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जून में एक बार फिर से बढ़ गई बेरोजगारी दर, गांवों की हालत सबसे ज्यादा खराबः CMIE
जून के महीने 1.3 करोड़ लोगों की नौकरी पर भी असर पड़ा है. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) ने मंगलवार को यह डाटा जारी किया है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
नई दिल्लीः जून के महीने के में एक बार फिर से महंगाई दर में बढ़ोतरी हो गई है. एक बार फिर से यह 7 फीसदी के पार चली गई है. वहीं देश के गांवों में बेरोजगारी की दर सबसे ज्यादा है. जून के महीने 1.3 करोड़ लोगों की नौकरी पर भी असर पड़ा है. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) ने मंगलवार को यह डाटा जारी किया है.
गांवों की हालत ज्यादा खराब
CMIE की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक जून माह में बेरोजगारी दर 7.8 फीसदी रही. शहरों की तुलना में गांवों की स्थिति ज्यादा खराब रही, जहां बेरोजगारी दर 8.03 फीसदी रही जो मई में 6.62 फीसदी थी. वही शहरों में भी यह 7.30 फीसदी रही जो मई की 7.12 फीसदी की तुलना में थोड़ी बढ़ गई है. गांवों में मई और जून के महीने में खेती-बाड़ी से जुड़ा कोई काम न होने के कारण इसमें इजाफा हुआ है.
CMIE के एमडी महेश व्यास ने बताया कि यह एक नॉन लॉकडाउन महीने में सबसे बड़ी बेरोजगारी दर है. गांवों की स्थिति जुलाई से सुधर सकती है, क्योंकि तब बारिश के बाद खेतों में बुवाई शुरू हो जाएगी. हालांकि जून के महीने में 1.3 करोड़ लोगों ने नौकरी छोड़ी लेकिन बेरोजगार केवल 30 लाख लोग हुए हैं. मजदूरी करने वाले 1 करोड़ लोगों पर असर देखने को मिला है.
2.5 करोड़ नौकरीपेशा लोगों पर असर
हालांकि नौकरीपेशा लोगों की नौकरी पर जून के महीने में असर देखने को मिला है. जून के महीने में करीब 2.5 करोड़ लोगों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा. सैलरी पेशा लोगों की नौकरी पर बड़ा संकट आ गया है. व्यास ने कहा कि सरकार ने आर्म्ड फोर्सेस में लोगों की ज्यादा नियुक्ति की मांग को कम कर दिया और निजी इक्विटी-वित्त पोषित नई दुनिया की नौकरियों में अवसर भी कम होने लगे. ऐसे में भगवान भी इन नौकरियों को नहीं बचा सकते. इकोनॉमी को आगे ले जाने के लिए नौकरियों की जरूरत है.
इन राज्यों में सबसे ज्यादा बेरोजगारी
आंकड़ों में कहा गया है कि हरियाणा में बेरोजगारी की उच्चतम दर 30.6 फीसदी, राजस्थान में 29.8 फीसदी, असम में 17.2 फीसदी, जम्मू-कश्मीर में 17.2 फीसदी, बिहार में 14 फीसदी रही. इस हिसाब से देखा जाए तो उत्तर और पूर्वी भारत में लोगों के लिए बहुत कम नौकरियों के अवसर निकले हैं.
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