दरअसल जून 2020 तक देश में 12 सिलेंडरों पर सब्सिडी मिला करती थी लेकिन कोरोना प्रभाव के कारण सरकार ने इसे बंद कर दिया था. सरकार ने इस सब्सिडी को बंद कर 10 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की बचत की है.
अगले साल 2024 में चुनाव होने वाले हैं उससे पहले एक खुशखबरी निकलकर सामने आई है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार आने वाले महीनों में सरकार एक बार फिर आपके गैस सिलेंडर पर सब्सिडी फिर शुरू कर सकती है. पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय की एक कमिटी ने अपनी रिपोर्ट में सालाना 7 से 8 सिलेंडरों पर सब्सिडी देने की बात कही है. उम्मीद की जा रही है कि इस पर जल्द ही फैसला हो जाएगा.
क्या कहा कमिटी ने अपनी रिपोर्ट में
दरअसल आने वाले दिनों में केन्द्र की मोदी सरकार एक बार फिर आम लोगों को गैस सिलेंडर पर सब्सिडी देने की घोष्णा कर सकती है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार प्राकृतिक गैस एवं सब्सिडी विभाग ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि आम आदमी को 7 से 8 सिलेंडरों पर सब्सिडी दी जा सकती है. माना जा रहा है कि सरकार समिति के इस प्रस्ताव को मान सकती है. सरकार गरीब परिवारों के लिए उज्जवला गैस सिलेंडर की योजना शुरू की थी. सरकार की ओर से अब तक 9 करोड़ से ज्यादा परिवारों को ये सिलेंडर दिए गए थे. एक आंकड़े के अनुसार आज देश के 30 करोड़ परिवारों के पास गैस सिलेंडर हैं. अगर ऐसा होता है तो आम आदमी को बड़ी राहत मिलेगी.
पहले 12 सिलेंडरों पर मिलती थी सब्सिडी
सरकार की ओर से सभी लोगों को गैस सिलेडर पर सब्सिडी दी जाती थी. सरकार ने जब से डीबीटी के जरिए इस योजना को शुरू किया तब से सिलेंडर के पूरे पैसे देने बाद सब्सिडी एकाउंट में वापस आ जाती थी. सरकार कोरोना से पहले 12 सिलेंडरों पर सब्सिडी दिया करती थी. अब मीडिया रिपोर्ट का कहना कि सरकार सिर्फ 8-9 सिलेंडरों पर ही सब्सिडी देने के बारे में विचार कर रही है. रिपोर्ट ये भी कह रही है कि अमीरों से सब्सिडी छोड़ने की अपील भी की जाएगी, जिससे जिस किसी को भी इसकी आवश्यकता न हो वो इसका इस्तेमाल न करे.
कब से बंद है सब्सिडी
दरअसल वर्ष जून 2020 में कोरोना की पहली लहर के बाद से ही गैस पर मिलने वाली सब्सिडी को बंद कर दिया था. सरकार ने जून 2020 के बाद से कोई भी सब्सिडी जारी नहीं की है. सरकार की ओर से जिन लोगों को उज्ज्वला गैस सिलेंडर दिए जाते थे उन्हें 200 रुपये की सब्सिडी मिलती थी. सरकार ने 2021-22 में सब्सिडी न देकर 11554 करोड़ रुपये की बचत की थी. इस अवधि में सरकार ने सिर्फ 242 करोड़ रुपये की ही सब्सिडी दी थी.
यदि आप होम लोन लेने का सोच रहे हैं, तो हम आपको यहां कुछ ऐसे बैंकों के बारे में बता रहे हैं जिनकी ब्याज दरें दूसरों के मुकाबले कम हैं.
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने हाल ही में हुई मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में नीतिगत ब्याज दरों को यथावत रखने का फैसला लिया है. यानी RBI ने रेपो रेट में वृद्धि नहीं की है, जिसके चलते लोन महंगा नहीं हुआ है. लिहाजा यदि आप अपने सपनों का घर खरीदने के लिए Home Loan लेना चाहते हैं, तो ये सबसे सही समय है. होम लोन लेते समय कई जरूरी बातों का ध्यान रखना पड़ता है. सबसे जरूरी और महत्वपूर्ण तो यही है कि लोन के लिए ऐसे बैंक का चुनाव करना, जिसकी ब्याज दरें सबसे कम हों.
इस पर तय होती हैं दरें
यहां हम आपको ऐसे 10 बैंकों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो सबसे कम ब्याज दरों पर होम लोन ऑफर कर रहे हैं. लेकिन उससे पहले कुछ महत्वपूर्ण जानकारी भी आपको बता देते हैं. होम लोन पर ब्याज दर लागू करने के लिए RBI ने 2010 में बेस लेंडिंग रेट यानी BLR सिस्टम लागू किया था. 2016 में इसे मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स-बेस्ड लेंडिंग रेट (MCLR) के तब्दील कर दिया गया. इसके बाद अक्टूबर 2019 से आरबीआई ने रेपो लिंक्ड लैंडिंग रेट या RLLR को लागू कर दिया. बैंक इसी के आधार पर होम लोन पर ब्याज दर निर्धारित करते हैं.
