चीन के करोड़पति कारोबारी लियांग शी का कहना है कि लगातार मिली असफलता के चलते अब वह टूट गए हैं, लेकिन एक अंतिम प्रयास जरूर करेंगे.
लिखने-पढ़ने की कोई उम्र नहीं होती. चीन के करोड़पति कारोबारी (Chinese Businessman) लियांग शी (Liang Shi) पर ये बात बिल्कुल सटीक बैठती है. हालांकि, ये बात अलग है कि 56 साल के लियांग विश्वविद्यालय के एडमिशन टेस्ट में अब तक पास नहीं हो पाए हैं. हाल ही में उन्हें 27वीं बार असफलता का सामना करना पड़ा है. लियांग अपने खराब रिजल्ट से नाराज जरूर हैं, लेकिन अगले साल फिर वो इस एग्जाम में बैठेंगे.
750 में से 424 नंबर
बीते शुक्रवार को जारी हुए परीक्षा परिणाम में लियांग शी को 750 में से 424 नंबर मिले. जबकि चीन के किसी भी विश्वविद्यालय में एडमिशन के लिए कम से कम 458 नंबर चाहिए होते हैं. इस साल यूनिवर्सिटी एग्जाम में करीब 1.3 करोड़ छात्र बैठे थे, लेकिन लियांग एकमात्र ऐसे थे जो 56 साल की उम्र में भी एडमिशन का प्रयास कर रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन में यूनिवर्सिटी में दाखिले की परीक्षा को 'गाओकाओ' कहा जाता है. ये बेहद मुश्किल परीक्षा मानी जाती है. आंकड़े बताते हैं कि साल 2021 में केवल 41.6% उम्मीदवारों को विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में प्रवेश मिल पाया था.
16 की उम्र में की थी शुरुआत
लियांग का कहना है कि उन्होंने एक प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी में एडमिशन लेने का सपना देखा था, लेकिन अब लगता है कि मेरा सपना कभी पूरा नहीं होगा. हालांकि, इसके बावजूद मैं अगले साल होने वाली परीक्षा में फिर से अपनी किस्मत आजमाऊंगा. लियांग ने पहली बार 1983 में 16 साल की उम्र में ये परीक्षा दी थी. 1992 तक उन्होंने अलग-अलग नौकरी करते हुए हर साल इसके लिए आवेदन किया. छात्र से कारोबारी बनने की शुरुआत लियांग शी के लिए 1990 के दौर में हुई, जब उन्होंने लकड़ी का होलसेल बिजनेस शुरू किया. एक साल के भीतर ही उन्होंने 10 लाख युआन कमा लिए और इसके बाद निर्माण सामग्री का बिजनेस में कदम रखा.
कॉलेज जाना लियांग का सपना
'गाओकाओ' के लिए पहले उम्र सीमा निर्धारित थी. 1992 में अपने आखिरी प्रयास के साथ ही लियांग उस सीमा को पार कर चुके थे, लेकिन चीनी सरकार ने 2001 में इस परीक्षा के लिए उम्र सीमा हटा दी, इसके बाद उन्होंने फिर से परीक्षाएं देनी शुरू कर दीं. लियांग शी की इच्छा शुरू से ही किसी प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी में पढ़ने की थी. 2014 उन्होंने एक स्थानीय अखबार से कहा था कि यदि आप कॉलेज नहीं जाते, तो यह बहुत ही शर्मिंदगी वाली बात है. बिना उच्च शिक्षा के जीवन पूर्ण नहीं हो सकता. लियांग अगले साल एक बार फिर इस एग्जाम में शामिल होंगे, लेकिन ये शायद उनका अंतिम प्रयास होगा. उनका कहना है कि लगातार फेल होने के चलते अब वह खुद को हारा हुआ महसूस करने लगे हैं.
विनर्स एंड अचीवर्स के संस्थापक सत्यरूप सिद्धांत ने युवा एडवेंचरर्स पर गर्व व्यक्त करते हुए कहा कि विनर्स एंड अचीवर्स में हम युवाओं में साहस की भावना को पोषित करने में विश्वास करते हैं.
प्रसिद्ध पर्वतारोही सत्यरूप सिद्धांत की एडवेंचर कंपनी विनर्स एंड अचीवर्स और रांची के आई 3 फाउंडेशन के नेतृत्व में एडवेंचर के एक सफल कैंप का समापन किया गया. इस एडवेंचर अभियान में तेलंगाना के चार युवा एडवेंचरर्स ने पहाड़ों की रोमांचक यात्रा के दौरान नए मानक स्थापित किए. इस अभियान में 11 से 16 वर्ष के तेलंगाना से लट्टूपल्ली ललित्या रेड्डी, शमीन रमेश क्याथम, लट्टूपल्ली श्रीहन रेड्डी, गोली प्रीथम शामिल हुए. इन युवाओं ने अभियान के दौरान विभिन्न चुनौतियों का सामना करते हुए अदभ्य साहस का परिचय दिया. जिन्हें विनर्स एंड अचीवर्स द्वारा व्यापक सुरक्षा उपाय प्रदान किए गए और चुनौतियों से निपटने के लिए विशेषज्ञ मार्गदर्शन दिया गया.
सुरक्षा के उच्चतम मानकों को सुनिश्चित करने के लिए, विनर्स एंड अचीवर्स ने हेलीकॉप्टर निकासी सेवाओं सहित व्यापक बीमा कवरेज की व्यवस्था की. युवा एडवेंचरर्स ने अपनी ऑक्सीजन आपूर्ति खुद की और यात्रा के दौरान किसी भी चिकित्सा आवश्यकता को पूरा करने के लिए एक डॉक्टर का भी प्रबंध किया गया. ये उपाय कंपनी की अपने प्रतिभागियों की सुरक्षा के प्रति अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं.
