क्या भारत के लिए खुद को बदल रहा है Tech-Giant Apple?

पिछले क्वार्टर के दौरान Apple ने भारत में रिकॉर्ड कमाई दर्ज की थी. साथ ही, भारत में अपनी सुविधाएं प्रदान करने के लिए Apple ने एक ऑनलाइन स्टोर की शुरुआत भी की थी.

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Thursday, 09 March, 2023
Apple headquarters

भारत पर ज्यादा ध्यान दने के लिए अमेरिकी फोन निर्माता कंपनी Apple इनकॉर्पोरेशन अपने अंतरराष्ट्रीय बिजनेस मैनेजमेंट में बड़े बदलाव करने के बारे में सोच रही है. इस फैसले से भारत में पहली बार Apple का अपना सेल्स क्षेत्र बन सकता है, जिसके पीछे Apple के उत्पादों की बढ़ती मांग को प्रमुख वजह माना जा रहा है. साथ ही, इस फैसले से देश को Apple जैसी विशालकाय कंपनी में अधिक प्रधानता दी जायेगी.

Hugues Asseman की रिटायरमेंट
Apple द्वारा इस बदलाव के पीछे की प्रमुख वजहों में से एक अफ्रीका, पूर्वी यूरोप, मेडीटेरेनियन, मिडल ईस्ट और भारत के वाइस प्रेसिडेंट Hugues Asseman की रिटायरमेंट को भी माना जा रहा है. उनके जाने के बाद Iphone निर्माता Apple अपने भारत क्षेत्र के प्रमुख Ashish Chowdhary को प्रमोट करने के बारे में सोच रहा है. Ashish Chowdhary पहले Hugues Asseman को रिपोर्ट करते थे लेकिन अब वह सीधा Apple प्रोडक्ट सेल्स के प्रमुख Michael Fenger को रिपोर्ट करेंगे.

भारत में जल्द शुरू होंगे Apple के रिटेल स्टोर्स
अपनी कुल सेल्स में लगभग 5% की गिरावट देखने के बावजूद पिछले क्वार्टर के दौरान Apple ने भारत में रिकॉर्ड कमाई दर्ज की थी. भारत में अपनी सुविधाएं प्रदान करने के लिए Apple ने एक ऑनलाइन स्टोर की शुरुआत की थी और आने वाले समय में जल्द ही हमें देश में Apple के पहले रिटेल स्टोर्स भी देखने को मिल सकते हैं. हाल ही में कंपनी के चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर Tim Cook ने कहा था कि, भारतीय बाजार पर कंपनी बहुत ज्यादा जोर दे रही है और इसके साथ ही उन्होंने भारत में कंपनी की वर्तमान स्थिति की तुलना चीन के अपने शुरुआती सालों से की थी. 

Apple के लिए भारत है जरूरी
Apple के लिए भारत न सिर्फ एक सेल्स इंजन है बल्कि कंपनी के प्रोडक्ट्स के विकास के लिए भी यह एक बेहद आवश्यक क्षेत्र बनता जा रहा है. प्रमुख सप्लायर्स देश की तरफ बढ़ रहे हैं और साथ ही Apple मैन्युफैक्चरिंग कंपनी Foxconn के साथ भारत में Iphone की नयी प्रोडक्शन फैक्ट्रियां भी शुरू करने वाला है. फिलहाल एप्पल की सेल्स और अंतरराष्ट्रीय टीमों को Michael Fenger और एक अन्य वाइस प्रेसिडेंट Doug Beck के बीच बांट दिया गया है. Michael Fenger जहां कंपनी के हार्डवेयर, सेवाओं और ग्लोबल एंटरप्राइज सेल्स को देख रहे हैं, वहीं Doug Beck स्वास्थ्य, एजुकेशन, और सरकारी भागों की देखरेख कर रहे हैं. दोनों ही प्रमुख एग्जीक्यूटिव कंपनी के CEO, Tim Cook को रिपोर्ट करते हैं. 
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ICICI बैंक के मोबाइल ऐप में सामने आई बड़ी खामी, क्या आप भी करते हैं इस्तेमाल?

यूजर्स ने शिकायत की है कि iMobile ऐप पर दूसरे ग्राहकों के ICICI बैंक के क्रेडिट कार्ड से जुड़ी संवेदनशील जानकारी दिख रही है.

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Thursday, 25 April, 2024
photo credit: India Technology News

आईसीआईसीआई बैंक की मोबाइल एप्लीकेशन आईमोबाइल Pay में गड़बड़ी (ICICI Bank iMobile Glitch) की बात सामने आई है. कुछ यूजर्स ने दावा किया है कि वो इस प्लेटफॉर्म पर दूसरों के क्रेडिट कार्ड की संवेदनशील जानकारी देख सकते हैं. यूजर्स ने आशंका जताई है कि इस जानकारी का दुरुपयोग हो सकता है. साथ ही उन्होंने आईसीआईसीआई बैंक और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से इस मामले में तुरंत कदम उठाने की मांग भी की है.

सिस्टम की हो समीक्षा
TechnoFino के फाउंडर सुमंता मंडल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) इस बारे में एक पोस्ट किया है. आईसीआसीआई बैंक और RBI को टैग करते हुए उन्होंने लिखा है कि ICICI बैंक के iMobile ऐप में बड़ी सुरक्षा खामी सामने आई है. कई यूजर्स ने शिकायत की है कि उनके iMobile ऐप पर दूसरे ग्राहकों के ICICI बैंक के क्रेडिट कार्ड से जुड़ी संवेदनशील जानकारी दिख रही है. iMobile ऐप पर दूसरे ग्राहक का पूरा कार्ड नंबर, एक्सपायरी डेट और CVV नंबर दिख रहा है और उसके इंटरनेशनल ट्रांजैक्शन की सेटिंग को भी मैनेज किया जा सकता है. ऐसे में इस जानकारी का दुरुपयोग करके इंटरनेशनल ट्रांजैक्शन करना काफी आसान है. उन्होंने ICICI से इस दिक्कत को जल्द से जल्द दूर करने और RBI से बैंक के सिक्योरिटी सिस्टम की समीक्षा करने का आग्रह किया है.

हरकत में आया बैंक 
वहीं, मामला सामने आने के बैंक ने कुछ कदम उठाए हैं. सुमंत मंडल ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया है कि शायद बैंक ने ग्लिच को दूर करने के लिए आईमोबाइल ऐप पर क्रेडिट कार्ड इंफॉरमेशन के एक्सेस को रोक दिया है. बता दें कि आजकल RBI इस तरह के मामलों को बेहद गंभीरता से ले रहा है. ग्राहकों के हितों की सुरक्षा के लिए उसने कई कदम उठाए हैं. ऐसे में यदि आगे भी iMobile ऐप पर दूसरे ग्राहकों की महत्वपूर्ण जानकारी दिखाई देने के मामले सामने आते हैं, तो बैंक RBI के रडार पर आ सकता है. 

