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लंबे सफर की बात करके Adani Group का साथ क्यों छोड़ रही है ये विदेशी कंपनी?
अडानी समूह की कंपनियों - अडानी ग्रीन एनर्जी और अडानी एनर्जी सॉल्यूशंस के शेयरों में गिरावट देखने को मिल रही है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 7 months ago
अडानी समूह (Adani Group) के साथ लंबे सफर की बात करने वाली एक विदेशी कंपनी अब उसका साथ छोड़ने को आतुर नजर आ रही है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अबू धाबी समूह इंटरनेशनल होल्डिंग कंपनी (IHC) अडानी ग्रुप की 2 कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी बेचने की तैयारी में है. IHC अडानी ग्रीन एनर्जी (Adani Green Energy) और अडानी एनर्जी सॉल्यूशंस (Adani Energy Solutions) को अपने पोर्टफोलियो से हटाना चाहती है. हालांकि, IHC ने अडानी समूह की फ्लैगशिप कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज (Adani Enterprises) में अपनी रणनीति फिलहाल स्पष्ट नहीं की है. दुबई की कंपनी के इस कदम को अडानी समूह के लिए झटका माना जा रहा है.
किसमें, कितनी है हिस्सेदारी?
अबू धाबी समूह इंटरनेशनल होल्डिंग कंपनी (IHC) ने अडानी समूह की दो कंपनियों से बाहर निकलने को लेकर ज्यादा कुछ नहीं कहा है. उसकी तरफ से केवल इतना बताया गया है कि अपने पोर्टफोलियो को नियंत्रित करने के लिए वो हिस्सेदारी बेच रही है. IHC ने अडानी समूह की तीन कंपनियों में निवेश किया हुआ है. उसके पास अडानी ग्रीन एनर्जी में 1.26% और अडानी एनर्जी सॉल्यूशंस में 1.41% हिस्सेदारी है. जबकि अडानी एंटरप्राइजेज में उसने 7,700 करोड़ रुपए निवेश किए हैं. IHC के अपनी हिस्सेदारी बेचने की खबर सामने आने के बाद अडानी ग्रीन एनर्जी और अडानी एनर्जी सॉल्यूशंस के शेयरों में गिरावट देखने को मिली है.
प्रभावित हुए निवेशकों की सोच!
दुबई की इस कंपनी ने पिछले साल अडानी ग्रीन एनर्जी और अडानी एनर्जी सॉल्यूशंस में 50-50 करोड़ डॉलर का निवेश किया था. IHC के मुख्य कार्यकारी सैयद बसर शुएब (Syed Basar Shuaib) ने उस वक्त कहा था कि IHC अडानी समूह में लॉन्ग टर्म के लिए निवेश करेगी. लिहाजा, ये गौर करने वाली बात है कि एक ही साल में ऐसा क्या हुआ कि कंपनी अडानी समूह की इन कंपनियों का साथ छोड़ना चाहती है. कुछ जानकार मानते हैं कि अडानी समूह को लेकर लगातार सामने आ रहीं गलत खबरों ने निवेशकों को कुछ हद तक सोचने पर मजबूर किया है. हिंडनबर्ग के बाद OCCRP की रिपोर्ट में भी समूह पर गंभीर आरोप लगाए गए थे.
अच्छा नहीं गया ये साल
वैसे, देखा जाए तो ये साल गौतम अडानी और उनकी कंपनियों के लिए अच्छा नहीं रहा. साल की शुरुआत में ही अमेरिकी रिसर्च कंपनी हिंडनबर्ग ने अडानी ग्रुप पर बड़ा बम फोड़ा. इस रिपोर्ट में समूह पर कई गंभीर आरोप लगाए गए, जिसके बाद आसमान की ऊंचाई पर पहुंच चुके अडानी की कंपनियों के शेयर सीधे जमीन पर आ गए. समूह का मार्केट कैप धड़ाम हो गया और नतीजतन गौतम अडानी की दौलत का पहाड़ भी दरकने लगा. दुनिया के अमीरों की लिस्ट में दूसरे नंबर तक पहुंच गए अडानी लुढ़कते हुए इतना नीचे पहुंच गए कि अब तक पुरानी वाली स्थिति में नहीं आ सके हैं.
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