लोकसभा चुनाव 2024 के छठे चरण में दिल्ली और गुरुग्राम में मतदान होने हैं. ऐसे में गुरुग्राम के वोटर्स को रेपिडो और हरियाणा मुख्य निर्वाचन कार्यालय द्वारा फ्री बाइक टैक्सी राइड की सुविधा दी जा रही है.
शनिवार यानी 25 मई को लोकसभा चुनाव 2024 के छठे चरण के लिए मतदान होने हैं. ऐसे में गुरुग्राम में रहने वाले लोगों के लिए एक खुशखबरी आई है. दरअसल, लोकतंत्र के सबसे बड़े त्योहार यानी चुनाव के मौके पर रैपिडो (Rapido) और हरियाणा के मुख्य निर्वाचन कार्यालय ने शानदार पहल करते हुए मतदाताओं के लिए बाइक टैक्सी राइड्स फ्री कर दी गई है. तो चलिए जानते हैं आपको इस फ्री राइड का लाभ कैसे मिलेगा?
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25 मई को लोकसभा चुनाव 2024 के छठे चरण का मतदान होना है और इस फेज में दिल्ली और गुरुग्राम में भी लोग अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे. रैपिडो की ‘सवारी जिम्मेदारी की’ पहले के तहत गुरुग्राम निवासी ‘VOTENOW’ कोड यूज करते हुए फ्री में रैपिडो की बाइक टैक्सी का लाभ उठा सकते हैं. यह पहल रैपिडो के नेशनवाइड कैंपेन के अनुरूप हैं, जिसके तहत 100 से ज्यादा शहरों में चुनाव के दिन फ्री राइड उपलब्ध कराने के लिए 10 लाख से ज्यादा कैप्टन्स को लगाया गया है.
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लोकतंत्र को बढ़ावा देने के लिए की गई ये पहल
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार रैपिडो के साथ साझेदारी को लेकर हरियाणा के डिप्टी कमिश्नर निशांत कुमार यादव का कहना है कि रैपिडो की ‘सवारी जिम्मेदारी की’ पहल गुरुग्राम में मतदाताओं की भागीदारी को बढ़ावा देने की दिशा में सराहनीय प्रयास है. वहीं, रैपिडो के को-फाउंडर पवन गुंटुपल्ली ने कहा कि हम इस पहल के द्वारा सुनिश्चित करना चाहते हैं कि गुरुग्राम में हर मतदाता आम चुनाव 2024 के दौरान अपने मतदान के कर्तव्य को सफलतापूर्वक निभाए. मुफ्त राइड्स उपलब्ध कराने का उद्देश्य लोकतंत्र को बढ़ावा देना है.
हेमंत सोरेन ने झारखंड के 14वें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली. राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई.
हेमंत सोरेन ने गुरुवार (28 नवंबर) को एक बार फिर से झारखंड के मुख्यमंत्री के तौर पर राज्य की कमान संभाल ली. उन्होंने रांची में आयोजित एक भव्य समारोह में राज्य के 14वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने सोरेन को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई. झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के नेता का CM के रूप में यह चौथा कार्यकाल है.
शपथग्रहण समारोह में कई बड़े नेता रहे मौजूद
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, आप के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल, पंजाब के सीएम भगवंत मान, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस दौरान मौजूद रहीं. इसके साथ ही जेएमएम के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिबू सोरेन और उनकी पत्नी रूपी सोरेन भी शपथग्रहण के दौरान उपस्थित रहीं.
इसके अलावा समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव, आरजेडी नेता और बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव, झारखंड कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी गुलाम अहमद मीर, कांग्रेस नेता तारिक अनवर, निर्दलीय सांसद पप्पू यादव, तमिलनाडु के डिप्टी सीएम और डीएमके नेता उदयनिधि स्टालिन, कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार समेत कई और नेता उपस्थि रहे.
हेमंत सोरेन के बेटे नितिल सोरेन ने क्या कहा?
शपथग्रहण समारोह से पहले हेमंत सोरेन के बेटे नितिल सोरेन ने कहा कि मैं अपने पिता के शपथग्रहण को लेकर बहुत खुश हूं. हर कोई इसका गवाह बनने आया है. आदिवासियों से मैं कहना चाहूंगा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) आपके लिए काम कर रहा है. पूरे झारखंड के लिए काम कर रहा है.