विनर्स एंड अचीवर्स के संस्थापक सत्यरूप सिद्धांत ने युवा एडवेंचरर्स पर गर्व व्यक्त करते हुए कहा कि विनर्स एंड अचीवर्स में, हम युवाओं में साहस की भावना को पोषित करने में विश्वास करते हैं. यह अभियान हमारे युवाओं की क्षमता और दृढ़ संकल्प का एक आदर्श उदाहरण है. लट्टूपल्ली ललित्या रेड्डी, शमीन रमेश क्याथम, लट्टूपल्ली श्रीहन रेड्डी और गोली प्रीथम ने असाधारण धैर्य और जुनून दिखाया है और वे हम सभी के लिए प्रेरणा हैं.
लट्टुपल्ली ललिथ्या रेड्डी ने इस एडवेंचर अभियान पर अपने विचार सांझा करते हुए कि यह अभियान जीवन बदलने वाला अनुभव था. मैंने टीमवर्क के बारे में बहुत कुछ सीखा. इस अविश्वसनीय अवसर के लिए विनर्स एंड अचीवर्स का धन्यवाद करता हूं. शमीन रमेश क्याथम ने कहा कि ऊंचाइयों पर चढ़ने से मुझे इस बारे में एक नया दृष्टिकोण मिला है कि मैं क्या हासिल कर सकता हूं. मैं सत्यरूप सिद्धांत, उनके टीम के समर्थन और मार्गदर्शन के लिए आभारी हूं.
लट्टुपल्ली श्रीहन रेड्डी ने कहा कि यात्रा कठिन थी, लेकिन बेहद फायदेमंद थी. विनर्स एंड अचीवर्स का समर्थन हमें अपने लक्ष्यों तक सुरक्षित रूप से पहुंचने में मदद करने में महत्वपूर्ण था. इसके साथ ही गोली प्रीथम ने कहा कि इस अभियान ने मुझमें एक नया जुनून जगा दिया है. मैं अधिक आत्मविश्वास महसूस कर रहा हूं और आगे भी नई चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार हूं. इसे संभव बनाने के लिए विनर्स एंड अचीवर्स को धन्यवाद देता हूं.
विनर्स एंड अचीवर्स सुरक्षा और विशेषज्ञ पर्यवेक्षण के साथ युवा अभियानों के लिए मानक निर्धारित कर रहा है. इस अभियान का सफलतापूर्वक समापन अगली पीढ़ी के साहसी लोगों को प्रेरित और सशक्त बनाने के कंपनी के मिशन में एक और मील का पत्थर है.
बैंक की ओर से कर्नाटक महर्षि वाल्मिकी अनुसूचित जनजाति विकास निगम लिमिटेड के करोड़ों रुपये दूसरे खातों में ट्रांसफर कर दिए. इस मामले के चलते निगम के एक अधिकारी ने आत्महत्या भी कर ली.
बेंगलुरु स्थित यूनियन बैंक के अधिकारियों पर एक बड़े घोटाले का आरोप लगा है. शिकायत के बाद बैंक के 6 अधिकारियों के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया है. दरअसल, बैंक के अधिकारियों द्वारा कर्नाटक महर्षि वाल्मिकी अनुसूचित जनजाति विकास निगम लिमिटेड के खाते से करोड़ों रुपये धोखाधड़ी से विभिन्न अन्य बैंक खातों में ट्रांसफर किए गए हैं. अधिकारियों के खिलाफ ये कार्रवाई रविवार को निगम के एक अधिकारी द्वारा आत्महत्या करने के बाद की गई है.
क्या था मामला?
बता दें, 28 मई को दायर शिकायत में कर्नाटक महर्षि वाल्मिकी अनुसूचित जनजाति विकास निगम के महाप्रबंधक ए राजशेखर ने बेंगलुरु के यूनियन बैंक ऑफ इंडिया एमजी रोड शाखा के प्रबंधन और अन्य थर्ड पार्टियों पर गंभीर धोखाधड़ी का आरोप लगाया है. उन्होंने बताया कि 19 फरवरी को कर्नाटक महर्षि वाल्मिकी अनुसूचित जनजाति विकास निगम ने अपना खाता वसंतनगर शाखा से राष्ट्रीय बैंक की एमजी रोड शाखा में ट्रांसफर किया था.
94.73 करोड़ रुपये का है घोटाला
निगम की ओर से कहा गया है कि विभिन्न बैंकों और राज्य हुजूर ट्रेजरी खजाने-II से कुल 187.33 करोड़ रुपये यूनियन बैंक ऑफ इंडिया,एमजी रोड शाखा में हमारे बचत बैंक खाते में ट्रांसफर किए गए थे. आचार संहिता का हलावा देकर निगम ने बैंक से बातचीत नहीं की. उन्होंने शिकायत में कहा नतीजतन बैंक हमारे रजिस्टर्ड पते पर नई पासबुक और चेकबुक भेजने में विफल रहा. जब अधिकारी 21 मई को दस्तावेज़ लेने के लिए ब्रांच में गए तो शाखा अधिकारी ने उन्हें वो देने से मना कर दिया. इसके बाद अधिकारी 22 मई को निगम कार्यालय गए और उन्हें कहा गया कि दस्तावेज़ पहले ही जारी किए जा चुके थे और ये बात बिल्कुल गलत थी. पासबुक के वेरिफिकेशन के बाद पता चला कि फर्जी दस्तावेजों के आधार पर यूनियन बैंक की ओर से उनके खाते से 94.73 करोड़ रुपये निकाले गए थे.
