जियो और एयरटेल (Jio And Airtel) जैसी दिग्गज टेलिकॉम कंपनियों ने सोशल मीडिया ऐप्स जैसे वॉट्सऐप,टेलिग्राम, सिग्नल के खिलाफ एक्शन की मांग की है.
बीते कुछ सालों में इंटरनेट के चलते कॉलिंग और मैसेजिंग की दुनिया में बड़ा बदलाव देखने को मिला है. जहां पहले तक कॉलिंग और मैसेजिंग के लिए टेलिकॉम कंपनियों जैसे एयरटेल (Airtel), जियो (Jio) और वोडाफोन-आइडिया (Vodafone-Idea) पर पूरी तरह से निर्भर रहना पड़ता था. वहीं, अब इंटरनेट डेटा की मदद से ही वीडियो कॉलिंग, मैसेजिंग और वॉइस कॉलिंग की सुविधा मिलने लगी है, मतलब अगर आपके पास वाई-फाई है, तो आप इन सुविधाओं का लाभ ले सकते हैं. ऐसे में आपको मोबाइल रिचार्ज की जरूरत नहीं है या फिर सस्ता रिचार्ज करके भी काम चला सकते हैं. इससे एयरटेल, जियो और वोडाफोन-आइडिया को जोरदार नुकसान हो रहा है. इसके चलते इन टेलीकॉम कंपनियों ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है. तो आइए जानते हैं इन कंपनियों ने सरकार से क्या कहा है?
कंपनी और सरकार दोनों को हो रहा भारी नुकसान
पहले कॉलिंग और मैसेजिंग के लिए टेलिकॉम सर्विस का इस्तेमाल करना होता था. वहीं, बैंक ओटीपी, डिलीवरी ओटीटी समेत कई मैसेजिंग सर्विस का इस्तेमाल के लिए भी टेलिकॉम सर्विस का ही यूज होता है, लेकिन अब डिलीवरी, पार्सल, बैंकिंग पासवर्ड का ओटीपी वॉट्सऐप, टेलिग्राम समेत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से वेरिफाई किया जाता है. जिस बैंक ओटीटी मैसेज, वेरिफिकेशन के लिए जियो, एयरटेल जैसी टेलीकॉम कंपनियों की मोटी कमाई होती है, उस पर एक तरह के डाका डाल दिया गया है. एयरटेल और जियो जैसे कंपनियों की शिकायत है कि व्हाट्सऐप जैसे प्लेटफॉर्म से सरकार और टेलिकॉम कंपनियां दोनों को नुकसान हो रहा है, जहां सरकार को रेवेन्यू के तौर पर नुकसान हो रहा है. वहीं, जियो, एयरटेल को यूजरबेस के तौर पर नुकसान हो रहा है. ऐसे में टेलीकॉम कंपनियों का खर्च बढ़ रहा हैं, जबकि कमाई कम हो रही है. अगर व्हाट्सऐप और टेलिग्राम जैसे ओटोटी ऐप्स को रेगुलेट किया जाता है, तो उन्हें लाइसेंसिंग के साथ सरकार को फीस देनी पड़ सकती है.
व्हाट्सऐप को कानून के दायरे में लाने की तैयारी
टेलीकॉम कंपनियां चाहती हैं कि व्हाट्सएप, सिग्नल और टेलीग्राम जैसे ऐप्स कानून के दायरे में आए. मतलब इन सभी प्लेटफॉर्म पर लाइसेंस प्रक्रिया लागू हो. इसके लिए टेलीकॉम कंपनियों की ओर से सरकार से शिकायत की गई है. टेलिकॉम कंपनियों जैसे रिलायंस जियो, भारती एयरटेल, वोडाफोन आइडिया और COAI ने मिलकर सरकार को शिकायत की है.
कंपनियों की मांग ऐप्स पर लागू हो लाइसेंस
टेलीकॉम कंपनियों का कहना है कि ये ऐप्स भी टेलीफोन की तरह काम करते हैं, इसलिए इन पर भी लाइसेंस होना चाहिए. COAI ने कहा कि ये ऐप्स अब नए टेलीकॉम कानून के तहत आते हैं. रिलायंस जियो के अनुसार नए कानून में 'मैसेज' और 'टेलीकॉम सेवा' की जो परिभाषा दी गई है, उसमें इंटरनेट पर चलने वाले सभी तरह के संदेश शामिल हैं, इसलिए इन ऐप्स पर भी लाइसेंस होना चाहिए. वहीं, भारती एयरटेल के अनुसार नए कानून में 'टेलीकॉम सर्विस' और ऐप्स को भी इस कानून के तहत लाया जा सकता है.
विदेशी ऐप्स से खतरा
टेलीकॉम कंपनियों के अनुसार इनमें से ज्यादातर ऐप्स विदेशों में बने हैं, इसलिए जरूरी है कि इन ऐप्स पर भी नियम बनें. अगर इन ऐप्स पर लाइसेंस हो जाएगा तो सरकार इन पर नजर रख सकेगी. इससे देश और ग्राहकों की सुरक्षा बढ़ेगी. साथ ही उनकी शिकायतों का भी समाधान हो सकेगा.
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भारत AI स्टार्टअप्स को मिलने वाले फंडिंग में भी काफी आगे है और AI इनोवेशन में भी रुचि दिखा रहा है.
भारत को हाल ही में जारी हुए स्टैनफोर्ड के ग्लोबल विव्रेंसी टूल 2024 में चौथा स्थान मिला है. इस रिपोर्ट ने यह पुष्टि की है कि अमेरिका आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) में दुनिया का सबसे प्रमुख देश है, इसके बाद चीन और यूके हैं. अमेरिका लगातार AI रिसर्च की गुणवत्ता, मशीन लर्निंग मॉडल्स की संख्या, निजी पूंजी निवेश और AI से जुड़े रोजगार सृजन में अन्य देशों से आगे रहा है. 2023 में अमेरिका ने AI में 67.2 बिलियन डॉलर का निजी निवेश किया, जो चीन के 7.8 बिलियन डॉलर से काफी ज्यादा है.
