अगर आपने सीनियर सीटिजन सेविंग स्कीम में निवेश किया है या पोस्ट ऑफिस मंथली स्कीम में निवेश किया है तो इनमें ये बदलाव होने जा रहे हैं. सरकार ने महिलाओं के लिए नई स्कीम की भी घोषणा की है.
वैसे तो हर साल का बजट कुछ न कुछ नई योजनाएं लेकर आता है लेकिन इस बार के बजट में काफी बदलाव देखने को मिल रहे हैं. इस बार के बजट 2023 ने पोस्ट ऑफिस की दो सबसे लोकप्रिय योजनाओं मे कुछ बदलाव किए हैं और अगर आप महिला है और पोस्ट ऑफिस में निवेश करने की सोच रही हैं तो आपके लिए भी एक नई योजना की शुरुआत होने जा रही है.
क्या आप वरिष्ठ नागरिक हैं
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पोस्ट ऑफिस की दो सबसे ज्यादा लोकप्रिय योजनाओं में दो योजनाएं शामिल हैं. इनमें वरिष्ठ नागरिक बचत योजना (SCSS) और डाकघर मासिक आय योजना (POMIS) शामिल हैं. सरकार ने इन्हीं दो योजनाओं में बदलाव किया है. अगर आप भी इन दोनों में से किसी एक भी निवेश करने की योजना बना रहे हैं, तो सरकार ने क्या परिवर्तन किए हैं वो हम आपको बताने जा रहे हैं.
केन्द्रीय बजट 2023-24 में, वरिष्ठ नागरिक बचत योजना (SCSS) में एक बड़ा बदलाव ये हुआ है कि इसमें निवेश कैप को 15 लाख रुपये से बढ़ाकर 30 लाख रुपये कर दिया गया था. सरकार समर्थित वरिष्ठ नागरिक बचत योजना (SCSS) की शुरुआत 2004 में वरिष्ठ नागरिकों को उनकी सेवानिवृत्ति के बाद के वर्षों के लिए आय का एक भरोसेमंद और सुरक्षित स्रोत देने के लक्ष्य के साथ की गई थी. इस जनवरी-मार्च तिमाही के लिए SCSS पर दी जाने वाली ब्याज दर 8% है. SCSS की ब्याज दर 5 साल के लिए न्यूनतम 1000 रुपये और 1000 के गुणक के साथ तय की गई है. सबसे ध्यान देने वाली बात ये है कि अगर आप इस योजना में कर बचाने के लिए निवेश करने की योजना बना रहे हैं तो ये स्कीम का ब्याज कर मुक्त नहीं है.
डाकघर मासिक आय योजना
बजट 2023 के मुताबिक, पोस्ट ऑफिस मंथली इनकम स्कीम (POMIS) के लिए सिंगल अकाउंट होल्डर की सीमा 4 लाख रुपये से बढ़ाकर 9 लाख रुपये कर दी गई है. संयुक्त होल्डिंग (Joint Account) के लिए सीमा 9 लाख से 15 लाख रुपये कर दी गई है. अगर आप मंथली इनकम स्कीम में निवेश करते हैं तो आपको हर महीने ब्याज का भुगतान मिलता रहेगा. इस कार्यक्रम के लिए ब्याज दर नियमित रूप से सरकार द्वारा तय की जाती है. अभी जनवरी की अवधि के लिए ब्याज दर 7.1% है.
महिला सम्मान बचत प्रमाण पत्र
इस केंद्रीय बजट 2023 में महिला निवेशकों के लिए बचत महिला सम्मान सेविंग सर्टिफिकेट एक नई योजना की घोषणा की गई है. यह एक बार की, शॉर्ट टर्म बचत योजना है जो दो साल के लिए उपलब्ध होगी. लेकिन, विभाग ने अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की है और न ही कोई विवरण दिया है. सीतारमण के अनुसार, आजादी का अमृत महोत्सव मनाने के लिए, एक बार की नई छोटी बचत योजना, महिला सम्मान बचत प्रमाणपत्र, मार्च 2025 तक दो साल की अवधि के लिए उपलब्ध कराया जाएगी. इसके तहत किसी भी लड़की और महिला के नाम पर 2 लाख रुपये दो साल के लिए जमा किए जा सकते हैं. इस पर 7.5 प्रतिशत के बचत की सुविधा दी जाएगी.
करनी पड़ी गार्ड की नौकरी लेकिन आज है 220 करोड़ का मालिक?
महंगाई के मौसम में घर बनाना फिर महंगा होने जा रहा है. सीमेंट कंपनियां अक्टूबर से सीमेंट की बोरी के दाम बढ़ा रही हैं.
यदि आप घर बनाने का सपना देख रहे हैं, तो इसके लिए जेब थोड़ी ज्यादा ढीली करनी पड़ेगी, क्योंकि सीमेंट (Cement) एक बार फिर से महंगा होने जा रहा है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अगले महीने से सीमेंट की बोरी के दाम कम से कम 20 से 30 रुपए बढ़ जाएंगे. कंपनियों की तरफ से इसकी सूचना डीलरों को दे दी गई है. कंपनियों का कहना है कि उत्पादन लागत में बढ़ोत्तरी के चलते उन्हें कीमतें बढ़ानी पड़ रही हैं. बता दें कि इस महीने यानी सितंबर में भी सीमेंट के दामों में इजाफा हुआ था.
