दिवंगत अभिनेता राज कपूर का मुंबई के चेंबूर वाला बंगला भी बिक गया है. उसे गोदरेज ग्रुप की सहायक कंपनी गोदरेज प्रॉपर्टीज ने खरीदा है.
अपने जमाने के दिग्गज अभिनेता और शोमैन के नाम से मशहूर राज कपूर (Raj Kapoor) का चेंबूर वाला बंगला भी बिक गया है. इससे पहले, आरके स्टूडियो भी बिक चुका है. राज कपूर की चेंबूर वाली ऐतिहासिक प्रॉपर्टी को गोदरेज प्रॉपर्टीज लिमिटेड (Godrej Properties Ltd.) ने खरीदा है. अब कंपनी यहां रियल एस्टेट प्रोजेक्ट डेवलप करेगी. हालांकि, अभी यह साफ नहीं हो पाया है कि डील कितने में फाइनल हुई.
कंपनी ने कही ये बात
राज कपूर का यह बंगला देवनार फार्म रोड पर टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (TISS) के बगल में है. इसे चेंबूर का सबसे महंगा इलाका माना जाता है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, गोदरेज प्रॉपर्टीज लिमिटेड की तरफ से बताया गया है कि उसने यह बंगला राज कपूर के परिवार वालों से खरीदा गया है और उस पर एक प्रीमियम रेजिडेंशियल प्रोजेक्ट बनाया जाएगा. इससे पहले गोदरेज प्रॉपर्टीज ने ही मई 2019 में राज कपूर के आरके स्टूडियो को खरीदा था. वहां Godrej RKS प्रोजेक्ट डेवलप किया जा रहा है, जो इस साल पूरा हो सकता है.
बनेगा रेजिडेंशियल प्रोजेक्ट
गोदरेज प्रॉपर्टीज के MD और सीईओ गौरव पांडेय ने कहा कि राज कपूर का आइकनिक प्रोजेक्ट अब हमारे पोर्टफोलियो का हिस्सा है. इस प्रोजेक्ट से हमें चेंबूर में अपनी स्थिति मजबूत करने में मदद मिलेगी. उन्होंने बताया कि बंगले की जगह पर एक शानदार रेजिडेंशियल कम्युनिटी विकसित की जाएगी. वहीं, दिवंगत राज कपूर के बेटे रणधीर कपूर ने कहा कि इस प्रॉपर्टी से हमारी कई यादें जुड़ी हैं और इसका हमारे परिवार के लिए काफी महत्व है. हमें आशा है कि कंपनी इसकी समृद्ध विरासत को अगले फेज में ले जाएगी.
RK Studio भी कंपनी के पास
गौरतलब है कि इससे पहले आरके स्टूडियो (RK Studio) को भी मई 2019 में गोदरेज ग्रुप की सहायक कंपनी गोदरेज प्रॉपर्टीज ने खरीदा थी. मुंबई के चेंबूर इलाके में 2.2 एकड़ में फैले आरके स्टूडियो का मालिकाना हक रणधीर कपूर, ऋषि कपूर और राजीव कपूर के पास था. आरके स्टूडियो के 33 हजार वर्ग मीटर क्षेत्र में अब मॉडर्न रेजिडेंशियल अपार्टमेंट और लग्जरी रिटेल स्पेस विकसित किया जा रहा है. राज कपूर ने 1948 में आरके स्टूडियो की स्थापना की थी
द केरला स्टोरी धर्मांतरण को लेकर बनाई गई एक फिल्म है जिसे अभी तक मध्य प्रदेश पहले ही टैक्स फ्री कर चुका है जबकि अब यूपी ने इस फिल्म को टैक्स फ्री कर दिया है.
पिछले कुछ समय से देश में फिल्मों को लेकर जबर्दस्त सियासत हो रही है. जब भी कोई फिल्म आती है उसे लेकर विवाद जरूर होता है. इसी कड़ी में बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बेनर्जी ने जहां द केरला स्टोरी फिल्म पर बैन लगा दिया तो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने उन्हें जवाब देने में देरी नहीं लगाई. यूपी सरकार ने फिल्म को राज्य में टैक्स फ्री कर दिया है, जिसके बाद फिल्म के टिकट के दाम काफी कम हो गए हैं. हम आपको बताएंगें कि अब आप यूपी में केरला स्टोरी के लिए कितने रुपये खर्च करके इस फिल्म को देख सकते हैं. हम आपको ये भी बताएंगे कि आखिर किसी फिल्म का टैक्स फ्री होने का मतलब क्या होता है.
क्या होता है फिल्म का टैक्स फ्री हो जाना
किसी भी फिल्म को टैक्स फ्री किए जाने को लेकर कोई विशेष पॉलिसी नहीं है. सरकार की ओर से ये फिल्म टू फिल्म निर्भर करता है. सरकार किस फिल्म को उसके विषय या उसके समाज पर पड़ने वाले असर को देखते हुए टैक्स फ्री करती है. वहीं जीएसटी की व्यवस्था आने से पहले होता ये था कि जब भी फिल्म टैक्स फ्री होती थी तो उस वक्त उस पर लगने वाला मनोरंजन टैक्स माफ कर दिया जाता था. मनोरंजन टैक्स हर राज्य में अलग-अलग हुआ करता था. कई राज्यों में जहां ये 100 प्रतिशत तक होता था वहीं दूसरी ओर कुछ राज्यों में 60 प्रतिशत तक होता था. झारखंड में ये 110 प्रतिशत हुआ करता था जबकि यूपी में ये 60 प्रतिशत तक हुआ करता था.
कितनी सस्ती हो जाती है टिकट
लेकिन अब जब से जीएसटी की व्यवस्था आई है तब से पहले इस पर 28 प्रतिशत टैक्स लगा करता था. लेकिन बाद में इस पर दो तरह का टैक्स लग ने लगा. 100 रुपये से कम टिकट पर 12 प्रतिशत और 100 रुपये से ज्यादा की टिकट पर 18 प्रतिशत टैक्स लग रहा है. लेकिन जब कभी भी सरकार मनोरंजन टैक्स माफ करती है तो उस टिकट पर 6 प्रतिशत और 9 प्रतिशत की छूट दी जाती है. 6 प्रतिशत और 9 प्रतिशत इसलिए कम होता है क्योंकि जीएसटी में जो भी टैक्स वसूला जाता है उसके दो शेयर होते हैं एक केन्द्र का और दूसरा राज्य का। इसलिए टैक्स का आधा प्रतिशत ही माफ होता है.
क्या है फिल्म द केरला स्टोरी में
दरअसल द केरला स्टोरी ISIS के द्वारा हिंदू लड़कियों के कनवर्जन की कहानी है. ये उन तीन लड़कियों के कनवर्जन को दिखाती हैं जो नर्स बनने के लिए अपने गांव से दूर शहर में आती है. उसमें दिखाया गया है कि कैसे उन्हें कनवर्ट किया जाता है और उसके बाद उनका किस तरह से इस्तेमाल किया जाता है.