अमेरिका ने 61 महत्वपूर्ण मशीन लर्निंग मॉडल विकसित किए, जबकि चीन के पास सिर्फ 15 थे. अमेरिका में सबसे ज्यादा AI से जुड़े मर्जर, अधिग्रहण और स्टार्टअप गतिविधियां हुईं. इसके अलावा, अमेरिका ने सबसे ज्यादा जिम्मेदार AI रिसर्च की, जो इसके नैतिक नवाचार के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है.
चीन दूसरे स्थान पर है, लेकिन वह अमेरिका से काफी पीछे है. भले ही चीन AI से जुड़े पेटेंट में आगे है, लेकिन बाकी जरूरी मानकों में वह पीछे रह गया है. यह दिखाता है कि अमेरिका और चीन के बीच का अंतर बढ़ रहा है. इससे पता चलता है कि अमेरिका अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी से आगे निकलकर AI विकास और इस्तेमाल में अपनी बढ़त मजबूत कर रहा है. यूके तीसरे स्थान पर है, और यह रिपोर्ट बताती है कि ग्लोबल AI रेस में प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए लगातार निवेश और नवाचार करना बहुत जरूरी है.
इंडेक्स के अनुसार, भारत AI रिसर्च और डेवलपमेंट (R&D) में अच्छा प्रदर्शन कर रहा है. इसमें जर्नल और कॉन्फ्रेंस पब्लिकेशन, शोध पत्रों के रेफरेंस, गिटहब प्रोजेक्ट्स, AI स्किल्स की पैठ, हायरिंग और टैलेंट के मामले में भारत की स्थिति अच्छी है. भारत AI स्टार्टअप्स को मिलने वाले फंडिंग में भी काफी आगे है और AI इनोवेशन में भी रुचि दिखा रहा है. लेकिन भारत नीति, गवर्नेंस और इंफ्रास्ट्रक्चर के मामले में शीर्ष तीन देशों से पीछे है, जिससे इसकी कुल रैंकिंग कम हो जाती है. भारत की यह सफलता सरकार की पहल के बजाय जमीनी स्तर पर कौशल विकास और मेंटरशिप से संचालित मजबूत टेक्नोलॉजी इकोसिस्टम को दिखाती है.
यह टूल 36 देशों के AI इकोसिस्टम का मूल्यांकन 42 मानकों के आधार पर करता है, जैसे रिसर्च आउटपुट, निजी निवेश, पेटेंट, और इन्फ्रास्ट्रक्चर. आप ग्लोबल विव्रेंसी टूल यहां देख सकते हैं. भारत की AI में प्रगति को दुनियाभर में पहचान तब मिली, जब यह स्टैनफोर्ड इंस्टीट्यूट फॉर ह्यूमन-सेंटर्ड आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (HAI) की छठी AI इंडेक्स रिपोर्ट में जगह बनाने में सफल रहा, रिपोर्ट में कहा गया कि भारत अब AI इकोसिस्टम में एक अहम भूमिका निभा रहा है.
रिपोर्ट ने भारत की 2018 में नेशनल AI स्ट्रैटेजी जारी करने की पहल, AI से जुड़े पब्लिकेशन की बढ़ती संख्या, AI ऐप्लिकेशन, मशीन लर्निंग सिस्टम, बड़े भाषा मॉडल और मल्टीमॉडल मॉडल के विकास में योगदान, भारतीय डेवलपर्स के गिटहब AI प्रोजेक्ट्स, AI टैलेंट की हायरिंग, AI स्किल की बढ़ती पैठ (पुरुष और महिलाओं दोनों में), निजी AI निवेश और सरकारी AI पाठ्यक्रम को लागू करने की बढ़ती कोशिशों को सराहा है.
यह पद्धति 100 मिलियन से अधिक उपयोगकर्ताओं के गेमप्ले व्यवहार का विश्लेषण करती है, जो अरबों सत्रों में खेले गए हैं, ताकि कौशल की प्रगति को मौके के मुकाबले सत्यापित किया जा सके.
इंटरएक्टिव एंटरटेनमेंट और इनोवेशन काउंसिल (IEIC) ने एक अभिनव सांख्यिकीय पद्धति (Statistical Method) का उपयोग करके 100 से अधिक गेम्स को उनके कौशल के प्रगति के लिए प्रमाणित (Certified) किया है. यह पद्धति IIT दिल्ली, IIT कानपुर, IIT मद्रास और स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों के सहयोग से विकसित की गई है, जिसमें 100 मिलियन से अधिक उपयोगकर्ताओं के अरबों गेमप्ले डेटा का विश्लेषण किया गया है. यह पहल कौशल आधारित खेलों और मौके आधारित खेलों के बीच अंतर को वस्तुनिष्ठ रूप से पहचानने की पुरानी चुनौती का समाधान करती है, जिससे उद्योग और उपभोक्ताओं को लाभ मिलता है. तो आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं.
उपभोक्ताओं को ऐसे होगी गेम्स की पहचान
यह सर्टिफिकेशन उपभोक्ताओं को वैध कौशल-आधारित गेमिंग प्लेटफॉर्म और अवैध सट्टेबाजी और जुआ प्लेटफ़ॉर्म के बीच अंतर करने में सक्षम बनाकर उन्हें संभावित नुकसान से बचाता है. भारत के सर्वोच्च न्यायालय के कौशल की प्रबलता के परीक्षण पर आधारित एक संपन्न मूल्यांकन पद्धति को बढ़ावा देकर, IEIC एक निष्पक्ष, पारदर्शी और जिम्मेदार गेमिंग इकोसिस्टम को बढ़ावा दे रहा है. 50 से ज्यादा प्रमुख स्टूडियो द्वारा विकसित प्रमाणित गेम, जिनमें आर्टून, ऐपऑन, चेन्नई गेम्स, हैश बाइट, मैक्सप्ले, स्मैश हेड, विंजो और प्ले बाइट्स शामिल हैं और ये आर्केड गेम, स्पोर्ट्स सिमुलेशन, पहेलियां, कार्ड गेम और बोर्ड गेम जैसी विविध शैलियों में उपलब्ध हैं. यह सर्टिफिकेशन न केवल इन डेवलपर्स की सरलता को प्रमाणित करता है, बल्कि इंटरैक्टिव मनोरंजन क्षेत्र में कौशल-आधारित गेम की स्थायी अपील को भी पुष्ट करता है. IEIC की सर्टिफिकेशन प्रक्रिया एक बहु-आयामी मूल्यांकन पद्धति का उपयोग करती है, जो खिलाड़ी के व्यवहार, कौशल की निरंतरता, रणनीतिक निर्णय-निर्माण और सांख्यिकीय विश्लेषणों का परीक्षण करती है. यह पहल गेमिंग और जुए के बीच भ्रम को दूर करती है और उन नियामक अस्पष्टताओं को हल करती है, जो उद्योग की वृद्धि में रुकावट डालती हैं, जैसे कि हाल ही में वैध गेमिंग व्यवसायों पj 400 प्रतिशत GST वृद्धि की गई है.