सबसे कम ब्याज दर पर होम लोन देने वाले 10 बैंक*
इंडियन बैंक: न्यूनतम ब्याज दर 8.45% और अधिकतम ब्याज दर 9.1%
HDFC बैंक: न्यूनतम ब्याज दर 8.45% और अधिकतम ब्याज दर 9.85%
इंडसइंड बैंक: न्यूनतम ब्याज दर 8.5% और अधिकतम ब्याज दर 9.75%
पंजाब नेशनल बैंक: न्यूनतम ब्याज दर 8.6% और अधिकतम ब्याज दर 9.45%
बैंक ऑफ महाराष्ट्र: न्यूनतम ब्याज दर 8.6% और अधितम ब्याज दर 10.3%.
बैंक ऑफ बड़ौदा: न्यूनतम ब्याज दर 8.6% और अधिकतम ब्याज दर 10.5%.
बैंक ऑफ इंडिया: न्यूनतम ब्याज दर 8.65% और अधिकतम ब्याज दर 10.6%.
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया: न्यूनतम ब्याज दर 8.75% और अधिकतम ब्याज दर 10.5%.
कर्नाटक बैंक: न्यूनतम ब्याज दर 8.75% और अधिकमत ब्याज दर 10.43%.
कोटक महिंद्रा बैंक: न्यूनतम ब्याज दर 8.85% और अधितम ब्याज दर 9.35%.
*उपरोक्त जानकारी 1 जून के आंकड़ों के अनुसार है.
इनका भी रखें ध्यान
ऊपर बताए गए बैंक कम रेट पर होम लोन ऑफर कर रहे हैं, लेकिन ब्याज दर कम होना या बढ़ना कई दूसरे फैक्टर्स पर भी निर्भर करता है. उदाहरण के लिए, लोन लेने वाले का क्रेडिट स्कोर, लोन की अवधि और लोन की राशि. आपको यह भी पता होना चाहिए कि Home Loan में ब्याज दर के अलावा कई अतिरिक्त शुल्क भी लागू होते हैं, जैसे प्रोसेसिंग फीस, स्टांप फीस, मूल्यांकन शुल्क और कुछ अन्य शुल्क. लिहाजा, होम लोन लेते समय इन बातों का भी ध्यान रखना रखें.
बहुत से लोग ऐसे भी हैं जिनके पास एक नहीं बल्कि बहुत से बैंक अकाउंट्स होते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं एक व्यक्ति कितने खाते खुलवा सकता है?
आजकल बैंक अकाउंट होना एक बहुत ही आम बात है. जैसे ही बच्चे की स्कूली शिक्षा शुरू होती है, वैसे ही उसका भी एक बैंक अकाउंट खुलवा दिया जाता है. बैंक में आपका पैसा सुरक्षित रहता है और जमा किए गए पैसे पर आपको ब्याज भी मिलता है. इसके साथ ही एक बैंक अकाउंट आपकी लेन-देन की प्रक्रिया को भी काफी आरामदायक और आसन बना देता है.
एक व्यक्ति विभिन्न अकाउंट्स
आपने अलग अलग तरह के बैंक अकाउंट्स के बारे में भी सुना ही होगा. जहां किसी व्यक्ति के पास सैलरी अकाउंट होता है तो किसी के पास सेविंग्स अकाउंट वहीं किसी-किसी के पास करंट अकाउंट भी देखने को मिलता है. दूसरी तरफ बहुत से लोग ऐसे भी हैं जिनके पास एक नहीं बल्कि बहुत से बैंकों के अकाउंट्स होते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं एक व्यक्ति कितने बैंकों में खाता खुलवा सकता है?
कितनी तरह के होते हैं बैंक अकाउंट्स?
अब सबसे पहले सवाल उठता है कि बैंक अकाउंट कितने प्रकार के होते हैं? जैसा हमने आपको ऊपर बताया, बैंक अकाउंट्स कई प्रकार के होते हैं जिनमें सेविंग्स, करंट, सैलरी, और जॉइंट अकाउंट भी होता है. अब हम आपको हर एक अकाउंट के बारे में थोड़ा-थोड़ा बता देते हैं. ज्यादातर लोग बैंक में सेविंग्स अकाउंट ही खुलवाते हैं और यह अकाउंट एक छोटे बिजनेस से लेकर नौकरी करने वाले या फिर किसी हाउसवाइफ तक किसी का भी हो सकता है.
क्या होते हैं सैलरिड और जॉइंट अकाउंट्स?
