मेट्रो अधिनियम में बदलाव को लेकर आखिर क्‍यों चिंतित है वित्‍त मंत्रालय ? 

रिपोर्ट बता रही हैं कि वित्‍त मंत्रालय की चिंता इस बात को लेकर है कि अगर मेट्रो एक्ट में सुधार होता है तो इससे देश की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की रैंकिंग पर गंभीर असर पड़ेगा. 

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Friday, 21 April, 2023
delhi Metro

केन्‍द्र सरकार एक ओर देश में जहां लगातार बिजनेस को लेकर एक बेहतर वातावरण बनाने को लेकर काम कर रही है वहीं दूसरी ओर सरकार ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को लेकर भी काम कर रही है. लेकिन केंद्रीय हाउसिंग एंड अर्बन अफेयर्स मंत्रालय के एक प्रस्‍ताव ने वित्त मंत्रालय की चिंताएं बढ़ा दी है. दरअसल हाउसिंग एंड अर्बन अफेयर्स मिनिस्ट्री ने मेट्रो एक्ट में संशोधन को लेकर प्रस्‍ताव वित्‍त मंत्रालय के पास भेजा है. जिसके कई पहलुओं को लेकर फाइनेंस मंत्रालय ने चिंता जताई है. 

ईज ऑफ डूईंग पर भी पड़ेगा असर  
वित मंत्रालय ने इस संसोधन को लेकर कहा है कि MoHUA के इस प्रपोजल का सिंगल प्‍वाइंट एजेंडा ये है कि मेट्रो संपत्तियों को मध्यस्थता पुरस्कारों और सिविल कोर्ट के आदेशों के अनुसार, निष्पादन कार्यवाही से मेट्रो रेल संपत्ति को घेरना (Ring Fence) है. मंत्रालय ने कहा है कि मेट्रो अधिनियम में संशोधन से व्यापार करने में आसानी के मामले में भारत की रैंकिंग बुरी तरह प्रभावित हो सकती है. इसमें कहा गया है प्रस्तावित संशोधन प्रथम दृष्टया केंद्रीय कानून मंत्रालय के अनुसार संवैधानिकता की परीक्षा में पास नहीं होता है.

आखिर ऐसा क्‍या है वित्‍त मंत्रालय की चिंता 
हाउसिंग मिनिस्‍ट्री के इस प्रस्‍ताव को लेकर (वित्त मंत्रालय) के आर्थिक मामलों के विभाग ने सलाह दी है कि इस संशोधन के प्रभाव को मेट्रो प्रोजेक्‍ट को लेकर फंडिंग करने वालों के साथ-साथ अन्य कानूनों के तहत छूट पाने वालों के अधिकारों पर विचार किया जाना चाहिए. वित्‍त मंत्रालय का मानना है कि प्रस्तावित संशोधन मेट्रो अधिनियम की अन्य शर्तों को प्रभावित कर सकते हैं और ये संशोधन मेट्रो परियोजनाओं के बारे में फंड करने वालों के नजरिए को भी प्रभावित कर सकते हैं, क्योंकि फंड करने वालों को ऐसी परियोजनाओं की राजस्व धाराओं के लिए सहारा देने से इनकार किया जा सकता है. यही नहीं आधिकारिक बयान के अनुसार, व्यय विभाग (वित्त मंत्रालय) ने ये भी कहा है कि इस संसोधन के बीच भारत सरकार के हितों की रक्षा के नजरिए से भी देखा जाना चाहिए, जिससे महानगरों द्वारा भारत सरकार को बकाया राशि का भुगतान मिलता रहे.  दरअसल MoHUA ने मेट्रो अधिनियम में प्रस्तावित संशोधन पर विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों से टिप्पणियां मांगी थीं जिसके जवाब में वित्‍त मंत्रालय ने अपनी ये चिंताए जाहिर की हैं. 

इंटरनेशनल फंडिंग कम्‍यूनिटी को करेगा हतोत्‍साहित 
वित्‍त मंत्रालय ने इस प्रपोजल को लेकर विस्‍तार से अपनी बात रखते हुए कहा कि है कि अगर ये संशोधन होता है तो निश्चित रूप से भारतीय बुनियादी ढांचा क्षेत्र के आपूर्तिकर्ताओं/ठेकेदारों के अलावा अंतरराष्ट्रीय और घरेलू वित्त पोषण एजेंसियों को हतोत्साहित करेगा. जो कि भविष्‍य के प्रोजेक्‍ट के लिए सही नहीं होगा. मंत्रालय ने ये भी कहा है कि यह संशोधन संबोधित करने की तुलना में अधिक चिंताएं पैदा करता है.


 


बदलते Bharat पर फिदा हुए विदेशी निवेशक, बाजार में जमकर की खरीदारी

हमारे शेयर बाजार की चाल काफी हद तक विदेशी निवेशकों के रुख पर निर्भर करती है.

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Friday, 29 March, 2024
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विदेशी निवेशकों (Foreign Portfolio Investors) ने वित्त वर्ष 2023-24 में भारतीय शेयर बाजार में अच्छा-खासा निवेश किया है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस अवधि में FPIs ने 2 लाख करोड़ रुपए से अधिक का निवेश किया है. दरअसल, भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर हर तरफ से पॉजिटिव खबरें आ रही हैं. देश को लेकर एक सकारात्मक माहौल निर्मित हुआ है. इस वजह से विदेशी निवेशक एक बार फिर से घरेलू बाजार की तरफ आकर्षित हुए हैं. 