बैंक ने कहा
यूनियम बैंक की ओर से बयान आया है कि जैसे ही अनियमितताओं को पता चला तो बैंक ने तत्काल लेनदेन को छलपूर्ण घोषित कर दिया था. इसके बाद गहन जांच और दोषियों की शीघ्र पहचान सुनिश्चित करने के लिए CBI को शिकायत भी दी गई. बैंक ने जांच लंबित रहने तक 3 अधिकारियों को निलंबित भी कर दिया है.
रविवार को निगम के एक अधिकारी ने कर ली आत्महत्या
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अधिकारियों पर यह कार्रवाई रविवार को निगम के एक अधिकारी के आत्महत्या करने के बाद हुई है. मरने से पहले अधिकारी ने एक नोट छोड़ा था, जिसमें उन्होंने प्रबंध निदेशक जे जी पद्मनाभ,लेखा अधिकारी परशुराम जी दुरुगन्नावर और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के मुख्य प्रबंधक सुचिस्मिता रावल का नाम लिया था.
इस कार्यक्रम ने एक स्थायी भविष्य के लिए धरती माता के साथ शांति प्राप्त करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया.
प्रेस क्लब ऑफ इंडिया, नई दिल्ली में फ्यूरो इनोवेशंस ने अपना पहला प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित किया ताकि पारिस्थितिक शांति (Ecological Peace) के लिए अपने दृष्टिकोण को प्रस्तुत किया जिसकी थीम "भविष्य के लिए फिट, साथ मिलकर निर्माण" थी. ये प्रेस कॉन्फ्रेंस संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षक दिवस पर आयोजित की गई. इस कार्यक्रम ने एक स्थायी भविष्य के लिए धरती माता के साथ शांति प्राप्त करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया. दिल्ली की AQI से संबंधित समस्याओं के समाधान और श्वेत पत्र प्रस्तुत किए गए. इस सम्मेलन में विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ एकत्र हुए ताकि शहीद हुए नायकों को सम्मानित किया जा सके और महात्मा गांधी की चेतना को जागृत किया जा सके.
Ecological Peace के कार्यक्रम का आयोजन
फाउंडर रचना शर्मा के सक्षम नेतृत्व में, जो हार्वर्ड एलुमनी एंटरप्रेन्योर्स की संस्थापक सदस्य और हार्वर्ड बिजनेस स्कूल की पूर्व छात्रा बी हैं, प्रेस मीट ने ऐसे संस्थान की तात्कालिक आवश्यकता पर जोर दिया जो स्पष्ट प्रक्रियाओं और लक्ष्यों के साथ ठोस समाधान लागू करने पर केंद्रित हो. रचना शर्मा ने सरकार से ऐसे संस्थान को सशक्त बनाने का आग्रह किया और जलवायु से संबंधित समस्याओं को मिलकर सुलझाने के लिए साझा विचारों को दर्शाने वाले शांति के वैन डायग्राम का उदाहरण दिया.
महात्मा गांधी से लें सीख
रचना शर्मा ने इस मौके पर कहा कि हमारी शक्ति हमारे भीतर है, महात्मा गांधी की शिक्षाओं में निहित है, जिसे हमने भूल गए हैं. जब मैं शांति की बात करती हूं, तो मैं विशेष रूप से सकारात्मक शांति की बात करती हूं. ऐसे दृष्टिकोण, संस्थान और संरचनाएँ जो शांतिपूर्ण समाजों का निर्माण और स्थायित्व करती हैं. रचना शर्मा ने हरी तकनीक और रचनात्मक समाधान (Harnessing green technology and creative solutions) का उपयोग करने के महत्व पर जोर दिया ताकि पारिस्थितिक शांति रक्षकों का समर्थन किया जा सके.
युवा प्रतिभाओं को करें पोषित
भारतीय डायस्पोरा के संस्थापक मेल्विन विलियम्स ने भविष्य के बारे में सोचने, प्रतिभा को बनाए रखने और लोगों को कई राष्ट्रीयताओं की अनुमति देने की महत्वपूर्णता पर जोर दिया ताकि युवा प्रतिभाओं को पोषित किया जा सके जो अक्सर अन्य देशों में खो जाती हैं. उन्होंने कहा कि समाज में शांति के लिए हर किसी को अपनी प्राकृतिक क्षमताओं से योगदान देना आवश्यक है.
नेट जीरो समुदाय की हो स्थापना
भारत सरकार के पूर्व सचिव और IAS आनंद कुमार ने नवाचारी प्रोटोटाइप विकसित करने के लिए निरंतर जागरूकता और अनुसंधान की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने भारत में "नेट जीरो" समुदाय स्थापित करने का सपना साझा किया. महिलाओं और बच्चों और पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए विशेष पुलिस आयुक्त और IPS अजय चौधरी ने शांति स्थापना में शामिल सैनिकों को सम्मानित किया और अनसुने नायकों को उनकी शांति बनाए रखने में योगदान के लिए श्रद्धांजलि दी, उन्होंने कहा कि शांतिरक्षक आशा और दृढ़ता के दूत हैं.
कला के माध्यम से शांति को दें बढ़ावा
राहें घराना की संस्थापक शेफाली खन्ना ने कहा कि शांति को बढ़ावा देने का सबसे अच्छा तरीका संगीत, कला और साहित्य के माध्यम से है. समाज के बीच में सांस्कृतिक आदान-प्रदान से निकटता और समझदारी बढ़ती है और भूली हुई विरासत को पुनर्जीवित किया जाता है. वह भविष्य को स्थिर करने के लिए जागरूकता बढ़ाने के प्रयासों के लिए फ्यूरो इनोवेशंस का समर्थन करती हैं.
