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आखिर क्यों वित्त मंत्रालय ने किया है महंगाई पर सर्तक रहने का इशारा
हालांकि सरकार का दावा है कि महंगाई धीरे-धीरे कम होना शुरू होगी, लेकिन आम जनता को इसके बाद भी सर्तक रहना होगा.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
नई दिल्लीः महंगाई को कम करने के लिए सरकार के अलावा भारतीय रिजर्व बैंक भी अपनी तरफ से प्रयास कर रहे हैं, लेकिन ये अभी भी 7 फीसदी से ऊपर बनी हुई है. हालांकि सरकार का दावा है कि महंगाई धीरे-धीरे कम होना शुरू होगी, लेकिन आम जनता को इसके बाद भी सर्तक रहना होगा. वित्त मंत्रालय की तरफ से शनिवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक मंदी की आहट से हम सबको सचेत रहना चाहिए, क्योंकि यह कम होती महंगाई को फिर से बढ़ा सकती है.
भारत में वैश्विक महंगाई का दिख रहा है असर
वित्त मंत्रालय ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारत में जो महंगाई का स्तर अभी है, वो वैश्विक कारणों से है. विकास दर के लिए नकारात्मक जोखिम तब तक बना रहेगा जब तक कि भारत बाकी दुनिया के साथ एकीकृत नहीं हो जाता है. सर्दियों के दिनों में विकसित देशों में बिजली की मांग बढ़ सकती है, जिससे अभी संकट से गुजर रहे देशों में जियो-पॉलिटिकल टेंशन बढ़ सकता है. भारत पर भी यूक्रेन संकट के चलते अपनी उर्जा की जरूरतों को पूरा करने पर ध्यान देने की आवश्यकता है. यूरोप के देश भी अपनी तेल की जरूरतों को पूरा करने के लिए रूस पर आश्रित हो सकते हैं.
फेड बढ़ा सकता है ब्याज दरें
यूएस फेड की बैलेंस शीट भी आगे आने वाले महीनों में गड़बड़ा सकती है. अभी से इसमें गिरावट देखी जा रही है. इससे स्टॉक मार्केट्स पर असर पड़ेगा और ग्लोबल पूंजी बाजार में बिकवाली का दौर शुरू हो सकता है. हालांकि भारत के आयात पर इसका असर नहीं पड़ेगा क्योंकि समय को देखते हुए भारत अभी से काफी कुछ आयात कर रहा है.
कृषि सेक्टर से उम्मीद
इस बार आरबीआई को कृषि सेक्टर से काफी उम्मीद है, क्योंकि इनके स्टॉक और बाजार में कीमतों के कुशल प्रबंधन से और बिना कृषि निर्यात को जोखिम में डाल कर महंगाई को कम करने पर बड़ा काम किया जा सकता है. देश वैसे भी टीकाकरण और अच्छी तरह से कैलिब्रेटेड अल्पकालिक नीतिगत उपायों के तेजी से कवरेज ने अर्थव्यवस्था को अशांत समय के माध्यम से नेविगेट किया है, जो आने वाले वर्षों के लिए एक मजबूत नींव तैयार कर रहा है.
सर्विस सेक्टर में दिख रही है ग्रोथ
महामारी से बेहाल हुए सर्विस सेक्टर में भी इस साल ग्रोथ देखने को मिली है. निजी उपयोग में बढ़ोतरी के साथ ही रोजगार के अवसर भी यहां पैदा हो रहे हैं, जिसकी वजह से अगले वित्त वर्ष में इस सेक्टर के ग्रोथ के अच्छे अनुमान दिख रहे हैं. वहीं निजी निवेश भी बढ़ गया है. कंपनियों का कैपेक्स 35 फीसदी बढ़कर 2.3 ट्रिलियन डॉलर हो गया है. सरकार का भी कैपेक्स में भी खर्च जारी रहेगा, ताकि पूंजी की कमी न पड़े. रिपोर्ट में कहा गया है, "भारत की विकास आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए चौकस और विवेकपूर्ण वित्तीय प्रबंधन और विश्वसनीय मौद्रिक नीति आवश्यक रहेगी." सार्वजनिक नीति के ये दोनों स्तंभ सरकारी और निजी क्षेत्र के लिए बेंचमार्क उधार लागत को कम करने में मदद करेंगे, जिससे सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के पूंजी निर्माण में सुविधा होगी.
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