20 गुना अधिक तेजी से बढ़ेंगे रोजगार के अवसर
भारत का ऑनलाइन गेमिंग उद्योग, जो वर्तमान में 3.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर का है और 14 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ रहा है. 2028 तक यह 6 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है. IEIC सर्टिफिकेशन जैसी पहल और नियामक स्पष्टता के साथ भारत वैश्विक बाजार में 20 प्रतिशत हिस्सेदारी प्राप्त कर सकता है, जिससे 2034 तक 60 बिलियन अमेरिकी डॉलर का अवसर खुलेगा. इस वृद्धि से रोजगार के 20 गुना अधिक अवसर उत्पन्न होंगे और भारत को गेमिंग में वैश्विक नेता के रूप में स्थापित करेगा.
देश की डिजिटल अर्थव्यवस्था के लिए ऐसी पहला महत्वपूर्ण
यह प्रमाणन प्रक्रिया वैश्विक शोध और मानकों के अनुरूप है, जो कौशल-आधारित और मौके-आधारित खेलों के बीच अंतर को स्पष्ट करती है. IEIC का सर्टिफिकेशन कार्यक्रम प्रमुख अनुसंधान संस्थानों के सहयोग से सुरक्षा, पारदर्शिता और जवाबदेही के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दर्शाता है. इस पहल ने गेम डेवलपर्स को उनके खेलों में कौशल के तत्व के बारे में वैज्ञानिक स्पष्टता प्रदान की है. यह स्केलेबल मॉडल उद्योग में व्यापक स्वीकृति के लिए मार्ग प्रशस्त करता है, जो विदेशी निवेश (FDI) को आकर्षित करने, सार्वजनिक बाजार में प्रवेश को बढ़ावा देने और गेम डिजाइन और बौद्धिक संपदा निर्माण में इनोवेशन को बढ़ावा देने के लिए नियामक स्पष्टता प्रदान करता है. सरकार द्वारा इस ढांचे की पहचान और प्रमुख संस्थानों से प्रमाणन न केवल उपभोक्ताओं की सुरक्षा करेगा, बल्कि एक मजबूत नियामक वातावरण भी बनाएगा. इस तरह की पहलों का लाभ उठाकर, भारतीय गेमिंग क्षेत्र देश की डिजिटल अर्थव्यवस्था को 2030 तक 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के लक्ष्य की ओर बढ़ा सकता है.
प्रतिक्रिया
आर्टून के को-फाउंडर नरेश खोखानेशिया ने कहा है कि एक गेम डेवलपर के रूप में सीमाओं को आगे बढ़ाने और खिलाड़ियों के साथ गहरे स्तर पर जुड़ने वाले अनुभव प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध IEIC की इस महत्वपूर्ण पहल की वह सराहना करते हैं. यह सर्टिफिकेशन प्रक्रिया न केवल हमें शुरुआती चरणों में नए उत्पादों का परीक्षण करने में मदद करती है, बल्कि गेमिंग में कौशल तत्व को मान्य करने का एक लागत प्रभावी तरीका भी प्रदान करती है.
वहीं, चेनई गेम्स के सह-संस्थापक मोहन डॉस ने कहा है कि यह पहल पहले ही बहुत पहले हो जानी चाहिए थी. कौशल परीक्षण पद्धतियां पहले ही दुनिया भर में व्यापक रूप से अपनाई जा चुकी हैं, और अब समय आ गया है कि भारत इन्हें हमारे गेमिंग इकोसिस्टम में अपनाए और एकीकृत करे. ऐसा करके हम कौशल-आधारित खेलों को अलग कर सकते हैं और यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि खिलाड़ी की सफलता वास्तविक कौशल से निर्धारित हो, न कि सिर्फ मौके पर निर्भर हो.
IEIC के प्रवक्ता ने कहा है कि गेमिंग और जुए के मिश्रण का मुद्दा गंभीर चिंता का विषय है. हमारी पहल का उद्देश्य इस प्रक्रिया को लोकतांत्रिक बनाना और कौशल के खेलों और मौके के खेलों के बीच अंतर करने के लिए एक स्केलेबल, विश्वसनीय मॉडल स्थापित करना है, जिससे दोनों के बीच कोई ओवरलैप न हो. यह उपभोक्ता और राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है. इंडस्ट्री में इनोवेशन और उपभोक्ता सुरक्षा के पक्षधर के रूप में हम एक ऐसा समाधान प्रस्तुत करने पर गर्व महसूस करते हैं जो वस्तुनिष्ठ, स्केलेबल और सुलभ है.
Jio यूजर्स अब My Jio App के जरिए कुछ सेटिंग्स बदलकर स्पैम कॉल्स और एसएमएस से छुटकारा पा सकते हैं.
अगर आप जियो (Jio) का नंबर इस्तेमाल करते हैं और फालतू के कॉल व एसएमएस से अपना पीछा छुड़ाना चाहते हैं, तो ये खबर आपके काम की है. दरअसल, आजकल लोगों के फोन में कई तरह के फालतू स्पैम कॉल और एसएमएस आते हैं. ऐसे में जियो ने अपने यूजर्स को इन कॉल्स और एसएमएस से छुटकारा देने के लिए एक नई सर्विस शुरू की है. तो आइए जानते हैं आप ऐसे इस सर्विस को शुरू करके इन कॉल्स और एसएमएस से बच सकते हैं?