‘शांति का मतलब विश्व शांति’
इस साल की थीम "भविष्य के लिए फिट, साथ मिलकर बेहतर निर्माण" फ्यूरो इनोवेशंस के साथ गहराई से जुड़ी, और भारतीय सरकार और प्रेस से ऊर्जा, जलवायु, और अंतरिक्ष पर एक संस्थान स्थापित करने का अनुरोध किया. ऐसा संस्थान पारिस्थितिक शांति में एक महत्वपूर्ण योगदान होगा. आज, धरती माता के साथ शांति का मतलब विश्व शांति है. प्रेस कॉन्फ्रेंस ने मानवता के साथ साझा की गई शिक्षा में अत्यधिक वृद्धि को रेखांकित किया, और एक अधिक शांतिपूर्ण दुनिया की ओर सामूहिक कार्रवाई का आह्वान किया.
भारत में एक्सपायर्ड फूड प्रोडक्ट बेचने पर 6 महीने तक की कैद की सजा और जुर्माने का भी प्रावधान है. बावजूद Zepto ने एक ग्राहक को एक्सपायरी डेट के पास का फूड प्रोडक्ट डिलवर कर दिया.
नेक्स्ट डोर क्विक कॉमर्स ऐप जेप्टो (Zepto) ने वह भी तब जबकि भारत में खराब फूड प्रोडक्ट बेचना कानूनन जुर्म है और इसके लिए छह माह तक की जेल की सजा है। यही नहीं, ऐसा करने वाले पर 1,000 रुपये तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है.
ग्राहक ने एक्स पर किया पोस्ट
जेप्टो ने हाल में दिल्ली निवासी ग्राहक गजेंद्र यादव को नियर टू एक्सपायर आटा बेच दिया. ग्राहक ने अपनी आपबीती एक्स प्लेटफार्म पर जेपटो को टैग करते हुए लिखा कि मैंने जेप्टो पर 10 किलो आटा का ऑर्डर किया, जो आटा आया, उसकी एक्सपायरी डेट आठ दिन बाद की है. 8 दिन में 10 किलो आटा कैसे खत्म करें? जेप्टो इधर आओ, मिल कर खत्म करते हैं. गजेंद्र यादव ने एक फोटो भी अटैच किया, जिसमें दिख रहा है कि इसकी एक्सपायरी डेट 25 मई 2024 है और ये आटा उन्हें 17 मई को प्राप्त हुआ.
पोस्ट हुई वायरल
इस पोस्ट को काफी लोगों ने देखा और शेयर किया. यहां तक लोगों ने खूब मजेदार कमेंट भी किए. अनिल कुमार पांडेय नाम के एक यूजर ने लिखा भाई भंडारा करा दो और खाने वाले से कुछ चंदा ले लो, पुण्य भी मिल जाएगा और पैसे भी आ जाएंगे. वहीं कई लोगों ने अपने-अपने अनुभव भी साझा किए. कई लोगों ने कहा कि उनके साथ भी ऐसा हुआ है.
एक्सपायरी या खराब सामान भेजने की सजा
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 273 के मुताबिक एक्सपायरी डेट या खराब फूड प्रोडक्ट बेचना कानूनन जुर्म है. इसके लिए 6 महीने तक कैद की सजा हो सकती है. यही नहीं, ऐसा करने वाले पर 1,000 रुपये तक का जुर्माना भी हो सकता है. इसके साथ ही पैकेज्ड कमोडिटीज रेगुलेशन आर्डर 1975 और फूड सेफ्टी एंड स्टेंडर्ड एक्ट 2006 में भी एक्सपायर्ड सामान बेचने की मनाही है.
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जेप्टो ने क्या दिया जवाब
इस पोस्ट के वायरल होने के बाद जेप्टो ने जवाब दिया और ग्राहक से ऑर्डर का विवरण साझा करने के लिए कहा. कंपनी ने आगे लिखा कि उसकी टीम जल्द ही उनसे संपर्क करेगी. हालांकि स्थिति तब बिगड़ गई जब यादव को कस्टमर केयर से कॉल आया. यादव ने एक्स पर पोस्ट करके बताया कि लाइन के दूसरी ओर मौजूद महिला ने उससे कहा कि कुछ नहीं किया जा सकता और उसे सात दिनों में गेहूं का पैकेट खत्म कर देना चाहिए.
रिफंड के लिए किया कॉल
इस कॉल के बाद ग्राहक ने एक बार फिर एक्स पर जेपटो के फाउंडर्स को टैग करते हुए लिखा कि प्रिय आदित पालीचा, कैवल्य वोहरा, आपको अपनी ग्राहक सेवा के लिए सामान्य ज्ञान और तर्क पर कुछ ट्रेनिंग सेशन जोड़ने की जरूरत है. अगर आप एक्सपायरी के करीब उत्पाद बेचकर अपना व्यवसाय चला रहे हैं तो कम से कम अपने ऐप पर एक्सपायरी डेट दिखाएं. यादव ने आगे कहा, ऐसे उत्पाद को बेचने का कोई मतलब नहीं है जो शीघ्र ही एक्सपायर होने वाला है. हम सभी जानते हैं कि विभिन्न प्लेटफार्मों पर नियर टू एक्सपायर सामानों पर विशेष छूट की पेशकश की जाती है. हमने तो आटे की पूरी कीमत चुकाई है और हमें नियर टू एक्सपायर सामान मिला है.
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी की एक बच्ची का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. इस बच्ची की मदद के लिए गौतम अडानी आगे आए हैं.
