टाटा समूह अपनी इस एयरलाइन में उम्रदराज लोगों के बजाए नए टैलेंट को मौका देने का प्रयास कर रही है. इसके लिए कंपनी की तरफ से बहुत बड़े लेवल पर नए लोगों की भर्तियां हो रही हैं.
नई दिल्लीः टाटा समूह के स्वामित्व वाली Air India में लगभग 4500 लोगों ने स्वैच्छिक सेवानिवृति स्कीम (VRS) को चुन लिया है, जबकि 4000 कर्मचारी अगले दो सालों में रिटायर हो जाएंगे. अभी कंपनी में कर्मचारियों की कुल संख्या 13 हजार है, जिसमें से 8 हजार परमानेंट स्टाफ और बाकी कॉन्ट्रैक्ट पर है. इससे इस कंपनी में नौकरी करने के तमाम बड़े अवसर आ चुके हैं.
बदला है काम करने का तरीका
टाटा समूह अपनी इस एयरलाइन में उम्रदराज लोगों के बजाए नए टैलेंट को मौका देने का प्रयास कर रही है. इसके लिए कंपनी की तरफ से बहुत बड़े लेवल पर नए लोगों की भर्तियां हो रही हैं. विश्व के तमाम बड़े और अच्छे लोग जो एयरलाइंस सेक्टर में अपना काम के जरिए डंका बजा चुके हैं, उनको भी यहां पर काम करने का मौका दिया जा रहा है. एयर इंडिया के अधिकारी ने कहा कि हमें सही स्किल्स के साथ टैलेंट चाहिए.
यहां पर भी हो रही है अपग्रेड
कंपनी ने फ्लीट अपग्रेडेशन, नए डेस्टिनेशन, विश्व स्तर की फ्लाइट और ग्राउंड पर सुविधाएं जोड़ने पर अपना फोकस किया है. फिलहाल कंपनी बोइंग के साथ छोटे विमानों के अलावा एयरबस A350 जेट खरीदने पर भी विचार कर रही है. ऐसा करने के बाद ही कंपनी इंटरनेशनल लेवल पर अपने प्रतिस्पर्धियों से प्रतिस्पर्धा कर सकेगी.
घटाई थी वीआरएस लेने की उम्र
इससे पहले कंपनी ने अपने स्थाई स्टाफ को वीआरएस लेने के लिए उम्र को 55 से घटाकर के 40 साल कर दिया था. कंपनी ने 1 जून से 31 जुलाई के बीच वीआरएस लेने वाले कर्मचारियों को अच्छी खासी रकम भी अलग से देने का ऐलान किया था. इसके अलावा कंपनी टीसीएस और टाटा डिजिटल में मौजूद सीनियर टैलेंट को भी लेकर के आ रही है ताकि वो ग्राहक सेवा, ग्राउंड हैंडलिंग, वेबसाइट और कॉल सेंटर का संचालन सही से कर सके.
VIDEO: पिछले 5 साल में पेट्रोल के दाम कहां से कहां पहुंच गए? देखिए डिटेल
सोमवार को बाजार तो तेजी से खुला लेकिन निफ्टी में गिरावट का असर कई शेयरों पर देखने को मिला. इस गिरावट के कारण कई कारोबारियों को नुकसान हुआ.
सोमवार को बाजार खुलते ही तो तेजी देखने को मिली लेकिन निफ्टी में 6 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिली. इस गिरावट का असर ये रहा कि बाजार में कई कंपनियों के शेयरों में बड़ी गिरावट हो गई, जिससे झुनझुनवाला परिवार को बड़े नुकसान का सामना करना पड़ा. टाइटन कंपनी के शेयरों को होल्ड करने वाले झुनझुनवाला परिवार को इस गिरावट के कारण 800 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.
आखिर सोमवार को कितने पर खुला बाजार?
सोमवार को बाजार तेजी के साथ खुला, जिसमें निफ्टी 85.80 अंक के यानी 0.38 प्रतिशत की बढ़त के साथ 22561.60 के स्तर पर खुला, सेंसेक्स 318.53 अंक यानी 0.43 की बढ़त के साथ 74196.68 के स्तर पर खुला. वहीं अगर निफ्टी बैंक पर नजर डालें तो 251.05 अंक यानी 0.51 प्रतिशत की तेजी के साथ 49174.60 अंक पर खुला.
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इन शेयरों में दिखी तेजी और इनमें हुआ नुकसान
सोमवार को बाजार खुलने के साथ ही जिन शेयरों में बढ़त देखने को मिली उनमें ब्रिटानिया(Britania), Mahindra Kotak Bank, TCS, Eicher Motors, Ultratech Cement, जैसे शेयर शामिल हैं. वहीं जिन शेयरों में गिरावट देखने को मिली उनमें Titan, SBI, Sriram Finance, Bajaj Auto और Adani Ports, जैसे शेयरों में गिरावट देखने को मिली.
