इस समय चर्चा रोहित जावा की हो रही है. रोहित जावा जो कि संजीव मेहता के उत्तराधिकारी हैं, उनकी ही तरह पेशेवर रूप से एक समर्पित व्यक्ति हैं और दुनिया की सबसे बड़ी जॉब के लिए सबसे परफेक्ट हैं.
खेल हम सभी को पसंद है. टेनिस मैच देखते समय हम कहते हैं कि सबसे बेहतरीन या सर्वेश्रेष्ठ खिलाड़ी ही मैच जीते. जीवन में हम जिस भी प्रफेशन का हिस्सा होते हैं, हम उस भूमिका या नौकरी के लिए सबसे बेहतर व्यक्ति का चयन करने की पूरी कोशिश करते हैं. उसमें ये जरूरी नहीं होता है कि वो बेस्ट कैंडिडेट पुरुष है या महिला, लेकिन हम बेस्ट चुनने की कोशिश करते हैं और हम उसके लिए क्षमता और नेतृत्व को देखते हैं. मैं पिछले 22 वर्षों से एक उद्यमी हूं और मुझे वरिष्ठ पदों पर बहुत सक्षम लोगों को शामिल करने का सौभाग्य मिला है. मेरे साथ काम करने वाली कई वरिष्ठ प्रकाशक और संपादक महिलाएं हैं, लेकिन उनका चयन इसलिए नहीं किया गया क्योंकि वो महिलाएं हैं. उनका चयन हुआ उनकी योग्यता के आधार पर और बाद में उनकी परफॉरमेंस के आधार पर ही उन्हें प्रमोट भी किया गया और नई जिम्मेदारी भी सौंपी गई, क्योंकि प्रफेशन के सभी पैमानों पर और वो उस पद के लिए सबसे बेहतरीन शख्स के तौर पर निकलकर सामने आईं.
हाल ही में, मेरी सबसे वरिष्ठ संपादकीय सहयोगी और हमारे समूह की संपादकीय निदेशक नूर फातिमा वारसिया ने HUL के बारे में एक संपादकीय लिखा था, जिसमें उन्होंने लिखा था कि एचयूएल के पास प्रिया नायर को भारत के सीईओ के रूप में नियुक्त करने का बेहतरीन मौका था. उनका तर्क है कि एचयूएल ने उनकी जगह रोहित जावा को चुनकर मौका गंवा दिया. जो लोग नूर को नहीं जानते हैं उनके लिए मैं बताना चाहूंगा कि आखिर नूर कौन हैं? वह पिछले 20 वर्षों से मेरे साथ काम कर रही हैं और मेरे साथ लंबे समय तक काम करने वाली मेरी एक बेहतरीन सहकर्मी हैं. वह एक संवाददाता के रूप में एक्सचेंज4मीडिया से जुड़ीं और 11 वर्षों में एक्सचेंज4मीडिया समूह की समूह संपादक बन गईं और उन्होंने इंडस्ट्री में अपने लिए अपार सम्मान, प्रशंसा और नाम कमाया है.
नूर मेरे साथ BW Businessworld में ग्रुप एडिटर के तौर पर 9 साल पहले शामिल हुई थीं और पिछले 6 सालों में ग्रुप एडिटोरियल डायरेक्टर बन गई हैं. नूर में नेतृत्व के वो सभी गुण मौजूद हैं जो एक लीडर में होने चाहिए, वो शार्प हैं, मेहनती हैं और सावधानीपूर्वक काम करती हैं. उन्होंने बड़ी टीमों का निर्माण और नेतृत्व किया है और पिछले दो दशकों में मैंने जिन दो संपादकीय मंचों का नेतृत्व किया है, उनमें उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है. मैंने नूर को यह कहने के लिए बुलाया था कि मैं इस पर एक लेख लिख रहा हूं कि ‘रोहित जावा की नियुक्ति एक बढ़िया विकल्प क्यों है’, तभी नूर ने कहा कि वह ‘क्या एचयूएल ने भारत में अपनी पहली महिला एमडी और सीईओ की नियुक्ति का मौका खो दिया’ टॉपिक पर कुछ लिखने की है. मैंने उन्हें और नूरिंग्स (यह उसके कॉलम का नाम है) को इसे प्रकाशित करने के लिए प्रोत्साहित किया. इस लेख पर स्पेक्ट्रम भर में कई प्रतिक्रियाएं मिलीं, जिनमें महिला और पुरुष लीडरों की तीव्र प्रतिक्रियाएं शामिल थीं. इस बीच मेरा अपने विषय पर कायम था लेकिन मैं इस पर तब सामने आना चाहता था जब इस पर शुरुआती प्रतिक्रियाएं शांत हो जाएं. अब जबकि दो हफ्ते बीत चुके हैं, नूर के लिए उचित सम्मान के साथ मैं अपनी बात आपके सामने रख रहा हूं, जो उनके पांइट से अलग है.
मैं शुरू में ही बता दूं कि मैं रोहित जावा को अच्छी तरह से नहीं जानता, न ही मेरी उनसे लंबी मुलाकात हुई है, मेरे दोस्त राहुल वेल्डे की बदौलत मेरा उनसे संक्षिप्त परिचय हुआ. 2013 में, मैंने सिंगापुर स्थित एक वेबसाइट का अधिग्रहण किया था और 2014 में एक यात्रा के दौरान उनसे परिचय हुआ था. वह उस समय एक क्षेत्र के सीईओ थे, और ज्यादा बातचीत न करने के बावजूद, मैंने उनके करियर ग्रोथ को समझना शुरू कर दिया था क्योंकि वह यूनिलीवर के अंदर लगातार तेजी से आगे बढ़ रहे थे. वह यूनिलीवर के साथ दो दशकों से अधिक समय से हैं और कंपनी में अब तक कई पदों का नेतृत्व कर चुके हैं. हिंदुस्तान यूनिलीवर के सीईओ के रूप में नियुक्त होने से पहले, वह यूनिलीवर इंडोनेशिया के कार्यकारी उपाध्यक्ष के तौर पर काम कर रहे थे. उनके नेतृत्व में, यूनिलीवर इंडोनेशिया ने बेहतरीन ग्रोथ की और मुनाफा हासिल किया और बाजार की चुनौतीपूर्ण स्थितियों के बीच उन्होंने कंपनी को सफलतापूर्वक सही दिशा दिखाने का श्रेय भी उन्हें दिया जाता है. वह दिल्ली यूनिवर्सिटी के फैकल्टी ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज से ग्रेजुएट हैं और उन्होंने पूरे HUL में ग्लोबल स्तर पर काम किया है. पैरेंट कंपनी यूनिलीवर से चीफ ऑफ ट्रांस्फोर्मेशन में रूप में जुड़ने से पहले वह उत्तरी एशिया क्षेत्र के EVP (एम्प्लोई वैल्यू प्रपोजिशन) और यूनिलीवर चीन के चेयरमैन थे. रोहित जावा के पास पर्सनल केयर, होम केयर और फ़ूड जैसे अलग-अलग क्षेत्रों में काम करने का अनुभव है. इतना ही नहीं, रोहित जावा ने अन्य देशों में काम करने से पहले बहुत सालों तक भारत में काम किया है जिसकी वजह से उनको भारतीय मार्केट और कंज्यूमर की जरूरतों की बहुत बेहतर समझ है.
दूसरी तरफ प्रिया नायर हैं जिन्हें मैं काफी अच्छी तरह से जानता हूं. एक अच्छी लीडर होने के साथ ही वह एक बहुत प्यारी और दयालु इंसान हैं और मेरी किस्मत बहुत अच्छी है कि मुझे कई बार उनसे मिलना का सौभाग्य मिला है. वह एक बहुत ही बेहतरीन प्रोफेशनल और लीडर हैं और मुझे यकीन है कि उन्हें जो भी जिम्मेदारी दी जायेगी वो उसे बहुत अच्छे से निभाकर अपना विकास और अपनी चमक बनाये रखेंगी. नायर लगभग तीन दशकों से यूनिलीवर के साथ हैं और उन्होंने कंपनी में कई सीनियर लीडरशिप पोजीशंस पर काम किया है. फिलहाल वह यूनिलीवर में ब्यूटी & वेलबिंग की ग्लोबल CMO के रूप में काम कर रही हैं और उन्होंने कंपनी के साथ लगभग 28 साल तक काम किया है. नायर ने पुणे स्थित सिम्बायोसिस इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट से ग्रैजुएशन किया है. इसके साथ ही, नायर कार्यस्थल में विवधता और समावेश की हिमायती हैं, जो आजकल बहुत सी कंपनियों के लिए एक महत्त्वपूर्ण मुद्दा है. नायर CEAT और ASCI जैसी कंपनियों के बोर्ड में भी शामिल रह चुकी हैं.
हालांकि नायर हिन्दुस्तान यूनिलीवर के CEO के पद के लिए एक बहुत शानदार विकल्प हो सकती थीं लेकिन रोहित जावा की भारतीय मार्केट की समझ और सफलता का उनका रिकॉर्ड उन्हें इस पद के लिए सबसे मजबूत कैंडिडेट बना देता है. आखिरी में कहना चाहूंगा कि जावा को CEO बनाने का फैसला बहुत से फैक्टर्स पर आधारित हो सकता है जिनमें लीडरशिप की क्वॉलिटी, रणनीतिक दूरदृष्टि और अनुभव भी शामिल हैं. मैं समझता हूं कि लीडरशिप में विविधता के स्तर पर यूनिलीवर पिछले कुछ सालों से काफी अच्छी तरह से प्रगति कर रहा है. साल 2020 में कंपनी ने घोषणा की थी कि अपनी लीडरशिप टीम में उन्होंने जेंडर बैलेंस को हासिल कर लिया है और 50% महिलाओं ने मैनेजमेंट पोजीशन्स को संभाल रखा है. इतना ही नहीं, यूनिलीवर ने लीडरशिप पदों पर ‘अलग-अलग रंग के लोगों’ के प्रतिनिधित्व को बढ़ाने का वादा भी किया है.
संजीव मेहता की जगह लेना
मैं संजीव मेहता से भारत में HUL में लगभग उसी समय मिला था जब मैं पहली बार सिंगापुर में जावा से मिला था. तब से, हमने कई बार उनका साक्षात्कार लिया और उन्होंने BW (बिजनेसवर्ल्ड) के विभिन्न कार्यक्रमों में भी हिस्सा लिया. 2021 में मेहता हमारे इम्पैक्ट पर्सन ऑफ द ईयर (IPOY) थे - 4 वर्षों में कई बार नामांकित होने के बाद. मेहता बेहद खास तरह के व्यक्ति हैं. मुझे याद है 2017 में जब बाबा रामदेव IPOY थे और मैंने उनसे IPOY विजेता पर कुछ कहने का आग्रह किया था, तब उन्होंने कहा कि हमें आज बाबा रामदेव को सेलिब्रेट करना चाहिए, लेकिन एक संपादकीय मंच के रूप में, निर्णय लेते समय हमें गहराई में जाकर अध्ययन करना चाहिए. मुझे याद है कि मेरे सवाल का जवाब देते हुए वह शांत खुश और शिकायत रहित तरीके से ऐसा कह रहे थे.
मैं बताना चाहूंगा कि मैंने भारतीय उद्योग जगत के लगभग सभी लीडर्स से मुलाकात की है और उनमें से कई के साथ बातचीत की है. और इससे पहले कि मैं आपको बताऊं कि पिछले आठ सालों में जब मैंने मेहता के साथ बातचीत की तो मैंने क्या महसूस किया, मुझे आपको एक कहानी बतानी है.
दो साल पहले मेरे दोस्त सुनंदन भांजा चौधरी ने मुझे फोन किया और सुझाव दिया कि हमें एक आईपी करना चाहिए जो 'बिजनेस वर्ल्ड' में सबसे परिपूर्ण व्यक्ति को पहचान करे - जैसा कि इंडिया इंक में होता है. मुझे यह दिलचस्प लगा और मैंने उनसे कहा कि मैं इस बारे में सोचूंगा और इस तरह के पुरस्कार के लिए एक रूपरेखा और मानदंड तैयार करूंगा. मुझे याद है कि मैंने कहा था कि हमें एक कम्पलीट पर्सन अवार्ड बनाना चाहिए जिसमें महिला और पुरुष दोनों शामिल हों. इसके बाद हमने ढांचा विकसित किया और कम्पलीट पर्सन, कम्प्लीट वुमन और कम्पलीट मैन के लिए मानदंड के तीन सेट तैयार किए. हमने प्रारंभिक लिस्ट भी तैयार कीं और मानदंडों और नामों का परीक्षण किया - जिसे हमने कुछ बहुत ही बुद्धिमान लोगों के साथ साझा किया. कम्पलीट मैन के लिए मैंने रूपरेखा और मापदंड तैयार किया, जिसमें मेरे विचार से निम्नलिखित गुण होने चाहिए:
आंतरिक प्रक्रिया पर दो महीने बिताने के बाद हमने छह लोगों को शॉर्टलिस्ट किया. इसके बाद हमने 200+ सीईओ और प्रमोटरों को भी बुलाया और उनसे उनकी पसंद पूछी. हम हेडहंटर्स, मीडिया के लोग, पीई और वीसी समुदाय, बैंकर, साथियों और वरिष्ठ कर्मचारियों तक पहुंचे और इस बाहरी प्रक्रिया से एक सूची तैयार की. अंत में हमारे पास 9 नाम थे और हमने इसे अंतिम सूची के रूप में लिया. मैं अपनी बात समझाने के लिए उस सूची को अपने लेख के हिस्से के रूप में साझा कर रहा हूं.
हम फिर से आंतरिक और बाहरी परामर्श से गुजरे और अपनी पहली पसंद - संजीव मेहता के साथ सामने आए. हालांकि मुझे यह बताना चाहिए कि हमारे परामर्श के पूरे स्पेक्ट्रम में शीर्ष तीन विकल्पों में बहुत कम अंतर था, लेकिन मैं इस चर्चा को मिस्टर मेहता तक ही सीमित रखूंगा. मैं जो बात कह रहा हूं वो यह है कि वह एक परिपूर्ण व्यक्ति या कम्पलीट मैन हैं, जिन्होंने पिछले दशक में एचयूएल को पूरी तरह बदला और विकसित किया है. उनके नेतृत्व में, कंपनी ने सभी श्रेणियों और सभी मौसमों में चुनौती देने वालों के तूफान का सामना किया है. उनके कार्यकाल के दौरान, HUL का कारोबार और बाजार पूंजीकरण में वृद्धि हुई. इस वैश्विक दिग्गज ने भारत में अपने निवेश को दोगुना किया.
मेहता ने बड़े अधिग्रहण किए, विवादों से दूर रहे, मिलनसार और हमेशा संतुलित रहे. उनके साथ किसी भी बातचीत में, हमेशा निष्पक्ष चर्चा और निष्पक्ष निर्णय पर पहुंचने अहसास होता है. वह हमेशा हर व्यक्ति के साथ चाहे वह जूनियर हो या सीनियर गर्मजोशी के साथ मिलते हैं - फिर चाहे मुलाकात व्यक्तिगत हो या पेशेवर. वह कम्पलीट मैन का प्रतीक हैं और पिछले एक दशक में भारत में एचयूएल का पर्याय बन गए हैं. उनका विकास और प्रभाव उनकी पोजीशन और परफॉरमेंस से नहीं आया, जो दोनों ही बेजोड़ रहे- बल्कि इस तथ्य से आया कि उन्होंने जो कुछ भी किया उसमें ईमानदारी, गर्मजोशी और मानवीय दृष्टिकोण शामिल रहा.
स्वाभाविक रूप से, जब यूनिलीवर मिस्टर मेहता के उत्तराधिकारी की तलाश कर रहा था, तो यह उसके लिए सबसे मुश्किल कामों में से एक रहा होगा. उन्हें एक ऐसे व्यक्ति का चयन करना था, जिसका कंपनी के भीतर और बाहर सम्मान हो और जिसमें उनके समान गुण हों. कोई भी दो लीडर एक जैसे नहीं होते और जब आप उत्तराधिकारी के लिए सही चुनाव करना चाहते हैं तो समानता तलाशना सबसे अच्छा होता है. सांस्कृतिक अभिविन्यास भी महत्वपूर्ण है.
एचयूएल में 10 वर्षों के परिवर्तनकारी कार्यकाल के बाद, मेहता कंपनी से सेवानिवृत्त होंगे. एचयूएल का अब करीब 7 अरब डॉलर का कारोबार है और बाजार पूंजीकरण 75 अरब डॉलर के दायरे में है और यह बढ़ रहा है. एक दशक तक एचयूएल में रहते हुए, उन्होंने मार्केट कैप को 17 बिलियन अमेरिकी डॉलर से लगभग पांच गुना बढ़ाकर 75 बिलियन करने में मदद की, जिससे एचयूएल भारत का सबसे मूल्यवान बिजनेस बन गया. वह फिक्की के अध्यक्ष भी बने और टाटा संस द्वारा उन्हें एयर इंडिया के बोर्ड में भी शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया.
रोहित जावा 27 जून 2023 से नए एमडी और सीईओ के रूप में कार्यभार संभालेंगे. वह 1 अप्रैल 2023 से यूनिलीवर, दक्षिण एशिया के अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभालेंगे और यूनिलीवर लीडरशिप एक्जीक्यूटिव में शामिल होंगे. संजीव मेहता और रोहित जावा दोनों के पास ग्रोथ माइंडसेट और ग्रोथ ट्रैक रिकॉर्ड है. जब जावा के नाम की घोषणा की गई तो मैंने उन उदार लोगों को कॉल किया जो उन्हें व्यक्तिगत रूप से जानते थे और उनके बारे में सूक्ष्म दृष्टिकोण रखते थे. मुझे उनके बारे में काफी कुछ पॉजिटिव जानने को मिला और एक लीडर के रूप में उन्हें लेकर लोगों की राय लगभग एक जैसी थी. मैं उसे इस तरह समराइज करना चाहूंगा:
देखने का नजरिया
मैं नूर और उनके नजरिए का बहुत सम्मान करता हूं. जब नूर ने अपना लेख लिखा, तो मैं इस बात से अच्छी तरह वाकिफ था कि नूर कहां से आती हैं. मुझे लगता है कि उन्होंने अपने लेख में एक बहुत बड़ा मुद्दा उठाया और संजीव मेहता के प्रति उनके सम्मान को जानते हुए, मैं बिना किसी संदेह के जानता हूं कि उनका मानना है कि एलन जोप, नितिन परांजपे और यूनिलीवर बोर्ड सहित प्रक्रिया में भाग लेने वाले सभी लोगों के साथ-साथ उन्होंने सबसे अच्छा निर्णय लिया होगा. हालांकि, महिलाओं और जेंडर के बारे में हेडलाइन और स्टांस वास्तविक मुद्दे से दूर ले जाते हैं. प्रिया नायर और रोहित जावा न केवल अनुभव में बल्कि विभिन्न मामलों में अलग हैं. नायर भी प्रतिभाशाली हैं, लेकिन यह पल जावा का है और मैं इसे उनसे नहीं छीन सकता.
मेरे विचार से तुलना से बचा जा सकता है और यह हमेशा स्वस्थ नहीं होती. नूर स्वतंत्र हैं और मुझे यकीन है कि मेरे दृष्टिकोण पर उनकी अपनी अलग सोच होगी, लेकिन यह ठीक है. मैं उसके नजरिए का सम्मान करता हूं और मुझे यकीन है कि वह भी मेरे नजरिए का सम्मान करेंगी. जिस तरह से मैं इसे देखता हूं, यह मेरे लिए एक ऐसी स्थिति है जिसमें किसी सेलिब्रिटी कपल की शादी में दूल्हा या दुल्हन से उनकी लाइमलाइट छीनना है.
स्पॉटलाइट सही कारणों से रोहित जावा पर होनी चाहिए - वह यह है कि जावा मिस्टर मेहता के उत्तराधिकारी के रूप में एचयूएल के लिए बेहतरीन विकल्प हैं. मेरा दृष्टिकोण और लेख प्रतिभा या व्यक्तित्व के बारे में कुछ भी नहीं है. यह एक एंगल है, जो मुझे लगता है कि नूर के लेख में अलग होना चाहिए था. मेरा दृढ़ विश्वास है कि समय बताएगा कि रोहित जावा, मेहता के उत्तराधिकारी के रूप में सही विकल्प हैं.