हाल में ट्राई ने स्पैम कॉल से जुड़े 2.75 लाख नंबर किए बंद
हाल ही में भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (TRAI) ने स्पैम कॉल की समस्या के दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करते हुए 2.75 लाख से ज्यादा नंबरों को डिस्कनेक्ट कर दिया है और ऐसी एक्टिविटीज में शामिल लगभग 50 एंटिटीज को ब्लॉक कर दिया है. ऐसे अगर आप इन फालतू के कॉल्स से अपना पीछा छुड़ाना चाहते हैं और आप जियो यूजर हैं तो बस कुछ सेटिंग बदलकर आप इन स्पैम कॉल्स और SMS के छुटकारा पा सकते हैं.
ऐसे बदले सेटिंग
अगर आप Jio नेटवर्क यूजर हैं, तो MyJio ऐप के माध्यम से एक बटन के एक क्लिक कर कॉल और मेसेज को आसानी से ब्लॉक किया जा सकता है.
1. स्पैम कॉल बंद करने के लिए सबसे पहले MyJio ऐप ओपन करें.
2. यहां आपको More का आप्शन मिलेगा, उस पर क्लिक करें.
3. इधर आपको 'Do Not Disturb' के ऑप्शन पर क्लिक करना होगा.
4. इस ऑप्शन पर क्लिक करने के बाद आपको फुल ब्लॉक और प्रमोशनल कम्युनिकेशन ब्लॉकिंग ऑप्शन नजर आएंगे. यहां आप अपनी सुविधा के अनुसार किसी भी ऑप्शन को सिलेक्ट कर सकते हैं.
हाल ही में BSNL ने अपनी VoLTE नई सर्विस लॉन्च की है. इस नई सर्विस के आने से यूजर्स को बेहतर कॉलिंग एक्सपीरियंस मिलेगा.
अगर आप भी भारत संचार निगम लिमिटिड (BSNL) के यूजर हैं या इसमें स्विच करने की प्लानिंग कर रहे हैं, तो आपके लिए एक अच्छी खबर है. दरअसल, बीएमएनएल ने 4G यूजर्स के लिए VoLTE सर्विस शुरू की है. इसमें कॉलिंग के दौरान भी इंटरनेट का मजा मिलता है और कॉलिंग क्वालिटी बेहतर होती है. तो आइए जानते हैं आप कैसे इस सर्विस को एक्टिव कर सकते हैं?
50 हजार से ज्यादा जगहों पर 4 सर्विस शुरू
रिचार्ज प्लान महंगे होने के बाद से सरकारी कंपनी बीएसएनएल के ग्राहकों में अच्छी वृद्धि हुई है. महंगे रिचार्ज की वजह से लोग बीएसएनएल में सिम पोर्ट करवा रहे हैं. जहां जियो, एयरटेल और वोडाफोन आइडिया ग्राहक खो रहे हैं, तो बीएसएनएल का कस्टमर बेस लगातार बढ़ रहा है. इसी को देखते हुए कंपनी सर्विस को बेहतर करने पर फोकस कर रही है. बीएसएनएल किफायती रिचार्ज प्लान भी पेश कर रहा है, कंपनी अपने ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए देशभर में 4G सर्विस के रोलआउट में भी तेजी ला रहा है, जो अब 50,000 से ज्यादा जगहों पर उपलब्ध है.
ऐसे एक्टिव करें नई सर्विस
हाल ही में BSNL ने एक नई सर्विस लॉन्च की है. यह ग्राहकों को वाई-फाई का उपयोग करके कॉल करने की परमिशन देती है. कंपनी 4G यूजर्स के लिए VoLTE सर्विस लेकर आई है, जो 4जी पर हाई-डेफिनेशन वॉयस कॉल की परमिशन देती है. आपके पास बीएसएनएल 4G सिम है और आप इस फीचर को एक्टिव करना चाहते हैं, तो इसे एक्टिव करने के लिए कुछ प्रोसेस फॉलो करना होगा. इस सर्विस को एक्टिव करने के लिए बीएसएनएल 4जी या 5जी सिम से 53733 पर ‘ACTVOLTE’ लिखकर एक मैसेज भेजना है. ध्यान देने वाली बात यह है कि यह सर्विस केवल बीएसएनएल 4जी और 5जी सिम कार्ड के साथ ही काम करती है. अगर आप अभी भी पुराने बीएसएनएल 2G या 3G सिम का यूज कर रहे हैं, तो आप अपने नजदीकी बीएसएनएल ग्राहक सर्विस केंद्र पर जाकर बिना किसी शुल्क के 4जी या 5जी सिम में अपग्रेड कर सकते हैं.
VoLTE और LTE में क्या है फर्क?
VoLTE का मतलब होता है वॉयस ओवर लॉन्ग टर्म इवोल्यूशन। यह 4G नेटवर्क को सपोर्ट करता है। इसमें भी आप हाई स्पीड इंटरनेट का आनंद ले सकते हैं। इस नेटवर्क के साथ अगर आप अपना स्मार्टफोन इस्तेमाल करते हैं तो कॉल आने की स्थिति में भी आपके फोन में इंटरनेट की स्पीड में कमी नहीं आती है. इस सर्विस के दौरान आपके स्मार्टफोन में 4G स्पीड में इंटरनेट चलता है। इस नेटवर्क में हाई स्पीड बैंडविथ के साथ आप इंटरनेट का आनंद ले सकते हैं. हालांकि, इस नेटवर्क की खामी यह है कि अगर आप इसे अपने स्मार्टफोन में इस्तेमाल कर रहे हैं और आपके नंबर पर किसी का कॉल आ गया तो इंटरनेट कनेक्टिविटी बंद हो जाती है. इसी को दूर करने के लिए VoLTE तकनीक का इस्तेमाल हाल के दिनों में होने लगा है.