झारखंड में 'इंडिया' गठबंधन को 56 सीटों पर मिली जीत
झारखंड में हाल में हुए विधानसभा चुनावों में हेमंत सोरेन ने बीजेपी के गमलियल हेम्ब्रम को 39,791 वोटों के अंतर से हराकर बरहेट सीट पर जीत दर्ज की थी. JMM के नेतृत्व वाले इंडिया गठबंधन ने 81 सदस्यीय विधानसभा में 56 सीट हासिल करके अपना बहुमत बनाए रखा, जबकि बीजेपी के नेतृत्व वाले NDA को 24 सीटों पर जीत मिली.
महाराष्ट्र के चुनाव में प्रचंड जीत हासिल करने वाली भाजपा अब मुख्यमंत्री के नाम पर मंथन कर रही है. इस दौड़ में देवेंद्र फडणवीस सबसे आगे नज़र आ रहे हैं.
महाराष्ट्र में महायुति की प्रचंड जीत के बाद मुख्यमंत्री की कुर्सी किसे मिलेगी, यह सवाल खड़ा हो गया है. भाजपा ने गठबंधन के सभी दलों से ज्यादा सीटें जीती हैं. पार्टी 132 सीटें अपने नाम करने में कामयाब रही है. ऐसे में माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री भाजपा से ही होगा. हालांकि, एकनाथ शिंदे इतनी आसानी से कुर्सी छोड़ने वाले नहीं हैं. वहीं, भाजपा इस मुड़े पर सहयोगी दलों से बातचीत के बाद फैसले की बात कह रही है. पार्टी का कहना है कि तीनों दलों के साथ बैठक के बाद ही सीएम का नाम तय किया जाएगा.
पहले हुआ था डिमोशन
बीजेपी के नेता मुख्यमंत्री पद के लिए देवेंद्र फडणवीस का नाम आगे कर रहे हैं. यदि ऐसा होता है कि डिमोशन झेल रहे फडणवीस के लिया यह नायब तोहफा होगा. बता दें कि देवेंद्र फडणवीस कभी महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री हुआ करते थे, फिर एकनाथ शिंदे को शिवसेना तोड़ने का उपहार देने के लिए भाजपा ने उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठा दिया और फडणवीस को उप-मुख्यमंत्री बना दिया. CM से डिप्टी CM की कुर्सी संभालना देवेंद्र फडणवीस के डिमोशन की तरह था. अब यही उन्हें CM बनाया जाता है तो उनका फिर से प्रमोशन हो जाएगा. हालांकि, भाजपा के लिए यह फैसला आसान नहीं होगा.
शिंदे समर्थकों का तर्क
एकनाथ शिंदे की शिवसेना नेताओं का कहना है कि चुनाव एकनाथ शिंदे के मुख्यमंत्री रहते हुए लड़ा गया, लिहाजा उन्हें ही मुख्यमंत्री बनना चाहिए. माना जा रहा है कि शिंदे समर्थक भाजपा के CM की स्थिति में हंगामा खड़ा कर सकते हैं. चुनाव के दौरन भी एकनाथ शिंदे ने कहा था कि ज्यादा सीटों का मतलब मुख्यमंत्री नहीं होता. हालांकि, इसकी संभावना बेहद कम है कि एकनाथ शिंदे इस मुद्दे पर गठबंधन से नाता तोड़ लें. क्योंकि यह सच्चाई उन्हें भी पता है कि अकेले उनका कोई वजूद नहीं है. उधर, महाराष्ट्र में भाजपा अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा कि मुख्यमंत्री पद पर फैसला पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व लेगा. बिना सहयोगी दलों की सलाह के कोई फैसला नहीं लिया जाएगा.
NCP को आपत्ति नहीं
दूसरी तरफ अजित पवार की पार्टी एनसीपी ने स्पष्ट किया है कि यदि फडणवीस सीएम बनते हैं तो उसे कोई आपत्ति नहीं है. पार्टी लीडर छगन भुजबल ने कहा कि अगर भाजपा फडणवीस को सीएम बनाती है तो वह समर्थन करेंगे. उन्हें इससे कोई आपत्ति नहीं है. माना जा रहा है कि अगर मुख्यमंत्री भाजपा होता है, तो देवेंद्र फडणवीस की ताजपोशी तय है. क्योंकि उन्हें आरएसएस का भी समर्थन भी मिला हुआ है. आरएसएस का भी मानना है कि फडणवीस मुख्यमंत्री रह चुके हैं और उनके पास अच्छा अनुभव है. गौरतलब है कि फडणवीस भी RSS को बीजेपी का वैचारिक आदर्श बता चुके हैं.
झारखंड और महाराष्ट्र में महिलाएं गेमचेंजर की भूमिका में है. दोनों ही राज्यों में सरकार रिपीट होने की बड़ी वजह महिला सम्मान निधि है.
महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव के नतीजे हो गए हैं. महाराष्ट्र में जहां महायुति फिर से सत्ता में आ रहा तो झारखंड में इंडिया गठबंधन सरकार बनाने जा रहा है. यानी दोनों राज्यों में सरकार नहीं बदल रही है. लोगों को महाराष्ट्र में शिंदे सरकार और झारखंड में सोरेन सरकार का काम पसंद आया है. महाराष्ट्र और झारखंड में जो अब तक नहीं हुआ था वो हुआ है. महाराष्ट्र में जहां बीजेपी ने इतिहास रचा है वहीं झारखंड में हेमंत सोरेन ने 24 साल की परंपरा तोड़ दी है. पहले बात महाराष्ट्र की करते हैं. यहां पर बीजेपी ने अब तक का अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है.
महाराष्ट्र में महायुति को मिला बहुमत
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने जीत की हैट्रिक लगाई है. महायुति ने महाराष्ट्र की सत्ता में बैठने के लिए बहुमत का आंकड़े 145 से भी अधिक 200 का आंकड़े को पार कर लिया है. बीजेपी, शिंदे की शिवसेना और अजित पवार भी पावरफुल बनकर उभरे. एनसीपी का स्ट्राइक रेट 70 फीसदी से अधिक रहा. वह चाचा शरद पवार पर विधानसभा में भारी पड़े। अघाड़ी महाराष्ट्र चुनाव में पूरी तरह धूल फांकती नजर आई. महाविकास अघाड़ी की कोई पार्टी 28 का आंकड़ा नहीं छू पाई, जो नेता प्रतिपक्ष की सीट के लिए जरूरी है. उद्धव ठाकरे ने इस जनादेश पर हैरानी जताई. महाराष्ट्र चुनाव में इस प्रचंड जीत का सबसे बड़ा कारण लोकसभा चुनाव में महायुति की हार है, जिसके बाद बीजेपी ने अचानक से रणनीति बदल दी.
झारखंड में इंडिया गठबंधन को प्रचंड बहुमत
झारखंड विधानसभा चुनाव में एनडीए की 2100 पर इंडिया गठबंधन की 2500 वाली स्कीम भारी पड़ गई है. चुनावी नतीजों में इंडिया गठबंधन की प्रचंड बहुमत की सरकार बनने जा रही है. इंडिया गठबंधन की बात करें तो जेएमएम-कांग्रेस और आरजेडी ने मिलकर झारखंड की 81 सीटों पर बंपर जीत हासिल की है. नतीजों से साफ है कि एक बार फिर प्रदेश की जनता ने हेमंत सोरेन सरकार पर भरोसा जताया है. ऐसे में अगर प्रदेश में हेमंत सोरेन सरकार फिर बनती है तो यह झारखंड के इतिहास में पहली बार होगा जब किसी गठबंधन सरकार की वापसी होगी.
महाराष्ट्र में एक और झारखंड में 2 चरण में हुआ चुनाव
महाराष्ट्र की 288 सीटों पर 20 नवंबर को एक चरण में हुआ था मतदान, वहीं झारखंड में कुल 81 विधानसभा सीटों के लिए दो चरणों में मतदान हुआ था. पहले चरण का मतदान 13 नवंबर को और दूसरा चरण 20 नवंबर को हुआ था. दोनों चरणों में 66% से अधिक वोटिंग हुई और मतदान शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुआ. शुरुआती रुझानों में इंडिया गठबंधन और एनडीए के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिल रही है.
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को लेकर जो एग्जिट पोल्स सामने आए हैं उससे भाजपा नेताओं का चेहरा चमक गया है. हालांकि, असली तस्वीर 23 नवंबर को पता चलेगी.
एग्जिट पोल्स की मानें तो महाराष्ट्र में भाजपा के नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन की वापसी हो रही है. लगभग सभी एग्जिट पोल्स इसी तरफ इशारा कर रहे हैं. अब सत्ता बाजार से भी ऐसी ही खबर सामने आई है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, फलोदी सट्टा बाजार ने भविष्यवाणी की है कि महाराष्ट्र में महायुति गठबंधन की वापसी होगी. उसे कुल 288 में से 144-152 सीटें मिलने की उम्मीद है. यदि परिणाम एग्जिट पोल्स और सत्ता बाजार की भविष्यवाणी के अनुरूप रहते हैं, तो महाविकास आघाड़ी (MVA) के लिए यह बड़ा झटका होगा. क्योंकि लोकसभा चुनाव में अच्छे प्रदर्शन के बाद गठबंधन को विधानसभा चुनाव में भी जीत की आस है.
