आंध्र प्रदेश के बंटवारे से तेलंगाना का जन्म हुआ था. 10 सालों तक दोनों राज्यों की राजधानी हैदराबाद ही थी.
आंध्र प्रदेश की राजधानी को लेकर पिछले कुछ सालों में काफी डिबेट हुई है और इस डिबेट ने कन्फ्यूजन को भी जन्म दिया है. हालांकि, तेलुगू देशम पार्टी (TDP) की सरकार में वापसी के साथ ही सभी कन्फ्यूजन दूर हो गए हैं. राज्य मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू (Chandrababu Naidu) ने ऐलान किया है कि आंध्र प्रदेश की राजधानी अमरावती ही होगी. मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने से एक दिन पहले भी नायडू ने स्पष्ट किया था कि आंध्र प्रदेश की एकमात्र राजधानी अमरावती ही होगी. नायडू ने एकमात्र पर इसलिए जोर दिया है, क्योंकि पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने 'थ्री कैपिटल' फॉर्मूला दिया था.
2019 में मिली हार से लगा था झटका
चंद्रबाबू नायडू का कहना है कि प्रदेश की राजधानी अमरावती होगी और विशाखापट्टनम को आर्थिक राजधानी के तौर पर विकसित किया जाएगा. आंध्र प्रदेश की 175 विधानसभा सीटों में से TDP और उसकी सहयोगी पार्टियों ने मिलकर 164 सीटें जीती हैं. जबकि जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस के खाते में महज 11 सीटें आई हैं. बता दें कि अपने पिछले कार्यकाल में नायडू ने अमरावती को राजधानी बनाने का प्रस्ताव रखा था और इस पर काम भी शुरू हो गया था. लेकिन 2019 के विधानसभा चुनाव में TDP की हार के बाद सबकुछ बदल गया.
हैदराबाद हुआ करती थी राजधानी
2019 में जगन मोहन रेड्डी ने बतौर मुख्यमंत्री राज्य की सत्ता संभाली. उन्होंने एक नहीं बल्कि तीन राजधानी बनाने का प्रस्ताव रखा. रेड्डी के प्लान के तहत विशाखापट्टनम, अमरावती और कुर्नूल को आंध्र की राजधानी बनाया जाना था. उनकी सरकार इस पर विधेयक भी लेकर आई, मगर हाई कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी थी. ये मामला फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में लंबित है. आंध्र प्रदेश की राजधानी पहले हैदराबाद हुआ करती थी. इसी साल हैदराबाद पर केवल तेलंगाना का अधिकार हो गया और आंध्र की राजधानी का मुद्दा फिर उत्पन्न हो गया. अब नायडू के सत्ता संभालने के बाद सभी कन्फ्यूजन दूर हो गये हैं. अमरावती ही अब राज्य की राजधानी होगी.
2014 में हुआ था राज्य का बंटवारा
2014 में आंध्र प्रदेश का बंटवारा हुआ था. इसके बाद देश के 29वें राज्य के रूप में तेलंगाना अस्तित्व में आया. आंध्र प्रदेश रिऑर्गनाइजेशन एक्ट के मुताबिक, हैदराबाद को 2 जून 2014 से अगले 10 साल के आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की संयुक्त राजधानी बनाया गया था. इस एक्ट की धारा 5(2) में कहा गया था कि 10 साल बाद हैदराबाद केवल तेलंगाना की राजधानी रहेगा और आंध्र प्रदेश को नई राजधानी खोजनी होगी. इस 2 जून 2024 को 10 साल की अवधि पूरी होने के बाद यह सबसे बड़ा सवाल बन गया था कि आंध्र की राजधानी क्या होगी.
वर्ल्ड क्लास सिटी होगी अमरावती
अमरावती को आंध्र की नई राजधानी चुनने के कई कारण हैं. इसमें से सबसे प्रमुख यह है कि अमरावती राज्य के दो बड़े अर्बन सेंटर विजयवाड़ा और गुंटूर के बीचोंबीच स्थित है. आंध्र प्रदेश कैपिटल रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी (CRDA) के तहत राजधानी को 217 वर्ग किलोमीटर के दायरे में तैयार किया जाएगा. चंद्रबाबू नायडू की योजना अमरावती को एक वर्ल्ड क्लास सिटी की तरह विकसित करने की है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि नायडू की सत्ता में वापसी के बाद अमरावती को फिर से डेवलप करने की योजना तेजी से परवान चढ़ सकेगी. बता दें कि अमरावती का नाम भगवान शिव के अमरेश्वर मंदिर के नाम पर पड़ा है.
क्या चाहते थे जगन मोहन रेड्डी?
पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी आंध्र प्रदेश की तीन राजधानी बनाना चाहते थे. दिसंबर 2019 में रेड्डी सरकार इस संबंध में नया बिल लेकर आई थी, जिसे 'थ्री कैपिटल बिल' नाम दिया गया था. इस विधेयक में कहा गया था कि आंध्र प्रदेश की तीन राजधानियां बनेंगी. पहली विशाखापट्टनम, जहां से सरकार का प्रशासनिक कामकाज होगा. दूसरी अमरावती, जहां विधानसभा होगी और तीसरी कुर्नूल जहां हाईकोर्ट होगा. लेकिन उनकी इस योजना पर हाई कोर्ट ने रोक लगा दी. हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी.