सस्ते घरों को फाइनेंस करने वाली आधार हाउसिंग फाइनेंस पहले भी आईपीओ लाने की कोशिश कर चुकी है.
आधार हाउसिंग फाइनेंस अपना आईपीओ (Aadhar Housing Finance IPO) लाने की तैयारी में है. कंपनी ने बाजार नियामक सेबी (SEBI) के पास IPO के लिए ड्राफ्ट पेपर जमा करा दिए हैं. कंपनी इसी साल आईपीओ लाकर बाजार से 5000 करोड़ रुपए जुटाना चाहती है. सस्ते घरों को फाइनेंस करने वाली इस कंपनी में प्राइवेट इक्विटी फर्म ब्लैकस्टोन (Blackstone) का निवेश है. इस आईपीओ में 1000 करोड़ रुपए के नए शेयर जारी होंगे, जबकि 4000 करोड़ रुपए तक का ऑफर फॉर सेल (OFS) रहेगा.
यहां खर्च होगी IPO से मिली रकम
ऑफर फॉर सेल (OFS) में ब्लैकस्टोन अपने शेयरों को बिक्री के लिए पेश करेगी. आईपीओ से मिलने वाली राशि का इस्तेमाल आधार हाउसिंग फाइनेंस भविष्य की पूंजीगत जरूरतों और सामान्य कॉरपोरेट उद्देश्यों को पूरा करने पर खर्च करेगी. कंपनी ने आईपीओ के लिए ICICI Securities, Citigroup Global Markets India Private Limited, Kotak Mahindra Capital Company, Nomura Financial Advisory and Securities (India), और SBI Capital Markets Limited को बुक रनिंग लीड मैनेजर नियुक्त किया है.
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कंपनी ने पहले भी किया था आवेदन
वैसे ये पहली बार नहीं है जब कंपनी के आईपीओ लाने की कोशिश की है. इससे पहले Aadhar Housing Finance ने जनवरी 2021 में आईपीओ के लिए आवेदन किया था. कंपनी को मई 2022 में सेबी से मंजूरी भी मिल गई थी, लेकिन कंपनी एक साल के भीतर इश्यू नहीं ला पाई और इस तरह मंजूरी की वैधता समाप्त हो गई. शेयर होल्डिंग पैटर्न की बात करें, तो कंपनी में ब्लेकस्टोन की 98.72 प्रतिशत हिस्सेदारी है. शेष 1.18 प्रतिशत हिस्सेदारी ICICI Bank के पास है. बता दें कि 2019 में DHFL यानी Dewan Housing Finance Corporation के प्रमोटर्स ने आधार हाउसिंग फाइनेंस में पूरी हिस्सेदारी ब्लैकस्टोन ग्रुप की कंपनी BCP Topco VII Pte को बेच दी थी.
अनंत अंबानी और राधिका मर्चेंट की शादी के लंदन में होने वाले जश्न के लिए मुकेश अंबानी ने लग्जरी होटल दो महीने के लिए बुक कर लिया है.
अनंत अंबानी और राधिका मर्चेंट की शादी ज़रूर हो गई है, लेकिन उसका जश्न अभी बाकी है. अंबानी परिवार अब लंदन में पोस्ट वेडिंग सेलिब्रेशन की तैयारी कर रहा है. इसके लिए बाकायदा अगस्त से सितंबर तक यानी दो महीने के लिए लग्जरी 7-स्टार स्टोक पार्क (Stoke Park) होटल को बुक किया गया है. पोस्ट वेडिंग सेलिब्रेशन पर भी मुकेश अंबानी भारी-भरकम खर्चा करने वाले हैं.
अब तक इतना खर्चा
अनंत-राधिका की शादी से पहले गुजरात के जामनगर में तीन दिनों का प्री-वेडिंग फंक्शन आयोजित हुआ था, जिस पर करीब 1200 करोड़ रुपए का खर्चा आया था. इसके बाद 12 जुलाई को हुई शादी पर लगभग 5000 करोड़ रुपए खर्च हुए और अब शादी के बाद के जश्न पर भी अंबानी परिवार पानी के तरह पैसा बहाने को तैयार है. लंदन में होने वाले इस भव्य आयोजन में तमाम दिग्गज हस्तियां शिरकत करेंगी. खबरों की मानें तो प्रिंस हैरी, पूर्व ब्रिटिश PM बोरिस जॉनसन, टोनी ब्लेयर और उनकी पत्नी चेरी ब्लेयर के साथ-साथ हॉलीवुड, बॉलीवुड के सितारों और दुनिया के दिग्गज बिजनसमैन इसका हिस्सा बनेंगे.
592 करोड़ में लीज
'द सन' की रिपोर्ट बताती है कि इस आलीशान प्रॉपर्टी पर यह सेलिब्रेशन होने वाला है, उसे मुकेश अंबानी ने की रिलायंस ने तीन साल पहले 592 करोड़ रुपए में लीज पर लिया था. इस होटल में जेम्स बॉन्ड फिल्मों की दो बार शूटिंग हो चुकी है. लंदन के बकिंघमशायर में स्थित यह होटल 300 एकड़ के पार्कलैंड के बीच में बना है. इसमें 49 बेडरूम और सुइट्स, 27 गोल्फ कोर्स, 13 टेनिस कोर्ट और 14 एकड़ में प्राइवेट गार्डन है. इस प्रॉपर्टी क 1000 साल पुराना इतिहास है. अंबानी द्वारा होटल को लीज पर लिए जाने के बाद से ही इसे आम लोगों के लिए बंद कर दिया गया था. केवल अंबानी परिवार के सदस्य ही यहां आते-जाते रहे हैं.
