वेदांता ने बुधवार को बताया कि कंपनी ने स्टैण्डर्ड चार्टर्ड बैंक से लिए 100 मिलियन डॉलर्स के कर्ज को 10 मार्च 2023 तक Encumbrance रिलीज के माध्यम से चुका दिया.
अनिल अग्रवाल की कंपनी वेदांता ने बुधवार को घोषणा कर बताया कि कंपनी ने स्टैण्डर्ड चार्टर्ड बैंक से लिए गए 100 मिलियन डॉलर्स के कर्ज को 10 मार्च 2023 तक Encumbrance रिलीज के माध्यम से चुका दिया है. वेदांता रिसोर्सेज ने पहले कहा था कि फाइनेंशियल स्थिति को लेकर परेशान इन्वेस्टर्स को डेब्ट भुगतान के माध्यम से शांत करने के लिए कंपनी के पास पर्याप्त फंड्स मौजूद हैं.
ये था वेदांता का अग्रीमेंट
वेदांता रिसोर्सेज, मुंबई लिस्टेड ऑयल, गैस और माइनिंग कंपनी वेदांता के प्रमुख मालिक हैं. BSE (बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज) को की गई एक फाइलिंग में वेदांता ने कहा – पिछला डिस्क्लोजर 8 सितम्बर 2022 को रिलीज किये गए एक फेसिलिटी अग्रीमेंट के तहत किया गया था. इस अग्रीमेंट में ट्विन स्टार होल्डिंग लिमिटेड एक लोन लेने वाले, वेदांता रिसोर्सेज और वेल्टर ट्रेडिंग गारंटी देने वाले और सिंगापुर स्थित स्टैण्डर्ड चार्टर्ड बैंक लोन देने के रूप में मौजूद थे और इसका उद्देश्य 100 मिलियन डॉलर्स रुपये इकट्ठा करना था. लेकिन अब इस सुविधा का भुगतान किया जा चुका है और जब्त पड़ी प्रॉपर्टी को रिलीज किया जा चुका है.
समय से पहले उतारा कर्ज
वेदांता रिसोर्सेज ने घोषणा कर बताया कि मार्च 2023 तक बकाया पड़े लोन का भुगतान समय से पहले किया जा चुका है. कंपनी ने यह भुगतान पिछले 11 महीनों के दौरान लगातार 2 बिलियन की कीमत के एसेट्स को बेचकर किया है. इतना ही नहीं, कंपनी ने कहा है कि उन्हें विश्वास है वह जून 2023 में खत्म होने वाले वित्तीय क्वार्टर तक अपनी लिक्विडिटी की जरूरतों को पूरा कर लेंगे.
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फंड मैनेजर्स ने शेयर बाजार में लिस्टेड कुछ कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी में इजाफा किया है.
म्यूचुअल फंड्स (Mutual Funds) ने मार्च तिमाही में चुनिंदा मिड और स्मॉल-कैप शेयरों में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाई है. इसका मतलब है कि आने वाले दिनों में इन स्टॉक्स में तेजी देखने को मिल सकती है. एक रिपोर्ट में शेयरहोल्डिंग डेटा के हवाले से बताया गया है कि फंड मैनेजर्स ने वित्त वर्ष-24 की मार्च तिमाही (Q4FY24) में व्हर्लपूल इंडिया (Whirlpool Of India) में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाकर 31.14% कर दी. 31 दिसंबर को समाप्त पिछली तिमाही में यह 11.12% थी. इसी तरह, फंड्स ने आवास फाइनेंसर्स (Aavas Financiers) में अपनी हिस्सेदारी को 12.05% से बढ़ाकर 21.13% कर दिया है. जबकि इनोवा कैपटैब (Innova Captab) में उनकी हिस्सेदारी 3.40% से बढ़कर 12.38% तक हो गई है.
इनमें भी बढ़ाया स्टेक
म्यूचुअल फंड्स ने जनवरी-मार्च 2024 के दौरान घरेलू इक्विटी मार्केट में करीब 1.07 लाख करोड़ रुपए लगाए हैं. डेटा से पता चलता है कि म्यूचुअल फंड्स ने शक्ति पंप्स (इंडिया), टिप्स इंडस्ट्रीज, आदित्य बिड़ला सन लाइफ AMC, हाई-टेक पाइप्स, एवलॉन टेक्नोलॉजीज, Voltas, कल्याण ज्वैलर्स इंडिया, स्पाइसजेट और जीआर इन्फ्राप्रोजेक्ट्स में भी अपनी हिस्सेदारी बढ़ाई है. इसके अलावा, उन्होंने 31 मार्च 2024 तक जुबिलेंट फूडवर्क्स में अपनी हिस्सेदारी को 15.41% से बढ़ाकर 19.98% कर लिया है. आमतौर पर जब किसी कंपनी की आर्थिक गतिविधि से जुड़ी खबर सामने आती है, तो उसके शेयर पर भी असर देखने को मिलता है. ऐसे में जिन कंपनियों में फंड मैनेजर्स ने अपना स्टेक बढ़ाया है, उनमें तेजी देखने को मिल सकती है.