अब इतने की मिलेगी बोरी
सीमेंट कंपनियों ने दाम बढ़ाने को जायज करार देते हुए कहा है कि पिछले कुछ वक्त से कच्चे माल की कीमतों में वृद्धि हुई है. इस वजह से उनकी लागत बढ़ गई है और नतीजतन उन्हें सीमेंट की कीमतों में इजाफा करना पड़ रहा है. अगस्त तक सीमेंट की एक बोरी 310 से 320 रुपए में मिल रही थी, एक सितंबर को हुए इजाफे के आबाद रिटेल में प्रति बोरी 360 रुपए तक पहुंच गई है. अब अक्टूबर में होने वाली बढ़ोत्तरी के बाद ये आंकड़ा 400 के आसपास पहुंच जाएगा.
इसके बाद भी बढ़ेंगे दाम
सीमेंट की कीमतों में हो रही इस वृद्धि का असर निर्माण कार्यों पर पड़ना निश्चित है. इतना ही नहीं, मानसून की पूरी तरह से विदाई के बाद सीमेंट और महंगा हो सकता है. दरअसल, बारिश के मौसम में निर्माण कार्य सुस्त हो जाता है, इसलिए सीमेंट की डिमांड भी कम हो जाती है. मानसून की विदाई के बाद निर्माण कार्य फुलस्पीड में शुरू हो जाएंगे, तो डिमांड भी बढ़ेगी. ऐसे में कंपनियां फिर दाम बढ़ा सकती हैं. बता दें कि आंध्र प्रदेश देशभर में सबसे बड़ा सीमेंट उत्पादक राज्य है. इसके बाद राजस्थान, कर्नाटक, मध्य प्रदेश का नंबर आता है. छत्तीसगढ़ भी इस मामले में पीछे नहीं है, देश की कुल जरूरत के करीब 20% का उत्पादन छत्तीसगढ़ में ही होता है.
सेक्टर में अल्ट्राटेक का दबदबा
सीमेंट सेक्टर की बात करें, आदित्य बिड़ला ग्रुप का अल्ट्राटेक सीमेंट नंबर-1 पोजीशन पर है. इसके बाद अडानी समूह दूसरा सबसे बड़ा सीमेंट उत्पादक है. समूह की सीमेंट उत्पादन की संयुक्त क्षमता करीब 70 मिलियन टन से अधिक है और पूरे भारत में एक दर्जन से अधिक मैन्युफैक्चरिंग प्लांट हैं. अडानी समूह ने इसी साल अंबुजा और ACC सीमेंट का अधिग्रहण पूरा किया है. ग्रुप ने अंबुजा और ACC सीमेंट को 6.5 बिलियन डॉलर में खरीदा है. सीमेंट प्रोडक्शन में अल्ट्राटेक 120 मिलियन टन प्रति वर्ष (mtpa) कैपेसिटी के साथ टॉप पर है. अंबुजा-ACC दोनों कंपनियों की टोटल सीमेंट प्रोडक्शन कैपेसिटी 70 mtpa है.
गोल्ड सबकी भावनाओं के साथ जुड़ा होता है इसलिए यह बहुत आवश्यक हो जाता है कि आप सही जगह से ही गोल्ड के बदले कैश लें.
क्या आपके पास भी गोल्ड है और आप एक ऐसी जगह तलाश रहे हैं, जो आपके गोल्ड के बदले आपको कैश प्रदान कर सके? अगर हाँ तो ये खबर आपके लिए ही है इस खबर को ध्यानपूर्वक अंत तक जरूर पढ़ें.
भावनाओं से जुड़ा है गोल्ड
भारत में गोल्ड सिर्फ एक धातु भर नहीं है बल्कि यह लोगों की भावनाओं से भी जुड़ा हुआ होता है. बच्चे के जन्म ससे लेकर विवाह तक हर रस्म, रीति-रिवाज में गोल्ड का इस्तेमाल कहीं न कहीं जरूर होता है. दूसरी तरफ गिफ्ट के तौर पर भी भारतीय लोग गोल्ड को काफी पसंद करते हैं. लेकिन हमें यह भी याद रखना चाहिए कि गोल्ड प्रत्यक्ष या फिर अप्रत्यक्ष रूप से एक प्रकार की इन्वेस्टमेंट ही है. जब जरूरत पड़ती है तो लोग अपने गोल्ड के बदले कैश धुन्ध्ते हैं और क्योंकि गोल्ड सबकी भावनाओं के साथ भी जुदा होता है इसलिए यह बहुत ही आवश्यक हो जाता है कि आप सही जगह से ही अपने गोल्ड के बदले कैश लें.
मुश्किल है सही जगह तलाशना
जब बात गोल्ड के बदले कैश की हो तो सबसे पहले बात सुरक्षा की हो जाती है. इसके बाद यह भी आवश्यक हो जाता है कि आप सुविधापूर्ण ट्रांजेक्शन भी कर पाएं और आपको आपके गोल्ड के बदले सही कीमत में कैश प्रदान किया जाए. अब अगर एक आम आदमी को ऐसी जगह तलाशनी हो तो उसे बहुत से लोगों से बात करके या फिर विभिन्न वेबसाइटों के माध्यम से रिव्यु पढ़कर, लोगों के अनुभव जानकर फिर किसी फैसले पर पहुंचना होगा. आपको इतनी मेहनत न करनी पड़े और आपका समय भी बचे इसलिए हम आपके लिए लेकर आये हैं 5 ऐसे विकल्प जो आपके लिए बेस्ट साबित हो सकते हैं.