इस कारोबारी को हुआ करोड़ों का नुकसान
झुनझुनवाला परिवार को उठाना पड़ा बड़ा नुकसान हुआ. टाटा के वेंचर टाइटन में भागीदारी रखने वाले झुनझुनवाला के पास कंपनी के 5.35 प्रतिशत शेयर हैं. इन शेयरों की कुल कीमत 16792 करोड़ रुपये है. ये वैल्यू शुक्रवार को बाजार बंद होने के दौरान थी. लेकिन सोमवार को टाइटन के मार्केट कैप में बड़ी गिरावट देखने को मिली. ये 3 लाख करोड़ रुपये से 298815 तक पहुंच गया. जबकि शु्क्रवार को कंपनी के शेयरों की कीमत 313868 करोड़ रुपये थी.
शेयर बाजार सप्ताह के पहले दिन ही उतार-चढ़ाव के साथ कारोबार करता नजर आ रहा है.
शेयर बाजार सप्ताह के पहले कारोबारी दिन उतार-चढ़ाव के साथ कारोबार कर रहा है. बाजार की शुरुआत गिरावट के साथ हुई, लेकिन बाद में वो कुछ संभालता नजर आया है. सुबह 11.30 बजे तक BSE सेंसेक्स 118.83 अंक और NSE निफ्टी 1.35 अंकों की मजबूती के साथ कारोबार कर रहा था. हालांकि, अडानी समूह की लिस्टेड कंपनियों के शेयर केवल ढलान पर हैं. समूह की फ्लैगशिप कंपनी Adani Enterprises के शेयर करीब ढाई प्रतिशत की नरमी के साथ 2921.5 रुपए पर पहुंच गए हैं.
किसमें आई, कितनी नरमी
इसी तरह, Adani Ports भी 2.4% के नुकसान के साथ कारोबार कर रहे हैं. अडानी पावर का भी कुछ ऐसा ही हाल है. कंपनी का शेयर करीब 2 प्रतिशत की कमजोरी के साथ 593.8 रुपए पर पहुंच गया है. खबर लिखे जाने तक ACC सेमेंट्स में 0.3%, अडानी ग्रीन में 1.0%, Ambuja Cements में 1.4 प्रतिशत, Adani Total Gas में 1.7%, Adani Wilmar में 1.4% और NDTV के शेयर 2.3% की गिरावट के साथ ट्रेड कर रहे थे. इस समय सबसे ज्यादा नुकसान में Adani Enterprises और Adani Ports हैं.
नोटिस बना गिरावट की वजह
अडानी समूह के शेयरों में गिरावट की वजह सेबी के कारण बताओ नोटिस को माना जा रहा है. ग्रुप की छह कंपनियों को भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड यानी SEBI ने संबंधित पक्ष लेनदेन के कथित उल्लंघन और सूचीबद्धता नियमों का अनुपालन नहीं करने के लिए कारण बताओ नोटिस भेजा है. बता दें कि सेबी का नोटिस उस जांच का हिस्सा है, जो हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा पिछले साल अडानी समूह के खिलाफ कॉर्पोरेट धोखाधड़ी और शेयर मूल्य में हेरफेर के गंभीर आरोप लगाने के बाद शुरू की गई थी.
अब तक दिया अच्छा रिटर्न
अडानी के शेयरों में सेबी के नोटिस के चलते आ रही गिरावट के साथ समूह के शेयरों को लेकर आगे की रणनीति क्या होनी चाहिए, यह सबसे अहम सवाल है. हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के असर से निकलने के बाद समूह की अधिकांश लिस्टेड कंपनियों ने अच्छा रिटर्न दिया है. अडानी पोर्ट्स इस साल अब तक 22% से ज्यादा चढ़ चुका है. अडानी पावर ने 12% से अधिक रिटर्न दिया है. इसी तरह, ACC इस अवधि में 12%से अधिक, Ambuja Cements 13% से अधिक, अडानी ग्रीन 11% से अधिक से अधिक चढ़ चुका है. समूह की वित्तीय स्थिति भी मजबूत है. ऐसे में इस बात की संभावना काफी ज्यादा है कि मौजूदा गिरावट थोड़े समय के लिए हो.
घर खरीदने वालों को टीडीएस (TDS) कटौती से फिलहाल राहत मिल गई है. इसके लिए आयकर (Income Tax) विभाग ने अब एक नया सर्कुलर जारी किया है.
