लक्ष्मी पूजन के ठीक बाद लोगों पर महंगाई का बम फूट गया है. ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने एलपीजी गैस सिलेंडर के दामों में इजाफा कर दिया है.
दिवाली सेलिब्रेट करने के बाद जब आज लोगों की नींद खुली तो पता चला कि उनकी जेब कट गई है. ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने दिवाली पर आम जनता के चेहरे पर मुस्कान बिखरने वाला गिफ्ट देने के बजाये उसकी जेब का बोझ बढ़ा दिया है. आज यानी 1 नवंबर को गैस सिलेंडर की कीमतों में इजाफा किया गया है. कमर्शियल LPG सिलेंडर के दाम में करीब 62 रुपए की बढ़ोतरी हुई है.
अब इतने हो गए हैं दाम
इंडियन ऑयल द्वारा जारी ताजा रेट के अनुसार, आज से दिल्ली में कमर्शियल एलपीजी सिलेंडर की कीमत 1802 रुपए हो गई है. कोलकाता में 19 किलो वाले इस सिलेंडर के लिए अब 1911.50 रुपए चुकाने होंगे. इसी तरह, मुंबई में कमर्शियल सिलेंडर की नई कीमत 1754.50 और चेन्नई में 1964.50 रुपए कर दी गई है. ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने घरेलू सिलेंडर की कीमतों में बदलाव नहीं किया है. दिल्ली में 14.2 किलो वाले इस सिलेंडर की कीमत 803 रुपए है. चेन्नई में यह 818.50, कोलकाता में 829 और मुंबई में 802.50 रुपए के दम पर मिल रहा है.
पहले से ज्यादा होंगे खर्चे
कमर्शियल सिलेंडर का इस्तेमाल रेस्टोरेंट और होटल आदि में होता है. इसके महंगा होने पर बाहर खाना-पीना महंगा हो जाता है, लेकिन क्रूर सच्चाई यह है कि कीमत घटने पर चढ़े दाम वापस नीचे नहीं आते. ऐसे में आपको अब बाहर चाय पीने से लेकर कुछ खाने के लिए पहले से ज्यादा दाम चुकाने पड़ सकते हैं. यानी आपके खर्चों में इजाफा होने वाला है. बता दें कि हर महीने की पहली तारीख को LPG सिलेंडर की कीमतें तय होती हैं. इसी के तहत कंपनियों ने आज से सिलेंडर महंगा कर दिया है. कंपनियों ने घरेलू सिलेंडर के दाम में कोई बदलाव नहीं किया है.
दिसंबर महीने की शुरुआत होने में केवल कुछ ही दिन बचे हैं. जब भी नए महीने की शुरुआत होती है तो कई चीजों में, नियमों में बदलाव होता है.
नवंबर का महीना खत्म होने वाला है और साल 2024 का आखिरी महीना दिसबंर अपने साथ कई बड़े बदलाव (Rule Change From 1st December) लेकर आने वाला है. इन फाइनेंशियल बदलावों का सीधा असर हर घर और हर जेब पर देखने को मिल सकता है. नए महीने की पहली तारीख के साथ देश में लागू होने वाले इन बड़े बदलावों में एलपीजी गैस सिलेंडर के दाम (LPG Cylinder Price) में संशोधन से लेकर देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई के क्रेडिट कार्ड (SBI Credit Card Rule) के जुड़े चेंज शामिल हैं.
LPG सिलेंडर के दाम
हर महीने की तरह इस महीने की पहली तारीख को यानी 1 दिसंबर 2024 से कई नियमों में बदलाव होने जा रहा है, जिसका सीधा असर आम लोगों की जेब पर पड़ने वाला है. नवंबर महीने की पहली तारीख को 19 किलोग्राम वाले कमर्शियल एलपीजी गैस सिलेंडर के दाम में इजाफा देखने को मिली थी. बता दें ऑयल एंड गैस वितरण कंपनियां हर महीने के पहले दिन कीमतों में संशोधन करती हैं और इस बार भी ऐसा देखने को मिल सकता है. ऐसी उम्मीद है कि लंबे समय से स्थिर 14 किलोग्राम वाले घरेलू गैस सिलेंडर (LPG Cylinder Price) में संशोधन किया जा सकता है.
ATF की कीमतों में बदलाव
LPG Cylinder की कीमतों के साथ ही महीने की पहली तारीख को तेल वितरण कंपनियों द्वारा एयर टर्बाइन फ्यूल (ATF) के दाम में भी संशोधन किया जाता है. इस बाद पहली दिसंबर को भी हवाई ईंधन की कीमतों में चेंज देखने को मिल सकता है. इसमें होने वाले बदलाव का सीधा असर हवाई यात्रियों पर देखने को मिल सकता है.
SBI क्रेडिट कार्ड के नियम
1 दिसंबर 2024 से तीसरा बड़ा बदलाव क्रेडिट कार्ड यूजर्स (Credit Card Rule Change) से जुड़ा हुआ है. दरअसल, अगर आप खासतौर पर डिजिटल गेमिंग प्लेटफॉर्म/मर्चेंट से जुड़े लेन-देन के लिए SBI Credit Card का इस्तेमाल करते हैं, तो फिर दिसंबर महीने की पहली तारीख से नए नियम लागू हो रहे हैं. SBI Cards की वेबसाइट के मुताबिक, 48 क्रेडिट कार्ड्स डिजिटल गेमिंग प्लेटफॉर्म /मर्चेंट से जुड़े ट्रांजैक्शन पर रिवॉर्ड पॉइंट्स अब नहीं देंगे.
