BW Class: पेनी स्टॉक्स क्या होते हैं! क्या ये हमेशा ही खराब होते हैं?

आम धारणा होती है कि अगर किसी कंपनी के शेयर की कीमत ज्यादा है तो वो कंपनी भी बड़ी होगी, और शेयर प्राइस कम है तो कंपनी छोटी होगी. जबकि हर बार ये सही नहीं होता.

Last Modified:
Monday, 07 November, 2022
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अगर आप शेयर बाजार में निवेश करते हैं तो आपने पेनी स्टॉक्स के बारे में जरूर सुना होगा. ये क्या होते हैं, क्या इनमें निवेश करना चाहिये या फिर इनसे दूर रहना चाहिए. आज हम इसी के बारे में जानेंगे 

क्या होते हैं पेनी स्टॉक्स ?
शेयर बाजार ब्लूचिप या लार्जकैप, मिडकैप और स्मॉलकैप कंपनियों के शेयर होते हैं, जिनमें आप निवेश करते हैं, लेकिन इसके अलावा कुछ ऐसे शेयर भी होते हैं जिनकी वैल्यू 10 रुपये से भी कम होती है, जिन्हें शेयर बाजार की भाषा में पेनी स्टॉक्स कहा जाता है. लेकिन क्या इसका मतलब ये है कि पेनी स्टॉक वाली कंपनियां ऐसी कंपनियां होती हैं जो खराब होती हैं. जी नहीं, वोडाफोन आइडिया को ही ले लीजिए, इस कंपनी का शेयर आज की तारीख में 8.25 रुपये है, जिसे पेनी स्टॉक कहा जा रहा है. हालांकि सभी को पता है कि वोडाफोन आइडिया कैसी कंपनी है. कई बार लोगों को लगता है कि अभी इसके शेयर का प्राइस भले ही कम है लेकिन आगे चलकर ये मल्टीबैगर रिटर्न दे सकती है. 

क्या है पेनी स्टॉक्स की परिभाषा
हालांकि पेनी स्टॉक्स की कोई तय परिभाषा नहीं है. कुछ लोग 20 रुपये से कम शेयर प्राइस और कम मार्केट कैप वाली कंपनियों को भी पेनी स्टॉक्स मानते हैं. कई बार कुछ लोग बड़ी मात्रा में ये सोचकर 4-5 रुपये के पेनी स्टॉक्स ले लेते हैं कि अगर ये शेयर चला आर 7-8 रुपये भी पहुंचा तो उन्हें मोटा मुनाफा हो सकता है. लेकिन इसका मतलब ये कतई नहीं होता है कि पेनी स्टॉक्स खराब होते हैं. दरअसल किसी कंपनी का शेयर अच्छा है या बुरा ये उस कंपनी की वित्तीय सेहत, फंडामेंटल्स और बिजनेसॉ जैसी कई बातों पर निर्भर करता है.

कैसे समझें कि कोई शेयर पेनी स्टॉक्स हैएक आम धारणा ये भी होती है कि अगर किसी कंपनी के शेयर की कीमत ज्यादा है तो वो कंपनी भी बड़ी होगी, और शेयर प्राइस कम है तो कंपनी छोटी होगी. जबकि हर बार ये सही नहीं होता है, जैसा कि वोडाफोन आइडिया को ही देख लीजिए, कंपनी का मार्केट कैप 26,81,923 लाख रुपये है और शेयर प्राइस 8 रुपये 25 पैसे है. ऐसे ही आज की तारीख में MRF के शेयर की कीमत 92,119 रुपये है और HDFC Bank के शेयर की कीमत 1500 रुपये है. अगर आप शेयर प्राइस के हिसाब से ये सोचेंगे कि MRF कंपनी HDFC Bank से बड़ी है तो आप गलत हैं. शेयर प्राइस का कंपनी के साइज से कोई संबंध नहीं होता है. कोई कंपनी कितनी बड़ी है ये उसके मार्केट कैपिटलाइजेशन से पता चलता है. जैसे - MRF का मार्केट कैप 40,22,722 लाख रुपये है, जबकि HDFC Bank का 8.36 लाख करोड़ रुपये है. यानी HDFC Bank कहीं ज्यादा बड़ी कंपनी है MRF से. 

कुछ पेनी स्टॉक्स ऐसे होते हैं जो आपके निवेश को एक समय के बाद कई गुना बढ़ा सकते हैं, बशर्ते कंपनी के फंडामेंटल्स और उसकी वित्तीय सेहत को आपने अच्छे से समझ लिया हो और आपको भरोसा हो कि ये आगे जाकर अच्छा रिटर्न दे सकते हैं, चाहे उसकी कीमत अभी कम क्यों न हो. उदाहरण के तौर पर बिग बुल राकेश झुनझुनवाला ने साल 2002 में Titan कंपनी के शेयर 4.5 रुपये प्रति शेयर के भाव पर खरीदे थे, जबकि आज इसकी मार्केट प्राइस 2700 रुपये प्रति शेयर से भी ज्यादा है. लेकिन क्या सभी पेनी स्टॉक्स Titan जैसे रिटर्न देते हैं. जी नहीं- ये बहुत बड़ी भूल होगी अगर आप इस सोच के साथ कोई पेनी स्टॉक खरीदते हैं. कोई पेनी स्टॉक आगे चलकर कैसा रिटर्न देगा ये एक बेहत गहन रिसर्च का विषय है. इसलिए अगर आपने बिना सोचे समझे किसी के कहने पर कोई पेनी स्टॉक खरीद लिया और मोटी रकम लगा दी, तो आपकी पूरी कमाई डूब भी सकती है. पेनी स्टॉक्स में निवेश बहुत रिस्क भरा काम होता है.

दरअसल शेयर बाजार में कई कंपनियां ऐसी भी होती हैं जो साइज में बहुत छोटी होती है, उनके शेयर अचानक ही बहुत बढ़ जाते हैं, और फिर अचानक ही गिर जाते हैं. ऐसी कंपनियों के फंडामेंटल्स भी मजबूत नहीं होते, जो लोग ऐसी कंपनियों के चक्कर में तुरंत मुनाफा कमाने की सोचकर पैसा डालते हैं वो बहुत बड़ा जोखिम मोल लेते हैं. इसलिए जबतक आपको शेयर बाजार की अच्छी जानकारी न हो, पेनी स्टॉक्स से दूर रहने में ही भलाई है. अच्छे शेयरों में पैसा निवेश करिये और निश्चिंत रहिए. 
 


BW Class: क्या होती है चुनाव आचार संहिता? जानें नियम, शर्तें और पाबंदियां

चुनाव तारीखों की घोषणा से ही आदर्श आचार संहिता को लागू किया जाता है और यह चुनाव प्रक्रिया के पूर्ण होने तक लागू रहती है. लोकसभा चुनावों के दौरान आदर्श आचार संहिता पूरे देश में लागू होती है.