आगे भी रहेंगे लिवाल 
एक्सपर्ट्स के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 के लिए पूर्वानुमान आशावादी नजर आ रहा है. प्रगतिशील नीतिगत सुधारों, आर्थिक स्थिरता और निवेश के आकर्षक अवसरों के चलते FPI भारतीय बाजार में निवेश जारी रख सकते हैं. डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष 2023-24 में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने भारतीय इक्विटी बाजारों में करीब 2.08 लाख करोड़ रुपए और डेट या बॉन्ड बाजार में 1.2 लाख करोड़ का शुद्ध निवेश किया है. बीते दो वित्त वर्षों में शुद्ध निकासी के बाद FPIs की इस वित्त वर्ष में जोरदार वापसी देखने को मिली है. 

इस वजह से बने थे बिकवाल
वित्त वर्ष 2022-23 में एफपीआई ने भारतीय शेयर बाजार से शुद्ध रूप से 37,632 करोड़ रुपए निकाले थे. इसकी एक प्रमुख वजह थी वैश्विक तौर पर केंद्रीय बैंकों की ओर से ब्याज दरों में आक्रामक बढ़ोतरी. वित्त वर्ष 2021-22 में एफपीआई ने 1.4 लाख करोड़ रुपए की बिकवाली की थी. जबकि वित्त वर्ष 2020-2021 में उन्होंने 2.74 लाख करोड़ रुपए का रिकॉर्ड निवेश किया था. इस वित्त वर्ष में भी विदेशी निवेशकों ने अच्छी-खासी खरीदारी की थी, जो बाजर के लिए शुभ संकेत हैं.

इसलिए आकर्षित हुए FPIs
आर्थिक मामलों के जानकार मानते हैं कि वैश्विक आर्थिक उथल-पुथल के बीच भारत की अर्थव्यवस्था अधिक मजबूत और स्थिर रही है, जिससे विदेशी निवेशक आकर्षित हुए हैं. यही वजह है कि उन्होंने वित्त वर्ष 2023-24 में भारतीय शेयर बाजार में 2 लाख करोड़ रुपए से अधिक का निवेश किया है. गौरतलब है कि हमारे शेयर बाजार की चाल काफी हद तक विदेशी निवेशकों के रुख पर निर्भर करती है. जब विदेशी निवेशक जमकर खरीदारी करते हैं, तो बाजार सरपट दौड़ने लगता है और जैसे ही वो बिकवाल बन जाते हैं मार्केट धड़ाम से नीचे आ जाता है. 


Panasonic ने अपने ऑटो बिजनेस की हिस्सेदारी इस कंपनी को बेची, जानिए कितने में हुआ सौदा

जापान की दिग्गज इलेक्ट्रॉनिक कंपनी पैनासोनिक ने अपने ऑटोमोटिव सिस्टम की पूरी हिस्सेदारी इस अमेरिकी कंपनी को बेची.

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Friday, 29 March, 2024
PANASONIC

जापान की इलेक्ट्रॉनिक कंपनी पैनासोनिक (Panasonic) ने ऑटोमोटिव क्षेत्र के में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए पैनासोनिक ऑटोमोटिव सिस्टम्स (PAS) में अपनी पूरी हिस्सेदारी अमेरिकी निजी इक्विटी फर्म अपोलो ग्लोबल मैनेजमेंट को बेचने की घोषणा कर दी है. अपोलो ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि यह सौदा 311 बिलियन येन (2.06 बिलियन डॉलर) के एंटरप्राइज वैल्यू पर किया गया है, 2025 की पहली तिमाही के अंत तक इसे अंतिम रूप दिए जाने की उम्मीद है.

ऑटोमोटिव के साथ जारी रहेगा व्यापार

पैनासोनिक, ऑटोमोटिव के साथ अपना व्यापार जारी रखेगा. दिग्गज जापानी इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी जापान होल्डिंग्स में 20% ब्याज हासिल करेंगे, जो PAS की नई मूल कंपनी बनने के लिए तैयार है. यह रणनीतिक कदम यह सुनिश्चित करता है कि पैनासोनिक ऑटोमोटिव सिस्टम्स पैनासोनिक समूह के साथ संबंध बनाए रखेगा.

भारतीय बाजार में उतरने को तैयार L Catterton, HUL के पूर्व सीईओ के साथ मिलाया हाथ

ब्लू यॉन्डर विस्तार के लिए है तैयार

वहीं दूसरी ओर पैनासोनिक (Panasonic) की सहायक कंपनी ब्लू यॉन्डर, डिजिटल सप्लाई चेन स्पेस में अपनी क्षमताओं का विस्तार करने के लिए तैयार है. ब्लू यॉन्डर ने 839 मिलियन डॉलर में अमेरिका स्थित डिजिटल सप्लाई चेन नेटवर्क सप्लायर वन नेटवर्क एंटरप्राइजेज को खरीदने के लिए एक समझौता किया है और यह अधिग्रहण 2024 की तीसरी तिमाही के भीतर पूरा होने की उम्मीद है.

कंपनी के बारे में

पैनासोनिक (Panasonic) एक जापानी कंपनी हैं जिसका मुख्यालय जापान के Kadoma Osaka में स्थित हैं. वर्तमान समय में यह कंपनी एक अंतरराष्ट्रीय कंपनी के रूप में पहचानी जाती हैं तथा इसका व्यापार दुनिया के लगभग सभी देशों में फैला हुआ हैं. इस कंपनी को अपने बेहतरीन प्रोडक्ट्स और अच्छी सर्विस के लिए दुनियाभर में काफी माना जाता हैं. आज यह कंपनी विभिन्न प्रोडक्ट्स बनाती हैं और बेचती हैं. अपने प्रोडक्ट्स की बढ़ती डिमांड के कारण आज Panasonic कंपनी ऊँचाई के शिखर पर पहुँच चुकी हैं.
 