स्केल का परिप्रेक्ष्य
निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले मुझे इस जॉब की कठिन आवश्यकताओं के लिए एक और परिप्रेक्ष्य आपके समक्ष रखने दें. यह न केवल भारत में बल्कि बड़े पैमाने पर दुनिया की सबसे बड़ी कॉर्पोरेट नौकरियों में से एक है. आइए विचार करें कि हिंदुस्तान यूनिलीवर, जो यूनिलीवर की भारतीय सहायक कंपनी है, टर्नओवर, प्रॉफिटेबिलटी और मार्केट पोजीशन के मामले में अन्य यूनिलीवर सहायक कंपनियों और अन्य वैश्विक एफएमसीजी कंपनियों की तुलना कैसे करती है. सबसे पहले, टर्नओवर के मामले में, एचयूएल वॉल्यूम के मामले में यूनिलीवर की सबसे बड़ी सहायक कंपनी है और वित्त वर्ष 2012 में लगभग 7 बिलियन अमेरिकी डॉलर के कारोबार के साथ दूसरी सबसे बड़ी सहायक कंपनी है और वित्त वर्ष 23 में नौ महीने के कारोबार के आधार पर 5 बिलियन डॉलर से अधिक - 14 प्रतिशत YoY की वृद्धि - पूरे वर्ष के लिए यह आंकड़ा संभवतः 8 बिलियन डालर के करीब हो सकता है. यह इसे अन्य प्रमुख सहायक कंपनियों जैसे यूनिलीवर उत्तरी अमेरिका और यूनिलीवर यूरोप से आगे रखता है, जो मूल कंपनी में 40 प्रतिशत का योगदान करती हैं.
प्रॉफिटेबिलटी या लाभप्रदता के संदर्भ में, एचयूएल ने लगातार मजबूत वित्तीय परिणाम हासिल किए हैं. वित्तीय वर्ष 2020-21 में, कंपनी ने 1 बिलियन डॉलर से अधिक का शुद्ध लाभ दर्ज किया था. जब मार्केट पोजीशन की बात आती है, तो हिंदुस्तान यूनिलीवर भारत में अग्रणी एफएमसीजी कंपनियों में से एक है, जिसकी पर्सनल केयर, होम केयर, फूड और रिफ्रेशमेंट जैसी कई उत्पाद श्रेणियों में महत्वपूर्ण उपस्थिति है. डव, सर्फ एक्सेल और लिप्टन जैसे कंपनी के ब्रैंड भारत में एक अलग पहचान रखते हैं. मार्केट कैप के लिहाज से, यह वैश्विक स्तर पर RB, कोलगेट पामोलिव, जनरल मिल्स और क्राफ्ट हेंज की तुलना में ज्यादा है. रोहित जावा के पास भारतीय लोकाचार और भारतीय संस्कृति की समझ है और उन्होंने कई देशों और कई भूमिकाओं में काम किया है. वह मिलनसार हैं और सहकर्मी उनका सम्मान करते हैं. मेरा मानना है कि इस स्केल के ऑपरेशन के लिए वह सभी अर्थों में सबसे उपयुक्त है.
और अंत में यह सवाल
हालांकि विचार करने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि यूनिलीवर को भारतीय सीईओ कब मिलेगा. क्या नितिन परांजपे को अगले कुछ वर्षों में यूनिलीवर का सीईओ बनाया जाएगा? क्या संजीव मेहता अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे और भविष्य में ग्लोबल सीओओ या सीईओ बनने की दौड़ में शामिल होंगे? मैं यह सवाल सिर्फ इसलिए नहीं पूछ रहा हूं क्योंकि मैं चाहता हूं कि कोई भारतीय यूनिलीवर का प्रमुख बने. मुझे लगता है कि नितिन परांजपे और संजीव मेहता दुनिया के दूसरे लीडर्स की तुलना में ज्यादा अच्छे या बेहतर हैं, क्योंकि उन्होंने सफलतापूर्वक हिंदुस्तान यूनिलीवर के सामने आने वालीं बड़ी चुनौतियों का सामना किया है, और उन्होंने नैतिक मूल्यों से समझौता किए बिना ऐसा करके दिखाया है.
स्पष्टीकरण: यह कॉलम रेमंड द्वारा प्रायोजित नहीं है, हालांकि मैं रेमंड द्वारा इसे प्रायोजित करने का स्वागत करूंगा. क्योंकि यह कम्पलीट कॉलम है.
इंटरनेशनल मॉनेट्री फंड (IMF) में एशिया पैसिफिक विभाग के निदेशक कृष्णा श्रीनिवासन (Krishna Srinivasan) ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए 6.8 प्रतिशत विकास दर के आंकड़े को बहुत प्रभावी बताया है.
इंटरनेशनल मॉनेट्री फंड (IMF) एशिया पैसिफिक विभाग के निदेशक कृष्णा श्रीनिवासन (Krishna Srinivasan) ने भारत में शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, श्रम कानूनों और कारोबारी माहौल में महत्वपूर्ण निवेश पर जोर दिया है. आईएमएफ ने कहा है कि केंद्र और राज्यों को मिलकर सामूहिक प्रयास करने की जरूरत है, ताकि देश अपनी आर्थिक क्षमताओं को साकार कर सके.
भारत Sustainable Development की राह में बढ़ रहा आगे
आम लोगों के खर्च में इजाफा होने और पब्लिक सेक्टर में इनवेस्टमेंट बढ़ाने से भारत सतत विकास (Sustainable Development) की राह में आगे बढ़ रहा है. तमाम वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद भारत की यह प्रगति बनी हुई है. यह दावा किया है. उन्होंने वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए 6.8 प्रतिशत विकास दर का आंकड़ा बहुत प्रभावी है और यह आम लोगों के बीच उपभोग और सार्वजनिक संपत्ति में सरकार की ओर से निवेश बढ़ाने के कारण है.
इन क्षेत्रों में निवेश की जरूरत
आईएमएफ के अधिकारी ने भारत में शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, श्रम कानूनों और कारोबारी माहौल में महत्वपूर्ण निवेश पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्यों को मिलकर सामूहिक प्रयास करने की जरूरत है, ताकि देश अपनी आर्थिक क्षमताओं को साकार कर सके. उन्होंने कहा है कि वह अब इस बात पर जोर देना चाहेंगे कि भारत युवाओं की बढ़ती आबादी वाला एक देश है. यहां हर साल लगभग 1.5 करोड़ लोग श्रम बल में जुड़ सकते हैं. उन्होंने कहा कि भारत को अपनी व्यापार व्यवस्था को भी उदार बनाने की जरूरत है, ताकि पाबंदियां हटाई जा सकें ताकि कंपनियां आपस में प्रतिस्पर्धा कर सकें. आपको एफडीआई के लिए माहौल को और आकर्षक बनाना होगा.
चीन की जीडीपी को पीछे छोड़ सकता है भारत
श्रीनिवासन ने कहा कि चीन को पीछे छोड़ते हुए सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के रूप में भारत की स्थिति को स्वीकार किया. भारत अगले कई वर्षों में 6.5% या उससे अधिक की वृद्धि दर हासिल कर सकता है. श्रीनिवास ने कहा है कि चीन भारत से चार गुना बड़ा देश है. भारत अपनी क्षमताओं का इस्तेमाल कर सुधारों को शुरू करता है, तो अगले कई वर्षों में 6.5 प्रतिशत या उससे अधिक की जीडीपी हासिल कर सकता है.
रेल, सड़क, हवाई अड्डे हर क्षेत्र में बढ़ा निवेश
भारत सरकार ने पूंजीगत व्यय के मामले में काफी निवेश किया है. इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरतों को पूरा करने के लिए रेल, सड़क, हवाई अड्डे और अन्य सभी क्षेत्रों में निवेश बढ़ा है. भारत सरकार ने इस पर जितनी राशि खर्च की है, उससे इंफ्रास्ट्रक्चर का अंतर घटा है. उन्होंने कहा है कि पिछले कई साल में खराब बैलेंस शीट साफ हुई है और कॉरपोरेट अब अपने स्वयं के निवेश और वित्तपोषण के मामले में बेहतर हुए हैं. आने वाले समय में निजी निवेश भी तेजी से बढ़ने की उम्मीद है.
डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर की पहल सराहनीय
श्रीनिवासन ने डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर में भारत की उपलब्धियों, विशेष रूप से डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई) जैसी पहलों को अनुकरणीय माना है. श्रीनिवासन ने वैश्विक लाभ के लिए अपनी तकनीकी प्रगति का लाभ उठाने के लिए भारत की क्षमता पर भी प्रकाश डाला. उन्होंने कहा है कि यह डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर इनोवेशन और कॉम्पीटिशन को बढ़ावा देगा. इससे देश की उत्पादकता भी बढ़ेगी. श्रीनिवासन ने कहा कि आईएमएफ सिंगापुर में एक व्यापक रिपोर्ट जारी करेगा, जिसमें वैश्विक आर्थिक घटनाक्रमों और भारत जैसे देशों पर उसके प्रभाव के बारे में जानकारी दी जाएगी.
हालांकि इस मामले को लेकर जानकारों की राय बंटी हुई है. कुछ का मानना है कि उनकी राय का कुछ असर हो सकता है जबकि कुछ मानते हैं कि कोई असर नहीं होगा.
संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत की स्थाई सदस्यता का मामला लंबे समय से चल रहा है. अब तक दुनिया के कई देश इस मामले में भारत को स्थाई सदस्यता देने का समर्थन कर चुके हैं. लेकिन अब इस मामले में दुनिया के प्रभावशाली कारोबारी और अमीर शख्स एलेन मस्क ने इसे लेकर भारत का समर्थन किया है. एलेन मस्क ने कहा है कि यूएन में भारत को स्थाई सदस्यता न मिलना बेतुका है. उन्होंने कहा कि जिनके पास एक्सेस पॉवर है वो उसे छोड़ना नहीं चाहते हैं.
एलन मस्क ने कही क्या बात?
संयुक्त राष्ट्र संघ में स्थाई सदस्यता को लेकर एलन मस्क ने ट्वीट करते हुए कहा कि, , संयुक्त राष्ट्र निकायों में संशोधन की आवश्यकता है. समस्या यह है कि जिनके पास अधिक शक्ति है वे इसे छोड़ना नहीं चाहते. धरती पर सबसे अधिक आबादी वाला देश होने के बावजूद भारत को सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट न मिलना बेतुका है. अफ़्रीका को सामूहिक रूप से आईएमओ की एक स्थायी सीट भी मिलनी चाहिए.
At some point, there needs to be a revision of the UN bodies.
— Elon Musk (@elonmusk) January 21, 2024
Problem is that those with excess power don’t want to give it up.