OTP के लिए करना होगा इंतजार
TRAI की ओर से कमर्शियल मैसेज और ओटीपी से संबंधित ट्रेसेबिलिटी नियम लागू करने का जो फैसला लिया गया है, पहले टेलीकॉम कंपनियों को इसे 31 अक्टूबर तक लागू करना था, लेकिन तमाम कंपनियों की मांग के बाद इसकी डेडलाइन बढ़ाकर 31 नवंबर कर दी गई थी. ट्राई के इस नियम को टेलीकॉम कंपनियां 1 दिसंबर से लागू कर सकती है. इस रूल चेंज का उद्देश्य ये है कि टेलीकॉम कंपनियों द्वारा भेजे गए सभी मैसेज ट्रैसेबल होंगे, जिससे फिशिंग और स्पैम के मामलों पर रोक लगाई जा सके. नए नियमों के चलते, ग्राहकों को ओटीपी डिलीवरी में देरी का सामना करना पड़ सकता है.
बैंक हॉलिडे
अगर आपको दिसंबर महीने में बैंक से जुड़ा कोई जरूरी काम है, तो बता दें कि साल के आखिरी दिसंबर महीने में आधे से ज्यादा दिन Bank Holiday घोषित हैं. RBI की बैंक हॉलिडे लिस्ट पर गौर करें तो विभिन्न राज्यों में अलग-अलग पर्व और आयोजनों के आधार पर ये बैंक हॉलिडे तय किए गए हैं और इनमें दूसरे व चौथे शनिवार के साथ ही रविवार के साप्ताहिक अवकाश शामिल हैं. आप रिजर्व बैंक की आधिकारिक वेबसाइट पर ये बैंक हॉलिडे लिस्ट देख सकते हैं.
Ipsos सर्वेक्षण में सबसे विश्वसनीय पेशों में से 58 प्रतिशत लोगों ने डॉक्टर, 56 प्रतिशत लोगों ने आर्म्ड फोर्स के सदस्य और शिक्षक को चुना है.
Ipsos सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है कि 2024 के सबसे विश्वसनीय पेशे के रूप में सबसे ज्यादा शहरी भारतीयों (Urban Indians) ने डॉक्टर के पेशे को चुना है. इसका मतलब है कि लोगों को डॉक्टरों पर ज्यादा विश्वास है. Ipsos के लेटेस्ट "मोस्ट ट्रस्टेड प्रोफेशन्स 2024" (Most Trusted Professions 2024) सर्वे के अनुसार 57 प्रतिशत लोगों ने डॉक्टर (Doctor), 56 प्रतिशत ने सशस्त्र बलों के सदस्य (Member of Armed Forces ) और 56 प्रतिशत शिक्षक (Teacher) को रेट किया है. बता दें, यह सर्वेक्षण 32-देशों का एक Ipsos ग्लोबल एडवाइजर सर्वे है. सर्वे में बताया गया है कि ये पेशे कोविड-19 महामारी के दौरान आगे आए और आज भी समाज की सेवा कर रहे हैं, लंबी शिफ्टें काम कर रहे हैं और यहां तक कि कर्तव्य से परे जाकर भी योगदान दे रहे हैं.
भारतीय नागरिकों ने इन पर भी दिखाया विश्वास
दिलचस्प बात यह है कि इन तीन पेशों के अलावा भी कुछ अन्य पेशे हैं, जिनमें भारतीय नागरिकों ने ज्यादा विश्वास दिखाया है. इनमें वैज्ञानिक (54 प्रतिशत), न्यायधीश (52 प्रतिशत), बैंकर्स (50 प्रतिशत), रेस्तरां का सर्विंग स्टॉफ, (47 प्रतिशत), टैक्सी ड्राइवर (46 प्रतिशत), सरकारी कर्मचारी (46 प्रतिशत), बिजनेस लीडर्स (44 प्रतिशत), टीवी एंकर्स व न्यूज रीडर्स (44 प्रतिशत), वकील (43 प्रतिशत), पत्रकार (43 प्रतिशत) आम आदमी और महिला (49 प्रतिशत) और पुलिस (47 प्रतिशत) आदि शामिल हैं.
डॉक्टर व शिक्षक ग्लोबल नागरिकों की भी पसंद
सर्वेक्षण के अनुसार 58 प्रतिशत ग्लोबल नागरिकों ने डॉक्टर, 56 प्रतिशत वैज्ञानिक और 54 प्रतिशत ने शिक्षकों को टॉप तीन सबसे विश्वसनीय पेशे के रूप में चुना है. दरअसल, कोरोना महामारी के दौरान जिन पेशों ने सबसे अधिक योगदान दिया, वे डॉक्टर, वैज्ञानिक और शिक्षक थे. वैज्ञानिकों ने टीके बनाए, डॉक्टरों मरीजों का इलाज करने के लिए अपनी जान जोखिम में डाली और शिक्षक जिन्होंने ऑनलाइन कक्षा के जरिए हर बच्चे को शिक्षा से जोड़े रखा.
इन पर लोगों को नहीं विश्वास
सर्वेक्षण में यह भी बताया गया कि भारत के 31 प्रतिशत लोगों ने नेता, 28 प्रतिशत मंत्रीगण और धर्मगुरु या पुजारी (27 प्रतिशत) को सबसे अविश्वसनीय पेशा माना है. इसके बाद पुलिस (28 प्रतिशत), विज्ञापन अधिकारी (25 प्रतिशत), टीवी न्यूज एंकर या रिपोर्टर (25 प्रतिशत) और सरकारी कर्मचारी या सिविल सर्वेंट (24 प्रतिशत) लोगों ने चुना.
लॉकडाउन में डॉक्टर, शिक्षक और सेना ने ईमानदारी से निभाई अपनी ड्यूटी
Ipsos इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) अमित आदरकर ने कहा है कि इन पेशों के पास उदाहरणात्मक नैतिक मानक होते हैं और ये काम की मांग के अनुसार अपने दायित्वों को निभाने के लिए सीमा से बाहर जाते हैं. कोरोना महामारी के दौरान, जब पूरे देश में लॉकडाउन था, तो डॉक्टरों ने जोखिम उठाकर मरीजों का इलाज किया, सशस्त्र बलों के कर्मियों ने हमारी सीमाओं की रक्षा की और देश के अन्य हिस्सों में ड्यूटी निभाई और शिक्षकों ने ऑनलाइन कक्षाएं लीं, यह सुनिश्चित करने के लिए कि छात्रों का साल बर्बाद न हो.
