Special Story: इन देशों में नहीं लगता 1 रुपया भी टैक्स, तो फिर कैसे चलते हैं ये देश

यहां पर पर्सनल इनकम टैक्स, कॉर्पोरेट टैक्स नहीं लिया जाता है. तो फिर ये देश कमाई कैसे करते हैं. इसके कई तरीके हैं. 

Last Modified:
Saturday, 22 October, 2022
UAE

नई दिल्ली: भारत में हम कई तरह के टैक्स देते हैं, हर चीज पर टैक्स देते हैं, खाने पर टैक्स, घूमने पर टैक्स, पढ़ने पर टैक्स, बीमार पड़ गये तो इलाज पर टैक्स. लेकिन अगर हम टैक्स नहीं देंगे तो देश का खर्चा कैसे चलेगा, सड़कें कैसे बनेंगी, बिजली, पानी और दूसरी तमाम सुविधाएं सरकार हमको कैसे मुहैया कराएगी. लेकिन क्या आपको पता है कि कई ऐसे देश भी हैं, जहां कोई टैक्स नहीं लगता. आपकी सैलरी पूरी की पूरी आती है, इनकम पर कोई TDS नहीं कटता, यानी NO INCOME TAX. जैसे कि UAE, कतर, बहमास वैगरह. 

लेकिन अब सवाल ये उठता है कि अगर ये देश अपने लोगों से एक भी पैसा टैक्स नहीं लेते तो ये अपना देश चलाते कैसे हैं. इसके लिये इन देशों ने अलग अलग आय के स्रोत अपनाए हैं. चलिये एक एक करके समझते हैं. 

यूनाइटेड अरब अमीरात (UAE)
यहां पर कोई भी व्यक्ति इनकम टैक्स नहीं देता है. क्योंकि देखा जाए तो इस अरब देश को इनकम टैक्स के जरिये कमाई करने की जरूरत हीं नहीं है, क्यों ये देश प्राकृतिक संसाधनों का भंडार, इसके पास इतना तेल है कि ये पूरी दुनिया की जरूरतें अकेले ही पूरी कर सकता है. यहां के फ्री ट्रेड जोन विदेशी कंपनियों के लिए खुले हैं, जिन पर कोई टैक्स नहीं लगता है, इसलिये ये निवेश के लिए भी पहली पसंद बन जाते हैं. UAE अपने देश में अंतरराष्ट्रीय बैंकों से और तेल कारोबारियों से ही कॉर्पोरेट टैक्स लेता है. जबकि बाकी इंडस्ट्रीज टैक्स फ्री काम करती हैं. यहां कि Emirates Airline अकेले ही GDP में 3 परसेंट से ज्यादा का योगदान करती है. 

कतर (QATAR)
इस अरब देश में यहां के लोगों से इनकम टैक्स नहीं लिया जाता है, लेकिन कमर्शियल एक्टिविटी से साल में एक बार 10 परसेंट का टैक्स लिया जाता है. इसके अलावा रेंटल इनकम भी 10 परसेंट पर फिक्स है. टैक्स फ्री माहौल और शानदार इंफ्रास्ट्रक्चर की वजह से यहां दुनिया भर की कंपनियां आती हैं और अपना कारोबार करती हैं. जिससे कतर को कमाई होती है. 

ओमान (Oman)
खाड़ी का ये देश भी विदेशी लोगों के लिए काम करने की पसंदीदा जगह है. ये रेजिडेंट या नॉन-रेजिडेंट किसी से भी पर्सनल इनकम टैक्स नहीं वसूलता है. आप कितना भी कमाएं, कोई वेल्थ टैक्स नहीं लगता, प्रॉपर्टी खरीदने पर प्रॉपर्टी टैक्स नहीं देना और कोई कैपिटल गेंस टैक्स भी नहीं लागू होता है. सिर्फ बिजनेस और एंटरप्राइजेस को 15 परसेंट का टैक्स देना होता है, पेट्रोलियम से जुड़े बिजनेस से इस देश को 55 परसेंट टैक्स मिलता है. 

