आंखें खोलने वाली रिपोर्ट! किस राज्य में सबसे अधिक बेरोजगारी और कहां कमाई एकदम कम?

29.9 प्रतिशत के साथ सबसे अधिक युवा उत्तर प्रदेश में हैं. इसके बाद युवाओं की सबसे ज्यादा संख्या 29.3 प्रतिशत कश्मीर में है.

Last Modified:
Thursday, 13 October, 2022
Indian Rupee BW

नई दिल्ली: राजनेताओं को ऐसा कहते आपने कई बार सुना होगा कि जितनी अधिक संख्या में युवा होंगे, तरक्की उतनी तेजी से होगी. पर क्या वास्तव में ऐसा होता है? यदि सचमुच ऐसा होता तो फिर रोजगार और आमदनी के मामले में सबसे आगे यूपी, बिहार और राजस्थान होते, क्योंकि यहां युवाओं की संख्या बहुत ज्यादा है. पर अफसोस इन राज्यों में बेरोजगारी भी सबसे ज्यादा है और कमाई के मामले में भी ये राज्य बहुत पीछे हैं.

आइए, इसे अब आंकड़ों से समझते हैं
स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक 29.9 प्रतिशत के साथ सबसे अधिक युवा उत्तर प्रदेश में हैं. इसके बाद युवाओं की सबसे ज्यादा संख्या 29.3 प्रतिशत कश्मीर में है. उत्तराखंड में 29.2 प्रतिशत युवा हैं. वहीं, झारखंड में 29.1 प्रतिशत और बिहार में युवाओं की संख्या 28.8 प्रतिशत है. राजस्थान में 28.7 प्रतिशत युवा हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, 11 राज्यों में 15-29 साल की युवा आबादी की राष्ट्रीय औसत 27.2 प्रतिशत से ज्यादा है.

सबसे ज्यादा बेरोजगारी वाले राज्य
अब बात करते हैं भारत में सबसे ज्यादा बेरोजगार वाले राज्य कौन से हैं. राजस्थान में 28.7 प्रतिशत युवा हैं, पर इस राज्य में बेरोजगारी सबसे ज्यादा है. इस राज्य में बेरोजगारी दर 23.8 प्रतिशत है. कश्मीर में 29.3 प्रतिशत युवा हैं, पर यहां बेरोजगारी दर 23.2 प्रतिशत है. हरियाणा में बेरोजगारी दर 22.9 प्रतिशत है. वहीं, 29.1 प्रतिशत युवा वाले राज्य झारखंड में बेरोजगारी दर 12.2 प्रतिशत है. बिहार में बेरोजगारी दर 11.4 प्रतिशत है, जबकि इस राज्य में युवाओं की संख्या 28.8 प्रतिशत है. इसी तरह दिल्ली में 9.6 प्रतिशत, महाराष्ट्र में 4 प्रतिशत, तमिलनाडु में 4.1 प्रतिशत, आंध्र प्रदेश में 4.8 प्रतिशत, केरल में 6.4 प्रतिशत, पंजाब में 7 प्रतिशत और हिमाचल प्रदेश में 9.2 प्रतिशत बेरोजगारी दर है. CMIE की सितंबर 2022 की रिपोर्ट के मुताबिक, देश में औसत बेरोजगारी दर 6.43 प्रतिशत है.

किस राज्य में प्रति व्यक्ति आमदनी कितनी है
इस कैटेगरी में सबसे पीछे बिहार है. 28.8 प्रतिशत युवाओं वाले राज्य बिहार में प्रति व्यक्ति आय 46,292 रुपये सालाना है. वहीं, उत्तर प्रदेश में प्रति व्यक्ति आय 65,431 रुपये सालाना है, जबिक इस राज्य में 29.9 प्रतिशत के साथ सबसे अधिक युवा रहते हैं. झारखंड में प्रति व्यक्ति आय 75,587 रुपये सालाना है, जबकि इस राज्य में 29.1 प्रतिशत युवा हैं. 28.7 प्रतिशत युवा वाले राज्य राजस्थान में प्रति व्यक्ति आया 1,09,386 रुपये सालाना है. पंजाब में प्रति व्यक्ति आय 1,51,367 रुपये, हिमाचल प्रदेश में 1,83,286 रुपये, केरल में 2,21,904 रुपये और तमिलनाडु में प्रति व्यक्ति आय 2,25,106 रुपये सालाना है. देश की बात करें तो प्रति व्यक्ति आय 1,47,210 रुपये सालाना है. 2020-21 की रिपोर्ट के मुताबिक, यूपी, बिहार और झारखंड प्रति व्यक्ति आय के मामले में देश में सबसे पीछे हैं. वहीं, गोवा प्रति व्यक्ति 4.72 लाख रुपये सालाना के साथ टॉप पर है.

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आर्थिक संकट के चलते BYJU'S की हालत खराब, इतने ट्यूशन सेंटर किए बंद, बताई यह बड़ी वजह

ऑनलाइन पढ़ाई करवाने वाली कंपनी बायजूस कंपनी के सामने आर्थिक संकट बढ़ गया है. कंपनी ने खर्चा कम करने के लिए अपने ट्यूशन सेंटर्स बंद कर दिए हैं.

Last Modified:
Saturday, 23 March, 2024
Byju's

आर्थिक संकट का सामना कर रही ऑनलाइन पढ़ाई करवाने वाली कंपनी बायजू (BYJU'S) ने अपने 292 ट्यूशन सेंटर में से 30 को बंद कर दिया है. इस ब्रैंड का स्वामित्व रखने वाली कंपनी थिंक एंड लर्न लिमिटेड (Think & Learn Private Limited), ने शुक्रवार को एक बयान में यह जानकारी दी. कंपनी ने कहा कि खर्च कम करने के उपायों के तहत देशभर में इन ट्यूशन सेंटर को बंद करने का फैसला किया गया है. हालांकि उसके बाकी 262 ट्यूशन सेंटर पहले की तरह हाइब्रिड मॉडल (Hybrid Model) पर काम करते रहेंगे.

टीचिंग क्वालिटी पर कर रही फोकस

बायजू ब्रैंड (BYJU'S) ने अपने बयान में कहा कि उसे अपने टीचर्स की मेहनत और स्टूडेंट्स के प्रदर्शन पर गर्व है. वह टीचिंग में क्वालिटी पर ध्यान फोकस कर रही है, जिससे उसे अधिकांश केंद्रों को तीसरे साल में लाभदायक स्थिति में लाने में मदद मिल रही है. बताते चलें कि कोरोना काल में बायजू कंपनी (BYJU'S) ने देशभर में तेजी से अपना विस्तार किया था. उस वक्त कोरोना की वजह से देश भर में स्कूल बंद थे और पढ़ने के लिए स्टूडेंट्स के पास इंटरनेट के अलावा कोई और विकल्प नहीं था. ऐसे में बायजू ने ऑनलाइन पढ़ाई का मॉडल विकसित कर देशभर में विस्तार किया.

स्टाफ को सैलरी देने का संकट

देश में जैसे- जैसे कोरोना का प्रकोप खत्म होता गया और स्कूल-कॉलेज सामान्य रूप से चलने शुरू हो गए. इसके साथ ही ऑनलाइन पढ़ाई का क्रेज भी धीरे- धीरे कम होता चला गया, जिससे बायजू कंपनी (BYJU'S) संकट में आ गई है. कंपनी के पास इन ट्यूशन सेंटर्स में पढ़ाने वाले टीचर्स और दूसरे स्टाफ को सैलरी देने लायक तक पैसों की दिक्कत हो रही है.

अभिभावकों की भी बढ़ी परेशानी

कंपनी ने लागत कम करने के लिए कुछ ट्यूशन सेंटर्स को बंद करने का रास्ता अपनाया है. इन सेंटर्स के बंद होने से उन पैरंट्स की परेशानी बढ़ गई है, जिन्होंने अपने बच्चों का इनमें दाखिला करवाया था. अब ऐसे पैरंट्स को दूर-दराज के दूसरे ट्यूशन सेंटर्स में दाखिला लेने की सलाह दी जा रही है. जिससे मां-बाप परेशान हैं कि अपने बच्चों को इतनी दूर पढ़ने के लिए कैसे भेजें.
 


बोर्ड एग्जाम से घबराहट कैसी? इन टिप्स से सबकुछ हो जाएगा बहुत आसान

लगातार पढ़ने से ऊर्जा का स्तर कम होने लगता है और थकावट आने लगती है. इसलिए बीच-बीच में स्वस्थ्य मनोरंजन आवश्यक है.

Last Modified:
Monday, 29 January, 2024
Photo credit:  Aakash Institute
  • प्रवीण गोयल

परीक्षा का नाम सुनते ही मन में एक अनजाना सा भय उत्पन्न होने लगता है. अतः जब आपके समक्ष ये चुनौती आती है कि परीक्षा को उत्तीर्ण करना है और अच्छे प्रतिशत के साथ, तो थोड़ा सा दबाव में आना स्वाभाविक है. इस दबाव से मुक्ति पाते हुए अच्छे नम्बरों के साथ चारों तरफ चमक बिखेरनी है, तो समय का सम्मान करना होगा और नियमित दिनचर्या के साथ पढ़ाई करनी होगी. इसमें निम्न सुझाव कारगर साबित हो सकते हैं:

(1) बोर्ड परीक्षा में अब कुछ ही दिन शेष हैं, तो सबसे पहले अपने पाठ्‌यक्रम को एक बार फिर से देखें और जांचे कि केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने कौन-कौन से टॉपिक हटा दिए हैं या कम कर दिए हैं. जिन टॉपिक्स को पाठ्‌यक्रम से हटाया गया है, उन्हें अभी बिल्कुल नहीं पढ़ना है. इससे समय बचेगा.

(2) अब आप ये देखें कि अलग-अलग विषय में से किसमें आप ज्यादा कठिनाई महसूस कर रहे हैं, या आपको कौन सा विषय ज्यादा कठिन लग रहा है. उसमें पढ़ने का समय बढ़ा देना है, और जो विषय आपको आसान लग रहा है उसमें कम समय में रिवीजन कर लेना है, जिससे आपको कठिन विषयों के लिए ज्यादा समय मिलेगा.

(3) अब हम दिन के 24 घंटे को तीन भागों में बांट लेते हैं. (A) सोने का समय (B) पढ़ने का समय (C) मनोरंजन एवं दैनिक कार्य का समय:

(A) सोने का समय - प्रतिदिन 6-7 घंटे ही सोना है, जो कि रात्रि में 11 बजे से प्रातः 5 या 6 बजे तक ही होना चाहिए. कई छात्र देर रात तक पढ़ने की आदत वाले होते हैं, जानकारों की मानें तो ये उचित नहीं है. रात्रि में कई बार पढ़ी हुई चीजें ज्यादा देर तक याद नहीं रहती हैं.

(B) पढ़ने का समय - यह समय एक दिन में कुल 8-10 घंटे होना चाहिए और सुबह, दोपहर एवं शाम में विभाजित होना चाहिए. प्रातःकाल 3 से 4 घंटे की पढ़ाई सबसे ज्यादा विशेष होती है. 
अतः इस समय आप ऐसे विषय चुनें, जिनको याद ज्यादा करना और उनको लिखकर याद करें या दोहराएं. इससे आपको प्रश्न याद रहेंगे और भरोसा बढ़े‌गा. दोपहर में 3 घंटे का समय निकालें और ऐसे विषय पढ़ें, जो सुबह नहीं पढ़े हैं. इसी प्रकार 3 घंटे का समय संध्याकाल में निकालें और लिखकर पढ़ने वाले विषय जैसे गणित, भौतिकी या कभी-कभी रसायन को ले सकते हैं.

(C) मनोरंजन एवं दैनिक कार्य का समय - यदि आप 7 घंटे सोते हैं. 10 घंटे पढ़ते हैं तब भी 7 घंटे का समय मनोरंजन एवं दैनिक जरूरी कार्यों के लिए उपलब्ध रहेगा.

लगातार पढ़ने से ऊर्जा का स्तर कम होने लगता है और थकावट आने लगती है. इसलिए बीच-बीच में स्वस्थ्य मनोरंजन आवश्यक है, किन्तु इसमें वीडियो गेम या सोशल मीडिया का उपयोग नहीं होना चाहिए. मनोरंजन में कुछ समय घर के सदस्यों से या दोस्तों से बातचीत, व्यायाम, खेल शामिल करें. इससे आपकी एकाग्रता बढ़ती है.

इस प्रकार यदि आप अपने पूरे दिन को व्यवस्थित तरीके से उपयोग करेंगे तो आप कभी भी दबाव में नहीं आएगें और समय पर सारे विषय पूर्ण होंगे. जिससे आप अपनी क्षमताओं का बेहतरी प्रदर्शन करते हुए बोर्ड परीक्षा में उच्च मानदण्ड स्थापित कर पाएंगे.