भारत में रिन्यूएलबल एनर्जी को विस्तार देने के लिए किस कंपनी को मिला करोड़ों का निवेश?

ऑस्ट्रिया के डेवलपमेंट बैंक OeEB ने AMPIN Energy Transition को भारत में रिन्यूएबल एनर्जी के विस्तार और सोलर मॉड्यूल प्रोडक्शन की सुविधा स्थापित करने के लिए करोड़ों रुपये का निवेश दिया है.

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Friday, 29 March, 2024
Renewable Energy

रिन्यूएबल ट्रांजिशन कंपनी एएमपीआईएन एनर्जी ट्रांजिशन (AmpIn Energy Transition Private Limited) ने ऑस्ट्रिया के डेवलपमेंट बैंक ओईईबी (Oesterreichische Entwicklungsbank AG)
से करोड़ों रुपये का निवेश प्राप्त होने की घोषणा की है. आपको बता दें, ओईईबी ने अपने रिन्यूएलबल एनर्जी पोर्टफोलियो (Renewable Energy Portfolio) को विस्तारित करने और ओडिशा राज्य में लोकल 1GW सोलर सेल (Solar Cell) और मॉड्यूल प्रोडक्शन सुविधा स्थापित करने में एएमपीआईएन एनर्जी ट्रांजिशन का सहयोग करने के लिए लॉन्ग टर्म फाइनेंसिंग में 25 मिलियन यूरो देने के लिए समझौता किया है.

रिन्यूएबल कैपेसिटी के साथ लोकल मैन्यूफैक्चरिंग भी बढ़ेगी

इस निवेश से न केवल रिन्यूएबल एनर्जी की कैपेसिटी बढ़ाने और CO2-उत्सर्जन को कम करने के सरकार के लक्ष्य को पूरा करने में मदद मिलेगी बल्कि ट्रांसिशंस प्रयासों के लिए महत्वपूर्ण घटकों की सप्लाई चेन पर नियंत्रण बढ़ाने के लिए लोकल मैन्यूफैक्चरिंग को भी बढ़ावा मिलेगा.

क्या है नेशनल इलेक्ट्रिसिटी प्लान?

देश के ऊर्जा मिश्रण में रिन्यूएबल एनर्जी की हिस्सेदारी बढ़ाना भारत सरकार की प्रमुख प्राथमिकता है. वहीं, नेशनल इलेक्ट्रिसिटी प्लान 2022-2027 के अनुसार देश की बढ़ती ऊर्जा आवश्यकताओं का आधा हिस्सा रिन्यूएबल सोर्सिस से पूरा करने और 2070 तक नेट-शून्य हासिल करने के लिए रिन्यूएबल एनर्जी कैपेसिटी को 2030 तक 500GW तक बढ़ाया जाना है. भारत में पहले से ही रिन्यूएबल बिजली को बढ़ाने का काम तेजी के साथ हो रहा है. यहां प्रति वर्ष औसतन 300 धूप वाले दिनों के साथ सोलर एनर्जी की अपार संभावनाएं हैं, जो इन लक्ष्यों को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी. एएमपीआईएन का कहना है कि यह निवेश सरकार के इस लक्ष्य को पूरा करने में सहयोग करेगा. 

इतना रिन्यूएबल एनर्जी पोर्टफोलियो बनाने का लक्ष्य

भारत के 21 राज्यों में 3 GWp के कुल पोर्टफोलियो के साथ एएमपीआईएन एनर्जी ट्रांज़िशन भारत के ऊर्जा परिवर्तन को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है. एएमपीआईएन का लक्ष्य 2030 तक 10 GWp का रिन्यूएबल एनर्जी पोर्टफोलियो बनाना है और ओईईबी के साथ यह सहयोग एनर्जी इंडिपेंडेंट इंडिया के दृष्टिकोण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.

ओईईबी के एग्जीक्यूटिव बोर्ड के सदस्य ने कहा 

ओईईबी के एग्जीक्यूटिव बोर्ड के सदस्य सबाइन गैबर ने कहा कि रिन्यूएबल एनर्जी में भारत का सहयोग करना न केवल देश के निरंतर आर्थिक विकास के लिए एक महत्वपूर्ण है, बल्कि क्लाइमेट चेंज के खिलाफ वैश्विक लड़ाई के लिए भी जरूरी है. ग्रीन फाइनेंस और कांपरीहेंसिव क्लाइमेट एक्शन हमारी नई रणनीति में शामिल है. हमें ग्रीन और सस्टेनेबल ग्रोथ के प्रति भारत की प्रतिबद्धता का समर्थन करने के लिए एएमपीआईएन एनर्जी ट्रांजिशन के साथ साझेदारी करके प्राउड फील हो रहा है.

एएमपीआईएन एनर्जी ट्रांजिशन के एमडी और सीईओ ने कहा 

एएमपीआईएन एनर्जी ट्रांजिशन के एमडी और सीईओ पिनाकी भट्टाचार्य ने कहा कि एएमपीआईएन भारत के ऊर्जा परिवर्तन को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है और ओईईबी के साथ उनकी ये साझेदारी एनर्जी इंडिपेंडेंट इंडिया की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. इस साझेदारी से वह एकजुट होकर भारत में रिन्यूएबल एनर्जी प्रोडक्शन और सोलर मैन्यूफैक्चरिंग लैंडस्केप को बदलने के लिए तैयार हैं, जिससे 2030 तक रिन्यूएबल एनर्जी के गोल्स को पूरा करने के लिए देश की प्रतिबद्धता मजबूत होगी. 


