देश्य को फेल करने के लिए ही यह EGM बुलाई गई है. 27 फरवरी को NCLT ने बायजू को राइट्स इश्यू से मिले पैसों को तब तक एस्क्रो खाते (Escrow Account) में रखने का निर्देश दिया जब तक कि चार निवेशकों की तरफ से दायर उत्पीड़न और खराब मैनेजमेंट से जुड़ी याचिका पर फैसला न आ जाए. ट्रिब्यूनल ने बायजूज राइट्स इश्यू की आखिरी तारीख को आगे बढ़ाने पर विचार करने का निर्देश दिया था ताकि इसके लिए अप्लाई करने के अधिकारों पर विपरीत असर न पड़े, हालांकि NCLT ने राइट्स इश्यू को रोकने की याचिका को आदेश के लिए सुरक्षित रख लिया.
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मामले पर 4 अप्रैल को होगी सुनवाई
आज सुनवाई के दौरान निवेशकों ने यह भी कहा कि बायजू ने उन्हें EGM में वोट करने के तरीके पर फैसला लेने के लिए डॉक्यूमेंट्स देखने की भी मंजूरी नहीं दी. इसके अलावा सभी निवेशकों को कानून के मुताबिक EGM का नोटिस भी नहीं दिया गया है. वहीं, बायजू का कहना है कि निवेशकों को डॉक्यूमेंट देखने का मौका दिया गया था और सभी शेयरधारकों को EGM बुलाने का नोटिस भी दिया गया था. NCLT ने कहा कि चूंकि मामले पर 4 अप्रैल को सुनवाई होनी है तो अब अंतरिम आदेश पारित करने की कोई वजह नहीं दिखती है.
निवेशकों ने EGM को बताया गैरकानूनी
NCLT में सुनवाई के दौरान निवेशकों ने कहा था कि राइट्स इश्यू के लिए कंपनी का कदम अवैध और गैरकानूनी है और इस पर रोक लगाई जानी चाहिए. वहीं, बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स का कहना है कि निवेशक कंपनी के लिए दिक्कतें पैदा कर रहे हैं. बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में बायजू के फाउंडर बायजू रवींद्रन, उनकी पत्नी और को-फाउंडर दिव्या गोकुलनाथ और उनके भाई रिजू रवींद्रन शामिल हैं.
रघुराम राजन के बयान पर जहां नीति आयोग के सदस्य अरविंद विरमानी ने सवाल उठाया तो मोहनदास पाई ने भी जवाब देने में देरी नहीं लगाई.
आरबीआई(RBI) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन की भारत की ग्रोथ को लेकर की गई टिप्पढ़ी के बाद अब कई अर्थशास्त्रियों ने उसका जवाब दिया है. नीति आयोग के सदस्य अरविंद विरमानी ने रघुराम राजन के बयान को लेकर को लेकर कहा है कि वो भारत के बारे में ऐसे बात कर रहे हैं जैसे आज तक कभी भारत आए ही न हो. रघुराम राजन ने कहा कि था कि भारत अपनी ग्रोथ के बारे में हो रहे प्रचार पर विश्वास कर गलत कर रहा है.
क्या बोले अरविंद विरमानी?
रघुराम राजन के बयान पर अपनी बात कहते हुए अरविंद विरमानी ने ट्वीट करते हुए कहा कि
1990 के दशक के बीओपी संकट के दौरान, हमारे पास डब्ल्यूबी, आईएमएफ और अन्य एमडीबी अर्थशास्त्रियों के लिए एक शब्द हुआ करता था: ‘पैराशूट अर्थशास्त्री’ विरमानी ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, 'दुख की बात है कि एक पूर्व आरबीआई गवर्नर उस व्यक्ति की तरह लगते हैं जिसने आधी सदी तक भारतीय अर्थव्यवस्था पर काम किया है.