एक पोल में MVA को बढ़त
राजस्थान के फलोदी सट्टा बाजार अपने सटीक अनुमानों के लिए पहचाना जाता है. हालांकि, ये बात अलग है कि इस साल की शुरुआत में राजस्थान में भाजपा की वापसी का अनुमान लगाने में वह विफल रहा था. महाराष्ट्र में कल वोटिंग हुई थी और शाम को एग्जिट पोल्स भी सामने आ गए. अधिकांश पोल्स भाजपा गठबंधन की जीत की बात कर रहे हैं. हालांकि, भास्कर रिपोर्टर्स पोल में महाविकास अघाड़ी की सरकार बनती दिख रही है. इस पोल में बताया गया है कि महायुति को 125-140 सीटें, जबकि महाविकास अघाड़ी को 135-150 सीटें मिल सकती हैं. गौरतलब है कि पिछले कुछ बार से एग्जिट पोल्स सटीक साबित नहीं हुए हैं, इसलिए सभी दलों को चुनावी नतीजों का इंतजार है, जो 23 नवंबर को आएंगे.
MVA के लिए ज़रूरी है जीत
यह चुनाव संपूर्ण विपक्ष के लिए बेहद अहम है. अगर उसे महाराष्ट्र में जीत मिलती है, तो यह उसके लिए संजीवनी की तरह काम करेगी. इसके उलट यदि उसके हिस्से में हार आती है तो गठबंधन में फूट की आशंका बढ़ जाएगी. यह भी संभव है कि शरद पवार या उद्धव ठाकरे कांग्रेस से नाता तोड़कर भाजपा से हाथ मिला लें. चुनाव पूर्व ऐसी खबरें सामने आती रही हैं कि उद्धव ठाकरे भाजपा नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं. भले ही दोनों भाजपा से रिश्ता न जोड़ने की बात करें, लेकिन
राजनीति में दुश्मन कब दोस्त और दोस्त कब दुश्मन बन जाएं, नहीं कहा जा सकता.
महाराष्ट्र में आज विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग हो रही है. राज्य में एक ही चरण में मतदान होना है. 23 नवंबर को चुनावी परिणाम घोषित होंगे.
महायुति या महाविकास आघाड़ी? महाराष्ट्र की जनता आज अपनी पसंद को EVM में कैद कर रही है. महाराष्ट्र विधानसभा की कुल 288 सीटों पर वोटिंग शुरू हो चुकी है. आज शाम को ही एग्जिट पोल्स भी सामने आ जाएंगे. हालांकि, बीते कुछ चुनावों में जिस तरह से एग्जिट पोल्स औंधे मुंह गिरे हैं, उससे इनकी विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा हो गया है. राजनीतिक पंडित भी मानते हैं कि एग्जिट पोल्स के नतीजे भले ही कुछ भी रहें, लेकिन असल तस्वीर चुनाव परिणाम आने के बाद ही साफ होगी. महाराष्ट्र का यह चुनाव जहां भाजपा के नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन की नाक का सवाल है. वहीं, विपक्षी दलों के महाविकास आघाड़ी के लिए वजूद की लड़ाई की तरह है.
इनकी प्रतिष्ठा दांव पर
इस चुनाव में शरद पवार, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, पूर्व CM उद्धव ठाकरे, डिप्टी सीएम अजित पवार और देवेंद्र फडणवीस जैसे दिग्गज नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर है. इस चुनाव भी गौतम अडानी भी मुद्दा बने हुए हैं. राहुल गांधी की तरह शिवसेना UBT नेता उद्धव ठाकरे भी अडानी का मुद्दा उठाते रहे हैं. उन्होंने महायुति सरकार पर मुंबई अडानी को बेचने का भी आरोप लगाया था. साथ ही यह भी कहा है कि MVA की सरकार बनने पर अडानी को दिए गए प्रोजेक्ट्स पर पुन: विचार किया जाएगा. राज्य में भाजपा 149 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. जबकि शिवसेना ने 81 सीटों और अजीत पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी ने 59 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं. विपक्षी गठबंधन की बात करें, तो कांग्रेस के 101 उम्मीदवार, शिवसेना (UBT) के 95 और शरद पवार की एनसीपी के 86 उम्मीदवार मैदान में हैं. कम से कम 50 सीटें ऐसी हैं, जहां दोनों शिवसेना के उम्मीदवार आमने-सामने हैं.
कौन, किसका हिस्सा?