सैलरी या सैलरिड बैंक अकाउंट मुख्य रूप से उन लोगों के लिए ही होता है जो नौकरीपेशा हैं. इसका मतलब यह है कि जिन लोगों की सैलरी हर महीने आती है ये अकाउंट मुख्य रूप से उनके लिए ही प्रदान किए जाते हैं. अगर आपकी सैलरी नियमित तौर पर आ रही है तो आपको इस अकाउंट में किसी प्रकार का न्यूनतम बैलेंस रखने की जरूरत नहीं होती है. इसके साथ ही यह अकाउंट अस्थाई होता है. जिसका मतलब ये है कि आप जब नौकरी बदलते हैं तो आप इस अकाउंट को भी बदल सकते हैं. अब बात करते हैं जॉइंट अकाउंट के बारे में. जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है कि यह अकाउंट एक नहीं बल्कि दो लोगों या फिर कभी-कभी पूरे परिवार का भी हो सकता है. इस अकाउंट में भी बहुत से फायदे प्रदान किए जाते हैं.
एक व्यक्ति के पास कितने अकाउंट्स?
हालांकि भारत में एक व्यक्ति द्वारा विभिन्न अकाउंट्स रखने पर प्रतिबंध नहीं है लेकिन फिर भी एक्सपर्ट्स का मानना है कि बहुत सारे बैंक अकाउंट्स रखने से आपको परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. एक्सपर्ट्स की मानें तो एक व्यक्ति को दो से ज्यादा बैंक अकाउंट्स नहीं रखने चाहिए. लोगों को अपने बैंक अकाउंट्स की संख्या अपनी जरूरत के हिसाब से चुननी चाहिए. दरअसल आपको अपने बैंक अकाउंट में एक न्यूनतम राशि स्थायी रूप से बनाए रखनी पड़ती है और इसीलिए एक्सपर्ट्स कहते हैं कि आपको दो से ज्यादा बैंक अकाउंट्स नहीं रखने चाहिए.
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क्रेडिट कार्ड्स पर मिलने वाला यह फीचर आपके लिए काफी उपयोगी साबित हो सकता है और मुसीबत के समय में यह आपको परेशानी से बचा सकता है.
पिछले कुछ सालों के दौरान भारत में बहुत से एक्सप्रेस-वे का निर्माण किया गया है जिससे सड़क द्वारा देश के किसी भी कोने में यात्रा करना बहुत ही आसान हो गया है. हर व्यक्ति को एक्सप्रेस-वे या फिर किसी भी भी बड़े हाईवे पर यात्रा करते हुए कार खराब होने का डर सताता रहता है. लेकिन क्या आप जानते हैं, कि कार खराब होने की स्थिति में आपकी जेब में पड़ा क्रेडिट कार्ड आपके लिए एक वरदान साबित हो सकता है?
क्रेडिट कार्ड कैसे करेगा मदद?
एक्सप्रेस-वे या फिर हाईवे पर यात्रा करते समय कार खराब होना या फिर टायर पंक्चर हो जाना या फिर पेट्रोल खत्म हो जाना काफी आम बात है. आपके साथ भी कभी न कभी ऐसा जरूर हुआ होगा और अगर आपके साथ ऐसा नहीं हुआ तो आपको ऐसी किसी मुश्किल परिस्थिति के लिए पहले से ही तैयार रहना चाहिए. जब भी ऐसा कुछ होता है तो घबराहट में आकर अक्सर हम सबसे आसान और उपलब्ध विकल्पों को भूल जाते हैं. ज्यादातर लोग क्रेडिट कार्ड को सिर्फ एक वायरलेस पेमेंट विकल्प के रूप में ही देखते हैं. लेकिन ऐसा नहीं है, आप क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल बहुत सी अन्य चीजों के लिए भी कर सकते हैं और ज्यादातर लोगों को पता नहीं होता कि कुछ क्रेडिट कार्ड्स मुफ्त में 'रोडसाइड असिस्टेंस' भी प्रदान करते हैं.
क्यों ज्यादा बेहतर है यह विकल्प?
क्रेडिट कार्ड्स पर मिलने वाला यह फीचर आपके लिए काफी उपयोगी साबित हो सकता है और मुसीबत के समय में यह आपके पैसे, समय और आपको परेशान होने से भी बचा सकता है. पहले ये जान लेते हैं कि ‘रोडसाइड असिस्टेंस’ क्या होता है? जब भी आप सड़क किनारे किसी मुसीबत में फंस जाते हैं तो रोडसाइड असिस्टेंस आपके सबसे अच्छे दोस्त के रूप में आपकी मदद करता है. रोडसाइड असिस्टेंस में टोइंग, बैटरी जम्पस्टार्ट करने, टायर बदलने, पेट्रोल की डिलीवरी करने, कार के बाहर लॉकआउट हो जाने में मदद करने जैसी सुविधाएं शामिल हैं. इतना ही नहीं, अगर आपकी कार पूरी तरह बंद पड़ जाती है तो रोडसाइड असिस्टेंस सर्विस में आपको एक बैकअप वाहन और सबसे करीबी शहर में आपको होटल भी प्रदान करवाया जाता है.