India not having a permanent seat on the Security Council, despite being the most populous country on Earth, is absurd.
Africa collectively should…
वहीं एलन मस्क के इस ट्वीट पर अपनी बात कहते हुए यूएन सिक्योरिटी काउंसिल के सेक्रेट्री जनरल हम यह कैसे स्वीकार कर सकते हैं कि अफ़्रीका के पास अभी भी सुरक्षा परिषद में एक भी स्थायी सदस्य का अभाव है? संस्थानों को आज की दुनिया को प्रतिबिंबित करना चाहिए, न कि 80 साल पहले की दुनिया को. सितंबर का भविष्य शिखर सम्मेलन वैश्विक शासन सुधारों पर विचार करने और विश्वास के पुनर्निर्माण का अवसर होगा.
क्या वास्तव में होगा एलन मस्क की बात का असर
सबसे अहम बात ये है कि भारत में कारोबार करने की इच्छा रखने वाले एलन मस्क की बात का कोई असर भी होगा या उन्होंने ये बयान बिजनेस महत्वाकांक्षाओं के चलते दिया है. क्योंकि भारत के पक्ष में इससे पहले कई देश इस तरह का बयान दे चुके हैं. मौजूदा समय में यूएनएससी (संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद) में पांच देश ऐसे हैं जिनके पास स्थाई सदस्यता है और वीटो पावर का अधिकार है. इनमें अमेरिका, फ्रांस, रसिया, चाइना और यूनाइटेड किंगडम शामिल हैं. लेकिन पूरी दुनिया में लंबे समय से इसमें बदलाव की वकालत हो रही है.
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लगातार बढ़ रही है भारत की ताकत
विदेश मामलों के जानकार संजीव श्रीवास्तव कहते हैं कि आज के मौजूदा हालात में भारत का पूरी दुनिया में एक अलग स्थान हो चुका है पूरी दुनिया में भारत का प्रभाव तेजी से बढ़ रहा है. अगर इंडो पैसिफिक रीजन की बात करें तो वहां और भी ज्यादा भारत का प्रभाव है. इस वक्त दुनिया के जिन क्षेत्रों में तनाव चल रहा है वहां भी भारत का बड़ा प्रभाव है. हर जगह भारत को एक महत्व के साथ देखा जाता है. मीडिल ईस्ट के देश भी भारत के साथ मित्रता बढ़ाना चाहते हैं. पाकिस्तान और चाइना के द्वारा किए जाने वाले प्रोपेगेंडा के बावजूद भारत का प्रभाव बढ़ रहा है. ऐसी भूमिकाओं के बीच अगर भारत की भूमिका यूएनएससी में न हो तो वो भी अपनी भूमिका को सही से नहीं निभा सकता है. देखिए एलन मस्क एक विजनरी उद्योगपति हैं. उनके विचारों को गंभीरता से लिया जाता है, अब वो भले ही कारोबार की बात हो या दुनिया से जुड़े मामलों की बात हो.ये बात जरूर है कि उनके भारत में अपने हित हैं उन्हें वो आगे बढ़ाना चाहते हैं. मैं मानता हूं कि जो उन्होंने कहा है वो सच्चाई है. लेकिन वो दुनिया के हर मामले में अपनी राय रखते हैं जो कि बेहद अहम है.
ये दुर्भाग्यपूण है लेकिन सच है
The ImageIndia Institute के अध्यक्ष और विदेश मामलों के जानकार रोबिन्द्र सचदेव कहते हैं कि देखिए मेरा मानना है कि ये महत्वपूर्ण तो बहुत है लेकिन मेरा मानना है कि इसका कोई ज्यादा असर नहीं होगा. उनका कहना है मौजूदा समय में उनका जो एक्जिस्टिंग सिस्टम है इतना जटिल है अपने सिस्टम को लेकर कोई भी मेंबर अपने वीटो को नहीं छोड़ेगा और न ही वीटो के लिए किसी और देश को साथ में लाएगा. उनका कहना है कि यूएन की दूसरी एजेंसियों की बात अलग है लेकिन यूएन सिक्योरिटी काउंसिल में बदलाव करना अपने आप में बड़ी बात है. मुझे ये असंभव सा दिखाई देता है. पांच में से कोई भी अपनी पावर को छोड़ना नहीं चाहेगा. ये दुर्भाग्यपूण है लेकिन सच है. इंडिया एक आकर्षक बाजार है वो इंडिया के साथ गुडविल भी बनाना चाहता है, उनका मानना है कि वो जिस देश में कारोबार करने जा रहे हैं वहां की स्थितियां उनके अनुकूल हों.
संकट के समय ही आविष्कार का जन्म होता है और महान रणनीतियां सामने आती हैं. जो संकट पर विजय प्राप्त कर लेता है, वह स्वयं पर विजय प्राप्त कर लेता है वो भी बिना पराजित हुए- अल्बर्ट आइंस्टीन
हाल ही में ऐसी घटनाएं घटी हैं जिनका प्रभाव पूरी दुनिया पर पड़ा है. इन अंतरराष्ट्रीय घटनाओं में यूक्रेन में चल रहा युद्ध भी शामिल है, जो दो साल से चल रहा है; इजरायल-हमास संघर्ष और अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध और अधिक तीव्र होता जा रहा है. इन सभी चीजों से अस्थिरता बढ़ी है, जो इस बात पर जोर देती है कि नेताओं के लिए राजनीतिक और जियोपॉलिटिकल खतरों को पहचानना और उन पर प्रतिक्रिया देना कितना महत्वपूर्ण है. यह प्राइवेट सेक्टर के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण हो जाता है जो अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और निवेश में संलग्न है.
ग्लोबल रिस्क का एक हिस्सा है जियोपॉलिटिक्स
वैश्विक कामकाज और स्थिरता की धारणाओं को अक्सर पूर्वानुमानित और अचनाक होने वाली घटनाओं द्वारा परीक्षण में रखा जाता है जो जल्दी से घटित होती हैं. इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि जियोपॉलिटिकल, ग्लोबल रिस्क का एक हिस्सा है जो संकट को वैश्विक व्यवस्था के सिस्टेमैटिक ब्रेकडाउन में बदल सकता है.
विवादों को लेकर चौकन्ना रहना चाहिए
व्यवसायों और डिसीजन मेकर्स के लिए जियोपॉलिटिकल डेटा को उपयोगी परिणामों में परिवर्तित करना एक महत्वपूर्ण कार्य है. कंपनी के अधिकारी अपने दैनिक कार्यों के प्रति अनावश्यक रूप से जुनूनी हो सकते हैं और परिणामस्वरूप अपने आंकलन में विफल भी हो सकते हैं. न तो इज़राइल-हमास युद्ध और न ही यूक्रेन में युद्ध रातोरात हुआ. हम इस बात से अनजान थे कि विवाद कैसे पनप रहे थे, जिसने हमें चौकन्ना कर दिया.
रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष
रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष तब शुरू हुआ जब यूक्रेन ने 1991 में नाटो में शामिल होने का फैसला किया. रूस ने इसे अपनी सीमाओं को घेरने और नाटो के साथ सैन्य गठबंधन के प्रयास के रूप में माना. स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद यूक्रेन ने पहले सैन्य गुटों के साथ दूरी बनाए रखने की घोषणा की थी. लेकिन जब पश्चिमी समर्थक जेलेंस्की राष्ट्रपति बने और उन्होंने नाटो में शामिल होने में रुचि दिखाई तो यूक्रेन को रूस की आलोचना का सामना करना पड़ा.
Q4 Results: TCS की आर्थिक सेहत हुई और मजबूत, अनुमान से बेहतर रहे परिणाम
75 वर्ष पुराना है फिलिस्तीन का मामला
फिलिस्तीन को राज्य का दर्जा देने का मामला कम से कम 75 वर्ष पुराना है जो इज़रायल और फिलिस्तीन के बीच संघर्ष का मुख्य कारण भी है. यह धारणा बन गई है कि इजराइल फिलिस्तीनियों को उनके घरों से जबरन निकालना चाहता है ताकि यहूदी उनके जमीन पर कब्जा कर सकें जो इस संघर्ष की मूल जड़ है. इसके अलावा हमास को एहसास हुआ कि सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात जैसे प्रमुख अरब देश इज़राइल के पक्ष में जा रहे हैं, जिससे उनके उद्देश्य को नुकसान पहुंचेगा. इस संघर्ष का निर्णायक मोड़ वह था जब अल अक्सा मस्जिद को ध्वस्त कर दिया गया. लेकिन अब जब लड़ाई लेबनान और यमन तक फैल गई है, तो स्थिति पहले से और अधिक जटिल और चुनौतीपूर्ण हो गई है.
दबंग नौकरशाही के खिलाफ हुआ ब्रेक्सिट
ब्रेक्सिट का होना यूरोपीय संघ की दबंग नौकरशाही के खिलाफ ब्रिटेन के हालिया विद्रोह का परिणाम है. इन दिनों पोलैंड, हंगरी और इटली अपने राष्ट्रीय हितों के चलते यूरोपीय संघ की नीतियों से खुले तौर पर असहमत हैं. ये घटनाएं अंत में एक संकट का कारण बन सकती हैं जो अंतर्राष्ट्रीय कॉर्पोरेट हितों को प्रभावित करती हैं.
धीरे-धीरे बढ़ रही है जियोपॉलिटिकल टेंशन
दुनिया में बढ़ती जियोपॉलिटिकल टेंशन यह दर्शाती हैं कि अधिकांश घटनाएं धीरे-धीरे आगे बढ़ती हैं लेकिन चरम सीमा तक पहुंचने में वर्षों लग जाते हैं. हालाँकि, यदि कोई ऑर्गेनाइजेशन प्रोसिड्योर सेट अप करता है और इन डेवलपमेंट्स की निगरानी के लिए सीनियर मैनेजमेंट को प्रशिक्षित करता है, साथ ही उनके बारे में जागरूकता को भी बढ़ाता है तो वे इन डेवलपमेंट्स की निगरानी कर विश्लेषण कर सकते हैं और कुछ गलत होने की स्थिति में C और B सहित बैकअप योजनाएं बनाए रख सकते हैं. इसका तात्पर्य यह है कि कंपनियों को यह सुनिश्चित करने के लिए अपनी प्रक्रियाओं और दक्षताओं को रीसेट करने की आवश्यकता है:
•लीडरशिप उस स्ट्रेटेजिक जियोपॉलिटिक्स संदर्भ को समझे जिसमें निर्णय लिए जाते हैं.