ये 5 जगहें हो सकती हैं बेस्ट
1. कैश फॉर गोल्ड USA (Cash For Gold USA): आपको ऑनलाइन ही गोल्ड के बदले कैश लेना हो या फिर गोल्ड में इन्वेस्ट करना हो या फिर गोल्ड बुलियन में ही इन्वेस्ट क्यों न करना हो, यह कंपनी गोल्ड से जुड़ी आपकी हर जरूरत को पूरा कर सकती है.
इस तरह गोल्ड के बदले पाएं कैश: सबसे पहले कैश फॉर गोल्ड USA के वेबपेज पर जाकर एक फॉर्म भरें. कुछ दिनों में आपके पास एक लिफाफा आएगा जिसमें आपको अपनी सोने की वस्तुओं की जानकारी और वस्तुओं को बंद करके वापस भेजना होगा. यह लिफाफा भेजने के 24 घंटों के बाद आपको गारंटीड तौर पर भुगतान मिल जाएगा. बाजार में तय की गई गोल्ड की कीमतों के अनुसार ही आपके गोल्ड की कीमत तय की जाएगी और आपको भुगतान कर दिया जाएगा.
2. एक्सप्रेस गोल्ड कैश (Express Gold Cash): अगर आपको गोल्ड के बदले कैश चाहिए और आप चाहते हैं कि आपकी ट्रांजेक्शन जल्दी से जल्दी पूरी हो जाए तो यह कंपनी आपके लिए बेहतर विकल्प साबित हो सकती है.
इस तरह गोल्ड के बदले पाएं कैश: सबसे आपको अप्रैजल किट के लिए आवेदन करना होगा और इसके लिए आपको ऑनलाइन जाकर एक फॉर्म भरना होगा. आपकी एप्लीकेशन आने के बाद आपको शिपिंग की जानकारी दी जाएगी और आपका पैकेज यानी गोल्ड प्राप्त हो जाने के एक कारोबारी दिन के भीतर ही आपको भुगतान भी कर दिया जाएगा.
3. SellYourGold.Com: आजकल दुनिया डिजिटल की तरफ भाग रही है. अगर आप भी गोल्ड के बदले ऑनलाइन कैश तलाश रहे हैं तो यह वेबसाइट आपके लिए सर्वश्रेष्ठ विकल्पों में से एक है.
इस तरह गोल्ड के बदले पाएं कैश: सबसे पहले वेबसाइट पर जाएं और अप्रैजल किट के लिए रिक्वेस्ट दायर करें. एक बार अपने गोल्ड को इकठ्ठा करने के बाद फेडेक्स (FedEx) की मदद से इसे डिस्पैच करें. पैकेज प्राप्त होने के एक ही दिन के भीतर आपको भुगतान कर दिया जाएगा.
4. APMEX: अगर आप गोल्ड में इन्वेस्टमेंट करने के बारे में विचार कर रहे हैं तो ये कंपनी आपके लिए सबसे अच्छे विकल्पों में से साबित हो सकती है.
इस तरह गोल्ड के बदले पाएं कैश: सबसे पहले APMEX की वेबसाइट पर जाकर अपनी निजी जानकारी दर्ज करें और इसके बाद अपने गोल्ड को इकठ्ठा करें. मार्केट के रेट के अनुसार अपने गोल्ड की कीमत तय करें और इसके बाद यह जांच लें कि कंपनी द्वारा प्रदान की जाने वाले कीमत आपके गोल्ड की सही कीमत के अनुरूप है. अगर ऐसा हो तो गोल्ड को सुरक्षित रूप से डिस्पैच कर दें और नियम एवं शर्तों के अनुसार आपको जल्द से जल्द भुगतान प्रदान कर दिया जाएगा.
5. US गोल्ड ब्यूरो (US Gold Bureau): अगर आप गोल्ड बुलियन यानी 99.9% वाले 24 कैरेट शुद्ध गोल्ड में इन्वेस्ट करना चाहते हैं तो यह कंपनी आपकी इच्छाओं को पूरा करने के लिए सर्वश्रेष्ठ विकल्प साबित हो सकती है.
इस तरह गोल्ड के बदले पाएं कैश: वेबसाइट पर जाकर अपनी निजी जानकारी एवं अपने गोल्ड आइटम्स की जानकारी भी साझा करें. ऐसा करने के बाद कंपनी स्वयं आपको कॉल करके जानकारी प्राप्त करेगी एवं गोल्ड की वस्तुओं की वेरिफिकेशन भी करेगी. इसके बाद मार्किट की कीमतों के अनुसार आपके गोल्ड की कीमत तय करके आपको सूचित कर दिया जाएगा. अगर यह कीमत आपकी इच्छाओं के अनुरूप हो तो आप अपना गोल्ड कंपनी द्वारा प्रदान किए गए पते पर डिस्पैच करें. एक से दो कारोबारी दिनों के भीतर ही आपको भुगतान प्राप्त हो जाएगा.
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दुनिया भर में जितने भी देशों से चावल निर्यात किया जाता है उसमें भारत का हिस्सा 40 प्रतिशत था.भारत इससे पहले भी 2008 में चावल के निर्यात पर पाबंदी लगा चुका है.
भारत के नॉन बासमती चावल के निर्यात पर लगाए गए बैन ने देश में कीमतों को बढ़ने से रोक लिया हो, लेकिन इसे लेकर यूनाइटेड नेशन के एक सीनियर अधिकारी ने बड़ी आशंका जताई है. उन्होंने इसे लेकर कहा कि भारत के द्वारा चावलों के निर्यात पर लगाए गए बैन के कारण दुनिया के कई इलाकों में अस्थिरता बढ़ सकती है. उन्होंने इस अस्थिरता के पीछे बढ़ती कीमतों को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने कहा कि ये अस्थिरता एशिया, अफ्रीका और वियतनाम जैसे देशों में देखने को मिल सकती है.