आयकर (Income Tax) विभाग ने घर खरीदने वालों के लिए टीडीएस (TDS) के बोझ से राहत दे दी है. आपको बता दें, पिछले एक साल में विभाग ने घर खरीदने वाले हजारों लोगों को टीडीएस न चुकाने के खिलाफ नोटिस जारी किए हैं. वहीं, अब एक नया सर्कुलर जारी कर घर खरीददारों को तो राहत दे दी गई है, लेकिन संपत्ति बेचने वाले विक्रेता के लिए एक निर्देश जारी किया गया है, तो चलिए जानते हैं विक्रेताओं को अतिरिक्त टीडीएस से बचने के लिए क्या करना होगा?
पैन-आधार करना होगा लिंक
हाल ही में आयकर विभाग द्वारा जारी एक सर्कुलर में घर खरीदारों और विक्रेताओं को राहत देते हुए पैन और आधार को लिंक कराने के लिए 31 मई 2024 तक का समय दिया गया है. अगर विक्रेता इससे चूकता है तो खरीदार को बढ़ी दर से अतिरिक्त टीडीएस चुकाना होगा.
क्या है नियम?
आयकर नियमों के अनुसार अगर खरीदी जा रही संपत्ति का मूल्य 50 लाख रुपये से अधिक होता है, तो घर खरीदने वालों को विक्रय मूल्य का 1 प्रतिशत टीडीएस काटकर सरकार के पास जमा करना होता है. अगर संपत्ति बेचने वाले का पैन नहीं है या निष्क्रिय माना गया है, तो टीडीएस की दर बढ़ कर 20 प्रतिशत तक हो जाती है. वहीं, 1 जुलाई 2023 से प्रभावी नियम के अनुसार पैन को आधार से लिंक न करने पर पैन को निष्क्रिय मान लिया जाएगा. पिछले एक साल में आयकर विभाग द्वारा भेजे गए नोटिस में विक्रेता के पैन के निष्क्रिय होने का हवाला देते हुए अतिरिक्त 19 प्रतिशत टीडीएस चुकाने की मांग की गई है.
हजारों लोगों को गए थे नोटिस
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने पिछले एक साल में करीब 16000 से अधिक घर खरीदारों को नोटिस भेजकर उनसे खरीदी संपत्ति पर अतिरक्त टीडीएस चुकाने को कहा था. विभाग का कहना था कि जिन विक्रेताओं ने यह संपत्ति बेची है, उनके पैन नंबर या तो निष्क्रिय हैं, या आधार से लिंक नहीं है. इस स्थिति में खरीदार को अतिरिक्त कर का भुगतान करना होगा. इसके बाद कई घर खरीदारों ने अदालत का दरवाजा भी खटखटाया था. याचिकाकर्ताओं का कहना है कि उनकी कोई गलती नहीं थी. उन्होंने सभी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया, लेकिन अब उन्हें आयकर विभाग के नोटिस का सामना करना पड़ रहा है.
खरीदारों को करना होगा यह काम
खरीदारों को आयकर विभाग से मिले टैक्स नोटिस को खारिज करवाने के लिए विक्रेता से अपने पैन को अपने आधार से लिंक करवाने का आग्रह करना होगा. विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यह सर्कुलर कई घर खरीदने वालों को अनुचित टैक्स नोटिस खारिज करवाने में मददगार साबित होगा.
आज एक और आईपीओ ओपन होने जा रहा है. इंडेजीन लिमिटेड के आईपीओ के लिए 8 मई तक बोली लगाई जा सकती है.
यदि आप आईपीओ (IPO) में निवेश करने का मौका ढूंढ रहे हैं, तो आपके लिए अच्छी खबर है. इंडेजीन लिमिटेड (Indegene Limited) का इनिशियल पब्लिक ऑफर यानी IPO आज खुल रहा है. रिटेल निवेशक इस IPO के लिए 6 से 8 मई तक बोली लगा सकेंगे. मौजूदा जानकारी के अनुसार, कंपनी के शेयर 13 मई को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) पर लिस्ट होंगे. इंडेजीन IPO के जरिए 1,841.76 करोड़ जुटाना चाहती है.
इतना है प्राइज बैंड
1,841.76 करोड़ रुपए के इस आईपीओ के तहत 750 करोड़ रुपए के फ्रेश शेयर जारी किए जाएंगे. कंपनी के इन्वेस्टर्स और प्रमोटर्स ऑफर फॉर सेल (OFS) के जरिए 2.93 करोड़ शेयरों की बिक्री करेंगे. इंडेजीन ने 430-452 रुपए का प्राइज बैंड तय किया है. लाइफ साइंसेज इंडस्ट्री को डिजिटल सर्विसेज उपलब्ध कराने वाली इस कंपनी ने 3 मई को एंकर निवेशकों से 548.77 करोड़ रुपए जुटाए थे.