ऐसा है मार्केट में हाल
ब्रोकरेज फर्म एक्सिस कैपिटल ने Voltas के लिए 1,360 रुपए का Target Price सेट किया है. फिलहाल कंपनी का शेयर 1,305 रुपए पर चल रहा है. शुक्रवार को इसमें एक प्रतिशत से ज्यादा की बढ़त देखने को मिली थी. इस साल अब तक ये शेयर 33.44% का रिटर्न दे चुका है. जबकि पिछले एक साल में यह आंकड़ा 50.44% है. Whirlpool की बात करें, तो इसके लिए भी शुक्रवार शानदार गया. इस दौरान कंपनी का शेयर 3 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़त के साथ 1,460 रुपए पर पहुंच गया. Aavas Financiers में भी पिछले सत्र में उछाल आया. हालांकि, 1,545.80 रुपए के भाव पर मिल रहे इस शेयर का इस साल अब तक का रिकॉर्ड खास अच्छा नहीं है. इसी तरह, Innova Captab भी नुकसान में चल रहा है.
म्यूचुअल फंड के प्रकार
म्यूचुअल फंड अलग-अलग प्रकार के होते हैं. इक्विटी म्यूचुअल फंड: निवेशकों की रकम को सीधे शेयर बाजार लगाते हैं. लंबी अवधि में ये आपको अच्छा रिटर्न दे सकते हैं. डेट म्यूचुअल फंड: डेट सिक्योरिटीज में निवेश करते हैं. ये स्कीम शेयरों की तुलना में कम जोखिम वाली होती हैं. साथ ही बैंकों की FD की तुलना में बेहतर रिटर्न देती हैं. हाइब्रिड म्यूचुअल फंड: इसके तहत इक्विटी और डेट दोनों में निवेश किया जाता है. सॉल्यूशन ओरिएंटेड म्यूचुअल फंड: ये स्कीम किसी खास लक्ष्य या समाधान के हिसाब से बनी होती है. उदाहरण के लिए इनमें रिटायरमेंट स्कीम या बच्चों की शिक्षा जैसे लक्ष्य हो सकते हैं. इसमें आपको कम से कम 5 साल के लिए निवेश करना जरूरी होता है.
टेस्ला के सीईओ एलन मस्क भारत नहीं आ रहे हैं. इससे पहले खबर थी की एलन मस्क 21 और 22 अप्रैल को भारत में रहेंगे. इस दौरान एलन मस्क प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात करेंगे.
टेस्ला के सीईओ एलन मस्क (Elon Musk) भारत नहीं आ रहे हैं एलन मस्क ने अपना भारत दौरा स्थगित कर दिया है. हालांकि अभी दौरा टालने के कारण का पता नहीं चल पाया है, लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि मस्क की यात्रा टेस्ला की पहली तिमाही के नतीजे के बारे में सवालों का जवाब देने के लिए 23 अप्रैल को अमेरिका में एक कॉन्फ्रेंस कॉल के कारण टाली गई है. एलन मस्क ने एक्स प्लेटफॉर्म पर खुद इसकी जानकारी दी है. उन्होंने कहा कि दुर्भाग्यपूर्ण है कि मुझे टेस्ला के प्रति जिम्मेदारी के चलते भारत दौरा टालना पड़ रहा है. लेकिन मैं इस साल ही भारत आने का मौका देख रहा हूं.
Unfortunately, very heavy Tesla obligations require that the visit to India be delayed, but I do very much look forward to visiting later this year.
— Elon Musk (@elonmusk) April 20, 2024
इस वजह से टाला भारत का दौरा
दरअसल एलन मस्क को 23 अप्रैल को टेस्ला के निवेशकों के सवालों का जवाब देने के लिए अमेरिका में उपस्थित रहना जरूरी है. टेस्ला ने हाल ही में तिमाही परिणाम जारी किया है. कंपनी को हालिया महीनों में बिक्री में गिरावट का सामना करना पड़ा है. ऐसे में कंपनी के निवेशक व शेयरधारक परेशान हो रहे हैं. अगर मस्क 21-22 अप्रैल को भारत में रहते तो 23 अप्रैल के इन्वेस्टर्स कॉल में उनके लिए मौजूद रहना मुश्किल हो जाता.
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पीएम मोदी से करने वाले थे मुलाकात
इससे पहले एलन मस्क ने 10 अप्रैल को अपने ट्वीट में जानकारी दी थी कि वह प्रधानमंत्री मोदी से मिलने के लिए बेहद उत्साहित हैं. मस्क की भारत यात्रा के ऐलान से कुछ दिन पहले ही भारत सरकार एक नई ईवी पॉलिसी लेकर आई थी. इस पॉलिसी से देश में विदेशी कंपनियों के लिए ईवी प्लांट लगाना आसान हो गया है. सरकार ने अपनी नई ईवी पॉलिसी में उन विदेशी कंपनियों को इंपोर्ट ड्यूटी में छूट देने की बात कही है, जो देश में 500 मिलियन डॉलर से अधिक का निवेश करेंगी.
भारत में Starlink को लेकर होनी थी बातचीत
टेस्ला के अलावा एलन मस्क भारत में Starlink के प्रवेश के लिए भी लंबे वक्त से कोशिश कर रहे हैं. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार केंद्र सरकार ने Starlink को यह आश्वासन दिया है कि वह देश में तीसरी तिमाही तक अपना ऑपरेशन शुरू कर पाएगी. इसके अलावा फरवरी में सरकार ने स्पेस सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए FDI को मंजूरी दी थी. उसके बाद से ही भारत में स्पेस एक्स की एंट्री को लेकर कयास तेज हो गए थे.
अमेरिका एक ओर जहां चाइना के खिलाफ कार्रवाई कर रहा है वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान उसके लिए एक अहम राष्ट्र है.अमेरिका ने हाल ही में उसे IMF से बड़ा बेलआउट दिलाया है.