कीमतों में 15 प्रतिशत तक हो चुका है इजाफा
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत के द्वारा निर्यात पर लगाए गए बैन के कारण चावल की कीमतें इन देशों में पिछले 15 साल के टॉप लेवल पर पहुंच चुकी हैं. अगर भारत की हिस्सेदारी की बात करें तो समूची दुनिया में होने वाले चावल के व्यापार में भारत की हिस्सेदारी 40 प्रतिशत की है. 15 सालों की शीर्ष कीमतों ने खाद्य संकट को बढ़ा दिया है. अंतराष्ट्रीय कृषि विकास कोष का नेतृत्व करने वाले अल्वारो लॉरियो ने कहा कि चावल अफ्रीका में सामाजिक संघर्ष की वजह बन सकता है.
2008 की यादों को कर दिया है ताजा
इन निर्यात प्रतिबंधों ने इससे पहले 2008 में लगाए गए बैन की याद दिला दी है. इसने 100 मिलियन से ज्यादा लोगों को खतरे में डाल दिया था, जिसमें से कई उप सहारा अफ्रीका में थे. उन्होंने ये भी कहा कि उस वक्त एक ओर जहां भारत ने चावल पर बैन लगा दिया था वही वियतनाम ने भी बैन लगा दिया था. भोजन की कमी के कारण अशांति लगातार बढ़ गई थी. लारियो ने ये भी कहा कि ऐसे प्रतिबंध का असर लगाने वाले देश की सीमाओं से दूर देखने को मिलता है. इसका असर सबसे ज्यादा कमजोर आय के लोगों पर देखने को मिलता है. दरअसल खाद्य श्रृंखला में गेहूं से ज्यादा चावल की भूमिका है.
जुलाई में लगा दिया था चावल निर्यात पर बैन
जुलाई में गैर-बासमती चावल के निर्यात पर पूरी तरह से बैन लगा दिया गया था. केन्द्र सरकार के इस फैसले के बाद उन देशों की समस्या बढ़ गई थी जहां भारत से चावल सप्लाई होता था. इनमें सिंगापुर जैसा देश भी था लेकिन बाद में भारत ने सिंगापुर के लिए अपने बैन को वापस ले लिया था. भारत सरकार की ओर से कहा गया था कि सिंगापुर से हमारे अलग तरह के संबंध हैं ऐसे में उसे चावल सप्लाई किया जाता रहेगा. भारत ने 2022-23 में 4.2 मिलियन अमेरिकी डॉलर का चावल निर्यात किया था. जबकि 2021-22 में ये 2.62 मिलियन अमेरिकी डॉलर था.
Island City में केबल आधारित स्टील ब्रिज का निर्माण किया जा रहा है, 4 महीनों के भीतर ही पुराने Bellasis Bridge को ढहा दिया जाएगा.
मुंबई का बेलासिस ब्रिज (Bellasis Bridge) काफी पुराना हो चुका है और अब इसे बदलने की जरूरत है. इसके साथ ही मुंबई काफी तेज रफ्तार से आगे बढ़ने वाला शहर है और जितनी तेजी से ये शहर बढ़ रहा है उतनी ही तेजी से इस शहर में ट्रैफिक की समस्या भी बढ़ रही है. लेकिन अब मुंबई को ट्रैफिक की बढ़ती समस्या से निजात दिलाने के लिए एक खुबसूरत केबल ब्रिज (Cable Bridge) का निर्माण किया जा रहा है और यह ब्रिज ही मुंबई के Island City में मौजूद बेलासिस ब्रिज (Bellasis Bridge) की जगह लेगा.
ढहा दिया जाएगा Bellasis Bridge
मुंबई के भीड़ भरे Island City में केबल पर आधारित एक स्टील ब्रिज का निर्माण किया जा रहा है. आने वाले 4 महीनों के भीतर ही पुराने बेलासिस ब्रिज (Bellasis Bridge) को ढहा दिया जाएगा. आपको बता दें कि बेलासिस ब्रिज शहर के पूर्व में स्थित नागपाड़ा और पश्चिम में स्थित Tardeo नामक जगहों को आपस में जोड़ेगा. इतना ही नहीं, बेलासिस ब्रिज एक रेलवे ओवरब्रिज (ROB) की भूमिका भी निभाता है और यह रेलवे की पटरियों के ऊपर स्थित है.
क्या होगी नए पुल की खासियत?
नए पुल का डिजाईन केबल पर आधारित होगा और इन केबलों का निर्माण मजबूत स्टील से किया जाएगा जिसका फाउंडेशन कंक्रीट से बनाया जाएगा. इस पुल के दोनों कैरिजवे (गाड़ियों के चलने की जगह), पुराने पुल के मुकाबले काफी चौड़े होंगे जिससे ट्रैफिक का आवागमन ज्यादा आसानी से हो पाएगा. इसके साथ ही रेलवे की पटरियों से पुल की ऊंचाई को बढ़ाकर 6.5 मीटर कर दिया गया है. पुराना पुल रेलवे की पटरियों से 5 मीटर ऊंचा हुआ करता था. बेलासिस ब्रिज (Bellasis Bridge) की एक अन्य खासियत ये है कि इस पुल का आधा हिस्सा पश्चिमी रेलवे के न्यायक्षेत्र में आता है और बाकी बचा आधा हिस्सा BMC (वृहन् मुंबई म्युनिसिपल कारपोरेशन) के न्यायक्षेत्र में आता है. बेलासिस ब्रिज (Bellasis Bridge) को ढहाने का काम भी आधा पश्चिमी रेलवे के द्वारा और आधा BMC के द्वारा किया जाएगा.