भारतीय बाजार में उतरने को तैयार L Catterton, HUL के पूर्व सीईओ के साथ मिलाया हाथ

दुनिया के सबसे बड़े रईस बर्नार्ड अरनॉल्ट भारत में बड़ा दांव खेलने की तैयारी में है. उनकी ग्लोबल इनवेस्टमेंट फर्म L Catterton ने भारत में एक जॉइंट वेंचर बनाया है.

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Friday, 29 March, 2024
Sanjeev Mehta

दुनिया के सबसे बड़े रईस और फ्रांसीसी बिजनेसमैन बर्नार्ड अरनॉल्ट भी अब भारत में बड़ा दांव खेलने की तैयारी में हैं. अरनॉल्ट दुनिया की सबसे बड़ी लग्जरी गुड्स कंपनी LVMH Moët Hennessy के सीईओ हैं. इस कंपनी की ग्लोबल इन्वेस्टमेंट फर्म L Catterton ने कहा कि उसकी एशिया यूनिट ने भारत में एक कंज्यूमर फोकस्ड जॉइंट वेंचर बनाया है. इसके लिए कंपनी ने हिंदुस्तान यूनिलीवर के सीईओ रहे संजीव मेहता के साथ हाथ मिलाया है. दोनों पक्ष मिलकर एक नई इन्वेस्टमेंट कंपनी का गठन करेंगे. 

L Catterton भारतीय कंपनियों में करेगी निवेश

नई इनवेस्टमेंट कंपनी का गठन फंड के रूप में नहीं किया जाएगा बल्कि यह एक इनवेस्टमेंट प्लेटफॉर्म हो सकता है. इसके पीछे यह सोच है कि भारत के दूसरे फंड मैनेजर्स के साथ पार्टनरशिप की जाए और भारतीय कंपनियों में निवेश किया जाए. कंपनी देश की लोकल कंज्यूमर कंपनियों में 2.5 करोड़ से 15 करोड़ डॉलर तक निवेश करेगी. साथ ही यह कंपनी और एलसीए (LCA) जॉइंट इनवेस्टमेंट भी कर सकती हैं. अब तक L Catterton एशिया फंड के जरिए ही भारत में निवेश करती रही है. लेकिन इसके जरिए कंपनी पूरी तरह भारत के लिए फोकस्ड एक इन्वेस्टमेंट प्लेटफॉर्म बनाना चाहती है. 

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निवेश करने का यह बेहतर समय

HUL के पूर्व सीईओ संजीव मेहता ने कहा कि मैं L Catterton की भारत और एशिया टीम में शामिल होने और उसके साथ काम करने के लिए उत्साहित हूं, क्योंकि फर्म ने भारत में कारोबार करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता को जाहिर किया है. वहीं L Catterton के ग्लोबल को-सीईओ माइकल चू ने कहा कि भारत दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाला देश है और भारत अब तीव्र गति से विकास की ओर अग्रसर है. बाजार के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को गहरा करने और उपभोक्ता व्यवसायों में निवेश करने का इससे बेहतर समय कभी नहीं हो सकता है.

संजीव मेहता के पास है काफी अनुभव

अरनॉल्ट की कंपनी भारत में संजीव मेहता के अनुभव का पूरा फायदा उठाना चाहती है. उनकी लीडरशिप में हिंदुस्तान यूनिलीवर का मार्केट कैप पांच गुना बढ़कर 6.2 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया था. मार्केट कैप के हिसाब से यह देश की पांचवीं सबसे बड़ी कंपनी बन गई थी और देश की सबसे तेजी से बढ़ रही एफएमसीजी कंपनी थी. आज इसका मार्केट कैप 532,946.04 करोड़ रुपये है और मार्केट कैप के हिसाब से यह देश की नौवीं बड़ी कंपनी है. अरनॉल्ट और उनके परिवार की LVMH में 47.5% हिस्सेदारी है. इस लग्जरी हाउस के पास 70 से अधिक ब्रांड हैं. इनमें Louis Vuitton, Christian Dior, Fendi, Moët & Chandon, Hennessy, Sephora और Veuve Clicquot शामिल हैं. 
 


Byju's को शेयरहोल्डर्स का मिला सपोर्ट, EGM में बोर्ड के फैसले पर नहीं जताई कोई आपत्ति

Byju's के संस्थापक और परिवार को प्रबंधन पद से हटाने का प्रस्ताव रखने वाले नाराज निवेशकों में से किसी ने भी बैठक में हिस्सा नहीं लिया.

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Friday, 29 March, 2024
Byju's

बायजू ब्रैंड (Byju's) नाम से चलने वाली एजुटेक कंपनी की ओनर थिंक एंड लर्न (Think and Learn) को शेयर होल्डर से सपोर्ट मिला है. शेयर होल्डर ने शुक्रवार को हुई Extraordinary General meeting (EGM) में कंपनी की अधिकृत शेयर पूंजी बढ़ाने के प्रस्ताव पर कोई आपत्ति नहीं जताई. कंपनी से जुड़े सूत्रों ने यह जानकारी दी. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, बायजू के संस्थापक और परिवार को मैनेजमेंट पोजीशन से हटाने का प्रस्ताव रखने वाले नाराज निवेशकों में से किसी ने भी बैठक में हिस्सा नहीं लिया.