तेजी के साथ बंद हुए शेयर
आईसीआईसीआई बैंक के शेयर की बात करें, तो आज यह एक प्रतिशत से अधिक की तेजी के साथ 1,110.90 रुपए पर बंद हुआ. बीते 5 कारोबारी सत्रों में यह 5 प्रतिशत से ज्यादा चढ़ चुका है. जबकि इस साल अब तक ये आंकड़ा 11.16% रहा है. इस लिहाज से देखें, तो 2024 में इस शेयर का रिटर्न रेट धीमा है. इस शेयर का 52 वीक का हाई लेवल 1,125.65 रुपए और लो लेवल 899 रुपए है. अब इस ग्लिच की खबर का बैंक के स्टॉक पर क्या असर होता है, यह कल देखने को मिलेगा.  


कौन हैं वाडीलाल शाह, जिन्होंने छोटी सी दुकान से बनाया मसालों का 'एवरेस्ट'?

आज मसालों के टॉप ब्रांड में शामिल एवरेस्ट भले सवालों के बीच खड़ा हो. उसपर गंभीर आरोप लगे हो, हांगकांग और सिंगापुर ने एमडीएच और एवरेस्ट के मसालों को बैन कर दिया है.

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Thursday, 25 April, 2024
Vadilal Shah

हांगकांग और सिंगापुर में एमडीएच और एवरेस्ट के कुछ मसालों पर प्रतिबंध लगाया गया है. बाजार से इन मसालों की वापसी का आदेश दिया गया है क्योंकि सिंगापुर और हांगकांग में जांच के बाद इन मसालों में एथिलीन ऑक्साइड की अधिक मात्रा मिली है. इस प्रतिबंध के बाद भारत सरकार ने भी इन मसालों की गुणवत्ता की जांच के आदेश दिए हैं. देश में दूसरी कंपनियों के मसालों की भी जांच की जाएगी. लेकिन क्या आप जानते हैं एवरेस्ट मसालों की शुरुआत कैसे हुई थी. कंपनी का फाउंडर कौन है. एक छोटी सी दुकान से आज एक बड़ा ब्रांड कैसे बना एवरेस्ट? आईए आपको बताते हैं एवरेस्ट मसालों की पूरी कहानी.

कैसे हुई एवरेस्ट मसाले की शुरुआत  

पिता की 200 स्क्वेयर फीट की मसाले की दुकान पर काम करने वाले वाडीलाल शाह ने देखा कि महिलाएं मसाले खरीदते समय खास कॉम्बिनेशन का ध्यान नहीं रखती हैं. उन्होंन इसी कमी को पकड़ते हुए सही मात्रा में मसालों का कॉम्बिनेशन तैयार कर उसे पैक कर कम्पलीट मसाला तैयार करने का फैसला किया. वो चाहते थे कि पैकेट का कॉम्बिनेशन और स्वाद हमेशा एक-सा रहे. इसी आइडिया के साथ उन्होंने एवरेस्ट की शुरुआत की और कुछ ही सालों में मसाला किंग बन गए.

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दुकान को बनाया करोड़ों का ब्रांड 

वाडीलाल ने साल 1967 में कंपनी बना ली, जिसका नाम उन्होंने एवरेस्ट मसाले रखा गया. वो खुद ब्लेंड कर मसाले तैयार करते थे. सबसे पहले उन्होंने केसरी मिल्क मसाला तैयार किया और उसे पिता की दुकान पर बेचना शुरू किया.  लोगों को उनका ये मसाला पसंद आता. फिर उन्होंने धीरे-धीरे चाय मसाला और फिर दूसरे मसाले तैयार करना शुरू किया. शुरुआत में उनका मसाला सिर्फ पिता के दुकान पर ही बिकता था. उन्हें इस बात की चिंता सताने लगी. प्रोडक्ट तो बन चुका था, लेकिन सप्लाई में दिक्कत आ रही थी. वो जानते थे कि भारत मसालों की बड़ी मार्केट है, देशभर में पैक मसालों की डिमांड होग, लेकिन वो सप्लाई चेन को क्रैक नहीं कर पा रहे थे. उन्होंने सप्लाई बढ़ाने के लिए अपने मसाले उठाए और अलग-अलग शहर में घूमना शुरू किया. वो लोगों को मसाले की कॉम्बिनेशन के बारे में बताते थे, उन्हें एक बार खरीदने और ट्राई करने के लिए कहते. दुकानदारों को अपना मसाला रखने के लिए मनाया. इस तरह से उन्होंने देशभर में अपने मसालों की पहुंच बढ़ा दी.  

मुंबई में खोली पहली फैक्ट्री 

धीरे-धीरे दूसरे शहरों तक उनका मसाला पहुंचने लगा. डिमांड को पूरा करने के लिए साल 1982 में उन्होंने मुंबई के विखरोली में अपनी पहली फैक्ट्री लगा दी. उन्होंने डिलर्स और स्पलायर्स को अपनी फैक्ट्री में बुलाया. उन्हें पूरे देश में एवरेस्ट मसालों को पहुंचाने की जिम्मेदारी की. मेहनत रंग लाई और लोगों को उनका मसाला पंसद आने लगा.  

सालाना टर्नओवर 2,500 करोड़ से ज्यादा

वाडीलाल शाह की कड़ी मेहनत नजर आने लगी. सेल बढ़ने लगा. टीवी, अखबार में विज्ञापनों ने बड़ा रोल निभाया. कंपनी का सालाना टर्नओवर 2,500 करोड़ रुपये से अधिक हो गया. एवरेस्ट  की वेबसाइट के मुताबिक कंपनी सालभर में 370 करोड़ पैकेट्स मसाले बेचती है. एवरेस्ट चाय मसाला, गरम मसाला, चिकन मसाला, सांभर मसाला जैसी कई वेराइटी कंपनी के पास है.  
 


PM Modi ने विरासत टैक्स पर बताया जो दिलचस्प तथ्य, क्या आपको थी उसकी खबर?

प्रधानमंत्री मोदी ने विरासत टैक्स पर कुछ ऐसा कहा है, जिसका जवाब देना कांग्रेस के लिए मुश्किल हो जाएगा.