भारत और अमेरिका के संबंधों की गहराई को बढ़ाने को लेकर दोनों देश पिछले लंबे समय से काम कर रहे हैं. लेकिन इस बीच अमेरिका ने चाइना की 3 कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिया है. इन कंपनियों पर आरोप है उन्होंने पाकिस्तान को बैलिस्टिक मिसाइल सप्लाई की है. ये तीनों कंपनियों पर अमेरिका ने प्रतिबंध लगा दिया है.
आखिर अमेरिका ने इस पर क्या कहा?
अमेरिका के विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा है कि ये कंपनियां उन सामूहिक विनाश हथियारों के वितरण में लगी हुई हैं. ये कंपनियां जहां उन हथियारों का निर्माण कर रही हैं वहीं अधिग्रहण, मालिकाना हक, उनके टांसपोर्टेशन, जैसे कामों को कर रही हैं. उन्होंने कहा कि इसके द्वारा पाकिस्तान उनका इस्तेमाल करेगा. अमेरिका की ओर से जिन कंपनियों पर रोक लगाई गई है उनमें शीआन लॉन्गडे टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट, चीन की तियानजिन क्रिएटिव सोर्स इंटरनेशनल ट्रेड और ग्रैनपेक्ट कंपनी लिमिटेड और बेलारूस की मिन्स्क व्हील ट्रैक्टर प्लांट शामिल है. मिलर ने ये भी कहा कि अमेरिका इन पर प्रतिबंध लगाकर इस खरीद चेन को बंद करना चाहता है.
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कौन सी कंपनी क्या कर रही थी सप्लाई
जिन तीनों कंपनियों पर प्रतिबंध लगाया गया है उनमें मिंस व्हील ट्रैक्टर प्लांट पाकिस्तान की लंबी दूसरी के बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम के लिए स्पेशल व्हीकल की सप्लाई कर रही थी. इसी तरह शीऑन लॉन्गडे टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट कंपनी लिमिटेड बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम के लिए फिलामेंट वाइंडिंग मशीन और उपकरण की आपूर्ति से जुड़ी हुई थी जो एनडीसी से जुड़ा हुआ था.
क्या कह रहे हैं एक्सपर्ट
विदेश मामलों के जानकार कमर आगा का कहना है कि अमेरिका की ये कार्रवाई पाकिस्तान से ज्यादा चीन के खिलाफ है. अमेरिका अब तक चाइना की कई कंपनियों के खिलाफ प्रतिबंध लगा चुका है. ये वो कंपनियां हैं जो उनको भी आईटम सप्लाई करती हैं और दूसरे देशों को भी आईटम सप्लाई करती हैं. सबसे अहम बात ये है कि पाकिस्तान उनके लिए रणनीति के तौर पर बेहद अहम है. वो उसको समय समय पर मदद भी करते रहते हैं. उन्होंने पाकिस्तान को आईएमएफ से लोन दिलवाकर बेलआउट करने में मदद भी की. पिछले दिनों अमेरिका के कई स्टेटमेंट ऐसे भी आए जो पाकिस्तान के फेवर में थे.
उसकी ये पुरानी रणनीति रही है कि पाकिस्तान के साथ भी संबंध बनाकर रखो और भारत के साथ भी संबंध बनाकर रखो. एक तरफ तो वो ये भी नहीं चाहते कि उनका बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम चले और दूसरी ओर उन्होंने पाकिस्तान के न्यूक्लियर मिसाइल प्रोग्राम को आगे बढ़ने में भी काफी मदद की. अब सवाल ये है कि क्या इससे चाइना को कोई असर पड़ेगा. इस पर कमर आगा कहते हैं कि इससे चाइना को कोई बड़ा असर नहीं पड़ता है. वो नई कंपनियां बनाकर इस काम को आगे बढ़ाने लगता है. उनके देश में कोई प्रिंसिपल नहीं है. उनका बॉर्डर भी मिलता है. कोई नियम चाइना नहीं मानता है.
आज भारत अमेरिका के बीच होता है इतने अरब का कारोबार
भारत और अमेरिका के बीच हर बीतते दिन के साथ कारोबार में इजाफा हो रहा है. पिछले 10 सालों में अब तक पीएम मोदी अमेरिका की कई यात्राएं कर चुके हैं. अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी के अनुसार, पिछले साल दोनों देशों के बीच लगभग 200 अरब डॉलर का कारोबार हुआ है. उन्होंने ये भी कहा कि आने वाले दिनों में ये इससे भी ज्यादा होगा और नए आंकड़े स्थापित करेगा. मौजूदा समय में भारत और अमेरिका के बीच सैन्य कारोबार से लेकर दूसरे तरह का कारोबार बड़े पैमाने पर होता है.
आने वाले समय में भारत अमेरिका के बीच कारोबार एआई से लेकर इलेक्ट्रिक कार, और सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में कारोबार होने की उम्मीद है. यही नहीं अमेरिका भारत के साथ मिलकर जेट इंजन वाले एफ 414 विमानों के उत्पादन को लेकर समझौता कर चुका है. इसी तरह जल्द टेस्ला भी भारत आ सकती है. दोनों देशों के बीच बीतते हर साल के साथ कारोबार में इजाफा हो रहा है. यही वजह है कि अमेरिका चीन के खिलाफ ज्यादा सख्ती से कार्रवाई कर रहा है.
इससे पहले कि व्यवस्था के तहत लोगों को केवल 65 वर्ष की आयु तक नई हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदने की अनुमति थी.