रघुराम राजन ने कही थी ये बात
रघुराम राजन ने कहा कि एक साझात्कार के दौरान ये कहा था कि राजन ने कहा कि इसकी संभावना नहीं है कि भारत 2047 तक एक विकसित अर्थव्यवस्था नहीं बन पाएगा और उन्होंने कहा कि उस लक्ष्य के बारे में बात करना ‘बकवास’ होगा ‘यदि आपके बहुत से बच्चों के पास हाई स्कूल की शिक्षा नहीं है और ड्रॉप-आउट दरें ऊंची बनी हुई हैं’. उनके इस बयान के सामने आने के बाद कई जानकारों ने उसकी निंदा की थी. मोहनदास पाई ने उनके बयान को सिली को कहते हुए कहा था कि उनका बयान भारत की ग्राउंड स्थिति से मैच नहीं करता है. उन्होंने ये भी कहा कि आज देश में स्कूल ड्रापआउट कम हो रहा है, कालेज एडमिशन के आंकड़ों में इजाफा हो रहा है. यही नहीं कई लोगों को रोजगार भी दिया गया है.
शिक्षा पर काम करने की बजाए चिप बना रही है सरकार
पेशे से शिकागो विश्वविद्यालय के बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस में वित्त के प्रोफेसर के तौर पर तैनात राजन इससे पहले भारत में आरबीआई के गवर्नर रह चुके हैं. उन्होंने भारत की चुनौतियों पर प्रकाश डालते हुए कहा था कि भारत को अगर 8 प्रतिशत की ग्रोथ रेट हासिल करती है तो उसे ज्यादा मेहनत करनी होगी. उन्होंने सरकार के द्वारा स्कूलों से लेकर शिक्षा व्यवस्था को ठीक करने की बजाए सरकार पर चिप इंडस्ट्री जैसे महत्वाकांक्षी काम करने को लेकर आलोचना की.
उन्होंने शिक्षा प्रणाली को ठीक करने के लिए काम करने के बजाय चिप निर्माण जैसी हाई-प्रोफाइल परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित करने के लिए भी सरकार की आलोचना की
HUL ने 2004 में यूरेका फोर्ब्स और केंट जैसे पहले से स्थापित ब्रैंड्स को टक्कर देते हुए बाजार में एंट्री ली थी.
हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड (HUL) अपने वॉटर प्यूरीफायर कारोबार (Water Purifier Business) को बेचने की योजना बना रही है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कंपनी ने संभावित खरीदारों से बातचीत भी शुरू कर दी है. HUL प्योरइट (Pureit) नाम से अपना वॉटर प्यूरीफायर कारोबार चलाती है. हालांकि, कंपनी की ओर से इस बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है.
कुछ महीनों से जारी है बातचीत
रिपोर्ट्स में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि HUL द्वारा वॉटर प्यूरीफायर कारोबार की बिक्री पर कोई औपचारिक निर्णय नहीं लिया गया है. कंपनी अभी संभावनाएं तलाशी जा रही है. इसे लेकर पिछले कुछ महीने में HUL और संभावित खरीदारों के बीच चर्चा भी हुई है, जिसमें बड़े पैमाने पर निजी इक्विटी फंड भी शामिल हुए थे. अभी ये साफ नहीं है कि कंपनी अपने इस बिजनेस को क्यों बेचना चाहती है. हालांकि, माना जा रहा है कि वॉटर प्यूरीफायर मार्केट में बढ़ती प्रतियोगिता के चलते कंपनी ऐसा कर रही है.
उधर पैरेंट कंपनी बेच रही स्टेक
HUL के वॉटर प्यूरीफायर बिजनेस की बिक्री की खबर ऐसे समय आई है, जब उसकी पैरेंट कंपनी यूनिलीवर पीएलसी वॉटर प्यूरिफिकेशन इक्युपमेंट बनाने वाले चीन के Qinyuan ग्रुप में अपनी बहुमत हिस्सेदारी बेच रही है. यूनिलीवर PLC ने चीन के इस कारोबारी ग्रुप में 2014 में हिस्सेदारी खरीदी थी. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में बताया गया है कि यूनिलीवर PLC, Qinyuan ग्रुप में अपनी हिस्सेदारी बेचने का मन बना चुकी है और प्रस्तावित बिक्री में Qinyuan का वैल्यूएशन करीब 300 मिलियन डॉलर हो सकता है.