जेब से न करें खर्च, क्रेडिट कार्ड का उठाएं फायदा
इन सभी सेवाओं का मकसद मुसीबत के समय में आपको जल्द से जल्द मदद मुहैया करवाना है ताकि आपको किसी तरह कि परेशानी न हो. क्रेडिट कार्ड के माध्यम से ‘रोडसाइड असिस्टेंस’ की सुविधा को इस्तेमाल करने का एक सबसे बड़ा फायदा कीमतों पर होने वाली बचत भी है. रोडसाइड सुविधाओं के लिए अपनी जेब से पैसे खर्च करने कि बजाय आप अपने क्रेडिट कार्ड के साथ मुफ्त में मिलने वाली असिस्टेंस सुविधाओं का फायदा उठा सकते हैं. ये सुवधा आपके लिए तब और ज्यादा फायदेमंद हो जाती जब आपके पास पहले से किसी रोडसाइड असिस्टेंस सुविधा की मेम्बरशिप उपलब्ध न हो या फिर आपकी मेम्बरशिप खत्म हो गई हो.
इस तरह मुफ्त में प्राप्त करें रोडसाइड असिस्टेंस
अपने क्रेडिट पर प्रदान की जाने वाली मुफ्त रोडसाइड असिस्टेंस सुविधा का इस्तेमाल करने के लिए आपको क्रेडिट कार्ड जारी करने वाली कंपनी की हेल्पलाइन पर कॉल करना होगा. कॉल करने पर फोन की दूसरी तरफ ब्रेकडाउन असिस्टेंस प्रदान करने वाली कंपनी में काम करने वाला एक व्यक्ति आप से बात करेगा. इस कंपनी के साथ आपके बैंक ने टाई-अप किया होता है. कॉल करने के बाद आपको अपनी क्रेडिट कार्ड डिटेल्स तैयार रखनी चाहिए और साथ ही आप कहां हैं, आप किस प्रकार की समस्या में हैं और अन्य प्रकार की जरूरी जानकारी भी तैयार रखनी चाहिए. यह असिस्टेंस प्रोवाइडर आपको आवश्यक मदद प्रदान करवाता है.
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विश्व तंबाकू दिवस पर केन्द्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी OTT प्लेटफॉर्म अमेजन प्राइम, नेटफ्लिक्स से लेकर हॉटस्टार के लिए स्मोकिंग से जुड़ी नई एडवाइजरी जारी की है.
आज विश्व तंबाकू निषेध दिवस के मौके पर स्वास्थ्य मंत्री की ओर से नई गाइडलाइन जारी की गई है. इस गाइडलाइन में ओटीटी पर स्मोकिंग को लेकर नई तरह की चेतावनी दिखानी होगी. सरकार ने गजट नोटिफिकेशन के जरिए इसकी जानकारी प्रकाशित करते हुए ये सबकुछ बताया है. सरकार की ओर से जारी की गई इस अधिसूचना में जो विशेष बात है वो ये है कि अगर ऑनलाइन प्लेटफॉर्म की ओर से इसका पालन नहीं किया गया तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.
30 सेकेंड तक जारी करनी होगी चेतावनी
अगर आज आप सिनेमाघरों में फिल्म देखने के लिए जाते थे तो आपने गौर किया होगा कि फिल्म शुरू होने से पहले आपको 30 सेकेंड की एडवाइजरी देखने को मिलती है. लेकिन अभी तक ये नियम ओटीटी पर नहीं था अब सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसे ओटीटी के लिए भी जारी कर दिया है. अब ये नियम देश में सभी ओटीटी प्लेटफॉर्म को पालन करना होगा.
हर ऐसे सीन पर दिखानी होगी वार्निंग
सरकार की ओर से जारी की गई इस एडवाइजरी में ये भी साफ कहा गया है कि जब कभी भी जब कभी भी फिल्म या किसी भी प्रकार के दूसरे सीन में तंबाकू या उससे जुड़े साधनों का इस्तेमाल होगा तो उस पर भी आपको फिल्म में नीचे एडवाइजरी चलनी चाहिए. जोकि पूरी तरह से दिखाई देने वाली हो. इसके अतिरिक्त फिल्म के शुरू या अंत में इस तरह की गाइडलाइन को दिखाना जरूरी है.
कई अन्य मंत्रालयों से चर्चा के बाद लिया गया निर्णय
स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी की गई इस एडवाइजरी में साफतौर पर कहा गया है कि किसी भी तरह के उत्पाद का इस्तेमाल करते वक्त उसके प्रमोशन का प्रयास न किया गया हो मसलन अगर सिगरेट का इस्तेमाल हो रहा है तो वो किस कंपनी की है ये भी नहीं दिखाया जाना है. दूसरी सबसे महत्वपूर्ण बात ये भी है कि सरकार ने ये फैसला सभी मंत्रालयों से विमर्श के बाद लिया है. इसमें सूचना प्रसारण जैसे अहम मंत्रालय शामिल हैं.
अगर आप भी आने वाले दिनों में किसी के रिश्तेदार या दोस्त के नोट बदलवाने या उन्हें अपने एकाउंट में जमा करवाने के लिए जाने वाले हैं तो सतर्क हो जाइए.