हेल्थ इंश्योरेंस लेने वालों के लिए के बड़ी खबर सामने आई है. भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) ने स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी (Health Insurance Policy) से जुड़ी आयु सीमा (Age Limit) को हटा दिया है. इसका मतलब है कि अब 65 साल से अधिक उम्र के लोग भी स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी ले सकेंगे. पहले, लोगों को केवल 65 वर्ष की आयु तक नई हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदने की अनुमति थी. यह बदलाव एक अप्रैल 2024 से प्रभावी हो गया है.
IRDAI के इस कदम का ये है उद्देश्य
IRDAI की तरफ से बताया गया है कि बीमा कंपनियां यह सुनिश्चित करेंगी कि वे सभी आयु समूहों को स्वास्थ्य बीमा उत्पाद पेश करें. बीमाकर्ता विशेष रूप से वरिष्ठ नागरिकों, छात्रों, बच्चों, मैटरनिटी और 'सक्षम प्राधिकारी' द्वारा निर्दिष्ट किसी अन्य समूह के लिए प्रोडक्ट डिजाइन कर सकते हैं. बीमा नियामक निकाय के इस कदम का उद्देश्य भारत में एक अधिक समावेशी स्वास्थ्य देखभाल पारिस्थितिकी तंत्र निर्मित करना और साथ ही बीमा कंपनियों को अपने उत्पाद की पेशकश में विविधता लाने के लिए प्रोत्साहित करना है.
क्लेम और शिकायतों के निपटारे पर जोर
आईआरडीएआई ने स्वास्थ्य बीमा कंपनियों से यह भी कहा है कि वे वरिष्ठ नागरिकों को भी ध्यान में रखते हुए नीतियां बनाएं और उनके क्लेम एवं शिकायतों से निपटने के लिए समर्पित चैनल स्थापित करें. एक इंडस्ट्री एक्सपर्ट ने इस संबंध में कहा कि यह एक स्वागत योग्य बदलाव है, क्योंकि यह लोगों को उम्र की परवाह किए बिना हेल्थ इंश्योरेंस लेने की आजादी देता है. अब बीमाकर्ता अपने बोर्ड द्वारा अनुमोदित दिशानिर्देशों के आधार पर 65 वर्ष से अधिक उम्र वालों को कवर कर सकते हैं.
इन्हें भी मना नहीं कर सकेंगी कंपनियां
इसके साथ ही IRDAI ने यह भी स्पष्ट किया है कि बीमाकर्ताओं कैंसर, दिल या गुर्दे की विफलता और एड्स जैसी गंभीर मेडिकल कंडीशन वाले व्यक्तियों को पॉलिसी जारी करने से इनकार नहीं कर सकते. अधिसूचना के अनुसार, IRDAI ने हेल्थ इंश्योरेंस वेटिंग पीरियड को 48 महीने से घटाकर 36 महीने कर दिया है. बीमा नियामक का कहना है कि सभी पूर्व-मौजूदा स्थितियों (Pre Existing Conditions) को 36 महीने के बाद कवर किया जाना चाहिए, भले ही पॉलिसीधारक ने शुरुआत में उनका खुलासा किया हो या नहीं. वहीं, बीमा कंपनियों को ऐसी क्षतिपूर्ति-आधारित स्वास्थ्य पॉलिसियां शुरू करने से रोक दिया गया है, जो अस्पताल के खर्चों की भरपाई करती हैं. इसके बजाय, उन्हें केवल लाभ-आधारित नीतियां प्रदान करने की अनुमति है, जो बीमा में कवर की गई बीमारी के होने पर निश्चित लागत की पेशकश करती हैं.
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मार्च 2020 में मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया था. अब सभी मामलों में जमानत मिल गई है,
यस बैंक ( Yes Bank) के को-फाउंडर राणा कपूर को मुंबई की एक अदालत से बड़ी राहत मिली है. पिछले चार साल से जेल में बंद राणा कपूर ने जमानत मिल गई है. मुंबई की एक स्पेशल कोर्ट ने शुक्रवार को 466.51 करोड़ रुपये के बैंक धोखाधड़ी मामले में येस बैंक के को-फाउंडर राणा कपूर को जमानत दे दी है.
इस मामले में हुई थी गिरफ्तारी
राणा कपूर को ईडी ने लोन संबंधी गड़बडी को लेकर 4 साल पहले गिरफ्तार किया था. ईडी ने मार्च 2020 में जिस मामले में कपूर की गिरफ्तारी की थी, वह दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉरपोरेशन लिमिटेड (DHFL) को यस बैंक के द्वारा दिए गए लोन से जुड़ा हुआ है. ऐसा आरोप है कि DHFL को लेान देने में कपूर के द्वारा गड़बड़ियां की गई थीं. DHFL से जुड़े लोन का यह मामला उस समय का है, जब राणा कपूर यस बैंक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हुआ करते थे.
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सीबीआई के मामले में मिली बेल
DHFL से जुड़े लोन फ्रॉड के मामले में ईडी के अलावा सीबीआई भी जांच कर रही है. उस संबंध में मनी लॉन्ड्रिंग समेत विभिन्न आरोपों में अलग-अलग कुल 7 प्राथमिकियां दर्ज की गई हैं. अभी राणा कपूर को जिस मामले में जमानत मिली है, वह लोन फ्रॉड के बदले घूस में सस्ते भाव पर बंगला लेने से जुड़ा है. ऐसा आरोप है कि उक्त मामले में उन्होंने गलत तरीके से लोन देकर फायदा पहुंचाया और उसके बदले में उन्हें घूस के तौर पर राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली के वीआईपी इलाके में आलीशान बंगला मिला. संबंधित बंगला नई दिल्ली में अमृता शेरगिल मार्ग पर स्थित है. एक स्पेशल कोर्ट ने मामले में राणा कपूर को जमानत दी है, जिसके बाद शुक्रवार को उन्हें तलोजा जेल से छोड़ा गया.