नए पुल से क्या होगा फायदा?
नए पुल के कैरिजवे ज्यादा चौड़े हैं जिनसे ट्रैफिक का आवागमन ज्यादा सुचारू रूप से हो पाएगा और साथ ही जबरदस्त और मजबूत स्टील केबल के इस्तेमाल से इस पुल का लाइफटाइम भी ज्यादा बड़ा हो जाएगा. BMC द्वारा 65 करोड़ रुपयों की लागत से यह पुल बनाया गया है जबकि रेलवे ने इस पुल के लिए 40 करोड़ रुपयों का बजट आवंटित किया है. इसका मतलब ये है कि 105 करोड़ रुपयों की लागत से यह पुल बनाया जा रहा है.
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वित्त मंत्रालय की ओर से बजट सर्कुलर 1 सितंबर को ही जारी किया जा चुका है. ये सर्कुलर बजट के लिए जमीनी कार्य करता है.
अगले साल 28 फरवरी को पेश होने वाले बजट को लेकर बजट पूर्व चर्चा की शुरुआत 10 अक्टूबर से होने जा रही है. बजट पूर्व होने वाली चर्चा में वित्त मंत्री इंडस्ट्री से लेकर अलग-अलग संगठनों के लोगों से मुलाकात करती हैं और आने वाले बजट को लेकर उनकी उम्मीदें और सलाह शिकायतों को जानते हैं. इस बार ये विचार विमर्श और मुलाकातों को दौर 10 अक्टूबर से शुरू होने जा रहा है.
सबसे पहले अलग-अलग मंत्रालयों के साथ होगा विमर्श
10 अक्टूबर से शुरू होने वाले इस विचार विमर्श में सबसे पहले मंत्रालयों के साथ चर्चा की जाएगी. इसमें उनके 23-24 के संशोधित अनुमानों और 24-25 के बजट अनुमानों को अंतिम रूप दिया जाएगा. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इस साल बजट से पहले होने वाली चर्चाओं का कार्यक्रम आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है. साथ ही सभी मंत्रालयों और विभागों को ये भी कहा गया है कि बजट पूर्व चर्चा का डेटा केन्द्रीय बजट सूचना प्रणाली में 5 अक्टूबर तक भर दें. मंत्रालयों के साथ चर्चा का ये कार्यक्रम 5 नवंबर तक जारी रहेगा.
I सितंबर को जारी हो चुका है बजट सर्कुलर
वित्त मंत्रालय की ओर से बजट सर्कुलर को 1 सितंबर को ही जारी किया जा चुका है. बजट सर्कुलर वो दस्तावेज होता है, जिसमें अगले बजट के लिए समय सीमा का निर्धारण किया जाता है. ये दस्तावेज दरअसल एक तरह से बजट के लिए जमीनी काम करता है. यही नहीं ये वास्तविक और अनुमानित व्यय और परिव्यय के साथ सरकार द्वारा राजस्व का विवरण मांगता है.
अंतरिक बजट की हो सकती है तैयारी
2019 में हुए लोकसभा चुनाव के बाद 2024 में सरकार एक बार फिर चुनावों में जाएगी. ऐसे में पूरी संभावना है कि सरकार इस बार पूर्ण बजट की नहीं बल्कि अंतरिम बजट की तैयारी करेगी. हर पांच साल में एक बार अंतरिम बजट पेश किया जाता है. ये उसी साल पेश किया जाता है जब सरकार अपना कार्यकाल पूरा कर चुनाव में जाती है वो आखिरी वर्ष होता है. माना जाता है कि अगर सरकार बदलती है तो आने वाली नई सरकार उसके बाद पूर्ण बजट पेश करेगी.
अगस्त में टमाटर की कीमत 250 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई थी. लेकिन उसके बाद सरकार ने जब कई स्तर पर कदम उठाया तो टमाटर के दामों में कमी देखने को मिली थी.
केन्द्र सरकार अब उन इलाकों में टमाटर की खरीद किसानों से करने जा रही है जहां पर्याप्त उत्पादन के कारण कीमतें काफी कम हैं. सरकार इस खरीद से उन इलाकों में कीमतों में कमी लाने का प्रयास करेगी जहां अभी भी कीमतें ज्यादा हैं. महीना बीतने के साथ ही आने वाले दिनों में कई राज्यों में टमाटर की फसल का उत्पादन बढ़ जाएगा. सरकार को उम्मीद है कि अक्टूबर में ये 15 लाख टन पहुंचने की उम्मीद है.
किन राज्यों में बढ़ेगा टमाटर का उत्पादन?
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, के कुछ हिस्सों में टमाटर की कीमतों में कमी देखने को मिली है. जबकि आने वाले 40 दिनों में महाराष्ट्र, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और तेलंगाना में टमाटर के उत्पादन में बढ़ोतरी होने की संभावना है. सबसे दिलचस्प बात ये है कि पिछले महीने 9 लाख टन टमाटर पैदा हुआ था जबकि अगले महीने 13 लाख टन से ज्यादा टमाटर पैदा होने की उम्मीद है.
आखिर क्या है सरकार की योजना?