(लेखक शिक्षाविद हैं और आकाश बायजूस में उप निदेशक के पद पर कार्यरत हैं)
 


अब Coaching Institutes को पढ़ाया जाएगा सही-गलत का पाठ, CCPA ने तैयार किया ड्राफ्ट

CCPA को भ्रामक विज्ञापनों की शिकायत मिली थी, जिसके बाद कुछ संस्थानों को नोटिस भी जारी किया गया है.

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो by
Published - Wednesday, 10 January, 2024
Last Modified:
Wednesday, 10 January, 2024
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कोचिंग इंस्टिट्यूट (Coaching Institutes) अपने विज्ञापनों में बड़े-बड़े दावे करते हैं. अब इन दावों में कितनी सच्चाई है, ये कोई नहीं जानता. इसलिए कंज्यूमर प्रोटेक्शन रेगुलेटर (CCPA) ने इस दिशा में एक कदम बढ़ाया है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, CCPA ने कोचिंग संस्थानों के भ्रामक विज्ञापनों पर अंकुश लगाने के लिए ड्राफ्ट गाइडलाइंस तैयार की हैं. सीसीपीए की तरफ से बताया गया है कि उसने कोचिंग संस्थानों को उम्मीदवारों के सक्सेस रेट के संबंध में विज्ञापनों में ‘झूठे दावे’ करने से रोकने के लिए मसौदा तैयार किया है. 

जल्द दी जाएगी मंजूरी
रिपोर्ट्स में सीसीपीए के मुख्य आयुक्त और उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह के हवाले से बताया गया है कि ड्राफ्ट को जल्द ही मंजूरी देकर जारी किया जाएगा. सिंह ने कहा कि प्रस्तावित दिशानिर्देश सभी कोचिंग संस्थानों पर लागू होंगे, चाहे फिर वे ऑनलाइन हों या ऑफलाइन. इसके अलावा, फॉर्म, फॉर्मेट या मीडियम की परवाह किए बिना सभी प्रकार के विज्ञापनों को इसके दायरे में लाया जाएगा. ड्राफ्ट गाइडलाइंस के अनुसार, कोचिंग संस्थान के ऐसे विज्ञापन को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के तहत भ्रामक विज्ञापन माना जाएगा, जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ सफल उम्मीदवारों द्वारा चुने गए पाठ्यक्रम और अवधि से संबंधित जानकारी छिपाई गई है. 

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इन नियमों का पालन जरूरी
प्रस्तावित दिशानिर्देशों में कहा गया है कि कोचिंग संस्थानों को सक्सेस रेट या सिलेक्शन की संख्या के बारे में झूठे दावे नहीं करने चाहिए. संस्थानों को सफल उम्मीदवार की फोटो के साथ रैंक, पाठ्यक्रम अवधि आदि विवरण का उल्लेख करना होगा. इसके साथ ही उनके '100% सिलेक्शन' या '100: नौकरी की गारंटी' जैसे दावे करने पर रोक रहेगी. इसके अलावा, विज्ञापन में डिस्क्लेमर/डिस्क्लोजर/महत्वपूर्ण जानकारी का फॉन्ट ठीक वही रखना होगा जो दावे/विज्ञापन में इस्तेमाल किया गया है. इस जानकारी का स्थान, विज्ञापन में ऐसी जगह पर होना चाहिए जहां सभी लोग इसे अच्छी तरह से देख सकें. बता दें कि CCPA को भ्रामक विज्ञापनों की शिकायत मिली थी, जिसके बाद कुछ संस्थानों को नोटिस भी जारी किया गया है.


Christmas पर Paytm आई खबर, कंपनी ने इतने कर्मचारियों को कहा अलविदा

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी ने ये कदम कास्‍ट कटिंग और दूसरे लक्ष्‍यों को पूरा करने के मकसद से उठाया है. हाल ही में आरबीआई के अनसिक्‍योर्ड लोन को लेकर उठाए गए कदम को भी इसकी वजह माना जा रहा है. 

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो by
Published - Monday, 25 December, 2023
Last Modified:
Monday, 25 December, 2023
Paytm

वर्ष 2023 की शुरुआत में ही कई जानकारों ने ये बात कह दी थी कि ये साल आखिरी तक मुश्किल रहने वाला है. कुछ वैसा ही होता हुआ दिखाई दे रहा है. अब देश की बड़ी फिनटेक कंपनी paytm से खबर आ रही है कि कंपनी ने 1000 कर्मचरियों को ले आफ कर दिया है. कंपनी ने ये कदम कॉस्‍ट कटिंग और दूसरे कई कारणों को देखते हुए उठाया है. लेकिन वजह जो भी रही हो 2023 में कई कंपनियों के ले आफ के कारण वर्ष 2023 हमेशा जाना जाता रहेगा. 

क्‍या रही है इस ले आफ की वजह? 
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, PayTm की ओर से निकाले गए कर्मचारियों की संख्‍या 1000 तक हो सकती है. पेटीएम ने ये कदम कॉस्‍ट कटिंग और अपनी बचत को 10 से 15 प्रतिशत तक करने के लक्ष्‍य के साथ ये कदम उठाया है. PayTm ने इन कर्मचारियों को पिछले कुछ महीनों में निकाला है. हालांकि कंपनी की ओर से ले ऑफ की इस बात को तो स्‍वीकार किया गया है लेकिन संख्‍या को लेकर उसने असहमति जताई है. कंपनी ने निकाले जाने की वजहों में अपने कारोबार को फिर से व्‍यस्थित करने को भी एक वजह बताया है. 

आने वाले समय में हो सकती है नियुक्तियां 
PayTm की ओर से ये भी कहा गया है कि आने वाले समय में उसकी ओर से बड़े पैमाने पर नियुक्तियां हो सकती हैं. ये नियुक्तियां उसके मूल कारोबार पेमेंट में हो सकती हैं. सबसे दिलचस्‍प बात ये भी है कि PayTm अपने कारोबार को एआई तकनीक के साथ रिप्‍लेस कर रहा है. कंपनी उन साधनों को एआई तकनीक के साथ बदल रही है जो उसकी लागत को बढ़ा रही हैं. नतीजतन कटौती का स्‍तर 1000 कर्मचारियों तक पहुंचा है. कंपनी अपनी आय में बढ़ोतरी के लिए नए उत्‍पाद को लॉन्‍च करने पर भी काम कर रही है. कंपनी इंश्‍योरेंस को लेकर भी काम कर रही है. 

अपने कारोबार को रिस्‍ट्रक्‍चर कर रहे हैं स्‍टार्टअप 
कई जानकारों का ये भी मानना है कि कई स्‍टार्टअप अपने कारोबार को रिस्‍ट्रक्‍चर कर रहे हैं. कारोबार के रिस्‍ट्रक्‍चर होने के कारण ही इस तरह के लेआफ देखने को मिल रहे हैं. सर्च फर्म लॉन्‍गहाउस कंसल्टिंग के आंकड़ों के अनुसार, न्‍यू एज कंपनियों ने वर्ष 2023 की पहली तिमाही में 28000 से अधिक कर्मचारियों को बर्खास्‍त किया है. इन कंपनियों ने 2022 में 22 हजार और 2021 में 4080 कर्मचारियों को बाहर किया है.  

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BW के कार्यक्रम में जानकारों ने बताया टेक्‍नोलॉजी और कोविड का रहा क्‍या संबंध

आज सभी बिजनेस के लिए कुछ चीजें बेहद जरूरी हो गई हैं. इसमें डेटा सिक्‍यारिटी और साइबर सिक्‍योरिटी जैसी चीजें शामिल हैं. इसका इस्‍तेमाल सभी करना चाहते हैं. 

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो by
Published - Thursday, 21 December, 2023
Last Modified:
Thursday, 21 December, 2023
BW Education

BW Business School Summit and Awards 2023 में आयोजित हुए सेशन में आईआईएम के टॉप लोगों ने अपनी बात कही. इस सेशन में जहां कई लोगों ने कोविड को टेक्‍नोलॉजी अडाप्‍शन में तेजी लाने वाला एक टूल बताया वहीं कई लोगों ने कहा कि टेक्‍नोलॉजी अडॉप्‍शन को कोविड से नहीं जोड़ना चाहिए. कई लोग टेकनोलॉजी को दुनिया से जुड़ने का माध्‍यम बताते नजर आए तो कई लोगों ने सस्‍टेनेबिलिटी को लेकर कई अहम बात कही.  

हमारी फैकल्‍टी टेक्‍नोलॉजी फ्रेंडली है
IIM Bodh Gaya की Director, Dr. Vinita Sahay ने इस इवेंट में अपनी बात कहते हुए कहा कि मैं सबसे पहले बिजनेस वर्ल्‍ड का इस तरह के आयोजन के लिए धन्‍यवाद अदा करना चाहती हूं. जहां तक बात टेक्‍नोलॉजी को स्‍वीकार करने की बात है तो मैं मानती हूं कि इसका सबसे बड़ा उदाहरण कोरोना में हमें देखने को मिला. जहां हमारे प्रोफेसर रातों रात टेक्‍नोलॉजी अडॉप्‍ट कर ली और उस दौरान भी हमारे स्‍टूडेंट को किसी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा. मैं मानती हूं कि कोविड एक बहुत बड़ा ऐसा मोमेंट बनकर सामने आया जहां जिससे हमें इसे अडॉप्‍ट करने में काफी मदद मिली. मैं आपको कहना चाहती हूं कि हमें किसी से भी कोई सपोर्ट नहीं मिलता है, ना ही स्‍टेट और ना ही सेंटर. इसे आप ये भी कह सकते हैं पूरी तरह से आत्‍मनिर्भर और बतौर आत्‍मनिर्भर हम बहुत तेजी से आगे बढ़ रहे हैं. अगर मैं आपसे स्‍टूडेंट की संख्‍या के आधार पर बात करूं तो हमारे वहां 1150 स्‍टूडेंट हैं. 
जहां तक बात है टेक्‍नोलॉजी की तो हम लोगों ने देखा है कि अगर इंस्‍टीटयूट के स्‍तर पर देखें तो हर जगह इसकी मदद से काम किया जा सकता है. अब वो भले ही लर्निंग के मामले में हो या या क्‍लासरुम मैनेजमेंट के मामले में. मैं आपको ये भी बताना चाहूंगी कि हमारे कैंपस में काफी यंग फैकलटी जो आज की एआई से लेकर दूसरी तरह की तकनीक के इस्‍तेमाल को लेकर काफी फ्रेंडली हैं. अब वो भले ही कंटेट क्रिएशन हो या दूसरी कोई भी चीज उसका इस्‍तेमाल हम इसके लिए कर रहे हैं. क्‍योंकि हम देश के एक रिमोट एरिया में रन करते हैं ऐसे में हम देश के दूसरे हिस्‍से से सिर्फ और सिर्फ टेक्‍नोलॉजी के जरिए ही संपर्क साध सकते हैं. 

कोविड के दौरान तकनीक का इस्‍तेमाल आसान रहा
IIM Tiruchirappalli के Director, Prof. Pawan Kumar Singh मेरा मानना है कि जब आप ये सवाल पूछ रही हैं तो आपके ध्‍यान में कोविड और पोस्‍ट कोविड की स्थिति होगी. जब कोविड आया ही था उस वक्‍त में एमडीआई गुड़गांव से आईआईएम तिरूचिल्‍लापल्‍ली गया ही था. कोविड के दौरान तकनीक का इस्‍तेमाल करना मेरे लिए कोई नई बात नहीं थी. ऐसा मैं इसलिए कह रहा हूं क्‍योंकि 1997 से 1999 तक मुझे इग्‍नू के साथ काम करने का मौका मिला.

क्‍योंकि इग्‍नू ने कोविड से पहले ही अपनी सिस्‍टर इंस्‍टीटयूशन के साथ काम करने को लेकर काफी टेक सेवी प्रैक्टिस करनी शुरू कर दी थी. मेरे एक साथी ने मुझसे कहा कि मैं बाकी लोगों की तरह समझदार नहीं हूं इसलिए मैं इस तकनीक का इस्‍तेमाल नहीं कर सकता. 15 दिन रूकिए कोविड चला जाएगा और उसके बाद सब नार्मल हो जाएगा. मैने कहा इसे हर किसी को करना है. लेकिन आखिरकार सभी ने इसे किया और दोनों इंस्‍टीटयूशन में हम इसे करने में पूरी तरह से कामयाब रहे.