आरबीआई ने 2000 के नोटों को वापस लेने का जो फैसला लिया उसके बाद अब आम आदमी बैंक से नोट बदल रहा है. लेकिन क्या आप भी अपने किसी परिचित या जानने वाले के नोट बदलने के लिए बैंक जाने की योजना बना रहे हैं. अगर ऐसा है तो हो जाइए सावधान. आज अपनी इस खबर में हम आपको यही जानकारी देने जा रहे हैं कि आखिर अगर कोई आपको नोट जमा करने को दे तो आपको क्या करना चाहिए.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार एक्सपर्ट कहते हैं कि अभी क्योंकि नोटों को बदलने का काम चल रहा है. ऐसे में बेहतर यही होगा कि आप नोटों को बदलने के लिए बैंक में ही जाएं. अगर आप किसी और के पैसे जमा करते हैं तो आपसे वहां सवाल पूछे जा सकते हैं. आजकल आपके खाता पैन और आधार से लिंक है तो ऐसे में एकाउंट में बार-बार पैसा जमा करने में आपको परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. आपसे सवाल पूछा जा सकता है.
ये भी न करें उपाय
पिछली नोटबंदी में यही देखने को मिला था कि ऐसे ऐसे लोगों के खातों में ज्यादा पैसे आ गए थे जिनकी उतनी न तो आय थी और न ही. उसके बाद उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ा. ऐसे ही अगर आप सोच रहे हैं कि आप 10-10 हजार रुपये करके एकाउंट में पैसे जमा कर देंगे तो उसमें भी आप परेशानी में पड़ सकते हैं. इसलिए बेहतर यही होगा कि आप दूसरे के नोट जमा ना कराएं.
30 सितंबर तक जमा होने हैं नोट
19 मई की शाम को आरबीआई का बड़ा फैसला ये निकलकर सामने आया था कि 2000 के नोट लीगल टेंडर नहीं रहेंगे. हालांकि आरबीआई ने ये भी कहा था कि 30 सितंबर तक नोट पहले की तरह चलते रहेंगे. ऐसे में इन दिनों देश के सभी बैंकों में नोटों को बदलने का कार्यक्रम आसानी से आगे बढ़ रहा है. ऐसे में आप भी अपने नोटों को बदल सकते हैं या एकाउंट में जमा करा सकते हैं.
ये लगातार चौथा साल है जब बिजली के दामों में किसी तरह का इजाफा नहीं हुआ है. 2019 में आखिरी बार इजाफा हुआ था.
यूपी में बिजली के दामों को बढ़ाये जाने के मामले को लेकर आम आदमी को बड़ी राहत मिली है. UPPCL की ओर से प्रस्ताव दिया गया था कि बिजली के दामों में इजाफा किया जाना चाहिए, क्योंकि उसे बिजली चोरी से लेकर दूसरी चीजों का उसे काफी नुकसान हो रहा है. लेकिन नियामक आयोग ने गुरुवार को सुनवाई करते हुए UPPCL के प्रस्ताव को पूरी तरह से खारिज कर दिया है. नियामक आयोग के इस फैसले ने राज्य की जनता को बड़ी राहत दी है. यूपी में पहले से ही बिजली के दाम काफी ज्यादा है.
पिछले ही साल हुआ है बिजली के दामों में इजाफा
UPPCL की ओर से पिछले ही साल बिजली के दामों में इजाफा किया गया है. 2019 में दाम बढ़ाए जाने के बाद पिछले साल 15 से 20 प्रतिशत तक का इजाफे का प्रस्ताव लाया गया था, जो खारिज हो गया था. 2019 में जब दामों में इजाफा हुआ था उस वक्त इसे लेकर सियासत भी खूब गर्मा गई थी. लोगों ने भी इसे लेकर काफी नाराजगी जाहिर की थी लेकिन सरकार ने बिजली कंपनियो के घाटे की बात कहकर बढ़ोतरी को जायज ठहरा दिया था. उसके बाद इस साल फिर से UPPCL ने दामों में इजाफा करने को लेकर आवेदन दिया था जिसे विद्युत नियामक आयोग ने खारिज कर दिया है. बिजली कंपनियों की ओर से इस बार भी 18 से 23 प्रतिशत तक दामों को बढ़ाने का फैसला दिया गया था.
बिजली कंपनियों ने ये दी थी दलील
बिजली कंपनियों की ओर से कहा गया था पूरे साल भर प्रदेश में बिजली खरीदने के लिए कंपनियों को 92564 करोड़ रुपये की जरूरत होगी. लेकिन आयोग ने इस खर्च को मानने से मना करते हुए कहा कि पूरे साल बिजली के लिए कंपनियों को 86579 करोड़ रुपये की जरूरत होगी. बिजली कंपनियों की ओर से कहा गया था कि पूरे साल बिजली खरीदने पर 140 बिलियन यूनिट बिजली खरीदनी पड़ेगी जबकि नियामक आयोग ने इसे केवल 133 बिलियन ही बताया. बिजली कंपनियों ने ये भी कहा था कि लाइन लॉस करीब 14 फीसदी से ज्यादा आएगा, जबकि इसे भी खारिज करते हुए नियामक ने कहा कि 10 फीसदी ही लाइन लॉस आएगा. लाइन लॉस कम करते ही विभाग का घाटा भी कम हो जाएगा.