दरअसल इसके पीछे सरकार के दो विभाग काम कर रहे हैं. इनमें बागवानी विभाग आने वाले दिनों में उपभोक्ता मामलों के विभाग के साथ मिलकर कम आपूर्ति वाले इलाकों में ज्यादा आपूर्ति वाले इलाकों से टमाटर की सप्लाई करने की योजना पर काम कर रहा है. सरकार का खाद्य प्रसंस्करण विभाग उद्योग मंत्रालय की योजना के तहत पहले से ही आलू, प्याज, टमाटर की ढुलाई पर 50 प्रतिशत की सब्सिडी दे रहा है. बागवानी बोर्ड के अनुसार टमाटर का औसत थोक मूल्य गिरकर 30 रुपये प्रति किलोग्राम हो गया है. टमाटर का औसत मूल्य गिरकर 15.8 रुपये प्रतिकिलोग्राम हो गया है. आंकड़े ये भी बता रहे हैं कि अगस्त से सितंबर तक टमाटर के थोक मूल्य में 63.3 प्रतिशत और साल दर साल 18.4 प्रतिशत की गिरावट आई है.
अगस्त में 250 रुपये तक पहुंच गए थे टमाटर के दाम
जुलाई आखिरी से लेकर अगस्त तक बाजार में टमाटर की कीमतों में बेहद बढ़ोतरी देखने को मिली थी. 20 से 30 रुपये किलो में मिलने वाला टमाटर बाजार में 250 रुपये किलो तक बिक रहा था. पॉश इलाकों में तो टमाटर के दामों ने नया रिकॉर्ड स्थापित कर दिया था. हालांकि इसके बाद सरकार की ओर खुले बाजार में टमाटर बेचे जाने के बाद लोगों को कुछ सस्ता टमाटर मिल पाया था. सरकार के इसी हस्तक्षेप के बाद खुदरा कीमतें 3 रुपये प्रति किलो तक गिर गई थी.
कंज्यूमर्स की संख्या बढ़ाने और कंज्यूमर बेस को बढ़ाने के लिए दिल्ली के जाने-माने बाजारों को ऑनलाइन उपलब्ध करवाया गया है.
पिछले कुछ सालों के दौरान भारत में टेक्नोलॉजी का क्षेत्र काफी तेजी से विकसित हुआ है. हमारी जरूरत की हर चीज अब हम घर बैठे ऑनलाइन आर्डर करके मंगवा सकते हैं, पर दिल्ली के मशहूर चांदनी चौक बाजार (Chandni Chowk Market) में लोग शॉपिंग करने केवल ऑफलाइन ही पहुंच सकते थे. लेकिन अब दिल्ली का ये मशहूर बाजार भी ऑनलाइन पहुंच गया है.
ऑनलाइन पहुंचे दिल्ली के बाजार
कंज्यूमर्स की संख्या में वृद्धि करने और अपने कंज्यूमर बेस को बढ़ाने के लिए दिल्ली के कई जाने-माने बाजारों को ऑनलाइन उपलब्ध करवा दिया गया है. बाजारों की इस लिस्ट में दिल्ली का मशहूर चांदनी चौक बाजार (Chandni Chowk Market) भी शामिल है और अब दिल्ली बाजार (Delhi Bazaar) के नाम से यहां से ऑनलाइन शॉपिंग भी की जा सकती है. दिल्ली बाजार एक वर्चुअल जगह होगी जहां दिल्ली के मशहूर बाजार उपलब्ध होंगे और आप यहाँ से शॉपिंग कर सकते हैं. ऐसा करने की वजह से दिल्ली के इन मशहूर बाजारों को दुनिया भर से कंज्यूमर्स भी मिल पाएंगे.
ऐसे कर सकेंगे शॉपिंग
दिल्ली बाजार (Delhi Bazaar) में हर बाजार की सबसे मशहूर दुकानों को लिस्ट किया जाएगा और आपको एक ही जगह पर दिल्ली के विभिन्न बाजारों में मौजूद मशहूर दुकानों से शॉपिंग करने का आनंद मिल पाएगा. दिल्ली बाजार को भारतीय सरकार द्वारा बढ़ावा दिया जाएगा और दुनिया भर में मौजूद कोई भी व्यक्ति कहीं से भी इस पोर्टल के माध्यम से शॉपिंग कर सकता है या फिर दिल्ली के बाजारों में मिलने वाली चीजों को एक्स्प्लोर कर सकता है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि दिल्ली के क्षेत्रीय कारोबारों को सरकार द्वारा प्रमोट किया जाएगा और इन्हें ग्लोबल स्टार पर लेकर आएंगे.
ऐसी और पहलों की भी है जरूरत
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस पहल की प्रशंसा की है और भविष्य में ऐसी ज्यादा से ज्यादा पहलों के आयोजन के लिए अपनी मंशा भी प्रकट की है. इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने यह भी कहा है कि ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन विभिन्न सेक्टरों और मार्केटों के आधार पर भी किया जा सकता है जिससे विभिन्न मार्केटों में मौजूद दूकानदार और खरीदार भी एक दुसरे के साथ बातचीत कर पाएंगे. साथ ही अरविंद केजरीवाल ने यह भी कहा है कि आने वाले समय में अगर भारत चीन से आगे निकलना चाहता है तो सरकारी पहलों को ज्यादा सक्षम बनाना होगा.
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योजना के तहत जहां लोगों को स्किल ट्रेनिंग प्रदान की जाएगी वहीं इस योजना में 3 लाख रुपए तक का लोन प्रदान करने का प्रवाधान भी है.