लोगों ने जताई थी आपत्ति
होटल को सिर्फ अंबानी परिवार के लिए खोले जाने पर स्थानीय लोगों और लोकल काउंसिल ने कड़ी आपत्ति जताई थी. क्योंकि लीज के नियमों के मुताबिक, इसे कमर्शियल प्रॉपर्टी की तरह इस्तेमाल किया जाना चाहिए. इसके बाद लीज के नियमों का पालन किया गया. ऐसे में अब मुकेश अंबानी ने दो महीने के लिए पूरा होटल ही बुक कर लिया है, ताकि किसी बिन बुलाये मेहमान की एंट्री न होने पाए. स्टोक पार्क एस्टेट और आसपास के इलाके में सुरक्षा कड़ी की जा रही है. दो महीने तक होटल में कई जश्न होंगे, जिसमें ब्रिटेन के शाही परिवार के साथ-साथ दुनिया भर की दिग्गज हस्तियां शिरकत करेंगी. भारत से अनंत-राधिका की पोस्ट वेडिंग सेलिब्रेशन में कौन शामिल होगा, इसकी फिलहाल कोई जानकारी नहीं है.
बजट के बाद से शेयर बाजार के अच्छे दिन कहीं गायब हो गए हैं. कल भी बाजार में गिरावट आई और आज भी उतार-चढ़ाव के आसार हैं.
शेयर बाजार (Stock Market) में कल भी बेजार रहा. बाजार का असर, विदेशी बाजारों में नरमी और कुछ चुनिंदा सेक्टर्स शेयरों में हुई बिकवाली के चलते मार्केट गिरावट के साथ बंद हुआ. दरअसल , मोदी सरकार ने शेयर बाजार से होने वाली कमाई पर भी कैंची चलाने का काम किया है. बजट में सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स (एसटीटी) और शॉर्ट-लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर टैक्स बढ़ाने की घोषणा के बाद से ही निवेशक बाजार से पैसा निकाल रहे हैं. इस वजह से मार्केट लाल है. खास बात यह है कि विदेशी संस्थागत निवेशक (FPI) ने बड़े पैमाने पर भारतीय बाजार से निकासी कर रहे हैं. कल बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) का सेंसेक्स 109.08 लुढ़ककर 80,039.80 और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का निफ्टी 7.40 अंक फिसलकर 24,406.10 पर बंद हुआ. शेयर बाजार के लिए आज सप्ताह का आखिरी कारोबारी दिन है. चलिए जानते हैं कि आज कौनसे शेयर ट्रेंड में रह सकते हैं.
MACD के ये हैं संकेत
सबसे पहले बात करते हैं MACD की. मोमेंटम इंडिकेटर मूविंग एवरेज कन्वर्जेंस डिवर्जेंस (MACD) ने DOMS Industries, Sky Gold, AstraZeneca Pharma, LTTS, Epigral और Ethos में तेजी का रुख दर्शाया है. इसका मतलब है कि इन शेयरों में उछाल देखने को मिल रहा है. जाहिर है ऐसे में इन पर दांव लगाने वालों के लिए मुनाफा कमाने की गुंजाइश भी बन सकती है. हालांकि, BW हिंदी आपको सलाह देता है कि शेयर बाजार में निवेश से पहले किसी सर्टिफाइड एक्सपर्ट से परामर्श लेना न भूलें अन्यथा आपको नुकसान भी उठाना पड़ सकता है. इसी तरह, MACD ने Apollo Hospitals Enterprise, CAMS, Supreme Petrochem, Metro Brands, Emami और RVNL में मंदी के संकेत दिए हैं.
इन पर भी रखें नजर
अब उन शेयरों के बारे में भी जान लेते हैं, जिनमें मजबूत खरीदारी देखने को मिल रही है. इस लिस्ट में Tata Motors, MMTC, Nuvama Wealth Management, Jyothy Labs, United Spirits और ONGC का नाम शामिल है. इनके अलावा, आज Samvardhana Motherson International, BPCL और फेडरल बैंक पर भी नजर रखें. इन शेयरों में उछाल देखने को मिल सकता है. फेडरल बैंक के शेयर कल बढ़त के साथ 204.80 रुपए पर बंद हुए थे. इसी तरह BPCL करीब चार प्रतिशत की उछाल के साथ 326.50 रुपए पर पहुंच गया था. इस साल अब तक इस शेयर में 44.45% का उछाल आया है.
(डिस्क्लेमर: शेयर बाजार में निवेश जोखिम के अधीन है. 'BW हिंदी' इसकी कोई जिम्मेदारी नहीं लेता. सोच-समझकर, अपने विवेक के आधार पर और किसी सर्टिफाइड एक्सपर्ट से सलाह के बाद ही निवेश करें, अन्यथा आपको नुकसान उठाना पड़ सकता है).
जिंदल समूह की कंपनी जिंदल रेल, उच्च गुणवत्ता वाले रेलवे माल कार उत्पादों को डिजाइन करने और बनाने के लिए जानी जाती है. यह इस्पात उद्योग के लिए बीएफएनवी वैगनों जैसे माल ढुलाई के डिजाइन में माहिर है.
टेक्समैको रेल एंड इंजीनियरिंग लिमिटेड ने अपने रोलिंग स्टॉक व्यवसाय का विस्तार करने के लिए एक रणनीतिक कदम में जिंदल रेल इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड का अधिग्रहण कर लिया है. कंपनी ने जिंदल रेल का 100% अधिग्रहण करने की घोषणा की है. 615 करोड़ रुपये मूल्य का यह अधिग्रहण भारत के रोलिंग स्टॉक उद्योग के इतिहास में सबसे बड़ा अधिग्रहण है, और इससे टेक्समैको की मैन्युफैक्चरिंग क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी, जिससे टेक्समैको भारत में वैगनों का सबसे बड़ा उत्पादक बन जाएगा. टेक्समैको, एडवेंट्ज़ समूह की कंपनी, एल्यूमिना, सीमेंट/फ्लाई ऐश, स्टील, ईंधन, रसायन, लौह-अयस्क (गोंडोला वैगन) के साथ-साथ ऑटोमोबाइल ले जाने वाले वैगनों के थोक परिवहन के लिए वैगनों में अग्रणी कंपनी है.
क्या करती है जिंदल रेल इंफ्रास्ट्रक्चर?