सोशल मीडिया पर वायरल उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी की एक मासूम बच्ची की वीडियो देकखर उद्योगपति गौतम अडानी (Gautam Adani) भी कराह उठे. वायरल वीडियो में बच्ची के दुख और तकलीफ को देखकर अब गौतम अडानी ने उसकी मदद के लिए अपने हाथ आगे बढ़ाए हैं. इसे लेकर उन्होंने अपने ऑफिशियल एक्स अकाउंट पर एक पोस्ट शेयर की है. तो चलिए आपको बताते हैं आखिर कौन है ये बच्ची और अडानी ने कैसे इसकी मदद करेंगे?
बुजुर्ग दादा-दादी के साथ रहती है बच्ची
लखीमपुर खीरी के कंधरापुर गांव की रहने वाली लवली की एक वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है. दरअसल, इस मासूम बच्ची की मां बचपन में ही गुजर गई थी. मां की मौत के बाद पिता सौतेली मां ले आए, तो बच्ची दादा-दादी के पास रहने लगी. अभी बच्ची पढ़ाई कर रही है, लेकिन इस बच्ची को इलाज की जरूरत है, क्योंकि उसका बांया पैर और हाथ दोनों ही बचपन से टेढे़ हैं और परिवार की हालत ऐसी नहीं कि उसका इलाज कराया जा सके.
वायरल हुई वीडियो
इस मासूम बच्ची की हालत गौतम अडानी से देखी नहीं गई और अब उन्होंने उसकी पूरी मदद करने का ऐलान किया है. इस समय में देश के अंदर लोकसभा चुनाव चल रहे हैं. इस दौरान देश के गांव-देहात से कभी संघर्ष की तो कभी पीड़ा की कई अनोखी कहानियां लोगों तक पहुंच रही हैं. लवली का दर्द भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लोगों तक पहुंचा. इसे लेकर जो पोस्ट की गई, उसमें सवाल किया गया ‘कौन सुनेगा दर्द बचपन का…’, इस सवाल का जवाब खुद गौतम अडानी ने दिया है.
बच्ची का इलाज कराएगी अडानी फाउंडेशन
पांचवी कक्षा में पढ़ने वाली लवली की पीड़ा को लेकर गौतम अडानी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट लिखा है. उनका कहना है, ” एक बेटी का बचपन यूं छिन जाना दुखद है. छोटी सी उम्र में लवली और उसके दादा-दादी का संघर्ष बताता है कि एक आम भारतीय परिवार कभी हार नहीं मानता. अडानी फाउंडेशन यह सुनिश्चित करेगा की लवली को बेहतर इलाज मिले और वो भी बाकी बच्चों के साथ कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ सके. हम सब लवली के साथ हैं. गौतम अडानी के इस कदम की सोशल मीडिया पर जमकर तारीफ हो रही है.
एक बेटी का बचपन यूं छिन जाना दुखद है!
— Gautam Adani (@gautam_adani) May 17, 2024
छोटी सी उम्र में लवली और उसके दादा-दादी का संघर्ष बताता है कि एक आम भारतीय परिवार कभी हार नहीं मानता।@AdaniFoundation यह सुनिश्चित करेगा की लवली को बेहतर इलाज मिले और वो भी बाकी बच्चों के साथ कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ सके।
हम सब लवली के… https://t.co/0Zes20UOSu pic.twitter.com/StVhUrk7SU
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73 लाख जरूरतमंद लोगों के लिए काम करती है अडानी की फाउंडेशन
गौतम अडानी का कारोबारी ग्रुप अडानी फाउंडेशन चलाता है. यह शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य कई क्षेत्रों में काम करता है. गौतम अडानी की पत्नी प्रीति अडानी ने 1996 में अडानी फाउंडेशन की शुरुआत की थी और वह खुद शादी से एक डॉक्टर रही हैं. उनकी फाउंडेशन देश के 19 राज्यों में 5,753 गांव में 73 लाख लोगों के लिए काम करती है.
नौकरी की तलाश कितनी मुश्किल हो सकती है, यह तो हम सभी जानते हैं. लेकिन क्या आपने कभी सुना है कि किसी आवेदक ने नौकरी पाने के लिए पैसे देने से लेकर डिलीवरी बॉय तक बनने को तैयार है.
नौकरी मिलना हर किसी के लिए आसान नहीं होता है. किसी को कॉलेज से निकलते ही जॉब मिल जाती है तो कई सालों तक जॉब की तलाश में भटकते रहते हैं. इस दौरान लोग कई तरह के तरीके भी अपनाते हैं जिससे उन्हें जॉब मिल जाए. इसका एक उदाहरण बेंगलुरु में सामने आया है. यहां एक शख्स ने नौकरी हासिल करने के लिए कंपनी के मालिक को अनोखा ऑफर भेजा है. इस शख्स ने न सिर्फ कंपनी में काम करने के लिए आवेदन किया बल्कि फाउंडर को यह भी कहा कि अगर उन्हें नौकरी मिल जाती है तो वे उन्हें $500 (लगभग 41,000 रुपये) देंगे.
आवेदक ने मैसेज में क्या लिखा?
मैसेज में, आवेदक ने कहा कि अगर उन्हें Wingify में नौकरी मिल जाती है तो वे चोपड़ा को $500 (लगभग 41,000 रुपये) देंगे. साथ ही ये भी कहा कि अगर वो अपने काम को साबित नहीं कर पाते हैं, तो कंपनी उन्हें पहले हफ्ते के बाद ही निकाल सकती है और वो दिए हुए पैसे वापस नहीं मांगेंगे. पारस चोपड़ा के इस पोस्ट को सोशल मीडिया पर काफी चर्चा मिली. कुछ लोगों ने इस शख्स की हिम्मत और जुनून की तारीफ की, वहीं कुछ लोगों ने इस तरीके को गलत बताया.