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपना 73वां जन्मदिन मनाया था और इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने देश के कारीगरों और शिल्पकारों को एक बहुत बड़ा तोहफा दिया है. अपने जन्मदिन के मौके पर प्रधानमंत्री ने ‘पीएम विश्वकर्मा योजना’ (PM Vishwakarma) लॉन्च की है. इस योजना के लिए 13,000 करोड़ रुपयों को आवंटित किया गया है और इस योजना की बदौलत पारंपरिक रूप से कुशल लोगों को कारोबार शुरू करने में मदद मिलेगी.
PM Vishwakarma योजना
इस योजना के तहत जहां एक तरफ लोगों को स्किल ट्रेनिंग प्रदान की जाएगी वहीं दूसरी तरफ इस योजना में 2 बार 3 लाख रुपए तक का लोन प्रदान करने का प्रवाधान भी है. अब इससे पहले कि हम इस योजना से मिलने वाले लाभों के बारे में पढ़ें, आइए पहले ये जान लेते हैं कि आखिर पीएम विश्वकर्मा (PM Vishwakarma) योजना क्या है? चमड़े का काम करने, सोने के आभूषण बनाने, लोहे के औजार बनाने और बाल काटने जैसे कौशल को पारंपरिक कौशल की श्रेणी में रखा जाता है. आपको बता दें कि सरकार द्वारा इस योजना में ऐसे 18 पारंपरिक कौशलों को शामिल किया गया है और इनकी बदौलत ग्रामीण और शहरी क्षेत्र के कारीगरों और शिल्पकारों को मदद मिलेगी.
मिलेंगे 3 लाख रुपए?
पीएम विश्वकर्मा (PM Vishwakarma) योजना के तहत मिलने वाला सबसे बड़ा फायदा यह है कि अगर पारंपरिक कौशल रखने वाले किसी व्यक्ति को अपना खुद का कारोबार शुरू करना हो तो वह इस योजना के तहत लोन लेकर ऐसा कर सकता है. इस योजना के तहत पारंपरिक कौशल रखने वाले किसी भी व्यक्ति को 3 लाख तक का लोन दिए जाने का प्रावधान है. लेकिन आपको बता दें कि यह पैसे आपको दो विभिन्न चरणों में प्रदान किए जाएंगे. जहां पहले चरण में आपको सिर्फ 1 लाख रुपए तक का लोन मिलता है, वहीँ दूसरे चरण में आपको 2 लाख रुपए प्रदान किए जा सकते हैं. पारंपरिक कौशल रखने वाले शिल्पकारों और कामगारों को ये लोन 5% प्रतिवर्ष की ब्याज दर पर प्रदान करवाए जाएंगे.
स्किल ट्रेनिंग और रोजाना भत्ता
प्रधानमंत्री द्वारा लॉन्च की गई पीएम विश्वकर्मा (PM Vishwakarma) योजना की एक खास बात ये भी है कि इस योजना तहत सुनिश्चित किए गए 18 पारंपरिक कौशलों में लोगों को बेहतर बनाने के लिए मास्टर ट्रेनरों द्वारा स्किल ट्रेनिंग भी प्रदान की जाएगी. कमाल की बात ये है कि न सिर्फ स्किल ट्रेनिंग बल्कि इन लोगों को 500 रूपए प्रतिदिन का भत्ता भी प्रदान नहीं किया जाएगा. इस योजना के तहत ट्रेनिंग लेने वाले लोगों को PM विश्वकर्मा सर्टिफिकेट और ID कार्ड और टूलकिट के लिए 15,000 रूपए भी प्रदान किये जाएंगे.
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इस सुरंग में बहुत से फीचर्स ऐसे भी हैं जो इसे राष्ट्र की पहली और इकलौती ऐसे फीचर्स वाली सुरंग बनाते हैं.
अगर अभी आप गूगल मैप्स खोलकर पानीपत से लेकर दिल्ली के वसंत विहार तक का रास्ता देखें तो गूगल मैप्स आपको लगभग 2.5 घंटे का समय दिखाएगा, लेकिन अगर हम आपसे कहें कि अब आप सिर्फ 20 मिनट में यह सफर तय कर सकते हैं, तो क्या आप विश्वास करेंगे? द्वारका एक्सप्रेसवे (Dwarka Expressway) पर भारत की सबसे लंबी सुरंग बनाई जा रही है और इसी सुरंग की बदौलत यह सफर समय पर पूरा हो पाएगा.
20 लेन वाली सड़क
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने हाल ही में इस सुरंग की विशेषताओं पर खास रूप से मीडिया से बात की और जानकारी भी साझा की. यह सुरंग 3.6 किलोमीटर लंबी होगी और इसका डिजाईन भी काफी अलग होगा. इस सुरंग में बहुत से फीचर्स ऐसे भी हैं जो इसे राष्ट्र की पहली और इकलौती ऐसे फीचर्स वाली सुरंग बनाते हैं. इसके साथ ही सुरंग में 8 लेन वाली सड़क भी होगी और सुरंग के ऊपर भी एक 8 लेन वाली सड़क होगी. इतना ही नहीं, इसके स्ट्रक्चर में बारे में बात करते हुए नितिन गडकरी ने यह भी बताया कि इन 8 लेनों के अलावा दोनों तरफ 4 लेन वाली सर्विस रोड भी होगी, जिसका मतलब ये है कि इस हाईवे में कुल 20 लेन होंगी.