कोविड में हाइब्रिड हो गई क्‍लासरूम 
Dr. Himadri Das, Director General, International Management Institute ने कहा कि टेक्‍नोलॉजी को लेकर मैं कहना चाहूंगा कि सबसे पहले हमें इससे कोविड को अलग कर देना चाहिए. क्‍योंकि टेक्‍नोलॉजी को हमें स्‍वीकार करना ही था लेकिन कोविड के कारण हमें इसे कुछ साल पहले ही कर लिया. टीचिंग लर्निंग प्रोसेस को बेहतर बनाने के लिए कई सारी नेशनल इंटरनेशन लोगों को बुलाने की बजाए हमने कोविड के दौरान अपनी सभी क्‍लॉसेस को हाइब्रिड बनाने का काम पूरा कर लिया. इससे हम केवल फिजिकल क्‍लास ही नहीं कर सकते हैं बल्कि दुनिया के किसी भी कोने से किसी को भी कनेक्‍ट कर सकते हैं. पहले अगर कोई फैकल्‍टी बीमार हो जाती थी तो क्‍लॉस नहीं हो पाती थी लेकिन अब ऐसा हो सकता है कि अगर टीचर क्‍लॉस ले पाने की स्थिति में है तो वपो क्‍लास ले सकती है. तकनीक के कारण डेटा एनालिसिस और भी आसान हो गया है. 

डेटा और साइबर सिक्‍योरिटी सबसे अहम 
IIM Nagpur की डॉयरेक्‍टर Prof. Bhimaraya Metri ने कहा कि नागपुर ने दो प्रोग्राम लॉन्‍च किए हैं. आज सभी बिजनेस के लिए कुछ चीजें बेहद जरूरी हो गई हैं. इसमें डेटा सिक्‍यारिटी और साइबर सिक्‍योरिटी जैसी चीजें शामिल हैं. हम इसे लेकर चलाए गए पहले प्रोग्राम को सफलतापूर्वक पूरा कर चुके हैं जबकि दूसरे प्रोग्राम को अभी कर रहे हैं. उसी तरह से हमने ब्‍लॉक चेन को लेकर भी हमने प्रोग्राम चलाया था, हम उसे भी सफलतापूर्वक चलाने में कामयाब रहे हैं. 132 एकड़ जमीन में हमारा कैंपस फैला हुआ है. आज हम अपने इंस्‍टीटयूट की तकनीक से दुनिया के किसी भी कोने में बैठे आदमी से जुड़ सकते हैं. हमारे वहां फिनटेक भी एक प्रोग्राम है. जनरल मार्केटिंग और डिजिटल मार्केटिंग जैसे प्रोग्राम चला रहे हैं. अपने कैंपस में हम रेग्‍यूलर गेम्‍स के साथ कई तरह गेम्‍स और सिमुलेटर वाले प्रोग्राम भी चला रहे हैं. इससे वो गलती करते हुए उसे अच्‍छे से सीख सकते हैं. इससे उनका विश्‍वास भी बढ़ता है. 

मेरी ज्‍वॉइनिंग के वक्‍त ही मैं जानता था चैलेंज बड़ा है
IIM Shillong के डॉयरेक्‍टर Dr. Dharam Paul Goyal, ने कहा कि सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर बिजनेस एजुकेशन का भविष्‍य क्‍या है. जहां तक बात रोल ऑफ टेक्‍नोलॉजी की बात है तो ये बड़ा परिदृश्‍य है जो हमारे विजन का जीतने में काफी मददगार साबित होगा. जब मैने शिलांग में ज्‍वॉइन किया तब मैं जानता था कि वहां चैलेंज बड़ा होने जा रहा है. क्‍योंकि वो एक रिमोट एरिया था, एक नया इंस्‍टीटयूट था, अगर हम चैलेंजेस को समझे और ये जानें कि उसे अपॉर्चुनिटी में कैसे बदलना है तो वैसे तो कई राज्‍यों में आईआईएम है. लेकिन नार्थ ईस्‍ट के सभी सात राज्‍यों में एक ही आईआईएम है. अगर हम वहां के मौसम की बात करें तो कई बार बादल हमारे क्‍लासरूम में भी चले आते हैं. यही नहीं अगर एक्‍यूआई की बात करें तो दिल्‍ली में जहां ये बहुत ज्‍यादा होता है वहां ये केवल 9 और 10 होता है. हमने अपने इंस्‍टीटयूट को आगे बढ़ाने के लिए इंटरनेशनल टाइअप किए. लेकिन हमारे सामने चुनौती ये थी कि हम उन्‍हें इंडिया कैसे लाएं और स्‍पेशियली शिलांग कैसे लाएं. लेकिन जब उन्‍हें हमने अपनी लोकेशन के बारे में बताया तो हम उन्‍हें आकर्षित करने में कामयाब हो गए. उसके बाद हमने एक्‍सचेंज प्रोग्राम शुरू किया जिसके बाद स्‍टूडेंट और फैकल्‍टी ने बाहर जाना शुरू किया. 

सत्‍य की ताकत सबसे अहम है
University of Delhi के Head & Dean - Faculty of Management Studies (FMS), Dr. Vivek Suneja ने कहा कि मेरे बगल में जो मैम बैठी हैं वो बोधगया से हैं. बुध का ज्ञान भारत से निकलकर दुनिया के कई देशों में गया. कहने का मतलब ये है कि बुद्ध के समय में टेक्‍नोलॉजी नहीं थी लेकिन सत्‍य की ताकत थी. मेरा मानना है कि बिजनेस स्‍कूल अगर मिलकर कुछ करना चाहें तो बहुत कुछ कर सकते हैं. लेकिन उससे पहले हमें प्रॉयोरिटी को तय करना होगा. इसमें सस्‍टेनेबिलिटी सबसे टॉप पर होगी. ये इस पर निर्भर नहीं करता है कि आप कितने कैपेबल हैं. सस्‍टेनेबिलिटी दोनों साइड होती है वो सप्‍लाई साइड भी होती है और डिमांड साइड भी होती है. लेकिन उससे भी अहम हमारी सस्‍टेनेबल लाइफस्‍टाइल है. मुझे लगता है कि हमें स्‍टूडेंट को ज्‍यादा सेंसेबल बनाने की जरूरत है. 
 


UGC ने एडटेक कंपनियों के लिए जारी की चेतावनी, जानिए क्या है पूरा मामला?

ज्यादातर छात्र विदेश को उच्च शिक्षा के लिए इसलिए भी चुनते हैं क्योंकि विदेशी विश्विद्यालयों में बेहतर प्लेसमेंट मिलती है.