महा विकास आघाडी में कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) शामिल हैं. जबकि महायुति में भाजपा, एकनाथ शिंदे गुट की शिवसेना और अजित पवार गुट की एनसीपी शामिल है. लोकसभा चुनाव में महायुति का महाराष्ट्र में प्रदर्शन बेहद खराब था. जनता ने MVA पर ज्यादा भरोसा जताया था. खासकर, उद्धव ठाकरे की पार्टी को काफी वोट मिले थे. इसी को ध्यान में रखते ही विपक्षी दलों को भरोसा है कि इस बार राज्य में उनकी सरकार बनेगी. ठाकरे ने हाल ही में कहा था कि महाराष्ट्र में राजनीतिक परिदृश्य बदल गया है और लोगों ने 20 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव में विपक्षी एमवीए को सत्ता में लाने का फैसला किया है. उधर, झारखंड में जनता दूसरे चरण के वोट डाल रही है. राज्य में आज कुल 81 विधानसभा सीटों में से 38 पर मतदान हो रहा है. महाराष्ट्र और झारखंड के नतीजों का ऐलान 23 नवंबर को होगा.
महाराष्ट्र में 20 नवंबर को विधानसभा चुनाव के लिए मतदान होगा. महायुति और महाविकास अघाड़ी दोनों ही अपनी जीत का दावा कर रहे हैं.
महाराष्ट्र में सत्ताधारी महायुति और महाविकास अघाड़ी (MVA) का स्वरूप कैसा रहेगा, इसका पता चुनाव परिणाम आने के बाद ही चलेगा. अभी भले ही दोनों गठबंधन में शामिल दल साथ जीने-मरने की कसमें खा रहे हों, लेकिन परिणाम बाद उनके पाला बदलने से इंकार नहीं किया जा सकता. भाजपा को भी कहीं न कहीं यह लगने लगा है कि चुनाव बाद गठबंधन की तस्वीर बदल सकती है. राज्य के डिप्टी सीएम और भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने स्वीकार किया है कि चुनाव के बाद कुछ भी हो सकता है. उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव अजब होता है और 23 नवंबर को परिणाम घोषित होने के बाद ही स्पष्ट होगा कि कौनसी पार्टी किसका समर्थन कर रही है.
अजित ने भी दिए संकेत
इससे पहले, भाजपा के नेतृत्व वाले महायुति में शामिल अजित पवार की पार्टी की तरफ से कहा गया था कि असली तस्वीर चुनाव के बाद ही सामने आएगी. दरअसल, अजित पवार ने बीते कुछ समय में कई बार ऐसे संकेत दिए हैं कि वह चाचा शरद पवार से रिश्ते सुधारना चाहते हैं. अजित अपने चाचा की पार्टी तोड़कर ही महायुति सरकार में शामिल हुए थे. शरद पवार की पार्टी का चुनाव चिन्ह 'घड़ी' भी उनके पास है. लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी के निराशाजनक प्रदर्शन के लिए चाचा से विश्वासघात को वजह माना गया था. इसलिए अजित विधानसभा चुनाव से पहले रिश्ते सुधारने के संकेत देते नज़र आये हैं. ऐसे में अगर चुनावी नतीजे कुछ ऊपर-नीचे होते हैं तो संभव है अजित अपने पुराने घर वापस लौट जाएं. बता दें कि महाराष्ट्र में 20 नवंबर को वोटिंग होनी है.
इसके भी हैं आसार
वहीं, महाविकास अघाड़ी (MVA) में भी चुनावी नतीजों के बाद कुछ बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है. इस गठबंधन में पहले सीटों और अब मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर गतिरोध है. वैसे, तो शिवसेना और शरद पवार भाजपा से हाथ मिलाने से साफ इंकार कर चुके हैं, लेकिन सियासत में कोई भी फैसला स्थायी नहीं होता. शिवसेना (UBT) प्रमुख ठाकरे की भाजपा नेताओं से मुलाकात को लेकर बीते दिनों कई ख़बरें सामने आई थीं. उद्धव ठाकरे पहले भी भाजपा के साथी रहे हैं, ऐसे में वह अच्छे ऑफर पर दोबारा उस खेमे का हिस्सा बनने से शायद ही इंकार करें. यदि इस बार भी विपक्ष सत्ता का स्वाद नहीं चख पाता तो फिर पांच साल की लंबी अवधि का इंतजार करना होगा और शायद उद्धव इसमें सहज न हों. एकनाथ शिंदे भी सीट शेयरिंग को लेकर भाजपा से नाराज बताए गए हैं, लेकिन उनके पास 'कमल' थामे रहने के अलावा कोई विकल्प नहीं है.
महाराष्ट्र में एक ही चरण में विधानसभा चुनाव होना है. 20 नवंबर को राज्य में वोट डाले जाएंगे. विपक्षी दलों के गठबंधन को अपनी जीत का पूरा भरोसा है.
महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले विपक्षी गठबंधन में दरार पड़ने की आशंका है. मुख्यमंत्री कौन बनेगा, इसे लेकर विपक्षी दलों में रार हो सकती है. दरअसल, चुनाव के ऐलान से पहले उद्धव ठाकरे ने मांग की थी कि महाविकास अघाड़ी (MVA)को सीएम फेस पर पहले ही फैसला ले लेना चाहिए, लेकिन कांग्रेस और शरद पवार इसके लिए तैयार नहीं थे. उनका कहना था कि एकजुट होकर चुनाव लड़ना चाहिए और इस पर बाद में फैसला लेना चाहिए. हालांकि, अब कांग्रेस ने CM पर दावेदारी जताकर विवाद की आशंका को जन्म दे दिया है.
RSS के ऑफर का जिक्र
एक रिपोर्ट के अनुसार, कांग्रेस लीडर पृथ्वीराज चव्हाण ने मुख्यमंत्री पद को अपनी पार्टी का अधिकार बताया है. उन्होंने कहा कि हमें भरोसा है कि महाविकास अघाड़ी को चुनाव में जीत मिलेगी और अगला सीएम कांग्रेस से होगा. उन्होंने यह भी कहा कि आरएसएस के सीनियर नेता ने मुझसे संपर्क करके भाजपा ज्वाइन करने का ऑफर दिया था. लेकिन मैंने स्पष्ट कर दिया कि मैं कांग्रेस ही रहूंगा और इस बार चुनाव के बाद हमारा ही मुख्यमंत्री बनेगा.
सीटें नहीं होंगी पैमाना
माना जा रहा है कि पृथ्वीराज चव्हाण के सीएम पद पर कांग्रेस के दावे वाले बयान को लेकर विपक्षी गठबंधन में विवाद शुरू हो सकता है. मालूम हो कि उद्धव ठाकरे ने कहा था कि सीएम का फैसला इस बात पर नहीं होगा कि ज्यादा सीटें किसने जीती हैं. उन्होंने भले ही किसी दल का नाम नहीं लिया, लेकिन उनका इशारा कांग्रेस की तरफ था. दोनों दलों के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर भी लंबी खींचतान चली थी.
इधर, भाजपा में मतभेद
उधर, योगी आदित्यनाथ के 'बंटेंगे तो कटेंगे' नारे को लेकर भाजपा गठबंधन में मतभेद खुलकर सामने आ गए हैं. महायुति का हिस्सा राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के प्रमुख अजित पवार के बाद अब BJP लीडर पंकजा मुंडे ने भी इस नारे पर ऐतराज जाता है. उनका कहना है कि महाराष्ट्र में इस नारे की कोई ज़रूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि हमारे राज्य में इस नारे की कोई ज़रूरत नहीं है. हम इसका समर्थन केवल इसलिए नहीं कर सकते, क्योंकि हम भी उसी पार्टी के हैं. मुड़े ने कहा कि विकास ही असली मुद्दा है. नेता का काम है कि वो इस धरती पर रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति को अपना समझे.
झारखंड में पहले चरण की वोटिंग शुरू हो गई है. इस चरण में पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन सहित कई दिग्गज हस्तियां किस्मत आजमा रही हैं.
झारखंड में विधानसभा चुनाव के पहले चरण की वोटिंग आज हो रही है. इस चरण में 683 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला होना है, जिनमें कई दिग्गज चेहरे भी शामिल हैं. आज झारखंड की जनता पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन, स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता, राज्यसभा सांसद महुआ माजी के साथ-साथ पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा की पत्नी गीता कोड़ा और पूर्व मुख्यमंत्री रघुबर दास की बहू पूर्णिमा साहू पर अपने फैसले को EVM में कैद करेगी.
20 को होगा दूसरा चरण
झारखंड में पहले चरण में 43 सीटों के लिए आज वोटिंग हो रही है जबकि दूसरे चरण में 38 सीटों के लिए 20 नवंबर को मतदान होगा. चुनाव का परिणाम 23 नवंबर को महाराष्ट्र के साथ ही घोषित होगा. पहले दौर में कई सीटों पर रोमांचक मुकाबला होने की उम्मीद है. जमशेदपुर पूर्व में BJP की पूर्णिमा दास के सामने कांग्रेस के डॉ अजॉय कुमार होंगे. पूर्णिमा पूर्व CM रघुवर दास की बहू हैं, जबकि अजॉय कुमार पूर्व IPS अधिकारी हैं और जमशेदपुर से सांसद भी रहे हैं. इसी तरह जमशेदपुर पश्चिम सीट पर NDA की सहयोगी जदयू के सरयू राय और कांग्रेस के बन्ना गुप्ता के बीच मुकाबला है. वहीं, गढ़वा सीट पर जेएमएम नेता एवं कैबिनेट मंत्री मिथिलेश ठाकुर के सामने पूर्व भाजपा विधायक सत्येन्द्र तिवारी चुनौती पेश कर रहे हैं.