इन राज्यों को प्रमुख रूप से होगा फायदा
इस वक्त पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश से आने वाले यात्रियों को दिल्ली एयरपोर्ट तक पहुंचने में काफी वक्त लगता है और यह सुरंग इन यात्रियों की यात्रा को बेहतर और सुविधाजनक तो बनेगी ही साथ ही इनके सफर में लगने वाले समय को भी कम करेगी. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह सुरंग शिव मूर्ति से लेकर वसंत विहार के बीच बनाई जाएगी और इन उत्तरी राज्यों से आने वाले यात्रियों और यहां रहने वाले लोगों को भी बेहतर सुविधा प्रदान करेगी. पानीपत से दिल्ली के बीच किया जाने वाला 2 घंटों का सफर कम होकर मात्र 20 मिनट का रह जाएगा.
बेहतर आर्थिक पहलु
बात चाहे सिर्फ इस सुरंग की हो या फिर पूरे द्वारका एक्सप्रेसवे (Dwarka Expressway) की इन दोनों ही प्रोजेक्टों में आर्थिक पहलु का शानदार स्तर देखा जा सकता है. द्वारका एक्सप्रेसवे प्रोजेक्ट के दौरान लगाई गई बोलियों में 12% जितनी कमी देखने को मिली थी. यह प्रोजेक्ट लागत-प्रभाव और चुनौती भरी बोली का एक जबरदस्त उदाहरण है. आपको बता दें कि इस प्रोजेक्ट को बनाने के लिए देश की जानी-मानी कंपनियों पर भरोसा किया गया है ताकि प्रोजेक्ट समय पर पूरा हो और इसकी क्वालिटी भी शानदार हो.
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सर्वे रिपोर्ट में हाल ही में हुए जी 20 समिट का असर भी दिखाई दे रहा है. सर्वे करने वाली कंपनी का कहना है कि उसके कारण खुशी में इजाफा देखने को मिल रहा है.
सितंबर में एक बार फिर Happiness Monitor सामने आया है. इसे लेकर सर्वे रिपोर्ट कहती है कि हैप्पीनेस मॉनिटर वैसे तो पिछले महीने की तरह की स्थिर बना हुआ है लेकिन एक बार फिर भारतीयों की हैप्पीनेस का प्रमुख कारण बनकर सामने आया है वो है उनका परिवार. सर्वे रिपोर्ट कह रही है कि एक बार फिर 69 प्रतिशत लोगों ने कहा है कि वो खुश हैं. जबकि महिलाएं, छात्र, गृहणियां का हैप्पीनेस मीटर भी पहले से बेहतर निकलकर सामने आया है.
क्या कहती है सर्वे रिपोर्ट ?
Ipsos IndiaBus Happiness Monitor की ओर से जारी की गई ये रिपोर्ट बताती है कि जो लोग खुश हैं उनमें फुल टाइम स्टूडेंट 74 प्रतिशत, होममेकर 73 प्रतिशत, महिलाएं 71 प्रतिशत और उच्च शिक्षा प्राप्त लोग 70 प्रतिशत शामिल हैं. सर्वे रिपोर्ट ये भी कहती है कि टियर 1 शहरों में रह रहे 94 प्रतिशत अर्बन लोगों का कहना है कि वो अपनी जिंदगी से खुश हैं. नार्थ और वेस्ट अर्बन सिटी में रहने वाले साउथ और ईस्ट वालों से ज्यादा खुश हैं. आंकड़ा बताता है कि पश्चिम क्षेत्र में रहने वाले शहरी भारतीयों में 87% खुश थे और उसी तरह उत्तर क्षेत्र में रहने वाले लोगों में से 77% ने खुश होने का दावा किया है. जबकि दक्षिण क्षेत्र में रहने वाले केवल 54% लोग खुश थे. जबकि पूर्व की स्थिति को देखें तो केवल 1 में से 2 (50%) लोग खुश थे. यह रुझान पिछले महीने के मुकाबले सितंबर में पाया गया है.
किन वजहों से खुश हैं लोग?
Ipsos IndiaBus Happiness Monitor की रिपोर्ट बताती है कि अगर खुशी की वजहों की तरफ देखें तो आज भी परिवार ऐसी वजह बना है जिससे ज्यादा लोग खुश हैं. इसमें इस बार (1%) का इजाफा हुआ है. इसी तरह से जो लोग दुनिया की स्थिति से खुश हैं उनमें (3%) का इजाफा हुआ है. , देश की स्थिति से खुश लोगों में (2%) का इजाफा हुआ है, पड़ोसी में (1) का इजाफा देखने को मिला है. इसी तरह से स्वास्थ्य में (2%) की कमी, आर्थिक/ वित्तीय स्थितियों में (1%) की कमी, सहयोगी/ व्यापार साथी (2%) का इजाफा, रोजगार या काम में (1%) की कमी, देखने को मिली है.
क्या बोले सर्वे करने वाले?
इस सर्वेक्षण के नतीजों पर टिप्पणी करते हुए ईएसजी और सीएसआर के ग्रुप सर्विस लाइन लीडर, पब्लिक अफेयर्स, परिजात चक्रवर्ती ने कहा कि खुशी के स्तर स्थिर रहे हैं और परिवार खुशी को बढ़ावा देने के लिए सबसे बड़ी शक्ति बना हुआ है. खुशी मॉनिटर यह भी दिखाता है कि खुशी को हमारे दैनिक जीवन के विभिन्न पहलुओं से परिभाषित किया जाता है. उन्होंने कहा कि G20 समिट ने भारत और दुनिया के दृष्टिकोण पर प्रभाव डाला है और सितंबर में उसका असर सर्वे में दिखाई दे रहा है. साथ ही काम और सहयोगी और बढ़ते हुए काम के दबाव ने थोड़ी सी खुशी के स्तर को कम किया है. सर्वे बताता है कि महिलाएँ और गृहणियाँ अपने खुद के समय के साथ खुश हैं.