इतने कम भाव में हुई बंगले की डील
सीबीआई ने राणा कपूर, उनकी पत्नी बिंदु कपूर, अवंता ग्रुप के प्रमोटर गौतम थापर, ब्लिस एडोब प्राइवेट लिमिटेड समेत अन्य एंटिटीज के खिलाफ मार्च 2020 में मामला दर्ज किया था. सीबीआई का आरोप है कि कपूर ने यस बैंक के सीईओ के पद का दुरुपयोग करते हुए अमृता शेरगिल मार्ग पर स्थित बंगले को मार्केट प्राइस से सस्ते में खरीदा. संबंधित प्रॉपर्टी पहले अवंता रियल्टी के गौतम थापर के पास थी और उसकी वैल्यू सीबीआई के द्वारा 550 करोड़ रुपये बताई गई है. बंगले को गिरवी रखकर यस बैंक से 400 करोड़ रुपये का लोन लिया गया था. बाद में उस बंगले को ब्लिस एडोब कंपनी ने 378 करोड़ रुपये में खरीद लिया, जिसमें राणा कपूर की पत्नी बिंदु डाइरेक्टर हैं.
मोदी सरकार जनरल इंश्योरेंस कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया और भारतीय जीवन बीमा निगम में हिस्सेदारी बेच सकती है.
मोदी सरकार (Modi Government) विनिवेश की दिशा में एक बड़ा कदम उठाने की तैयारी में है. एक मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि सरकार वित्त वर्ष 2024-25 में जनरल इंश्योरेंस कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (GIC) और भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) में हिस्सेदारी बेच सकती है. सरकार ने निवेशकों की डिमांड का आकलन करने के बाद GIC और LIC में अल्पमत हिस्सेदारी बेचने का फैसला लिया है. बता दें कि विनिवेश सरकार का प्रमुख एजेंडा है. हालांकि, चुनावी मौसम में इसकी रफ्तार धीमी हो गई है, क्योंकि सरकार कोई जोखिम लेना नहीं चाहती.
चढ़ते शेयरों का मिलेगा लाभ
रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि सरकार को GIC के लिए निवेशकों से अच्छा रिस्पांस मिला है. ऐसे में सरकार अब अपने शेयरों मूल्य के आधार पर कंपनी की 10% हिस्सेदारी बेचने की योजना बना रही है. हालांकि, अभी इसके लिए कोई डेडलाइन निर्धारित नहीं की गई है. बता दें कि GIC के शेयर इस साल अब तक 4 प्रतिशत से ज्यादा चढ़ चुके हैं. 325 रुपए के भाव पर मिल रहा ये शेयर शुक्रवार को गिरावट के साथ बंद हुआ था. बीते पांच कारोबारी सत्रों में भी इसमें 1.25% की गिरावट आई है. हालांकि, पिछले 1 साल में इसने अपने निवेशकों को 116.96% का रिटर्न दिया है.
LIC को लेकर है ये योजना
वहीं, LIC की बात करें तो सरकार इसमें भी अपनी हिस्सेदारी घटाने पर फोकस कर रही है. 2022 में LIC की स्टॉक मार्केट में लिस्टिंग हुई थी. तब से अगले 10 वर्षों में सरकार ने 25% हिस्सेदारी बेचने का लक्ष्य निर्धारित किया है. दरअसल, LIC के शेयरों में मजबूती देखने को मिल रही है. इस साल अब तक ये शेयर 13.26% चढ़ चुका है. ऐसे में यदि सरकार अभी अपनी हिस्सेदारी बेचती है, तो उसे काफी ज्यादा प्रॉफिट होगा. देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी के शेयर शुक्रवार को 973 रुपए पर बंद हुए थे. गौरतलब है कि LIC के आईपीओ में सरकार ने कंपनी में 3.5% हिस्सेदारी बेची थी.
इस तरह भरी सरकारी झोली
पिछले कुछ समय से सरकारी कंपनियों के प्रदर्शन में सुधार देखने को मिल रहा है और इससे सरकार की झोली भी भर रही है. हाल ही में खबर आई थी कि सरकार को सार्वजनिक कंपनियों से डिविडेंड के रूप में वित्त वर्ष 2023-24 में शानदार कमाई हुई है. कमाई का आंकड़ा संशोधित लक्ष्य को पार कर गया है. विनिवेश एवं सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान सरकार को लाभांश यानी डिविडेंड के रूप में सरकारी कंपनियों से 62,929.27 करोड़ रुपए मिले, जो संशोधित लक्ष्य से करीब 26 फीसदी अधिक है. वित्त वर्ष 2024 की शुरुआत में 43,000 करोड़ रुपए लाभांश का लक्ष्य रखा गया था, जिसे बाद में संशोधित करके 50,000 करोड़ रुपए कर दिया गया. सरकार का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2025 के लिए लाभांश 48,000 करोड़ रुपए रह सकता है.
एलन मस्क अपनी पहली भारत यात्रा पर कल आ रहे हैं. वह दो दिनों तक भारत में रहेंगे. इस दौरान कई घोषणाएं हो सकती हैं.