महंगाई ने आम आदमी को पहले से परेशान कर रखा है और अब ऐसे में CNG और PNG की कीमतों में इजाफे की आशंका उत्पन्न हो गई है.
महंगाई की मार झेल रही जनता को फिर बड़ा झटका लगने वाला है. आने वाले दिनों में खाना पकाने से लेकर गाड़ी चलाने तक के लिए ज्यादा जेब ढीली करनी पड़ सकती है. दरअसल, मुंबई और दिल्ली में CNG-PNG के दाम बढ़ाने की तैयारी चल रही है. CNG के दामों में तो सीधे 6 से 8 रुपए प्रति किलो तक बढ़ सकते हैं. बताया जा रहा है कि घरेलू गैस की कम होती सप्लाई के चलते कंपनियां मूल्यवृद्धि का फैसला ले सकती हैं.
इस वजह से बढ़ेंगी कीमतें
घरेलू गैस की कम आपूर्ति Mahanagar Gas और Indraprastha Gas जैसी कंपनियों के लिए चुनौती बन रही है, क्योंकि इससे उनकी लागत बढ़ रही है और मुनाफा कम हो रहा है. इसलिए कंपनियां ग्राहकों पर अतिरिक्त बोझा लादकर लागत और मुनाफे के बीच के बैलेंस को सही कर सकती हैं. एक रिपोर्ट के अनुसार, सरकारी कंपनियों की ओर से घरेलू गैस का एलोकेशन कम किया गया है जिसका सीधा असर CNG और PNG का उत्पादन करने वाली कंपनियों पर पड़ा है. जानकारों का भी मानना है कि मार्जिन को बनाए रखने के लिए कंपनियों को CNG की कीमतें इजाफे का फैसला लेने पड़ेगा.
चुनाव बीतने का इतंजार
इससे पहले जब घरेलू गैस के एलोकेशन में कमी हुई थी, तब भी कंपनियों ने दाम बढ़ाए थे. अब CNG में 6 से 8 रुपए प्रति किलो तक की बढ़ोतरी हो सकती है. बता दें कि दिल्ली में सप्लाई Indraprastha Gas और मुंबई में Mahanagar Gas द्वारा की जाती है. महाराष्ट्र में फिलहाल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. 20 नवंबर को वोटिंग है, ऐसे में चुनाव खत्म होते ही मूल्यवृद्धि का ऐलान किया जा सकता है. यदि CNG और खाना पकाने में इस्तेमाल होने वाली PNG के दाम बढ़ते हैं, तो इसका सीधा असर आम आदमी की जेब पर पड़ेगा. उनके लिए खाना पकाने से लेकर वाहन चलाने तक सबकुछ महंगा हो जाएगा.
पिछले कुछ दिनों से देशभर में प्याज के दामों में एकदम से तेजी देखने को मिली है. हालात ये हैं कि कई शहरों में प्याज 100 रुपए किलो से ऊपर बिक रही है.
सब्जियों के दाम आसमान पर हैं. खासकर प्याज फिर से लोगों के आंसू निकाल रही है. कई जगहों पर प्याज 100 रुपए किलो के भाव पर मिल रही है. इस बीच, केंद्र सरकार प्याज के दाम को काबू में करने के लिए बफर स्टॉक खाली करने जा रही है. सरकार की तरफ से बताया गया है कि वो बाजार के घटनाक्रम से अवगत है और प्याज की कीमतों को स्थिर करने के लिए सुधारात्मक कार्रवाई कर रही है. महंगाई पहले से ही आम आदमी को परेशान किए हुए है, उस पर प्याज की चढ़ती कीमतों ने उसकी मुश्किलें बढ़ा दी हैं.
इतने चढ़ गए हैं दाम
एक रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली, पुणे, चंडीगढ़ सहित कुछ शहरों में कीमतें 100 रुपए प्रति किलोग्राम से ऊपर निकल गई है. मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में इसकी कीमत 80 रुपए के पार जा चुकी है. देश में सबसे बड़े प्याज उत्पादक महाराष्ट्र के नासिक के थोक बाजार के व्यापारियों का कहना है कि मौजूदा स्थिति अस्थायी है और किसानों की ओर से सप्लाई में कमी के चलते ऐसा हुआ है. दरअसल, रबी सीजन का पुराना स्टॉक खत्म हो चुका है और नया स्टॉक अभी बाजारों में आना बाकी है.
जल्द सुधरेगी स्थिति
देश के सबसे बड़ी प्याज मंडी लासलगांव थोक बाजार में केवल 200-250 टन प्याज आ रहा है. जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 1000 टन था. इससे डिमांड और सप्लाई के अंतर को समझा जा सकता है. हालांकि, व्यापारियों को उम्मीद है कि अगले दस से 15 दिनों में स्थिति सामान्य हो जाएगी. उधर, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति अक्टूबर में बढ़कर 6.21% हो गई है, जो सितंबर में 5.49% थी. ऐसा मुख्य रूप से खाद्य वस्तुओं के दाम बढ़ने से हुआ है. इस तरह खुदरा महंगाई RBI के छह प्रतिशत के संतोषजनक स्तर के ऊपर निकल गई है. इसी के साथ सस्ते कर्ज की उम्मीद पर ग्रहण लगता दिखाई दे रहा है.
डेटा और प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए नीतियों को डिजाइन और लागू करके, भारत साफ हवा प्राप्त करने और सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठा सकता है.