प्रसार भारती ने 'Waves' नाम का अपना OTT प्लेटफॉर्म लॉन्च किया है. इसमें यूजर्स को फ्री में 65 लाइव चैनल, वीडियो-ऑन-डिमांड, गेमिंग और शॉपिंग जैसी सुविधाएं मिलेंगी.
अगर आप ओटीटी (Over-The-Top -OTT) प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करते हैं, तो ये खबर आपके काम की है. दरअसल, लोगों के मनोरंजन के लिए प्रसार भारती ने एक सरकारी ओटीटी प्लेटफॉर्म Waves लॉन्च कर दिया गया है. इसके साथ ही प्रसार भारती ने हर भाषा का भी ध्यान रखा है. इस ऐप में 12 से अधिक भारतीय भाषाएं मिलेंगी. प्रसार भारती ने 55वें इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया (IFFI) में इस प्लेटफॉर्म को लॉन्च किया गया है. तो चलिए आपको इस एप के बारे में और अधिक जानकरी देते हैं.
65 लाइव चैनल्स की सुविधा
प्रसार भारती की तरफ से इसको लेकर एक्स पर एक पोस्ट भी किया है. पोस्ट में लिखा है कि 'प्रसार भारती ने IFFI में WAVES ओटीटी प्लेटफॉर्म लॉन्च किया! प्लेटफॉर्म का टारगेट क्लासिक कंटेंट और कंटेम्परेरी प्रोग्रामिंग का एक समृद्ध मिश्रण पेश करके एडवांस डिजिटल रुझानों को अपनाते हुए पुरानी यादों को ताजा करना है.' वेव्स पर आपको 65 लाइव चैनल्स समेत कई सुविधाएं मौजूद होने वाली हैं.भारत का विश्वसनीय दूरदर्शन भी अब OTT पर मौजूद होगा.
गेमिंग कंटेंट के साथ शॉपिंग को भी सुविधा
Waves पर वीडियो-ऑन-डिमांड, फ्री-टू-प्ले गेमिंग, रेडिया ऑनलाइन स्ट्रीमिंग, लाइव टीवी स्ट्रीमिंग, 65 लाइव चैनल्स, वीडियो और गेमिंग कंटेंट के लिए ऐप, और साइब शॉपिंग की सुविधा दी जाएगी. यहीं पर यूजर्स को ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ONDC) की सुविधा भी मिलने वाली है. ये सभी सुविधाएं 12 से ज्यादा भाषाओं में मिलने वाली हैं. प्रसार भारती का कहना है कि इस ऐप को बनाते समय हर भारतीय का ध्यान रखा गया है. यही वजह है कि इसमें हर भारतीय के हिसाब से सुविधाओं को ऐड किया गया है.
फ्री मिलेगा सब्सक्रिप्शन
Netflix, Jio Cinema और Hotstar पहले ही मार्केट में मौजूद हैं. इन सभी का एक तरफा कब्जा है, लेकिन वेव्स की हाल ही में एंट्री हुई है. इसके लिए आपको सब्सक्रिप्शन लेने की जरूरत नहीं होगी. ये उन यूजर्स के लिए काफी फायदेमंद होने वाला है जो बिना सब्सक्रिप्शन के कंटेंट का एक्सेस चाहते हैं.
Google Maps ने एक नया फीचर लॉन्च किया है. इसमें आपको आपके शहर की एयर क्वालिटी की जानकारी मिलेगी.
इस समय दिल्ली सहित पूरे उत्तर भारत में मदूषण के कारण हवा में धुंध फैली हुई है. इससे लोग काफी परेशान हैं. देश की राजधानी दिल्ली की आबोहवा तो इतनी बिगड़ चुकी है कि यहां सरकार को स्कूल तक बंद करने पड़ गए हैं. दिल्ली में सरकारी व निजी सभी स्कूल प्रदूषण बढ़ने के चलते बंद हैं और बच्चों की कक्षाएं आनलाइन चल रही हैं. हाल में राजधानी का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 491 के स्तर को छू गया. वहीं, आज यानी 22 नवंबर 2024 को AQI 440 है. दिल्ली-मुंबई तो बड़े शहर हैं, इनका तो AQI लोगों को तुरंत पता चल जाता है, लेकिन छोटे शहरों के AQI की जानकारी नहीं मिल पाती है. ऐसे में गूगल मैप्स (Google Maps) ने इसका समाधान ढूंढ लिया है. गूगल मैप्स में अब आपको Air View+ फीचर मिलेगा, जिससे आपको पता चलेगा कि हवा की क्वालिटी दमघोंटू है या नहीं, तो आइए जानते हैं ये फीचर कैसे काम करेगा?
AI के जरिए मिलेगी जानकारी
भारत में गूगल मैप्स ने नया फीचर एयर व्यू प्लस लॉन्च कर दिया है. गूगल मैप्स प्लेटफॉर्म और गूगल अर्थ के वाइस-प्रेसिडेंट और जनरल मैनेजर येएल मैगुइरे और गूगल मैप्स के वाइस-प्रेसिडेंट और जनरल मैनेजर मिरियम डैनियल ने एक ब्लॉग पोस्ट में नए फीचर का ऐलान किया. यह नया टूल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के जरिए चलता है, जो आपके यहां की एयर क्वालिटी को रियल टाइम में बताएगा. देशभर में गूगल मैप्स के नए फीचर का फायदा उठाया जा सकता है. लोग आसानी से चेक कर सकते हैं, उनके शहर की आबोहवा में जहर घुला है, या फिर साफ है.
सरकार को भी मिलेगा फायदा
एयर व्यू प्लस फीचर को इस तरह डिजाइन किया गया है ताकि यह न केवल लोगों तक सरकारी एजेंसियों तक भी एयर क्वालिटी की जानकारी दे सके. यह फीचर उन सरकारी एजेंसियों के काफी काम आएगा, जो प्रदूषण कम करने में लगी हुई हैं, और एनवायरनमेंट मॉनिटरिंग और अर्बन प्लानिंग जैसे काम करती हैं.गूगल ने एयर क्वालिटी का डेटा लेने के लिए लोकल क्लाइमेट टेक कंपनियों का साथ लिया है. गूगल एआई मॉडल के जरिए बड़े डेटा इनपुट को प्रोसेस के जरिए देशभर में एयर क्वालिटी की जानकारी दी जाती है.