Last Modified:
Saturday, 16 March, 2024
code of conduct

चुनाव आयोग जैसे ही 'चुनावी महाकुंभ' की तारीखों का ऐलान करता है उसके साथ ही देशभर में आचार संहिता लागू हो जाती है, जो चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक लागू रहेगी. स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग ने कुछ नियम बनाए हैं. उसे ही आचार संहिता कहा जाता है. इसके लागू होते ही कई बदलाव हो जाते हैं. सरकार के कामकाज में भी कई अहम बदलाव हो जाते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं क्या होती है चुनाव आचार संहिता?
 
क्या होती है आचार संहिता?

चुनाव आयोग संविधान के अनुच्छेद 324 के अधीन स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए कई नियम बनाता हैं. आचार संहिता भी उन्हीं नियमों का एक हिस्सा है. जिसके तहत चुनाव में भाग लेने वाली पार्टी और उम्मीदवारों के लिए गाइडलाइंस होती है. इसके तहत कुछ नियम होते हैं, जिन्हें इसका पालन करना होता है. अगर इसका उल्लंघन होता है तो चुनाव आयोग एक्शन ले सकता है.

आचार संहिता कब तक रहती है लागू?

चुनाव आयोग जब चुनाव की तारीखों की घोषणा करता है. उसी के साथ ही आचार संहिता लागू हो जाती है. आचार संहिता निर्वाचन प्रक्रिया पूरी होने तक लागू रहती है. या दूसरे शब्दों में कहें तो आचार संहिता चुनावी परिणाम आने तक लागू रहती है. चुनाव प्रक्रिया पूरी होते ही आचार संहिता समाप्त हो जाती है. 

क्या हैं चुनाव आचार संहिता के नियम?

चुनाव आचार संहिता लागू होने के बाद कई नियम भी लागू हो जाते हैं. इनकी अवहेलना कोई भी राजनीतिक दल या राजनेता नहीं कर सकता. सार्वजनिक धन का इस्तेमाल किसी विशेष राजनीतिक दल या नेता को फायदा पहुंचाने वाले काम के लिए नहीं होगा, सरकारी गाड़ी, सरकारी विमान या सरकारी बंगले का इस्तेमाल चुनाव प्रचार के लिए नहीं किया जाएगा, किसी भी तरह की सरकारी घोषणा, लोकार्पण और शिलान्यास आदि नहीं होगा, किसी भी राजनीतिक दल, प्रत्याशी, राजनेता या समर्थकों को रैली करने से पहले पुलिस से अनुमति लेनी होगी, किसी भी चुनावी रैली में धर्म या जाति के नाम पर वोट नहीं मांगे जाएंगे.

आम आदमी के लिए क्या है नियम?

कोई आम आदमी भी इन नियमों का उल्लंघन करता है, तो उस पर भी आचार संहिता के तहत कार्रवाई की जाएगी. इसका मतलब यह है कि यदि आप अपने किसी नेता के प्रचार में लगे हैं, तब भी आपको इन नियमों को लेकर जागरूक रहना होगा. कोई राजनेता आपको इन नियमों के इतर काम करने के लिए कहता है तो आप उसे आचार संहिता के बारे में बताकर ऐसा करने से मना कर सकते हैं. क्योंकि ऐसा करते पाए जाने पर तत्काल कार्रवाई होती है. उल्लंघन करने पर आपको हिरासत में भी लिया जा सकता है.

आचार संहिता के उल्लंघन पर क्या होगा?

अगर कोई प्रत्याशी आचार संहिता का उल्लंघन करता है, तो उसके प्रचार करने पर रोक लगाई जा सकती है. आचार संहिता के उल्लंघन पर 1860 का भारतीय दंड संहिता, 1973 का आपराधिक प्रक्रिया संहिता और 1951 का लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम प्रयोग में लाया जा सकता है. प्रत्याशी के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज किया जा सकता है. इतना ही नहीं, जेल जाने का प्रावधान भी है. इसके अलावा इलेक्शन कमीशन के पास 1968 के चुनाव चिन्ह आदेश के पैराग्राफ 16ए के तहत किसी पार्टी की मान्यता को निलंबित करने या वापस लेने का अधिकार है.

कब हुई थी आचार संहिता की शुरुआत?

चुनाव संहिता की शुरुआत साल 1960 में केरल में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान हुई थी, जब प्रशासन ने राजनीतिक दलों के लिए एक आचार संहिता बनाने की कोशिश की थी. चुनाव संहिता पहली बार भारत के चुनाव आयोग द्वारा न्यूनतम आचार संहिता के शीर्षक के तहत 26 सितंबर, 1968 को मध्यावधि चुनाव 1968-69 के दौरान जारी की गई थी. इस संहिता को 1979, 1982, 1991 और 2013 में संशोधित किया गया.
 


क्या होता है Sector Rotation Strategy, कैसे निवेशक इससे कमा सकते हैं मुनाफा ?

आम निवेशकों को भी सेक्टोरल रोटेशन रणनीति के बारे में जानना चाहिए ताकि उभरते सेक्टर में पैसा लगाकर अच्छा मुनाफा कमाया जा सके.

Last Modified:
Friday, 15 March, 2024
sector rotation strategy

शेयर बाजार में सेक्टोरल रोटेशन रणनीति एक बड़ा व्यापक विषय बन गया है, जो फंडामेंटल एनालिसिस और किसी भी देश की आर्थिक गतिविधियों से जुड़ा रहता है. शेयर मार्केट में निवेशकों की एक ही शिकायत रहती है कि हम जिस स्टॉक में निवेश करते हैं वो गिरने लगता है और जैसे ही बेच देते हैं वह चढ़ने लगता है. इसलिए आम निवेशकों को भी सेक्टोरल रोटेशन के बारे में जानना चाहिए ताकि उभरते सेक्टर में पैसा लगाकर अच्छा मुनाफा कमाया जा सके.

क्या होता है सेक्टोरल रोटेशन रणनीति

शेयर बाजार से बेहतर रिटर्न हासिल करने के लिए कोई भी स्टॉक खरीदने से पहले बहुत-सी बातों का ध्यान रखना होता है. मसलन आप किस कंपनी के शेयर में पैसा लगा रहे हैं, उसका बिजनेस मॉडल कैसा है, उस सेक्टर में क्या चल रहा है आदि. बड़े निवेशक हमेशा इन बातों को ध्यान में रखकर ही किसी कंपनी या सेक्टर में पैसा लगाते हैं. शेयर बाजार में इसे सेक्टोरल रोटेशन कहा जाता है. सेक्टर रोटेशन से मतलब है शेयरों में निवेश किए गए पैसों का एक उद्योग से दूसरे उद्योग में ट्रांसफर करना है क्योंकि निवेशक और व्यापारी इकोनॉमिक साइकल के अनुसार निवेश करते हैं. उन्हें जब लगता है कि इस सेक्टर में ज्यादा ग्रोथ नहीं है और कोई और सेक्टर उभर रहा है तो पैसों वहां लगा दिया जाता है.