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Thursday, 25 April, 2024
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विरासत टैक्स (Inheritance Tax) पर कांग्रेस इस कदर घिर गई है, उसके लिए जवाब देना भी मुश्किल हो गया है. अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस पर जोरदार हमला बोला है. मध्य प्रदेश के मुरैना में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए PM Modi ने कहा कि विरासत टैक्स को लेकर एक बड़ा तथ्य सामने आया है. एक ऐसा तथ्य, जो सबकी आंखें खोल देगा. बता दें कि इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा (Sam Pitroda) के विरासत टैक्स (Inheritance Tax) को लेकर दिए गए बयान के बाद से कांग्रेस बैकफुट पर आ गई है.

अपने पर आई तो...
पीएम मोदी ने कहा कि मैं पहली बार मैं देश के सामने एक दिलचस्प तथ्य रख रहा हूं. देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की संपत्ति उनकी संतानों को मिलनी थी. लेकिन उस समय ऐसा कानून था कि संतानों को संपत्ति मिलने से पहले एक हिस्सा सरकार ले लेती थी. कांग्रेस ने पहले ऐसा कानून बनाया था. जब इंदिराजी नहीं रहीं, तो उनकी प्रॉपर्टी उनके बेटे राजीव गांधी को मिलनी थी. तब उस प्रॉपर्टी को बचाने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने वो कानून खत्म कर दिया था. PM मोदी ने आगे कहा कि जब खुद पर आई तो कांग्रेस ने कानून हटा दिया. अब अपना काम निपट गया तो उसी कानून को ज्यादा सख्ती के साथ लागू करना चाहते हैं.

उद्देश्य नहीं हुआ था पूरा 
वहीं, एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश में विरासत टैक्स संबंधी कानून 1985 तक मौजूद था. इसके बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने इसे खत्म कर दिया था. इसे एस्टेट ड्यूटी एक्ट 1953 के जरिए पेश किया गया था. यह टैक्स तभी वसूला जाता था, जब संपत्ति के विरासत वाले हिस्से का कुल मूल्य एक्सक्लूजन लिमिट से ज्यादा हो. भारत में संपत्तियों पर यह टैक्स 85 प्रतिशत तक निर्धारित किया गया था. इस मकसद आय असमानता को कम करना था. रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि इस कानून को इसलिए निरस्त कर दिया गया था, क्योंकि विरासत टैक्स से न तो समाज में आर्थिक असमानता में कमी आई और न ही इसने राजस्व में खास योगदान दिया. 

कैसे हुई मामले की शुरुआत?
दरअसल, कांग्रेस ने हाल ही में वेल्थ सर्वे की बात कही थी. पार्टी लीडर राहुल गांधी ने कहा था कि यदि उनकी सरकार बनती है, तो एक सर्वे कराया जाएगा और पता लगाया जाएगा कि किसके पास कितनी संपत्ति है. जब सैम पित्रोदा से राहुल के इस बयान के बारे में पूछा गया तो उन्होंने इसे सही ठहराते हुए अमेरिका में लगने वाले विरासत टैक्स का जिक्र किया. बस इसी बात को लेकर सियासी द्वन्द मचा हुआ है. BJP पित्रोदा के बयान को लेकर हमलावर हो गई है.

क्या है इस टैक्स का फ़ॉर्मूला?
सैम पित्रोदा ने संपत्ति के फिर से बंटवारे पर कांग्रेस के रुख का समर्थन करते हुए एक तरह से भारत में भी विरासत टैक्स कानून की वकालत की थी. उन्होंने कहा था कि यूएस में विरासत टैक्स का प्रावधान है. यदि किसी व्यक्ति के पास 10 करोड़ डॉलर की दौलत है, तो उसके मरने के बाद 45% संपत्ति उसके बच्चों को ट्रांसफर हो जाती है जबकि 55% संपत्ति पर सरकार का अधिकार हो जाता है. उन्होंने आगे कहा कि यह बेहद रोचक कानून है और इसके तहत यह सुनिश्चित किया जाता है कि अमीर जनता के लिए भी कुछ छोड़कर जाएं. मुझे लगता है कि भारत में भी इस तरह के मुद्दों पर चर्चा होनी चाहिए. बता दें कि Inheritance Tax पूरे अमेरिका में लागू नहीं है. यूएस के काल छह राज्यों में यह लगाया जाता है. इसमें आयोवा, केंटकी, मैरीलैंड, नेब्रास्का, न्यू जर्सी और पेन्सिल्वेनिया शामिल हैं.
 

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Horlics अब नहीं रहा 'हेल्दी फूड! कंपनी ने आखिर क्यों किया ये ऐलान? 

हॉर्लिक्स (Horlics) अब हेल्थ फूड ड्रिंक्स नहीं रहा. इसकी पैरेंट कंपनी हिंदुस्तान यूनीलीवर (Hindustan Unilever) ने इसकी कैटेगरी बदल दी है.

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Thursday, 25 April, 2024
Horlicks

अब आप हॉर्लिक्स (Horlics) को हेल्दी ड्रिंक फूड ड्रिंक नहीं कह सकते हैं. दरअसल हॉर्लिक की पेरेंट कंपनी हिंदुस्तान यूनिलीवर (Hindustan Unilever) ने अब अपने हेल्थ फूड ड्रिंक्स कैटेगिरी का नाम बदल दिया है. कंपनी ने यह फैसला मिनिस्ट्री ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्री के उस फैसले के बाद लिया है, जिसमें मिनिस्ट्री ने ई कॉमर्स वेबसाइट को अपनी कैटेगरी से हेल्दी ड्रिंक्स कैटेगरी से ड्रिंक्स और बेवरेज को हटाने के लिए कहा था. 

अब क्या रखा कैटेगिरी का नाम?
हॉर्लिक की पेरेंट कंपनी हिंदुस्तान यूनिलीवर (Hindustan Unilever) ने अब अपने हेल्थ फूड ड्रिंक्स कैटेगिरी का नाम बदलकर अब फंक्शनल न्यूट्रिशनल ड्रिंक कर दिया है. इस फैसले को  लेकर कंपनी ने कहा है कि ये नाम इस कैटेगरी को कहने का बेहतर तरीका है. 

एफएसएसएआई ने दिए थे ये निर्देश
इस महीने की शुरुआत में  फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) ने सभी ई कॉमर्स वेबसाइट को डेयरी, सीरेल या माल्ट वाली बेवरेज को हेल्थ ड्रिंक्स या एनर्जी ड्रिंक की कैटेगरी में रखने से मना किया था. एफएसएसएआई का कहना है कि गलत टर्म का इस्तेमाल करने से ग्राहक गुमराह हो सकते हैं और ऐसे में सभी वेबसाइट्स को इसे हटाने या तो विज्ञापनों को सही करने के लिए कहा गया. कानून की बात करें तो फूड लॉ में हेल्दी ड्रिंक्स की कोई परिभाषा नहीं है और एनर्जी ड्रिंक्स केवल फ्लेवर्ड वॉटर बेस्ड ड्रिंक्स है.