ये बेचेंगे अपने शेयर
OFS के जरिए राजेश भास्करन नायर, अनीता नायर, मनीष गुप्ता, कार्लाइल, ब्राइटन पार्क कैपिटल और नादाथुर फैमिली ऑफिस जैसे मौजूदा इन्वेस्टर्स अपने शेयर बेचेंगे. कंपनी ने इस इश्यू में रिटेल इन्वेस्टर्स के लिए 35%, QIB के लिए 50% और NII के लिए 15% हिस्सा रिजर्व रखा है. निवेशकों को एक लॉट में 33 शेयरों के लिए बोली लगा सकते हैं. इस तरह उनके लिए न्यूनतम निवेश राशि 14,916 रुपए होगी. कंपनी आईपीओ के जरिए जुटाए गए फंड का इस्तेमाल कर्जा चुकाने और विस्तार जैसी योजनाओं पर करेगी.
ऐसी है आर्थिक सेहत
मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि अनलिस्टेड मार्केट में इंडेजीन का शेयर 262 रुपए के प्रीमियम के साथ कारोबार कर रहा है, जो उसके प्राइज बैंड से 57.96% ऊपर है. इस हिसाब से देखा जाए तो कंपनी का शेयर 714 रुपए पर लिस्ट हो सकता है. 1998 में स्थापित Indegene Limited की आर्थिक सेहत की बात करें, तो दिसंबर 2023 को समाप्त अवधि के लिए कंपनी ने 241.90 करोड़ रुपए का PAT यानी प्रॉफिट ऑफ्टर टैक्स दर्ज किया है. जबकि उसका रिवेन्यु 1969.75 करोड़ रुपए रहा है. वित्तीय वर्ष 2022-23 में कंपनी ने 266.10 करोड़ का PAT दर्ज किया था.
क्या होता है आईपीओ?
जब कोई कंपनी इक्विटी मार्केट यानी शेयर बाजार से पैसे जुटाना चाहती है तो उसके पास बहुत से तरीके होते हैं. उसी में से एक तरीका होता है IPO. दूसरे शब्दों में कहें तो जब कोई कंपनी पहली बार अपने शेयर पब्लिक में बेचने के लिए ऑफर करती है, तो उसे Initial Public Offering या IPO कहते हैं. ये शेयर BSE और NSE जैसे स्टॉक एक्सचेंज के जरिए निवेशकों की खरीद के लिए रखे जाते हैं. जब ये शेयर निवेशकों द्वारा खरीद लिए जाते हैं तो वो कंपनी स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट हो जाती है.
वॉरेन बफे की अमेरिका की मल्टीनेशनल कंपनी बर्कशायर हैथवे के को-फाउंडर और CEO हैं.
भारत की मजबूत अर्थव्यवस्था दुनिया के विख्यात इन्वेस्टर वॉरेन बफे (Warren Buffett) को भी आकर्षित कर रही है. वह चाहते हैं कि उनकी कंपनी बर्कशायर हैथवे (Berkshire Hathaway) भी भारत में मौजूद अपार संभावनाओं को एक्सप्लोर करे. बफे का कहना है कि भारतीय बाजार में कई ऐसे अवसरों की भरमार है, जिन्हें अब तक एक्सप्लोर नहीं किया गया है. इन अवसरों को भविष्य में हमारे ग्रुप की होल्डिंग कंपनी बर्कशायर हैथवे एक्सप्लोर करना चाहेगी. बफे यूएस की मल्टीनेशनल कंपनी बर्कशायर हैथवे के को-फाउंडर, चेयरमैन और CEO हैं.
पूछा गया थे ये सवाल
दरअसल एक कार्यक्रम के दौरान, भारतीय इक्विटी में निवेश करने वाले अमेरिका बेस्ड हेज फंड 'दूरदर्शी एडवाइजर्स' के राजीव अग्रवाल ने 93 वर्षीय वॉरेन बफे से सवाल किया कि पिछले 5-10 सालों में भारतीय शेयर बाजार का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा है. भारत दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, जो तेजी से आगे बढ़ रही है तो क्या बर्कशायर भारतीय शेयर बाजार में निवेश करेगी? इस पर बफे ने कहा कि यह बहुत अच्छा सवाल है. मुझे यकीन है कि भारत जैसे देश में कई अनएक्सप्लोर्ड अवसर मौजूद हैं. हमारी कंपनी इनमें निवेश कर सकती है.