पहले ही लगा सकते हैं मुनाफे का अनुमान 

सेक्टरोल रोटेशन, एक ऐसा नजरिया जिसमें निवेशक समय-समय पर विभिन्न सेक्टर में हो रहे नए डेवलपमेंट को भांपकर एक सेक्टर से पैसा निकालकर दूसरे सेक्टर में लगाता है. जब कभी निवेशकों को लगता है कि इस विशेष क्षेत्र में मंदी आने वाली है या ग्रोथ की ज्यादा संभावना नहीं है तो निवेशक दूसरे उभरते सेक्टर में पैसा लगाना शुरू कर देते हैं. जब भी निवेशकों किसी सेक्टर में उनके अनुमान के आधार पर तय मुनाफा मिल जाता है तो वे बिकवाली करके दूसरे सेक्टर्स की ओर रुख करते हैं. हाल ही में पीएसयू शेयर्स में बड़ी तेजी आई थी लेकिन इसके बाद इन शेयरों में मुनाफावसूली हावी हुई.

कैसे लगाएं सेक्टोरल रोटेशन का अनुमान 

सेक्टोरल रोटेशन से जुड़ा अनुमान लगाने के लिए आम निवेशक रोजाना हर सेक्टर में होने वाले पूंजी निवेश के डाटा को देखना चाहिए आखिर किन सेक्टर्स में पूंजी का प्रवाह बढ़ रहा है. इसके लिए मनीकंट्रोल समेत कई बिजनेस वेबसाइट पर जा सकते हैं, जहां इस तरह के डाटा की उपलब्धतता होती है. उदाहरण के लिए सरकार देश के बुनियादी ढांचे के विकास पर काफी ध्यान दे रही है. इसलिए इस सेक्टर से संबंधित कंपनियों के शेयरों में अच्छा निवेश देखने को मिल सकता है. हालांकि, इसके लिए सर्टिफाइड सलाहकार से सलाह लें या खुद अच्छे से रिसर्च करके निर्णय लें.
 


BW Class: क्या होता है Stock Split और क्यों पड़ती है इसकी जरूरत, जानते हैं आप?

नेस्ले इंडिया ने अपने शेयरों को विभाजित कर दिया है. इसी के साथ कंपनी के शेयर का भाव 27 हजार से घटकर 2668.10 रुपए हो गया है.

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो by
Published - Saturday, 06 January, 2024
Last Modified:
Saturday, 06 January, 2024
Photo Credit:  Teji mandi

मैगी बनाने वाली कंपनी नेस्ले इंडिया (Nestle India) ने अपने शेयरों को 10 टुकड़ों में विभाजित कर दिया है. कंपनी ने 1:10 के रेश्यो में अपने स्टॉक को स्प्लिट किया है. यानी अगर रिकॉर्ड डेट तक आपके पास नेस्ले इंडिया का 1 शेयर होगा, तो स्प्लिट के बाद में आपके खाते में उसके 10 शेयर पहुंच जाएंगे. इसी के साथ नेस्ले इंडिया के एक शेयर का भाव 27,116.40 से घटकर 2668.10 रुपए आ गया है. चलिए जानते हैं कि आखिर स्टॉक स्प्लिट (Stock Split) क्या होता है, कंपनी को इसकी जरूरत क्यों पड़ती है, क्या इससे कंपनी के मार्केट कैप पर कोई असर होता है और निवेशकों के लिए इसमें क्या लाभ छिपा है? 

क्या होता है स्टॉक स्प्लिट?
जैसा कि नाम से ही समझ आ रहा है स्टॉक स्प्लिट यानी शेयरों का विभाजन. इस प्रक्रिया के तहत स्टॉक एक्सचेंज को सूचित करके एक निर्धारित तिथि पर अपने शेयरों को एक निश्चित अनुपात में बांट देती है. जैसे कि नेस्ले ने 1:10 के रेश्यो में बंटवारे को अंजाम दिया. जिस अनुपात में कंपनी स्टॉक स्प्लिट करती है, उसी अनुपात में शेयरहोल्डर्स के शेयरों में बदलाव हो जाता है. उदाहरण के तौर पर, यदि आपके पास किसी कंपनी के 400 शेयर हैं और कंपनी स्टॉक स्प्लिट लाकर 1 शेयर को 2 में तोड़ देती है, आपके पास कंपनी के 800 शेयर हो जाएंगे. हालांकि, इससे उसकी निवेश की वैल्यू पर कोई असर नहीं होगा.  

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क्यों पड़ती है इसकी जरूरत?
जब कंपनी के शेयर की डिमांड काफी ज्यादा होती है, लेकिन उसकी कीमत के चलते छोटे निवेशक ना चाहते हुए भी दूरी बना लेते हैं, तो कंपनी स्टॉक स्प्लिट करती है. इस प्रक्रिया से महंगा शेयर सस्ता हो जाता है और छोटे निवेशक आसानी से निवेश कर सकते हैं. कुछ समय पहले तक नेस्ले इंडिया के एक शेयर का भाव 27,116.40 रुपए था. एक शेयर के लिए इतना बड़ा अमाउंट इन्वेस्ट करना हर किसी के बस की बात नहीं. लेकिन शेयरों के बंटवारे के बाद अब इसकी कीमत घटकर 2668.10 रुपए आ गई है, तो छोटे निवेशक भी इसमें पैसा लगा पाएंगे. कुल मिलाकर कहें तो कोई कंपनी स्टॉक स्प्लिट केवल इसलिए करती है, ताकि छोटे निवेशकों को आकर्षित किया जा सके. 

मार्केट कैप होता है प्रभावित?
क्या स्टॉक स्प्लिट से कंपनी के मार्केट कैप पर भी कोई असर पड़ता है? इस सवाल का जवाब है -ना. चलिए इसे एक उदाहरण के जरिए समझते हैं. पिज्जा अक्सर 4 टुकड़ों में विभाजित होता है, लेकिन यदि आप छह लोग खाने वाले हों तो आप अपने हिसाब से उसे छह हिस्सों में भी बांट सकते हैं. क्या आपके ऐसा करने से पिज्जा का साइज घट या बढ़ जाएगा? निश्चित तौर पर नहीं. ठीक इसी तरह, स्टॉक स्प्लिट से केवल शेयर के टुकड़े होते हैं, इससे कंपनी के मार्केट कैप पर कोई असर नहीं पड़ता. बस शेयरों की संख्या बढ़ जाती है. रही बात निवेशकों के फायदे की, तो शेयरों के विभाजन से उनके पास डिमांड वाले शेयरों को कम कीमत में खरीदने का मौका मिल जाता है.