बोर्नविटा मामले के चलते बदला नाम
यह पूरा मामला तब हुआ जब मोंडालेज इंडिया के बोर्नविटा में शूगर लेवल काफी होई हो गया था. एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार एनर्जी ड्रिंक और स्‍पोर्ट्स ड्रिंक मार्केट का साइज 4.7 अरब डॉलर है और 2028 तक 5.71 प्रतिशत सीएजीआर से बढ़ने की उम्‍मीद है.

अभी इन चीजों पर फोकस
कंपनी ने कहा है कि एफएनडी कैटेगरी में अभी कंपनी की पहुंच अधिक नहीं हो पाई है. इसमें अभी ग्रोथ की काफी गुंजाइश है. कंपनी का फोकस ग्राहकों की संख्या बढ़ाने, यूजेज बढ़ाने और कन्ज्यूमर को अधिक बेनेफिट देने का है. इसकी एफएनडी की प्रीमियम रेंज में ज्यादा ग्रोथ की गुंजाइश है, जिसमें डायबिटीज और महिलाओं के हेल्थ से जुड़े प्रोडक्ट आते हैं. 

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Zomato और Swiggy के बीच जल्द शेयर बाजार में होगी नंबर 1 की जंग, सामने आया ये बड़ा अपडेट

फूड डिलीवरी कंपनी स्विगी को आईपीओ के लिए शेयरधारकों से मंजूरी मिल गई है.

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Thursday, 25 April, 2024
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फूड डिलीवरी कंपनी Zomato और Swiggy के बीच एक-दूसरे से आगे निकलने की जंग अब शेयर मार्केट में भी दिखाई देगी. दरअसल, स्विगी को 1.2 अरब डॉलर का IPO यानी इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग लाने के लिए शेयरधारकों की मंजूरी मिल गई है. जानकारी के मुताबिक, स्विगी ने IPO के तहत नए शेयरों को जारी करके 3,750 करोड़ और ऑफर-फॉर-सेल (OFS) के जरिए 6,664 करोड़ रुपए बाजार से जुटाने की योजना बनाई है.

अच्छी नहीं है आथिक सेहत
स्विगी IPO से पहले एंकर निवेशकों से करीब 750 करोड़ रुपए जुटाने की योजना पर भी काम कर रही है. कंपनी की असाधारण आम बैठक (EGM) 23 अप्रैल को हुई थी. इसी बैठक में श्रीहर्ष मजेटी और नंदन रेड्डी को कंपनी का एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर नियुक्त करने की घोषणा की गई. मजेटी को मैनेजिंग डायरेक्टर एवं ग्रुप सीईओ और रेड्डी को होलटाइम डायरेक्टर एवं इनोवेशन के प्रमुख के रूप में नॉमिनेट किया गया था. Swiggy की वित्तीय सेहत की बात करें, तो यह खास अच्छी नहीं रही है. अप्रैल-दिसंबर 2023 में उसे 20.7 करोड़ डॉलर का घाटा हुआ था.

यहां हो रही है नई शुरुआत
कंपनी स्विगी मॉल (Swiggy Mall) को अपने क्विक कॉमर्स बिजनेस इंस्टामार्ट (Instamart) के साथ जोड़ने जा रही है. ग्राहकों को किराने के सामान के साथ-साथ विभिन्न आइटम्स के व्यापक विकल्प देने के लिए यह पहल की गई है. स्विगी मॉल फिलहाल बेंगलुरु के कुछ हिस्सों में मौजूद है. जबकि स्विगी इंस्टामार्ट पहले से ही 25 से अधिक शहरों में है. ऐसे में इस कनेक्शन से स्विगी मॉल का आने वाले महीनों में विस्तार हो जाएगा. इसकी शुरुआत भी बेंगलुरु से होगी. 

हाल ही बदला है नाम
चंद रोज पहले ही Swiggy ने अपना नाम बदला है. वो अब प्राइवेट लिमिटेड कंपनी से पब्लिक लिमिटेड कंपनी में बन गई है. इससे पहले फरवरी में बेंगलुरु स्थित इस कंपनी ने अपना रजिस्टर्ड नाम बंडल टेक्नोलॉजीज (Bundl Technologies Pvt Ltd ) से बदलकर स्विगी प्राइवेट लिमिटेड (Swiggy Pvt Ltd) किया था. स्विगी ने ऐसा इसलिए किया था ताकि कंपनी के कॉर्पोरेट नाम को पहचान स्थापित करने में मदद मिल सके. इसके बाद एक बार फिर उसने नाम बदल लिया.

इसी साल आएगा आईपीओ 
दरअसल, स्विगी अपना आईपीओ लाने की तैयारी में है. इसी के मद्देनजर उसने खुद को प्राइवेट लिमिटेड से पब्लिक लिमिटेड कंपनी बनाया है. आईपीओ लाने के लिए ऐसा करना कंपनी के लिए नियमानुसार आवश्यक था. स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होने की इच्छा रखने वाली किसी भी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को सार्वजनिक कंपनी में परिवर्तित होना पड़ता है, ये एक आवश्यक प्रक्रिया है. माना जा रहा है कि स्विगी का आईपीओ इसी साल आ सकता है. वहीं, उसकी प्रतियोगी कंपनी जोमैटो की बात करें, तो उसका शेयर आज बढ़त के साथ 186.60 रुपए पर कारोबार कर रहा है. इस साल अब तक ये शेयर करीब 50% का रिटर्न दे चुका है.


Option Casino से निवेशकों को लगा रहा है चूना, आखिर कब जागेगी SEBI?

Jane Street के मुकदमे को लेकर अमेरिकी अदालत का ड्रामा इस बात का प्रमाण है कि कैसे भारत के खुदरा निवेशकों को डेरिवेटिव बाजारों में नुकसान हो रहा है और देश का धन बर्बाद हो रहा है.