चीनी कंपनी भी निवेश
बर्कशायर ऐसी कंपनियों में हिस्सेदारी खरीद रही है, जो अंडरवैल्यू हैं पर उनके पास कैश सरप्लस है. बर्कशायर ने अमेरिका की कंपनियों में सबसे ज्यादा निवेश किया है. उनकी कंपनी की चीन की इलेक्ट्रिक व्हीकल कंपनी BYD में भी हिस्सेदारी है. बर्कशायर की आर्थिक सेहत की बात करें, तो 31 मार्च तक कंपनी के पास कैश बढ़कर 189 बिलियन डॉलर हो गया है. जबकि Apple में उसकी हिस्सेदारी में कमी आई है. बफे अपनी इन्वेस्टर स्किल्स के लिए पहचाने जानते हैं. उन्होंने शेयर बाजार में पैसा लगाकर दौलत का पहाड़ बना लिया है.
वीडियो देखकर डर गया
अब जानते हैं कि आखिर दिग्गज निवेशक वॉरेन बफे ने किस बात से डर लगता है. उनका मानना है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) परेशानी खड़ी कर सकती है और ये उसी तरह खतरनाक हो सकती है जैसे परमाणु बम. वॉरेन बफे ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इतनी तरक्की कर चुका है कि इसके इस्तेमाल से असली लगने वाले फर्जी वीडियो बनाए जा सकते हैं. दरअसल, वॉरेन बफे ने अपना एक ऐसा वीडियो देखा था, जिसमें उनकी आवाज में कोई ऐसा संदेश दिया जा रहा था, लेकिन उन्होंने ऐसा कुछ कभी कहा ही नहीं था. बफे के अनुसार, ये वीडियो इतना असली लग रहा था कि उनका परिवार भी इसे असली समझ लेता. वॉरेन बफे ने कहा कि इस वीडियो को देखकर वह घबरा गए थे. बफे मानते हैं कि AI समाज को फायदा पहुंचाने के साथ-साथ बड़ा नुकसान भी पहुंचा सकती है.
शेयर बाजार से आज मिलीजुली प्रतिक्रिया मिल सकती है. वहीं, कुछ शेयरों में तेजी के संकेत मिले हैं.
शेयर बाजार (Stock Market) में निवेश करने वालों को पिछले कुछ समय से भारी उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ रहा है. पिछले हफ्ते बाजार सही दिशा में जा रहा था, लेकिन सप्ताह के आखिरी दिन इसमें बड़ी गिरावट देखने को मिली. रिलायंस इंडस्ट्रीज और एचडीएफसी बैंक के शेयरों में भारी बिकवाली के साथ ही विदेशी निवेशकों के सतर्क रुख अपनाने से मार्केट में कमजोर आई. इस दौरान, बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 732.96 अंक फिसलकर 73,878.15 और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का निफ्टी 172.35 अंकों की गिरावट 22,475.85 पर बंद हुआ. चलिए जानते हैं कि आज कौनसे शेयर ट्रेंड में रह सकते हैं.
MACD के ये हैं संकेत
मोमेंटम इंडिकेटर मूविंग एवरेज कन्वर्जेंस डिवर्जेंस (MACD) ने आज के लिए Fortis Healthcare, Cadila Healthcare, Berger Paints, Shree Cements, Triveni Turbine और Radico Khaitan में तेजी के संकेत दिए हैं. इसका मतलब है कि इन शेयरों के भाव उछल सकते हैं और आपको प्रॉफिट कमाने का मौका दे सकते हैं. हालांकि, BW हिंदी आपको सलाह देता है कि स्टॉक मार्केट में निवेश से पहले किसी सर्टिफाइड एक्सपर्ट से परामर्श ज़रूर कर लें, अन्यथा आपको नुकसान भी उठाना पड़ सकता है. इसी तरह, MACD ने Alkyl Amines, 360 One Wam, Vijaya Diagnostic, Sumitomo Chemical, Asahi India Glass और Orient Refractories पर मंदी का रुख दर्शाया है.
इन पर भी रखें नजर
अब उन शेयरों के बारे में जानते हैं, जिनमें मजबूत खरीदारी देखने को मिल रही है. इस लिस्ट में ONGC, Grasim Industries, M&M, Shriram Finance, Tata Steel, NTPC और SBI शामिल है. इनमें से कुछ शेयर ने अपना 52 हफ्ते का हाई लेवल भी पार कर लिया है. ONGC के शेयर शुक्रवार के गिरावट वाले बाजार में में भी 1.17% की मजबूती हासिल करने में कामयाब रहे. 286.10 के भाव वाला ये शेयर इस साल अब तक 39.32% का रिटर्न दे चुका है. ग्रासिम इंडस्ट्रीज के शेयर भी पिछले सत्र में करीब 2 प्रतिशत की बढ़त के साथ 2,475 रुपए पर बंद हुए. जबकि टाटा स्टील और NTPC में गिरावट देखने को मिली. वहीं, Kotak Mahindra Bank के शेयरों में बिकवाली का दबाव नजर आ रहा है.