रांची सीट पर है कड़ा मुकाबला
रांची सीट पर 2 दिग्गज आमने-सामने हैं. यहां मुकाबला 6 बार के विधायक एवं दिग्गज भाजपा नेता चंद्रेश्वर प्रसाद सिंह और झारखंड मुक्ति मोर्चा की राज्यसभा सांसद महुआ माझी रांची के बीच है. चंपई सोरेन भाजपा की टिकट पर सरायकेला से किस्मत आजमा रहे हैं. उनके सामने JMM ने पूर्व भाजपा नेता गणेश महली को उतारा है. बता दें कि हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद चंपई सोरेन ने करीब छह महीने झारखंड की सत्ता संभाली थी. वह 2 फरवरी 2024 से 3 जुलाई 2024 सीएम रहे और हेमंत सोरेन के जेल से बाहर आते ही उनकी कुर्सी चली गई. चंपई सोरेन 30 अगस्त को भाजपा में शामिल हो गए थे.
चंपई सोरेन के पास पैसों की कमी नहीं
चंपई सोरेन पिछले कुछ महीनों में लगातार झारखंड की राजनीति की सुर्खियों में रहे हैं. उनके पास दौलत भी कम नहीं है. हलफनामे के मुताबिक, चंपई सोरेन के पास कुल एक करोड़ 42 लाख 43 हजार 569 रुपए की संपत्ति है. जबकि उनकी पत्नी मानको सोरेन के पास एक करोड़ चार लाख 10 हजार 889 रुपए की संपत्ति है. चंपई सोरेन के पास एक लाख 25 हजार रुपए नकद, पत्नी के पास 65 हजार, बेटे आकाश के पास 75 हजार और बेटी के पास चार हजार कैश हैं. पूर्व CM की वित्तीय वर्ष 2023-24 में कुल 40,23,630 लाख रुपए की आमदनी बताई है. 2018-19 में उनकी इनकम 10,82,826 लाख रुपए थी. सोरेन की आमदनी प्रतिवर्ष करीब दस लाख रुपए के हिसाब से बढ़ रही है.
डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर से अमेरिका की कमान संभालने जा रहे हैं. उन्होंने कमला हैरिस को पीछे छोड़ दिया है.
अमेरिका में नए राष्ट्रपति को लेकर तस्वीर लगभग साफ हो गई है. डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर से राष्ट्रपति की कुर्सी पर बैठने वाले हैं. रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार ट्रंप ने तो अपनी जीत का ऐलान भी कर दिया है. फ्लोरिडा में अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि ये अमेरिका के लिए स्वर्ण युग होगा. यह अमेरिका के लोगों के लिए शानदार जीत है, जो हमें अमेरिका को फिर से महान बनाने में सक्षम बनाएगी. ट्रंप ने आगे कहा कि अमेरिका ने हमें अभूतपूर्व और शक्तिशाली बहुमत दिया है. हालांकि, अभी उनकी जीत की आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है.
भारत के लिए शुभ संकेत
डोनाल्ड ट्रंप ने शुरुआत में जो लीड बनाई, उसे अंत तक कायम रखे हुए हैं. वह मैजिक नंबर यानी बहुमत के आंकड़े से महज 3 सीट दूर हैं. उन्होंने अब तक 267 इलेक्टोरल सीटें हासिल कर ली हैं. जबकि डेमोक्रेटिक उम्मीदवार कमला हैरिस के खाते में 224 सीटें आई हैं. ट्रंप के भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अच्छे संबंध रहे हैं. ऐसे में उनकी जीत भारत के लिए अच्छी मानी जा रही है. जानकारों का कहना है कि आने वाले समय में भारत और अमेरिका के रिश्तों में मजबूती देखने को मिलेगी.
इन शेयरों में तेजी
ट्रंप की जीत के साथ भारत की IT कंपनियों के शेयरों में भी तेजी आ गई है. निफ्टी आईटी इंडेक्स करीब 1400 अंक तक उछल गया है. माना जा रहा है कि ट्रंप के अमेरिका के राष्ट्रपति बनने से भारतीय आईटी कंपनियों को फायदा होगा. इस वजह से करीब सभी आईटी कंपनियों के शेयरों में तेजी देखने को मिली है. इसमें TCS से लेकर Infosys, Tech Mahindra, HCL Tech, Persistent Systems, LTIMindtree और Coforge शामिल हैं. मार्केट के जानकारों का कहना है कि भारतीय कंपनियों की अमेरिका में अच्छी मौजूदगी है. ऐसे में उन्हें अमेरिकी शेयर बाजारों में तेजी का भी फायदा मिलेगा.