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो by
Published - Saturday, 16 December, 2023
Last Modified:
Saturday, 16 December, 2023
ugc

यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन यानी UGC की तरफ से इस वक्त एक काफी बड़ी खबर सामने आ रही है. माना जा रहा है कि हाल ही में UGC द्वारा देश में मौजूद एडटेक कंपनियों को एक चेतावनी जारी की गई है. ये चेतावानी खासकर उन एडटेक कंपनियों के लिए जारी की गई है, जो विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ मिलकर भारत विभिन्न डिग्री कोर्स प्रदान करवाती हैं. आइये, मामले की तह तक चलते हैं और जानते हैं कि आखिर UGC को ये चेतावनी जारी करने की जरूरत क्यों पड़ी?

क्यों जारी की गई चेतावनी?
ज्यादातर छात्रों का सपना होता है कि वह विदेश जाकर उच्च शिक्षा प्राप्त करें. जहां कुछ छात्रों का ये सपना पूरा हो जाता है वहीं बहुत से छात्र ऐसे भी होते हैं जो आर्थिक चुनौतियों या फिर किसी अन्य कारण की वजह से विदेश में जाकर शिक्षा प्राप्त नहीं कर पाते. ज्यादातर छात्र विदेश को उच्च शिक्षा के लिए इसलिए भी चुनते हैं क्योंकि विदेशी विश्विद्यालयों में बेहतर प्लेसमेंट मिलती है और साथ ही इनकी डिग्री अन्य विश्वविद्यालयों के मुकाबले काफी ज्यादा वैध होती है. UGC द्वारा जारी की गई चेतावनी डिग्री की इसी वैधता से संबंधित है. 

UGC ने क्या कहा?
दरअसल होता ये है कि विदेशी विश्वविद्यालयों के नाम पर बहुत से एडटेक प्लेटफॉर्म और वेबसाइटें छात्रों से पैसे ले लेती हैं लेकिन इन विश्वविद्यालयों को UGC से मान्यता प्राप्त नहीं होती है और इसी वजह से डिग्री की कोई मान्यता नहीं रह जाती है और बच्चे पैसे खर्च करके, पढ़ाई करके भी कुछ हासिल नहीं कर पाते हैं. इसी संबंध में UGC द्वारा एडटेक कंपनियों को चेतावनी जारी की गई है और कहा गया है कि अगर एडटेक प्लेटफॉर्म विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ मिलकर कोई डिग्री कोर्स प्रदान करवा रहे हैं और उस विश्वविद्यालय को UGC की मान्यता प्राप्त नहीं है तो डिग्री को वैध नहीं माना जाएगा. इसके साथ ही UGC ने ऐसे कोर्स में दाखिला लेने वाले छात्रों को भी सावधान रहने की सलाह दी है. 

UGC डिग्री को नहीं मानेगा वैध
UGC सेक्रेटरी मनीष जोशी ने इस मौके पर कहा कि ऐसे बहुत से मामले सामने आ रहे हैं जिनमें एडटेक प्लेटफॉर्म विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ मिलकर डिग्री कोर्स प्रदान करवा रहे हैं लेकिन उस विदेशी विश्वविद्यालय को UGC से मान्यता प्राप्त नहीं है. ऐसे किसी भी कोर्स को, जिसे UGC की मान्यता प्राप्त नहीं है, UGC वैध नहीं मानता और न ही इन कोर्सों से संबंधित डिग्री को वैध माना जाएगा. इसके साथ ही मनीष ने यह भी कहा कि UGC को ऐसे कई मामले अखबारों, सोशल मीडिया और TV तक पर देखने को मिले हैं. 
 

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इतने भारतीय स्‍टूडेंट को लंदन के कॉलेज से मिलेगी अब तक की सबसे बड़ी स्‍कॉलरशिप 

ये स्‍कॉलरशिप उन स्‍टूडेंट को दी जाएगी जो इंजीनियरिंग प्राकृतिक विज्ञान, व्‍यवसाय और चिकित्‍सा अनुसंधान में मास्‍टर कार्यक्रमों का अध्‍ययन कर रहे हैं.

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो by
Published - Friday, 03 November, 2023
Last Modified:
Friday, 03 November, 2023
Scholarship

विदेशों में शिक्षा लेना लगभग हर भारतीय स्‍टूडेंट का सपना होता है. अपने इस सपने को पूरा करने के लिए कई स्‍टूडेंट लोन लेते हैं तो कुछ कई और उपाय अपनाते हैं और पढ़ाई करने जाते हैं. लेकिन अब लंदन का इंपीरियल कॉलेज भारतीय स्‍टूडेंट को अब तक की सबसे बड़ी सकॉलरशिप देने जा रहा है. ये स्‍कॉलरशिप उन 30 भारतीय छात्रों को मिलेगी जिन्‍होंने इस कॉलेज में पढ़ाई के लिए आवेदन प्राप्‍त किया है.

आखिर स्‍कॉलरशिप में मिलेगी क्‍या सुविधा? 
लंदन के इंपीरियल कॉलेज की ओर से मिलने वाली इस स्‍कॉलरशिप का नाम द न्‍यू फ्यूचर लीडर्स छात्रवृत्ति कार्यक्रम रखा गया है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कॉलेज की ओर से कहा गया है कि उसने यूके सरकार के शेवनिंग स्‍कॉलरशिप को लेकर भी एक समझौता किया है. ये स्‍कॉलरशिप अगले 3 सालों में 30 छात्रों को दी जाएगी. ये स्‍कॉलरशिप उन छात्रों को दी जाएगी जिन्‍हें 11 मई 2024 तक इंपीरियल कॉलेज में पढ़ाई करने को लेकर प्रस्‍ताव मिला है.

कॉलेज की ओर से कहा गया है कि इस स्‍कॉलरशिप की योजना तब बनी थी जब भारत सरकार के केन्‍द्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री जितेन्‍द्र सिंह यहां की यात्रा पर आए थे. भारत सरकार ने शेवनिंग कार्यक्रम के तहत एक समझौते पर भी हस्‍ताझर किए थे, जिसमें 3 सालों में भारत के तीन मास्‍टर विद्वान छात्रों को स्‍कॉलरशिप मुहैया कराने की बात कही गई है. 