बहमास (Bahmas)
ये कैरिबियन देश भी टैक्स फ्री है, ये एक तरह से टैक्स हैवेन देश है, जहां न तो पर्सनल इनकम टैक्स है और न ही कॉर्पोरेट टैक्स है. यही वजह है कि विदेशी वित्तीय संस्थाएं अपना ऑफिस यहां खोलती हैं, और कई दूसरी कंपनियां भी आकर यहां बिजनेस करती हैं. अगर कोई इंटरनेशनल बिजनेस बहमास में रहकर कमाई कर रहा है तो सिर्फ उसी पर कॉर्पोरेट टैक्स लगाया जाता है. इसके अलावा वेल्थ, कैपिटल गेन टैक्स और दूसरे तमाम तरह के टैक्स यहां पर लागू नहीं होते हैं. यहां के लोग अपनी पूरी की पूरी कमाई बिना टैक्स दिये घर लेकर जाते हैं.

टैक्स नहीं लेते, तो कैसे कमाते हैं ये देश 
इन देशों के अलावा कई दूसरे देश भी हैं जहां इनकम टैक्स और कॉर्पोरेट टैक्स नहीं देना होता है, जैसे नीदरलैंड, लग्जमबर्ग, सिंगापुर, केमैन आयलैंड, मॉरिशस, स्विट्जलैंड. जिन्हें टैक्स हैवेन देशों के नाम से जाना जाता है. इन देशों को दुनिया की बड़ी बड़ी कंपनियां अपना टैक्स बचाने के लिये यहां अपनी फैक्ट्रियां और ऑफिस खोलती हैं, क्योंकि यहां का टैक्स स्ट्रक्चर बहुत आसान है. यहां पर पर्सनल इनकम टैक्स, कॉर्पोरेट टैक्स नहीं लिया जाता है. तो फिर ये देश कमाई कैसे करते हैं. इसके कई तरीके हैं. 

1. जब इन देशों में कंपनियां काम करने जाती हैं तो उन्हें एक रजिस्ट्रेशन फीस देनी होती है, इसके बाद हर साल एक रीन्यूअल फीस भी देनी होती है. किसको कितनी फीस देनी है ये इस बात पर निर्भर करता है कि वो किस तरह का बिजनेस कर रही हैं. वित्तीय कंपनियों, जैसे बैंक और बीमा कंपनियों को अतिरिक्ति रीन्यूअल फीस हर साल देनी होती है.

2. कई सारे देश 'Departure Tax' लगाते हैं. दरअसल, ये देश घूमने फिरने के लिहाज से भी काफी मशहूर हैं. यहां पर हर साल लाखों सैलानी आते हैं. ऐसे ही लोगों से ये देश 'Departure Tax' वसूलते हैं. ये वो टैक्स होता है जब सैलानी घूमफिरकर देश छोड़कर जा रहे होते है. ऐसे हवाई यात्रियों से एयरपोर्ट का इस्तेमाल करने के नाम पर ये टैक्स लिया जाता है, लेकिन कई देश ये टैक्स तभी लेते हैं जब वो हवाई मार्ग से देश छोड़ रहे होते हैं. ये टैक्स कई बार फ्लाइट की टिकट बुकिंग के समय ही ले लिया जाता है. 

3. ये  देश अपने देश में इंपोर्ट होने वाले सामानों पर बाकी देशों के मुकाबले कहीं ज्यादा ऊंची कस्टम ड्यूटी लगाते हैं. कई बार ये पांच तरह की कस्टम ड्यूटी होती है, जिससे इन देशों को मोटी कमाई होती है. जिसकी वजह से यहां पर इंपोर्ट किये हुए सामान काफी महंगे हो जाते हैं. इसलिये ज्यादातर कंपनियां इन देशों में खुद को रजिस्टर्ड करवाकर जीरो कॉर्पोरेट टैक्स का लाभ उठाती है. 

4. इसमें से कई देश सेल्फ इनकम मोड में काम करते हैं, मतलब यहां के जितने भी विभाग होते हैं, वो खुद इनकम जेनरेट करते हैं, खुद ही अपने कर्मचारियों को सैलरी देते हैं, वो सरकार से कोई मदद नहीं लेते है. जैसे एविएशन और रेलवे, अपनी कमाई खुद करते हैं, और सेल्फ इनकम मोड में चलते हैं.