हवा, वह तत्व जो जीवन को बनाए रखता है और ये प्रकृति का ऐसा संसाधन है, जो सभी के लिए है, जो सामाजिक-आर्थिक बाधाओं और सीमाओं से परे है, फिर भी इसे वह समानता नहीं दी जाती, जिसकी यह हकदार है. हम एक शहर या देश के विभिन्न हिस्सों में रहते हैं, लेकिन वायु प्रदूषण हम सभी को विभिन्न स्तरों पर प्रभावित करता है, चाहे हमारा सामाजिक दर्जा कुछ भी हो. यह चुनौती विशेष रूप से दिल्ली जैसे शहरों में स्पष्ट रूप से देखी जाती है, जो अक्सर दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में शामिल हो जाता है और जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक अक्सर स्वीकार्य सीमाओं को पार कर जाता है. इसका परिणाम एक सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट के रूप में सामने आता है, जो लाखों लोगों को प्रतिदिन प्रभावित करता है. इसका एक ताजा उदाहरण हाल की दिल्ली हाफ मैराथन के दौरान देखा गया, जहां कई प्रतिभागियों को सांस लेने में कठिनाई का सामना करना पड़ा, जो यह दर्शाता है कि खराब वायु गुणवत्ता के कारण नियमित शारीरिक गतिविधियां भी चुनौतीपूर्ण बन जाती हैं.
सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट
वायु प्रदूषण वैश्विक स्तर पर शीघ्र मृत्यु का एक प्रमुख कारण है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, प्रदूषित हवा के संपर्क में आने से हर साल 7 मिलियन से अधिक शीघ्र मौतें होती हैं, जिनका सबसे अधिक प्रभाव निम्न और मध्य-आय वाले देशों पर पड़ता है. वायुजनित और हृदयवाहिकीय बीमारियाँ, कैंसर, और मानसिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव इन प्रदूषकों जैसे कि कण पदार्थ (PM2.5), नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2), सल्फर डाइऑक्साइड (SO2), और ग्राउंड-लेवल ओजोन के कारण होते हैं. भारत के आंकड़े इस कड़ी वास्तविकता को दर्शाते हैं: https://www.bmj.com/content/383/bmj-2023-077784 के अनुसार, वायु प्रदूषण भारत में हर साल 20 लाख से अधिक मौतों का कारण बनता है. क्रोनिक श्वसन और हृदयविकार संबंधी विकार बढ़ते जा रहे हैं, जिससे स्वास्थ्य प्रणाली पर अरबों डॉलर का खर्च हो रहा है.
छिपी हुई लागत की गणना
वायु प्रदूषण केवल स्वास्थ्य पर ही नहीं, बल्कि आर्थिक दृष्टिकोण से भी गहरा प्रभाव डालता है. ग्रीनपीस और ऊर्जा और स्वच्छ हवा पर शोध केंद्र (CREA) द्वारा 2021 में किए गए एक विश्लेषण के अनुसार, वायु प्रदूषण भारत को हर साल लगभग $36.8 बिलियन का खर्च कराता है, जो उसके GDP का 1.36 प्रतिशत है. इसके कारणों में कर्मचारियों द्वारा लिए गए बीमार दिनों, स्वास्थ्य खर्च में वृद्धि, और कृषि उत्पादकता में गिरावट शामिल है. Environmental Research पत्रिका में प्रकाशित एक रिसर्च के अनुसार वायु प्रदूषण में मामूली गिरावट भी अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकती है. उदाहरण के लिए अगर दिल्ली में PM2.5 स्तर को 10 µg/m³ तक कम किया जाए, तो यह चिकित्सा खर्चों में लाखों डॉलर की बचत कर सकता है और श्रमिकों की उत्पादकता में 7 प्रतिशत की वृद्धि कर सकता है.
वर्तमान प्रतिक्रियाएं और उपाय
भारत ने वायु प्रदूषण से निपटने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, जिनमें वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM), ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP), और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की पहलें शामिल हैं. ये फ्रेमवर्क खासकर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में प्रदूषण को कम करने के लिए संरचित प्रतिक्रियाओं का उद्देश्य रखते हैं, उदाहरण के लिए, जब वायु गुणवत्ता सूचकांक अत्यधिक खराब होता है, तो GRAP औद्योगिक गतिविधियों को प्रतिबंधित करता है और डीजल जनरेटर पर प्रतिबंध लगाता है, जोकि प्रदूषण के स्तर के आधार पर कदम उठाता है. 2019 में शुरू किए गए भारत के राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के तहत 2024 तक 131 शहरों में कण पदार्थ (PM) में 20-30 प्रतिशत की कमी लाने का लक्ष्य रखा गया है. इसके अलावा कड़े उत्सर्जन मानक लागू और विद्युत वाहनों को बढ़ावा देता है और 1,400 निगरानी स्टेशनों के नेटवर्क के माध्यम से वास्तविक समय डेटा के आधार पर हस्तक्षेप करता है. इसके अतिरिक्त, अत्यधिक प्रदूषण के दौरों में आपातकालीन उपायों का उपयोग किया जाता है, जैसे कि फसल अवशेषों के जलने पर प्रतिबंध और जुर्माना, और दिल्ली का विषम-सम कार प्रणाली, जो अस्थायी रूप से सड़क पर गाड़ियों की संख्या को सीमित करता है. हालांकि, ये उपाय अक्सर सीमित समय तक ही प्रभावी होते हैं और दीर्घकालिक प्रभाव के लिए निरंतर कार्यान्वयन की आवश्यकता होती है. बिना व्यापक और डेटा-आधारित समाधानों के ये उपाय केवल अस्थायी सुधार होते हैं, जबकि वास्तविक समाधान की आवश्यकता होती है.
स्वच्छ भविष्य के लिए डेटा-आधारित नीतियां
1. वायु प्रदूषण को संबोधित करने के लिए हमें शॉर्ट-टर्म समाधानों से डेटा-आधारित, स्थायी नीतियों की ओर बढ़ने की आवश्यकता है. डेटा-आधारित नीतियों को अपनाकर, हम प्रदूषण के स्रोतों, कारणों, और प्रभावों को बेहतर समझ सकते हैं और हस्तक्षेपों को इस आधार पर अनुकूलित कर सकते हैं.