IPO से पहले आयोजित की जाने वाली Anchor Book के बारे में कितना जानते हैं आप?

साल 2009 में मार्केट रेगुलेटर SEBI ने भारतीय शेयर मार्केट में एंकर इन्वेस्टर्स का आईडिया पेश किया था.

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो by
Published - Wednesday, 13 December, 2023
Last Modified:
Wednesday, 13 December, 2023
share market

पिछले कुछ समय के दौरान भारत में बहुत ही भारी संख्या में एक से बढ़कर एक शानदार कंपनियों के IPO यानी इनिशियल पब्लिक ऑफर हमें देखने को मिल रहे हैं और अभी बहुत से IPO ऐसे भी हैं जिनका लोग बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, जैसे कि ओला इलेक्ट्रिक (Ola Electric) का IPO. इसके साथ ही धीरे-धीरे इन्वेस्टर्स भी ज्यादा जागरूक हो रहे हैं और IPO जारी करने वाली कंपनी और उससे संबंधित जानकारी प्राप्त कर लेने के बाद ही अपने पैसे इन्वेस्ट कर रहे हैं. आपने अक्सर सुना होगा कि किसी भी कंपनी के IPO से पहले उसकी एंकर बुक (Anchor Book) को खोला जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि एंकर बुक होती क्या है और ये एंकर इन्वेस्टर्स आखिर किस बला का नाम हैं?

Anchor Book का इतिहास और एंकर इन्वेस्टर्स
एंकर बुक शब्द का इस्तेमाल अमेरिका में काफी पहले से होता आया है और 1953 के आस पास एंकर बुक का इस्तेमाल दिन भर के दौरान हुए ट्रेड को लिखने के लिए किया जाता था. इसके बाद साल 2009 में मार्केट रेगुलेटर SEBI (सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया) ने भारतीय शेयर मार्केट में एंकर इन्वेस्टर्स का आईडिया पेश किया था. कुछ ग्लोबल मार्केटों में एंकर इन्वेस्टर्स को कॉर्नरस्टोन इन्वेस्टर्स की संज्ञा भी दी जाती है. किसी भी IPO को जनता के लिए खोले जाने से पहले उसे एंकर इन्वेस्टर्स के लिए खोला जाता है. एंकर इन्वेस्टर्स संस्थागत इन्वेस्टर होते हैं और जनता के लिए IPO खोले जाने से एक दिन पहले ही एंकर इन्वेस्टर्स IPO में इन्वेस्ट कर सकते हैं. 

आधुनिक Anchor Book
एंकर इन्वेस्टर्स के बारे में तो अब आपको थोड़ा बहुत मालुम चल ही गया होगा तो आइये अब एंकर बुक की बात कर लेते हैं. अमेरिका में सिर्फ एक शब्द के तौर पर इस्तेमाल होने वाला एंकर बुक, आधुनिक एंकर बुक से काफी अलग है, लेकिन काम के स्तर पर थोड़ी बहुत समानता भी देखने को मिलती है. दरअसल जो भी संस्थागत इन्वेस्टर किसी कंपनी के IPO में भाग लेते हैं उनके नाम एंकर बुक (Anchor Book) में दर्ज कर लिए जाते हैं और जितने ज्यादा बड़े नाम किसी कंपनी की एंकर बुक में शामिल होते हैं, उतना ही ज्यादा विश्वास रिटेल इन्वेस्टर्स को कंपनी के IPO पर हो जाता है.

मानक के रूप में भी होता है इस्तेमाल
अब आप जब भी किसी कंपनी के IPO में पैसे लगाने के बारे में विचार करें तो एक बार उसकी एंकर बुक पर नजर जरूर डाल लें. एंकर बुक के माध्यम से आपको पता चल सकता है कि संस्थागत इन्वेस्टर्स उस IPO के बारे में क्या सोचते हैं और आप भी अपने मेहनत के पैसे IPO में इन्वेस्ट कर सकते हैं. रिटेल इन्वेस्टर्स अक्सर एंकर बुक से ही किसी IPO के बारे में अंदाजा लगाते हैं.
 

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Secure और Unsecure लोन में क्या है अंतर? क्या आपको है जानकारी?

इसे सिक्योर्ड लोन इसलिए कहा जाता है क्योंकि वितीय संस्थान के पास आपका लोन सुरक्षा के रूप में पड़ा होता है.

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो by
Published - Tuesday, 05 December, 2023
Last Modified:
Tuesday, 05 December, 2023
home loan

जब भी कोई आवश्यक वित्तीय स्थिति बिना किसी दस्तक के आ जाती है तो हमें उससे निपटने के लिए सबसे पहले लोन ही याद आता है. कोई भी बैंक या फिर वित्तीय संस्थान प्रमुख रूप से दो ही प्रकार के लोन देते हैं. इन्हें सिक्योर और अनसिक्योर लोन के नाम से जाना जाता है. अक्सर लोग लोन तो ले लेते हैं लेकिन उन्हें सिक्योर या फिर अनसिक्योर लोन के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होती. आइये जानते हैं, लोन के इन दोनों ही प्रकारों में क्या अंतर होता है?

क्या है सिक्योर्ड लोन?
पहले के जमाने में साहू से लोन लेने के लिए आपको कुछ न कुछ कीमती गिरवी रखना पड़ता था. आज के जमाने में लोन के इसी प्रकार को आज के जमाने में सिक्योर्ड लोन (Secured Loan) के नाम से जाना जाता है. उदाहरण के लिए ये समझ लीजिये कि आज आपको 1 लाख रुपयों की जरूरत पड़ती है और लोन लेने के लिए आप अपने मकान/फ्लैट या फिर किसी प्रॉपर्टी के कागजों को गिरवी रख देते हैं तो आपके द्वारा लिया गया ये लोन सिक्योर्ड लोन में गिना जाएगा. इस बात को ऐसे भी कहा जा सकता है कि जब भी आप अपने किसी एसेट के बदले लोन लेते हैं तो इसे सिक्योर्ड लोन की कैटेगरी में रखा जाएगा. इसे सिक्योर्ड लोन इसलिए कहा जाता है क्योंकि वितीय संस्थान के पास आपका लोन सुरक्षा के रूप में पड़ा होता है. अगर आप अपने लोन का भुगतान नहीं कर पाते हैं तो बैंक आपके एसेट को बेचकर आपके लोन की रकम को पूरा कर सकता है. 