अनोखे ऑफर से प्रभावित हुए पारस चोपड़ा
सॉफ्टवेयर कंपनी Wingify के फाउंडर और चेयरमैन पारस चोपड़ा ने इसकी जानकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर शेयर की है. चोपड़ा ने बताया कि आवेदक का कहना है कि अगर उसे सॉफ्टवेयर कंपनी में काम पर रखा जाता है तो वे चोपड़ा को $500 (41,000 रुपये) का भुगतान करेंगे. चोपड़ा ने आवेदक से प्राप्त मैसेज का एक स्क्रीनशॉट साझा करते हुए कहा कि वे जाहिर तौर पर पैसे नहीं लेंगे लेकिन फिर भी इस पिच से प्रभावित हैं.
एक शख्स ने डिलीवरी बॉय बनकर भेजा सीवी
नौकरी पाने के यह तरीका नया नहीं है इससे पहले भी एक शख्स सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ था, जिसने जोमैटो डिलीवरी बॉय बनकर कंपनियों को अपना रेज्यूमे भेजने का काम किया है. जैसे ही यह खबर सोशल मीडिया पर आई सुर्खियों में आ गई. शख्स का नाम अमन खंडेलवाल है और उसने कंपनियों का ध्यान आकर्षित करने के लिए जोमैटो डिलीवरी बॉय का ड्रेस पहना और पेस्ट्री बॉक्स में कंपनियों को अपना रेज्यूमे दे आता था. अमन का यह तरीका लोगों का काफी पसंद आया था.
इंटर्नशिप के लिए खोजा अनोखा तरीका
कई बार कोर्स पूरा करने के बाद इंटर्नशिप के लिए चांस मिलने में देरी होती है, जिसके चलते जॉब मिलना मुश्किल हो जाता है. एक शख्स के साथ कुछ ऐसा ही हो रहा था. जिसके चलते उसने एक अनोखा तरीका खोजा. हाल ही में अमेरिकी कंपनी एंटीमेटल के CEO को एक आवेदक ने CV और लेटर के साथ एक पिज्जा भेजा था. लेटर में आवेदक ने बताया कि उसे कंपनी में इंटर्न के रूप में क्यों हायर किया जाना चाहिए.
पिछले कुछ सालों में सऊदी अरब में काफी बदलाव हुए हैं और अब वो एक और बड़ा काम करने जा रहा है.
अपने रेगिस्तान के लिए मशहूर सऊदी अरब (Saudi Arabia) कुछ बड़ा करने जा रहा है. कुछ ऐसा, जिससे वहां पहुंचने वाले सैलानियों की संख्या में जबरदस्त इजाफा देखने को मिल सकता है. पिछले कुछ सालों में इस अरब देश में कई बदलाव हुए हैं. रेगिस्तान का सीना चीरकर लंबी-लंबी सड़कें बनाई गई हैं. टापुओं पर शानदार शहर बसाए गए हैं, तो पाम आइलैंड जैसे नए टापुओं का निर्माण भी किया गया है. अब सऊदी एक और बड़ी योजना पर काम कर रहा है.
इतनी आई है लागत
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सऊदी अरब सैलानियों के लिए एक ऐसा शहर बसाने जा रहा है, जो लंदन से 17 गुना बड़ा होगा. सऊदी अरब 500 अरब डॉलर की लागत से तैयार निओम मेगासिटी का पहला हिस्सा जल्द सैलानियों के लिए खोल सकता है. माना जा रहा है कि इस साल के अंत तक ऐसा किया जा सकता है. यहां आए टूरिस्ट सिंदलाह में तैयार किए जा रहे आइलैंड रिसॉर्ट का अनुभव कर सकेंगे और भव्य होटलों में ठहर पाएंगे. इससे उनका सऊदी का सफर हमेशा के लिए यादगार बन जाएगा.
क्राउन प्रिंस का ड्रीम प्रोजेक्ट
बताया जाता है कि 500 बिलियन डॉलर की निओम मेगासिटी प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के ड्रीम प्रोजेक्ट्स में शुमार है. यह प्रोजेक्ट क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के मिडिल ईस्ट के सबसे महत्वाकांक्षी मेगा सिटी डेवलपमेंट में से एक है. इस मेगा सिटी को लाल सागर के खास दरवाजे के रूप में पेश किया गया है. सिंदलाह प्रोजेक्ट की शुरुआत 2017 में क्राउन प्रिंस ने की थी. एक रिपोर्ट बताती है कि पूरी तरह तैयार होने के बाद यह स्मार्ट सिटी 26,500 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैल जाएगी, जो ब्रिटेन के शहर लंदन के आकार का लगभग 17 गुना है.
मिलेंगी तमाम सुविधाएं
सिंदलाह को इस साल के अंत तक जनता के लिए खोला जाएगा. यहां लोगों को कई तरह की सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी. यहां एक बेहद शानदार और चमकदार रिसॉर्ट में बीच क्लब, यॉट क्लब, स्पा और वेलनेस सेंटर होंगे. साथ ही 51 लग्जरी रिटेल आउटलेट, 400 से अधिक कमरे और 300 सुइट्स वाले तीन भव्य होटल भी होंगे. सऊदी प्रशासन का मानना है कि इसके पूरी तरह से खुलने के बाद सऊदी आने वाले सैलानियों की संख्या में इजाफा होगा. साथ ही उनका सऊदी घूमने का अनुभव भी पहले से कई गुना बेहतर हो जाएगा.
जर्मनी मुख्यालय वाले Tengelmann Group की कमान संभालने वाले कार्ल-एरिवान हाउब को 2021 में मृत घोषित किया गया था.