•जियोपॉलिटिक्स से आने वाले व्यावसायिक जोखिमों और अवसरों का मूल्यांकन करे.
•अप्रत्याशित और महत्वपूर्ण विकास की संभावना को ध्यान में रखते हुए, विश्व पर्यावरण में होने वाले परिवर्तनों पर नजर रखें
•एक लॉन्ग टर्म, सही रणनीति और दृष्टिकोण बनाएं जो संगठन के दिन-प्रतिदिन के कार्यों से परे हो.
•संगठन की अंतरराष्ट्रीय और जोखिम पूर्ण रणनीतियों में से जियोपॉलिटिकल विश्लेषण को अलग करें.
रिस्क फैक्टर्स को समझना व्यापार का हिस्सा
निश्चित रूप से रुझानों का अनुमान लगाने, संकटों से निपटने और एक्सटर्नल फैक्टर्स का प्रबंधन करने की क्षमता रखना अब अंतरराष्ट्रीय व्यापार के क्षेत्र में एक आवश्यक कौशल बना गया है. हालाँकि इन्हें सीखा जा सकता है. यह तब मददगार होगा जब इसे बिजनेस स्कूल अपने एमबीए पाठ्यक्रम में शामिल करें और विदेशी मामलों के पेशेवरों की सहायता से ट्रेनिंग प्रोग्राम भी आयोजित करें, यह देखते हुए कि हम वर्तमान में तेजी से आगे बढ़ने वाले अनसर्टेन UVCA वातावरण में काम कर रहे हैं. निस्संदेह, रुझानों की पहचान करने, अप्रत्याशित बाहरी प्रभावों को संभालने और संकटों से निपटने में सक्षम होना अब अंतरराष्ट्रीय व्यापार की दुनिया में एक महत्वपूर्ण कौशल है.
लेखक:
1. सुहैल आबिदी
2. डॉ.मनोज जोशी
3. डॉ. अशोक कुमार
शुक्रवार को आरबीआई ने वित्त वर्ष 2024-25 की बैठक में रेपो रेट में कोई भई बदलाव न करने का फैसला लिया गया, ऐसे में अब ईएमआई की दरें भी स्थिर रहेंगी.
शुक्रवार को आरबीआई (RBI) ने वित्त वर्ष (Financial Year) 2024-2025 की पहली बैठक की. ऐसे में हर कोई ये जानना चाहता है ईएमआई सस्ती होगी या उन पर महंगाई का बोझ बढ़ेगा? तो चलिए आपको बताते हैं एक्सपर्ट्स की इसमें क्या राय है.
ईएमआई कम होने का करना पड़ेगा इंतजार
आरबीआई ने एक बार फिर से रेपो रेट को स्थिर रखने का फैसला किया है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि अभी लोगों की होम लोन की ईएमआई कम नहीं होगी. लोगों को सस्ते लोन के लिए इंतजार करना पड़ेगा. मौद्रिक नीति समिति ने रेपो रेट को 6.50 फीसदी पर स्थिर रखने का फैसला लिया है. पहले से ही उम्मीद जताई जा रही थी, कि पैनल इस बार भी रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं करेगा. इससे पहले वित्त वर्ष 24 की अंतिम बैठक में एमपीसी ने रेपो रेट में लगातार छठी बार कोई बदलाव नहीं किया था. इसे 6.50 फीसदी पर स्थिर रखने का फैसला किया था.
एक साल से स्थिर हैं दरें
एक्सरपर्ट्स ने कहा है कि आरबीआई करीब एक साल से रेपो रेट 6.50 फीसदी पर स्थिर रखा हुआ है. आरबीआई ने रेपो रेट आखिरी बार पिछले साल फरवरी 2023 में 0.25 फीसदी की बढ़ोतरी कर 6.25 फीसदी से 6.50 फीसदी कर दिया था. वहीं, दिसंबर, 2023 में रीटेल महंगाई दर 5.69 फीसदी के स्तर पर थी. ऐसे में इस बार भी रेपो रेट में बदलाव की संभावना कम थी. रियल एस्टेट के दिग्गजों ने भी यह उम्मीद जताई थी कि डेवलपर्स और होम बॉयर्स को ध्यान में रखते हुए आरबीआई रेपो रेट को स्थिर रखेगा.
इस स्थिति में कम हो सकती है ईएमआई
एक्सपर्ट्स के अनुसार वित्त वर्ष 2025 में जमा राशि और क्रेडिट क्रमशः 14.5-15 प्रतिशत और 16.0-16.5 प्रतिशत तक बढ़ सकते हैं. आरबीआई ब्याज रों में कटौती केवल वित्त वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही में ही कर सकता है. एक्सपर्ट्स ने कहा कि आरबीआई महंगाई के आंकड़ों पर सख्ती से अमल करेगा. आरबीआई ने अनुमान लगाया है कि महंगाई केवल दूसरी तिमाही में 5 फीसदी से कम होगी. ऐसे में कोई भी ब्याज दरों के कम होने की उम्मीद कर सकती है, बशर्ते कि मानसून की स्थिति ठीक हो. उन्होंने कहा कि महंगाई मानसून के झटकों और ऊंची खाद्य कीमतों से अधिक निर्देशित होगी.
BW Retail World Summit में रिटेल की दुनिया से जुड़ी हस्तियों ने पैनल चर्चा में भाग लेकर रिटेल इंडस्ट्री के भविष्य और कंज्यूमर्स की आवश्कताओं जैसे बिंदुओं पर चर्चा की.
BW Retail World Summit में रिटेल की दुनिया से जुड़ी कई हस्तियां शामिल हुई. दिल्ली में आयोजित हुए बिजनेस वर्ल्ड के इस समिट के दौरान Retail Infra 101- How are retailers looking at the cities for tomorrow? विषय पर आयोजित हुई पैनल चर्चा में Trehan Iris के लीजिंग वाइस प्रेजिडेंट आकाश नागपाल, Meena Bazar के पार्टनर समीर मंगलानी, Pansari Group के डायरेक्टर शम्मी अग्रवाल और Campus Sutra की को-फाउंडर और सीओओ खुशबू अग्रवाल ने अपने विचार रखे. उन्होंने टियर 2 और टियर 3 के शहरों में रिटेलर सेक्टर के भविष्य और कंज्यूमर सेंटिमेंट जैसे बिदुओं पर चर्चा की.
कंज्यूमर्स को मॉल कल्चर आ रहा पसंद
त्रेहन इरीज के वाइस प्रेजीडेंट आकाश नागपाल ने कहा कि टियर 2 और टियर 3 शहरों में भी मॉल की जरूरत है. भारत का फलता-फूलता और बढ़ती रिटेल इंडस्ट्री काफी हद तक उच्च प्रयोज्य आय, शहरीकरण और मध्यम वर्ग की जीवनशैली में बदलाव से प्रेरित है. खरीदार आज हलचल भरे केंद्रों जैसे मल्टी स्टोर, बड़े काम्प्लेक्स और बहुमंजिला मॉल को पसंद करते हैं, जो एक ही छत के नीचे खरीदारी, मनोरंजन और भोजन की पेशकश करते हैं. छोटे शहरों में कई उपभोक्ता ब्रांडेड प्रोडक्ट खरीदने की आकांक्षा रखते हैं और उन्हें खरीदने की उनकी क्षमता बढ़ रही है. ऐसे शहरों में अगर रिटेलर मॉल बनाते हैं, तो वह एक गेम चेंजर होगा. हमें ऐसे शहरों में निवेश करने की आवश्यकता है.
रोड कनेक्टिविटी ने खोले विकास के रास्ते
मीना बाजार के पार्टनर समीर मंगलानी ने कहा कि कई रिटेल उद्योग लखनऊ, पुणे, जयपुर सहित टियर 2 और टियर 3 शहरों में स्थानांतरित या विस्तारित हो गए हैं. इन क्षेत्रों में हाउसिंग हब के विकास के परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में मॉल की वृद्धि हुई है, जो निवेशकों को रिटेल स्थान की अनुमति देते हैं. उन्होंने कहा कि वह खुद भी अयोध्या में राम मंदिर शुरू होने से पहले वहां अपना एक स्टोर खोलने जा रहे हैं. इन शहरों में रोड कनेक्टिविटी बढ़ेगी, तो रिटेल इंडस्ड्री भी बढ़ेगी और नए स्टोर खुलेंगे, जिससे ग्राहकों को बहुत सुविधा मिलेगी.
सस्ता किराया और जमीन
पंसारी ग्रुप के डायरेक्टर शम्मी अगवाल ने कहा कि सरकार बुनियादी ढांचे, ग्रामीण विकास और सार्वजनिक स्वास्थ्य में निवेश कर रही है, अधिक मजबूत खुदरा वातावरण सुनिश्चित कर रही है और नीतियों को सरल बना रही है. पारंपरिक मेट्रो क्षेत्रों के बाहर खुदरा विकास तेजी से बढ़ रहा है. महानगरों की तुलना में इन शहरों में जमीन के बड़े हिस्से भी उपलब्ध हैं और कीमत भी कम है. वहीं, रिटेलर को हाइपरलोकल ब्रांड भी बनना होगा, तभी महानगर के साथ टियर 2,3 के शहरों में भी ये तेजी से बढ़ेंगे.
टियर 2 व टियर 3 शहरों में एक आशाजनक भविष्य
कैंपस सूत्र की को-फाउंडर और सीओओ खुशबू अग्रवाल ने कहा कि भारत की आर्थिक क्षमता छोटे शहरों के विकास में निहित है जो सभी मोर्चों पर परिवर्तन देख रहे हैं. शहरी आवास, बुनियादी ढांचे, कार्यालय और रिटेल अचल संपत्ति, इस विकास का एक प्रमुख घटक होने के नाते, टियर 2 और टियर 3 शहर देश में मॉल के भविष्य में आशाजनक विकास दिखा रहे हैं. पैसे का मूल्य, धारणा, ग्राहक को समझना और आपकी ऑफ लाइन और ऑनलाइन दोनों जगह उपस्थिति होनी चाहिए. रिटेलर को माइक्रो इन्फ्लुएंसर बनने की जरूरत है और अब तो कंज्यूमर भी एक्सपेरिमेंटल हो गए हैं. उन्हें कपड़े से लेकर खाने पीने कीहर चीज में वैरायटी चाहिए. ऐसे में रिटेलर को कंज्यूमर की जरूरत के हिसाब में इन शहरों में बढ़ने की जरूरत है.