क्या होता है अनसिक्योर्ड लोन?
अगर अनसिक्योर लोन (Unsecured Loan) की बात की जाए तो यह लोन का एक ऐसा प्रकार है जिसमें वित्तीय संश्तान के पास आपका कोई भी एसेट नहीं होता. आसान शब्दों में कहें तो बैंक आपको लोन तो दे देता है लेकिन उस लोन के बदले आपसे कुछ भी गिरवी नहीं रखवाता है. लोन की ऐसी स्थिति में देनदार यानी बैंक को काफी ज्यादा रिस्क उठाना पड़ता है और इसीलिए इसे अनसिक्योर लोन यानी असुरक्षित लोन कहा जाता है. कभी भी आपको अनसिक्योर्ड लोन आपकी क्रेडिट हिस्ट्री और CIBIL स्कोर के आधार पर ही दिया जाता है. तो अगर आप भी अनसिक्योर्ड लोन लेने के बारे में विचार कर रहे हैं तो अपनी क्रेडिट हिस्ट्री के साथ-साथ अपना CIBIL स्कोर भी अच्छा बनाये रखें.  

आपके लिए कौन सा सही?
सिक्योर लोन बहुत ही आसानी से मिल जाते हैं क्योंकि वित्तीय संस्था या फिर बैंक इसके लिए आपसे एसेट को गिरवी रखने के लिए कहते हैं. अब क्योंकि आपका कुछ सामान बैंक के पास गिरवी होता है तो वह पैसे देने में देरी नहीं करते न ही हिचकिचाते हैं. इसके साथ ही सिक्योर लोन का भुगतान करने के लिए आपको ज्यादा समय भी मिलता है और लोन के इस तरीके में आपको ज्यादा रकम लोन के रूप में दी जा सकती है. वैसे तो अनसिक्योर्ड लोन भी जल्दी ही मिल जाता है लेकिन इसका भुगतान करने के लिए न आपको सिक्योर लोन के जितना समय दिया जाता है और न ही आपको ज्यादा बड़ी रकम अनसिक्योर्ड लोन में मिलती है.
 

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क्या है ‘Deepfake’ जिसका शिकार हुईं Rashmika Mandanna? इस तरह पहचानें फेक वीडियो!

दुनिया काफी तेजी से डिजिटलाइजेशन की तरफ बढ़ रही है लेकिन साथ ही टेक्नोलॉजी के गलत इस्तेमाल के मामलों में भी बढ़ोत्तरी हो रही है.

पवन कुमार मिश्रा by
Published - Tuesday, 07 November, 2023
Last Modified:
Tuesday, 07 November, 2023
Rashmika Mandanna deepfake video

अभिनेत्री रश्मिका मंदाना (Rashmika Mandanna) फिलहाल सुर्खियों का हिस्सा बनी हुई हैं. दरअसल हाल ही में रश्मिका एक ‘डीप-फेक’ (Deepfake) वीडियो का शिकार हुई हैं और उनकी वीडियो के वायरल होने के बाद से ही इस वीडियो को बनाने वाले पर कानूनी कार्यवाही की मांग ने रफ्तार पकड़ ली है. 

Rashmika Mandanna हुईं Deepfake का शिकार?
इस वीडियो में रश्मिका मंदाना (Rashmika Mandanna) को एलीवेटर में प्रवेश करते हुए देखा जा सकता है. असल में यह वीडियो भारतीय मूल की ब्रिटिश लड़की जारा पटेल की है और उनके चहरे की जगह रश्मिका मंदाना का चेहरा लगाकर उसका इस्तेमाल किया गया है. इस वीडियो के वायरल होने के बाद से ही इन्टरनेट पर कंट्रोवर्सी काफी ज्यादा बढ़ गई है. इस वीडियो के जवाब में केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक एवं टेक्नोलॉजी मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ (पूर्व में ट्विटर) पर कहा है कि ‘डीप-फेक’ (Deepfake) वीडियो बहुत ही आधुनिक हैं एवं ये बेहद खतरनाक होती हैं. 

क्या है Deepfake?
दुनिया काफी तेजी से आधुनिकता और डिजिटलाइजेशन की तरफ बढ़ रही है लेकिन टेक्नोलॉजी के बेहतर होने के साथ-साथ इसके गलत जगह इस्तेमाल होने के मामलों में भी बढ़ोत्तरी हो रही है. इसी कड़ी में सबसे आधुनिक तरीका डीप-फेक (Deepfake) हैं. आइये समझते हैं कि आखिर डीप-फेक होता क्या है और एक फेक वीडियो की पहचान आप किस तरह से कर सकते हैं? डीप-फेक की प्रक्रिया में 'डीप जनरेटिव तरीकों का इस्तेमाल करके' आपके चहरे की दिखावटी बनावट में बदलाव किया जाता है और एक इंसान का चहरा दूसरे इंसान से बदला जाता है. हालांकि फेक वीडियो नए बिलकुल नहीं हैं, लेकिन ताकतवर जनरेटिव उपकरणों का इस्तेमाल करके चहरे को इस तरह से बदल देना कि असल और नकली में फर्क ही न पता चले यह नया है और यह ‘डीप-फेक’ की ताकत के बारे में हमें बताता है. 

कैसे पहचानें फेक वीडियोज?
डीप-फेक (Deepfake) में मशीन लर्निंग (Machine Learning) और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) जैसे ताकतवर उपकरणों का इस्तेमाल किया जाता है और इन्हीं उपकरणों की मदद से विडियो को पहचानना बेहद मुश्किल हो जाता है क्योंकि यह हकीकत के बेहद करीब नजर आती हैं. आइये समझते हैं कि एक फेक वीडियो को किस तरह से समझा जा सकता है? 

चेहरे को गौर से देखें और रंग एवं लाइटिंग के फर्क को समझें: जब भी किसी इंसान का चेहरा किसी दूसरे इंसान से बदला जा सकता है तो उसके चेहरे को थोड़ा ज्यादा ही हाईलाइट किया जाता है जिसकी वजह से कभी चेहरे का रंग तो कभी चेहरे की लाइटिंग वीडियो के अन्य हिस्सों के मुकाबले ज्यादा या कम होती है. ‘डीप-फेक’ (Deepfake) वीडियोज में बिलकुल परफेक्ट लाइटिंग और रंग नहीं होता और यहां से भी आप फेक वीडियो को पहचान सकते हैं. 

आंखों की मूवमेंट पर करें गौर: डीपफेक वीडियोज में एक अन्य चीज जिसकी वजह से इन विडियोज की पहचान की जा सकती है, वह है आंखों की मूवमेंट. जब भी किसी व्यक्ति की फेक वीडियो बनाई जाती है तो उसमें दूसरे व्यक्ति का चेहरा उठाने पर उसकी आंखों की मूवमेंट काफी अलग नजर आती है और अगर आप गौर से आंखों की मूवमेंट देखें तो आप फेक वीडियो की पहचान कर सकते हैं. 