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Thursday, 25 April, 2024
option trading

पलक शाह

 

भारत के शेयर बाजार की कमजोरियों का फायदा उठाकर विदेशी व्यापारी किस तरह भारत के खुदरा निवेशकों को नुकसान पहुंचा रहे हैं, इसका प्रमाण मैनहट्टन में अमेरिकी जिला न्यायालय की कार्यवाही में सामने आया है. 60 अरब डॉलर से अधिक की पूंजी के साथ दुनिया के सबसे बड़े हेज फंडों में से एक Jane Street ने कहा कि उसने भारत के स्टॉक एक्सचेंजों पर ऑप्शन सेगमेंट में कारोबार करके 2023 में सिर्फ एक साल में 1 अरब डॉलर कमाए थे. 

लूपहोल्स का फायदा उठा रही थी Jane Street

Jane Street ने मात्र एक वर्ष में भारी मुनाफा कमाया जिसे Jane Street के वकीलों द्वारा अनजाने में उजागर कर दिया है. इतना ही नहीं, Jane Street ने कार्यवाही में कहा है कि वह अपना मुनाफा कमाने के लिए देश के शेयर बाजारों में लूपहोल्स का फायदा उठा रही थी. यह 1990 के दशक में अरबपति गेरोगे सोरोस द्वारा अपने मुद्रा व्यापार से कुछ एशियाई देशों को आर्थिक निराशा की चपेट में धकेलने जैसा है.

दो पूर्व कर्मचारियों पर किया मुकदमा

जेन स्ट्रीट ने प्रतिद्वंद्वी मिलेनियम मैनेजमेंट और उसके दो पूर्व कर्मचारियों डगलस शैडवाल्ड और डैनियल स्पॉटिसवुड के खिलाफ ट्रेडिंग रणनीति की चोरी करने के लिए मुकदमा दायर किया है. जेन स्ट्रीट ने कहा है कि दो व्यापारियों के इसे छोड़ने और मिलेनियम मैनेजमेंट में शामिल होने के बाद, मार्च 2024 में इसका अपना मुनाफा 50 प्रतिशत कम हो गया. ब्लूमबर्ग द्वारा रिपोर्ट किए गए बॉन्ड जारी करने वाले दस्तावेजों के अनुसार, जेन स्ट्रीट ने पिछले साल नेट ट्रेडिंग रिवेन्यू में 10.6 बिलियन डॉलर और 2024 की पहली तिमाही में $4.4 बिलियन कमाए. अदालत में वकीलों और न्यायाधीश के बयानों के अनुसार, यह इसकी सबसे सफल रणनीति बन गई, जिसने 2023 में 1 बिलियन डॉलर का मुनाफा कमाया.

यह मामला भारत के लिए चेतावनी

अमेरिका में कोर्टरूम ड्रामा वास्तव में भारत के शेयर बाजार नियामकों और सरकार के लिए एक चेतावनी है. 90 प्रतिशत से अधिक खुदरा निवेशक भारत के डेरिवेटिव बाजार में पैसा खो देते हैं, जहां औसत दैनिक ट्रेडिंग वॉल्यूम केवल एक वर्ष में लगभग दो गुना बढ़कर 440 ट्रिलियन रुपये हो गया है. जबकि भारत अब अधिकांश सोफिस्टिकेटेड ट्रेडर के लिए एक प्रमुख आकर्षण है, उनकी व्यापारिक रणनीतियाँ भारत के खुदरा निवेशकों के धन को नष्ट कर देती हैं, जो सेबी और सरकार पर खराब प्रभाव डालता है.

निवेशकों को हुआ 5.4 बिलियन डॉलर का नुकसान 

जेन स्ट्रीट और मिलेनियम मैनेजमेंट अकेले नहीं हैं क्योंकि ग्रेविटॉन, जंप ट्रेडिंग, अल्फाग्रेप, टॉवर कैपिटल और सिटाडेल सिक्योरिटीज जैसे हाई फ्रीक्वेंसी ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म ने भारत में अपनी एल्गोरिदम-आधारित रणनीतियों के लिए प्रतिष्ठा हासिल की है. सेबी के एक हालिया अध्ययन ने इस बात पर प्रकाश डाला था कि 90 प्रतिशत सक्रिय खुदरा व्यापारी मनी ट्रेडिंग विकल्प और अन्य डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट खो देते हैं. सेबी के अध्ययन से पता चला है कि मार्च 2022 को समाप्त वर्ष में निवेशकों को 5.4 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ. वित्तीय वर्ष 2021-22 में एक अध्ययन में यह भी पाया गया कि औसतन एक खुदरा निवेशक को 125,000 रुपये का नुकसान हुआ. इसके अलावा, इन 90 प्रतिशत व्यक्तियों की एवरेज नेट लॉस, लाभ कमाने वाले 10 प्रतिशत की कमाई से 15 गुना से अधिक थी. सेबी के पूर्व चेयरमैन डीआर मेहता की नजर में भारत का डेरिवेटिव बाजार सबसे बड़े कैसीनो में से एक है.

भारत में हुआ 8,500 करोड़ ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट का कारोबार

वित्तीय वर्ष 2024 के ग्यारह महीनों के लिए, यानी अप्रैल 2023 से फरवरी 2024 तक, इंडेक्स ऑप्शन ग्रॉस प्रीमियम टर्नओवर में मालिकाना व्यापारियों की हिस्सेदारी 48.9 प्रतिशत पर सबसे अधिक थी, इसके बाद व्यक्तिगत निवेशकों की हिस्सेदारी 35.1 प्रतिशत थी. ब्लूमबर्ग न्यूज की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय निवेशकों ने 2023 में 8,500 करोड़ ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट का कारोबार किया, जो दुनिया में सबसे ज्यादा है. भारत में खुदरा निवेशक 35 प्रतिशत ऑप्शन ट्रेडिंग करते हैं, जबकि संस्थान जो अपनी कंपनियों के खातों के लिए अपने जोखिम या लाभ की हेजिंग करना चाहते हैं, बाकी को संभालते हैं.

भारत में ऑप्शन ट्रेडिंग में आया बड़ा उछाल 

मिलेनियम का प्रतिनिधित्व करने वाले डेचर्ट वकील एंड्रयू लेवेंडर ने कहा कि यह दुनिया के सबसे बड़े ऑप्शन ट्रेडिंग बाजारों में से एक है. वॉल स्ट्रीट जर्नल की मार्च की एक समाचार रिपोर्ट में पाया गया कि भारत में ऑप्शन ट्रेडिंग में बड़ा उछाल आया है, 2023 में सभी वैश्विक इक्विटी ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट में से 78 प्रतिशत भारत से जुड़े हैं. पिछले साल भारत में 84 बिलियन से अधिक स्टॉक इंडेक्स ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट का कारोबार हुआ था. वकील ने फरवरी की एक समाचार रिपोर्ट का भी हवाला दिया जिसमें पाया गया कि बाजार का 35 प्रतिशत ऑप्शन ट्रेडिंग खुदरा, या शौकिया निवेशकों द्वारा संचालित किया जाता है, जबकि बाकी संस्थागत निवेशकों - जेन स्ट्रीट और मिलेनियम जैसे पेशेवरों द्वारा नियंत्रित किया जाता है.