रिटेल सेक्टर के ईकोसिस्टम में काफी बड़ा बदलाव हुआ है. ये ग्राहकों के व्यवहार, बाजार की गतिशीलता और तकनीकी प्रगति के कारण फलीभूत हो रहा है.
BW Business world के Building Blocks of Retail Summit में रिटेल सेक्टर की दिग्गज हस्तियों ने शिरकत की. किस तरह रिटेल के इकोसिस्टम में बदलाव आया है इस विषय पर उन्होंने अपने विचार व्यक्त किए. पैनल में रिटेल सेक्टर की दिग्गज हस्तियों ने अपने अनुभवों को साझा किया. इस पैनल में DLF Malla के वाइस प्रेसिडेंट और हेड ऑफ ऑपरेशन मनीष मेहरोत्रा, Raymond के हेड ऑफ स्टोर डेवलपमेंट आकाश श्रीवास्तव, Aqualite Industries के प्रेसिडेंट अतुल जैन, ReneuSleep India के फाउंडर और CEO प्रांजल बरुआ मौजूद रहे.
रिटेल सेक्टर के इकोसिस्टम में आया बदलाव
DLF Malla के वाइस प्रेसिडेंट और हेड ऑफ ऑपरेशन मनीष मेहरोत्रा ने कहा कि पिछले दशक में रिटेल सेक्टर के ईकोसिस्टम में काफी बड़ा बदलाव हुआ है. ये ग्राहकों के व्यवहार, बाज़ार की गतिशीलता और तकनीकी प्रगति के कारण फलीभूत हुआ है. ऑनलाइन और ऑफलाइन शॉपिंग के बीच का अंतर धुंधला हो गया है. उपभोक्ता सहजता से डिजिटल और इन-स्टोर अनुभवों के बीच बदलाव कर रहे हैं. चाहे स्मार्टफोन के माध्यम से ब्राउज़ करना हो, स्थानीय बाजार में घूमना हो, या शॉपिंग मॉल की खोज करना हो, अब यह सब शॉपिंग का हिस्सा माना जाता है.
पिछले कुछ सालों में कितना बदल गया है रिटेल वर्ल्ड? BW इवेंट में मिला जवाब
ज्यादा सुलभ हो गया है रिटेल सेक्टर
Raymond के हेड ऑफ स्टोर डेवलपमेंट आकाश श्रीवास्तव ने अपनी बात रखते हुए कहा कि कोविड महामारी के बाद देश भर में रिटेल कारोबार की बिक्री में भी शानदार उछाल आया है. डिजीटल टेक्नोलॉजी और ई-कॉमर्स को लोगों ने बहुत तेजी से अपनाया है. महामारी से सबक लेते हुए यह खरीदारी करने के लिए सुरक्षित, आसान व सुविधाजनक तरीका बनकर उभरा है. इससे बी2बी रिटेल इकोसिस्टम में भी परिवर्तन आया, जिसका लाभ सभी स्टेकहोल्डर्स को निश्चित रूप से मिल रहा है. रिटेल इकोसिस्टम में पहले से ज्यादा पारदर्शिता, ज्यादा बचत, कम स्टॉक-आउट्स, ज्यादा फिल-रेश्यो के साथ विभिन्न प्रकार के उत्पादों की उपलब्धता और वह भी एक ही प्लेटफॉर्म पर मिल रही है.
अब कंज्यूमर हो गए है जागरूक
Aqualite Industries के प्रेसिडेंट अतुल जैन ने कहा कि रिटेल के ईकोसिस्टम में सबसे बड़ा बदलाव आया है कि अब कंज्यूमर जागरूक हो गए है. कंज्यूमर ने डिजिटल टेक्नोलॉजी और ई-कॉमर्स को लोगों ने बहुत तेजी से अपनाया है. डिजिटलीकरण और भी ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है, ग्राहकों के बर्ताव में बहुत बदलाव आया है और ई-कॉमर्स को अपनाने वालों की तादाद तेजी से बढ़ी है. हम क्या खरीदते हैं, कैसे खरीदते हैं, कहां खरीदते हैं, क्यों खरीदते हैं, इन सभी पहलुओं पर ग्राहकों की आदतों में तेजी से परिवर्तन हो रहा है. एक आधुनिक, डिजिटली सक्षम कंज्यूमर कुछ ही समय में मार्केट इंटेलीजेंस और रुझानों पर अहम जानकारी प्राप्त कर सकता है जिसके चलते सही उत्पादों की खरीद व बिक्री से पूरा ईकोसिस्टम मजबूत हो गया है.
AI से रिटेल सेक्टर में हो रही है वृद्धि
ReneuSleep India के फाउंडर और CEO प्रांजल बरुआ ने अपनी बात रखते हुए कहा कि रिटेलर्स को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से कई लाभ मिल रहे हैं. यदि रिटेलर्स AI का रुख अपनाते हैं तो वे नए ग्राहक जुटाने में भी सक्षम हो सकते हैं. यह महत्वपूर्ण है, खासकर जब ई-कॉमर्स उद्योग तेजी से बढ़ रहा है और प्रतिस्पर्धा भयंकर हो गई है. AI से कंज्यूमर अपनी पसंद खरीददारी कर रहे हैं. रिटेल सेक्टर में AI एक कारगर हथियार बनता जा रहा है. AI ने रिटेल सेक्टर को एक नई पहचान दी है.
रिटेल वर्ल्ड में हमेशा से ही कस्टमर सेंटर में रहा है और आगे भी रहेगा. अगर दुकान में आने वाले कस्टमर को एक स्माइल दी जाए तो उसका असर अलग पड़ता है
BW Retail World Summit में रिटेल की दुनिया से जुड़े हुए कई लोग मौजूद रहे. दिल्ली में आयोजित हुए बिजनेस वर्ल्ड के इस समिट में कई अहम मुद्दों पर एक्सपर्ट ने अपनी बात रखी. उन्होंने बताया कि कैसे नए जमाने में कंज्यूमर तक पहुंचने के तरीकों में बदलाव आया है जबकि कुछ लोगों ने बताया कि कुछ पारंपरिक तरीके आज भी कायम हैं जो रामबाण बने हुए हैं. इस कार्यक्रम में बिजनेस वर्ल्ड समूह के चेयरमैन, एडिटर-इन-चीफ और एक्सचेंज4मीडिया समूह के डॉ. अनुराग बत्रा भी मौजूद रहे.
कंज्यूमर हमेशा से ही रिटेल के सेंटर में रहा है
Avit Digital के Managing Director, राजेश दीवानी ने कहा कि जहां तक रिटेल की बात है तो कंज्यूमर हमेशा ही उसके कोर में रहा है और वो हमेशा कोर में रहेगा. इसकी कोई संभावना नहीं है कि कंज्यूमर कोर में ना रहे. अभी हो क्या रहा है हम कंज्यूमर के कोर में पहुंचना चाह रहे हैं. ये पहले नहीं होता था ये अभी हो रहा है. उसके लिए जो रास्ता अपना रहे हैं वो भी पहले के मुकाबले काफी तेज है. अगर आप कंज्यूमर के कोर में नहीं पहुंचेंगे तो वो आपसे दूर चला जाएगा. इसको हम दो हिस्सों में बांट सकते हैं. पहला वो है जिसमें हम कंज्यूमर के कोर सेट में पहुंचने का प्रयास करते हैं और दूसरा वो है जिसमें हम उसके हार्ट में पहुंचने की कोशिश करते हैं. जब हम कोर सेट में पहुंचने की कोशिश करते हैं तो हमारे लिए ये बहुत खुशी की बात है कि हमारे 63 प्रतिशत ग्राहक वो हैं जो हमारे रिपीट कस्टमर हैं. दूसरा ये है कि अपने कुछ खास प्रोग्राम के जरिए टारगेट ग्राहक तक पहुंचने की कोशिश करते हैं.
कस्टमर के दिल तक पहुंचना सबसे अहम
Mohanlal Sons के CEO, मयंक मोहन ने कहा कि अगर कस्टमर तक पहुंचना है तो उसके दिल तक पहुंचना सीखना चाहिए. जब कस्टमर आता है तो उसका स्वागत एक स्माइल के साथ करना चाहिए. कस्टमर सर्विस एक बेहद अहम रोल निभाती है. अब वो भले ही उसके आने पर स्माइल करना हो या उससे आने पर चाय या काफी को लेकर पूछना हो. हमारे बिजनेस में कंज्यूमर के कोर में पहुंचने का तरीका जो मुझे समझ में आता है वो है पर्सनलाइजेशन. हम अपनी शॉप पर टेलरिंग को भी ऑफर करते हैं. जब कोई कस्टमर हमारी शॉप पर आता है और उसे लगता है कि ये कपड़ा या ड्रेस उसकी साइज का है उसकी आउटफिट का है, तो और कोई दूसरा इसे नहीं पहन सकता है तो इसे पर्सनलाइजेशन से समझा जा सकता है.
अपने कस्टमर को वापस लाना सबसे बड़ी चुनौती
Beanly Coffee के Co-Founder, Rahul Jain ने कहा कि
मुझे लगता है कि अपने कस्टमर तक पहुंचना एक सबसे अहम काम है. जैसा कि सर ने कहा कि कस्टरम की लॉयल्टी पहचानना एक अहम बात है. कई कस्टमर जो हमारे वहां पहले आते हैं, लोग वो जो कुछ नया खोजते हैं, अगर वो हमारा प्रोडक्ट ट्राई करते हैं तो उसी तरह से वो किसी और का भी प्रोडक्ट ट्राई करते होंगें. उस कस्टमर को अपने वहां वापस लाना और ये अपने आप में एक बड़ा चैलेंज है. या तो अपने इंस्टाग्राम अकाउंट के जरिए उसे इंगेज रखने की बात हो या कस्टमर तक किसी दूसरे तरीके से पहुंचने की बात हो उसे हम अग्रेसिवली करते हैं. हमारे लिए हमारे कस्टमर का फीडबैक भी सबसे अहम होता है.