20 करोड़ अमेरिकी डॉलर जुटाने का मामला

कंपनी की मीटिंग सुबह 10 बजे शुरू हुई, जिसमें Think and Learn मैनेजमेंट के साथ करीब 20 निवेशक प्रतिनिधि उपस्थित रहे. इससे EGM के लिए जरूरी ‘कोरम’ पूरा हो गया. पोस्टल बैलेट के संबंध में कुछ प्रश्न पूछे गए जिसके बार में चेयरमैन और सीएस (CS) ने जवाब दिए. इसमें कोई आपत्ति नहीं उठाई गई. बायजू ने राइट्स इश्यू के जरिए 20 करोड़ अमेरिकी डॉलर जुटाने की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए कंपनी की ऑथराइज्ड शेयर पूंजी बढ़ाने के लिए EGM (असाधारण आम बैठक) बुलाई थी.

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EGM का किसी ने नहीं किया बहिष्कार 

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बायजू से जुड़े सूत्रों ने कहा कोई भी नाराज निवेशक अपनी चिंताओं को उठाने के लिए EGM में व्यक्तिगत रूप से शामिल नहीं हुआ. निवेशक पक्ष के एक सूत्र ने दावे का विरोध किया और कहा कि सभी निवेशकों के ऑथराइज्ड प्रतिनिधि EGM में शामिल हुए थे. किसी ने इसका बहिष्कार नहीं किया. लोग या तो EGM में या फिर पोस्टल बैलेट के जरिए मतदान कर सकते हैं, इसलिए हमें 6 अप्रैल के बाद ही परिणाम पता चल पाएंगे. बायजू के प्रस्ताव पर पोस्टल बैलेट के जरिए वोट करने का विकल्प छह अप्रैल को बंद हो जाएगा. 

4 निवेशकों ने NCLT का किया था रुख

चार निवेशकों प्रोसस (Prosus), जनरल अटलांटिक (General Atlantic), सोफिना (Sofina) और Peak XV के एक समूह ने टाइगर और आउल वेंचर्स सहित दूसरे शेयरधारकों के समर्थन के साथ बायजू की EGM के खिलाफ नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) का रुख किया था. इन 6 निवेशकों के पास संयुक्त रूप से कंपनी की 32 प्रतिशत हिस्सेदारी है. NCLT की बेंगलुरु बेंच ने 'थिंक एंड लर्न' की 29 मार्च को बुलाई गई असाधारण आम बैठक (EGM) पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था.
 


Canara Bank से छुट्टी वाले दिन आई ये बड़ी खबर, सोमवार को बाजार में दिखेगा असर

केनरा रोबेको AMC की स्थापना 1993 में हुई थी और 2007 में इसका नाम बदला गया था.

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Friday, 29 March, 2024
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केनरा बैंक (Canara Bank) को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है. यह सरकारी बैंक अपनी सहायक कंपनी Canara Robeco Asset Management Company (CRAMC) में 13 प्रतिशत इक्विटी शेयर बेचने जा रहा है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार केनरा बैंक ने एक फाइलिंग में बताया है कि बोर्ड ने प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश (IPO) के माध्यम से CRAMC में 13 प्रतिशत हिस्सेदारी घटाने की प्रक्रिया शुरू करने को मंजूरी दे दी है. हालांकि, हिस्सेदारी बेचने को लेकर अभी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया, डिपार्टमेंट ऑफ फाइनेंशियल सर्विसेस और वित्त मंत्रालय से मंजूरी मिलना बाकी है. 

बन जाएगा ऐसा 5वां फंड
बैंक को अपनी म्यूचुअल फंड कंपनी को लिस्ट कराने की प्रक्रिया शुरू करने की सैद्धांतिक मंजूरी पहले ही मिल गई थी. यदि केनरा रोबेको एसेट मैनेजमेंट शेयर बाजार में लिस्ट होती है, तो यह पांचवां लिस्टेड म्यूचुअल फंड हाउस होगा. HDFC एसेट मैनेजमेंट कंपनी, UTI एसेट मैनेजमेंट कंपनी, आदित्य बिड़ला सन लाइफ AMC और निप्पॉन लाइफ इंडिया एसेट मैनेजमेंट पहले से ही बाजार में लिस्टेड हैं. 

1993 में हुई थी स्थापना
केनरा रोबेको AMC की बात करें, तो इसकी स्थापना 1993 में हुई थी. इसे कैनबैंक म्यूचुअल फंड के नाम से जाना जाता था. 2007 में, केनरा बैंक ने रोबेको समूह के साथ एक जॉइंट वेंचर (JV) साझेदारी में प्रवेश किया और म्यूचुअल फंड का नाम बदलकर केनरा रोबेको म्यूचुअल फंड रख दिया. रोबेको, जापान के ORIX Corporation का हिस्सा है. Canara बैंक के हिस्सेदारी बेचने की खबर छुट्टी वाले दिन आई है. लिहाजा, इसका मार्केट पर क्या असर होता है, इसका पता सोमवार को ही चल पाएगा. 

इस कंपनी का भी आ रहा IPO
उधर, शापूरजी पलोंजी ग्रुप (Shapoorji Pallonji Group) के निवेश वाली कंस्ट्रक्शन और इंजीनियरिंग कंपनी एफकॉन्स इंफ्रास्ट्रक्चर (Afcons Infrastructure) ने आईपीओ के लिए जरूरी दस्तावेज दाखिल कर दिए हैं. मीडिया रिपोर्ट्स में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि कंपनी अपने IPO के जरिए 7500 करोड़ रुपए जुटाने की तैयारी कर रही है. शापूरजी पल्लोनजी के पास इस कंपनी में 99.48% हिस्सेदारी है. गौरतलब है कि शापूरजी पलोनजी ग्रुप की स्टॉक बाजार में लिस्ट होने वाली आखिरी कंपनी स्टर्लिंग और विल्सन थी, जिसका आईपीओ अगस्त 2019 में आया था.