2. दिल्ली में सेंसर नेटवर्क का उपयोग यह दिखाता है कि कैसे वास्तविक समय निगरानी और पूर्वानुमान विश्लेषण अधिकारियों को प्रदूषण के हॉटस्पॉट्स की पहचान करने और वायु गुणवत्ता बिगड़ने से पहले कार्रवाई करने में सक्षम बनाता है. भविष्यवाणी मॉडल के द्वारा उच्च प्रदूषण जोखिम वाले समय की भविष्यवाणी की जा सकती है, जिससे फसल अवशेष जलाने जैसी निवारक कार्रवाइयाँ की जा सकती हैं.
3. स्थानीयकृत डेटा भी अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह शहरों को विशिष्ट नियंत्रण लागू करने की अनुमति देता है, जैसे कि उत्सर्जन की सीमा और यातायात प्रतिबंध, जो प्रदूषण-प्रधान क्षेत्रों के लिए अनुकूलित होते हैं. यूरोप के कुछ शहरों, जैसे पेरिस और एम्सटर्डम, ने इस सिद्धांत पर आधारित "लो एमिशन जोन" अपनाए हैं, जो उच्च उत्सर्जन वाहनों के लिए प्रवेश प्रतिबंधित करते हैं.
4. सरकारें पर्यावरणीय संकेतकों को सार्वजनिक स्वास्थ्य डेटा के साथ जोड़कर नीतियों की प्रभावशीलता का मूल्यांकन कर सकती हैं और आवश्यक समायोजन कर सकती हैं. "समीयर" जैसे ऐप्स, जो केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा बनाए गए हैं, उपयोगकर्ताओं को स्वास्थ्य सलाह और वास्तविक समय में वायु गुणवत्ता स्तरों को ट्रैक करने की सुविधा प्रदान करते हैं. इन ऐप्स का डेटा सरकार को सामुदायिक स्वास्थ्य के पैटर्न के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान कर सकता है, जिससे वे संसाधनों और प्रयासों को सबसे अधिक आवश्यकता वाले क्षेत्रों में केंद्रित कर सकते हैं.
5. वायु प्रदूषण से लड़ना एक जटिल लेकिन साध्य लक्ष्य है। डेटा-आधारित नीतियाँ बदलाव की नींव प्रदान कर सकती हैं, जहाँ पारंपरिक दृष्टिकोणों में अक्सर स्थायी परिणामों के लिए आवश्यक सटीकता और लचीलापन की कमी होती है. एआई में हुए विकास जैसे आर्टिफिशियल न्यूरल नेटवर्क्स (ANN) अब वास्तविक समय वायु गुणवत्ता निगरानी, पूर्वानुमान मॉडलिंग और यातायात और प्रदूषक संकेंद्रण प्रणालियों से डेटा एकत्र करने में सक्षम बनाते हैं। एआई और बिग डेटा का एकीकरण वायु गुणवत्ता प्रबंधन को भी बदल रहा है, जिससे नीति निर्धारकों को स्वस्थ शहरों के लिए सक्रिय और स्थायी रूप से कार्य करने में मदद मिल रही है. डेटा और प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए नीतियाँ डिजाइन और लागू करके, भारत स्वच्छ हवा प्राप्त करने और सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठा सकता है.
लेखिका-मुस्कान गुप्ता, छात्रा 11वीं कक्षा, स्पेप बॉय स्टेप स्कूल नोएडा व तान्या गुप्ता, पॉलिसी एसोसिएट, डिजिटल इंडिया फाउंडेशन
इस बार lत्यौहार पर रेलवे ने करीब 7500 स्पेशल ट्रेन चलाने का दावा किया है, जबकि पिछले साल यह संख्या 4500 थी. बावजूद इसके यात्रियों को जान जोखिम में डालकर सफर करना पड़ रहा है.
दिवाली बीतते ही देशभर में छठ पर्व को लेकर उत्साह नजर आने लगता है. अलग अलग जगहों में रहने वाले बिहार और पूर्वांचल के लोग छठ महापर्व मनाने के लिए अपने गांव जाने लगते है. इसी सप्ताह 6 से 8 नवंबर तक देशभर में छठ पर्व मनाया जाएगा. इसे लेकर रेलवे ने अतिरिक्त ट्रेन चलाने का दावा भी किया है, लेकिन छठ के समय हमेशा की तरह इस बार भी बाहर से बिहार आने वाली ट्रेनों में यात्रियों की खचाखच भीड़ दिख रही है. भीड़ का आलम ऐसा है कि यात्री टॉयलेट के गेट तक बैठकर यात्रा करने को मजबूर हैं.
जान जोखिम में डालकर सफर कर रहे यात्री
देश के पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में छठ पर्व को धूमधाम और श्रद्धा भाव से मनाया जाता है. दिल्ली, मुंबई, हरियाणा, पंजाब, गुजरात, राजस्थान जैसे राज्यों में मजदूरी करने वाले हजारों प्रवासी इस अवसर पर अपने घर लौटते हैं, लेकिन इस समय वे लोग ट्रेन में काफी बुरे हाल में सफर कर रहे हैं. ट्रेन में सफर करते लोगों की फोटो और वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रही हैं. काफी संख्या में यात्री ट्रेन की गेट पर लटककर जान जोखिम में डालकर यात्रा करने को विवश हैं. कई यात्री ऐसे भी नजर आ रहे हैं जो अपने सामान को ट्रेन के बाहर खिड़की से बांधकर रखे हुए हैं, क्योंकि ट्रेन में लगेज रखने की जगह नहीं है.