टैक्समैको ने जिस कंपनी का अधिग्रहण किया है उसका मौजूदा समय में पृथ्वीराज जिंदल नेतृत्व कर रहे हैं. जिंदल समूह की कंपनी जिंदल रेल, उच्च गुणवत्ता वाले रेलवे माल कार उत्पादों को डिजाइन करने और बनाने के लिए जानी जाती है. यह इस्पात उद्योग के लिए बीएफएनवी वैगनों जैसे माल ढुलाई के डिजाइन में माहिर है, साथ ही ऑटोमोबाइल कैरिज के लिए एसीटी1 और अधिक उद्योग विशिष्ट वैगन डिजाइन प्रोटोटाइप चरण में हैं. जिंदल रेल ने परंपरागत रूप से विभिन्न प्रकार के कमोडिटी-विशिष्ट, विशेष प्रयोजन वैगन, कोच और लोकोमोटिव के लिए घटकों का निर्माण किया है, और 2012 में अपनी स्थापना के बाद से 8,600 से अधिक वैगनों की डिलीवरी की है. इसकी विनिर्माण सुविधा 123 एकड़ में फैली हुई है, जिसने 1,650 वैगनों का उत्पादन किया है. पिछले वित्तीय वर्ष में उत्पादन कई गुना बढ़ने की संभावना है.
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क्या बोले टैक्समैको के प्रेसीडेंट?
अधिग्रहण पर टिप्पणी करते हुए, टेक्समैको के अध्यक्ष सरोज कुमार पोद्दार ने कहा, ‘एडवेंट्ज़ समूह हमेशा भारत के विकास में भाग लेने के लिए प्रतिबद्ध रहा है. जिंदल रेल अधिग्रहण से घरेलू और विदेशी बाजारों में हमारी भागीदारी तेजी से बढ़ेगी, जिससे देश की आर्थिक वृद्धि को गति मिलेगी. वडोदरा में 61 एकड़ का भूमि बैंक यात्री गतिशीलता जैसे संबद्ध व्यवसायों में त्वरित क्षमता विस्तार को बढ़ावा देगा, जबकि टेक्समैको की विशेषज्ञता परिचालन के ऊर्ध्वाधर एकीकरण की अनुमति देगी.
क्या बोले टैक्समैको के वाइस चेयरमैन?
टेक्समैको के वाइस चेयरमैन इंद्रजीत मुखर्जी ने कहा, "हम हमेशा विकास को बढ़ावा देने और पूरे उद्योग में तालमेल बढ़ाने के लिए रणनीतिक गठबंधन बनाने पर ध्यान केंद्रित करते हैं, और यह कम जोखिम वाला अधिग्रहण हमारे व्यापक दृष्टिकोण के अनुरूप है. इस अवसर पर टेक्समैको के प्रबंध निदेशक श्री सुदीप्त मुखर्जी ने कहा की “यह अधिग्रहण टेक्समैको रेल को देश के भीतर माल ढुलाई स्टॉक बाजार में और अल्पावधि में अंतरराष्ट्रीय रेल माल उद्योग मानचित्र पर महत्वपूर्ण बढ़त दिलाएगा. यह नई उत्पाद श्रृंखलाओं में प्रवेश के साथ-साथ संपूर्ण रेलवे रोलिंग स्टॉक और घटक मूल्य श्रृंखलाओं में भागीदारी को बढ़ावा देने के जबरदस्त अवसर भी खोलता है. हमारा दृढ़ विश्वास है कि टेक्समैको रेल, पश्चिमी भारत में अपने विस्तार के साथ, सरकार के आत्मनिर्भर भारत और विकसित भारत के दृष्टिकोण में अधिक सशक्त रूप से योगदान देगी.
कंपनी की ओर से इस मामले में जानकारी दी गई है कि वो ग्रोथ और प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए इस तरह का कदम उठा रही है. कंपनी आने वाले दिनों में निकाले गए लोगों की जगह नए कर्मचारियों को लेगी.
AI (Artificial Intelligence) की बात जब भी आती है उसके साथ छंटनी का जिक्र जरूर होता है. इसी आशंका को और गहराती अब एक एआई स्टार्टअप कंपनी से ये खबर सामने आ रही है उसने बड़े स्तर पर कर्मचारियों की छंटनी की तैयारी कर ली है. खबर यहां तक आ रही है कि कंपनी ने इसे लेकर निकाले जाने वाले कर्मचारियों को सूचना भी दे दी है. गौरतलब है कि इस साल की शुरुआत से ही कंपनियों में छंटनी का दौर शुरू हुआ था वो अभी भी लगातार जारी है.
आखिर क्यों हो रही है ये छंटनी?
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, एआई स्टार्टअप कंपनी कोहेयर (Cohere) को इसी मंगलवार को अच्छी खबर तब मिली जब एक नए फंडिंग राउंड में कंपनी 500 मिलियन डॉलर जुटाने में कामयाब हो गई. कंपनी का वैल्यूएशन 5.5 बिलियन डॉलर आंका गया है. लेकिन कंपनी ने अपनी इस खुशी में कर्मचारियों को जो खबर सुनाई उसने सभी को परेशान कर दिया है. फंडिंग मिलने के बाद ही कंपनी ने कई कर्मचारियों को नौकरी से निकाले जाने का फरमान सुना दिया.
इतने प्रतिशत कर्मचारियों पर पड़ सकता है असर?
कंपनी के पास मौजुदा समय में 400 कर्मचारी काम कर रहे हैं. लेकिन कंपनी इस राउंड में 20 कर्मचारियों को बाहर निकालने जा रही है. ये कंपनी के 5 प्रतिशत कर्मचारियों की संख्या है. इन 5 प्रतिशत कर्मचारियों को निकाले जाने के बाद कंपनी में 380 कर्मचारी बचेंगे. कंपनी के सीईओ ऐदान गोमेज ने कर्मचारियों को पत्र लिखकर इस संभावित छंटनी के बारे में बताया है.
सीईओ ने ये बताई वजह?