बिजली कर्मचारियों के वहां लगेगा मीटर
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार ने बताया कि हर किसी को अपने वहां बिजली का मीटर लगाया जाना अनिवार्य है ऐसे में नियामक आयोग ने बिजली कर्मचारियों को भी मीटर लगाने का निर्देश दिया है. यही नहीं नोएडा पॉवर कंपनी के दामों में कमी की गई है. यहां घरेलू बिजली की अधिकतम दर 6.50 रुपये होगी. अवधेश कुमार ने ये भी बताया कि बिजली कंपनियों पर उपभोक्ताओं का 7988 करोड़ रुपया बकाया निकला है. दावा ये भी किया जा रहा है कि उपभोक्ताओं का जितना पैसा बिजली कंपनियों के पास है उसके अनुसार तो 10 साल तक राज्य में बिजली के दामों में इजाफा नहीं हो सकता है.
RBI ने ये फैसला क्लीन नोट पॉलिसी के तहत लिया है, 2000 रुपये के नोट को आम आदमी 30 सितंबर तक बैंक में जमा कर सकता है.
देश में हुई नोटबंदी के बाद अब भारतीय रिजर्व बैंक ने 2000 रुपये के नोट को लेकर बड़ा फैसला किया है. रिजर्व बैंक के अनुसार 2000 रुपये का नोट अब लीगल टेंडर नहीं रहेगा. रिजर्व बैंक ने सभी बैंकों को सूचना जारी की है कि वो अब 2000 रुपये का नोट जारी न करे. आरबीआई ने इसे सर्कुलेशन से बाहर कर दिया है. आरबीआई ने ये फैसला क्लीन नोट पॉलिसी के तहत लिया है. अगर आपके पास भी 2000 रुपये का नोट है तो आप उसे 30 सितंबर तक बैंक में जमा कर सकते हैं. हालांकि आरबीआई ने ये भी कहा है कि ये फिलहाल लीगल टेंडर रहेगा.
कब से शुरु होगी नोट जमा कराने की प्रक्रिया
आरबीआई की ओर से दी गई सूचना के अनुसार नोटों को जमा कराने की प्रक्रिया 23 मई से शुरू होगी. 23 मई से लोग अलग-अलग बैंकों में जमा करा सकते हैं. आप एक बार में 20000 रुपये तक नोट बैंक से वापस ले सकते हैं. हालांकि आरबीआई की ओर से ये भी कहा गया है कि इन नोटों को लाने का मकसद उस दिन पूरा हो गया था जिस दिन दूसरी वैल्यू के बैंक नोट आम आदमी के लिए आसानी से सुलभ हो गए थे.
2018-19 में ही बंद हो गई थी नोटों की छपाई
आरबीआई की ओर से जारी की गई रिलीज में साफ तौर पर कहा गया है कि 2000 रुपये के नोटों की छपाई 2018-19 में ही बंद कर दी गई थी. 2000 के 89 फीसदी से ज्यादा नोट वर्ष 2017 से पहले ही जारी किए जा चुके हैं. आरबीआई की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार 31 मार्च 2018 को बाजार में 6.73 लाख करोड़ के 2000 रुपये के नोट सर्कूलेशन में थे जोकि 31 मार्च 2023 तक 3.62 लाख करोड़ रुपये के स्तर तक आ गए थे. आरबीआई ने ये भी बताया है कि मौजूदा सर्कुलेटेड करेंसी का केवल 10.8 फीसदी है.आरबीआई ने ये भी कहा है कि मौजूदा समय में 2000 के नोटों का इस्तेमाल कम ही देखा जा रहा है.
बैंकों में ना लगे भीड़
आरबीआई की ओर से इस बार कई तरह की विशेष जानकारी दी गई है.सेंट्रल बैंक ने कहा है कि कोई भी व्यक्ति बैंक जाकर वहां जाकर नोटों को या तो जमा करा सकता है या फिर एक्सचेंज कर सकता है. लेकिन ये प्रक्रिया 23 मईै से शुरू होगी. आरबीआई की ओर से दी गई इस स्पष्ट जानकारी का मकसद ये है कि आप बैंकों में किसी तरह की भीड़ ना लगाएं.
इस फैसले से सरकार के 16 लाख कर्मचारियों को फायदा होगा वहीं 11.5 लाख पेंशनर्स को भी इस फैसले से फायदा हो सकता है.
बढ़ती हुई महंगाई का बेसिक कमाई पर कोई प्रभाव ना पड़े इसके लिए सरकार द्वारा अपने कर्मचारियों को DA (डियरनेस अलाउंस) दिया जाता है. इसी तरह सरकारी पेंशनर्स को सरकार द्वारा महंगाई से बचने के लिए जो खर्चा दिया जाता है उसे DR (डियरनेस रिलीफ) कहते हैं. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो ऐसी खबरें सामने आ रही हैं जिनमें दावा किया जा रहा है कि जल्द ही कर्मचारियों को अपने DA में बढ़ोत्तरी देखने को मिल सकती है.
किसे होगा कितना फायदा?