चुनाव के दौरान और उसके बाद किन शेयर में आएगा उछाल, जानें क्या है एक्सपर्ट्स की राय?

लोकसभा चुनाव 2024 का परिणाम पूरे देश के लिए एक महत्वपूर्ण घटना होगी. वहीं, एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस परिणाम का असर भारतीय शेयर बाजार में भी देखने को मिल सकता है.

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Friday, 29 March, 2024
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लोकसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद नई सरकार के गठन, नई घोषणाओं और पूरे साल की बजट प्रस्तुति के कारण कुछ ऐसे क्षेत्र हैं, जो हमेशा फोकस में रहते हैं. लोकसभा चुनाव 2024 का परिणाम भी पूरे देश के लिए एक महत्वपूर्ण घटना होगी और इसका प्रभाव भारतीय शेयर बाजार पर भी देखने को मिल सकता है. मार्केट के एक्सपर्ट्स ने कुछ ऐसे शेयरों का चयन किया है, जिनमें 2024 के चुनावों के दौरान और उसके बाद तेजी बनी रह सकती है. तो आइए आपको बताते हैं ऐसे कौन से शेयर हैं जो आपको लोकसभा चुनाव का परिणाम आने के बाद मालामाल बना सकते हैं.

किस लोकसभा चुनाव के बाद निफ्टी में आई उछाल? 

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान निफ्टी इंडेक्स 5 में से 4 बार नीचे आया है. वहीं, 2009 के बाद इसमें सबसे ज्यादा तेजी आई, तब निफ्टी ने 25 प्रतिशत का रिटर्न दिया था. सबसे कम रिटर्न 2019 में था, जब इंडेक्स 8 प्रतिशत ऊपर था. 2004 में चुनाव से पहले पहले तीन महीनों में निफ्टी 10 प्रतिशत गिर गया था.

क्या है भारत इलेक्ट्रॉनिक्स शेयर का टारगेट प्राइस? 

एक्सपर्ट्स ने इस स्टॉक का टारगेट प्राइस 250 रुपये रखा है. एक्सपर्ट्स ने कहा है कि भारत इलेक्ट्रॉनिक्स में कई कारणों से वृद्धि होगी, जैसे उसका रक्षा में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ना, मजबूत पाइपलाइन और सरकार द्वारा निर्यात पर ध्यान केंद्रित करना, राजस्व बढ़ाने के लिए मजबूत ऑर्डर प्रवाह वृद्धि,  ये सभी कारण इसके शेयर में तेजी लाएंगे. यहां यह भी ध्यान देने योग्य है कि भारत इलेक्ट्रॉनिक्स ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) के निर्माण से भी जुड़ा है.

एल एंड टी के शेयर में क्यों आएगी तेजी?

लारसेन एंड टुर्बो लिमिटिड (Larsen and Toubro Ltd) इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में काम करती है. एक्सपर्ट्स के अनुसार केंद्र सरकार चुनाव के बाद इंफ्रास्ट्रक्चर पर अपना फोकस बढ़ाने जा रही है. बजट में सेक्टर के लिए कुछ नई घोषणाएं भी हो सकती हैं. एल एंड टी कंपनी के पास फिलहाल 4.7 लाख करोड़ रुपये के ऑर्डर हैं. यह वित्त वर्ष 2023 में कंपनी के राजस्व का 3.8 गुना है. एलएंडटी कंस्ट्रक्शन की बिल्डिंग्स और फैक्ट्रीज वर्टिकल ने हाल ही में 2,500 करोड़ रुपये से 5,000 करोड़ रुपये के कई ऑर्डर जीते हैं. मोतीलाल ओसवाल ने एल एंड टी को 4,200 रुपये के लक्ष्य मूल्य के साथ खरीदने की सलाह दी है. 

एचएएल को केंद्र सरकार लगातार मिल रहे ऑर्डर  

हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटिड (Hindustan Aeronautics Ltd) कंपनी को केंद्र सरकार से लगातार ऑर्डर मिल रहे हैं. पिछले हफ्ते इसे रक्षा मंत्रालय से 2,890 करोड़ रुपये के ऑर्डर मिले हैं. एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार एचएएल के शेयरों का लक्ष्य मूल्य 3,129 रुपये है. एक्सपर्ट्स ने कहा है कि भू-राजनीति और एचएएल में पिछले दशक की तुलना में अधिक विमानों के ऑर्डर और विनिर्माण में तेजी को देखते हुए, उम्मीद है कि आने वाले कुछ वर्षों में भारत की सैन्य विमान की स्ट्रेंथ में गिरावट आएगी. 

अडानी एंटरप्राइसिस में क्यों आएगी तेजी?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अगले तीन महीनों में अडानी एंटरप्राइसिस के स्टॉक में काफी तेजी आ सकती है. ग्लोबल ब्रोकरेज ने इसका टारगेट प्राइस 4,368 रुपये रखा है. इसमें कहा गया है है कि अडानी ने तरलता जोखिम को कम करने, प्रशासन में सुधार और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए कार्रवाई की है.

नोट: शेयर बाजार जोखिमों के अधीन है इसलिए किसी भी शेयर में निवेश करने से पहले अपने सलाहकार से सलाह जरूर ले लें.  इस खबर को पब्लिश करना सिर्फ खबर के माध्‍यम से जानकारी देना है.  


आशंका: टैंक अभी से करवा लें फुल, Petrol-Diesel की फिर होने वाली है किल्लत!