बाथरूम तक में बैठे हैं लोग
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार जनरल कोच के अंदर यात्रियों के खड़े होने तक की जगह नहीं है. जो जहां घुस गया वहीं खड़े होकर ही यात्रा करने को मजबूर है. कुछ यात्रियों ने बताया कि पिछले 15 घंटे से वह खड़े होकर यात्रा कर रहे हैं. जनरल डिब्बों के बाथरूम तक में लोग बैठे हैं. वहीं स्पेशल ट्रेन चलाई जाने को लेकर लोगों का कहना है कि रेलवे के दावे फेल हैं. सिर्फ स्पेशल ट्रेनों की बात कही जा रही है. अभी तक अगर स्पेशल ट्रेन चलाई जाती तो यहां इतनी भीड़ देखने को नहीं मिलती, लोग परेशान है.
सोशल मीडिया पर वायरल हो रही ट्रेन की तस्वीरें
सोशल मीडिया पर अंबाला की एक तस्वीर वायरल हो रही है. बीते दिनों वहां प्लेटफार्म नंबर दो पर जनसेवा एक्सप्रेस आई. उसमें सवार होने के लिए लोग दौड़ पड़े, लेकिन कहीं जगह नहीं. यहां तक कि ट्रेन के दरवाजे भी बंद, तब भी दो युवक हिम्मत कर ट्रेन में चढ़ गए, लेकिन अंदर के पैसेंजर्स ने दरवाजा नहीं खोला. मजबूरी में उन्होंने खुद को गमछे से ट्रेन से बांधा. यही नहीं, अपने बैग को भी खिड़की से बांध लिया.
ट्रेन में सीट नहीं मिली तो खटिया बुन दिया
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (X) पर एक वीडियो इन दिनों खूब शेयर किया जा रहा है. इसमें पैसेंजर्स ट्रेन के डिब्बे में खचाखच भरे हुए हैं. एक उत्साही पैसेंजर ने दो बर्थ के बीच खाली जगह में रस्सी से खटिया की तरह जाली बुन दिया.
दिल्ली में भी बुरे हालात
सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स (X) पर एक फोटो शेयर किया गया है. यह फोटो पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन का है. वहां से बिहार की तरफ रवाना होने वाली ट्रेन के एक स्लीपर डिब्बे में लोग ऐसे चढ़ रहे हैं जैसे वह मानव नहीं बल्कि सामाना हों, यह हालत रिजर्व डिब्बे की है. ऐसे में समझ लीजिए कि जनरल डिब्बे की क्या हालत होगी.
चेयर कार में भी सफर का इंतजाम
एक और फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जोकि फोटो कुर्सी यान का दिख रहा है. इसमें एक नहीं बल्कि कई पैसेंजर अपने गमछे को उपर छत से लटके रिंग और सामान रखने वाले रैक से बांध दिया है. उसी गमछे के झूले में वे समा गए हैं और यात्रा कर रहे हैं.
रेलवे का दावा
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष सतीश कुमार का दावा है कि पिछले साल छठ पर्व में करीब 4,000 स्पेशल ट्रेन चलाई गई थी. इस बार करीब 7,750 स्पेशल ट्रेन चलाई जा रही हैं. इसके साथ ही ऑन डिमांड भी स्पेशल ट्रेन चलाई जा रही है. इसका मतलब कि जिस रूट पर पैसेंजर्स ज्यादा हैं, वहां ऑन डिमांड ट्रेन चलाई जा रही हैं. रेलवे बोर्ड का दावा है कि भारतीय रेलवे ने नई दिल्ली, आनंद विहार, अहमदाबाद, सूरत, वडोदरा, मुंबई, बांद्रा, विजयवाड़ा, विशाखापत्तनम, हैदराबाद, चेन्नई और बेंगलुरु सहित देश के सभी महत्वपूर्ण स्टेशनों पर छठ पूजा के दौरान अपने घरों की यात्रा करने वाले लोगों के लिए विशेष व्यवस्था की गई है. भीड़ को नियंत्रित करने के लिए बिहार और उत्तर प्रदेश के लिए विभिन्न ट्रेनें चला रहे हैं. भीड़ को प्रबंधित करने के लिए रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) और सरकारी रेलवे पुलिस (जीआरपी) के स्टाफ को तैनात किया गया है और यात्रा से संबंधित शंकाओं को दूर करने के लिए रेल सेवक भी लगाए गए हैं. विशेष ट्रेनों में अतिरिक्त कोच भी जोड़े गए हैं और रेलवे ने स्टेशनों पर सैकड़ों सीसीटीवी कैमरे लगाए हैं ताकि लोगों की गतिविधियों पर नजर रखी जा सके.
महंगाई के मोर्चे पर जनता को बड़ा झटका लगा है. ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने एलपीजी सिलेंडर के दामों में इजाफा कर दिया है. नई कीमतें आज से लागू हुई हैं.
अक्तूबर के पहले दिन ही महंगाई का झटका लगा है. ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने LPG सिलेंडर के दाम बढ़ा दिए हैं. महंगाई पहले से ही लोगों की जेब काट रही है. ऐसे में सिलेंडर के दामों में इजाफा उसके लिए दोहरी मार की तरह है. हालांकि, यह मूल्यवृद्धि केवल कमर्शियल LPG सिलेंडर के लिए की गई है. घरेलू सिलेंडर की कीमतों में कंपनियों ने कोई बदलाव नहीं हुआ है. कमर्शियल सिलेंडर का इस्तेमाल रेस्टोरेंट और होटल आदि में होता है. इसके महंगा होने पर बाहर खाना-पीना महंगा हो जाता है, लेकिन क्रूर सच्चाई यह है कि कीमत घटने पर चढ़े दाम वापस नीचे नहीं आते.