दरअसल उत्तर प्रदेश सरकार ने फैसला किया है कि वह राज्य के कर्मचारियों और पेंशनर्स के DA और DR में 4% की बढ़ोत्तरी करने वाली है. DA और DR में हुई यह बढ़ोत्तरी 1 जनवरी 2023 से प्रभावशाली मानी जायेगी. रिपोर्ट्स की मानें तो सरकार द्वारा DA/DR में 4% की बढ़ोत्तरी के बाद DA/DR रेट 38% से बढ़कर 42% हो जाएगा. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने DA/DR बढ़ाए जाने के इस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर भी कर दिए हैं. जहां इस फैसले से राज्य सरकार के 16 लाख कर्मचारियों को फायदा होगा वहीं 11.5 लाख पेंशनर्स को भी इस फैसले से फायदा हो सकता है.
केंद्र भी कर चुका है बढ़ोत्तरी
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि हाल ही में 24 मार्च को केंद्र सरकार ने भी सरकारी कर्मचारियों और पेंशनर्स के DA/DR में बढ़ोत्तरी की थी जिसके बाद DA/DR का रेट बढ़कर 42% पहुंच गया था. अब केंद्र के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने भी अपने कर्मचारियों और पेंशनर्स के DA/DR में 4% की बढ़ोत्तरी कर दी है. आपको बता दें कि DA/DR को CPI-IW (कंज्यूमर प्राइज इंडेक्स फॉर इंडस्ट्रियल वर्कर्स) के आधार पर कैलकुलेट किया जाता है.
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अगर ऐसा हो जाता है तो रोजमर्रा के इस्तेमाल में आने वाले साबुन, शैम्पू और डिटर्जेंट की कीमतों में वृद्धि देखने को मिलेगी.
हाल ही में ऐसी रिपोर्ट्स सामने आयीं थीं जिनमें महंगाई कम होने का दावा किया जा रहा था. कम होती महंगाई के बीच सरकार ने एक ऐसा फैसला लिया है जिसकी बदौलत घरों में इस्तेमाल होने वाले डिटर्जेंट, शैम्पू और साबुन की कीमतों में जबरदस्त वृद्धि देखने को मिल सकती है. आइये जानते हैं कैसे?
क्या है पूरा मामला?
दरअसल भारत सरकार के सामने डिटर्जेंट, शैम्पू और साबुन जैसे उत्पादों में इस्तेमाल किये जाने वाले कच्चे माल यानी सैचुरेटेड फैटी ऐल्कोहल पर ऐंटी डंपिंग ड्यूटी (Anti Dumping Duty) और काउंटरवेलिंग ड्यूटी (CounterVailing Duty) लगाने का प्रस्ताव पेश किया गया है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अगर ऐसा हो जाता है तो रोजमर्रा के इस्तेमाल में आने वाले साबुन, शैम्पू और डिटर्जेंट की कीमतों में वृद्धि देखने को मिलेगी.
ड्यूटीज से कैसे बढ़ेंगी मुश्किलें?
जहां एक तरफ भारत सरकार के सामने यह प्रस्ताव रखा गया है वहीं दूसरी तरफ ISG यानी इंडियन सेर्फेक्टेंट ग्रुप ने वित्त मंत्री से गुहार भी लगाई है कि वह ऐसा न करें. मीडिया द्वारा जारी की गयी रिपोर्ट्स की मानें तो ISG में संयोजक के पद पर कार्यरत मनोज झा ने वित्त मंत्री को इस विषय में पत्र लिखकर कहा है कि अगर कच्चे माल पर यह ड्यूटीज लगा दी जाती हैं तो इसे ल्खारीदने वाली कंपनियों के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं.
कहां से शुरू हुई कहानी?
पत्र में लिखा गया है कि इन ड्यूटीज के लगने से कंपनियों पर दबाव बढ़ेगा और खुद को प्रॉफिटेबल बनाये रखने के लिए अपने बिजनेस में कटौती करनी पड़ सकती है जिसके लिए कंपनियों को छंटनी भी करनी होगी. कुछ समय पहली ही कॉमर्स मंत्रालय के डायरेक्टरेट जनरल ऑफ ट्रेड रेमेडीज ने यह सुझाव दिया था कि इंडोनेशिया, थाईलैंड और मलेशिया से इम्पोर्ट किये जाने वाले SFA (सैचुरेटेड फैटी एल्कोहल्स) पर महंगी ऐंटी डंपिंग ड्यूटी और काउंटरवेलिंग ड्यूटी लगाई जाए.
क्यों लगायी जाती है ड्यूटीज?
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इम्पोर्ट किये गए किसी भी प्रोडक्ट पर काउंटरवेलिंग ड्यूटी इसलिए लगाई जाती है ताकि वह भारत में बनने वाले स्वदेशी उत्पादों को कम्पटीशन से बाहर ना कर दें. ISG ने वित्त मंत्री से गुहार लगाते हुए कहा है कि भारत में कंज्यूमर इन्फ्लेशन रेट पहले से ही बहुत ज्यादा है ऐसे में अगर दाम बढ़ते हैं तो परेशानी हो सकती है. फिलहाल FTA (मुक्त व्यापार समझौते) के अंतर्गत SLS यानी सोडियम लौरेथ सल्फेट पर 5% की ड्यूटी देनी पड़ती है जबकि SFA को इससे कहीं ज्यादा ड्यूटी का भुगतान करना पड़ता है.