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने एक आदेश दिया था जिस पर अमल के चलते किल्लत हो सकती है.

नीरज नैयर by
Published - Friday, 29 March, 2024
Last Modified:
Friday, 29 March, 2024
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आने वाले दिनों में पेट्रोल-डीजल (Petrol-Diesel) की किल्लत देखने को मिल सकती है. दरअसल, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने 2019 में एक आदेश पारित किया था, जिस पर अमल के चलते पेट्रोल-डीजल की सप्लाई प्रभावित होने की आशंका जताई जा रही है. बता दें कि कुछ समय पहले नए हिट एंड रन कानून के खिलाफ ट्रांसपोर्टर और ट्रक ड्राइवरों ने हड़ताल की थी, जिसकी वजह से भी देश के कई हिस्सों में पेट्रोल-डीजल की सप्लाई पर असर पड़ा था. 

बड़े शहरों में हुआ अमल
फिलहाल, मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में एक अप्रैल से पेट्रोल-डीजल की किल्लत हो सकती है. NGT ने अपने 2019 के आदेश में कहा था कि पेट्रोल और डीजल टैंकरों को टॉप लोडिंग के बजाए बॉटम लोडिंग बदला जाना चाहिए. बड़े शहरों में तो यह फैसला लागू हो चुका है, अब भोपाल में इसे लागू किया जा रहा है. भोपाल जिले में कुल 151 पेट्रोल पंप हैं. जिले में 10 लाख लीटर पेट्रोल और 12 लाख लीटर डीजल की प्रतिदिन खपत होती है.   

डीलर्स के पास नए टैंकर नहीं 
भोपाल में एक रिलायंस डिपो है, जहां से भारत, हिंदुस्तान पेट्रोलियम पेट्रोल-डीजल लेते हैं. इस डिपो ने NGT के आदेश का हवाला देते हुए 1 अप्रैल से मौजूदा टॉप लोडिंग (ऊपर से भरने वाले) टैंकरों के बजाए बॉटम लोडिंग (नीचे से भरने वाले) टैंकर से ही सप्लाई का फैसला लिया है. जबकि पेट्रोल पंप डीलर्स के पास नए टैंकर नहीं हैं और इसके इंतजाम में लंबा समय लगेगा. BW हिंदी से बात करते हुए मध्य प्रदेश पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय सिंह ने स्वीकार किया कि सप्लाई प्रभावित हो सकती है. हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि ज्यादा घबराने वाली बात नहीं है.

देरी से दी गई सूचना
इस सवाल के जवाब में कि क्या एसोसिएशन को NGT के आदेश की जानकारी नहीं थी? अजय सिंह ने कहा कि जानकारी तो थी, लेकिन इस पर अमल की सूचना काफी देरी से मिली. 1 अप्रैल की डेडलाइन से चंद दिन पहले ही हमें इस बारे में बताया गया, ऐसे में डेडलाइन पूरी करना मुश्किल है. नया टैंकर बनवाने में 7 से 8 महीने का समय लगता है. सिंह ने आगे कहा कि आदेश के अमल में आने के बाद पेट्रोल-डीजल बाहर से मंगवाना पड़ेगा और इसमें 48 से 72 घंटों का समय लग सकता है. ऐसे में पंपों पर पेट्रोल-डीजल की सप्लाई देर से होगी. 

क्यों दिया था ये आदेश?
एसोसिएशन ने तेल कंपनियों से कुछ और समय की मांग की है. NGT ने टॉप लोडिंग के बजाए बॉटम लोडिंग टैंकरों से सप्लाई का आदेश पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए दिया था. दरअसल, पेट्रोल-डीजल की फिलिंग के दौरान खतरनाक गैसें निकलती हैं, जो टॉप फिलिंग होने पर सीधे वातावरण फैल जाती हैं. जबकि बॉटम फिलिंग से इस पर काफी हद तक रोक लगाई जा सकती है.


निवेशकों को मनाने में जुटे Byju Raveendran, शेयर धारकों को भेजा 'शांति प्रस्ताव'

कुछ निवेशकों ने बायजूज के फाउंडर बायजू रवींद्रन को कंपनी से बाहर निकालने की कोशिश की थी. अब रवींद्रन बायजू ने इन निवेशकों को साथ आने का न्यौता भेजा है.

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Friday, 29 March, 2024
Byju Raveendran

वित्तीय संकट समेत अन्य दिक्कतों से जूझ रही एडुटेक फर्म बायजू (Byju's) ने निवेशकों को 72 घंटे के भीतर फंडिंग राउंड में शामिल होने का न्यौता भेजा है. बायजू ने Peak XV Partners, जनरल अटलांटिक (General Atlantic), चान-जुकरबर्ग इनिशिएटिव (Chan-Zuckerberg Initiative) और प्रोसुस (Prosus) जैसे निवेशकों के साथ असहमति दूर करने की एक और कोशिश है. इन निवेशकों ने राइट्स इश्यू का रास्ता बंद करने और बायजू के फाउंडर बायजू रवींद्रन को कंपनी से बाहर निकालने की कोशिश की थी. इस मामले में बायजू रवींद्रन ने निवेशकों को जो लेटर भेजा है.