कंपनी के सीईओ ऐदान गोमेज ने बताया कि अगर कंपनी को प्रतिस्पर्धी और आगे बढ़ना है तो उसके लिए जरूरी ये है कि सही आदमी सही पोजीशन पर हो. उन्होंने कहा कि हम इसी लक्ष्य के साथ ये छंटनी कर रहे हैं. उन्होंने भरोसा दिलाया कि कंपनी आने वाले समय में लोगों को हायर करना जारी रखेगी. उन्होंने कहा कि कंपनी इन कर्मचारियों को हटाकर उनकी जगह नए कर्मचारियों को लेकर आना चाहती है. वो उनकी नियुक्ति जल्द से जल्द करेगी.
ऑक्सफैम की रिपोर्ट बता रही है कि इन अमीरों की कमाई से लेकर संपत्ति में तो इजाफा हुआ है लेकिन इनके टैक्स में कमी हुई है और सरकारें असमानता रोकने में फेल रही हैं.
समूची दुनिया के ज्यादातर देश भले ही आर्थिक संकट का सामना कर रहे हों लेकिन अमीरों की दौलत में कोई कमी नहीं आई है. आलम ये है कि हाल ही में हुए एक सर्वे में ये बात सामने आई है कि पिछले 10 सालों में दुनिया के 1 प्रतिशत टॉप अमीरों की दौलत में 42 ट्रिलियन का इजाफा हुआ है. रिपोर्ट ये भी कह रही है कि जिन अमीरों की दौलत में इजाफा हुआ है उनमें ज्यादातर जी 20 देशों के नागरिक हैं.
क्या कहती है ऑक्सफोम की ये रिपोर्ट?
ऑक्सफॉम की ये रिपोर्ट बता रही है कि दुनिया के 1 प्रतिशत अमीरों की दौलत में 42 ट्रिलियन डॉलर का इजाफा हुआ है. 42 ट्रिलियन डॉलर वो रकम है जो सबसे गरीब आबादी की 36 गुना से भी ज्यादा है. रिपोर्ट का कहना है कि इन अमीरों की संपत्ति में रियल टर्म्स में 400000 डॉलर के करीब बढ़ी है. जबकि बाकियों की संपत्ति में केवल 335 डॉलर का इजाफा हुआ है.
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संपत्ति बढ़ी लेकिन घट गया टैक्स
ऑक्सफैम की रिपोर्ट बता रही है कि इन अमीरों की कमाई से लेकर संपत्ति में तो इजाफा हुआ है लेकिन इनके टैक्स में कमी हुई है. इस साल जी 20 की मीटिंग ब्राजील में हो रही है. जी 20 देशों की अगर दुनिया की जीडीपी में हिस्सेदारी पर नजर डालें तो वो 80 प्रतिशत है. ऐसे में ये देश सुपर रिच पर टैक्स लगाने को लेकर अंतराष्र्ट्रीय सहयोग को आगे बढ़ा रहे हैं. ब्राजील में इस साल जी 20 देशों के वित्त मंत्रियों और सेंट्रल बैंक के गवर्नरों की मीटिंग होने जा रही है. इस मीटिंग में इस पर चर्चा हो सकती है.
चरम पर पहुंच चुकी है असमानता
ऑक्सफैम की रिपोर्ट कह रही है कि इसके कारण असमानता तेजी से फैल रही है और ये मौजूदा समय में अपने उच्च स्तर पर पहुंच चुकी है. उन्होंने कहा कि दुनिया भर की सरकारें इस असमानता को कम करने में पूरी तरह से फेल रही हैं. ऑक्सफैम के असमानता पॉलिसी के प्रमुख मैक्स लॉसन ने कहा कि दुनिया के 1 फीसदी लोग अपनी जेबें भर रहे हैं जबकि बाकी को ऐसे ही छोड़ दिया गया है.
राज्यसभा सांसद आदित्य कुमार ने कहा कि रेलवे में यात्रियों की संख्या में तो तेजी से इजाफा हो रहा है लेकिन उसके मुकाबले रेलवे में कोच नहीं बढ़ पाए हैं.
रेलवे की कंफर्म टिकट के लिए जनता कितना परेशान होती है ये तो देश की जनता ही जानती है. अगर वेटिंग टिकट कंफर्म कराना हो तो यात्रा करने वाला या उसका संबंधी ना जाने कहां कहां की पहचान नहीं लगाता. लेकिन बावजूद उसके कई बार तो टिकट हो जाता है लेकिन कई बार नहीं होता. लेकिन गुरुवार को आम आदमी की ये पीड़ा संसद में सुनाई दी, जिसे क्या आप जानते हैं कि कंफर्म टिकट न मिलने की समस्या का सामना देश की आम जनता ही नहीं बल्कि हमारे माननीयों को भी करनी पड़ रही है. गुरुवार को ये बात तब सामने आई जब सरकार में बैठी बीजेपी के राज्यसभा सांसद आदित्य कुमार ने शून्यकाल के दौरान टिकट कंफर्म न होने को लेकर अपनी पीड़ा बताई.
क्या बोले बीजेपी राज्यसभा सांसद आदित्य कुमार?
बीजेपी राज्यसभा सांसद आदित्य कुमार ने राज्यसभा में शून्यकाल में अपना सवाल उठाते हुए कहा कि उनके क्षेत्र में ट्रेनों में टिकट ना मिलने की समस्या अक्सर सामने आती रहती है. सांसद आदित्य कुमार ने कहा कि उनके द्वारा पत्र लिखने के बाद भी यात्रियों का ट्रेन में टिकट कंफर्म नहीं हो रहा है. इसके कारण गांव, देहात और पिछड़े इलाकों से आने वाले लोग ट्रेन में यात्रा तक नहीं कर पाते हैं. उन्होंने कहा कि ट्रेनों में लोग इसलिए सफर करते हैं क्योंकि ये सस्ती यात्रा है. हर कोई इसे अफोर्ड कर सकता है. लेकिन कंफर्म टिकट की समस्या के कारण लोग यात्रा नहीं कर पा रहे हैं.