एक अरबपति कारोबारी जिसे पूरी दुनिया मरा मान चुकी थी, उसके जिंदा होने का राज जब खुला तो हर कोई हैरान रह गया. अमेरिकी मूल के जर्मन कारोबारी कार्ल-एरिवान हाउब (Karl-Erivan Haub) को रूस में देखा गया है. कार्ल वहां सबसे छिपकर अपनी गर्लफ्रेंड के साथ रह रहे हैं. अरबपति कार्ल-एरिवान हाउब 2018 में अचानक गायब हो गए थे. एक अदालत ने उन्हें 2021 में मृत घोषित कर दिया था. लेकिन अब उनके जिंदा होने की खबर सामने आई है.
ऐसे हो गए थे गायब
58 साल के हाउब जब लापता हुए थे, तब वह स्विट्जरलैंड में थे. यहां उन्हें Ski Mountaineering Race में शामिल होना था. हालांकि, वो स्विट्जरलैंड से कभी वापस नहीं लौटे. इसके बाद स्विट्जरलैंड और जर्मनी सरकार ने उन्हें खोजने के लिए बड़ा तलाशी अभियान शुरू किया. हाउब का पता लगाने के लिए पांच हेलीकॉप्टरों ने 6 दिन तक सर्च ऑपरेशन चलाया, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली. इसके अब्द उन्हें अदालत ने मृत घोषित कर दिया. कोई सोच भी नहीं सख्त कि वो इस तरह सबके सामने आएंगे.
Tengelmann Group के प्रमुख
लापता होने से पहले हाउब दिग्गज रिटेल समूह टेंजेलमैन ग्रुप (Tengelmann Group) के प्रमुख थेम जिसके दुनियाभर में 75 हजार से ज्यादा कर्मचारी हैं. टेंजेलमैन ग्रुप को फिलहाल कार्ल-एरिवान हाउब के भाई क्रिस्चियन चला रहे हैं. हाउब के दो बच्चे भी हैं. उन्हें खोजने के तमाम प्रयासों के असफल होने के बाद 2021 में कोर्ट ने ही मृत घोषित कर दिया था. सब यही मानकर चल रहे थे कि शायद हाउब किसी दुर्घटना का शिकार हो गए. मगर एक बार फिर उन्होंने सबको चौंका दिया है. कार्ल-एरिवान हाउब की नेटवर्थ 5.2 बिलियन पाउंड है.
ऐसे खुला कार्ल का राज
जांच के बाद पता चला कि अरबपति कारोबारी हाउब इस समय रूस की राजधानी मॉस्को में हैं. वह एर्मिलोवा नामक महिला के साथ रह रहे हैं. जांच में यह भी सामने आया है कि जिस दिन कार्ल गायब हुए थे, उस दिन उन्होंने अपनी गर्लफ्रेंड एर्मिलोवा को 13 बार फोन किया था. दोनों की करीब एक घंटे तक फोन पर बात भी हुई थी. एर्मिलोवा सेंट पीटर्सबर्ग की एक इवेंट एजेंसी में ऑपरेटर के रूप में काम करती हैं. शक है कि उनका रूस की FSB सिक्योरिटी सर्विस से रिश्ता है. जांच में हाउब और एर्मिलोवा के बीच करीबी रिश्ते सामने आए हैं.
मोबाइल से दूर रहते हैं बिहार के CM नीतीश कुमार, वजह जान आप पकड़ लेंगे सिर
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) का मानना है कि मोबाइल से धरती खत्म हो सकती है. लोकसभा चुनाव के बांका में प्रचार के लिए पहुंचे नीतीश ने कहा कि मोबाइल देखना छोड़ देना चाहिए, क्योंकि इसके कारण सौ साल में धरती खत्म हो जाएगी. दरअसल, प्रचार कार्यक्रम के दौरान नीतीश कुमार की नजर मोबाइल चला रहे राज्यसभा सांसद संजय झा पर गई, इसके बाद उन्होंने मोबाइल को लेकर बोलना शुरू कर दिया. CM ने कहा झा की ओर इशारा करते हुए कहा कि देखिए ये भी हमेशा अपना मोबाइल देखते रहते हैं, पहले नहीं देखते थे, अब खूब देखते हैं.
इसलिए छोड़ दिया देखना
नीतीश कुमार ने मोबाइल से दूरी बनाने की वजह भी बताई. उन्होंने कहा कि मैं तो यह बात पहले भी बता चुका हूं, लेकिन इस बात को समझिए कि मोबाइल के कारण 100 साल में धरती खत्म हो जाएगी. पहले तो हम भी खूब देखते थे, 2019 में हमको पता चला कि सौ साल के अंदर धरती खत्म हो जाएगी, तब से हमने इसे देखना बंद कर दिया है. हालांकि, बाद में उन्होंने हंसते कहा कि मैं मजाक कर रहा हूं, लेकिन क्या कीजिएगा. जब पॉपुलर है तो आजकल देखिएगा ही.
अभी नहीं होगा...बाद में होगा
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि पहले तो हम भी खूब देखते थे, लेकिन हमको लगा कि ये तो खराब चीज है, तो छोड़ दिए. हम सबको बोलते रहते हैं, लेकिन हमारी बात लोग सुनते नहीं है. खैर ठीक है, अभी उम्र ही ऐसी है. अभी उसके चलते कुछ नहीं होना है, लेकिन बाद में होगा. इसमें कोई दोराय नहीं है कि आजकल मोबाइल का इस्तेमाल काफी ज्यादा बढ़ गया है. लोगों का स्क्रीन टाइम पिछले कुछ वक्त से तेजी से बढ़ रहा है. इसकी वजह से कई तरह के दुष्परिणाम भी सामने आ रहे हैं. हालांकि, मोबाइल से धरती खत्म होने का नीतीश कुमार का लॉजिक कुछ अलग ही है.