(डिस्क्लेमर: शेयर बाजार में निवेश जोखिम के अधीन है. 'BW हिंदी' इसकी कोई जिम्मेदारी नहीं लेता. सोच-समझकर, अपने विवेक के आधार पर और किसी सर्टिफाइड एक्सपर्ट से सलाह के बाद ही निवेश करें, अन्यथा आपको नुकसान उठाना पड़ सकता है).
एनएसई(NSE) के मुनाफे में बढ़ोतरी तब हुई है जब उसकी ऑपरेशनल कॉस्ट में 90 प्रतिशत का इजाफा हुआ है. 2023-24 में ये 5000 करोड़ से ज्यादा रही जबकि उससे पहले 2022 में ये 2812 करोड़ थी.
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) की आय में वो अध्याय जुड़ गया है जिसे हर एक्सचेंज पाना चाहता है. NSE का वर्ष 2023-24 में शुद्ध मुनाफा बढ़कर 1 अरब डॉलर को पार कर गया है. अगर भारतीय रुपयों में समझें तो एनएसई का शुद्ध मुनाफा 8300 करोड़ रुपये रहा है. सबसे विशेष बात ये है कि मुनाफे में ये इजाफा तब हुआ है जब एनएसई के सालाना खर्च में 90 प्रतिशत का इजाफा हुआ है और ये 5350 करोड़ रुपये तक जा पहुंचे हैं.
क्या कह रहे हैं एक्सचेंज की आय के आंकड़े?
एनएसई के आंकड़े बता रहे हैं कि उसकी कुल ऑपरेशनल आय मार्च 2024 तिमाही में 34 प्रतिशत बढ़कर 4625 करोड़ रुपये रही है. वहीं एनएसई के स्टैंड अलोन मुनाफे पर नजर डालें तो वो 1856 करोड़ रुपये रहा है. वहीं स्टैंडअलोन ऑपरेशनल इनकम मार्च तिमाही में 25 प्रतिशत बढ़कर 4123 करोड़ रुपये रही. वहीं मार्च 2023 की तिमाही पर नजर डालें तो ये 3295 करोड़ रुपये थी.
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इतना देने जा रही है डिविडेंड
एनएसई की ओर से अपनी इस परफॉर्मेंस पर अपने निवेशकों को 90 रुपये प्रति शेयर (प्री बोनस) का डिविडेंड देने का ऐलान किया गया है. इसके अलावा शेयरधारकों को मौजूदा एक शेयर पर 4 शेयर बोनस के तौर पर देने का ऐलान किया है. 31 मार्च 2024 तक एनएसई की नेटवर्थ 23974 करोड़ रुपये थी, मार्च 2024 तिमाही में कुल खर्च 1926 करोड़ रुपये थी.
सरकार को एनएसई ने कमाकर दिए इतने करोड़ रुपये
एनएसई ने वित्त वर्ष 2024 के दौरान अपनी बेहतरीन परफॉर्मेंस से सरकार को भी खूब कमाई करके दी है. एनएसई ने सरकार को कुल 43514 करोड़ रुपये कमाकर दिए हैं, जिसमें 34381 करोड़ रुपये का सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स, 3275 करोड़ का आयकर, 2833 करोड़ रुपये की स्टांप ड्यूटी, 1868 करोड़ का जीएसटी, 1157 करोड़ का सेबी की फीस शामिल है. 34381 करोड़ रुपये में 60 प्रतिशत कैश मार्केट से था बाकी 40 प्रतिशत इक्विटी डेरिवेटिव से था.
ये पूरा मामले गेमिंग कंपनियों पर लगाए गए 28 प्रतिशत जीएसटी टैक्स के बाद भेजे गए करोड़ों रुपये के नोटिस के खिलाफ है. अब कोर्ट गर्मियों की छुटिटयों के बाद इसमें सुनवाई करेगी.