ऑडियो की तुलना करें: वीडियो के अलग अलग हिस्सों में जिस व्यक्ति की वीडियो फेक की गई है उसकी आवाज भी वीडियो के अलग-अलग हिस्सों में आवाज अलग-अलग होती है. डीप-फेक वीडियोज में अक्सर AI से बनाई गई आवाज का इस्तेमाल किया जाता है और इस आवाज में बहुत सी खामियां होती हैं जिन्हें ध्यान देने पर पकड़ा जा सकता है और आप पहचान सकते हैं कि वीडियो फेक है. 

फेशियल फीचर्स पर दें ध्यान: फेक वीडियो में अक्सर चेहरे के फीचर्स और उनके भाव बदलते रहते हैं. उदाहरण के लिए अगर आप फेक वीडियो को ध्यान से देखें तो हो सकता है किसी हंसी वाली बात पर चेहरे पर कोई भाव ही न आये और ऐसे ही भौंहे और आंखें भी अलग-अलग क्षणों में अलग अलग बातों के भाव पर सही नहीं बैठती. अगर आप वीडियो को थोड़ा ध्यान से देखें तो आप इस चीज को पकड़ सकते हैं और पहचान सकते हैं कि वीडियो फेक है. 
 

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IPO में निवेश का है इरादा? इन बातों का रखें विशेष ध्यान!

अगर आप भी किसी कंपनी के IPO के बारे में इन्वेस्ट करने के बारे में सोच रहे हैं तो आपको इन बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना होगा.

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो by
Published - Friday, 03 November, 2023
Last Modified:
Friday, 03 November, 2023
IPO

पिछले कुछ समय के दौरान शेयर मार्केट (Share Market) में लोगों की रुचि बढ़ी है और ज्यादातर लोग शेयर मार्केट में इन्वेस्टमेंट करने के बारे में अब एक्टिव रूप से सोच-विचार भी करने लगे हैं. अगर आप भी ऐसे लोगों में शामिल हैं तो यह खबर आपके लिए काफी महत्त्वपूर्ण साबित हो सकती है. किसी भी कंपनी द्वारा अपनी लिस्टिंग से पहले IPO यानी इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग को जारी किया जाता है. 

इन बातों का रखें विशेष ध्यान
पिछले कुछ सालों के दौरान कई जानी-मानी कंपनियों और स्टार्टअप्स ने भी अपने IPO जारी किये हैं. जिनमें जोमैटो (Zomato), LIC (Life Insurance Corporation), पेटीएम (Paytm), RR काबेल (RR Kabel) जैसी कंपनियों के नाम शामिल हैं. इसके साथ ही स्विगी (Swiggy) और टाटा टेक्नोलॉजीज जैसी कई महत्त्वपूर्ण कंपनियां ऐसी भी हैं जो भविष्य में अपने IPO जारी करने के बारे में विचार कर रही हैं. ऐसे में अगर आप भी किसी कंपनी के IPO के बारे में इन्वेस्ट करने के बारे में सोच रहे हैं तो आपको इन बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना होगा. 

कंपनी की जानकारी: अगर आप IPO में इन्वेस्ट करने के बारे में विचार कर रहे हैं तो सबसे पहले आपको कंपनी की सारी जानकारी प्राप्त करनी होगी. जब भी कोई निजी कंपनी खुदको लिस्ट करने वाली होती है तो उसके बारे में जानकारी प्राप्त करना काफी मुश्किल हो जाता है. निजी कंपनियां अपनी कुछ जानकारी छुपाने की कोशिश करती हैं. आप जब भी अपने म्हणत के पैसे किसी कंपनी में इन्वेस्ट करें तो पहले उस कंपनी के बारे में मौजूद ज्यादा से ज्यादा जानकारी प्राप्त कर लें. जैसे, कंपनी के विरोधी कौन हैं, कंपनी ने IPO की घोषणा से पहले क्या प्रेस रिलीज जारी की हैं, और इसके साथ ही यह भी पता करने की कोशिश करें कि आप जिस इंडस्ट्री की कंपनी में इन्वेस्ट करने जा रहे हैं उस इंडस्ट्री में क्या चल रहा है?

हमेशा ऐसे कंपनी का करें चयन: आप हमेशा ऐसी कंपनी का चयन करें जिसके ब्रोकर काफी मजबूत हों और मशहूर हों. ऐसा नहीं है कि बड़े ब्रोकर्स हमेशा अच्छे परिणाम ही दें लेकिन जब बात आपके मेहनत से कमाए पैसों की आती है तो हमेशा ऐसे ब्रोकर्स पर विश्वास करें जो इंडस्ट्री में लंबे समय से मौजूद हैं और ऐसे ब्रोकर्स द्वारा करवाई गई डील्स की जानकारी भी प्राप्त कर लें. 

कंपनी का विवरण ध्यान से जरूर पढ़ें: अगर आप किसी भी कंपनी के IPO में इन्वेस्ट करने के बारे में विचार कर रहे हैं तो आप इस बात का ध्यान जरूर रखें कि आप एक बार ही सही लेकिन कंपनी द्वारा जारी किया गया विवरण जरूर पढ़ें. आपने बहुत जगह सुना होगा कि हमें पूरी तरह से कंपनी द्वारा जारी किये गए विवरण पर निर्भर नहीं होना चाहिए लेकिन फिर भी कंपनी के विवरण को पढ़ना जरूरी होता है और पैसे इन्वेस्ट करने से पहले एक बार इसे जरूर पढ़ लें. अपने विवरण में ही कंपनी बताती है कि वो IPO से इकठ्ठा हुए पैसों का इस्तेमाल किस प्रकार ससे करने वाली है और इसीलिए कंपनी का विवरण पढ़ना काफी आवश्यक हो जाता है. 

सावधान रहें: IPO के मामले में बहुत सी अनिश्चितताएं बनी रहती हैं और इसीलिए यह काफी जरूरी हो जाता है कि आप जब भी एक IPO में इन्वेस्ट करें तो सावधानी बरतें और जिस कंपनी के IPO में आप इन्वेस्ट कर रहे हैं उसको लेकर पूरी तरह से जागरूक रहें. कंपनी के बारे में मौजूद सारी जानकारी पढ़ते रहें और IPO के समय तक कंपनी से संबंधित हर छोटी बड़ी खबर पर ध्यान दें. 
 

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BW Class: क्या होता है PRAN? घर बैठे कैसे कर सकते हैं जनरेट?

NPS में इन्वेस्ट करने वाले या इसे सब्स्क्राइब करने वाले लोगों को PRAN (परमानेंट रिटायरमेंट अकाउंट नंबर) प्रदान किया जाता है.

