Meta में काम करने वाले इंजीनियर ने छोड़ी 3 करोड़ की नौकरी, वजह सुनेंगे तो चौंक जाएंगे

28 साल के इस इंजीनियर को पहली बार पैनिक अटैक तब पड़ा जब वो घर से काम कर रहा था. अचानक उसकी फिंगर सुन्‍न हो गई. 

Last Modified:
Wednesday, 11 October, 2023
Meta

दुनियाभर में कुछ कंपनियां ऐसी हैं जिनमें काम करना हर टेक इंजीनियर का सपना होता है. अपने इस सपने को पाने के लिए कई लोग दिन रात एक कर देते हैं. लेकिन दुनिया की इन्‍हीं कंपनियों में एक मेटा से एक ऐसी खबर निकलकर सामने आई है जिसने सारी टेक फेटर्निटी के साथ इन कंपनियों को उनके वर्क कल्‍चर के लिए जानने वाले हर शख्‍स को हिलाकर रख दिया है. मेटा में काम करने वाले एक टेक इंजीनियर का कहना है कि काम के प्रेशर के कारण पैनिक अटैक आ गया. इस अटैक के बाद अब उसने 3 करोड़ रुपये की अपनी नौकरी को छोड़ दिया है. 

आखिर क्‍या है ये पूरा मामला? 
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, 28 साल के इस टेक इंजीनियन का नाम एरिक यू (Eric Yu) है. एरिक को पहला अटैक तब आया जब वो वर्क फ्राम होम कर रहे थे. इस अटैक के दौरान उसकी फिंगर पूरी तरह से सुन्‍न हो गई थी. पहले तो उन्‍होंने इसे पूरी तरह से नजरंदाज कर दिया और अपना काम करते रहे लेकिन अगले एक घंटे में ये और बढ़ गया और उनके कानों से आवाज आने के साथ उनकी हार्ट बीट तेज हो गई. एरिक ने मेटा 2016 में ज्‍वॉइन की थी और पिछले साल उसने इसे छोड़ दिया. 

ये होती थी इंजीनियर की दिनचर्या
मेटा के पूर्व इंजीनियर ने अपने काम करने के समय के बारे में बताते हुए कहा कि हमारे दिन की शुरुआत सुबह 7 बजे हो जाया करती थी. इसके बाद वो दोपहर तक काम किया करते थे. दोपहर में काम करने के बाद वो कुछ मीटिंग में भाग लेते और उसके बाद शाम को पांच बजे तक एक बार फिर इंटेंस कोडिंग को सुलझाने के लिए बैठ जाते थे. वर्किंग समय के खत्‍म होने के बाद भी वो अपने सिस्‍टम को बंद नहीं करते थे, बल्कि समस्‍याओं के बारे में सोचते रहते थे. उन्‍होंने कहा कि मेटा का कोडिंग गुणवत्‍ता बहुत उच्‍च होती है. कोडिंग की समीक्षा इतनी आसान नहीं होती है. कई बार तनाव पैदा होने पर उन्‍हें कड़ी प्रतिक्रियाओं का भी सामना करना पड़ा. 

कब छोड़नी पड़ी नौकरी? 
यू ने बताया कि आखिरी बार उन्‍हें कब ऐसा लगा जब उन्‍होंने मेटा को अलविदा कहने का निर्णय ले लिया. इस पर उन्‍होंने कहा कि जब उनके सीनियर ने उनके कमिट काउंट पर सवाल उठाया उस दिन उन्‍हें काफी बुरा लगा. उन्‍होंने कहा कि जिस प्रक्रिया में इंजीनियर कोडबेस पर कोड लिखते हैं उसे कमिट काउंट कहते हैं. कंपनी में एक डैशबोर्ड होता है जिसमें दिखता है कि किस कर्मचारी ने कितने कोड लिखे हैं. उन्‍होंने कहा कि इसे सभी को दिखाया जाना एक स्‍वस्‍थ परंपरा नहीं है. इससे तनाव पैदा होता है. उन्‍होंने कहा कि मेरा मानना है कि अकेले कोडिंग कुछ भी नहीं दिखाती है. उनके प्रबंधक ने एक अलग दृष्टिकोण रखा और वो उनकी मेटा में आखिरी बातचीत थी. उन्‍होंने कहा कि 3 करोड़ का पैकेज छोड़ना पागलपन है अगर मैं वहां रहता तो मेरी जीवनभर की वित्‍तीय समस्‍या खत्‍म हो सकती थी. लेकिन ये मेरे लिए ठीक नहीं था.