2004 में हुई थी बाजार में एंट्री
HUL ने 2004 में यूरेका फोर्ब्स और केंट जैसे पहले से स्थापित ब्रैंड्स को टक्कर देते हुए बाजार में एंट्री ली थी. कंपनी ने पहले एंट्री-लेवल ग्रेविटी वॉटर प्यूरीफायर मार्केट में उतारा था. इसके बाद 2011 में कंपनी ने RO (रिवर्स ऑस्मोसिस) वॉटर प्यूरीफायर लॉन्च किया. मौजूदा वक्त में इस मार्केट में कंपनी का दबदबा है, लेकिन पिछले कुछ समय से प्रतियोगिता बढ़ी है. गौरतलब है कि प्राइवेट इक्विटी फर्म एडवेंट इंटरनेशनल ने 2021 में यूरेका फोर्ब्स में शापूरजी पालोनजी ग्रुप से 4400 करोड़ रुपए में हिस्सेदारी हासिल की थी. HUL द्वारा वॉटर प्यूरीफायर में भी कुछ इक्विटी फंड ने दिलचस्पी दिखाई है.
पब्लिक सेक्टर की कंपनी अपने वित्त वर्ष के 2024-25 के लिए रोड मैप तैयार कर लिया है. कंपनी आने वाले वित्त वर्ष में 6100 करोड़ रुपये जुटाएगी.
पब्लिक सेक्टर की कंपनी NHPC के बोर्ड ने वित्त वर्ष 2024-25 में 6100 करोड़ रुपये का कर्ज जुटाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. कंपनी ने शेयर बाजार को दी सूचना में कहा कि NHPC के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने 27 मार्च को हुई बैठक में प्राइवेट प्लेसमेंट बेसिस (Private Placement Basis), टर्म लोन (Term Loan) या कई चरणों में एक्सटर्नल कमर्शियल बॉरोइंग (External Commercial Borrowing) के आधार पर एक या अधिक किस्तों में नॉन-कनवर्टिबल कॉरपोरेट बॉन्ड (Non-Convertible Corporate Bond) के माध्यम से वित्त वर्ष 2024-25 में 6,100 करोड़ रुपये तक का लोन जुटाने के प्रस्ताव पर विचार किया और मंजूरी दी.
मणिपुर के साथ खत्म होगा ज्वाइंट वेंचर
बैठक में इसके अलावा कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने NHPC की सब्सिडियरी और मणिपुर सरकार के साथ शुरू किए गए ज्वाइंट वेंचर लोकटक डाउनस्ट्रीम हाइड्रोइलेक्ट्रिक कॉरपोरेशन लिमिटेड (Loktak Downstream Hydroelectric Power Corporation Limited) को बंद करने के लिए भी अपनी सैद्धांतिक मंजूरी दे दी. अब इस क्लोजर के लिए DIPAM (लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग), बिजली मंत्रालय और और मणिपुर सरकार की मंजूरी ली जाएगी.
सबसे बड़ा सवाल: क्या वाकई देश की वित्त मंत्री के पास चुनाव लड़ने के लिए नहीं हैं पैसे?
88,900 करोड़ रुपये है NHPC का मार्केट कैप
NHPC का मार्केट कैप वर्तमान में बीएसई पर 88,900 करोड़ रुपये है. कंपनी का शेयर 27 मार्च को बीएसई पर 88.56 रुपये पर बंद हुआ. शेयर की कीमत में पिछले एक साल में 127 प्रतिशत से ज्यादा का उछाल आया है. कंपनी में दिसंबर 2023 के आखिर तक सरकार की हिस्सेदारी 70.95 प्रतिशत और पब्लिक की 29.05 प्रतिशत थी. बीएसई के डेटा के मुताबिक, वित्त वर्ष 2024 की दिसंबर 2023 तिमाही में NHPC का रेवेन्यू 1,697.02 करोड़ रुपये और शुद्ध मुनाफा 546.13 करोड़ रुपये रहा.
NHPC के शेयर में दर्ज की गई तेजी
शेयर बाजार में आज यानी 28 मार्च को तेजी देखने को मिल रही है. खबर लिखे जाने तक सेंसेक्स 500 अंक से ज्यादा की बढ़त के साथ 73,600 के स्तर पर कारोबार कर रहा है. वहीं, निफ्टी में भी 150 अंक से ज्यादा की तेजी है, ये 22,300 के स्तर पर कारोबार कर रहा है. वहीं NHPC के बोर्ड की बैठक में लिए गए फैसले के बाद इसके शेयरों में तेजी देखी गई. NHPC के शेयर में 0.51 प्रतिशत की बढ़त देखी गई.