कंज्यूमर से जुड़े 4 प्वाइंट सबसे अहम हैं
Barista Coffee के CEO, Rajat Agrawal ने कहा कि हम एक कैफे कैटेगिरी से संबंध रखते हैं. कैफे को हम चार पिलर में देखते हैं. कंज्यूमर, अडॉपटेबिलिटी, फ्रीक्वेंसी एंड इंगेजमेंट में रखते हैं. इनमें कंज्यूमर के साथ इंगेज रहना, कंज्यूमर की जरूरत को देखना जिससे उसकी फ्रीक्वेंसी बनी रहे. कज्यूमर हमेशा से ही कोर में रहता है. जैसा कि अनुराग जी ने कहा कि प्रीमियमाइजेशन काफी तेजी से हो रहा है. अगर देखें तो आज मीडिल क्लास भी इंगेज करने की कोशिश कर रहा है. आज जिस तरह की भी जानकारी मौजूद है उसमें कंज्यूमर बहुत अच्छी तरह से शिक्षित है. आपको प्रोडक्ट प्रीफरेंसेज से लेकर, प्रोडक्ट प्रोफाइल, को लेकर भी काम कने की जरूरत पड़ती है. आज हम देश में 100 से ज्यादा शहरों में काम कर रहे हैं.
सबसे बड़ा चैलेंज ह्यूमन रिसोर्स का है
Lacoste India के MD & CEO Rajesh Jain ने कहा कि मुझे लगता है कि ज्यादातर रिटेलर जिस चीज का चैलेंज सबसे ज्यादा फेस करते हैं उसमें सबसे बड़ा चैलेंज ह्यूमन रिसोर्स का है. CEO ने क्या किया और बोर्ड में क्या हुआ ये सब स्टोर के लेवल पर नहीं जा पाता है. सबसे बड़ी समझने वाली बात ये है कि दुकान पर कस्टमर के साथ केवल वो शॉप वाला ही जानता है. क्या हम उन्हें प्रशिक्षण देने में सक्षम हैं, अगर आप कस्टमर के कोर में जाना चाहते हैं तो आप फीडबैक जरूर दीजिए. आप अपने ह्यूमन रिसोर्स का आंकलन कैसे करते हैं आप उसकी सेल पर ध्यान देते हैं या आप उसकी क्वॉलिटी सेल पर ध्यान देते हैं. ये सबसे अहम है.क्वॉलिटी को मेंटेन करना अपने आप में सबसे बड़ा चैलेंज है.
इस इंडस्ट्री में आज भी बहुत कम है पेनीट्रेशन लेवल
संजय भूटानी मैनेजिंग डॉयरेक्टर वॉचलाम इंडिया ने कहा कि
कॉनटेक्ट लेंस के क्षेत्र में आज भी कारोबार नहीं बदला है. अभी में किसी से मिला तो उन्होंने बताया कि हम कस्टमर को ट्रायल के लिए इन्हें देते हैं. पेनीट्रेशन लेवल आज भी इस इंडस्ट्री में काफी कम बना हुआ है. ये सिर्फ इंडिया में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में कम बना हुआ है. जब आप मार्केट लीडर हैं तो ऐसे में आपकी जिम्मेदारियां और भी बढ़ जाती हैं. सवाल ये है कि आप ज्यादा कस्टमर को इस कैटेगिरी में कैसे लाते हैं. अभी देश में 7 प्रतिशत लोग कॉटेक्ट लेंसेज का इस्तेमाल कर रहे हैं. हमारे वहां कोई भी कंज्यूमर हो सकता है. अगर आपकी नजर कम है तो आप हमारे पोटेंशियल कंज्यूमर हो सकते हैं.
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'आज के समय में अधिकांश लोग अपनी जरूरत का सामान Amazon जैसे मार्केटप्लेस से खरीदना पसंद करते हैं'.
BW Businessworld द्वारा दिल्ली में आयोजित Building Blocks of Retail Summit में रिटेल सेक्टर की दिग्गज हस्तियों ने शिरकत की. इस दौरान उन्होंने अपने विचार भी व्यक्त किए. उन्होंने बताया कि पिछले कुछ वक्त में रिटेल में किस तरह से बदलाव आए हैं और भविष्य में इसमें क्या संभावनाएं हैं. इस दौरान अलग-अलग विषयों पर पैनल डिस्कशन भी हुआ.
डिस्कशन में इन्होंने लिया भाग
'Diversity In Retail: Navigating The New Formats Of Retail Spaces' विषय पर आयोजित पैनल डिस्कशन में QueueBuster के CEO एवं फाउंडर Varun Tangri, VM Retail ID, Landmark Group, Max Retail के नेशनल हेड Lalit Kumar Jha, Amazon में Emerging FBA, IN Marketplace के निदेशक Ramaswami Lakshman और Capgemini में Consumer Products and Retail –India की इंडस्ट्री प्लेटफॉर्म लीडर Sharmila Senthilraja ने भाग लिया. सेशन चेयर के तौर पर BW Businessworld की सीनियर एसोसिएट एडिटर Jyotsna Sharma मौजूद रहीं.
बदल गई है लाला की दुकान
पैनल डिस्कशन की शुरुआत ज्योत्स्ना ने इस सवाल के साथ की कि 2020 से लेकर अब तक रिटेल फॉर्मेट में किस तरह के बदलाव आए हैं. इसके जवाब में Varun Tangri ने कहा कि पिछले कुछ साल, खासकर कोरोना के बाद से रिटेल स्पेस ने कई उल्लेखनीय बदलाव देखे हैं. रिटेल स्पेस आज ग्राहकों के लिए बाइंग प्लेस से कहीं आगे बढ़ गया है. ये एक्सपीरियंशल स्टोर में तब्दील हो गया है. उदाहरण के लिए आप Hamleys जाते हैं, तो केवल बच्चों के खिलौने खरीदने के लिए ही नहीं जाते, बल्कि कई नई चीजों को देखने भी जाते हैं, जो ब्रैंड ऑफर करता है. पारंपरिक रूप से पिछले कुछ सालों में रिटेल स्पेस में काफी बदलाव आया है. अब ये महज एक बाइंग प्लेस से कहीं ज्यादा है. उन्होंने आगे कहा कि स्टोर्स में टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल में भी इजाफा हुआ है. पेन-पेपर की जगह आज स्टोर में बहुत सारी टेक लेवल गतिविधियां होती हैं. लोकल नेबरहुड स्टोर भी बेहतर हो रहे हैं. विजुअल क्वालिटी, प्रोडक्ट असोर्टमेंट, टेक्नोलॉजी एडॉप्शन पर उन्होंने काम किया है. उदाहरण के लिए ग्रोसरी, पुरानी लाला की दुकान का रूप अब पूरी तरह से बदल गया है. वहां शेल्फ हैं, सुपरमार्केट जैसी फीलिंग है. वो विजुएल अपील को अपग्रेड कर रहे हैं और आने वाले समय में इसमें तेजी आएगी.
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बाइंग पैटर्न में आया है बदलाव
Ramaswami Lakshman ने कहा कि कोरोना के बाद से डिजिटाइजेशन में काफी तेजी आई है. आज के समय में अधिकांश लोग अपनी जरूरत का सामान Amazon जैसे मार्केटप्लेस से खरीदना पसंद करते हैं. गार्डनिंग के साजोसामान से लेकर फैशन एक्सेसरीज तक सबकुछ ऑनलाइन उपलब्ध है. यहां तक कि अब फार्मेसी भी ऑनलाइन हो गई है. जबकि कोरोना से पहले स्थिति अलग थी. कोरोना की वजह से लोगों के व्यवहार में बदलाव आया है. कोरोना से पहले तक ई-कॉमर्स को केवल मेट्रो शहरों तक ही सीमित माना जाता था, लेकिन हमने देखा है कि कोरोना के बाद टियर-2 टियर-3 शहरों से काफी बिजनेस आया है. देश के जनरल बाइंग पैटर्न में बदलाव आया है और ये महज एक शुरुआत है. डिजिटाइजेशन भी एक महत्वपूर्ण बदलाव है. UPI ने सबकुछ बेहद आसान कर दिया है. अब छुट्टे की कोई टेंशन नहीं होती.
ग्राहकों तक पहले से ज्यादा एक्सेस
Sharmila Senthilraja ने कहा कि वो दिन लद गए जब रिटेल केवल हाई कैपेक्स, स्टोर, लोकेशन के बारे में था. आज कोई भी जिसके पास बेचने के लिए अच्छा उत्पाद या सेवा है, उसके पास ग्राहकों तक एक्सेस है. रिटेल पहले की तुलना में काफी बदला है, उसका फॉर्मेट बदला है. ग्राहकों, कंज्यूमर तक एक्सेस बढ़ा है, जो पहले नहीं था. हमारे पास आज केवल ग्राहक ही नहीं, बल्कि उसके टाइम का भी एक्सेस है. लॉकडाउन के समय ट्रेवल जैसे कैटेगरी, जहां सबसे ज्यादा टाइम स्पेंड किया जाता है, उनका समय दूसरी जगह खर्च हुआ. उस समय रिटेल मनोरंजन का साधन बन गया था. लोग ऑनलाइन शॉपिंग कर रहे थे. जहां कई कैटेगरी में होने वाले खर्च में कमी आई. वहीं, अपेरल, मनोरंजन, गेमिंग, आदि में खर्च में बढ़ोत्तरी हुई. इससे डायरेक्ट टू कंज्यूमर ट्रेंड में तेजी आई. मेरे ख्याल से ओमनी चैनल के साथ डायरेक्ट टू कंज्यूमर कुछ ऐसा है, जो पिछले पांच सालों में एक्सलरेट हुआ है.
कोरोना ने काफी कुछ सिखाया
Lalit Kumar Jha ने कहा कि कोरोना के दौरान और उसके बाद के समय ने हमें काफी कुछ नया सिखाया है. Gen G, Gen Alpha जैसी टर्म्स से आज सभी परिचित हैं. हर कोई टेक फ्रेंडली बन गया है. रिटेल भी काफी विकसित हुआ है. कोरोना के बाद खुले स्टोर और उससे पहले संचालित स्टोर में काफी बदलाव आया है. आज लगभग सभी स्टोर्स में क्योस्क है. आज ग्राहक के पास कई ऑप्शन हैं, आज ग्राहक लॉयल्टी पर नहीं जाता, लुक्स पर जाता है. वॉर्डरोब चंजिंग स्टाइल में बदलाव आया है. पहले लोग अमूमन छह महीने में वॉर्डरोब बदलते थे, लेकिन अब वो हर महीने कपड़े खरीद रहे हैं. टेक्नोलॉजी ने उनके काम को काफी आसान बना दिया है.
BW Business world के Women Entrepreneur Intrapreneurs Summit and Awards में महिला आंत्रप्रेन्योरर्स ने भाग लेकर ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को आंत्रप्रेन्योर बनने के लिए प्रेरित किया.