दुनिया की सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक कार कंपनी टेस्ला (Tesla) के मालिक एलन मस्क (Elon Musk) कल भारत आ रहे हैं. अपनी 2 दिवसीय यात्रा के दौरान वह कुछ बड़ी घोषणाएं कर सकते हैं. सोमवार को मस्क प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलाकात करेंगे और इस दौरान उनके भारत में 20-30 बिलियन डॉलर के निवेश का रोडमैप पेश करने की उम्मीद है. मस्क भारत में टेस्ला के प्लांट के साथ-साथ बैटरी मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी भी स्थापित करना चाहते हैं. इसके अलावा, उनकी योजना अपनी सैटेलाइट इंटरनेट कंपनी स्टारलिंक को भी भारत में एंट्री दिलाने की है.
इस होटल में ठहरेंगे मस्क
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, एलन मस्क अपने प्राइवेट जेट से आएंगे रविवार को भारत पहुंच जाएंगे. उनके रुकने की व्यवस्था राजधानी दिल्ली के ओबेराय होटल में की गई है. मस्क के लिए होटल में खास इंतजाम किए गए हैं. सोमवार को फर्स्ट हाफ में वह PM मोदी से उनके कार्यालय में मुलाकात करेंगे. यह मीटिंग भारत के लिहाज से भी काफी अहम रहने वाली है, क्योंकि इसी में मस्क 20-30 बिलियन डॉलर के निवेश का रोडमैप पेश कर सकते हैं. चुनावी माहौल में प्रधानमंत्री आमतौर पर दिन में 2-3 रैलियां कर रहे हैं, लेकिन सोमवार को वे केवल ही एक रैली करेंगे. बता दें कि यह एलन मस्क की पहली भारत यात्रा है.
Bharat को ऐसे मिलेगा लाभ
पीएम से मुलाकात के बाद मस्क 'भारत मंडपम' जा सकते हैं. यहां वह अलग-अलग स्टार्टअप्स के साथ मीटिंग करेंगे. इसमें खासतौर पर स्पेस सेक्टर के स्टार्टअप शामिल होंगे. एलन मस्क उनसे जानेंगे कि भारत में स्पेस स्टॉर्ट अप्स को लेकर कितनी ज्यादा संभावनाएं हैं. माना जा रहा है कि वो इस संबंध में भी कोई घोषणा कर सकते हैं. एक्सपर्ट्स मानते हैं कि मस्क की टेस्ला के भारत को अपना ठिकाना बनाने से देश को EV मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में स्थापित करने में मदद मिलेगी. यह भारत के EV ईको-सिस्टम के लिए काफी अच्छा है. इसके साथ ही मस्क द्वारा भारत में होने वाले भारी -भरकम निवेश से यहां जॉब्स भी क्रिएट होंगी.
स्टारलिंक को लेकर है सस्पेंस
बताया जा रहा है कि एलन मस्क 2 से 3 बिलियन डॉलर का निवेश तत्काल करने का ऐलान कर सकते हैं. ये निवेश इलेक्ट्रॉनिक व्हीकल्स यानी ईवी सेक्टर में होगा, जिसके तहत टेस्ला भारत में मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लगाएगी. इसके साथ ही बैटरी मैन्युफैक्चरिंग को लेकर भी मस्क कोई बड़ी घोषणा कर सकते हैं. कुल मिलाकर कहें तो मस्क की इस यात्रा से भारत को कई गिफ्ट मिल सकते हैं. हालांकि, स्टारलिंक को लेकर शायद मस्क के दौरे के दौरान कोई घोषणा न हो. एक मीडिया रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि कुछ तकनीकी दिक्कतों की वजह से स्टारलिंक के निवेश को लेकर होने वाला औपचारिक ऐलान फिलहाल टल सकता है. हालांकि, मस्क के भारत में होने वाले इन्वेस्टमेंट रोडमैप में स्टारलिंक का एक बड़ा हिस्सा हो सकता है.
किस राज्य को मिलेगा मौका?
टेस्ला अपना इलेक्ट्रिक कार मैन्युफैक्चरिंग प्लांट कहां लगाएगी, इसकी घोषणा भी मस्क के दौरे के दौरान हो सकती है. हाल ही में टेस्ला के कुछ सीनियर अधिकारियों के इस संबंध में राजस्थान सरकार के साथ बैठक की खबर आई थी. इसी के साथ टेस्ला के संभावित प्लांट वाले राज्यों की लिस्ट में महाराष्ट्र, गुजरात और तमिलनाडु के साथ अब राजस्थान का नाम भी शामिल हो गया है. माना जा रहा है कि टेस्ला अपना प्लांट महाराष्ट्र, गुजरात और तमिलनाडु जैसे ऑटोमोटिव हब वाले राज्यों में लगा सकती है. हरियाणा में भी कुछ कंपनियों के मैन्युफैक्चरिंग प्लांट हैं, लेकिन एलन मस्क की कंपनी टेस्ला का फोकस महाराष्ट्र, गुजरात और तमिलनाडु पर ही रहने की उम्मीद है. इसकी प्रमुख वजह है इन राज्यों में मौजूद बंदरगाह, जहां से कारों का एक्सपोर्ट आसानी से हो सकेगा. इसके साथ ही टेस्ला ने दिल्ली और मुंबई में अपने शोरूम के लिए जगह तलाशना शुरू कर दिया है. टेस्ला अपने शोरूम के लिए 3,000-5,000 स्क्वेयर फीट की जगह तलाश रही है. कंपनी इन शहरों में सर्विस हब भी बनाना चाहती है.