सरकार और SEBI को करनी चाहिए कार्रवाई

ब्राउन ने कहा कि जेन स्ट्रीट व्यापारियों पर कंप्यूटर कोड या डेटा चुराने का आरोप नहीं लगा रही है. यह कोई फॉर्मूला या सॉफ्टवेयर नहीं है, बल्कि ट्रेडिंग सिग्नल और तकनीकें हैं जिन्हें आपके दिमाग में याद किया जा सकता है. मिलेनियम के वकीलों और व्यापारियों का कहना है कि उन्होंने कोई व्यापार रहस्य नहीं तोड़ा. बेकर ने कहा कि पिछले महीनों की तुलना में अस्थिरता में गिरावट - ऑप्शन ट्रेडिंग में एक प्रमुख कारक आंशिक रूप से इसके लिए जिम्मेदार है. उन्होंने यह भी कहा कि मिलेनियम जेन स्ट्रीट के पैमाने के एक अंश पर कारोबार कर रहा था. 50 गुना कम एक्सपोज़र को देखते हुए कि जेन स्ट्रीट ने उस समय के दौरान 185 मिलियन डॉलर कमाए और मिलेनियम ने 4 मिलियन डॉलर कमाए. 185 मिलियन डॉलर का आंकड़ा, यदि सटीक है, तो पता चलता है कि जेन स्ट्रीट की भारतीय विकल्प रणनीति 2024 में कई अरब उत्पन्न करने की गति पर थी. जेन स्ट्रीट के मुकदमे का जो भी हो, सेबी और सरकार को देश की संपत्ति बचाने के लिए कार्रवाई करनी चाहिए.
 


देश के सबसे बड़े FPO के शेयरों की हुई लिस्टिंग, पैसे लगाने पर मिला तगड़ा रिटर्न

टेलीकॉम कंपनी Vodafone-Idea लिमिटेड का FPO आज लिस्ट हो गया है. एफपीओ को जहां जबरदस्त रिस्पॉन्स मिला था. फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर 10 प्रतिशत के डिस्काउंट पर लिस्ट हुआ है.

Last Modified:
Thursday, 25 April, 2024
Voda-Idea

वित्तीय दिक्कतों से जूझ रही Voda-Idea मार्केट में टिके रहने के लिए देश का सबसे बड़ा FPO लेकर आई थी. आज इसके शेयरों की लिस्टिंग हुई है. FPO के तहत कंपनी ने 11 रुपये के भाव पर 16,36,36,36,363 शेयर जारी किए हैं. कमजोर मार्केट सेंटिमेंट में इसके शेयर फिलहाल 13.02 रुपये के भाव पर हैं यानी कि FPO में पैसे लगाने वाले निवेशकों को 18 फीसदी का फायदा मिला है. जिसने एक हजार शेयर खरीदे थे उनको पहले दिन लगभग 2000 रुपये का फायदा हुआ. आज इसके 12 रुपये के भाव पर खुले थे और इंट्रा-डे में 13.49 रुपये तक पहुंचे थे. इसके एफपीओ को खुदरा निवेशकों का कुछ खास रिस्पांस नहीं मिला था और उनके लिए आरक्षित हिस्सा महज पूरा ही भर पाया था.

चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला ने जताई खुशी

आज वोडाफोन-आइडिया के FPO की लिस्टिंग के समय आदित्य बिड़ला समूह के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला भी मौजूद थे और उन्होंने खुशी जताते हुए कहा कि Voda-Idea के शेयरों के लिए आगे इससे मदद मिलेगी. उन्होंने समर्थन के लिए सरकार का भी धन्यवाद दिया और कहा कि Voda-Idea राष्ट्रीय संपत्ति है. FPO के बाद नेटवर्क एक्सपेंशन और टेक्नोलॉजी पर पूंजी का इस्तेमाल होगा जबकि Voda-Idea 2.0 की शुरुआत की जाएगी. VI के FPO के लिए घरेलू और विदेशी निवेशकों ने अच्छा उत्साह दिखाया था जिसे कंपनी के लिए अच्छा संकेत मानते हैं.

बढ़ने जा रहे हैं दवाओं के दाम? आपकी जेब पर कितना पड़ेगा असर

देश का सबसे बड़ा FPO है Voda-Idea

Vodafone-Idea का FPO 18 अप्रैल को खुला था और 22 अप्रैल 2024 आवेदन की आखिरी तारीख थी. कंपनी ने 10 -11 रुपये प्रति शेयर प्राइस बैंड फिक्स किया था जिसके बाद संस्थागत निवेशकों ने इसमें जमकर सब्सक्राइब कराया था. देश की तीसरी सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी Vodafone-Idea देश सबसे बड़ा 18000 करोड़ रुपये का FPO लेकर आई थी. FPO से पहले VI के 5012 करोड़ शेयर बाजार में लिस्टेड थे जबकि आज FPO के बाद 1636 करोड़ शेयर नए लिस्ट हो गए हैं.

Voda-Idea जुटाए फंड का क्या करेगी 

Voda-Idea इस FPO के जरिए जुटाई गई रकम से 12,750 करोड़ रुपये का इस्तेमाल नए साइटें लगाने और मौजूदा 4G सेवा का विस्तार करने में करेगी. इसके अलावा 5जी सर्विसेज को शुरू करने के लिए भी रकम का यूज किया जाएगा. FPO के जरिए मिली रकम में से 2175 करोड़ का इस्तेमाल टेलीकॉम डिपार्टमेंट और जीएसटी डिपार्टमेंट की बकाया राशि को चुकाने के लिए किया जाएगा.
 


बढ़ने जा रहे हैं दवाओं के दाम? आपकी जेब पर कितना पड़ेगा असर

घरेलू दवा उद्योग का कारोबार 2030 तक बढ़कर 130 अरब डॉलर से अधिक हो सकता है. बाजार अवसरों के विस्तार और विदेश में बढ़ती मांग के दम पर यह लक्ष्य हासिल हो पाएगा.