केन्द्र सरकार के वित्त मंत्रालय द्वारा पिछले साल सितंबर में गेमिंग इंडस्ट्री पर 28 प्रतिशत जीएसटी लगाए जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वो इस पर जुलाई में सुनवाई कर सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि चीफ जस्टिस ने याचिकाकर्ता गेमिंग कंपनियों की वकील से कहा कि वो ईमेल के जरिए गर्मियों की छुट्टीयों के बाद तारीख मांग सकती हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया की बेंच ने इस मामले में याचिकाकर्ता बाजी नेटवर्क प्राइवेट लिमिटेड जोकि बाजी गेम्स की ओनर कंपनी है पर सुनवाई कर रही थी. इस मामले में याचिकाकर्ता ने कहा कि हालांकि सरकार की ओर से उनकी याचिका पर जवाब देने से मना कर दिया गया है लेकिन फिर भी कई मामलों में इसमें ऑर्डर पास हुए हैं. इस मामले में सरकार की ओर से पेश हुए एएसजी वेंकटरमन ने याचिकाकर्ता को कहा कि वो सुनवाई के बाद इसे सुलझाने के लिए उनसे मिल सकते हैं. कोर्ट ने इस मामले में गेमिंग कंपनियों के वकील चरन्या लक्ष्मीकुमार से कहा कि वो इस मामले में ईमेल के जरिए तारीखों के लिए आवेदन कर सकते हैं.
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कई गेमिंग कंपनियों ने दायर की है याचिका
केन्द्र सरकार के द्वारा लगाए गए 28 प्रतिशत जीएसटी के अनुसार डिमांड किए गए करोड़ों रुपये के नोटिस को इन कंपनियों ने अदालत में चुनौती दी हैं. दिसंबर में इस मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इन नोटिस पर स्टे लगाने से मना कर दिया था. इस मामले में कई राज्यों की हाईकोर्ट में याचिकाएं आई थी जिन्हें बाद में क्लब करके सुप्रीम कोर्ट भेज दिया गया था.
दिसंबर में कंपनियों को मिला था करोड़ों रुपये का नोटिस
दिसंबर में इन कंपनियों को करोड़ों रुपये का नोटिस सरकार की ओर से मिला था. सरकार की ओर से इन गेमिंग कंपनियों को 71 शो कॉज नोटिस जारी किए गए थे जिसमें उन पर 2022-23 और 2023-24 के सात महीनों के लिए उनसे 1.12 लाख करोड़ रुपये की मांग की गई थी. क्योंकि ये नोटिस सेक्शन 74 के तहत जारी किया गया है, इसलिए ये सेक्शन सरकार को 100 प्रतिशत टैक्स के लिए इम्पावर करता है. 1 अक्टूबर 2023 को जीएसटी काउंसिल ने गेमिंग इंडसट्री पर 28 प्रतिशत टैक्स लगा दिया था.
पिछले कुछ सालों में इस देश में शेयर बॉयबैक में कमी देखने को मिली है. 2022 के मुकाबले 2023 में इसमें काफी कमी देखने को मिली है. लेकिन इस बार इसके ज्यादा बढ़ने की उम्मीद है.
शेयर बॉयबैक तो कई कंपनियां करती हैं लेकिन जब बाजार की कई कंपनियां एक साथ शेयर बॉयबैक करें तो ये कोई सामान्य घटना तो नहीं हो सकती है. कुछ ऐसा ही होने जा रहा है अमेरिका में, वहां की 3 बड़ी कंपनियां एक साथ शेयर बॉयबैक करने जा रही हैं. इन तीन कंपनियों में मेटा(Meta), Apple और गूगल जैसी कंपनियां शामिल हैं. ये तीनों कंपनियां 110 अरब डॉलर का शेयर बॉयबैक करने जा रही हैं. अमेरिका में इससे पहले इतना बड़ा शेयर बॉयबैक कभी नहीं हुआ है.
कौन सी कंपनी कितने का ला रही है शेयर बॉयबैक?
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, ये तीनों कंपनियां अपना शेयर बॉयबैक ला रही हैं उनमें एप्पल (Apple) 110 अरब डॉलर का, मेटा(Meta) 50 अरब डॉलर का और गूगल 70 अरब डॉलर का शेयर बॉयबैक ला रही है. ये तीनों कंपनियां वो हैं जो मार्केट कैप के अनुसार दुनिया की टॉप 10 कंपनियों में शामिल हैं. एप्पल दुनिया की दूसरी, गूगल चौथी और मेटा सांतवी मूल्यवान कंपनी है. एक्सपर्ट एजेंसिंयों का मानना है कि इस साल अमेरिका में 500 कंपनियां शेयर बॉयबैक ला सकती हैं जिसकी कीमत 925 अरब डॉलर रह सकती है और अगले साल ये एक ट्रिलियन के पार जा सकती है.
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पिछले सालों में शेयर बॉयबैक का कैसा रहा है रूझान?