150 से ज्यादा शहरों में सेंसर
ऑरस्योर और रेस्पिरर लिविंग साइंसेज जैसी क्लाइमेट टेक कंपनियों कंपनियों ने उन शहरों में एयर क्वालिटी सेंसर नेटवर्क सेटअप किए हैं, जहां एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग के लिए बुनियादी ढांचा नहीं था. सेंसर हर मिनट कई एयर क्वालिटी पैरामीटर को मापते हैं और 150 से ज्यादा भारतीय शहरों में लगाए गए हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा आबादी को कवर किया जा सके.
अगले हफ्ते मार्केट में कई स्मार्टफोन्स की एंट्री होने वाली है. इन अपकमिंग फोन्स की लिस्ट में Redmi, Vivo और Asus के डिवाइस शामिल हैं.
अगर आप कोई नया स्मार्टफोन खरीदने की प्लानिंग कर रहे हैं, तो अगले हफ्ते तक रुक जाइए. दरअसल, अगले हफ्ते यानी 19 नवंबर से लेकर 21 नवंबर 2024 तक मार्केट में कई शानदार स्मार्टफोन्स की एंट्री होने वाली है. इन अपकमिंग फोन्स की लिस्ट में रेडमी, वीवो और आसुस के डिवाइस शामिल हैं. इन स्मार्टफोन्स में आपको 200 मेगापिक्सल तक का पेरिस्कोप कैमरा और 32 मेगापिक्सल तक का सेल्फी कैमरा देखने को मिलेगा. तो आइए जानते हैं ये डिवाइस की लॉन्च से लेकर आपको इनके फीचर्स और कीमत की जानकारी देते हैं.
1. Asus ROG Phone 9
19 नवंबर को आसुस की नई सीरीज के दो फोन- ROG Phone 9 और ROG Phone 9 Pro लॉन्च होने वाले हैं. इनकी कीमत करीब 1 लाख रुपये हो सकती है. नए फोन्स में प्रोसेसर के तौर पर कंपनी स्नैपड्रैगन 8 एलीट ऑफर करने वाली है. वहीं, इ इस सीरीज के बेस वेरिएंट में 165Hz के रिफ्रेश रेट के साथ 6.78 इंच का फुल एचडी+ डिस्प्ले दे सकती है. फोटोग्राफी के लिए फोन में 50 मेगापिक्सल का मेन कैमरा दिया जा सकता है. इसके अलावा फोन के रियर में आपको एक 13 मेगापिक्सल का अल्ट्रावाइड ऐंगल लेंस और एक 5 मेगापिक्सल का मैक्रो कैमरा देखने को मिल सकता है. सेल्फी के लिए फोन में कंपनी 32 मेगापिक्सल का फ्रंट कैमरा दे सकती है. यह फोन 5800mAh की बैटरी के साथ आ सकता है, जो 65 वॉट की फास्ट चार्जिंग को सपोर्ट करेगी.
2. Vivo X200 Series
वीवो की यह स्मार्टफोन सीरीज 19 नवंबर को ग्लोबल मार्केट में लॉन्च होने वाली है. इसकी एंट्री सबसे पहले मलेशिया में होने वाली है. इसकी कीमत भारत में करीब 51 हजार रुपये होगी. इस सीरीज में कंपनी X200 और X200 Pro स्मार्टफोन ऑफर करने वाली है. इस सीरीज में X200 Pro Mini भी आता है, लेकिन इसे कंपनी चीन के बाहर लॉन्च नहीं करेगी. फीचर्स की बात करें, तो कंपनी सीरीज के बेस और प्रो वेरिएंट में प्रोसेसर के तौर पर डाइमेंसिटी 9400 चिपसेट देने वाली है. इनमें ऑफर किया जाने वाला LTPO OLED डिस्प्ले 120Hz के रिफ्रेश रेट को सपोर्ट करता है. इनमें आपको 90 वॉट की फास्ट चार्जिंग मिलेगी. फोटोग्राफी के लिए दोनों में 50 मेगापिक्सल के मेन कैमरा के साथ एक 50 मेगापिक्सल का अल्ट्रावाइड ऐंगल लेंस मिलेगा. प्रो वेरिएंट में कंपनी 200 मेगापिक्सल का पेरिस्कोप कैमरा भी देने वाली है. प्रो वेरिएंट 30 वॉट की वायरलेस चार्जिंग को भी सपोर्ट करेगा.
3. Redmi A4 5G
रेडमी का यह फोन 20 नवंबर को भारतीय मार्केट में एंट्री करने वाला है. इसके बेस वेरिएंट की कीमत ऑफर्स के साथ 8,499 रुपये हो सकती है. कंपनी का यह 5G फोन 4जीबी रैम और 128जीबी के इंटरनल स्टोरेज वेरिएंट के साथ आएगा. फीचर्स की बात करें, तो फोन में आपको 6.88 इंच का डिस्प्ले मिलेगा. यह डिस्प्ले 120Hz के रिफ्रेश रेट को सपोर्ट करेगा. प्रोसेसर के तौर पर फोन में कंपनी स्नैपड्रैगन 4s जेन 2 देने वाली है। फोन का मेन कैमरा 50 मेगापिक्सल का है. बैटरी की जहां तक बात है, तो इस फोन में आपको 5160mAh की बैटरी मिलेगी.
4. Vivo Y300
वीवो का Vivo Y300 21 नवंबर को भारत में लॉन्च करने वाला है. इसकी कीमत 24-25 हजार रुपये के बीच हो सकती है. कंपनी के इस फोन में आपको स्नैपड्रैगन 4 जेन 2 चिपसेट मिलेगा. फोन का डिस्प्ले 6.7 इंच का है. यह OLED डिस्प्ले 120Hz के रिफ्रेश रेट को सपोर्ट करेगा. फोटोग्राफी के लिए कंपनी इस फोन में 50 मेगापिक्सल का मेन कैमरा और 32 मेगापिक्सल का सेल्फी कैमरा देने वाली है. इसकी बैटरी 5000mAh की है. फोन तीन कलर ऑप्शन- टाइटेनियम सिल्वर, डाइनैमिक ब्लैक औक एमरल्ड ग्रीन में आएगा.