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Thursday, 25 April, 2024
Medicine

भारत दुनिया का सस्ता दवाखाना बनने जा रहा है और इसका सीधा फायदा देश के फार्मा निर्यात को हो रहा है. देश का औषधि निर्यात वित्त वर्ष 2023-24 में सालाना आधार पर 9.67 प्रतिशत बढ़कर 27.9 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया. इससे पूर्व वित्त वर्ष 2022-23 में निर्यात 25.4 अरब डॉलर था. वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, मार्च माह में दवा निर्यात 12.73 प्रतिशत बढ़कर 2.8 अरब डॉलर हो गया. वित्त वर्ष 2023-24 में इस क्षेत्र के लिए शीर्ष पांच निर्यात बाजार अमेरिका, ब्रिटेन, नीदरलैंड, ब्रिटेन, दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील थे. भारत के कुल औषधि निर्यात में अमेरिका की हिस्सेदारी 31 प्रतिशत से अधिक रही.

130 अरब डॉलर का होगा कारोबार

घरेलू दवा उद्योग का कारोबार 2030 तक बढ़कर 130 अरब डॉलर से अधिक हो सकता है. बाजार अवसरों के विस्तार और विदेश में बढ़ती मांग के दम पर यह लक्ष्य हासिल हो पाएगा. भारत ने 2023-24 के दौरान पांच देशों अमेरिका, ब्रिटेन, नीदरलैंड, दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील में सबसे ज्यादा दवाओं का निर्यात किया. इसमें अमेरिका की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा 31 फीसदी से अधिक रही. कुल दवा निर्यात में ब्रिटेन और नीदरलैंड का करीब तीन फीसदी योगदान रहा. भारत को पिछले वित्त वर्ष के दौरान कई नए बाजारों में कदम रखने का अवसर मिला. इन बाजारों में मोंटेनेग्रो, दक्षिण सूडान, चाड, कोमोरोस, ब्रुनेई, लात्विया, आयरलैंड, स्वीडन, हैती और इथियोपिया शामिल हैं.

206 से ज्यादा देशों में सप्‍लाई होती है दवाई

फार्मा निर्यातकों के मुताबिक भारत पहले से ही वैश्विक दवाखाना है क्योंकि दुनिया के 206 से अधिक देशों में किसी न किसी रूप में भारतीय दवा की सप्लाई होती है. लेकिन अब उन देशों में भी भारत की सस्ती दवाएं सप्लाई हो रही है जिन्हें भारत की सस्ती दवा पर बहुत भरोसा नहीं था. भारत हेपेटाइटिस बी से लेकर एचआईवी व कैंसर जैसी घातक बीमारियों के लिए दुनिया की दवा के मुकाबले काफी सस्ती दवा बनाता है.

क्या सस्ती होगी दवाईयां?

विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका जैसे देशों में बढ़ते बाजार अवसरों और मांग से निर्यात को मासिक आधार पर वृद्धि दर्ज करने में मदद मिल रही है. लेकिन भारत से दवा निर्यात में बढ़ोतरी की वजह से दवाएं ज़रूरी तौर पर सस्ती नहीं होंगी. भारत, जेनेरिक दवाओं का दुनिया का सबसे बड़ा निर्माता और निर्यातक है. भारत में दवाओं का निर्माण बढ़ रहा है और घरेलू स्तर पर भी दवा के कारोबार में पिछले साल के मुकाबले 8-9 प्रतिशत की बढ़ोतरी दिख रही है. भारत दुनिया के लिए फ़ार्मेसी के रूप में काम करता है क्योंकि यह सस्ती चिकित्सीय दवाओं का एक महत्वपूर्ण वैश्विक आपूर्तिकर्ता है.
 


Uday Kotak की विरासत संभाल रहे अशोक वासवानी के लिए पहला इम्तिहान है RBI की कार्रवाई

आरबीआई को कोटक बैंक के आईटी सिस्टम में गंभीर खामियां मिली थीं, जिसे दूर करने के लिए बैंक ने कुछ खास नहीं किया.

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Thursday, 25 April, 2024
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कोटक महिंद्रा बैंक (Kotak Mahindra Bank) मुश्किलों में घिर गया है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की कार्रवाई के बाद आने वाले दिन उसके लिए अच्छे नहीं रहने वाले. RBI ने इस प्राइवेट बैंक पर डिजिटल चैनलों के जरिए नए ग्राहक बनाने पर रोक लगा दी गई है. साथ ही उसे नए क्रेडिट कार्ड जारी करने से भी रोक दिया है. ऐसे में अब सबकी निगाहें कोटक महिंद्रा बैंक के नए मैनेजिंग डायरेक्टर और CEO अशोक वासवानी (Ashok Vaswani) पर टिक गई हैं. वासवानी ने कुछ वक्त पहले ही उदय कोटक (Uday Kotak) की जगह बैंक के CEO की जिम्मेदारी संभाली है. यह देखने वाली बात होगी कि वो बैंक को इस मुश्किल से कैसे बाहर निकालेंगे.  

ऑडिट से तय होगा भविष्य 
कोटक महिंद्रा बैंक के नए मैनेजिंग डायरेक्टर और CEO के रूप में अशोक वासवानी की पहली चुनौती खामियों को दूर करके RBI को संतुष्ट करने की है. पेटीएम पेमेंट्स बैंक का हाल उनके सामने है, ऐसे में उन्हें सबकुछ जल्दी और सावधानी के साथ करना होगा. बैंक की तरफ से कहा गया है कि वह बैंकिंग नियामक के साथ मिलकर तकनीकी दिक्कतों को जल्द से जल्द दूर करने की कोशिश करेगा. इस कार्रवाई के बाद अब बैंक को RBI की निगरानी में व्यापक ऑडिट करवाना होगा. इस ऑडिट के आधार पर ही रिजर्व बैंक कोटक महिंद्रा बैंक के भविष्य पर फैसला लेगा.

कब तक हटेंगी पाबंदियां? 
वासवानी के सामने सबसे बड़ी चुनौती ये है कि RBI की चिंताओं को दूर कर जल्द से जल्द पाबंदियों को हटवाया जाए, ताकि बैंक के बिजनेस को ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचे. हालांकि, सवाल यह है कि ये काम कब तक पूरा होगा. जितने लंबे समय तक पाबंदियां कायम रहेंगी, बैंक को नुकसान होता रहेगा. दिसंबर 2020 में HDFC बैंक पर भी इसी तरह की कार्रवाई हुई और बैंक को आंशिक तौर पर पाबंदियां हटवाने में करीब 8 महीने लग गए थे. रिजर्व बैंक ने अगस्त 2021 में HDFC को आंशिक राहत दी थी. इसके बाद मार्च 2022 में बैंक ने बताया था कि आरबीआई ने उसके डिजिटल प्रोडक्ट लॉन्च पर लगाई रोक को हटा लिया है.