पिछले सालों में शेयर बॉयबैक की स्थिति पर नजर डालें तो 2023 में शेयर बॉयबैक 815 अरब डॉलर का रहा था, जबकि 2022 में ये 950 अरब डॉलर का रहा था. सबसे खास बात ये है कि 2023 में 2022 के मुकाबले शेयर बॉयबैक 14 प्रतिशत कम था. वहीं अगर एक नजर भारत में शेयर बॉयबैक की स्थिति पर नजर डालें तो 2023 में इतनी कंपनियों ने शेयर बॉयबैक किया कि उससे 6 साल का रिकॉर्ड ही टूट गया. 2023 में 48 कंपनियों ने शेयर बॉयबैक किया जिसकी कीमत 47810 करोड़ रुपये रही. ये साल 2017 के बाद सबसे ज्यादा रहा है.
अब जानिए क्या होता है शेयर बॉयबैक
शेयर बॉयबैक कोई भी कंपनी उस स्थिति में करती है जब उसके पास पर्याप्त मात्रा में लिक्विडिटी होती है. इस स्थिति को किसी भी कंपनी के लिए बेहतर स्थिति माना जाता है. ऐसे में कंपनी अपने मार्केट में मौजूद शेयरों को फिर से खरीदती है. कंपनी इसे मार्केट से ज्यादा प्राइस पर खरीदती है. शेयर बॉयबैक करने से निवेशक और कंपनी दोनों को फायदा होता है. निवेशक को जहां अपने स्टॉक्स के लिए ज्यादा पैसे मिलते हैं वहीं कंपनी की शेयर होल्डरों पर निर्भरता कम होती है. साथ ही कंपनी की शेयरहोल्डिंग भी बढ़ जाती है.
Carlyle Group) ने Yes Bank में करीब 2 प्रतिशत हिस्सेदारी खुले बाजार में लेनदेन के जरिये बेच दी है. पिछले हफ्ते ही बैंक के तिमाही के नतीजे जारी हुए, जिसमें बैंक को काफी मुनाफा हुआ.
शेयर बाजार में पिछले कुछ दिनों से यस बैंक (Yes Bank) के शेयर काफी चर्चा में हैं. बीते सप्ताह ही बैंक के तिमाही नतीजे जारी हुए थे, जिसमें उसे काफी मुनाफा हुआ था. इसके चलते सोमवार को बैंक के शेयरों में तेज उछाल भी दिखने को मिली थी. वहीं, अब अमेरिका की एक कंपनी ने यस बैंक में अपनी हिस्सेदारी बेची है. इससे बैंक फिर से चर्चा में आ गया है.
केवल 2 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचकर कमाए करोड़ों
अमेरिका स्थित कार्लाइल ग्रुप (Carlyle Group) ने अपनी सहयोगी इकाई सीए बास्क इंवेस्टमेंट्स के जरिये यस बैंक (Yes Bank) में अपनी करीब 2 प्रतिशत हिस्सेदारी को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) पर थोक सौदे के जरिये 1,441 करोड़ रुपये में बेच दी. एनएसई के आंकड़ों के अनुसार सीए बास्क इंवेस्टमेंट्स ने यस बैंक में 59.40 करोड़ शेयरों की बिक्री की, जो 1.98 प्रतिशत हिस्सेदारी है. इन शेयरों को 24.27 रुपये प्रति शेयर के औसत भाव पर बेचा गया.
अब इतनी रह गई हिस्सेदारी
इस बिक्री के बाद यस बैंक में कार्लाइल ग्रुप की हिस्सेदारी 9.11 प्रतिशत से घटकर 7.13 प्रतिशत रह गई है. इस बीच गोल्डमैन शैक्स सिंगापुर पीटीई ने यस बैंक के 36.92 करोड़ से अधिक शेयरों को खरीदा है. इसके अलावा कुछ अन्य ने भी इसके शेयर खरीदे हैं.
तगड़े मुनाफे के बाद अब गिर गए बैंक के शेयर
सप्ताह के आखिरी कारोबारी दिन शुक्रवार को यस बैंक के शेयर की कीमत में करीब 2 प्रतिशत की गिरावट दर्ज हुई और शेयर 24.96 रुपये पर बंद हुआ. बता दें, यस बैंक के शेयर बीते कुछ दिनों से काफी दबाव में हैं. 2024 वित्त वर्ष की मार्च तिमाही में यस बैंक का प्रॉफिट दोगुना से अधिक होकर 452 करोड़ रुपये पर पहुंच गया. बैंक ने बताया कि फंसे कर्ज के लिए प्रावधान में कमी के चलते उसका लाभ बढ़ा है. वित्त वर्ष 2022-23 की इसी तिमाही में बैंक ने 202.43 करोड़ रुपये का मुनाफा दर्ज किया था. वहीं, वित्त वर्ष 2023-24 में 1,251 करोड़ रुपये का प्रॉफिट दर्ज किया, जो सालाना आधार पर 74 प्रतिशत अधिक है.