अब इतने में मिलेगा सिलेंडर
कमर्शियल एलपीजी सिलेंडर के दाम में करीब 50 रुपए की बढ़ोतरी की गई है. आज से दिल्ली में 19 किलोग्राम वाला इंडेन का सिलेंडर 1740 रुपए में मिलेगा. जबकि 14 किलो वाला सिलेंडर पहले की तरह 803 रुपए में ही उपलब्ध है. इंडियन ऑयल द्वारा नए रेट के मुताबिक, 1 अक्टूबर से मुंबई में कमर्शियल एलपीजी सिलेंडर 1692.50 रुपए, कोलकाता में 1850.50 रुपए और चेन्नई में 1903 रुपए का हो गया है. इससे पहले सितंबर में भी इस सिलेंडर के दाम करीब 39 रुपए बढ़ाए गए थे.
1 तारीख को होता है अपडेट
हर महीने की पहली तारीख को LPG सिलेंडर की कीमतें तय होती हैं. इसी के तहत कंपनियों ने आज से सिलेंडर महंगा कर दिया है. कंपनियों ने घरेलू सिलेंडर के दाम में कोई बदलाव नहीं किया है. 14.2 किलो वाले सिलेंडर की कीमत दिल्ली में 803 रुपए, कोलकाता में 829 रुपए, मुंबई में 802.50 रुपए और चेन्नई में 818.50 रुपए बनी हुई है. हालांकि, उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों को सामान्य ग्राहकों की तुलना में घरेलू सिलेंडर सस्ता मिलता है. कमर्शियल सिलेंडर के दामों में हर थोड़े अन्तराल में बदलाव होता रहता है, लेकिन घरेलू सिलेंडर की कीमतों से कम्पनियां कम छेड़छाड़ करती हैं. लोकसभा चुनाव से पहले इस पर कुछ राहत मिली थी.
पार्किंग की उचित व्यवस्था न होने के चलते अक्सर लोग रात के समय सड़क किनारे अपने वाहन खड़े कर देते हैं. लेकिन अब ऐसे लोगों को जेब ढीली करनी होगी.
उत्तर प्रदेश में रहने वालों को रात में सड़क किनारे गाड़ी खड़ी करने पर भी जेब ढीली करनी होगी. एक रिपोर्ट के अनुसार, नगर विकास विभाग रात्रिकालीन पार्किंग की व्यवस्था लागू करने जा रहा है. इसके तहत नगर निगम के अधिकार क्षेत्र में आने वाले स्थानों पर यदि कोई रात में गाड़ी खड़ी करता है, तो उससे पार्किंग शुल्क लिया जाएगा.
इतना होगा पार्किंग शुल्क
पार्किंग शुल्क की दरें भी लगभग तय हो गई हैं. यदि कोई एक रात के लिए नगर नियम के अधिकार क्षेत्र वाली सड़क पर गाड़ी खड़ी करता है, तो उसे प्रति रात के लिए 100 रुपए शुल्क देना होगा. इसी तरह, हफ्ते भर के लिए 300 रुपए, महीने भर के लिए 1000 और साल भर के लिए 10,000 रुपए शुल्क निर्धारित किया गया है.
जुर्माने का भी है प्रावधान
इतना ही नहीं, यदि कोई बिना नगर निगम की अनुमति या परमिट के गाड़ी खड़ी करता है तो उससे तीन गुना शुल्क वसूल किया जाएगा. फिलहाल, इस प्रस्ताव को सुझाव और आपत्ति मांगी गई हैं. यदि योगी कैबिनेट प्रस्ताव को मंजूरी देती है, तो पार्किंग की इस नई नीति को लागू कर दिया जाएगा. हालांकि, इससे उन लोगों की परेशानी ज़रूर बढ़ जाएगी जो अब तक बिना किसी शुल्क के सड़क किनारे गाड़ी लगा रहे हैं.
CM ने दिया था निर्देश
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में सुनियोजित पार्किंग के लिए नगर विकास विभाग को नीति लाने का निर्देश दिया था, जिस पर अमल करते हुए इस नई पार्किंग नीति का खाका तैयार किया गया है. खबर यह भी है कि नगर निगम द्वारा विकसित पार्किंग को निजी हाथों में भी देने पर विचार किया जा सकता है. इसके अलावा, मल्टी लेवल कार पार्किंग की सुविधा भी विकसित करने की तैयारी है.
इस आदेश पर अमल शुरू
हाल ही में आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) सरकार ने होटल, ढाबा और रेस्टोरेंट जैसे खाद्य प्रतिष्ठानों के लिए नए आदेश जारी किए थे. इसके तहत प्रदेश के हर ढाबा और रेस्टोरेंट पर मालिक-संचालकों का नाम लिखना अनिवार्य किया गया है. इसके साथ ही सरकार ने स्पष्ट किया है कि ढाबा-रेस्तरां में काम करने वाला प्रत्येक कर्मचारी मास्क लगाएगा और वहां CCTV की भी व्यवस्था की जाएगी. CM के निर्देश पर अमल शुरू हो गया है. दरअसल, हाल के दिनों में खाने-पीने की चीजों में थूकने या पेशाब करने की कई घटनाएं सामने आई हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने यह सख्त फैसला लिया है.
पेट्रोल-डीजल के दामों में लोकसभा चुनाव से पहले दो रुपए की कटौती हुई थी. हालांकि, पेट्रोल-डीजल पहले से ही इतना महंगा हो चुका है कि उस राहत से जनता को कुछ खास फर्क नहीं पड़ा.
पेट्रोल-डीजल के दामों में लंबे अर्से के बाद राहत मिलने की उम्मीद बढ़ गई है. माना जा रहा है कि अगले कुछ दिनों में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में 2 से 3 रुपए की कमी हो सकती है. दरअसल, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में लगातार नरमी बनी हुई है. इससे घरेलू ऑयल मार्केटिंग कंपनियों के मुनाफे में सुधार हुआ है. इसके अलावा, हरियाणा और महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव भी होने हैं. इन सभी कारणों के चलते आम जनता को कुछ राहत मिल सकती है.