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो by
Published - Saturday, 30 September, 2023
Last Modified:
Saturday, 30 September, 2023
NPS

सरकार द्वारा 2004 में NPS (राष्ट्रीय पेंशन योजना) की शुरुआत की गई थी और इसका लक्ष्य वरिष्ठ नागरिकों को कठिन समय में वित्तीय सहायता प्रदान करना है. NPS को राष्ट्रीय पेंशन योजना के साथ-साथ राष्ट्रीय पेंशन सिस्टम के नाम से भी जाना जाता है. शुरुआत में यह योजना केवल सरकारी कर्मचारियों तक ही सीमित थी लेकिन फिलहाल यह योजना देश के सभी नागरिकों के कम आ सकती है. आपको बता दें कि PRAN का संबंध NPS से ही होता है. 

क्या होता है PRAN?
NPS में इन्वेस्ट करने वाले या फिर इसे सब्स्क्राइब करने वाले लोगों को PRAN (परमानेंट रिटायरमेंट अकाउंट नंबर) प्रदान किया जाता है. आप इस नंबर को भारत में कहीं भी बैठकर प्राप्त कर सकते हैं. PRAN के तहत आप दो तरह के अकाउंट, टियर 1 या फिर टियर 2 अकाउंट खोल सकते हैं. अब आसान शब्दों में समझ लेते हैं कि टियर 1 और टियर 2 अकाउंट में फर्क क्या होता है? जहां टियर 1 अकाउंट में समय से पहले निकासी नहीं की जा सकती, वहीं टियर 2 अकाउंट में आप जब चाहें तब पैसे निकाल सकते हैं. आप बस इस बात का ध्यान रखें कि अगर आप NPS को सब्स्क्राइब करें तो आपके पास भी एक PRAN होना जरूरी है. आइये अब जानते हैं कि PRAN कैसे जनरेट करते हैं?

कैसे जनरेट होता है PRAN?
राष्ट्रीय पेंशन योजना का सारा रिकॉर्ड NSDL (राष्ट्रीय सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड) के पास मौजूद होता है. राष्ट्रीय पेंशन योजना के सबस्क्राइबर्स को NSDL के पोर्टल पर जाकर ही इस PRAN को जनरेट कर सकते हैं. PRAN जनरेट करने के लिए आप ऑनलाइन के साथ-साथ ऑफलाइन एप्लीकेशन भी दर्ज करवा सकते हैं. आप अपने आधार कार्ड या फिर PAN कार्ड का इस्तेमाल करके PRAN नंबर जनरेट कर सकते है. 

आधार के माध्यम से ऐसे जनरेट करें PRAN

    NSDL की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं और नेशनल पेंशन सिस्टम लिंक पर क्लिक करें

    अब आपकी स्क्रीन पर रजिस्ट्रेशन का विकल्प आएगा इस विकल्प पर क्लिक करें

    इसके बाद आधार ऑफलाइन ई-KYC का विकल्प चुनें

    आपके रजिस्टर्ड नंबर पर OTP आएगा उसे दिए गए बॉक्स में दर्ज करें

    सभी आवश्यक जानकारी दर्ज करें

    अपना साइन अपलोड करें और आगे बढें

    इसके बाद आप पेमेंट गेटवे पर पहुंच जायेंगे

    इसके बाद डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड या फिर UPI से पेमेंट का भुगतान 

PAN कार्ड से इस प्रकार करें रजिस्टर: अगर आप अपने PAN कार्ड का इस्तेमाल करके PRAN के लिए रजिस्टर करना है तो आपको ऊपर बताये गए स्टेप्स को फॉलो करना होगा. बस जहां आपने आधार से ई-KYC का विकल्प चुना था उसकी जगह PAN की मदद से KYC का विकल्प चुनें.
 

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गलती से आ गए अकाउंट में पैसे? जल्द उठाएं ये कदम वरना हो जाएगी सख्त कार्यवाही

बैंकिंग सेवाओं में दिक्कत तो या किसी इंसान की गलती की वजह से भी आपके अकाउंट में अतिरिक्त पैसे आ सकते हैं.

पवन कुमार मिश्रा by
Published - Friday, 29 September, 2023
Last Modified:
Friday, 29 September, 2023
Money

जमाना काफी तेजी से डिजिटल हो रहा है. जहां पहले आपको किसी को भुगतान करने के लिए एक चेक जारी करके तीन कारोबारी दिनों तक उस चेक के क्लियर होने का इन्तजार करना पड़ता था, वहीं अब आप झटपट अपने फोन से QR कोड स्कैन करके किसी को भी UPI (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस) के माध्यम से पैसे ट्रान्सफर कर सकते हैं. लेकिन पिछले कुछ सालों में हमें गलती से अकाउंट में पैसे ट्रांसफर हो जाने के कई मामले भी देखने को मिले हैं. क्या आपको पता है कि अगर आपके अकाउंट में भी गलती से पैसे आ जाएं तो आपको क्या करना चाहिए?

कैसे आ जाती है गलती से पेमेंट?
कभी बैंकिंग सेवाओं में हुई दिक्कत तो कभी किसी इंसान द्वारा की गई गलती या फिर कंपनी द्वारा एडवांस में किये गए भुगतानों की वजह से भी आपके अकाउंट में अतिरिक्त पैसे आ सकते हैं. हाल फिलहाल में ऐसे मामलों की संख्या काफी ज्यादा बढ़ गई है. कभी लोगों को बैंक की तरफ से कुछ अतिरिक्त पैसे ट्रान्सफर कर दिए जाते हैं तो कभी किसी राज्य में स्थित एक व्यक्ति द्वारा दुसरे व्यक्ति के नाम गलती से पैसे ट्रांसफर कर दिए जाते हैं. ऐसे मामलों को सुनकर अक्सर हम यही सोचते हैं कि काश हमारे अकाउंट में भी कभी गलती से कोई पैसे ट्रांसफर कर दे. लेकिन क्या आप जानते हैं कि अगर आपके अकाउंट में गलती से पैसे आ जाएं और आप सही मौके पर बैंक या फिर संबंधित संस्थाओं को सूचित न करें तो आप पर भी कार्यवाही हो सकती है. 

हो सकती है कानूनी कार्यवाही
ज्यादातर लोगों के बैंक अकाउंट में अगर अचानक बहुत सारे पैसे आ जाएं तो उनके मन में पहला सवाल यही आएगा कि क्या ये पैसे अब हमारे हैं? वहीं कुछ लोग जुगाड़ लगाकर इन पैसों को अपने पास रखने के बारे में विचार भी करने लगते हैं. कानूनी रूप से आपके बैंक में आये पैसों पर आपका हक नहीं होता है. कानून के अनुसार अगर आपके बैंक के अकाउंट में गलती से पैसे ट्रांसफर कर दिए जाते हैं, तो आपको ये पैसे वापस करने पड़ेंगे और इन पैसों पर आपका कोई हक नहीं होता. अगर आप इस पैसे को वापस नहीं करते हैं तो IPC की धारा 403 के तहत आप पर गलती से प्राप्त हुए क्रेडिट को रखने के तहत कार्यवाही भी की जा सकती है. 