ट्रेनें कई सारी हैं लेकिन टिकट वेटिंग है
बीजेपी के राज्यसभा सांसद आदित्य कुमार ने कहा कि रेलवे की ओर से ट्रेनें तो खूब चलाई जा रही हैं लेकिन टिकट नहीं मिल पा रहा है. अगर वेटिंग टिकट लिया जाता है तो वो कंफर्म नहीं हो पा रहा है. इसके कारण लोगों को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
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बोगियों की समस्या पर भी बोले माननीय सांसद
राज्यसभा सांसद आदित्य कुमार ने कहा कि रेलवे में यात्रियों की संख्या में तो तेजी से इजाफा हो रहा है लेकिन उसके मुकाबले रेलवे में कोच नहीं बढ़ पाए हैं. इसी के कारण लोगों को कंफर्म टिकट नहीं मिल रही है और नतीजा ये हो रहा है कि लोग यात्रा नहीं कर पा रहे हैं. आदित्य कुमार ने रेल मंत्री से अनुरोध किया वो स्लीपर क्लॉस में कोचों की संख्या बढ़ाने का काम करें, जिससे लोगों को सीट मिल सके.
रेलवे ऑर्डर कर चुका है 10 हजार कोच
वहीं रेलवे खुद ही यात्रियों की इस समस्या को सुलझाने के लिए पहले ही काम कर रहा है. रेलवे की ओर से यात्रियों की समस्या को सुलझाने के लिए 10 हजार रेल कोचों का आदेश दिया जा चुका है. रेलवे को ये 5000 कोच 2025 तक और अगले 5000 कोच 2026 तक मिल जाएंगे. उम्मीद की जा रही है कि उसके बाद काफी हद तक समस्या खत्म हो जाएगी. सिर्फ यही नहीं रेलवे कई नई ट्रेनों का भी निर्माण कर रहा है. इनमें वंदे भारत से लेकर 50 अमृत भारत ट्रेनें शामिल हैं.
कंपनी का कहना है कि आने वाले समय में वो सभी परीक्षणों के पूरा होने के बाद ही इसे बड़े लेवल पर रोलआउट करेगा. इस बीच बाकी दूसरी कंपनियों में भी कई तरह की टेस्टिंग चल रही है.
दुनिया की सभी बड़ी कंपनियां लगातार अपने प्रोडक्ट को AI पावर्ड करने जा रही हैं. इसी कड़ी में Apple और Google के बाद अब माइक्रोसॉफ्ट ने अपने Being सर्च इंजन को AI पॉवर्ड कर दिया है. कंपनी ने अपने जिन प्रोडक्ट में एआई को एड किया है उनमें Azure AI, Microsoft Copilot और Co Pilot Pro शामिल है.माइक्रोसॉफ्ट ने अपने सर्च इंजन Being को Being Genrative सर्च के साथ एक AI अपग्रेड दिया है. इस अपग्रेड के बाद अब Being सर्च इंजन और किफायती और त्वरित हो गया है.
आखिर कंपनी ने क्या कहा?
माइक्रोसॉफ्ट की ओर से एक ब्लॉग पोस्ट में इसे लेकर जवाब दिया गया है और कहा है कि इस जेनरेटिव एआई को छोटी भाषा और बड़ी भाषा के साथ जोड़ा गया है. कंपनी ने जानकारी दी है कि अभी वो एक सीमित संख्या में यूजर के सवाल फेस कर रहा है. माइक्रोसॉफ्ट की ओर से ये भी कहा गया है कि वो अपने यूजर के लिए इसे लगातार बेहतर बनाने को लेकर काम कर रहा है.
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Being सर्च ऐसे दिखाता है सवाल का जवाब
अगर अब आप माइक्रोसॉफ्ट के Being Search पर कोई सवाल का जवाब सर्च करते हैं तो एक ओर आपको पारंपरिक सामान्य जवाब दिखाई देता है जबकि दूसरी ओर आपको एआई पॉवर्ड जवाब दिखाई देता है. ऐसा करने के पीछे माइक्रोसॉफ्ट का मकसद पारंपरिक जवाब देने के साथ यूजर के जवाब को बढ़ाना मकसद है.साथ ही कंपनी क्लिक में भी इजाफा करनी चाहती है. कंपनी का दावा है कि जेनरेटिव एआई की ओर से मुहैया कराई गई जानकारी ज्यादा शॉर्प और कांम्प्रीहेंसिव होता है. अगर यूजर कोई इन्वेस्टिगेशन करना चाहता है तो जनरेटिव एआई का इस्तेमाल कर सकते हैं. कंपनी ने ये भी कहा है कि इस नए फीचर से पारंपरिक सर्च किसी भी तरह से प्रभावित नहीं होंगे.
धीरे धीरे बढ़ेगा जनरेटिव एआई का इस्तेमाल
माइक्रोसॉफ्ट की ओर से कहा गया है कि धीरे-धीरे बिंग जेनरेटिव सर्च को बिंग सर्च इंजन में पेश करेगा. कंपनी का ये भी कहना है कि वो अपने इस प्रयास के जरिए यूजर की प्रतिक्रिया को इक्ट्ठा करना और बिंग जनरेटिव सर्च को जोड़ने और परिष्कृत करने पर आगे काम करना है. इस जनरेटिव सर्च इंजन से पूरी तरह से संतुष्ट होने के बाद ही कंपनी का मकसद Microsoft बिंग जेनरेटर सर्च के व्यापक रोलआउट के लिए आगे बढ़ेगा. ब्लॉग पोस्ट के अंत में, माइक्रोसॉफ्ट ने कहा कि वह आने वाले महीनों में अधिक बिंग जेनरेटिव सर्च अपडेट साझा करेगा.
टाटा समूह की एयरलाइन एयर इंडिया एक्सप्रेस में कुछ समय पहले बड़ी हड़ताल हुई थी, जिसके चलते कई फ्लाइट्स रद्द करनी पड़ी थीं.