Google ने आईफोन और आईपैड के क्रोम यूजर्स के लिए चार नए फीचर रोलआउट किए हैं. इसमें यूजर्स को सर्चिंग, शॉपिंग और कॉन्टेंट को सेव करने का ओवरऑल बेस्ट एक्सपीरियंस मिलेगा.
अगर आप आईफोन (iPhones) और आईपैड (iPad) का इस्तेमाल करते हैं, तो आपके लिए एक अच्छी खबर है. दरअसल, गूगल ने आईफोन और आईपैड के क्रोम यूजर्स के लिए चार नए फीचर रोलआउट किए हैं. गूगल क्रोम के ये नए फीचर ब्राउजिंग को आसान और पहले से ज्यादा एफिशिएंट बनाते हैं. इन फीचर से यूजर्स को आईफोन और आईपैड पर क्रोम में सर्चिंग, शॉपिंग और कॉन्टेंट को सेव करने का ओवरऑल बेस्ट एक्सपीरियंस मिलेगा. तो आइए जानते हैं गूगल क्रोम के इन नए फीचर्स के बारे में विस्तार से जानते हैं?
इमेज और टेक्स्ट सर्च के लिए गूगल लेंस
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार आईफोन यूजर एक साथ इमेज और टेक्स्ट सर्च करने के लिए क्रोम में गूगल लेंस को यूज कर सके हैं. अपडेट से पहले गूगल लेंस केवल इमेज से सर्च का ऑप्शन देता था. टेक्स्ट के जुड़ जाने से अब यूजर्स को सर्च का और बेहतर रिजल्ट मिलेगा. इस फीचर को यूज करने के लिए यूजर्स को गूगल सर्च बार में दिए गए कैमरा आइकन पर टैप करना होगा.
फाइल्स और पिक्चर्स सेव
आईफोन और आईपैड में स्टोरेज को बेहतर ढंग से मैनेज करने के लिए क्रोम अब डाउनलोड हुई फाइल्स और इमेज को सीधे गूगल ड्राइव और गूगल फोटोज में सेव करने का ऑप्शन दे रहा है. अगर आप ड्राइव में कोई फाइस स्टोर करना चाहते हैं, तो आपको सेव करते टाइम गूगल ड्राइव वाला ऑप्शन सेलेक्ट करना होगा. इन फाइल्स को आप 'Saved from Chrome' फोल्डर में चेक कर सकते हैं. इमेज सेव करने के लिए यूजर्स को पिक्चर पर लॉन्ग प्रेस करके 'Save in Google Photos' वाले ऑप्शन को सेलेक्ट करना होगा. ध्यान रहे कि इन फीचर्स को यूज करने के लिए गूगल अकाउंट में साइन-इन रहना जरूरी है.
इन यूजर्स को शॉपिंग के लिए मिलेंगी बेहतर डील्स
कंपनी यूएस में रहने वाले यूजर्स को क्रोम में Shopping Insights फीचर्स दे रही है. इस फीचर की मदद से यूजर्स को बेस्ट डील्स को सर्च करने में आसानी होगी. क्रोम अगर किसी प्रोडक्ट पर अच्छी डील को डिटेक्ट करता है, तो यूजर्स को अड्रेस बार में 'Good Deal Now' का नोटिफिकेशन मिलेगा. इस पर क्लिक करने पर यूजर्स को प्राइस हिस्ट्री, प्राइस ट्रैकिंग और खरीददारी से जुड़े ऑप्शन दिखाई देंगे. इस फीचर को यूज करने के लिए गूगल अकाउंट में साइन इन रहने के साथ 'Make Searches and Browsing Better' ऑप्शन का ऑन रहना जरूरी है.
एक टैप पर दिखेंगे अड्रेसेस के मैप
क्रोम से नैविगेट करना अब और आसान हो गया है. अब जब भी आपको किसी वेबसाइट पर कोई अड्रेस दिखे, तो आप बिना गूगल मैप्स पर स्विच हुए क्रोम में ही इस लोकेशन का मिनी-मैप देख सकते हैं. कंपनी इस फीचर को धीरे-धीरे रोलआउट कर रही है. आने वाले कुछ दिनों में यह सभी आईफोन और आईपैड यूजर्स तक पहुंच जाएगा.
Google ने आईफोन और आईपैड के क्रोम यूजर्स के लिए चार नए फीचर रोलआउट किए हैं. इसमें यूजर्स को सर्चिंग, शॉपिंग और कॉन्टेंट को सेव करने का ओवरऑल बेस्ट एक्सपीरियंस मिलेगा.
अगर आप आईफोन (iPhones) और आईपैड (iPad) का इस्तेमाल करते हैं, तो आपके लिए एक अच्छी खबर है. दरअसल, गूगल ने आईफोन और आईपैड के क्रोम यूजर्स के लिए चार नए फीचर रोलआउट किए हैं. गूगल क्रोम के ये नए फीचर ब्राउजिंग को आसान और पहले से ज्यादा एफिशिएंट बनाते हैं. इन फीचर से यूजर्स को आईफोन और आईपैड पर क्रोम में सर्चिंग, शॉपिंग और कॉन्टेंट को सेव करने का ओवरऑल बेस्ट एक्सपीरियंस मिलेगा. तो आइए जानते हैं गूगल क्रोम के इन नए फीचर्स के बारे में विस्तार से जानते हैं?
इमेज और टेक्स्ट सर्च के लिए गूगल लेंस
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार आईफोन यूजर एक साथ इमेज और टेक्स्ट सर्च करने के लिए क्रोम में गूगल लेंस को यूज कर सके हैं. अपडेट से पहले गूगल लेंस केवल इमेज से सर्च का ऑप्शन देता था. टेक्स्ट के जुड़ जाने से अब यूजर्स को सर्च का और बेहतर रिजल्ट मिलेगा. इस फीचर को यूज करने के लिए यूजर्स को गूगल सर्च बार में दिए गए कैमरा आइकन पर टैप करना होगा.