किन-किन विषयों के स्‍टूडेंट को मिलेगी ये स्‍कॉलरशिप? 
ये स्‍कॉलरशिप उन स्‍टूडेंट को दी जाएगी जो इंजीनियरिंग, प्राकृतिक विज्ञान, व्‍यवसाय और चिकित्‍सा अनुसंधान में मास्‍टर कार्यक्रमों में अध्‍ययन कर रहे हैं. इस स्‍कॉलरशिप के तहत ट्यूशन फी से लेकर रहने के सभी खर्चों को कवर किया जाएगा. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, यूके का सबसे बड़ा शेवनिंग कार्यक्रम भारत में चलाया जाता है. 1983 से 3700 स्‍टूडेंट के साथ इस कार्यक्रम को चलाया जा रहा है. इस साल स्‍कॉलरशिप के लिए आवेदन करने की आखिरी तारीख 7 नवंबर 2023 है. 

इसलिए जाना जाता है लंदन का इंपीरियल कॉलेज   
इंपीरियल कॉलेज, लंदन के साउथ केंसिंग्टन में स्थित है, जिसे 'Albertopolis' के नाम से भी जाना जाता है इंपीरियल कॉलेज के खास होने की एक वजह इसका एजुकेशन सिस्टम है. यहाँ छात्र विश्व स्तरीय रिसर्चर के समुदाय का हिस्सा बन सकते हैं. इंपीरियल कॉलेज की रिसर्च का अत्याधुनिक और विश्व स्तर पर प्रभाव सबसे बेहतर माना जाता है.
 


फ्रेशर की डिमांड में हुई बड़ी कमी, टेक जॉब को भी लगा झटका, पैदा हुई इनकी डिमांड 

सितंबर के आंकड़े बता रहे हैं कि लगभग सभी क्षेत्रों में नौकरियों के आंकड़ों में ग्रोथ देखने को मिली है. यही नहीं सिर्फ शहरों में ही नहीं छोटे शहरों में भी नौकरियों के अच्‍छे अवसर पैदा हुए हैं. 

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो by
Published - Tuesday, 10 October, 2023
Last Modified:
Tuesday, 10 October, 2023
Jobs

बाजार में नौकरियों की डिमांड बदलती रहती है. अब इसी कड़ी में सामने आए सितंबर के डेटा में एक कुछ ऐसी जानकारियां सामने आई हैं जो आपको भी चौंका सकती है. नौकरी जॉब स्‍पीक इंडेक्‍स के अनुसार देश में व्‍हॉइट कॉलर टेक नौकरियों की संख्‍या में कमी हो गई है. सिर्फ यही नहीं फ्रेशर की नौकरियों की संख्‍या में भी कमी आई है. जबकि 13 से 16 साल का अनुभव रखने वालों की जॉब में 11 प्रतिशत तक की ग्रोथ देखने को मिली है जबकि 16 साल से ज्‍यादा अनुभव वालों की जॉब में 29 प्रतिशत तक की ग्रोथ देखने को मिली है. 

किन सेक्‍टरों में कैसा रहा हाल? 
अगर हास्पिटैलिटी या ट्रैवल क्षेत्र में नौकरी के हाल को जानें तो पिछले साल के मुकाबले इस साल इसमें 23 प्रतिशत की ग्रोथ देखने को मिली है. इस ग्रोथ के पीछे जो वजह देखने को मिल रही है वो ये है कि मानसून के दौरान परिवार या अकेले यात्रियों के पर्यटन क्षेत्रों में जाने के कारण इसमें तेजी रही. इसमें मुंबई नौकरी देने के मामले में सबसे आगे रहा. जबकि बैंकिंग और वित्‍तीय सेवा और बीमा के क्षेत्र और हेल्‍थकेयर को देखें तो दोनों ने मजबूत प्रदर्शन किया है.

इन दोनों क्षेत्रों में पिछले साल के मुकाबले 7 प्रतिशत की ग्रोथ देखने को मिली है. बैंकिंग के क्षेत्र में अहमदाबाद, चंडीगढ़ और जयपुर जैसे क्षेत्रों में शाखा प्रबंधन और सलाहकार जैसी भूमिकाओं में ग्रोथ देखने को मिली है. वहीं हेल्‍थकेयर में लैब तकनीशियन और मेडिकल रिकॉर्ड सूचना विज्ञान प्रबंधन जैसे पदों की अत्‍यधिक मांग थी. इन पदों को लेकर कोलकाता और अहमदाबाद में ग्रोथ देखने को मिली. 

कैसा रहा ऑयल, गैस एंड ऑटो सेक्‍टर में हाल? 
सिर्फ यही नहीं अगर ऑयल, गैस और ऑटोमोबाइल सेक्‍टर में भी इस साल पिछले साल के मुकाबले सकारात्‍मक ग्रोथ देखने को मिली है और इसमें 6 प्रतिशत की ग्रोथ देखने को मिली है. जबकि बीपीओ और एफएमसीजी सेक्‍टर में थोड़ा चुनौतियां का सामना करना पड़ा है. अगर इनकी पिछले साल से ग्रोथ रेट का अनुमान लगाए तो वो क्रमश: 25 प्रतिशत और 23 प्रतिशत की नेगेटिव ग्रोथ देखने को मिली है. वहीं आईटी सेक्‍टर में भी ग्रोथ देखने को मिली है. बैंग्‍लुरू, हैदराबाद, चेन्‍नई और पुणे जैसे शहरों में नौकरी को लेकर थोड़ा तनाव देखने को मिला है. 

कैसा रहा गैरमहानगरों का हाल? 
वहीं अगर गैर महानगरों की बात करें तो उसमें इन्‍होंने महानगरों के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन किया है. वड़ोदरा, अहमदाबाद और जयपुर जैसे क्षेत्रों में पिछले साल की तुलना की नियुक्तियों में 4 प्रतिशत 3 प्रतिशत और 2 प्रतिशत की ग्रोथ देखने को मिली है. वड़ोदरा में बीपीओ/आईटीईएस और निर्माण/इंजीनियरिंग क्षेत्र में नियुक्ति में उत्‍कृष्‍ट प्रदर्शन किया है. जबकि जयपुर में बैंकिंग और फाइनेंशियल सर्विसेज में नौकरियां देखने को मिली हैं. 


 
 


अब साल में दो बार होंगे बोर्ड एग्जाम, जानिए क्या हैं नए बदलाव?

शिक्षा मंत्रालय द्वारा फ्रेमवर्क में कुछ जरूरी बदलाव किए गए हैं और अब बोर्ड द्वारा आयोजित होने वाली परीक्षा साल में दो बार होगी.