जियो फाइनेंशियल के शेयरों में आज नतीजे आने का कोई खास असर देखने को नहीं मिला है. जानकारों का मानना है कि सोमवार को इसका असर देखने को मिल सकता है.
आज रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी का जन्मदिन है. उनके जन्मदिन के मौके पर उनकी कंपनी जियो फाइनेंशियल ने अपने बॉस को बड़ा गिफ्ट दिया है. रिलायंस इंडस्ट्रीज की कंपनी जियो फाइनेंशियल ने अपनी चौथी तिमाही के नतीजों को जारी कर दिया है. कंपनी को चौथी तिमाही में 310 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ है. जबकि कंपनी के नेट इनकम पर नजर डालें तो वो 418 करोड़ रुपये रही है.
क्या कह रहे हैं चौथी तिमाही के आंकड़े?
जियो फाइनेंशियल के चौथी तिमाही के नतीजों पर नजर डालें तो नेट इंट्रस्ट इनकम इस क्वॉर्टर में 280 करोड़ रुपये रही है. वहीं कंपनी की टोटल इनकम 418 करोड़ और रेवेन्यू 418 करोड़ रुपये रहा है. वहीं इससे पहले अगर अगस्त के नतीजों पर नजर डालें तो नेट प्रॉफिट 293 करोड़ रुपये रहा है. वहीं कंपनी की टोटल इंट्रस्ट इनकम 414 करोड़ और रेवेन्यू 413 करोड़ रुपये रहा है.
नतीजों का शेयर पर पड़ा क्या असर?
वहीं अगर कंपनी के शेयर पर नजर डालें तो उसमें 2.22 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिली है, जिसके बाद कंपनी का शेयर 370 रुपये पर बंद हुआ. इस शेयर का 52 हफ्तों का हाई 384.40 रुपये है जबकि 52 हफ्तों का लो 202.80 रुपये है. पिछले पांच दिनों में शेयर की स्थिति पर नजर डालें तो ये 368.70 रुपये का था जबकि आज शेयर 370 रुपये पर बंद हुआ है. कंपनी के शेयरों में इस ग्रोथ का असर सोमवार को देखने को मिल सकता है.
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विदेशी निवेशक जिनसे भारतीय शेयर बाजार को ग्रोथ मिल रही थी वो तेजी से पैसा निकाल रहे हैं. क्या इसके पीछे- ईरान-इजराइल युद्ध है या भारत में चुनाव के नतीजों को लेकर आशंका ? इसे समझते हैं
दुनिया में मौजूदा समय में घट रहे कुछ महत्वपूर्ण घटनाक्रमों के बीच भारत के शेयर बाजार पर इसका बड़ा असर पड़ रहा है. पिछले चार दिनों में एफआईआई ने बाजार से 20 हजार करोड़ रुपये निकाले हैं, जिसने बाजार को लाल निशान में ला दिया है. एक ओर जहां ईरान-इजराइल के बीच युद्ध चल रहा है वहीं दूसरी ओर भारत में लोकसभा का चुनाव चल रहा है. लेकिन बाजार के एक्सपर्ट इसे लेकर इतनी चिंता में नहीं है. उनका कहना है कि ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है और ये ज्यादा दिनों तक चलने वाला भी नहीं है.
क्या है बाजार का हाल?
अगर शुक्रवार की स्थिति पर नजर डालें तो बाजार में 600 प्वॉइंट्स की बढ़त देखने को मिली. बाजार 73088 प्वॉइंटस पर बंद हुआ. लेकिन इस स्थिति के बावजूद बाजार से पिछले चार दिनों में एआईआई ने 2000 करोड़ रुपये से ज्यादा की बिकवाली की है. एफआईआई की इस बिकवाली ने बाजार को लाल निशान में ला दिया है. हालांकि बाजार पर कोई बड़ा असर नहीं पड़ा है. लेकिन नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी के आंकड़ों पर नजर डालें तो जनवरी से लेकर अप्रैल तक एफआईआई (फॉरेन इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर) ने इक्विटी से ज्यादा डेट में निवेश किया है. एफआईआई ने बाजार में जहां मात्र 13067 रुपये का निवेश किया है वहीं डेट में 55630 करोड़ रुपये का निवेश किया है. जानकारों का ये भी कहना है कि एफआईआई के इस व्यवहार का बाजार पर कोई खास असर नहीं पड़ रहा है. क्योंकि बाजार की घरेलू मांग पूरी हो रही है और निवेश के दूसरे साधनों के माध्यम से बाजार में पैसा आ रहा है.
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घरेलू बाजार में हो रहा है बड़ा निवेश
EquityRush के सीईओ और बाजार के जानकार कुनाल सारोगी कहते हैं कि हम देख रहे हैं कि लगातार एफआईआई की बिकवाली चल रही है, बाजार में जो गिरावट आ रही है वो उन्हीं की वजह से है. इसकी कई वजह हैं जिनमें ईरान का विवाद, चुनाव के क्या परिणाम निकल कर आएंगे, डॉलर में तेजी आ रही है उससे भी एफआईआई बाहर जा रहे हैं. ये एक तरह का एडजस्टमेंट है. लेकिन हमारे वहां जो घरेलू निवेश है वो बहुत स्ट्रांग है. म्यूचुअल फंड से लेकर स्मॉल कैप और मिड कैप में इतना पैसा आया है कि एक्सचेंज को और रेग्यूलेटर को उस पर रोक लगानी पड़ी. अगर घरेलू निवेश नहीं होता तो बड़ी गिरावट आ जाती लेकिन ऐसा नहीं हुआ है. मुझे लगता है कि एक बार अगर एफआईआई चुनावों को लेकर कयास खत्म हो जाएंगे तो एआईआई का पैसा भी लौट आएगा. कुनाल ये भी कहते हैं कि ऐसा पहली बार नहीं है जब किसी युद्ध का असर दिखा हो इससे पहले इजराइल हमास के युद्ध का भी असर दिखा था लेकिन वो भी रिकवर हो गया.