नागरिक उड्डयन मंत्री किंजरापु राम मोहन नायडू (Kinjarapu Ram Mohan Naidu) ने कुछ ऐसा कहा है, जिससे टाटा समूह (Tata Group) की टेंशन बढ़ जाएगी. एयर इंडिया एक्सप्रेस विवाद के मुद्दे पर संसद में बोलते हुए नायडू ने कहा कि पूरे मामले की गहराई से जांच की जा रही है और यदि एयरलाइंस की ओर से कोई गड़बड़ी पाई जाती है, तो निश्चित रूप से उसे दंडित किया जाएगा. बता दें कि एयर इंडिया एक्सप्रेस भी टाटा समूह का हिस्सा है.
कई फ्लाइट्स हुई थीं रद्द
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, लोकसभा में उड़ानों के रद्द होने से संबंधित प्रश्नों का जवाब देते हुए नायडू ने कहा कि सिविल एविएशन मिनिस्ट्री यह सुनिश्चित करती है कि कोई कैंसिलेशन या देरी न हो. टाटा समूह की एयरलाइन्स का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि हम स्वीकार करते हैं कि एयर इंडिया एक्सप्रेस के साथ एक मुद्दा रहा है. चालक दल के साथ कुछ आंतरिक मुद्दे थे, क्योंकि एयर इंडिया एक्सप्रेस का एयर एशिया इंडिया में विलय हो रहा था. इस कारण बड़े पैमाने पर 7 मई को हड़ताल हुई थी, जिस वजह से कई उड़ानें रद्द करनी पड़ी थी.
जुर्माना भी लगाया था
केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि एक बार जब यह मुद्दा सामने आया तो मंत्रालय इसमें शामिल हो गया. DGCA (नागर विमानन महानिदेशालय) ने एयरलाइन, चालक दल के सदस्यों आदि के साथ चर्चा कर मामले सुलझा लिया गया. नायडू ने कहा कि यदि विमानन कंपनियां नियमों का पालन नहीं करतीं, तो मंत्रालय दखल देता है. निश्चित दिशानिर्देशों का पालन नहीं करने के लिए एयर इंडिया पर 10 लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया है.
यात्री सर्वोच्च प्राथमिकता
नायडू ने स्पष्ट किया कि डीजीसीए एयर इंडिया एक्सप्रेस हड़ताल मामले की जांच कर रहा है. अगर एयरलाइंस की ओर से कोई गड़बड़ी मिलती है, निश्चित रूप से उसके खिलाफ कार्रवाई होगी. हम यह सुनिश्चित करेंगे कि यात्री ही सर्वोच्च प्राथमिकता हों. गौरतलब है कि टाटा समूह के मालिकाना हक वाली एयर इंडिया एक्सप्रेस के चालक दल के करीब 200 सदस्य सात मई को हड़ताल पर चले गए थे. इस वजह से कई उड़ानों को रद्द करना पड़ा था. इसके बाद एयरलाइन ने चालक दल के 25 सदस्यों की सेवाएं समाप्त कर दी थीं. मामला बिगड़ते देख मुख्य श्रम आयुक्त की ओर से बुलाई बैठक बुलाई गई, जिसमें सुलह पर सहमति बनी और हड़ताल के साथ-साथ टर्मिनेशन लेटर भी वापस ले लिए गए थे.
सरकार ने एक तकनीकी रूप से सटीक बजट पेश किया है, लेकिन इस बजट के साथ असली सुधारों की पूरी कमी सरकार के लिए विनाशकारी साबित होगा.
सरकार द्वारा चुनाव के बाद पेश किए गए पूरे बजट को वित्तीय दृष्टिकोण से देखा जाए तो इसे 10 में से 8 या उससे थोड़ा अधिक अंक मिल सकते हैं. रोजगार, ग्रामीण और व्यापार वृद्धि, स्टार्टअप्स के लिए प्रोत्साहन और कुल मिलाकर पूंजी खर्च पर ध्यान देने के कारण यह बजट अच्छा स्कोर करता है. लेकिन, जमीनी हकीकत को समझने में यह बजट बिल्कुल फेल है. एक ऐसी सरकार जिसने चुनाव में मध्य और उच्च वर्ग में अपनी पकड़ खो दी है, चाहे वह असंतोष हो या उदासीनता, इस बजट में उनके लिए कुछ भी नहीं किया गया है और यह बात मैं कह रहा हूं, जो इस सरकार का कट्टर समर्थक रहा हूं, न केवल आज से बल्कि 2014 से पहले से भी.
जब हम सोशल मीडिया पर मध्यवर्ग के मीम्स देखते हैं, तो स्पष्ट रूप से यह दिखता है कि बात को समझा नहीं गया है. टैक्स कम हुआ है, जैसा कि पिछले कुछ वर्षों में धीरे-धीरे होता रहा है; जीएसटी का प्रभाव पहले के वैट व्यवस्था से काफी कम है, जहां इंटर स्टेट टैक्स और अन्य इनडायरेक्ट टैक्स जैसे एक्साइज और ऑक्ट्रॉय की वजह से कीमतें बढ़ी रहती थीं; और इसी तरह हम यह भी देखते हैं कि बिना चुनौती दिए झूठ फैलाए जा रहे हैं कि व्यापारी समान "आय" पर काफी कम कर दे रहे हैं, जबकि राजस्व और मुनाफे के बीच के सरल अंतर को समझा ही नहीं जा रहा है. फ्रीकोनॉमिक्स (लेविट और डबनर, 2005) को रोजमर्रा की जिंदगी में खेलते हुए देखने के बावजूद, सरकार का चुनाव के बाद का जवाब वहां के संकेतों से पूरी तरह विपरीत लग रहा है, और यह इस प्रकार है:
भारत में 2% से भी कम लोग इनकम टैक्स देते हैं और पर्सनल इनकम टैक्स कलेक्शन कॉर्पोरेट कर से अधिक है. हर कोई जीएसटी देता है, लेकिन उन 2% लोगों के लिए जो अपनी कड़ी मेहनत की कमाई पर भारी टैक्स दे रहे हैं और एक असंवेदनशील वित्त मंत्री द्वारा बंधक बनाए गए हैं, यह सिर्फ बोझ बढ़ाता है और इसके ऊपर, उस वर्ग के लिए जिसने बड़ी मेहनत से और लंबी अवधि में बचत करके संपत्ति बनाई है, पूंजीगत लाभ पर अधिक टैक्स लगने से और भी झटका लगता है. इसके बावजूद, यह वर्ग विकास के लिए टैक्स सहने को तैयार रहा है और बिना किसी शिकायत के बीजेपी का समर्थन करता आया है. फिर भी, बजट के बाद इस वर्ग में निराशा उभर आई है क्योंकि सरकार अपने सबसे वफादार समर्थकों के बारे में नहीं सोच रही है.