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो by
Published - Wednesday, 23 August, 2023
Last Modified:
Wednesday, 23 August, 2023
Board Exams

बच्चे देश का भविष्य होते हैं और देश के भविष्य को संवारने में शिक्षा बहुत ही जरूरी भूमिका निभाती है. भारत सरकार द्वारा पिछले कुछ समय से शिक्षा के क्षेत्र को बेहतर बनाने के लिए बहुत से प्रयास किए जा रहे हैं. अब हाल ही में भारत सरकार द्वारा एक बार फिर शिक्षा के क्षेत्र में कुछ बहुत ही जरूरी बदलाव किए गए हैं.  

शिक्षा मंत्रालय द्वारा किया गया बदलाव
हाल ही में शिक्षा मंत्रालय द्वारा अपने फ्रेमवर्क में कुछ जरूरी बदलाव किए गए हैं. शिक्षा मंत्रालय द्वारा कहा गया है नए बदलावों के तहत 11वीं और 12वीं कक्षा के छात्रों को अब दो भाषाओं को पढ़ना होगा. इतना ही नहीं, CBSE बोर्ड्स द्वारा आयोजित किए जाने बोर्ड एग्जाम भी अब साल में दो बार आयोजित किए जाएंगे. छात्रों को दो भाषाओं को तो पढ़ना ही होगा साथ ही यह एक बदलाव भी किया गया है कि छात्रों को एक भारतीय भाषा को भी पढ़ना होगा.

विषयों का चयन
इसके साथ ही कक्षा 11वीं और 12वीं में आपके विषयों का चयन भी अब आपकी स्ट्रीम तक सीमित नहीं होगा. छात्रों को पूरी छूट दी जाएगी की वह अपने अनुसार विभिन्न स्ट्रीम से अलग-अलग विषयों का चयन कर सकें. इसके साथ ही शिक्षा मंत्रालय ने यह जानकारी भी दी है कि कक्षा में किताबें और सिलेबस कवर करने की वर्तमान प्रैक्टिस को भी खत्म किया जाएगा और किताबों की कीमत पर भी विशेष रूप काम किया जाएगा. शिक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने यह जानकारी दी है कि NEP (नई शिक्षा नीति) के आधार पर 2024 के अकादमिक सेशन के लिए किताबों को विकसित किया जाएगा.

क्या-क्या बदला जाएगा?
बोर्ड एग्जाम को पहले के मुकाबले काफी आसान बनाने की कोशिश की जाएगी. बोर्ड एग्जाम को इस तरह से डिजाईन किया जाएगा कि वह बच्चों की समझ और उनकी उपलब्धियों को समझ सकें न की सिर्फ कोचिंग और रट्टा मारने की बच्चे की क्षमताओं को. बच्चों को अपना प्रदर्शन दिखाने का पूरा समय मिले इसके लिए साल में दो बार बोर्ड एग्जाम का आयोजन किया जाएगा. पहली बार परीक्षा देने के बाद छात्र उन विषयों को चुन सकते हैं और सिर्फ उन विषयों के लिए परीक्षा दे सकते हैं जिनके लिए वह तैयार हों. उन्हें उनका बेस्ट स्कोर देने की पूरी अनुमति दी जाएगी.  
 

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IIT की ऊंची उड़ान, अब देश के बाहर भी निखारेगा कौशल; यहां खुल रहा है कैंपस

तंजानिया के जंजीबार के छात्र भी अब IIT का हिस्सा बन सकेंगे. वहां IIT मद्रास का कैंपस खुलने जा रहा है.

Last Modified:
Thursday, 06 July, 2023
file photo

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT) ने अब भारत की सीमा के पार भी अपनी मौजूदगी दर्ज करा ली है. IIT अब तंजानिया के जंजीबार (Tanzania, Zanzibar) में भी खुलने जा रहा है. यह पहला मौका है जब देश का प्रतिष्ठित संस्थान विदेश में कौशल निखारने का काम करेगा. केंद्र सरकार की राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के तहत IIT को तंजानिया में खोला जा रहा है. 2020 में आई इस नीति में कहा गया है कि देश में अच्छा प्रदर्शन करने वाले विश्वविद्यालयों को अन्य देशों में भी पहुंचाने पर जोर दिया जाएगा.

अक्टूबर से शुरू हो जाएगा कैंपस
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) के हालिया तंजानिया दौरे पर दोनों देशों के अधिकारियों के बीच IIT को लेकर समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे. इसके तहत तंजानिया के जंजीबार में IIT मद्रास का कैंपस शुरू किया जाएगा. उम्मीद है कि इस कैंपस में अक्टूबर से ही पाठ्यक्रमों की शुरुआत हो जाएगी. बता दें कि जंजीबार पूर्वी अफ्रीका (East Africa) में मौजूद एक द्वीपसमूह है. वर्ष 1964 में यह तंजानिया के साथ मिल गया था. 

IIT मद्रास बनाएगा नियम
तंजानिया के इस कैंपस में एडमिशन के नियम IIT मद्रास द्वारा तय किए जाएंगे और डिग्री संस्थान के जरिए ही दी जाएगी. विदेश मंत्री जयशंकर ने भी इस बारे में ट्वीट करके जानकारी दी है. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा है - IIT मद्रास के जंजीबार कैंपस के समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने का साक्षी बना. इस अवसर पर तंजानिया के राष्ट्रपति डॉ. हुसैन अली मिविन्यी भी उपस्थित रहे'. विदेश मंत्री ने आगे कहा कि यह ऐतिहासिक कदम वैश्विक दक्षिण क्षेत्र को लेकर भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है.

सिफारिश पर किया अमल
दो साल पहले सरकार ने विदेशों में शिक्षण संस्थान स्थापित करने के लिए 16 सदस्यीय कमेटी गठित की थी. इस कमेटी की अगुवाई IIT काउंसिल की स्थाई समिति के अध्यक्ष के राधाकृष्णन कर रहे थे. उन्होंने सरकार को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा था कि विदेशों में भी IITs स्थापित करने की दिशा में काम किया जाना चाहिए. अब एक तरह से उनकी सिफारिश पर अमल करते हुए देश की सीमा के बाहर तंजानिया में IIT स्थापित किया जा रहा है. जंजीबार के इस कैंपस में एडमिशन से लेकर सभी तरह की रणनीति IIT मद्रास ही बनाएगा.