न रखें गलती से आये हुए पैसे
IPC की धारा 403 के तहत जब भी किसी व्यक्ति पर कार्यवाही की जाती है तो संबंधित आरोपी को दो सालों तक जेल और आरोपी पर फाइन भी लगाया जा सकता है. IPC की धारा 403 के तहत सिर्फ गलती से आये हुए पैसे रखने वाले ही नहीं बल्कि गैर कानूनी रूप से किसी और की संपत्ति पर कब्जा करने या फिर किसी की संपत्ति पर अपना हक जताने के आरोप के तहत भी आप पर कार्यवाही की जा सकती है. इसलिए यदि आपके अकाउंट में कभी गलती से पैसे आ जाएं तो आप इन पैसों के बारे में जल्द से जल्द बैंक को सूचित करें क्योंकि गलती से आपके अकाउंट में आये हुए पैसों पर आपका हक नहीं होता है और बैंक को सूचना न देने की स्थिति में आप पर कानूनी रूप से काफी सख्त कार्यवाही की जा सकती है.
 

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क्या है 'UPI One World' जो G20 में होगा इस्तेमाल, कैसे करता है काम?

UPI वन वर्ल्ड (UPI One World) भी मेड इन इंडिया (Made In India) के तहत किया गया एक प्रयास है.

पवन कुमार मिश्रा by
Published - Saturday, 09 September, 2023
Last Modified:
Saturday, 09 September, 2023
UPI One World

पिछले कुछ समय के दौरान पूरा विश्व बहुत ही तेजी से एक डिजिटल युग की तरफ बढ़ रहा है और भारत इस डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन में बहुत ही अग्रणी भूमिका निभा रहा है. भारत में टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में काफी तेजी से बड़े बदलाव हुए हैं और ऐसा ही एक बड़ा बदलाव है, UPI (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस) का इस्तेमाल. भारत में UPI के इस्तेमाल में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है और साथ ही डिजिटली ट्रांसफॉर्म होती दुनिया के लिए यह एक बहुत बड़ा और सार्थक उदाहरण भी है. हाल ही में भारत की राजधानी दिल्ली में G20 समिट (G20 Summit) का आयोजन किया गया है और इस दौरान भारतीय टेक्नोलॉजी क्षेत्र में हुए बड़े बदलावों को दर्शाने के लिए विदेशी मेहमानों को ‘UPI वन वर्ल्ड’ (UPI One World) प्रदान किया जा रहा है. आइए जानते हैं क्या है UPI वन वर्ल्ड और ये कैसे काम करता है?

UPI One World- डिजिटल पेमेंट की ताकत
UPI वन वर्ल्ड (UPI One World) भी मेड इन इंडिया (Made In India) के तहत किया गया एक प्रयास है. G20 समिट (G20 Summit) में पधारने वाले विदेशी मेहमानों को भारतीय संस्कृति, भोजन और अन्य सांस्कृतिक विशेषताओं के बारे में बताने के लिए भी विदेशी मेहमानों को UPI वन वर्ल्ड प्रदान किया जाएगा. साथ ही UPI वन वर्ल्ड की सुविधा के साथ मेहमान डिजिटल पेमेंट्स की सुविधा, ताकत और आसानी का भी अनुभव प्राप्त कर पाएंगे. अब सवाल उठता है कि आखिर UPI वैन वर्ल्ड है क्या?

क्या है UPI One World? 
जैसा की हम सभी जानते हैं कि भारत में डिजिटल पेमेंट्स को बढ़ावा देने के लिए UPI की शुरुआत की गई थी. UPI की शुरुआत के बाद से ही भारत की डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन को बहुत सहारा मिला और भारत में कैश मुक्त पेमेंट्स में वृद्धि हुई है. अब दिल्ली में G20 समिट (G20 Summit) का आयोजन किया गया है. भारत हमेशा से ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के सिद्धांत में मानता आया है और अपनी UPI की शक्ति को भी भारत अन्य राष्ट्रों के साथ बांटना चाहता है. इसी लक्ष्य के साथ G20 समिट के लिए भारत में पधार रहे विदेशी मेहमानों को UPI वन वर्ल्ड (UPI One World) प्रदान किया जाएगा. यह एक प्रीपेड पेमेंट उपकरण है जिसे UPI की सुविधाओं के साथ जोड़ा गया है. NPCI (राष्ट्रीय पेमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया) की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार इस UPI वॉलेट का इस्तेमाल देश भर में मौजूद किसी भी मर्चेंट को भुगतान करने के लिए किया जा सकता है. 

कैसे करता है काम? 
भारत के केंद्रीय बैंक RBI (रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया) या फिर FEMA द्वारा जारी की गई गाइडलाइन्स के तहत पैसे एक्सचेंज करने वाली किसी भी संस्था से UPI वन वर्ल्ड (UPI One World) प्राप्त किया जा सकता है. विदेशी नागरिकों द्वारा अपने पहचान पत्र, पासपोर्ट और वीजा की जानकारी दिए जाने के बाद ही उन्हें PPI आधारित UPI वन वर्ल्ड प्राप्त होगा. UPI वन वर्ल्ड को जारी करने वाली संस्था या व्यक्ति को यूजर का पूरा KYC करना होगा और इसके बाद उनसे विदेशी मुद्रा लेकर भारतीय करेंसी उनके UPI वॉलेट में डालनी होगी. यहाँ ध्यान देने वाली बात ये है कि भारतीय करेंसी केवल तभी प्राप्त होगी जब विदेशी करेंसी का भुगतान कर दिया जाएगा. 

क्या है UPI वन वर्ल्ड वॉलेट का फायदा? 
UPI वन वर्ल्ड (UPI One World) के इस्तेमाल से विदेशी नागरिकों को कैश लेकर यहाँ से वहां जाने की समस्या से मुक्ति मिलेगी. विदेशी मेहमानों के सामने पैसे एक्सचेंज करवाने की समस्या भी प्रमुख रूप से मौजूद होती है और UPI वन वर्ल्ड की बदौलत मेहमानों को इस एक समस्या से भी निजात मिलेगी. G20 समिट के लिए भारत पधार रहे मेहमानों को भी आसान, सुरक्षित एवं इंस्टेंट डिजिटल पेमेंट्स का फायदा मिलेगा. इसके साथ ही UPI एप्लीकेशन में जाकर विदेशी मेहमान अपनी ट्रांजेक्शन भी ट्रेस कर सकते हैं. 
 

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