BW Business world के Women Entrepreneur Intrapreneurs Summit and Awards कार्यक्रम में कई महिला आंत्रप्रेन्योरर्स ने भाग लिया. समिट के 5वें सेशन में आयोजित पैनल चर्चा में इनवेस्ट की वूमन, एक्सेलारेट प्रोग्रेस (Invest In Women, Accelerate Progress) विषय पर तीन आंत्रप्रेन्योर महिलाओं ने अपने विचार रखे. इस पैनल में Orios Venture Partner की पार्टनर सुखमन बेदी, Ankurit Capital की को-फाउंडर और मैनेजिंग पार्टनर नताशा और WinPe की फाउंडर और मैनेजिंग पार्टनर नुपुर गर्ग ने भाग लिया.
महिलाओं में निवेश के लिए सोच बदलने की जरूरत
ओरियोस वेंचर (Orios Venture Partner) की पार्टनर सुखमन बेदी ने कहा महिला और पुरुष फाउंडर्स में कोई अंतर नहीं है, जबकि महिलाएं पुरुषों से बेहतर समझती हैं. महिलाओं में सहानुभूति का स्तर भी अधिक होता है, जो पुरुषों में कम देखा जाता है. ऐसे में हमें महिलाओं को भी आगे बढ़ने के अवसर देने चाहिए, जबकि हम देखते हैं कि निवेशक पुरुषों के उद्योग में अधिक निवेश करते हैं. महिलाएं शिक्षित हैं, उन्हें आगे बढ़ना चाहिए और ऐसे कई निवेशक हैं जो बायस्ड नहीं हैं. पुरुषों की तुलना में महिलाओं में निवेश का प्रतिशत निश्चित रूप से कम है, लेकिन इसके बाद भी अब महिलाएं आंत्रप्रेन्योर आगे बढ़कर उद्योग कर रही हैं. हमें अन्य महिलाओं को भी प्रेरित करनी चाहिए. महिला संस्थापक के लिए निवेशक बहुत ज्यादा बायस्ड हो गए हैं, उनकी शादी और फिर मां बनने के बाद उनके साथ बहुत भेदभाव किया जाता है. लोगों को सोच बदलनी होगी और महिलाओं को भी आगे बढ़ाना होगा. महिलाएं गेम चेंजर हैं, उन्हें सावधानी से चलते हुए अपने लक्ष्य को पाना होगा.
महिलाओं को बाहर निकलने और नेटवर्क बनाने की जरूरत
अंकुरित कैपिटल (Ankurit Capital) की को-फाउंडर और मैनेजिंग पार्टनर नताशा ने कहा कि हमें हमेशा महिला उद्यमियों को प्रोत्साहित करना चाहिए. सिडबी महिला उद्यमियों को आगे बढ़ने के लिए निवेश में मदद करता है. सिडबी की महिला उद्यम निधि महिला उद्यमियों को नया व्यवसाय स्थापित करने के लिए इक्विटी फंड की आवश्यकता को पूरा करने में मदद करती है. पहले महिलाओं को निवेश नहीं मिलता था लेकिन अब पुरुष और महिला के प्रति निवेशक निष्पक्ष होकर सोचने लगे हैं और महिलाओं को भी निवेश दे रहे हैं. उन्होंने कहा है वह महिलाओं को एक नेशनल लीडर के रूप में देखती हैं. महिलाओं को घर से बाहर निलकर और लोगों से नेटवर्किंग बनाने की जरूरत है. उन्हें साहस के साथ आगे बढ़ना है और फिर उन्हें एक सफल आंत्रप्रेन्योर बनने से कोई नहीं रोक सकता है.
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महिलाओं को जागरूकता और समर्थन की जरूरत
विनपी (WinPe) की फाउंडर और मैनेजिंग पार्टनर नुपुर गर्ग ने कहा कि मल्टीपल रिपोर्ट से संकेत मिले हैं कि महिलाओं को पक्षपात का सामना करना पड़ता है. एक रिपोर्ट के अनुसार पिछले 3 सालों में वीसी फंडिंग में महिलाओं के स्टार्ट-अप को 75 प्रतिशत नकारा गया है. कुल मिलाकर फंडिंग का माहौल महिलाओं के लिए इतना उत्साहजनक नहीं था, लेकिन 2024 में हम इसमें तेजी आने की उम्मीद कर रहे हैं. एक महिला को आंत्रप्रेन्योर बनने का सपना देखने दें और उसका पूरा सहयोग करें. महिलाएं भी अपनी शिक्षा बर्बाद न करें, जागरूक बनें और अपना खुद का काम शुरू करें. महिलाओं के लिए वन टू वन सेशन, मेंटरशिप प्रोग्राम, नेटवर्किंग, राउंड टेबल जैसे कार्यक्रम आयोजित करने चाहिए, जिससे उनके अंदर आंत्रप्रेन्योर बनने का साहस पैदा हो और वो भी बाजार में उतरने की हिम्मत ला पाएं. महिलाएं भी पुरुषों की तरह उद्योग कर सकती हैं, उन्हें केवल जागरूकता और समर्थन की जरूरत है.
बिजनेस शुरू करना जितना आसान हो सकता है उतना ही कठिन उसे स्केल अप करना होता है, किसी भी बड़ी कंपनी के पीछे का सबसे बड़ा रहस्य यही होता है कि वो अपना एक मॉडल और फ्रेमवर्क लेकर चलती है.
BW Business world के Women Entrepreneur Intrapreneurs Summit and Awards कार्यक्रम में कई महिला आंत्रप्रेन्योरर्स ने भाग लिया. समिट में बिजनेस स्केल अप को लेकर बातचीत हुई. पैनल में कई आंत्रप्रेन्योर महिलाओं ने अपने अनुभवों को साझा किया. इस पैनल में Kanika Sethi Weddings and Events की फाउंडर और CEO कनिका सेठी, Wizikey की को-फाउंडर आकृति भार्गव, B77 की फाउंडर और CEO रचना रचना सरूप, Core and Pure की फाउंडर प्रियंका सचदेवा और FITPASS की को-फाउंडर आरुषि वर्मा मौजूद रहीं.
ग्रोथ के लिए स्केल अप जरूरी
Kanika Sethi Weddings and Events की फाउंडर और CEO कनिका सेठी ने WEISA में कहा कि बिजनेस में बने रहना और स्केलअप करना दोनों अलग चीज है. बिजनेस को स्केल अप करने के लिए कई पहलुओं पर ध्यान देना होता है. जैसे, अपने बिजनेस की ग्रोथ के लिए ह्यूमन कैपिटल का ध्यान रखना. आप अपने बिजनेस को कैसे फाइनेंस करते हैं. बिजनेस-टू-बिजनेस मार्केटिंग पर भी ध्यान देना चाहिए. इसके साथ ही आप अपने बिजनेस को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर किस तरीके से प्रेजेंट करते है. इन सब पहलुओं को ध्यान में रखते हुए आप बिजनेस को स्केलअप कर सकते हैं.
Learn and Grow पर दें ध्यान
Wizikey की को-फाउंडर आकृति भार्गव ने समिट में अपनी बात रखते हुए कहा कि हर आंत्रप्रेन्योर सोचता है कि वह कुंए का मेढ़क है, क्योंकि वह सोचता है कि इस कुंए हम पार करके आगे बढ़ जाएंगे लेकिन ऐसा नहीं होता है. आपको आगे बढ़ने के लिए किसी मेंटर की जरूरत होती है जो आपको आपके कम्फर्ट जोन से निकाले. हर आंत्रप्रेन्योर को समय के साथ चलना चाहिए और सीखना चाहिए जिससे उसे अपने बिजनेस को आगे बढ़ने में मदद मिलेगी.
Employment Scalability सबसे अहम
B77 की फाउंडर और CEO रचना रचना सरूप ने समिट को संबोधित करते हुए कहा कि बिजनेस के स्केलअप के लिए सबसे अहम चीज है एंप्लॉयमेंट स्केलेबिलिटी. पूंजी भी बिजनेस के लिए जरुरी है लेकिन उससे भी ज्यादा जरूरी है प्रॉडक्ट वेलिडेशन. स्केल अप के लिए आपको अपने क्ज्यूमर को जानना समझना जरूरी है इसके साथ ही उनको जेनुइन प्रॉडक्ट डिलीवर करना जरुरी है. मेरा मानना है कि स्केल अप के लिए हमें बैक टू बैसिक की तरफ जाना पड़ेगा और कुछ बदलाव करके कंज्यूमर को डिलीवर करना पड़ेगा.
बिजनेस की जरूरत है Scalability
Core and Pure की फाउंडर प्रियंका सचदेवा ने कहा कि जब आप कोई बिजनेस की शुरू करते हैं तो आपके दिमाग में एक विजन होना चाहिए कि आप ये क्यों स्टार्ट कर रहे हैं और आपको किन समस्याओं का सामना करना पड़ेगा. आपको क्ज्यूमर बिहेवियर के हिसाब से अपने बिजनेस आगे बढ़ाना चाहिए. मेरा मानना है कि बिजनेस की जरूरत है स्केलेबलिटी, अगर आपके पास स्केलेबलिटी नहीं है तो वो बिजनेस आप नहीं कर सकते हैं. वहीं दूसरी तरफ बिजनेस की ग्रोथ के लिए इन्वेस्टमेंट की जरूरत है लेकिन इससे भी जरूरी है कि आप उस इन्वेस्टमेंट को कैसे इन्वेस्ट कर रहे हैं.
समय पर करें फंड रेजिंग
FITPASS की को-फाउंडर आरुषि वर्मा ने समिट में अपनी बात रखते हुए कहा कि बिजनेस की ग्रोथ के लिए काम करने की जरूरत होती है. इसके लिए फंड रेजिंग को बढ़ाना बहुत आवश्यक है. आपको अपनी फंड रेजिंग बढ़ाने के लिए सबसे पहले अपने बिज़नेस के लिए लीगल स्ट्रक्चर को बनाने की जरुरत होती है. इसके बाद मार्किट रिसर्च जरुर करें. इसमें आपको पता चलेगा कि मार्किट में कौन सा ब्रांड है जिससे आपका कॉम्पिटिशन है. मार्किट का साईज क्या है. कस्टमर कितने हैं. रिवेन्यू क्या है. मार्किट की पॉजीशनिंग क्या है. जिससे फंड रेजिंग को समझने में काफी मदद मिलेगी.