निर्मला सीतारमण का कहना है कि उन्हें आंध्र प्रदेश या तमिलनाडु से चुनाव लड़ने का ऑफर मिला था, लेकिन उन्होंने इंकार कर दिया.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2024) नहीं लड़ने का फैसला लिया है. उन्होंने बताया कि BJP अध्यक्ष जे पी नड्डा ने उन्हें आंध्र प्रदेश या तमिलनाडु से चुनाव लड़ने का विकल्प दिया था, लेकिन उन्होंने इससे इंकार कर दिया. उन्होंने कहा कि मेरे पास चुनाव लड़ने के लिए पैसा नहीं है. सीतारमण ने कहा कि मैंने करीब 10 दिनों तक विचार करने के बाद 'ना' कर दिया. क्योंकि मेरे पास चुनाव लड़ने के लिए पर्याप्त धन नहीं है. देश का वित्त मंत्रालय संभालने वालीं सीतारमण का पैसों का हवाल देकर चुनाव से पीछे हटना चर्चा का विषय बन गया है.
वित्त मंत्री के नाम कोई कार नहीं
अब जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पैसों की कमी का हवाला देकर चुनाव न लड़ने का फैसला लिया है, तो यह भी जान लेते हैं कि उनके पास कितनी दौलत है. एक रिपोर्ट के अनुसार, निर्मला सीतारमण की कुल संपत्ति 2 करोड़ 50 लाख 99 हजार 396 रुपए है. इसमें चल और अचल संपत्ति दोनों शामिल है. इसके अलावा, उनके पास 315 ग्राम सोना और 2 किलो चांदी है. हालांकि, उनके पास कोई कार नहीं है, लेकिन एक बजाज चेतक स्कूटर उनके नाम पर है, जिसकी कीमत 28,200 रुपए है.
निर्मला सीतारमण पर इतनी है देनदारी
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के पास हैदराबाद के पास 16 लाख रुपए मूल्य की एक गैर कृषि भूमि है. उनकी अचल संपत्ति का कुल मूल्य 1,87,60,200 रुपए है. सीतारमण के ऊपर 73,07,458 रुपए की देनदारी भी है. राज्यसभा के लिए अपने चुनावी हलफनामे दायर करते हुए उन्होंने बताया था कि उनके पास केवल 17,200 रुपए कैश है. जबकि उनके पास 45,04,479 रुपए की बैंक FD है. हलफनामे में उन्होंने यह भी बताया था कि उनके पति के पास 25,300 रुपए कैश है. निर्मला सीतारमण के बैंक ऑफ इंडिया और केनरा बैंक में अकाउंट हैं. बता दें कि निर्मला सीतारमण कर्नाटक से राज्यसभा की सदस्य हैं.
शक्तिशाली महिलाओं में हैं शामिल
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने देश की पहली पूर्णकालिक वित्त मंत्री के रूप में 30 मई 2019 जो जिम्मेदारी संभाली थी, उसे अब तक वह बखूबी निभाती आई हैं. निर्मला सीतारमण को मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में रक्षा मंत्री बनाया गया था. सितंबर 2017 से मई 2019 तक वह इस पद पर रहीं. इसके बाद मई 2019 में मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में उन्हें वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई. निर्मला सीतारमण की गिनती दुनिया की सबसे शक्तिशाली महिलाओं में होती है. निर्मला सीतारमण का जन्म 18 अगस्त 1959 को तमिलनाडु के मदुरै में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था. उन्होंने तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली के सीतालक्ष्मी रामास्वामी कॉलेज से इकोनॉमिक्स में ग्रेजुएशन किया. इसके बाद दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) से अंतरराष्ट्रीय अध्ययन विषय में एमफिल किया और यहीं से उन्होंने इंडो यूरोपियन टेक्सटाइल ट्रेड में पीएचडी की डिग्री भी हासिल की. वित्त मंत्री के पिता नारायण सीतारमण रेलवे में काम करते थे, जबकि उनकी मां सावित्री सीतारण हाउसवाइफ थीं.