दबाव में रही है अर्थव्यवस्था
एक्सपर्ट्स के अनुसार, भारतीय आईटी कंपनियों के कुल रिवेन्यु में अमेरिकी मार्केट की काफी ज्यादा हिस्सेदारी है. यदि अमेरिकी अर्थव्यवस्था की ग्रोथ बढ़ती है तो इसका सीधा फायदा उन्हें भी मिलेगा. जो बाइडेन के कार्यकाल में अमेरिकी अर्थव्यवस्था को काफी दबाव का सामना करना पड़ा है. अमेरिका में मंदी की आहट भी सुनाई देने लगी थी.
महाराष्ट्र में एक ही चरण में 20 नवंबर को चुनाव होना है. मौजूदा वक्त में यहां भाजपा गठबंधन वाली महायुति की सरकार है.
महाराष्ट्र को इसी महीने विधानसभा चुनाव से गुजरना है. लिहाजा, दावों और वादों की बौछार शुरू हो गई है. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने चुनाव से पहले वही दांव चला है, जो मतदान से पहले मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने चला था. शिवराज ने लाडली बहना योजना के तहत मिलने वाली राशि बढ़ाने की बात कही थी. शिंदे ने भी यही किया है. एकनाथ शिंदे का कहना है कि यदि हम सत्ता में वापस लौटे तो इस योजना के तहत महिलाओं को प्रति माह 2100 रुपए प्रति दिए जाएंगे. अभी पात्र महिलाओं को सरकार प्रति माह 1500 रुपए की आर्थिक सहायता देती है.
कर्ज माफी का भी ऐलान
इसके अलावा CM एकनाथ शिंदे ने कई अन्य सामाजिक योजनाओं, नौकरियों और ग्रामीण विकास से जुड़े वादे भी किए हैं. कोल्हापुर में एक रैली के दौरान वादों की बारिश करने के बाद कहा कि यह तो अभी ट्रेलर है. अगले कुछ दिनों में जब मेनिफेस्टो आएगा तो पूरी फिल्म आपके सामने आ जाएगी. शिंदे ने ऐलान किया कि सत्ता में वापसी पर लड़की बहिन योजना के तहत 2100 रुपए प्रति माह मिलेंगे. साथ ही किसानों का कर्ज भी माफ किया जाएगा. इसी तरह, किसानों के लिए चल रही शेतकारी सम्मान योजना के तहत सालाना 12 हजार के बजाए 15000 रुपए दिए जाएंगे.
पेंशन भी मिलेगी ज्यादा
शिंदे ने कहा कि सत्ता में वापसी पर कृषि उत्पादों की लागत पर एमएसपी की 20% छूट दी जाएगी. CM ने वरिष्ठ नागरिकों की पेंशन को भी 1500 से बढ़ाकर 2100 रुपए करने का ऐलान किया है. विपक्षी दलों के महाविकास अघाड़ी गठबंधन (MVA) से पहले इस तरह की घोषणा करके महायुति ने बड़ा दांव खेल दिया है. माना जा रहा है कि कांग्रेस, उद्धव सेना और शरद पवार का गठबंधन महिलाओं को 2000 रुपए की आर्थिक सहायता का वादा कर सकता है. महाविकास अघाड़ी के मेनिफेस्टो में इसका जिक्र होने की उम्मीद है. इसके अलावा किसानों की कर्ज माफी को लेकर भी गठबंधन के खेमे में चर्चा थी. लेकिन एकनाथ शिंदे ने पहले ही घोषणा करके विपक्ष की रणनीति को प्रभावित कर दिया है. ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि महाविकास अघाड़ी के घोषणापत्र में कौनसे वादे किये जाते हैं.
कौन, किसका हिस्सा?
महा विकास आघाडी में कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) शामिल हैं. जबकि महायुति में भाजपा, एकनाथ शिंदे गुट की शिवसेना और अजित पवार गुट की एनसीपी शामिल है. लोकसभा चुनाव में महायुति का महाराष्ट्र में प्रदर्शन बेहद खराब था. जनता ने MVA पर ज्यादा भरोसा जताया था. खासकर, उद्धव ठाकरे की पार्टी को काफी वोट मिले थे. इसी को ध्यान में रखते ही विपक्षी दलों को भरोसा है कि इस बार राज्य में उनकी सरकार बनेगी. ठाकरे ने हाल ही में कहा था कि महाराष्ट्र में राजनीतिक परिदृश्य बदल गया है और लोगों ने 20 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव में विपक्षी एमवीए को सत्ता में लाने का फैसला किया है.