एक चुनाव के बाद सर्वेक्षण में यह दिखा कि कांग्रेस को गरीब वर्ग में अधिक वोट मिले, लेकिन बीजेपी ने अपनी स्थिति बनाए रखी - मतलब कि मुफ्त की चीजें वोटरों को पसंद आईं, इसलिए हां, कल्याणकारी योजनाएं सरकार का एक मुख्य उद्देश्य रहना चाहिए, लेकिन मध्य और उच्च वर्गों में बीजेपी ने काफी वोट शेयर खो दिया, जैसा कि कांग्रेस ने भी उच्च वर्गों में अपने संपत्ति-विरोधी रुख और मुफ्त की चीजों के कारण, लेकिन मध्य वर्गों में कांग्रेस ने बीजेपी की कीमत पर काफी वोट हासिल किए. लेकिन सवाल यह है कि क्या यह सिर्फ टैक्स की वजह से था? और जवाब है - बिल्कुल नहीं.
जवाब है कि बड़े और असली सुधारों की पूरी कमी, जिसका इंतजार कर रहे टैक्स देने वाले मध्य वर्ग को अब लगभग अंतहीन प्रतीत होता है. सबसे अच्छे उदाहरणों में से एक नए आपराधिक कानून हैं – जिन्हें सबसे अच्छे रूप में सिर्फ दिखावा कहा जा सकता है. जबकि ये निश्चित रूप से आधुनिक तकनीकों और दृष्टिकोणों को संहिताबद्ध करते हैं, कोई भी कठोर उपाय जो रोज़ पुलिस और बेईमान तत्वों द्वारा जनता को परेशान करने के लिए दुरुपयोग किए जाते हैं, उन्हें संबोधित नहीं किया गया है. यहां तक कि लंबे समय से चली आ रही और विधि आयोग द्वारा विस्तार से निर्धारित जमानत कानूनों में सुधार को भी पूरी तरह से नजरअंदाज किया गया है, बावजूद इसके कि सरकार ने इसे कुल मिलाकर सुधार का हिस्सा बनने के लिए प्रतिबद्ध किया था.
और यही बात सरकार के लगभग हर काम पर लागू होती है – कोई महत्वपूर्ण सुधार नहीं, बस छोटे-छोटे बदलाव और वो भी बहुत धीमी गति से. हमें न तो व्यापार करने में आसानी दिखती है, न ही जीवन जीने में और नौकरशाही आतंकवाद का जारी रहना जो लगातार बढ़ता रहा है. यह सब फिर भयानक बुनियादी ढांचे, जीवन के हर पहलू में भ्रष्टाचार की सहज स्वीकृति, भयानक यातायात स्थितियों में प्रकट होता है जो हर दिन लगभग 500 लोगों की जान लेती है और कीमती व्यक्तिगत और उत्पादक समय को बर्बाद करती है, और नौकरशाहों का – नीच से उच्च तक – लोगों के जीवन पर शासन करना.
यहां तक कि सरकार ने जिन क्षेत्रों में अच्छा काम किया है, जैसे एक्सप्रेसवे, रेलवे, विमानन और टेलीकॉम – वे भी नौकरशाही और भारी देरी में उलझे हुए हैं. सरकार यह समझने में चूक रही है कि हम एक ऐसे देश के हैं जिनके पास उच्च शिक्षित नागरिक और वैश्विक पहुंच और जागरूकता है. हम देखते हैं कि हमारे स्तर के कराधान वाले देशों में नागरिकों को किस गुणवत्ता का जीवन मिलता है या नहीं, आप "भारत इतना गरीब, दुनिया इतनी अमीर" तर्क के पीछे नहीं छिप सकते क्योंकि यह सुधारों के प्रति उदासीनता और नौकरशाही भ्रष्टाचार को खत्म करने के प्रति लागू नहीं होता.
संक्षेप में यह निष्कर्ष निकलता है कि जैसा कि शुरुआत में कहा गया, वित्तीय दृष्टिकोण से यह बजट अच्छा है, शायद बहुत अच्छा लेकिन संकेत देने के दृष्टिकोण से, यह पूरी तरह से खराब है. एक सरकार जिसने 10 सालों के लिए बड़ा जनादेश प्राप्त किया है, और जिसने छोटे-छोटे सुधारों को चुना है, जो अभी तक देश के नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता में कोई वास्तविक सुधार नहीं दिखा रहे हैं और इसलिए, अगर यह सरकार अगला चुनाव जीतना चाहती है, तो बड़े पैमाने पर वास्तविक बड़े सुधार होने चाहिए, वरना अलविदा होने के लिए तैयार रहे. विश्वास करें, अगर मैं अगले चुनाव में इस सरकार का समर्थन नहीं करता, तो इसका मतलब है कि fence sitters और मुद्दों पर आधारित समर्थक पहले ही इस जहाज को छोड़ चुके हैं. दुर्भाग्य से, चूंकि मुझे कोई और सक्रिय विकल्प नहीं दिख रहा है, इस समय मेरा मन NOTA पर ही है अगर यह सरकार अपने अजीबोगरीब आत्म-प्रेरित नींद में रहती है.