CLSA को भी है उम्मीद
एक रिपोर्ट में रेटिंग एजेंसी इक्रा के हवाले से बताया गया है कि कच्चे तेल में नरमी के चलते कंपनियों के लिए पेट्रोल-डीजल के दामों में 2 से तीन रुपए कटौती की गुंजाइश बन गई है. इसी तरह, इन्वेस्टमेंट एवं कैपिटल मार्केट्स ग्रुप CLSA का मानना है कि 5 अक्टूबर के बाद पेट्रोल और डीजल की कीमतें कम हो सकती हैं. बता दें कि हाल ही में पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय में सचिव पंकज जैन ने कहा था कि यदि क्रूड ऑयल यानी कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट बनी रहती है, तो ऑयल मार्केटिंग कंपनियां पेट्रोल-डीजल की कीमत में कमी पर विचार कर सकती हैं.
मार्च में मिली थी कुछ राहत
इक्रा ने एक नोट में कहा है कि कच्चे तेल की कीमतों में कमी के साथ हाल के सप्ताहों में भारतीय पेट्रोलियम कंपनियों के लिए पेट्रोल-डीजल की खुदरा बिक्री पर मुनाफे में सुधार हुआ है. रेटिंग एजेंसी का अनुमान है कि यदि कच्चे तेल की कीमतें मौजूदा स्तर पर स्थिर रहती हैं, तो खुदरा फ्यूल की कीमतों में कमी की गुंजाइश है. पेट्रोल-डीजल के दाम मार्च, 2024 से यथावत हैं. लोकसभा चुनाव के चलते 15 मार्च को पेट्रोल-डीजल के दाम में 2 रुपए प्रति लीटर की कटौती की गई थी.
इस वजह से आई गिरावट
वैश्विक अर्थव्यवस्था की ग्रोथ धीमी पड़ने से तेल की मांग में कमी आने की आशंका है. इस वजह से कच्चे तेल की कीमत में गिरावट आई है. क्रूड ऑयल सस्ता होने से ऑयल मार्केटिंग कंपनियों के मार्जिन में सुधार हुआ है. इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन, भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड का देश के 90% ऑयल मार्केट पर कब्जा है. कई राज्यों में पेट्रोल की कीमत 100 रुपए प्रति लीटर से अधिक हो गई है और डीजल का दाम भी 90 रुपए प्रति लीटर के पार है. डीजल का सीधा संबंध महंगाई से है. ऐसे में महंगे पेट्रोल-डीजल ने लोगों का पूरा गणित बिगाड़ दिया है.
कभी न थमने वाली मुंबई बारिश के आगे बेबस हो जाती है. बुधवार को भी यही नज़ारा देखने को मिला. आज भी मुंबई में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया गया है.
कभी न थमने वाली मुंबई एक बार फिर बारिश (Mumbai Rain) के आगे बेबस नज़र आई. बुधवार को हुई मूसलाधार बारिश ने पूरी मुंबई को जैसे जाम कर दिया. सड़क, ट्रेन से लेकर हवाई जहाज तक हर रूट बारिश के चलते प्रभावित रहा. ऐसे में लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा. शाम को घर जाने के लिए ऑफिस से निकले अधिकांश लोग दूसरे दिन अल सुबह ही अपने ठिकाने पर पहुंच सके. मौसम विभाग ने आज भी तेजी बारिश का अलर्ट जारी किया है. इसके मद्देनजर सभी स्कूल और कॉलेज आज बंद रहेंगे. हालांकि, नौकरीपेशा लोगों को सामान्य दिनों की तरह ही ऑफिस जाना होगा.
बीच सफर में रद्द हुई ट्रेन
बारिश के चलते जगह-जगह सड़कों और रेलवे ट्रैक पर पानी भर गया, जिसकी वजह से लोग बीच रास्ते में ही फंस गए. CST से नवी मुंबई को जाने वाली लोकल को कुर्ला स्टेशन पर रोक दिया गया. काफी देर तक यात्री ट्रेन के चलने का इंतजार करते रहे. करीब एक घंटे के बाद लोकल के रद्द होने की घोषणा की गई. आसपास के इलाकों में पानी भरने के चलते यहां से लोगों को कैब या कोई दूसरा साधन भी नहीं मिला. मजबूरन उन्हें काफी दूर तक पैदल चलकर जाना पड़ा. शाम को ऑफिस से निकले लोग गुरुवार अल सुबह ही अपने घर पहुंच सके. इसमें बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल रहीं.
गूगल मैप भी हुआ लाल
रेलवे ट्रैक पर पानी जमा होने के कारण कई रूट्स पर लोकल ट्रेनों के पहिये थम गए. गूगल मैप में शहर की अधिकांश सड़कें लाल नजर आईं, क्योंकि जलभराव के चलते ट्रैफिक जाम हो गया था. मुंबई में शाम के समय जोरदार बारिश हुई. मौसम विभाग ने बारिश का अनुमान जताया था, लेकिन इतनी तेज होगी ये शायद किसी ने नहीं सोचा था. बारिश और तेज हवा के चलते कई फ्लाइट को भी डायवर्ट किया गया. कल मुंबई हवाई अड्डे पर स्पाइसजेट, इंडिगो और विस्तारा की उड़ानें प्रभावित होने की जानकारी है.
हर बार की यही कहानी
मौसम कार्यालय ने गुरुवार को भी मुंबई और पड़ोसी जिलों के लिए भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है. विभाग के मुताबिक, मुंबई, ठाणे, रायगढ़ और रत्नागिरी जिलों में अलग-अलग स्थानों पर बिजली और तेज़ हवाओं के साथ भारी बारिश की संभावना है. बता दें कि यह कोई पहला मौका नहीं है. बारिश के दिनों में अक्सर मुंबई थम जाती है और लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है. प्रशासन ने ऐहतियात के तौर पर आज सभी स्कूल-कॉलेज बंद रखे हैं, लेकिन सरकारी और निजी कार्यालय खुले रहेंगे.