रेट कट न होने तक जारी रह सकता है सिलसिला
एक अन्य एक्सपर्ट इस बारे में अपनी बात कहते हुए कहते हैं ऐसा नहीं है कि ये पिछले चार दिनों में एफआईआई का बिकवाली का दौर दिखा है ये लंबे समय से दिख रहा है. उनका कहना है कि जब भी बाजार में तेजी बढ़ी है तब तब एफआईआई की बाजार में तेजी देखने को मिली है. इसका कारण ये है कि इंडियन मार्केट पहले से ही ऑल टाइम हाई पर ट्रेड कर रहा है. वो लोग पहले से ही प्रॉफिट में है और वो लोग किसी तरह का जोखिम नहीं लेना चाह रहे हैं. इसका एक कारण हमारे चुनाव हैं दूसरा अमेरिका में चुनाव है, तीसरा जो ब्याज दरें हैं वो भी एक बड़ी वजह है. इस साल जून में जो ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद लगाई जा रही है, लेकिन इस बीच अमेरिका में महंगाई के जो आंकड़े सामने आए हैं उससे लग ये रहा है कि ये जुलाई अगस्त में ही देखने को मिलेगा. इन सभी की वजह से जो प्रॉफिट बुकिंग एफआईआई देखने को मिली है. मुझे लगता है कि जब तक रेट कट नहीं होता है तब तक रेट कट देखने को ना मिले.
NBCC 100 मिलियन डॉलर से अधिक की बचत के लिए अपनी स्वयं की NBFC बैंक स्थापित करने की योजना बना रही है.
भारत की सरकारी कंपनी एनबीसीसी इस वर्ष के अंत में अपनी स्वयं की गैर-बैंकिंग वित्त कंपनी (NBFC) स्थापित करने की योजना बना रही है, ताकि कई इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के लिए उधार लेने की लागत कम की जा सके. निर्माण एवं रियल एस्टेट डेवलपर का अनुमान है कि इस कदम से उन्हें अगले दो वर्षों में ब्याज लागत में 108 मिलियन डॉलर की बचत करने में मदद मिलेगी. NBCC नई सरकार से बैंक के लिए मंजूरी मांगेगी, जिसका चुनाव शुक्रवार से शुरु हुए लोकसभा चुनाव के बाद जून में होगा. कंपनी को भारतीय रिजर्व बैंक से भी लाइसेंस की आवश्यकता होगी, जिसके लिए अभी तक आवेदन नहीं किया है.
बैंक से NBCC को मिलेगा फायदा
वर्तमान में, NBCC को अन्य NBFC के साथ काम करते समय 12 से 14 प्रतिशत तक उधार लेना पड़ता है. अपनी खुद की NBFC की स्थापना से इन लागतों में 1-2 प्रतिशत की कमी आने की उम्मीद है, जिससे वित्तीय राहत मिलेगी. इसके अतिरिक्त, इन-हाउस एनबीएफसी अन्य सार्वजनिक क्षेत्र की संस्थाओं से जुड़े रिडेवलपमेंट और मॉनेटाइज़ेशन वेंचर के लिए सीड फंडिंग हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार है. NBCC द्वारा बैंक बनाए जाने से फ्लैट के ग्राहकों को इसका फायदा मिलेगा. मीडिया रिपोर्ट ने कहा गया है कि बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए उधार लेने की लागत को कम किया जाएगा. इसके साथ ही कम ब्याज दर ग्राहकों को लोन दिया जा सकता है.
2016 में NBFC खोलने की कोशिश की थी
NBCC द्वारा हाल ही में स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (SAIL) और भारतीय रेलवे से रिडेवलपमेंट परियोजनाओं का अधिग्रहण, इसकी आगामी NBFC की क्षमताओं का लाभ उठाने के लिए इसकी रणनीतिक स्थिति को दर्शाता है. एनबीसीसी ने इससे पहले 2016 में एक NBFC स्थापित करने पर विचार किया था, हालांकि उसे सफलता नहीं मिली थी.
नोएडा में फ्लैट बना रहा है NBCC
आम्रपाली बॉयर्स को एनबीसीसी (NBCC) की तरफ से 22000 फ्लैट का हैंड ओवर मार्च 2025 तक कर दिया जाएगा. आम्रपाली के प्रोजेक्ट में 135000 अतिरिक्त फ्लैट का निर्माण किया जाएगा. इनकी बिक्री भी एनबीसीसी की तरफ से ही की जाएगी. इसके लिए 10 हजार करोड़ का निवेश किया जाएगा. अथॉरिटी ने खाली पड़ी जमीन पर निर्माण करने की अनुमति दे दी है. एनबीसीसी को उम्मीद है कि फ्लैट की बिक्री से 15,000 करोड़ रुपये का रेवेन्यू मिलेगा. इस पैसे से रुके हुए प्रोजेक्ट्स को पूरा करने की लागत, बैंकों का लोन चुकाने और सरकारी विभागों की देनदारी निपटाने में आसानी होगी.