इस तरह बीमार बन रहे लोग
वहीं, मोबाइल के अत्यधिक इस्तेमाल से बीमारियों की बात करें, तो एक्सपर्ट्स का कहना है कि स्मार्टफोन पर पोस्ट को देखते और स्क्रॉल करते वक्त सिर और गर्दन को झुकाकर रखना सेहत के लिए नुकसानदायक है. ऐसा करने से गर्दन पर काफी प्रेशर पड़ता है. इससे गर्दन की मांसपेशियों में सूजन और जलन होने लगती है. इस अवस्था को टेक्स्ट नेक कहते हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) हद से ज्यादा ऑनलाइन गेम खेलने को भी एक मानसिक बीमारी के रूप में स्वीकार कर चुका है. गेम खेलने वाले करीब 10 प्रतिशत लोग गेमिंग डिसऑर्डर से पीड़ित होते हैं. मोबाइल की लत लोगों में इस कदर बढ़ गई है कि एक सर्वे के मुताबिक 53 प्रतिशत लोग मोबाइल फोन इस्तेमाल न करने पर बेचैन होने लगते हैं. इसके चलते उन्हें पैनिक अटैक भी आ सकता है.
97 साल पुराने इस बैंक में लेनदेन का सारा काम भगवान राम के नाम पर ही होता है. रामनवमी से 10 दिनों तक इस बैंक में भक्त राम नाम के इस जमा पूंजी का दर्शन करने आते हैं.
कहते हैं राम का नाम सारे बिगड़े काम बना देता है और इस नाम का स्मरण करने मात्र से सारे कष्ट मिट जाते हैं, आज राम नवमी के मौके पर आपको वाराणासी के अनोखे बैंक के बारे में बताने जा रहे हैं जिसकी कार्य प्रणाली तो बिलकुल किसी साधारण बैंक की ही तरह है. लेकिन इस अनोखे बैंक में राम नाम का लोन दिया जाता है. राम रमापति बैंक में पूरे साल यह लोन दिया जाता है. इसके लिए बैंक की ओर से कुछ नियम भी तय किए गए हैं. भक्त अपने मनचाहे मुरादों को पूरा करने के लिए इस बैंक से राम नाम का लोन ले सकते हैं. लेकिन, 250 दिनों में पैसा लौटाना होता है.
भक्तों को मिलता है राम नाम का लोन
राम रमापति बैंक लोन प्रदान करता है, जिसे कागज पर भगवान राम का नाम लिखकर चुकाया जाता है. बैंक तीन प्रकार के लोन प्रदान करता है. जाप लोन, मंत्र लोन और राम नाम लोन. राम नाम लोन सबसे लोकप्रिय है और उधारकर्ताओं को इसे आठ महीने और दस दिनों के भीतर भगवान राम के नाम को 1,25,000 बार कागज पर लिखकर और बैंक के पास जमा के रूप में रखकर चुकाना होता है. बैंक कोई मौद्रिक जमा नहीं मांगता है. लोगों के राम रमापति बैंक से लोन लेने के दो उद्देश्य होते है, पहला आध्यात्मिक आवश्यकता को पूरा करना और दूसरा, राम भक्ति को बढ़ावा देना. बैंक हर दिन दोपहर 12 बजे से शाम 4 बजे तक खुला रहता है.
बैंक में अकाउंट खोलने की शर्तें
राम रमापति बैंक में देश-विदेश के लाखों भक्तों के हाथों से लिखे 19 अरब 45 करोड़ 35 लाख 25 हजार श्री रामनाम जमा हैं. लगभग 2 सालों में इस बैंक के अस्तित्व के 100 वर्ष पूरे हो जाएंगे. लगभग अपने 100 वर्ष के कार्य खंड में इस बैंक में 1.50 लाख से अधिक लोगों ने अपना खाता खोला है. इस बैंक में खाता खोलने के लिए कुछ शर्तों का पालन करना होता है जैसे, भक्त केवल सुबह 4 बजे से 7 बजे तक ही भगवान राम का नाम लिख सकते है और नाम ठीक 1.25 लाख बार लिखा जाना चाहिए. यह कार्य आठ महीने और दस दिनों के भीतर पूरा होना चाहिए.
काशी विश्वनाथ मंदिर के पास स्थित है बैंक
इस बैंक का संचालन सरकार नहीं, बल्कि भगवान राम के भक्त ही करते हैं. वाराणसी में विश्वनाथ मंदिर के करीब दुनिया का ये सबसे अनोखा बैंक स्थित है. बैंक का संचालन करने वाले आकाश मल्होत्रा ने बताया कि हर साल भक्तों की आस्था और विश्वास के कारण इस बैंक में रामनाम की पूंजी बढ़ती जा रही है.
97 साल पहले हुई थी बैंक की स्थापना
97 साल पहले राम रमापति बैंक की स्थापना दास छन्नू लाल ने हिमालय निवासी बाबा सतरामदास की प्रेरणा से इसे लोगों के कष्ठ और दुखों को दूर करने के लिए जनकल्याण के लिए शुरू किया था. कम समय में ही यह बैंक पूरे विश्व में एक अलग पहचान बन चुका है. इस अनुष्ठान को पूरा करने के लिए बैंक की तरफ से ही सादा कागज, कलम और दवात दी जाती है. इन सारी चीजों का प्रयोग करके ही सुबह सूर्य उदय से पहले इस अनुष्ठान को शुरू करना होता है.