पोस्टस्क्रिप्ट: सरकार को दो बड़े सुधारों की शुरुआत करनी होगी (पहला) अपने रेजिडेंट अहंकारी वित्त मंत्री को निकाल देना, और (दूसरा) ऐसे पेशेवरों से संपर्क करना जो विश्व स्तरीय स्तर पर मतदाता संचार और नीति निर्माण को संभाल सकें, बजाय उन पुराने हाथों पर निर्भर रहने के जो वास्तविक दुनिया से बाहर हैं और लगभग पेशेवर रूप से जिंगोइज्म पर ध्यान केंद्रित करते हैं. मोदीजी को शायद यह देखना चाहिए कि आज भी उनके हमेशा भरोसेमंद 'भक्तों' के व्हाट्सएप समूहों में कितनी निराशा भरी हुई है.
(कॉलमिस्ट- प्रसार शर्मा, लेखक, बीडब्ल्यू बिजनेसवर्ल्ड मीडिया प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक हैं.)
दिग्गज निवेशक राधाकिशन दमानी ने वीएसटी इंडस्ट्रीज में अपनी हिस्सेदारी थोड़ी हल्की कर ली है. कंपनी के शेयर आज भी बढ़त के साथ कारोबार कर रहे हैं.
शेयर बाजार में निवेश करने वालों को डिविडेंड के साथ-साथ बोनस शेयर की घोषणा का भी इंतजार रहता है. लिस्टेड कंपनियां अपने निवेशकों को खुश करने के लिए एक निश्चित अनुपात में बोनस शेयर बांटती हैं. बोनस शेयर का मतलब है कि कंपनी अपने शेयरधारकों को मुफ्त में कुछ शेयर देगी. यानी यह हर लिहाज से निवेशकों के लिए फायदे का सौदा होता है, लेकिन दिग्गज निवेशक राधाकिशन दमानी इस फायदे को एक तरह से ठोकर मार दी है.
आज घोषणा संभव
एक रिपोर्ट के अनुसार, राधाकिशन दमानी ने वीएसटी इंडस्ट्रीज के लाखों शेयर बेच दिए हैं. गौर करने वाली बात यह है कि कंपनी की आज होने वाली बोर्ड मीटिंग में बोनस शेयर का ऐलान होना है. यदि दमानी वीएसटी इंडस्ट्रीज के लाखों शेयरों का सौदा न करते, तो उन्हें भी अच्छा-खस मुनाफा हो सकता था, लेकिन DMart के मालिक ने मुनाफे की परवाह न करते हुए सौदा कर डाला. दमानी ने ओपन मार्केट ट्रांजैक्शंस के जरिए वीएसटी इंडस्ट्रीज के 142 करोड़ रुपए मूल्य के शेयर बेचे हैं. उन्होंने यह डील अपनी दो इनवेस्टमेंट इकाइयों के जरिए की है.
इस तरह हुई डील
वीएसटी इंडस्ट्रीज की आज बोर्ड मीटिंग, जिसमें तिमाही नतीजों के साथ बोनस शेयर जारी करने का ऐलान संभव है. VST के शेयर आज बढ़त के साथ कारोबार कर रहे हैं. खबर लिखे जाने तक यह 2.56% की तेजी के साथ 3,980.95 रुपए पर पहुंच चुके थे. दिग्गज निवेशक राधाकिशन दमानी ने बुधवार को अपनी इनवेस्टमेंट यूनिट डेराइव ट्रेडिंग एंड रिजॉर्ट्स के जरिए करीब 2.62 लाख शेयर बेचे हैं. इसी तरह, उनकी दूसरी इनवेस्टमेंट फर्म दमानी एस्टेट एंड फाइनेंस प्राइवेट लिमिटेड ने वीएसटी इंडस्ट्रीज के 90000 शेयर बेचे हैं. जून तिमाही तक दमानी की दोनों यूनिट्स की VST में कुल हिस्सेदारी साढ़े पांच प्रतिशत से अधिक थी, जो अब कम हो गई है.
अभी हैं काफी शेयर
हालांकि, दमानी की एक और इनवेस्टमेंट फर्म 'ब्राइट स्टार इनवेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड' के पास वीएसटी इंडस्ट्रीज में 25.95 प्रतिशत हिस्सेदारी है. ब्राइट स्टार के पोर्टफोलियो में वीएसटी के 40 लाख से ज्यादा शेयर हैं. इसी तरह, दमानी के व्यक्तिगत पोर्टफोलियो में भी वीएसटी इंडस्ट्रीज के 5 लाख से अधिक शेयर हैं. ऐसे में दमानी को बोनस शेयर के ऐलान से अब भी तगड़ा प्रॉफिट होगा, लेकिन यदि वो लाखों शेयरों का सौदा न करते तो मुनाफे का आंकड़ा और बड़ा हो सकता था. बता दें कि वीएसटी इंडस्ट्रीज का बोर्ड यदि बोनस शेयर की मंजूरी देता है तो यह पहला मौका होगा, जब कंपनी अपने निवेशकों को बोनस शेयर देगी.
क्या होता है बोनस शेयर?
जब कंपनियां अपने मुनाफे का कुछ हिस्सा अपने शेयरधारकों को जारी करती है तो उसे डिविडेंड कहते हैं और बचा हुआ मुनाफा अपने पास रख लेती है. इसे बचे हुए मुनाफे को ही बाजार की भाषा में Retained Earning कहा जाता है. कई सालों तक मुनाफा कमाने के बाद जब किसी कंपनी की Retained Earning बहुत ज्यादा बढ़ जाती है तो उसमें से कुछ हिस्से को कंपनी शेयर में तब्दील कर देती है और अपने शेयरहोल्डर्स में बांट देती है. इन शेयरों को ही बोनस शेयर कहा जाता है. आसान शब्दों में कहें तो कई बार कंपनियां शेयर मार्केट में अपने शेयरधारकों को फ्री में ही शेयर बांटती है, उसे ही बोनस शेयर कहते हैं.