निवेशकों को मनाने की कोशिश

बायजू रवींद्रन ने लेटर में लिखा है कि पिछले महीने राइट्स इश्यू बंद हो गया. यह मौजूदा चुनौतीपूर्ण आर्थिक परिस्थितियों में कंपनी की स्थिरता और विकास सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था. उन्होंने इस बात पर खुशी जताई कि ऑथराइज्ड शेयर कैपिटल (Authorised Share Capital) बढ़ाने के लिए पहले ही 50% से अधिक वोट मिल चुके हैं. बायजू ने कहा कि इस कंपनी की शुरुआत से ही उनका दृष्टिकोण सभी को एक साथ लेकर चलने और हमेशा चुनौतियों का सामना एक साथ करने का रहा है. चूंकि कुछ निवेशकों ने राइट्स इश्यू में हिस्सा नहीं लिया था तो इसे ध्यान में रखते हुए ही उन्होंने कहा कि वह सभी निवेशकों को इस बदलाव की कहानी का हिस्सा बनाना चाहते हैं.

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जनवरी में आया था Rights Issue

बायजू कंपनी जनवरी महीने में 20 करोड़ डॉलर जुटाने के लिए राइट्स इश्यू (Rights Issue) को लाई थी. हालांकि यह इश्यू 22-25 करोड़ डॉलर के वैल्यूएशन पर लाया गया था जो इसके 2200 करोड़ डॉलर के रिकॉर्ड वैल्यूएशन से करीब 99 फीसदी डिस्काउंट पर है. यह इश्यू पूरा भर चुका है और मीडिया रिपोर्ट के अनुसार कंपनी के फाउंडर बायजू रवींद्रन कंपनी में अपनी हिस्सेदारी बनाए रखने के लिए राइट्स इश्यू में 4.5-4.6 करोड़ डॉलर लगाने की तैयारी में हैं. 

निवेशकों ने राइट्स इश्यू को बताया था गैरकानूनी

इससे पहले एनसीएलटी (NCLT) में सुनवाई के दौरान निवेशकों ने कहा था कि राइट्स इश्यू के लिए कंपनी का कदम अवैध और गैरकानूनी है और इस पर रोक लगाई जानी चाहिए. वहीं बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स का कहना है कि निवेशक कंपनी के लिए दिक्कतें पैदा कर रहे हैं. बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में बायजूज के फाउंडर बायजू रवींद्रन, उनकी पत्नी और को-फाउंडर दिव्या गोकुलनाथ और उनके भाई रिजू रवींद्रन शामिल हैं.
 


निवेशकों की झोली भरने वाली Suzlon Energy की कटेगी जेब, मिल गया इतने करोड़ का नोटिस

शेयर बाजार में सुजलॉन एनर्जी लिमिटेड ने अब तक काफी अच्छा प्रदर्शन किया है. उसने निवेशकों को बंपर रिटर्न दिया है.

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Friday, 29 March, 2024
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शेयर बाजार (Stock Market) में धूम मचाने वाली रिन्यूएबल एनर्जी से जुड़ी कंपनी सुजलॉन एनर्जी लिमिटेड (Suzlon Energy) को बड़ा झटका लगा है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने कंपनी पर 260.35 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है. डिपार्टमेंट के नेशनल फेसलेस एसेसमेंट सेंटर ने एसेसमेंट ईयर 2016-17 और 2017-18 के मामले में यह कार्रवाई की है. यह जुर्माना गुडविल पर आधारित डेप्रिसिएशन के क्लेम को अस्वीकार करने से जुड़ा है.

ट्रिब्यूनल के पास लंबित है मामला
वहीं, सुजलॉन एनर्जी आयकर विभाग द्वारा लगाए गए जुर्माने पर आपत्ति जताई है. कंपनी ने कहा है कि पहले के न्यायिक आदेशों को ध्यान में रखते हुए उसका मानना है कि जब तक इस सिलसिले में अपील पर सुनवाई पूरी नहीं की जाती, तब तक जुर्माने की कार्यवाही को रोका जाना चाहिए. सुजलॉन एनर्जी के मुताबिक, इस मामले में अपील फिलहाल ट्रिब्यूनल के पास लंबित है, लिहाजा पेनल्टी ऑर्डर को उचित नहीं माना जा सकता.

जुर्माने को चुनौती देने की तैयारी
सुजलॉन एनर्जी ने आगे कहा कि कंपनी अपीलेट/न्यायिक फोरम के सामने जुर्माने को चुनौती देने की प्रक्रिया में है और उसके द्वारा उठाए गए सवाल जायज हैं. जुर्माने के बारे में कंपनी ने बताया कि क्लेम अस्वीकार करने से संबंधित सेक्शन 14A के तहत 35.11 करोड़ रुपए का जुर्माना और सेक्शन 32 (1) के तहत गुडविल से जुड़े डेप्रिसिएशन को अस्वीकार करने के लिए 132.48 करोड़ का जुर्माना लगाया गया है. इसके साथ ही देरी से भुगतान के लिए भी पेनल्टी लगाई गई है. 

स्टॉक मार्केट में शानदार प्रदर्शन
वहीं, शेयर बाजार में कंपनी के प्रदर्शन की बात करें, तो Suzlon Energy के शेयर धूम मचा रहे हैं. कल यह 4.94% की उछाल के साथ 40.40 रुपए पर बंद हुए. बीते 5 कारोबारी सत्रों में इस शेयर ने शानदार 10.38 प्रतिशत का रिटर्न दिया है. जबकि इस साल अब तक ये 4.94% ऊपर चढ़ चुका है. पिछले एक साल में Suzlon के शेयर अपने निवेशकों को 408.18% का रिटर्न देकर मालामाल कर चुके हैं. इस रिन्यूएबल एनर्जी कंपनी का पोर्टफोलियो मजबूत है. उसे लगातार नए ऑर्डर मिल रहे हैं, इस वजह से उसके शेयरों की चाल भी तेज हो रही है.