लगातार 2 साल बैंक ने नहीं सुनी 
आरबीआई को कोटक बैंक के आईटी सिस्टम में गंभीर खामियां मिली थीं. इस पर बैंक से जवाब भी मांगा गया, लेकिन लगातार दो सालों तक बैंक RBI के दिशा-निर्देशों की अनदेखी करता रहा. इस वजह से केंद्रीय बैंक को सख्त कदम उठाना पड़ा है. RBI के अनुसार, कोटक महिंद्रा बैंक जिस तरीके से अपने IT सिस्टम का प्रबंधन करता है, उसमें कई गंभीर खामियां पाई गई थीं. इस मामले में 2022 और 2023 में बैंक का IT ऑडिट भी किया गया था. इसके बाद बैंक को निर्देश दिया गया था कि इन खामियों को सही ढंग से समय पर दुरुस्त किया जाए, लेकिन बैंक ने लगातार दो सालों तक कुछ नहीं किया. इसके मद्देनजर RBI ने बैंकिंग नियामक अधिनियम 1949 के सेक्शन 35A के तहत अपनी शक्ति का इस्तेमाल करते हुए कोटक महिंद्रा बैंक के खिलाफ कार्रवाई की. 

बिगड़ जाएगी आर्थिक सेहत
कोटक डिजिटल बिजनेस में आईसीआईसीआई और एक्सिस बैंक से तगड़ी चुनौती मिल रही है. ऐसे में RBI की पाबंदियों का लंबा खिंचना उसकी आर्थिक सेहत के लिए अच्छा नहीं होगा. यदि सबकुछ जल्दी ठीक नहीं होता, तो व्यक्तिगत तौर पर अशोक वासवानी के लिए भी अच्छा नहीं होगा. यह सवाल उठेंगे कि वह उदय कोटक से मिली जिम्मेदारी को सही से निभाने में सफल नहीं हुए. देशभर में बैंक की 1780 से ज्यादा ब्रांच हैं और 2023 तक इसके पास कुल 4.12 करोड़ ग्राहक थे. बैंक के पास भारत के क्रेडिट कार्ड मार्केट में करीब 4% की हिस्सेदारी है, बैंक के 49 लाख से ज्यादा क्रेडिट कार्ड और 28 लाख से ज्यादा डेबिट कार्ड इस्तेमाल किए जा रहे हैं.


BJP के इस ऑफर पर धर्मसंकट में फंसे Varun Gandhi के पास है कितनी दौलत?

भाजपा ने पीलीभीत सीट से वरुण गांधी का पत्ता काट दिया था, लेकिन अब उसने बहन-भाई को लड़ाने की योजना बनाई है.

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Thursday, 25 April, 2024
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क्या वरुण गांधी (Varun Gandhi) अपनी चचेरी बहन प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) को चुनावी मैदान में टक्कर देंगे? इस सवाल का जवाब खुद वरुण गांधी को देना है. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें, तो BJP ने वरुण से रायबरेली से लोकसभा चुनाव (Raebareli Loksabha Seat) लड़ने को कहा है. पीलीभीत सीट से टिकट कटने के बाद वरुण के पास यह आखिरी मौका है. लेकिन उनके सामने धर्मसंकट यह है कि कांग्रेस इस बार रायबरेली से प्रियंका को उतारने की तैयारी कर रही है. ऐसे में उन्हें अपनी बहन के खिलाफ सियासी जंग लड़नी होगी. इसलिए उन्होंने इस पर फैसला लेने के लिए उन्होंने कुछ समय मांगा है. बता दें कि लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा केवल रायबरेली और कैसरगंज से प्रत्याशियों की घोषणा नहीं कर पाई है. 

इसलिए वरुण को मिलेगा मौका
वरुण गांधी बीते कुछ समय से काफी मुखर रहे हैं. उनके कुछ बयानों से आलाकमान भी नाराज बताया जाता है. यही वजह रही कि उन्हें पीलीभीत सीट से नहीं उतारा गया. जबकि वह पिछली बार इसी सीट से जीतकर संसद पहुंचे थे. हालांकि, अब भाजपा चाहती है कि वो रायबरेली से प्रियंका के खिलाफ चुनाव लड़ें. बताया जाता है कि रायबरेली लोकसभा सीट पर BJP ने एक सर्वे करवाया था, जिसमें प्रत्‍याशी के तौर पर वरुण गांधी का नाम सबसे आगे आया. इसलिए पार्टी उन्हें मौका देना चाहती है. बता दें कि रायबरेली कांग्रेस का गढ़ रहा है. सोनिया गांधी यहां से सांसद चुनी जाती रही हैं. हालांकि, इस बार वह राजस्‍थान के कोटे से राज्‍यसभा चली गई हैं.

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इतने करोड़ के मालिक हैं Varun
अब जब वरुण गांधी की बात निकली है, तो उनकी आर्थिक सेहत के बारे में भी जान लेते हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए वरुण गांधी द्वारा दायर  हलफनामे में उनकी संपत्ति का विवरण दिया गया था. उस वक्त वरुण ने बताया था कि उनके पास 60 करोड़ रुपए ज्‍यादा की संपत्ति है. वरुण और उनकी पत्नी के बैंक खाते में उस समय 21 करोड़ रुपए थे. करोड़ों की दौलत के बावजूद मेनका गांधी के बेटे के नाम पर महज एक कार है. इसके अलावा, वरुण के पास 98.57 लाख की ज्वेलरी और 32.55 करोड़ की कमर्शियल बिल्डिंग है. जबकि उनकी पत्नी के पास भी 1 करोड़ मूल्य की रेजिडेंशियल बिल्डिंग है. 

संपत्ति में कई गुना हुआ इजाफा 
हलफनामे में वरुण गांधी ने बताया था कि उनके पास 40,500 और पत्नी के पास 3000 रुपए कैश है. उन्‍होंने भारतीय जीवन बीमा निगम यानी LIC के साथ-साथ अन्य इंश्‍योरेंस पॉलिसी में 54 लाख रुपए इन्वेस्ट किए हुए हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्‍होंने 35 करोड़ की संपत्ति होने की बात कही थी. यानी 2014 से 2019 के बीच इसमें काफी इजाफा हुआ. इस लिहाज से देखें तो आज के समय में वरुण गांधी 60 करोड़ रुपए से अधिक की संपत्ति के मालिक होंगे. 2014 के चुनावी हलफनामे में उन्‍होंने कहा था कि उनके अलग-अलग बैंक अकाउंट में 11 करोड़ रुपए हैं.