फाइल्स और पिक्चर्स सेव
आईफोन और आईपैड में स्टोरेज को बेहतर ढंग से मैनेज करने के लिए क्रोम अब डाउनलोड हुई फाइल्स और इमेज को सीधे गूगल ड्राइव और गूगल फोटोज में सेव करने का ऑप्शन दे रहा है. अगर आप ड्राइव में कोई फाइस स्टोर करना चाहते हैं, तो आपको सेव करते टाइम गूगल ड्राइव वाला ऑप्शन सेलेक्ट करना होगा. इन फाइल्स को आप 'Saved from Chrome' फोल्डर में चेक कर सकते हैं. इमेज सेव करने के लिए यूजर्स को पिक्चर पर लॉन्ग प्रेस करके 'Save in Google Photos' वाले ऑप्शन को सेलेक्ट करना होगा. ध्यान रहे कि इन फीचर्स को यूज करने के लिए गूगल अकाउंट में साइन-इन रहना जरूरी है.
इन यूजर्स को शॉपिंग के लिए मिलेंगी बेहतर डील्स
कंपनी यूएस में रहने वाले यूजर्स को क्रोम में Shopping Insights फीचर्स दे रही है. इस फीचर की मदद से यूजर्स को बेस्ट डील्स को सर्च करने में आसानी होगी. क्रोम अगर किसी प्रोडक्ट पर अच्छी डील को डिटेक्ट करता है, तो यूजर्स को अड्रेस बार में 'Good Deal Now' का नोटिफिकेशन मिलेगा. इस पर क्लिक करने पर यूजर्स को प्राइस हिस्ट्री, प्राइस ट्रैकिंग और खरीददारी से जुड़े ऑप्शन दिखाई देंगे. इस फीचर को यूज करने के लिए गूगल अकाउंट में साइन इन रहने के साथ 'Make Searches and Browsing Better' ऑप्शन का ऑन रहना जरूरी है.
एक टैप पर दिखेंगे अड्रेसेस के मैप
क्रोम से नैविगेट करना अब और आसान हो गया है. अब जब भी आपको किसी वेबसाइट पर कोई अड्रेस दिखे, तो आप बिना गूगल मैप्स पर स्विच हुए क्रोम में ही इस लोकेशन का मिनी-मैप देख सकते हैं. कंपनी इस फीचर को धीरे-धीरे रोलआउट कर रही है. आने वाले कुछ दिनों में यह सभी आईफोन और आईपैड यूजर्स तक पहुंच जाएगा.
Android 16 को अगले साल की दूसरी तिमाही में लॉन्च किया जा सकता है. इस अपडेट में ऐप्स और डिवाइस में AI सपोर्ट भी देखने को मिल सकता है.
एंड्राइड (Android) का 22 संस्करण यानी एंड्राइड 15 रिलीज होने के बाद अब पूरी दुनिया को गूगल (Google) के अगले अपडेट में एंड्रॉइड 16 का इंतजार है. इसमें यूजर्स को बहुत कुछ नया देखने को मिल सकता है. जानकारी के अनुसार गूगल अगले महीने एंड्रॉइड 16 का डेवलपर प्रीव्यू रिलीज कर सकती है. तो आइए जानते हैं इस नए वर्जन में यूजर्स को क्या बदलाव मिलेंगे और ये कब तक लॉन्च होगा?
अगले साल आएगा एंड्राइड 16
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार एंड्रॉइड 16 को 2025 की दूसरी तिमाही में लॉन्च किया जा सकता है और कहा जा रहा है कि अप्रैल, मई या जून में गूगल के अगले अपडेट्स का यूजर लाभ उठा सकेंगे. एंड्रॉइड 16 एओएसपी (एंड्रॉइड ओपन सोर्स प्रोजेक्ट) पर आएगा और 3 जून 2025 को पिक्सल डिवाइसेज पर ओवर-द-एयर (OTA) होगा. डेवलपमेंट ब्लॉग पर गूगल ने पुष्टि की है कि आगामी एंड्रॉइड ऑपरेटिंग सिस्टम तय समय से पहले आ सकता है.
ये हो सकते हैं बदलाव
एंड्रॉयड 16 के नए वर्जन में यूजर एक्सपीरियंस को बेहतर बनाने के लिए फीचर्स में सुधार किया जाएगा. गूगल के एंड्रॉइड 16 लॉन्च को लेकर हाल ही में नया ब्लॉग सामने आया है. इसमें गूगल ने बताया है कि एंड्रॉयड का नया वर्जन लाया जा सकता है. इसमें सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट किट और API में बदलाव जैसी चीजों को शामिल किया जाएगा. गूगल की तरफ से बहुत सारे प्रोजेक्ट पर काम किया जा रहा है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार एंड्रॉइड 16 में ज्यादा बदलाव और अपडेट की सुविधा मिलने की उम्मीद है. नए फीचर्स में सैमसंग के वन यूआई की तरह ही 2-फिंगर जेस्चर के साथ ही कस्टमाइजेबल, रीसाइजेबल और रीवैंप्ड क्विक सेटिंग पैनल देखने को मिल सकते हैं. कार्यक्षमता और ऐक्सेसिबिलिटी में सुधार के लिए नए विजेट के साथ लॉक स्क्रीन में संभावित अपडेट की भी उम्मीद है.
नए डेवलपर एपीआई शामिल होंगे
साल 2025 की दूसरी तिमाही में एक मेजर एंड्रॉइड वर्जन और चौथी तिमाही में एक छोटे अपडेट्स आ सकते हैं और खास बात यह है कि दोनों में नए डेवलपर एपीआई शामिल होंगे. गूगल की मानें तो इस नए अपडेट से मूल उपकरण निर्माताओं (OEM) को भी लाभ हो सकता है, जो साल के शुरुआती महीनों में अपने डिवाइस लॉन्च करने की तैयारी में हैं.