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पैसा जिसपर दावा करने वाले लोग लम्बे समय तक सामने नहीं आये हैं, ऐसे पैसे को अब बैंकों द्वारा उनका उचित दावेदार ढूंढ़कर लौटा दिया जाएगा.
देश के बहुत से बैंकों में पैसा जमा किया जाता है लेकिन कुछ अकाउंट ऐसे होते हैं जिनका कोई उत्तराधिकारी नहीं होता. ऐसे ही कुछ अकाउंटों में जमा पैसों को उनके सही मालिक तक पहुंचाने के लिए देश के केंद्रीय बैंक RBI (रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया) ने एक कैम्पेन की शुरुआत की है.
क्या है ‘100 Days 100 Pays’?
देश के बैंकों में जमा वह पैसा जिसपर दावा करने वाले लोग लम्बे समय तक सामने नहीं आये हैं, ऐसे पैसे को अब बैंकों द्वारा उनका उचित दावेदार ढूंढ़कर लौटा दिया जाएगा. RBI द्वारा इसी संबंध में देश भर में स्थित बैंकों के लिए एक कैम्पेन शुरू किया गया है जिसका नाम ‘100 Days 100 Pays’ है. इस कैम्पेन के अंतर्गत देश के हर जिले में मौजूद हर बैंक को 100 सबसे बड़े ऐसे अकाउंटों की पहचान करनी होगी जिनमें जमा किये गए पैसों पर दावा नहीं किया गया है. पहचान करने के बाद बैंकों के बाद इन अकाउंटों के दावेदारों की खोज करनी होगी जिसके बाद 100 दिनों के अन्दर ही बैंकों द्वारा पैसे को वापस करना होगा.
क्या होता है लावारिस अकाउंट या पैसा?
रिजर्व बैंक ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा है कि यह कैम्पेन 1 जून से शुरू किया जाएगा. जिसका मतलब यह है कि बैंकों के पास, लावारिस अकाउंटों की पहचान करके उस अकाउंट में जमा पैसों को उनके उचित दावेदार तक वापस पहुंचाने के लिए, सितम्बर के महीने के दूसरे सप्ताह के आखिरी दिन तक का समय होगा. आमतौर पर किसी बैंक के सेविंग्स या करेंट अकाउंट में जमा किये गए पैसे पर जब 10 सालों तक किसी प्रकार की कोई ट्रांजेक्शन नहीं होती तो उस बैंक में जमा पैसों को लावारिस घोषित कर दिया जाता है. इसके अलावा, अगर टर्म डिपॉजिट की 10 सालों की अवधि पूरी होने के बाद उन पैसों पर भी दावा नहीं किया जाता तो उन्हें भी लावारिस घोषित कर दिया जाता है.
वित्त मंत्री ने क्या कहा?
FSDC (फाइनेंशियल स्टेबिलिटी एंड डेवलपमेंट काउंसिल) की मीटिंग में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बैंकों से लावारिस पड़े फंड्स की समस्या को सुलझाने के विभिन्न तरीकों पर विचार करने को कहा था. उन्होंने इस कैम्पेन के तहत रेगुलेटर्स से लावारिस शेयर्स, डिविडेंड, म्युचुअल फंड्स, इंश्योरेंस आदि को संबंधित लोगों या नॉमिनी को डिलीवर करने के लिए कहा था. जो लोग इन लावारिस पैसों या सम्पत्ति से संबंधित हैं उन्हें यह पैसा वापस उपलब्ध करवाने के लिए उनकी मदद करनी चाहिए.
बनाया जाएगा पोर्टल
फरवरी 2023 तक प्राइवेट बैंकों द्वारा RBI को लावारिस पैसों के रूप में 35,000 करोड़ रुपये की रकम भेजी गयी थी. यह पैसा उन अकाउंटों में जमा था जिनमें पिछले 10 सालों या उससे ज्यादा समय के लिए किसी प्रकार कि कोई भी ट्रांजेक्शन नहीं की गयी थी और यह लावारिस पैसा लगभग 10.24 करोड़ अकाउंटों से संबंधित था. पिछले महीने रिजर्व बैंक ने कहा था कि आने वाले तीन से चार महीनों में इस समस्या से संबंधित एक केंद्रीय पोर्टल बनाया जाएगा. इस पोर्टल की मदद से जमाकर्ता और लोगों को विभिन्न बैंकों में पड़े लावारिस पैसों के बारे में जानकारी मिल पाएगी. FSDC की मीटिंग के बाद यह उम्मीद लगायी जा रही है कि बहुत जल्द यह पोर्टल बनकर तैयार हो जाएगा और लावारिस पड़ा पैसा अपने उचित मालिकों और उत्तराधिकारियों तक पहुंच जाएगा.
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